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| परिचय तथा भौतिक स्थलाकृति ।
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अपवाह तन्त्र, झीलें, बाँध व सिंचाई परियोजनाएँ ।
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जलवायु
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राजस्थान का एकीकरण
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राजस्थान में कृषक आन्दोलन और आदिवासी आन्दोलन
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राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन
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सिंधु घाटी सभ्यता
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Question 1 of 15
1. Question
1 points
निम्नांकित में से कौन-सा कथन सही है ?
Correct
व्याख्या : .**गणेश्वर (नीम का थाना, सीकर)- गणेश्वर एक उत्खनित स्थल है; जिसका उत्खनन प्रथम बार
1977 में रत्नचंद अग्रवाल ने किया एवं कालांतर में विस्तृत उत्खनन 1978-79 में विजय कुमार द्वारा किया गया।
**बैराठ-बैराठ ग्राम्य संस्कृति का केन्द्र नहीं था। महाजनपद काल में यह मत्स्य जनपद की राजधानी रहा, मौर्यकाल में भी यह एक प्रशासनिक केन्द्र था। यहाँ से अशोक के अभिलेख, बौद्ध स्तूप, मठों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
**कालीबंगा-हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख केन्द्र था, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता एक ताम्र-कांस्य सभ्यता थी, अतः कालीबंगा भी ताम्र-कांस्य सभ्यता के अंतर्गत मानी जाती है। कालीबंगा से लोहे की कोई वस्तु प्राप्त नहीं हुई है।
**आहड़ -आहड़ का दूसरा नाम ‘ताम्रवती’ नगरी भी है। आहड़ से प्राप्त अधिकांश उपकरणों में प्रयुक्त धातु ताँब थी। तांबे की खानों के निकट होने से यहाँ इस धातु के उपकरण लकड़ी काटने छीलने, शिकार आदि के लिए विशेष रूप से काम में लिए जाते थे।
Incorrect
व्याख्या : .**गणेश्वर (नीम का थाना, सीकर)- गणेश्वर एक उत्खनित स्थल है; जिसका उत्खनन प्रथम बार
1977 में रत्नचंद अग्रवाल ने किया एवं कालांतर में विस्तृत उत्खनन 1978-79 में विजय कुमार द्वारा किया गया।
**बैराठ-बैराठ ग्राम्य संस्कृति का केन्द्र नहीं था। महाजनपद काल में यह मत्स्य जनपद की राजधानी रहा, मौर्यकाल में भी यह एक प्रशासनिक केन्द्र था। यहाँ से अशोक के अभिलेख, बौद्ध स्तूप, मठों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
**कालीबंगा-हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख केन्द्र था, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता एक ताम्र-कांस्य सभ्यता थी, अतः कालीबंगा भी ताम्र-कांस्य सभ्यता के अंतर्गत मानी जाती है। कालीबंगा से लोहे की कोई वस्तु प्राप्त नहीं हुई है।
**आहड़ -आहड़ का दूसरा नाम ‘ताम्रवती’ नगरी भी है। आहड़ से प्राप्त अधिकांश उपकरणों में प्रयुक्त धातु ताँब थी। तांबे की खानों के निकट होने से यहाँ इस धातु के उपकरण लकड़ी काटने छीलने, शिकार आदि के लिए विशेष रूप से काम में लिए जाते थे।
Unattempted
व्याख्या : .**गणेश्वर (नीम का थाना, सीकर)- गणेश्वर एक उत्खनित स्थल है; जिसका उत्खनन प्रथम बार
1977 में रत्नचंद अग्रवाल ने किया एवं कालांतर में विस्तृत उत्खनन 1978-79 में विजय कुमार द्वारा किया गया।
**बैराठ-बैराठ ग्राम्य संस्कृति का केन्द्र नहीं था। महाजनपद काल में यह मत्स्य जनपद की राजधानी रहा, मौर्यकाल में भी यह एक प्रशासनिक केन्द्र था। यहाँ से अशोक के अभिलेख, बौद्ध स्तूप, मठों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
**कालीबंगा-हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख केन्द्र था, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता एक ताम्र-कांस्य सभ्यता थी, अतः कालीबंगा भी ताम्र-कांस्य सभ्यता के अंतर्गत मानी जाती है। कालीबंगा से लोहे की कोई वस्तु प्राप्त नहीं हुई है।
**आहड़ -आहड़ का दूसरा नाम ‘ताम्रवती’ नगरी भी है। आहड़ से प्राप्त अधिकांश उपकरणों में प्रयुक्त धातु ताँब थी। तांबे की खानों के निकट होने से यहाँ इस धातु के उपकरण लकड़ी काटने छीलने, शिकार आदि के लिए विशेष रूप से काम में लिए जाते थे।
Question 2 of 15
2. Question
1 points
निम्नलिखित में से राजपूताना के किस क्षेत्र पर वरीक वंश ने शासन किया था?
