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इतिहास टेस्ट 1
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Question 1 of 14
1. Question
2 pointsखजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर | किसने बनवाया? –
Correct
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Incorrect
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Unattempted
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
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Question 2 of 14
2. Question
2 pointsचोलों का राज्य किस क्षेत्र में फैला था?
Correct 2 / 2Pointsचोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Incorrect / 2 Pointsचोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Unattempted / 2 Pointsचोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
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Question 3 of 14
3. Question
2 pointsमीनाक्षी मंदिर कहां स्थित है?
Correct 2 / 2Pointsचालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Incorrect / 2 Pointsचालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Unattempted / 2 Pointsचालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
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Question 4 of 14
4. Question
3 pointsभारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा कौन-सी है?
Correct 3 / 3Pointsभारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Incorrect / 3 Pointsभारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Unattempted / 3 Pointsभारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
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Question 5 of 14
5. Question
2 pointsमालवा, गुजरात एवं महाराष्ट्र किस शासक ने पहली बार जीते?
Correct
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Incorrect
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Unattempted
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
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Question 6 of 14
6. Question
2 pointsकुषाण शासक कनिष्क का राज्याभिषेक किस सन् में हुआ?
Correct
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Incorrect
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Unattempted
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
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Question 7 of 14
7. Question
2 pointsसांची का स्तूप किस शासक ने बनवाया था?
Correct
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Incorrect
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Unattempted
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
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Question 8 of 14
8. Question
2 points‘सत्यमेव जयते’ शब्द कहां से लिया गया है?
Correct
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Incorrect
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Unattempted
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
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Question 9 of 14
9. Question
2 pointsरामानुजाचार्य किससे संबंधित हैं?
Correct
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
- शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
- अद्वैतवाद शंकराचार्य
- वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
- धरकरी सम्प्रदाय रामदास
- सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
Incorrect
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
- शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
- अद्वैतवाद शंकराचार्य
- वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
- धरकरी सम्प्रदाय रामदास
- सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
Unattempted
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
- शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
- अद्वैतवाद शंकराचार्य
- वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
- धरकरी सम्प्रदाय रामदास
- सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
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Question 10 of 14
10. Question
2 pointsकिस दक्षिण भारतीय राज्य में उत्तम ग्राम प्रशासन था?
Correct
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
Incorrect
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
Unattempted
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
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Question 11 of 14
11. Question
2 pointsदिलवाड़ा जैन मंदिर कहां स्थित है?
Correct
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Incorrect
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Unattempted
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
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Question 12 of 14
12. Question
1 pointsबुद्ध के उपदेश किससे संबंधित हैं?
Correct
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
Incorrect
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
Unattempted
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
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Question 13 of 14
13. Question
2 pointsचालुक्यों की राजधानी कहां थी?
Correct
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Incorrect
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Unattempted
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
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Question 14 of 14
14. Question
2 pointsसंसार अस्थिर और क्षणिक है’ का निम्न में किससे संबंध है?
Correct
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Incorrect
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Unattempted
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____