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Questions:
राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल
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पर्यटन स्थल हल्दीघाटी राजस्थान के किस जिले में स्थित है ?
ऐतिहासिक स्थल भानगढ़ स्थित है ?
राजस्थान में ‘दानचन्द चौपड़ा की हवेली’ कहाँ स्थित है ?
Key Points
Key Points
Key Points
ओसियां के जैन मन्दिर किस जिले में स्थित हैं?
राजस्थान में 12वाँ ज्योतिर्लिंग कहाँ पर स्थित है?
****विद्वाना क मतानुसार घुश्मेश्वर (सवाई माधोपुर) में भगवान शिव का 12वाँ ज्योतिर्लिंग अवस्थित है।
****विद्वाना क मतानुसार घुश्मेश्वर (सवाई माधोपुर) में भगवान शिव का 12वाँ ज्योतिर्लिंग अवस्थित है।
****विद्वाना क मतानुसार घुश्मेश्वर (सवाई माधोपुर) में भगवान शिव का 12वाँ ज्योतिर्लिंग अवस्थित है।
सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिये और सही उत्तर का चयन नीचे दिए कूट से कीजिए
पर्यटन केन्द्र जिला
A. पाण्डुपोल i. झालावाड़
B. जसवन्त थड़ा ii. बीकानेर
C. लालगढ़ iii. अलवर
D. गागरोन किला iv. जोधपुर
सूची-I (पर्यटन केन्द्र)को सूची-II (जिला) से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए कूट से सही उत्तर चनिए
सूची-I सूची-II
(पर्यटन केन्द्र) (जिला)
(A) फूल सागर i. बाड़मेर
(B) गागरोण किला ii. उदयपुर
(C) जगदीश मंदिर iii. बूंदी
(D) किराडू मंदिर iv. झालावाड़
कौनसा सुमेलित नहीं है?
किला पर्यटक स्थल
रणथंभौर दुर्ग – सवाई माधोपुर
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
रणथंभौर दुर्ग – सवाई माधोपुर
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
रणथंभौर दुर्ग – सवाई माधोपुर
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
चोखोलाव महल राजस्थान के किस किले में स्थित है
सुमेलित कीजिए
जिला पर्यटन स्थल
I. अलवर a. डीग
II. अजमेर b. कोलायत
II. बीकानेर c. सोनी जी की नसियाँ
IV. भरतपुर d. पाण्डूपोल
चारचौमा मन्दिर राजस्थान के किस जिले में हैं
निम्न को सुमेलित कीजिए एवं नीचे दिए गए कूटों में से उत्तर चुनिए
पर्यटन केन्द्र स्थान
(A) सोनी जी की नसिया i. भरतपुर
(B) लोहागढ़ किला ii. बीकानेर
(C) चन्द्र-महल iii. अजमेर
(D) जूनागढ़ किला iv. जयपुर
यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।
यह लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg) – भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरीखाई से घिरा हुआ है। यह Lohagarh Fort भारत(India) का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो अजेय हैं। इस कारन से इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके अलावा इस दुर्ग के चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर(दिवार) बनी हैं। मिट्टी की दिवार के कारण से इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं।
हाल ही में यूनेस्को ने राजस्थान के 6 पहाड़ी किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। ये है
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
भटनेर किला स्थित है
गलत युग्म को चुनिए
जल राशि स्थान (जिला)
चाँदबावड़ी -दौसा
घड़सीसर झील (जैसलमेर) का निर्माण 1156 ई. में जैसलमेर के शासक रावल जैसल ने करवाया।
जिले | झीलें |
चित्तौड़गढ़ | भूपालसागर, राणा प्रताप सागर। |
बूंदी | नवलक्ख झील। |
राजसमंद | राजसमंद झील। |
अजमेर | आना सागर , फॉयसागर , पुष्कर। |
अलवर | सिलीसेढ़ , जयसागर , विजयसागर। |
बीकानेर | लूणकरणसर , अनूपसागर ,कोलायत। |
बाड़मेर | पचपदरा झील। |
डूंगरपुर | गैब सागर , सोमकमला। |
सिरोही | नक्की झील। |
जोधपुर | बालसमंद , उम्मेदसागर ,कायलाना । |
जैसलमेर | अमरसागर, बुझ की झील, गड़ीसर। |
चूरू | तालछापर झील। |
भरतपुर | मोती झील। |
जयपुर | सांभर, छापरवाडा। |
उदयपुर | उदयसागर ,फतेहसागर ,पिछोला ,जयसमंद। |
कोटा | जवाहर सागर झील। |
पाली | वाकली , सरदार समंद। |
हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील। |