Correct
व्याख्या : गुप्तकाल में राजस्थान गुप्तों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं रहा, जिससे यहाँ स्थानीय जनजातीय राज्यों की
उपस्थिति दृष्टिगोचर होती है, इन राज्यों में वरीक राजवंश प्रमुख है। 371 ई. के विजयगढ़ (बयानो प्रस्तर शिलालेख से विष्णुवर्धन नामक वरीक वंशीय राजा का उल्लेख प्राप्त है, जो यशोवर्धन का पुत्र था, संभवतः वरीक वंशीय शासक समुद्रगुप्त के सामंत रहे थे।
Incorrect
व्याख्या : गुप्तकाल में राजस्थान गुप्तों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं रहा, जिससे यहाँ स्थानीय जनजातीय राज्यों की
उपस्थिति दृष्टिगोचर होती है, इन राज्यों में वरीक राजवंश प्रमुख है। 371 ई. के विजयगढ़ (बयानो प्रस्तर शिलालेख से विष्णुवर्धन नामक वरीक वंशीय राजा का उल्लेख प्राप्त है, जो यशोवर्धन का पुत्र था, संभवतः वरीक वंशीय शासक समुद्रगुप्त के सामंत रहे थे।
Unattempted
व्याख्या : गुप्तकाल में राजस्थान गुप्तों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं रहा, जिससे यहाँ स्थानीय जनजातीय राज्यों की
उपस्थिति दृष्टिगोचर होती है, इन राज्यों में वरीक राजवंश प्रमुख है। 371 ई. के विजयगढ़ (बयानो प्रस्तर शिलालेख से विष्णुवर्धन नामक वरीक वंशीय राजा का उल्लेख प्राप्त है, जो यशोवर्धन का पुत्र था, संभवतः वरीक वंशीय शासक समुद्रगुप्त के सामंत रहे थे।
Question 3 of 15
3. Question
1 points
सन् 1177 में सामन्त सिंह किस के हाथों पराजित होने के बाद डूंगरपुर राज्य की स्थापना की गई थी
Correct
चौहान वंश की नाडोल शाखा के शासक कीर्तिपाल (कीतू) ने मेवाड़ शासक सामंत सिंह को मेवाड से निकाल बाहर किया। तब सामंत सिंह ने 1178 ई. के लगभग वागड़ (वर्तमान डूंगरपुर, बांसवाड़ा) क्षेत्र में डूंगरपुर राज्य की स्थापना की। वटपद्रक (बड़ौदा) उसके राज्य की राजधानी थी।
Incorrect
चौहान वंश की नाडोल शाखा के शासक कीर्तिपाल (कीतू) ने मेवाड़ शासक सामंत सिंह को मेवाड से निकाल बाहर किया। तब सामंत सिंह ने 1178 ई. के लगभग वागड़ (वर्तमान डूंगरपुर, बांसवाड़ा) क्षेत्र में डूंगरपुर राज्य की स्थापना की। वटपद्रक (बड़ौदा) उसके राज्य की राजधानी थी।
Unattempted
चौहान वंश की नाडोल शाखा के शासक कीर्तिपाल (कीतू) ने मेवाड़ शासक सामंत सिंह को मेवाड से निकाल बाहर किया। तब सामंत सिंह ने 1178 ई. के लगभग वागड़ (वर्तमान डूंगरपुर, बांसवाड़ा) क्षेत्र में डूंगरपुर राज्य की स्थापना की। वटपद्रक (बड़ौदा) उसके राज्य की राजधानी थी।
Question 4 of 15
4. Question
1 points
निम्नलिखित में से वह कौन-सी नदी है जिसे लोथल का गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा हुआ है? .
Correct
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Incorrect
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Unattempted
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Question 5 of 15
5. Question
1 points
किस राजपूत राजा की मृत्यु बुरहानपुर में हुई?
Correct
व्याख्या : •बीकानेर नरेश रायसिंह (1574-1612 ई.) ने मुगल सिपहसालार के रूप में अकबर तथा जहाँगीर की
सेवा की। जहाँगीर ने 1610 में रायसिंह की नियुक्ति दक्षिण भारत में की थी। जहाँ बुरहानपुर में उसकी मृत्यु हुई।
रायसिंह ने बीकानेर में जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था।
Incorrect
व्याख्या : •बीकानेर नरेश रायसिंह (1574-1612 ई.) ने मुगल सिपहसालार के रूप में अकबर तथा जहाँगीर की
सेवा की। जहाँगीर ने 1610 में रायसिंह की नियुक्ति दक्षिण भारत में की थी। जहाँ बुरहानपुर में उसकी मृत्यु हुई।
रायसिंह ने बीकानेर में जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था।
Unattempted
व्याख्या : •बीकानेर नरेश रायसिंह (1574-1612 ई.) ने मुगल सिपहसालार के रूप में अकबर तथा जहाँगीर की
सेवा की। जहाँगीर ने 1610 में रायसिंह की नियुक्ति दक्षिण भारत में की थी। जहाँ बुरहानपुर में उसकी मृत्यु हुई।
रायसिंह ने बीकानेर में जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था।
Question 6 of 15
6. Question
1 points
राजकुमार अजीतसिंह को जोधपुर का राज्य पुनः दिलाने में किसका योगदान सर्वाधिक रहा है?
