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Question 1 of 10
1. Question
2 points
ऐनी बेसेंटके सम्बन्ध में निम्न में से कौन सा वक्तव्य सही नहीं है?
Correct
व्याख्या-
एनी बेसेंट की उपलब्धियाँ,तथा उद्धरण-
एनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं।
थियोसोफिकल सोसायटी से सक्रिय रूप से जुड़ी थीं।
एनी बेसेंट 1889 में थियोसोफी के विचारों से प्रभावित हुई। वह 21 मई, 1889 को थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ गईं। शीघ्र ही उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी की वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
उनका 1893 में भारत आगमन हुआ। वर्ष 1907 में वह थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। उन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना करते हुए प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध किया। धर्म में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।
उस काल में बाल गंगाधर तिलक के अलावा उन्होंने भी गीता का अनुवाद किया। वह भूत-प्रेत जैसी रहस्यमयी चीजों में भी विश्वास करती थीं।
वह 1913 से लेकर 1919 तक भारत के राजनीतिक जीवन की अग्रणी विभूतियों में एक थीं।
कांग्रेस ने उन्हें काफी महत्व दिया और उन्हें अपने एक अधिवेशन की अध्यक्ष भी निर्वाचित किया। उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होमरूल लीग (स्वराज संघ) की स्थापना की और स्वराज के आदर्श को लोकप्रिय बनाने में जुट गई। हालांकि बाद में तिलक से उनका विवाद हो गया।
जब गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया तो वह भारतीय राजनीति की मुख्यधारा से अलग हो गईं।एनी बेसेंट ने निर्धनों की सेवा में आदर्श समाजवाद देखा। वह विधवा विवाह एवं अंतर-जातीय विवाह के पक्ष में थीं, लेकिन बहुविवाह को नारी गौरव का अपमान एवं समाज के लिए अभिशाप मानती थीं।
प्रख्यात समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट ने भारत को एक सभ्यता के रूप में स्वीकार किया था तथा भारतीय राष्ट्रवाद को अंगीकार किया था।
******महिला विश्वविद्यालय की स्थापना डी के कर्वे ने 1906 ई० में बम्बई में की।
Incorrect
व्याख्या-
एनी बेसेंट की उपलब्धियाँ,तथा उद्धरण-
एनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं।
थियोसोफिकल सोसायटी से सक्रिय रूप से जुड़ी थीं।
एनी बेसेंट 1889 में थियोसोफी के विचारों से प्रभावित हुई। वह 21 मई, 1889 को थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ गईं। शीघ्र ही उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी की वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
उनका 1893 में भारत आगमन हुआ। वर्ष 1907 में वह थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। उन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना करते हुए प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध किया। धर्म में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।
उस काल में बाल गंगाधर तिलक के अलावा उन्होंने भी गीता का अनुवाद किया। वह भूत-प्रेत जैसी रहस्यमयी चीजों में भी विश्वास करती थीं।
वह 1913 से लेकर 1919 तक भारत के राजनीतिक जीवन की अग्रणी विभूतियों में एक थीं।
कांग्रेस ने उन्हें काफी महत्व दिया और उन्हें अपने एक अधिवेशन की अध्यक्ष भी निर्वाचित किया। उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होमरूल लीग (स्वराज संघ) की स्थापना की और स्वराज के आदर्श को लोकप्रिय बनाने में जुट गई। हालांकि बाद में तिलक से उनका विवाद हो गया।
जब गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया तो वह भारतीय राजनीति की मुख्यधारा से अलग हो गईं।एनी बेसेंट ने निर्धनों की सेवा में आदर्श समाजवाद देखा। वह विधवा विवाह एवं अंतर-जातीय विवाह के पक्ष में थीं, लेकिन बहुविवाह को नारी गौरव का अपमान एवं समाज के लिए अभिशाप मानती थीं।