धौलपुर | तालाबशाही झील। |
नागौर | डीडवाना झील। |
चाँदबावड़ी -दौसा
घड़सीसर झील (जैसलमेर) का निर्माण 1156 ई. में जैसलमेर के शासक रावल जैसल ने करवाया।
जिले | झीलें |
चित्तौड़गढ़ | भूपालसागर, राणा प्रताप सागर। |
बूंदी | नवलक्ख झील। |
राजसमंद | राजसमंद झील। |
अजमेर | आना सागर , फॉयसागर , पुष्कर। |
अलवर | सिलीसेढ़ , जयसागर , विजयसागर। |
बीकानेर | लूणकरणसर , अनूपसागर ,कोलायत। |
बाड़मेर | पचपदरा झील। |
डूंगरपुर | गैब सागर , सोमकमला। |
सिरोही | नक्की झील। |
जोधपुर | बालसमंद , उम्मेदसागर ,कायलाना । |
जैसलमेर | अमरसागर, बुझ की झील, गड़ीसर। |
चूरू | तालछापर झील। |
भरतपुर | मोती झील। |
जयपुर | सांभर, छापरवाडा। |
उदयपुर | उदयसागर ,फतेहसागर ,पिछोला ,जयसमंद। |
कोटा | जवाहर सागर झील। |
पाली | वाकली , सरदार समंद। |
हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील। |
धौलपुर | तालाबशाही झील। |
नागौर | डीडवाना झील। |
चाँदबावड़ी -दौसा
घड़सीसर झील (जैसलमेर) का निर्माण 1156 ई. में जैसलमेर के शासक रावल जैसल ने करवाया।
जिले | झीलें |
चित्तौड़गढ़ | भूपालसागर, राणा प्रताप सागर। |
बूंदी | नवलक्ख झील। |
राजसमंद | राजसमंद झील। |
अजमेर | आना सागर , फॉयसागर , पुष्कर। |
अलवर | सिलीसेढ़ , जयसागर , विजयसागर। |
बीकानेर | लूणकरणसर , अनूपसागर ,कोलायत। |
बाड़मेर | पचपदरा झील। |
डूंगरपुर | गैब सागर , सोमकमला। |
सिरोही | नक्की झील। |
जोधपुर | बालसमंद , उम्मेदसागर ,कायलाना । |
जैसलमेर | अमरसागर, बुझ की झील, गड़ीसर। |
चूरू | तालछापर झील। |
भरतपुर | मोती झील। |
जयपुर | सांभर, छापरवाडा। |
उदयपुर | उदयसागर ,फतेहसागर ,पिछोला ,जयसमंद। |
कोटा | जवाहर सागर झील। |
पाली | वाकली , सरदार समंद। |
हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील। |
धौलपुर | तालाबशाही झील। |
नागौर | डीडवाना झील। |
‘चौरासी खम्बों की छतरी’ स्थित है
80 खम्भों की छतरी:- इसे मूसी महारानी की छतरी भी कहते हैं जो अलवर में स्थित है। _
80 खम्भों की छतरी:- इसे मूसी महारानी की छतरी भी कहते हैं जो अलवर में स्थित है। _
80 खम्भों की छतरी:- इसे मूसी महारानी की छतरी भी कहते हैं जो अलवर में स्थित है। _
निम्न में से कौनसा युग्म सही नहीं है?
जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर -जयपुर
जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर -जयपुर
जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर -जयपुर
निम्नलिखित में से गलत युग्म को पहचानिए
लटियाल देवी का मंदिर स्थित है
****लटियाल माता का मंदिर फलौदी (जोधपुर) में स्थित है।
****लटियाल माता का मंदिर फलौदी (जोधपुर) में स्थित है।
****लटियाल माता का मंदिर फलौदी (जोधपुर) में स्थित है।
गलत युग्म पहचानिए- “
सुमेलित कीजिए
(A) मालकोट किला i. सीकर
(B) रेगिस्तानी राष्ट्रीय पार्क ii. अजमेर
(C) वराह मंदिर ii. जैसलमेर
(D) ओमल- सोमल iv. नागौर
देवी मन्दिर
मालकोट दुर्ग– मेड़ता सिटी (नागौर) में जोधपुर के राव मालदेव द्वारा निर्मित है।
मालकोट दुर्ग– मेड़ता सिटी (नागौर) में जोधपुर के राव मालदेव द्वारा निर्मित है।
मालकोट दुर्ग– मेड़ता सिटी (नागौर) में जोधपुर के राव मालदेव द्वारा निर्मित है।
राजस्थान में चूंधी तीर्थ स्थित है
चूंधी तीर्थ (भगवान गणेश का मंदिर) जैसलमेर में स्थित है।
चूंधी तीर्थ (भगवान गणेश का मंदिर) जैसलमेर में स्थित है।
चूंधी तीर्थ (भगवान गणेश का मंदिर) जैसलमेर में स्थित है।
“बारह देवरा” नामक शिव मन्दिर समूह स्थित है
****भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर में शिव को समर्पित मंदिरों का एक समूह है, जिसे ‘बारह देवरा’ कहते हैं।
****भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर में शिव को समर्पित मंदिरों का एक समूह है, जिसे ‘बारह देवरा’ कहते हैं।
****भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर में शिव को समर्पित मंदिरों का एक समूह है, जिसे ‘बारह देवरा’ कहते हैं।
निम्न में से कौन-सा एक राजस्थान का मन्दिर सही सुमेलित है?