Correct
व्याख्या : राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब की कैद से निकालना (1679) दुर्गादास की युक्ति थी। तदुपरान्त औरंगजेब के विरुद्ध मेवाड़-मारवाड़ गठजोड़ भी दुर्गादास के प्रयत्नों से हुआ। दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र अकबर-II को बादशाह के विरुद्ध करके कूटनीतिपूर्वक औरंगजेब का मारवाड़ से ध्यान हटाया। इस प्रकार वीर दुर्गादास राठौड़ के प्रयत्नों से महाराजा अजीतसिंह (महाराजा जसवंतसिंह के पुत्र) को मारवाड़ का राज पुनः प्राप्त हुआ किंतु कुछ समय बाद महाराजा अजीतसिंह दुर्गादास से मतभिन्नता के कारण रुष्ट हो गया, जिससे व्यथित दुर्गादास स्वयं ही जोधपुर छोड़कर उदयपुर चला गया। वीर दुर्गादास की स्वामीभक्ति के लिए मारवाड़ में कहावत प्रचलित है “मायड़ ऐसा पूत जण जैसा दुर्गादास।”
जेम्स टॉड ने दुर्गादास को “राठौड़ों का युलीसेस” कहा है।
Incorrect
व्याख्या : राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब की कैद से निकालना (1679) दुर्गादास की युक्ति थी। तदुपरान्त औरंगजेब के विरुद्ध मेवाड़-मारवाड़ गठजोड़ भी दुर्गादास के प्रयत्नों से हुआ। दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र अकबर-II को बादशाह के विरुद्ध करके कूटनीतिपूर्वक औरंगजेब का मारवाड़ से ध्यान हटाया। इस प्रकार वीर दुर्गादास राठौड़ के प्रयत्नों से महाराजा अजीतसिंह (महाराजा जसवंतसिंह के पुत्र) को मारवाड़ का राज पुनः प्राप्त हुआ किंतु कुछ समय बाद महाराजा अजीतसिंह दुर्गादास से मतभिन्नता के कारण रुष्ट हो गया, जिससे व्यथित दुर्गादास स्वयं ही जोधपुर छोड़कर उदयपुर चला गया। वीर दुर्गादास की स्वामीभक्ति के लिए मारवाड़ में कहावत प्रचलित है “मायड़ ऐसा पूत जण जैसा दुर्गादास।”
जेम्स टॉड ने दुर्गादास को “राठौड़ों का युलीसेस” कहा है।
Unattempted
व्याख्या : राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब की कैद से निकालना (1679) दुर्गादास की युक्ति थी। तदुपरान्त औरंगजेब के विरुद्ध मेवाड़-मारवाड़ गठजोड़ भी दुर्गादास के प्रयत्नों से हुआ। दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र अकबर-II को बादशाह के विरुद्ध करके कूटनीतिपूर्वक औरंगजेब का मारवाड़ से ध्यान हटाया। इस प्रकार वीर दुर्गादास राठौड़ के प्रयत्नों से महाराजा अजीतसिंह (महाराजा जसवंतसिंह के पुत्र) को मारवाड़ का राज पुनः प्राप्त हुआ किंतु कुछ समय बाद महाराजा अजीतसिंह दुर्गादास से मतभिन्नता के कारण रुष्ट हो गया, जिससे व्यथित दुर्गादास स्वयं ही जोधपुर छोड़कर उदयपुर चला गया। वीर दुर्गादास की स्वामीभक्ति के लिए मारवाड़ में कहावत प्रचलित है “मायड़ ऐसा पूत जण जैसा दुर्गादास।”
जेम्स टॉड ने दुर्गादास को “राठौड़ों का युलीसेस” कहा है।
Question 7 of 15
7. Question
1 points
अलखिया सम्प्रदाय की स्थापना किसने की?