प्रख्यात समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट ने भारत को एक सभ्यता के रूप में स्वीकार किया था तथा भारतीय राष्ट्रवाद को अंगीकार किया था।
******महिला विश्वविद्यालय की स्थापना डी के कर्वे ने 1906 ई० में बम्बई में की।
Unattempted
व्याख्या-
एनी बेसेंट की उपलब्धियाँ,तथा उद्धरण-
एनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं।
थियोसोफिकल सोसायटी से सक्रिय रूप से जुड़ी थीं।
एनी बेसेंट 1889 में थियोसोफी के विचारों से प्रभावित हुई। वह 21 मई, 1889 को थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ गईं। शीघ्र ही उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी की वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
उनका 1893 में भारत आगमन हुआ। वर्ष 1907 में वह थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। उन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना करते हुए प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध किया। धर्म में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।
उस काल में बाल गंगाधर तिलक के अलावा उन्होंने भी गीता का अनुवाद किया। वह भूत-प्रेत जैसी रहस्यमयी चीजों में भी विश्वास करती थीं।
वह 1913 से लेकर 1919 तक भारत के राजनीतिक जीवन की अग्रणी विभूतियों में एक थीं।
कांग्रेस ने उन्हें काफी महत्व दिया और उन्हें अपने एक अधिवेशन की अध्यक्ष भी निर्वाचित किया। उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होमरूल लीग (स्वराज संघ) की स्थापना की और स्वराज के आदर्श को लोकप्रिय बनाने में जुट गई। हालांकि बाद में तिलक से उनका विवाद हो गया।
जब गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया तो वह भारतीय राजनीति की मुख्यधारा से अलग हो गईं।एनी बेसेंट ने निर्धनों की सेवा में आदर्श समाजवाद देखा। वह विधवा विवाह एवं अंतर-जातीय विवाह के पक्ष में थीं, लेकिन बहुविवाह को नारी गौरव का अपमान एवं समाज के लिए अभिशाप मानती थीं।
प्रख्यात समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट ने भारत को एक सभ्यता के रूप में स्वीकार किया था तथा भारतीय राष्ट्रवाद को अंगीकार किया था।
******महिला विश्वविद्यालय की स्थापना डी के कर्वे ने 1906 ई० में बम्बई में की।
Question 2 of 10
2. Question
2 points
किसके सुझाव पर भारतीयों को साइमन कमीन की सदस्यता से बाहर रखा गया था?
Correct
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Incorrect
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Unattempted
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Question 3 of 10
3. Question
2 points
किस अधिनियम के द्वारा बंगाल में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी?
Correct
व्याख्या –
1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट-
ब्रिटीश क्राउन का कम्पनी पर नियन्त्रण लाया गया।
केन्द्रीय शासन की नींव डाली गई।
बंगाल के गर्वनर वारेन-हेस्टिंग्स को गर्वनर जनरल बना दिया गया।
मद्रास व बम्बई के गर्वनर इसके अधीन रखे गए।
गर्वनर जनरल 4 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई। जिसके सारे निर्णय बहुमत से लिए जाते थे।
1773 के विनियमन अधिनियम ने फोर्ट विलियम, कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की।
इस सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य नियमित न्यायाधीश या अवर न्यायाधीश शामिल थे।
सर एलीजा इम्पे इस सुप्रीम कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश थे।
तीन अन्य न्यायधिशो में स्टीफनम, चैम्बर और जान हाइड थे
शासन चलाने हेतु बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बनाए गए।
व्यापार की सभी सूचनाएं क्राउन को देना सुनिश्चित किया।
Incorrect
व्याख्या –
1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट-
ब्रिटीश क्राउन का कम्पनी पर नियन्त्रण लाया गया।
केन्द्रीय शासन की नींव डाली गई।
