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Question 1 of 10
1. Question
1 points
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव से कौन सी घटना घटित नहीं हुई थी?
Correct
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Incorrect
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Unattempted
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Question 2 of 10
2. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसके द्वारा स्वराज दल का गठन किया गया?
Correct
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Incorrect
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Unattempted
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Question 3 of 10
3. Question
1 points
किसके सुझाव पर भारतीयों को साइमन कमीन की सदस्यता से बाहर रखा गया था?
Correct
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Incorrect
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Unattempted
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Question 4 of 10
4. Question
1 points
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लेने वाले नेता कौन थे।
Correct
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Question 5 of 10
5. Question
1 points
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है।’ किस प्रस्ताव के विषय में यह कथन किसका था?
Correct
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Incorrect
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Unattempted
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Question 6 of 10
6. Question
1 points
1937 के प्रान्तीय विधान सभा चुनावों के उपरान्त मुस्लिम लीग की राजनीति के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन साथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Incorrect
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Unattempted
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Question 7 of 10
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन भारत छोड़ो आन्दोलन से सम्बन्धित नहीं था?
Correct
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Incorrect
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Unattempted
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Question 8 of 10
8. Question
1 points
आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना कहाँ की गयी थी?
Correct
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Incorrect
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Unattempted
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Question 9 of 10
9. Question
1 points
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन का प्रधान मन्त्री कौन था?
Correct
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Incorrect
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Unattempted
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Question 10 of 10
10. Question
1 points
जलियाँवाला बाग किस नगर में स्थित है।
Correct
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।
Incorrect
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।
Unattempted
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।