Correct
व्याख्या : चुरू जिले के सुलाखियाँ गांव में जन्मे स्वामी लालगिरि ने निर्गुण अलखिया संप्रदाय की स्थापना 10वीं शताब्दी में की। इसकी प्रमुख पीठ बीकानेर में है। इस संप्राय का प्रमुख ग्रंथ अलख स्तुति प्रकाश’ है।
Incorrect
व्याख्या : चुरू जिले के सुलाखियाँ गांव में जन्मे स्वामी लालगिरि ने निर्गुण अलखिया संप्रदाय की स्थापना 10वीं शताब्दी में की। इसकी प्रमुख पीठ बीकानेर में है। इस संप्राय का प्रमुख ग्रंथ अलख स्तुति प्रकाश’ है।
Unattempted
व्याख्या : चुरू जिले के सुलाखियाँ गांव में जन्मे स्वामी लालगिरि ने निर्गुण अलखिया संप्रदाय की स्थापना 10वीं शताब्दी में की। इसकी प्रमुख पीठ बीकानेर में है। इस संप्राय का प्रमुख ग्रंथ अलख स्तुति प्रकाश’ है।
Question 8 of 15
8. Question
1 points
1857 के विप्लव के समय ‘राजपूताना रेजीडेन्सी’ में एजेन्ट टू दि गवर्नर जनरल'(ए.जी.जी.) कौन थे?
Correct
व्याख्या : ‘एजेन्ट टू गवर्नर जनरल’ या एजीजी, राजपूताने में कंपनी सरकार का मुख्य प्रतिनिधि होता था जो रियासतों में नियुक्त पॉलिटिकल एजेन्ट्स से रिपोर्ट लेता था तथा गवर्नर जनरल एवं रियासतों के बीच सेतु का काम करता था। 1857 में जॉर्ज पैट्रिक लॉरेन्स एजीजी था। इसका कार्यालय अजमेर में था।
Incorrect
व्याख्या : ‘एजेन्ट टू गवर्नर जनरल’ या एजीजी, राजपूताने में कंपनी सरकार का मुख्य प्रतिनिधि होता था जो रियासतों में नियुक्त पॉलिटिकल एजेन्ट्स से रिपोर्ट लेता था तथा गवर्नर जनरल एवं रियासतों के बीच सेतु का काम करता था। 1857 में जॉर्ज पैट्रिक लॉरेन्स एजीजी था। इसका कार्यालय अजमेर में था।
Unattempted
व्याख्या : ‘एजेन्ट टू गवर्नर जनरल’ या एजीजी, राजपूताने में कंपनी सरकार का मुख्य प्रतिनिधि होता था जो रियासतों में नियुक्त पॉलिटिकल एजेन्ट्स से रिपोर्ट लेता था तथा गवर्नर जनरल एवं रियासतों के बीच सेतु का काम करता था। 1857 में जॉर्ज पैट्रिक लॉरेन्स एजीजी था। इसका कार्यालय अजमेर में था।
Question 9 of 15
9. Question
1 points
प्रताप सिंह बारहठ को किस षड़यंत्र केस के तहत जेल भेजा गया?
Correct
व्याख्या : प्रतापसिंह बारहठ राजस्थान के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी केसरीसिंह बारहठ के पुत्र एवं जोरावरसिंह बारहना के भतीजे थे। 01915 में प्रथम विश्व युद्ध की परिस्थितियों का लाभ उठाने हेतु क्रान्तिकारियों ने सशस्त्र क्रान्ति की योजना बनाई। इसका नेतृत्व रासबिहारी बोस तथा शचीन्द्रनाथ सान्याल ने किया। प्रतापसिंह बारहठ भी इस योजना में शामिल थे। अंग्रेजों को सूचना मिल जाने के कारण यह योजना असफल हो गई। इसमें शामिल क्रान्तिकारियों पर बनारस षडयंत्र केस चलाया गया।
बनारस षड़यंत्र केस में प्रताप सिंह बारहठ को सजा देकर बरेली जेल भेजा गया।
Incorrect
व्याख्या : प्रतापसिंह बारहठ राजस्थान के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी केसरीसिंह बारहठ के पुत्र एवं जोरावरसिंह बारहना के भतीजे थे। 01915 में प्रथम विश्व युद्ध की परिस्थितियों का लाभ उठाने हेतु क्रान्तिकारियों ने सशस्त्र क्रान्ति की योजना बनाई। इसका नेतृत्व रासबिहारी बोस तथा शचीन्द्रनाथ सान्याल ने किया। प्रतापसिंह बारहठ भी इस योजना में शामिल थे। अंग्रेजों को सूचना मिल जाने के कारण यह योजना असफल हो गई। इसमें शामिल क्रान्तिकारियों पर बनारस षडयंत्र केस चलाया गया।
बनारस षड़यंत्र केस में प्रताप सिंह बारहठ को सजा देकर बरेली जेल भेजा गया।
Unattempted
व्याख्या : प्रतापसिंह बारहठ राजस्थान के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी केसरीसिंह बारहठ के पुत्र एवं जोरावरसिंह बारहना के भतीजे थे। 01915 में प्रथम विश्व युद्ध की परिस्थितियों का लाभ उठाने हेतु क्रान्तिकारियों ने सशस्त्र क्रान्ति की योजना बनाई। इसका नेतृत्व रासबिहारी बोस तथा शचीन्द्रनाथ सान्याल ने किया। प्रतापसिंह बारहठ भी इस योजना में शामिल थे। अंग्रेजों को सूचना मिल जाने के कारण यह योजना असफल हो गई। इसमें शामिल क्रान्तिकारियों पर बनारस षडयंत्र केस चलाया गया।
बनारस षड़यंत्र केस में प्रताप सिंह बारहठ को सजा देकर बरेली जेल भेजा गया।
Question 10 of 15
10. Question
1 points
1936 में मघाराम ने किस स्थान पर बीकानेर प्रजा मंडल की स्थापना की?