बंगाल के गर्वनर वारेन-हेस्टिंग्स को गर्वनर जनरल बना दिया गया।
मद्रास व बम्बई के गर्वनर इसके अधीन रखे गए।
गर्वनर जनरल 4 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई। जिसके सारे निर्णय बहुमत से लिए जाते थे।
1773 के विनियमन अधिनियम ने फोर्ट विलियम, कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की।
इस सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य नियमित न्यायाधीश या अवर न्यायाधीश शामिल थे।
सर एलीजा इम्पे इस सुप्रीम कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश थे।
तीन अन्य न्यायधिशो में स्टीफनम, चैम्बर और जान हाइड थे
शासन चलाने हेतु बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बनाए गए।
व्यापार की सभी सूचनाएं क्राउन को देना सुनिश्चित किया।
Unattempted
व्याख्या –
1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट-
ब्रिटीश क्राउन का कम्पनी पर नियन्त्रण लाया गया।
केन्द्रीय शासन की नींव डाली गई।
बंगाल के गर्वनर वारेन-हेस्टिंग्स को गर्वनर जनरल बना दिया गया।
मद्रास व बम्बई के गर्वनर इसके अधीन रखे गए।
गर्वनर जनरल 4 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई। जिसके सारे निर्णय बहुमत से लिए जाते थे।
1773 के विनियमन अधिनियम ने फोर्ट विलियम, कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की।
इस सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य नियमित न्यायाधीश या अवर न्यायाधीश शामिल थे।
सर एलीजा इम्पे इस सुप्रीम कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश थे।
तीन अन्य न्यायधिशो में स्टीफनम, चैम्बर और जान हाइड थे
शासन चलाने हेतु बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बनाए गए।
व्यापार की सभी सूचनाएं क्राउन को देना सुनिश्चित किया।
Question 4 of 10
4. Question
2 points
स्थायी भू बन्दोवस्त में जमींदारों का हिस्सा होता था।
Correct
व्याख्या –
स्थायी बंदोबस्त (sthayi bandobast) उर्फ जमींदारी व्यवस्था
किसके द्वारा शुरू किया गया
लॉर्ड कार्नवालिस
****स्थायी बंदोबस्त के विचार की कल्पना सर जॉन शोर ने की थी
वर्ष
1793
शामिल क्षेत्र
बंगाल, बिहार, ओडिशा, बनारस के जिले, मद्रास के उत्तरी जिले
राजस्व राशि
1/11 वां हिस्सा जमींदारों द्वारा रखा जा सकता था, शेष राशि का भुगतान ब्रिटिश सरकार को किया जाना था।
भूमि का स्वामित्व
भूमि जमींदारों का स्वामित्व
निपटान की प्रकृति
जमींदारी व्यवस्था में जमींदारों को राजस्व एकत्र करने के लिए स्वतंत्र होना था
जमींदारी वंशानुगत हो गई
शोषण चरम पर था क्योंकि जमींदार वसूले जाने वाले राजस्व की राशि तय करने के लिए स्वतंत्र थे, सरकारी तंत्र का कोई हस्तक्षेप नहीं था।
जमींदार किसानों को पट्टा देते थे
गुण
जमींदार मिट्टी के पुत्र होने के कारण मिट्टी की प्रकृति, जलवायु को समझ सकते थे, अंग्रेजों से बेहतर उत्पादन कर सकते थे
अंग्रेजों के लिए राजस्व संग्रह आसान था
चूंकि बंदोबस्त स्थायी प्रकृति का था, जमींदार और किसान दोनों जानते थे कि राजस्व के रूप में कितना लेवी देना है
दोष
राजस्व निश्चित था, उपज की परवाह किए बिना,
भू-सर्वेक्षण की व्यवस्था नहीं, जमींदारों की मर्जी से लगा राजस्व
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि के कारण उत्पादन करने में विफल रहने पर भी किसानों के लिए कोई बचने का रास्ता नहीं है
जमींदारी वंशानुगत हो गए, वे हमेशा अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे
Incorrect
व्याख्या –
स्थायी बंदोबस्त (sthayi bandobast) उर्फ जमींदारी व्यवस्था
किसके द्वारा शुरू किया गया
लॉर्ड कार्नवालिस
****स्थायी बंदोबस्त के विचार की कल्पना सर जॉन शोर ने की थी
वर्ष
1793
शामिल क्षेत्र
बंगाल, बिहार, ओडिशा, बनारस के जिले, मद्रास के उत्तरी जिले
राजस्व राशि
1/11 वां हिस्सा जमींदारों द्वारा रखा जा सकता था, शेष राशि का भुगतान ब्रिटिश सरकार को किया जाना था।
भूमि का स्वामित्व
भूमि जमींदारों का स्वामित्व
