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Question 1 of 10
1. Question
2 points
दासमुक्ति के अनुष्ठान का विधान सर्वप्रथम किसने किया था ?
Correct
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Incorrect
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Unattempted
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Question 2 of 10
2. Question
2 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
हेनत्सांग का उल्लेख है कि गन्ना और गेहूँ उत्तर-पश्चिम भारत में उगाए जाते थे और धान मगध में।
हेनत्सांग का उल्लेख है कि हर्षवर्धन ने अपने राज्य की आय को चार हिस्सों में बांटा; एक चौथाई सरकारी खर्चे के लिए, दूसरी चौथाई राज्य कर्मचारियों के वेतन के लिए, तीसरी चौथाई बौद्धिक उपलब्धियों को पुरस्कृत करने के लिए और अंतिम चौथाई दान के लिए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Correct
व्याख्या-
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्ष वर्धन के शासनकाल (606-647 ई०) में भारत आया।
ह्वेनसांग की यात्रा का उद्देश्य बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों का दर्शन तथा पवित्र बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन करना था।
ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा के ऊपर एक ग्रन्थ लिखा जिसे सि-यू-की कहा जाता है
सि-यू-की में भारत के तत्कालीन समय की राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक व सामाजिक स्थितियों का वर्णन है।
ह्वेनसांग कृषि व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उसने लिखा है कि गन्ना और गेहूँ उत्तर-पश्चिम भारत में तथा धान मगध में उगाए जाते थे।
Incorrect
व्याख्या-
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्ष वर्धन के शासनकाल (606-647 ई०) में भारत आया।
ह्वेनसांग की यात्रा का उद्देश्य बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों का दर्शन तथा पवित्र बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन करना था।
ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा के ऊपर एक ग्रन्थ लिखा जिसे सि-यू-की कहा जाता है
सि-यू-की में भारत के तत्कालीन समय की राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक व सामाजिक स्थितियों का वर्णन है।
ह्वेनसांग कृषि व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उसने लिखा है कि गन्ना और गेहूँ उत्तर-पश्चिम भारत में तथा धान मगध में उगाए जाते थे।
Unattempted
व्याख्या-
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्ष वर्धन के शासनकाल (606-647 ई०) में भारत आया।
ह्वेनसांग की यात्रा का उद्देश्य बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों का दर्शन तथा पवित्र बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन करना था।
ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा के ऊपर एक ग्रन्थ लिखा जिसे सि-यू-की कहा जाता है
सि-यू-की में भारत के तत्कालीन समय की राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक व सामाजिक स्थितियों का वर्णन है।
ह्वेनसांग कृषि व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उसने लिखा है कि गन्ना और गेहूँ उत्तर-पश्चिम भारत में तथा धान मगध में उगाए जाते थे।
Question 3 of 10
3. Question
2 points
महायान बौद्ध मत की दो दार्शनिक शाखाएं थीं। निम्नलिखित में से किसका महायान बौद्धमत से संबंध है?
Correct
व्याख्या-
विज्ञानवाद या योगाचार मत के संस्थापक मैत्रेय या मैत्रेयनाथ थे।
महायान बौद्धमत की दो दार्शनिक शाखाएं माध्यमिक या शून्यवाद तथा विज्ञानवाद या योगाचार है।
शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन हैं।
नागार्जुन ने प्रकृति के समुत्पाद को ही शून्यता कहा है।
नागार्जुन की प्रमुख रचना-माध्यमिककारिका, शून्यतासप्तती, विग्रहययावर्तनी है।
शून्यवाद को सापेक्षवाद भी कहा जाता है।
शून्यवाद के अनुसार प्रत्येक वस्तु किसी न किसी कारण से उत्पन्न हुई है।
शून्यवाद के दूसरे प्रभावशाली प्रचारक नागार्जुन के शिष्य आर्यदेव थे।
आर्यदेव ने चतुःशतक नामक ग्रन्थ की रचना की।
माध्यमिक या शून्यवाद के अन्य व्यक्तियों में चन्द्रकृति, शान्तिदेव एवं शान्तिरक्षित थे।
Incorrect
व्याख्या-
विज्ञानवाद या योगाचार मत के संस्थापक मैत्रेय या मैत्रेयनाथ थे।
महायान बौद्धमत की दो दार्शनिक शाखाएं माध्यमिक या शून्यवाद तथा विज्ञानवाद या योगाचार है।
शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन हैं।
नागार्जुन ने प्रकृति के समुत्पाद को ही शून्यता कहा है।
नागार्जुन की प्रमुख रचना-माध्यमिककारिका, शून्यतासप्तती, विग्रहययावर्तनी है।
शून्यवाद को सापेक्षवाद भी कहा जाता है।
शून्यवाद के अनुसार प्रत्येक वस्तु किसी न किसी कारण से उत्पन्न हुई है।
शून्यवाद के दूसरे प्रभावशाली प्रचारक नागार्जुन के शिष्य आर्यदेव थे।
आर्यदेव ने चतुःशतक नामक ग्रन्थ की रचना की।
माध्यमिक या शून्यवाद के अन्य व्यक्तियों में चन्द्रकृति, शान्तिदेव एवं शान्तिरक्षित थे।
Unattempted
व्याख्या-
विज्ञानवाद या योगाचार मत के संस्थापक मैत्रेय या मैत्रेयनाथ थे।
महायान बौद्धमत की दो दार्शनिक शाखाएं माध्यमिक या शून्यवाद तथा विज्ञानवाद या योगाचार है।
शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन हैं।
नागार्जुन ने प्रकृति के समुत्पाद को ही शून्यता कहा है।
नागार्जुन की प्रमुख रचना-माध्यमिककारिका, शून्यतासप्तती, विग्रहययावर्तनी है।
शून्यवाद को सापेक्षवाद भी कहा जाता है।
शून्यवाद के अनुसार प्रत्येक वस्तु किसी न किसी कारण से उत्पन्न हुई है।
शून्यवाद के दूसरे प्रभावशाली प्रचारक नागार्जुन के शिष्य आर्यदेव थे।
आर्यदेव ने चतुःशतक नामक ग्रन्थ की रचना की।
माध्यमिक या शून्यवाद के अन्य व्यक्तियों में चन्द्रकृति, शान्तिदेव एवं शान्तिरक्षित थे।
Question 4 of 10
4. Question
2 points
चरक संहिता क्या है
Correct
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Question 5 of 10
5. Question
2 points
भारत अरब प्रज्ञात्मक सम्बन्धों का सबसे पहला प्रमाण ब्रह्म गुप्त द्वारा रचित ब्रह्म सिद्धान्त का अरबी भाषा में अनुवाद किस नाम से जाना जाता है?