Correct
व्याख्या : 4 अक्टूबर, 1936 ई. को बीकानेर में सर्वप्रथम मघाराम वैद्य ने ‘बीकानेर प्रजामंडल’ की स्थापना का। इस पर बीकानेर महाराजा ने उन्हें 6 वर्ष के लिए बीकानेर से निर्वासित कर दिया, इसके पश्चात् 22 मार्च 1937 को कलकत्ता में मघाराम वैद्य, लक्ष्मीदेवी आचार्य व उनके पति श्रीराम आचार्य न कलकत्ता में ‘बीकानेर राज्य प्रजामण्डल’ की स्थापना की। इसका अध्यक्ष लक्ष्मीदेवी को बनाया गया। इस प्रजामंडल द्वारा एक पुस्तिका ‘बीकानेर की थोथी-पोथी’ प्रकाशित करवाई गई। जुलाई 1942 में बीकानेर के प्रसिद्ध वकील रघुवर दयाल गोयल ने बीकानेर राज्य परिषद्’ की स्थापना की।
Incorrect
व्याख्या : 4 अक्टूबर, 1936 ई. को बीकानेर में सर्वप्रथम मघाराम वैद्य ने ‘बीकानेर प्रजामंडल’ की स्थापना का। इस पर बीकानेर महाराजा ने उन्हें 6 वर्ष के लिए बीकानेर से निर्वासित कर दिया, इसके पश्चात् 22 मार्च 1937 को कलकत्ता में मघाराम वैद्य, लक्ष्मीदेवी आचार्य व उनके पति श्रीराम आचार्य न कलकत्ता में ‘बीकानेर राज्य प्रजामण्डल’ की स्थापना की। इसका अध्यक्ष लक्ष्मीदेवी को बनाया गया। इस प्रजामंडल द्वारा एक पुस्तिका ‘बीकानेर की थोथी-पोथी’ प्रकाशित करवाई गई। जुलाई 1942 में बीकानेर के प्रसिद्ध वकील रघुवर दयाल गोयल ने बीकानेर राज्य परिषद्’ की स्थापना की।
Unattempted
व्याख्या : 4 अक्टूबर, 1936 ई. को बीकानेर में सर्वप्रथम मघाराम वैद्य ने ‘बीकानेर प्रजामंडल’ की स्थापना का। इस पर बीकानेर महाराजा ने उन्हें 6 वर्ष के लिए बीकानेर से निर्वासित कर दिया, इसके पश्चात् 22 मार्च 1937 को कलकत्ता में मघाराम वैद्य, लक्ष्मीदेवी आचार्य व उनके पति श्रीराम आचार्य न कलकत्ता में ‘बीकानेर राज्य प्रजामण्डल’ की स्थापना की। इसका अध्यक्ष लक्ष्मीदेवी को बनाया गया। इस प्रजामंडल द्वारा एक पुस्तिका ‘बीकानेर की थोथी-पोथी’ प्रकाशित करवाई गई। जुलाई 1942 में बीकानेर के प्रसिद्ध वकील रघुवर दयाल गोयल ने बीकानेर राज्य परिषद्’ की स्थापना की।
Question 11 of 15
11. Question
1 points
. किस समाचार-पत्र के माध्यम से विजयसिंह पथिक ने बिजोलिया किसान आंदोलन को समूचे भारत में का विषय बनाया?