निपटान की प्रकृति
जमींदारी व्यवस्था में जमींदारों को राजस्व एकत्र करने के लिए स्वतंत्र होना था
जमींदारी वंशानुगत हो गई
शोषण चरम पर था क्योंकि जमींदार वसूले जाने वाले राजस्व की राशि तय करने के लिए स्वतंत्र थे, सरकारी तंत्र का कोई हस्तक्षेप नहीं था।
जमींदार किसानों को पट्टा देते थे
गुण
जमींदार मिट्टी के पुत्र होने के कारण मिट्टी की प्रकृति, जलवायु को समझ सकते थे, अंग्रेजों से बेहतर उत्पादन कर सकते थे
अंग्रेजों के लिए राजस्व संग्रह आसान था
चूंकि बंदोबस्त स्थायी प्रकृति का था, जमींदार और किसान दोनों जानते थे कि राजस्व के रूप में कितना लेवी देना है
दोष
राजस्व निश्चित था, उपज की परवाह किए बिना,
भू-सर्वेक्षण की व्यवस्था नहीं, जमींदारों की मर्जी से लगा राजस्व
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि के कारण उत्पादन करने में विफल रहने पर भी किसानों के लिए कोई बचने का रास्ता नहीं है
जमींदारी वंशानुगत हो गए, वे हमेशा अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे
Unattempted
व्याख्या –
स्थायी बंदोबस्त (sthayi bandobast) उर्फ जमींदारी व्यवस्था
किसके द्वारा शुरू किया गया
लॉर्ड कार्नवालिस
****स्थायी बंदोबस्त के विचार की कल्पना सर जॉन शोर ने की थी
वर्ष
1793
शामिल क्षेत्र
बंगाल, बिहार, ओडिशा, बनारस के जिले, मद्रास के उत्तरी जिले
राजस्व राशि
1/11 वां हिस्सा जमींदारों द्वारा रखा जा सकता था, शेष राशि का भुगतान ब्रिटिश सरकार को किया जाना था।
भूमि का स्वामित्व
भूमि जमींदारों का स्वामित्व
निपटान की प्रकृति
जमींदारी व्यवस्था में जमींदारों को राजस्व एकत्र करने के लिए स्वतंत्र होना था
जमींदारी वंशानुगत हो गई
शोषण चरम पर था क्योंकि जमींदार वसूले जाने वाले राजस्व की राशि तय करने के लिए स्वतंत्र थे, सरकारी तंत्र का कोई हस्तक्षेप नहीं था।
जमींदार किसानों को पट्टा देते थे
गुण
जमींदार मिट्टी के पुत्र होने के कारण मिट्टी की प्रकृति, जलवायु को समझ सकते थे, अंग्रेजों से बेहतर उत्पादन कर सकते थे
अंग्रेजों के लिए राजस्व संग्रह आसान था
चूंकि बंदोबस्त स्थायी प्रकृति का था, जमींदार और किसान दोनों जानते थे कि राजस्व के रूप में कितना लेवी देना है
दोष
राजस्व निश्चित था, उपज की परवाह किए बिना,
भू-सर्वेक्षण की व्यवस्था नहीं, जमींदारों की मर्जी से लगा राजस्व
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि के कारण उत्पादन करने में विफल रहने पर भी किसानों के लिए कोई बचने का रास्ता नहीं है
जमींदारी वंशानुगत हो गए, वे हमेशा अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे
Question 5 of 10
5. Question
2 points
1865 में बंगाल में घटित नील विद्रोह के नेता का नाम इंगित कीजिए।
Correct
व्याख्या-
नील आंदोलन-
कारण: बंगाल के वे काश्तकार जो अपने खेतों में चावल या अन्य खाद्यान्न फसलें उगाना चाहते थे, ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा उन्हें नील की खेती करने के लिए बाधित किया जाता था।
नील की खेती करने से मना करने वाले किसानों को नील बागान मालिकों के दमन चक्र का सामना करना पड़ता था।
ददनी प्रथा: नील उत्पादक (बागान मालिक) किसानों को एक मामूली रकम अग्रिम देकर उनसे एक अनुबंध/करारनामा लिखवा लेते थे। यही ददनी प्रथा थी। इससे किसान नील की खेती करने के लिए बाध्य हो जाता था।
नेतृत्व कर्ता: दिगम्बर विश्वास एवं विष्णु विश्वास के नेतृत्व में इस आन्दोलन की शुरूआत बंगाल के नदिया जिले के गोविन्दपुर गांव में हुई।
1865 ई में बंगाल में होने वाले नील विद्रोह के नेता शिशिर कुमार घोष थे।
यह आधुनिक भारत का पहला कृषक आंदोलन माना जाना जाता है।
इस आंदोलन को ईसाई मिशनरियों ने भी अपना समर्थन दिया।
हरिशचन्द्र मुखर्जी ने भी अपने पत्र ‘हिन्दू पैट्रियाट’ के माध्यम से इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
दीनबन्धु मित्र के नाटक नील दर्पण में किसानों पर किये जा रहे अत्याचारों को दिखाया गया।
नील आयोग (1860 ई.)