Correct
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Incorrect
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Unattempted
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Question 6 of 10
6. Question
2 points
किस उद्देश्य से इल्तुतमिश ने खलीफा से अधिकार-पत्र प्राप्त किया-
Correct
इल्तुतमिश ने 1210 से 1236 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत की राजधानी लाहौर के स्थान पर दिल्ली को बनाया।
फरवरी, 1229 ई. को बगदाद के खलीफा के राजदूत दिल्ली आये
इल्तुतमिशको खलीफा ने दिल्ली सल्तनत की स्वतंत्र स्थिति को मान्यता प्रदान की।
खलीफा वैधानिक स्वीकृति से इल्तुतमिश की प्रतिष्ठा अधिक ऊँची हो गई।
Incorrect
इल्तुतमिश ने 1210 से 1236 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत की राजधानी लाहौर के स्थान पर दिल्ली को बनाया।
फरवरी, 1229 ई. को बगदाद के खलीफा के राजदूत दिल्ली आये
इल्तुतमिशको खलीफा ने दिल्ली सल्तनत की स्वतंत्र स्थिति को मान्यता प्रदान की।
खलीफा वैधानिक स्वीकृति से इल्तुतमिश की प्रतिष्ठा अधिक ऊँची हो गई।
Unattempted
इल्तुतमिश ने 1210 से 1236 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत की राजधानी लाहौर के स्थान पर दिल्ली को बनाया।
फरवरी, 1229 ई. को बगदाद के खलीफा के राजदूत दिल्ली आये
इल्तुतमिशको खलीफा ने दिल्ली सल्तनत की स्वतंत्र स्थिति को मान्यता प्रदान की।
खलीफा वैधानिक स्वीकृति से इल्तुतमिश की प्रतिष्ठा अधिक ऊँची हो गई।
Question 7 of 10
7. Question
2 points
निम्न सुल्तानों में कौन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
Correct
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Question 8 of 10
8. Question
2 points
गियासुद्दीन तुगलक द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा कृषि उपाय अपनाया नहीं गया था- . .
Correct
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Incorrect
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Unattempted
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Question 9 of 10
9. Question
2 points
कथन (A) : बहलोल का सिद्धान्त राजत्व ही बन्धुत्व था।
कारण (R) : बहलोल अफगान कबिलाई (जनजातीय) भावनाओं का आदर करता था।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
Correct
व्याख्या •
बहलोल का सिद्धान्त राजत्व ही बन्धुत्व था।
बहलोल लोदी सरदारों की समानता पर आधारित राजत्व सिद्धान्त में विश्वास करता था।
बहलोल अफगान कबीलाई भावनाओं के आदर को मानता था
कबीलाई भावनाओं के आदर के कारण उसके राजत्व सिद्धान्त में सरदारों की समानता को जगह मिली।
Incorrect
व्याख्या •
बहलोल का सिद्धान्त राजत्व ही बन्धुत्व था।
बहलोल लोदी सरदारों की समानता पर आधारित राजत्व सिद्धान्त में विश्वास करता था।
बहलोल अफगान कबीलाई भावनाओं के आदर को मानता था
कबीलाई भावनाओं के आदर के कारण उसके राजत्व सिद्धान्त में सरदारों की समानता को जगह मिली।
Unattempted
व्याख्या •
बहलोल का सिद्धान्त राजत्व ही बन्धुत्व था।
बहलोल लोदी सरदारों की समानता पर आधारित राजत्व सिद्धान्त में विश्वास करता था।
बहलोल अफगान कबीलाई भावनाओं के आदर को मानता था
कबीलाई भावनाओं के आदर के कारण उसके राजत्व सिद्धान्त में सरदारों की समानता को जगह मिली।
Question 10 of 10
10. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।
Incorrect
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।
Unattempted
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।