Correct
व्याख्या : पथिक ने बिजोलिया किसान आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लाने तथा सहयोग प्राप्ति हेत गोश विद्यार्थी को पत्र लिखा। इस पर विद्यार्थी जी द्वारा अपने समाचार-पत्र “प्रताप” में बिजोलिया आंदोलन संबंधी समाचार देने के लिए अपने पत्र में एक स्थायी स्तम्भ ही खोल दिया। इसके अतिरिक्त प्रयाग का ‘अभ्युदय’ कलकत्ता का “भारत मित्र” व पूना से लोकमान्य तिलक के ‘मराठा’ जैसे पत्रों ने भी बिजोलिया आंदोलन संबंधी लेख छापे।
Incorrect
व्याख्या : पथिक ने बिजोलिया किसान आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लाने तथा सहयोग प्राप्ति हेत गोश विद्यार्थी को पत्र लिखा। इस पर विद्यार्थी जी द्वारा अपने समाचार-पत्र “प्रताप” में बिजोलिया आंदोलन संबंधी समाचार देने के लिए अपने पत्र में एक स्थायी स्तम्भ ही खोल दिया। इसके अतिरिक्त प्रयाग का ‘अभ्युदय’ कलकत्ता का “भारत मित्र” व पूना से लोकमान्य तिलक के ‘मराठा’ जैसे पत्रों ने भी बिजोलिया आंदोलन संबंधी लेख छापे।
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व्याख्या : पथिक ने बिजोलिया किसान आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लाने तथा सहयोग प्राप्ति हेत गोश विद्यार्थी को पत्र लिखा। इस पर विद्यार्थी जी द्वारा अपने समाचार-पत्र “प्रताप” में बिजोलिया आंदोलन संबंधी समाचार देने के लिए अपने पत्र में एक स्थायी स्तम्भ ही खोल दिया। इसके अतिरिक्त प्रयाग का ‘अभ्युदय’ कलकत्ता का “भारत मित्र” व पूना से लोकमान्य तिलक के ‘मराठा’ जैसे पत्रों ने भी बिजोलिया आंदोलन संबंधी लेख छापे।
Question 12 of 15
12. Question
1 points
राजस्थान का क्षेत्रफल निम्नलिखित यूरोपीय देशों में से किनके क्षेत्रफल के लगभग बराबर है ?
(A) नार्वे
(B) बेल्जियम
(C) स्विट्जरलैण्ड
(D) पोलैण्ड
Correct
व्याख्या : • राजस्थान का क्षेत्रफल 3,42,239.74 वर्ग किमी. (132139.21 वर्ग मील) है। राजस्थान भारत के
कुल क्षेत्रफल का 10.41% तथा विश्व के कुल क्षेत्रफल का 0.25% रखता है।
राजस्थान, क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य है। (राजस्थान प्रथम स्थान पर 1 नवम्बर, 2000 को जब मध्यप्रदेश से पृथक् होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना) तथा गोवा (3702 वर्ग किमी.) सबसे छोटा राज्य।
क्षेत्रफल के अनुसार राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर (38401 वर्ग किमी.) तथा सबसे छोटा जिला धौलपुर (3034 वर्ग किमी.) है।
राजस्थान का क्षेत्रफल, जर्मनी, जापान, नार्वे, पौलेण्ड के लगभग बराबर है तथा ग्रेट ब्रिटेन से 2 गुना, चेकोस्लोवाकिया से 3 गुना, श्रीलंका से 5 गुना, बेल्जियम से 8 गुना, भूटान से 11 गुना तथा इजरायल से 17 गुना बड़ा है। (क्षेत्रफल के अनुसार 128 देश राजस्थान से छोटे है)
Incorrect
व्याख्या : • राजस्थान का क्षेत्रफल 3,42,239.74 वर्ग किमी. (132139.21 वर्ग मील) है। राजस्थान भारत के
कुल क्षेत्रफल का 10.41% तथा विश्व के कुल क्षेत्रफल का 0.25% रखता है।
राजस्थान, क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य है। (राजस्थान प्रथम स्थान पर 1 नवम्बर, 2000 को जब मध्यप्रदेश से पृथक् होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना) तथा गोवा (3702 वर्ग किमी.) सबसे छोटा राज्य।
क्षेत्रफल के अनुसार राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर (38401 वर्ग किमी.) तथा सबसे छोटा जिला धौलपुर (3034 वर्ग किमी.) है।
राजस्थान का क्षेत्रफल, जर्मनी, जापान, नार्वे, पौलेण्ड के लगभग बराबर है तथा ग्रेट ब्रिटेन से 2 गुना, चेकोस्लोवाकिया से 3 गुना, श्रीलंका से 5 गुना, बेल्जियम से 8 गुना, भूटान से 11 गुना तथा इजरायल से 17 गुना बड़ा है। (क्षेत्रफल के अनुसार 128 देश राजस्थान से छोटे है)
Unattempted
व्याख्या : • राजस्थान का क्षेत्रफल 3,42,239.74 वर्ग किमी. (132139.21 वर्ग मील) है। राजस्थान भारत के
कुल क्षेत्रफल का 10.41% तथा विश्व के कुल क्षेत्रफल का 0.25% रखता है।
राजस्थान, क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य है। (राजस्थान प्रथम स्थान पर 1 नवम्बर, 2000 को जब मध्यप्रदेश से पृथक् होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना) तथा गोवा (3702 वर्ग किमी.) सबसे छोटा राज्य।
क्षेत्रफल के अनुसार राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर (38401 वर्ग किमी.) तथा सबसे छोटा जिला धौलपुर (3034 वर्ग किमी.) है।
राजस्थान का क्षेत्रफल, जर्मनी, जापान, नार्वे, पौलेण्ड के लगभग बराबर है तथा ग्रेट ब्रिटेन से 2 गुना, चेकोस्लोवाकिया से 3 गुना, श्रीलंका से 5 गुना, बेल्जियम से 8 गुना, भूटान से 11 गुना तथा इजरायल से 17 गुना बड़ा है। (क्षेत्रफल के अनुसार 128 देश राजस्थान से छोटे है)
Question 13 of 15
13. Question
1 points
निम्न में से कौन सी नदी राजस्थान के आंतरिक अपवाह तंत्र से संबंद्ध नहीं है ?