ब्रिटिश सरकार द्वारा नील आन्दोलन समस्या की जांच के लिए सीटोन कार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग का गठन किया गया। आयोग ने रिपोर्ट में किसानों के शोषण की बात को स्वीकार किया।
1860 ई. में अधिसूचना जारी कर नील की जबरन खेती पर रोक लगा दी गयी।
Incorrect
व्याख्या-
नील आंदोलन-
कारण: बंगाल के वे काश्तकार जो अपने खेतों में चावल या अन्य खाद्यान्न फसलें उगाना चाहते थे, ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा उन्हें नील की खेती करने के लिए बाधित किया जाता था।
नील की खेती करने से मना करने वाले किसानों को नील बागान मालिकों के दमन चक्र का सामना करना पड़ता था।
ददनी प्रथा: नील उत्पादक (बागान मालिक) किसानों को एक मामूली रकम अग्रिम देकर उनसे एक अनुबंध/करारनामा लिखवा लेते थे। यही ददनी प्रथा थी। इससे किसान नील की खेती करने के लिए बाध्य हो जाता था।
नेतृत्व कर्ता: दिगम्बर विश्वास एवं विष्णु विश्वास के नेतृत्व में इस आन्दोलन की शुरूआत बंगाल के नदिया जिले के गोविन्दपुर गांव में हुई।
1865 ई में बंगाल में होने वाले नील विद्रोह के नेता शिशिर कुमार घोष थे।
यह आधुनिक भारत का पहला कृषक आंदोलन माना जाना जाता है।
इस आंदोलन को ईसाई मिशनरियों ने भी अपना समर्थन दिया।
हरिशचन्द्र मुखर्जी ने भी अपने पत्र ‘हिन्दू पैट्रियाट’ के माध्यम से इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
दीनबन्धु मित्र के नाटक नील दर्पण में किसानों पर किये जा रहे अत्याचारों को दिखाया गया।
नील आयोग (1860 ई.)
ब्रिटिश सरकार द्वारा नील आन्दोलन समस्या की जांच के लिए सीटोन कार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग का गठन किया गया। आयोग ने रिपोर्ट में किसानों के शोषण की बात को स्वीकार किया।
1860 ई. में अधिसूचना जारी कर नील की जबरन खेती पर रोक लगा दी गयी।
Unattempted
व्याख्या-
नील आंदोलन-
कारण: बंगाल के वे काश्तकार जो अपने खेतों में चावल या अन्य खाद्यान्न फसलें उगाना चाहते थे, ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा उन्हें नील की खेती करने के लिए बाधित किया जाता था।
नील की खेती करने से मना करने वाले किसानों को नील बागान मालिकों के दमन चक्र का सामना करना पड़ता था।
ददनी प्रथा: नील उत्पादक (बागान मालिक) किसानों को एक मामूली रकम अग्रिम देकर उनसे एक अनुबंध/करारनामा लिखवा लेते थे। यही ददनी प्रथा थी। इससे किसान नील की खेती करने के लिए बाध्य हो जाता था।
नेतृत्व कर्ता: दिगम्बर विश्वास एवं विष्णु विश्वास के नेतृत्व में इस आन्दोलन की शुरूआत बंगाल के नदिया जिले के गोविन्दपुर गांव में हुई।
1865 ई में बंगाल में होने वाले नील विद्रोह के नेता शिशिर कुमार घोष थे।
यह आधुनिक भारत का पहला कृषक आंदोलन माना जाना जाता है।
इस आंदोलन को ईसाई मिशनरियों ने भी अपना समर्थन दिया।
हरिशचन्द्र मुखर्जी ने भी अपने पत्र ‘हिन्दू पैट्रियाट’ के माध्यम से इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
दीनबन्धु मित्र के नाटक नील दर्पण में किसानों पर किये जा रहे अत्याचारों को दिखाया गया।
नील आयोग (1860 ई.)