: मंदिर
(1) एकलिंगजी का मंदिर – उदयपुर ।
(2) सूर्य मंदिर – झालरापाटन ,झालावाड़
(3) देलवाड़ा मंदिर – आबू ,सिरोही
(4) करणी माता मंदिर – देशनोक ,बीकानेर
: मंदिर
(1) एकलिंगजी का मंदिर – उदयपुर ।
(2) सूर्य मंदिर – झालरापाटन ,झालावाड़
(3) देलवाड़ा मंदिर – आबू ,सिरोही
(4) करणी माता मंदिर – देशनोक ,बीकानेर
: मंदिर
(1) एकलिंगजी का मंदिर – उदयपुर ।
(2) सूर्य मंदिर – झालरापाटन ,झालावाड़
(3) देलवाड़ा मंदिर – आबू ,सिरोही
(4) करणी माता मंदिर – देशनोक ,बीकानेर
चाँदबावड़ी कहाँ स्थित है ?
चाँद बावड़ी
चाँद बावड़ी
चाँद बावड़ी
प्रसिद्ध स्मारक सुनहरी कोठी स्थित है
****टोंक में स्थित यह सुनहरी कोठी, राजस्थान की सुंदर हवेलियों में से एक है। यह टोंक-स्वाई माधोपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
****टोंक में स्थित यह सुनहरी कोठी, राजस्थान की सुंदर हवेलियों में से एक है। यह टोंक-स्वाई माधोपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
****टोंक में स्थित यह सुनहरी कोठी, राजस्थान की सुंदर हवेलियों में से एक है। यह टोंक-स्वाई माधोपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
राजस्थान के किस ऐतिहासिक धरोहर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल नहीं किया गया है?
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
स्पष्टीकरण :यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई.
क्रम | किला | स्थान | संरक्षण | |
1 | चित्तौड़ का किला | चित्तौड़गढ़ | एएसआई | |
2 | कुंभलगढ का किला | राजसंमद | एएसआई | |
3 | गागरोन का किला | झालावाड़ | राज्य सरकार | |
4 | जैसलमेर का किला | सोनार | एएसआई | |
5 | रणथम्भौर का किला | स॰माधोपुर | एएसआई | |
6 | आमेर का किला | जयपुर | राज्य सरकार |
किस समूह की खगोलीय वेधशालाओं का निर्माण महाराजा जयसिंह जी द्वारा कराया गया
व्याख्या : सवाई जयसिंह-II 18वीं शताब्दी में आमेर के कच्छवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। इनके द्वारा सन् 1727 में आमेर से दक्षिण में छ: मील दूर सुव्यवस्थित व शिल्पशास्त्रों के आधार पर आकल्पित एक नवीन शहर ‘जयपुर’ की स्थापना की गई।
व्याख्या : सवाई जयसिंह-II 18वीं शताब्दी में आमेर के कच्छवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। इनके द्वारा सन् 1727 में आमेर से दक्षिण में छ: मील दूर सुव्यवस्थित व शिल्पशास्त्रों के आधार पर आकल्पित एक नवीन शहर ‘जयपुर’ की स्थापना की गई।
व्याख्या : सवाई जयसिंह-II 18वीं शताब्दी में आमेर के कच्छवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। इनके द्वारा सन् 1727 में आमेर से दक्षिण में छ: मील दूर सुव्यवस्थित व शिल्पशास्त्रों के आधार पर आकल्पित एक नवीन शहर ‘जयपुर’ की स्थापना की गई।
निम्नलिखित में से कौनसा आकर्षण पर्यटन केन्द्र करौली जिले में स्थित नहीं है?
करौली के दर्शनीय स्थल
***नाहरसागर कुण्ड शाहपुरा, भीलवाड़ा में स्थित है। ।
करौली के दर्शनीय स्थल
***नाहरसागर कुण्ड शाहपुरा, भीलवाड़ा में स्थित है। ।
करौली के दर्शनीय स्थल
***नाहरसागर कुण्ड शाहपुरा, भीलवाड़ा में स्थित है। ।
सैयद मीरान साहब की दरगाह किस किले में स्थित है ?
प्रसिद्ध तीर्थस्थल “गलियाकोट” किस नदी के किनारे स्थित है ?
‘सात सहेलियों का मन्दिर’ कहाँ स्थित है ?
*****झालरापाटन (झालावाड़) के पद्मनाभ मंदिर को सात सहेलियों का मन्दिर भी कहा जाता है।
*****झालरापाटन (झालावाड़) के पद्मनाभ मंदिर को सात सहेलियों का मन्दिर भी कहा जाता है।
*****झालरापाटन (झालावाड़) के पद्मनाभ मंदिर को सात सहेलियों का मन्दिर भी कहा जाता है।