Correct
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
A) आंतरिक अपवाह तंत्र (60%)
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
आंतरिक अपवाह तंत्र-ऐसी नदियाँ जो अपना जल सागर या महासागर तक न ले जाकर मरुस्थल या झील में विलुप्त हो जाती है उन्हें आंतरिक अपवाह की नदियाँ कहा जाता है। + राजस्थान की आंतरिक प्रवाह की नदियाँ मेथां नदी, घग्घर नदी, रूपारेल नदी, कांतली नदी, रूपनगढ़ नदी, काकनी/काकनैय/मसूरदी नदी, साबी नदी, बाणगंगा नदी, खारी नदी/खण्डेला नदी
मेढा (मेथां) रूपनगढ़, खारी व खण्डेला नदियाँ सांभर झील में गिरती है।
प्रश्नानुसार मित्री, लूनी की सहायक नदी है, जो कच्छ के रन (अरब सागर) में अपना जल प्रवाहित करती है लूनी के माध्यम से।।
Incorrect
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
A) आंतरिक अपवाह तंत्र (60%)
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
आंतरिक अपवाह तंत्र-ऐसी नदियाँ जो अपना जल सागर या महासागर तक न ले जाकर मरुस्थल या झील में विलुप्त हो जाती है उन्हें आंतरिक अपवाह की नदियाँ कहा जाता है। + राजस्थान की आंतरिक प्रवाह की नदियाँ मेथां नदी, घग्घर नदी, रूपारेल नदी, कांतली नदी, रूपनगढ़ नदी, काकनी/काकनैय/मसूरदी नदी, साबी नदी, बाणगंगा नदी, खारी नदी/खण्डेला नदी
मेढा (मेथां) रूपनगढ़, खारी व खण्डेला नदियाँ सांभर झील में गिरती है।
प्रश्नानुसार मित्री, लूनी की सहायक नदी है, जो कच्छ के रन (अरब सागर) में अपना जल प्रवाहित करती है लूनी के माध्यम से।।
Unattempted
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
A) आंतरिक अपवाह तंत्र (60%)
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
आंतरिक अपवाह तंत्र-ऐसी नदियाँ जो अपना जल सागर या महासागर तक न ले जाकर मरुस्थल या झील में विलुप्त हो जाती है उन्हें आंतरिक अपवाह की नदियाँ कहा जाता है। + राजस्थान की आंतरिक प्रवाह की नदियाँ मेथां नदी, घग्घर नदी, रूपारेल नदी, कांतली नदी, रूपनगढ़ नदी, काकनी/काकनैय/मसूरदी नदी, साबी नदी, बाणगंगा नदी, खारी नदी/खण्डेला नदी
मेढा (मेथां) रूपनगढ़, खारी व खण्डेला नदियाँ सांभर झील में गिरती है।
प्रश्नानुसार मित्री, लूनी की सहायक नदी है, जो कच्छ के रन (अरब सागर) में अपना जल प्रवाहित करती है लूनी के माध्यम से।।
Question 14 of 15
14. Question
1 points
निम्न में से राजस्थान के किस भाग में सर्वाधिक वर्षा की परिवर्तिता पाई जाती है?
Correct
व्याख्या : राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में कभी सूखा/अकाल तो कभी बाढ़ के (2006 में बाड़मेर में) हालात देखने को मिलते है। अतः यहाँ सर्वाधिक वर्षा की परिवर्तिता पाई जाती है। पिछले 15 वर्षों में वर्षा का औसत 15 फीसदी की दर से बढा है। (मरुस्थलीय क्षेत्र में) जबकि मेवाड क्षत्र म वषो के औसत दर में कमी आई है। इसका कारण जलवाय पैटर्न में तेजी से बदलाव।
Incorrect
व्याख्या : राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में कभी सूखा/अकाल तो कभी बाढ़ के (2006 में बाड़मेर में) हालात देखने को मिलते है। अतः यहाँ सर्वाधिक वर्षा की परिवर्तिता पाई जाती है। पिछले 15 वर्षों में वर्षा का औसत 15 फीसदी की दर से बढा है। (मरुस्थलीय क्षेत्र में) जबकि मेवाड क्षत्र म वषो के औसत दर में कमी आई है। इसका कारण जलवाय पैटर्न में तेजी से बदलाव।
Unattempted
व्याख्या : राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में कभी सूखा/अकाल तो कभी बाढ़ के (2006 में बाड़मेर में) हालात देखने को मिलते है। अतः यहाँ सर्वाधिक वर्षा की परिवर्तिता पाई जाती है। पिछले 15 वर्षों में वर्षा का औसत 15 फीसदी की दर से बढा है। (मरुस्थलीय क्षेत्र में) जबकि मेवाड क्षत्र म वषो के औसत दर में कमी आई है। इसका कारण जलवाय पैटर्न में तेजी से बदलाव।
Question 15 of 15
15. Question
1 points
मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय कब हुआ?