ब्रिटिश सरकार द्वारा नील आन्दोलन समस्या की जांच के लिए सीटोन कार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग का गठन किया गया। आयोग ने रिपोर्ट में किसानों के शोषण की बात को स्वीकार किया।
1860 ई. में अधिसूचना जारी कर नील की जबरन खेती पर रोक लगा दी गयी।
Question 6 of 10
6. Question
2 points
निम्नलिखित अधिनियमों का सही कालानुक्रम क्या है?
इंडियन ट्रेड यूनियन्स एक्ट
इंडियन फैक्टरीज एक्ट
द ट्रेड डिस्प्यूट्स एक्ट
इंडियन माइन्स एक्ट
Correct
. व्याख्या-
ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1929 में पारित हुआ
इसका उद्देश्य -हड़तालों की बाढ़ को रोकना तथा मजदूरों के राजनैतिक क्रिया कलापों पर नियंत्रण रखना।
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1938 में पारित हुआ
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के द्वारा सरकार को यह अधिकार मिला गया कि किसी भी औद्योगिक विवाद को वह औद्योगिक विवाचन न्यायालय को भेज सकती है।
चार महीने के अन्तरिम अवधि में न हड़ताल हो सकती थी न ताला बन्दी।
प्रथम फैक्ट्री अधिनियम
लार्ड रिपन के समय 1881 ई0 में प्रथम फैक्ट्री अधिनियम पारित हुआ।
यह केवल उन कारखानों पर लागू होता था जहाँ 100 से अधिक श्रमिक कार्यरत थे।
इसके अनुसार किसी फैक्ट्री में 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे कार्य नहीं कर सकते थे
7- 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये काम का समय सिमित किया गया और संकटपूर्ण मशीनों पर बाड़ा लगाना आवश्यक हो गया।
Incorrect
. व्याख्या-
ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1929 में पारित हुआ
इसका उद्देश्य -हड़तालों की बाढ़ को रोकना तथा मजदूरों के राजनैतिक क्रिया कलापों पर नियंत्रण रखना।
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1938 में पारित हुआ
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के द्वारा सरकार को यह अधिकार मिला गया कि किसी भी औद्योगिक विवाद को वह औद्योगिक विवाचन न्यायालय को भेज सकती है।
चार महीने के अन्तरिम अवधि में न हड़ताल हो सकती थी न ताला बन्दी।
प्रथम फैक्ट्री अधिनियम
लार्ड रिपन के समय 1881 ई0 में प्रथम फैक्ट्री अधिनियम पारित हुआ।
यह केवल उन कारखानों पर लागू होता था जहाँ 100 से अधिक श्रमिक कार्यरत थे।
इसके अनुसार किसी फैक्ट्री में 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे कार्य नहीं कर सकते थे
7- 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये काम का समय सिमित किया गया और संकटपूर्ण मशीनों पर बाड़ा लगाना आवश्यक हो गया।
Unattempted
. व्याख्या-
ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1929 में पारित हुआ
इसका उद्देश्य -हड़तालों की बाढ़ को रोकना तथा मजदूरों के राजनैतिक क्रिया कलापों पर नियंत्रण रखना।
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट-
यह 1938 में पारित हुआ
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के द्वारा सरकार को यह अधिकार मिला गया कि किसी भी औद्योगिक विवाद को वह औद्योगिक विवाचन न्यायालय को भेज सकती है।
चार महीने के अन्तरिम अवधि में न हड़ताल हो सकती थी न ताला बन्दी।
प्रथम फैक्ट्री अधिनियम
लार्ड रिपन के समय 1881 ई0 में प्रथम फैक्ट्री अधिनियम पारित हुआ।
यह केवल उन कारखानों पर लागू होता था जहाँ 100 से अधिक श्रमिक कार्यरत थे।
इसके अनुसार किसी फैक्ट्री में 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे कार्य नहीं कर सकते थे
7- 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये काम का समय सिमित किया गया और संकटपूर्ण मशीनों पर बाड़ा लगाना आवश्यक हो गया।
Question 7 of 10
7. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