Correct
व्याख्या :
मत्स्य संघ- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों तथा नीमराणा चीफशिप को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण 17/18 मार्च 1948 को किया गया।
राजस्थान के एकीकरण के पंचम चरण में मत्स्य संघ के उत्तर प्रदेश या राजस्थान में विलय के प्रश्न पर उपजे विवाद को समाप्त करने हेतु तथा भरतपुर व धौलपुर की जनता की मत्स्य संघ के राजस्थान में विलय के प्रश्न पर राय जानने हेतु ‘शंकरराव देव समिति’ का गठन किया गया। (इस समिति में शंकरराव देव के अतिरिक्त आर. के. सिद्धावा व प्रभुदयाल सदस्य थे) इस समिति की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मत्स्य संघ का वृहत् राजस्थान में 15 मई 1949 को विलय कर दिया गया। इस संघ को ‘वृहद् राजस्थान’ का नाम दिया गया।
प्रथम चरण – मत्स्य संघ
तिथि – 18 मार्च 1948
सम्मिलित रियासतें एवं ठिकाने – अलवर भरतपुर धौलपुर करौली नीमराना ठिकाना।
राजधानी- अलवर
उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाडगिल
प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर से)
राजप्रमुख – उदयभान सिंह (धौलपुर शासक)
नामकरण – के. एम्. मुंशी
Incorrect
व्याख्या :
मत्स्य संघ- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों तथा नीमराणा चीफशिप को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण 17/18 मार्च 1948 को किया गया।
राजस्थान के एकीकरण के पंचम चरण में मत्स्य संघ के उत्तर प्रदेश या राजस्थान में विलय के प्रश्न पर उपजे विवाद को समाप्त करने हेतु तथा भरतपुर व धौलपुर की जनता की मत्स्य संघ के राजस्थान में विलय के प्रश्न पर राय जानने हेतु ‘शंकरराव देव समिति’ का गठन किया गया। (इस समिति में शंकरराव देव के अतिरिक्त आर. के. सिद्धावा व प्रभुदयाल सदस्य थे) इस समिति की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मत्स्य संघ का वृहत् राजस्थान में 15 मई 1949 को विलय कर दिया गया। इस संघ को ‘वृहद् राजस्थान’ का नाम दिया गया।
प्रथम चरण – मत्स्य संघ
तिथि – 18 मार्च 1948
सम्मिलित रियासतें एवं ठिकाने – अलवर भरतपुर धौलपुर करौली नीमराना ठिकाना।
राजधानी- अलवर
उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाडगिल
प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर से)
राजप्रमुख – उदयभान सिंह (धौलपुर शासक)
नामकरण – के. एम्. मुंशी
Unattempted
व्याख्या :
मत्स्य संघ- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों तथा नीमराणा चीफशिप को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण 17/18 मार्च 1948 को किया गया।
राजस्थान के एकीकरण के पंचम चरण में मत्स्य संघ के उत्तर प्रदेश या राजस्थान में विलय के प्रश्न पर उपजे विवाद को समाप्त करने हेतु तथा भरतपुर व धौलपुर की जनता की मत्स्य संघ के राजस्थान में विलय के प्रश्न पर राय जानने हेतु ‘शंकरराव देव समिति’ का गठन किया गया। (इस समिति में शंकरराव देव के अतिरिक्त आर. के. सिद्धावा व प्रभुदयाल सदस्य थे) इस समिति की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मत्स्य संघ का वृहत् राजस्थान में 15 मई 1949 को विलय कर दिया गया। इस संघ को ‘वृहद् राजस्थान’ का नाम दिया गया।
प्रथम चरण – मत्स्य संघ
तिथि – 18 मार्च 1948
सम्मिलित रियासतें एवं ठिकाने – अलवर भरतपुर धौलपुर करौली नीमराना ठिकाना।
राजधानी- अलवर
उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाडगिल
प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर से)
राजप्रमुख – उदयभान सिंह (धौलपुर शासक)
नामकरण – के. एम्. मुंशी