लेखक नाटक
Correct
व्याख्या-
गिरीशचन्द्र घोष – मीर कासिम
क्षिरोदप्रसाद विद्या विनोद – नंद कुमार
निखिलनाथ रॉय – प्रतापादित्य
डी.एल. रॉय के नाटक –एकघरे, कल्कि-अबतार, बिरह, सीता, ताराबाई, दुर्गादास, राणा प्रतापसिंह, मेबार-पतन, नूरजाहान, साजाहान, चन्द्रगुप्त, सिंहल-बिजय़
द्विजेन्द्रलाल राय ((19 जुलाई 1863–17 मई 1913) बांग्ला के विशिष्ट नाटककार, कवि तथा संगीतकार थे।
Incorrect
व्याख्या-
गिरीशचन्द्र घोष – मीर कासिम
क्षिरोदप्रसाद विद्या विनोद – नंद कुमार
निखिलनाथ रॉय – प्रतापादित्य
डी.एल. रॉय के नाटक –एकघरे, कल्कि-अबतार, बिरह, सीता, ताराबाई, दुर्गादास, राणा प्रतापसिंह, मेबार-पतन, नूरजाहान, साजाहान, चन्द्रगुप्त, सिंहल-बिजय़
द्विजेन्द्रलाल राय ((19 जुलाई 1863–17 मई 1913) बांग्ला के विशिष्ट नाटककार, कवि तथा संगीतकार थे।
Unattempted
व्याख्या-
गिरीशचन्द्र घोष – मीर कासिम
क्षिरोदप्रसाद विद्या विनोद – नंद कुमार
निखिलनाथ रॉय – प्रतापादित्य
डी.एल. रॉय के नाटक –एकघरे, कल्कि-अबतार, बिरह, सीता, ताराबाई, दुर्गादास, राणा प्रतापसिंह, मेबार-पतन, नूरजाहान, साजाहान, चन्द्रगुप्त, सिंहल-बिजय़
द्विजेन्द्रलाल राय ((19 जुलाई 1863–17 मई 1913) बांग्ला के विशिष्ट नाटककार, कवि तथा संगीतकार थे।
Question 8 of 10
8. Question
2 points
भारत को मुसलमानों के लिये सर्वप्रथम एक अलग राज्य की मांग करने वाला व्यक्ति कौन था?
Correct
व्याख्या-
मोहमद इकबाल को मुसलमानों के लिए पृथक राज्य’ पाकिस्तान के विचार का जनक’ कहा जाता है।
मोहम्मद इकबाल ने मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन (1930) में अध्यक्षीय भाषण देते हुए पहली बार उत्तर-पश्चिमी भारत में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग की।
मोहम्मद इकबाल का कथन – ‘उत्तर पश्चिम भारत का संगठित मुस्लिम राज्य के रूप में निर्माण ही मुझे मुसलमानों की अन्तिम नियति प्रतीत होती है।
Incorrect
व्याख्या-
मोहमद इकबाल को मुसलमानों के लिए पृथक राज्य’ पाकिस्तान के विचार का जनक’ कहा जाता है।
मोहम्मद इकबाल ने मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन (1930) में अध्यक्षीय भाषण देते हुए पहली बार उत्तर-पश्चिमी भारत में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग की।
मोहम्मद इकबाल का कथन – ‘उत्तर पश्चिम भारत का संगठित मुस्लिम राज्य के रूप में निर्माण ही मुझे मुसलमानों की अन्तिम नियति प्रतीत होती है।
Unattempted
व्याख्या-
मोहमद इकबाल को मुसलमानों के लिए पृथक राज्य’ पाकिस्तान के विचार का जनक’ कहा जाता है।
मोहम्मद इकबाल ने मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन (1930) में अध्यक्षीय भाषण देते हुए पहली बार उत्तर-पश्चिमी भारत में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग की।
मोहम्मद इकबाल का कथन – ‘उत्तर पश्चिम भारत का संगठित मुस्लिम राज्य के रूप में निर्माण ही मुझे मुसलमानों की अन्तिम नियति प्रतीत होती है।
Question 9 of 10
9. Question
2 points
किसने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
Correct
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Incorrect
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Unattempted
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Question 10 of 10
10. Question
2 points
1939 के त्रिपुरी के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में निम्नलिखित में से किसने अध्यक्षीय उद्बोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था?
Correct
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।
Incorrect
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।
Unattempted
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।