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राजस्थानी साहित्य
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हरकेलि’ संस्कृत नाटक के रचयिता कौन हैं ?
बुद्धि विलास’ ग्रंथ के लेखक हैं?
नाटक ‘ललित विग्रह राज’ की रचना की गई?
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
पुस्तक लेखक
राव जैतसी रो छंद’ -बीठू सूजा है।
‘अचलदास खींची री वचनिका‘-शिवदास गाडण द्वारा रचित यह एक ऐतिहासिक कृति है
बीसलदेव रासो- चौहान शासक विग्रहराज-IV के राजकवि ‘नरपति नाल्ह’ द्वारा रचित है।
खुमाण रासो– दलपत विजय
राव जैतसी रो छंद’ -बीठू सूजा है।
‘अचलदास खींची री वचनिका‘-शिवदास गाडण द्वारा रचित यह एक ऐतिहासिक कृति है
बीसलदेव रासो- चौहान शासक विग्रहराज-IV के राजकवि ‘नरपति नाल्ह’ द्वारा रचित है।
खुमाण रासो– दलपत विजय
राव जैतसी रो छंद’ -बीठू सूजा है।
‘अचलदास खींची री वचनिका‘-शिवदास गाडण द्वारा रचित यह एक ऐतिहासिक कृति है
बीसलदेव रासो- चौहान शासक विग्रहराज-IV के राजकवि ‘नरपति नाल्ह’ द्वारा रचित है।
खुमाण रासो– दलपत विजय
निम्नलिखित किस ग्रन्थ में अलाउद्दीन खिलजी की जालौर विजय का विवरण मिलता है ?
कान्हडदेव प्रबंध– रचना पद्मनाभ नामक कवि ने जालौर के शासक अखेराज के संरक्षण में की थी।
कुवलयमाला– 778 ई. के लगभग प्राकृत भाषा में रचित इस ग्रंथ की रचना ‘उद्योतन सूरी’ द्वारा जालौर में की गई थी।
हाला झाला री कुण्डलियाँ– ईसरदास जी बारहठ (उपनाम-इसरो परमेसरो) है।
कान्हडदेव प्रबंध– रचना पद्मनाभ नामक कवि ने जालौर के शासक अखेराज के संरक्षण में की थी।
कुवलयमाला– 778 ई. के लगभग प्राकृत भाषा में रचित इस ग्रंथ की रचना ‘उद्योतन सूरी’ द्वारा जालौर में की गई थी।
हाला झाला री कुण्डलियाँ– ईसरदास जी बारहठ (उपनाम-इसरो परमेसरो) है।
कान्हडदेव प्रबंध– रचना पद्मनाभ नामक कवि ने जालौर के शासक अखेराज के संरक्षण में की थी।
कुवलयमाला– 778 ई. के लगभग प्राकृत भाषा में रचित इस ग्रंथ की रचना ‘उद्योतन सूरी’ द्वारा जालौर में की गई थी।
हाला झाला री कुण्डलियाँ– ईसरदास जी बारहठ (उपनाम-इसरो परमेसरो) है।
निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित है ?
नाम ग्रंथ (संगीत)
राजस्थानी साहित्य की एक प्रारंभिक रचना ‘हंसावली’ रचित है
“मारवाड़ रा परगना री विगत’ का लेखक कौन था?
मारवाड रा परगना री विगत‘ के लेखक मुहणौत नैणसी थे,
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ -इनकी दूसरी कृति है, जिसे ‘सर्वसंग्रह’ भी कहा जाता है।
मारवाड रा परगना री विगत‘ के लेखक मुहणौत नैणसी थे,
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ -इनकी दूसरी कृति है, जिसे ‘सर्वसंग्रह’ भी कहा जाता है।
मारवाड रा परगना री विगत‘ के लेखक मुहणौत नैणसी थे,
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ -इनकी दूसरी कृति है, जिसे ‘सर्वसंग्रह’ भी कहा जाता है।
संगीत पर लिखे गए निम्नलिखित ग्रंथों में से कौन से राणा कुम्भा द्वारा रचित है?
(A) संगीतराज
(B) संगीत मीमांसा
(C) सूड प्रबंध
(D) रसिकप्रिया
महाराणा कुम्भा
महाराणा कुम्भा
महाराणा कुम्भा
राजस्थानी भाषा के छन्दों के आधार पर रचित ‘पिंगल सिरोमणि’ ग्रन्थ के रचयिता हैं ?
‘पिंगल शिरोमणि’ ग्रंथ -रचियता कुशल लाभ
‘पिंगल शिरोमणि’ ग्रंथ -रचियता कुशल लाभ
‘पिंगल शिरोमणि’ ग्रंथ -रचियता कुशल लाभ
“बीसलदेव रासो” की मुख्य महिला पात्र निम्नलिखित में से कौन सी है?
‘बीसलदेव रासो‘ -नरपति नाल्ह द्वारा रचित
‘बीसलदेव रासो‘ -नरपति नाल्ह द्वारा रचित
‘बीसलदेव रासो‘ -नरपति नाल्ह द्वारा रचित
‘श्रृंगार हार’ ग्रन्थ की रचना किसने की है?
वीरवांण का रचनाकार कौन है ?
वीरवाण- रचनाकार बादर ढाढी नामक एक मस्लिम कवि
वीरवाण- रचनाकार बादर ढाढी नामक एक मस्लिम कवि
वीरवाण- रचनाकार बादर ढाढी नामक एक मस्लिम कवि
‘नृत्यरत्नकोष’ का रचयिता था
महाराणा कंभा द्वारा रचित ‘संगीतराज’ नामक ग्रंथ पाँच कोषों में विभाजित –
(1) पाठरत्नकाष,
(2) गीतरत्न कोष,
(3) रसरत्नकोष,
(4) नृत्यरत्न कोष,
(5) वाद्यरत्नकोष
महाराणा कंभा द्वारा रचित ‘संगीतराज’ नामक ग्रंथ पाँच कोषों में विभाजित –
(1) पाठरत्नकाष,
(2) गीतरत्न कोष,
(3) रसरत्नकोष,
(4) नृत्यरत्न कोष,
(5) वाद्यरत्नकोष
महाराणा कंभा द्वारा रचित ‘संगीतराज’ नामक ग्रंथ पाँच कोषों में विभाजित –
(1) पाठरत्नकाष,
(2) गीतरत्न कोष,
(3) रसरत्नकोष,
(4) नृत्यरत्न कोष,
(5) वाद्यरत्नकोष
निम्नलिखित विद्वानों में से से किसे जसवंत सिंह का संरक्षण प्राप्त नहीं था?
ईसरदास बारहठ -:
जसवंतसिंह-I – शासनकाल 1638-1678
ईसरदास बारहठ -:
जसवंतसिंह-I – शासनकाल 1638-1678
ईसरदास बारहठ -:
जसवंतसिंह-I – शासनकाल 1638-1678
‘एकलिंगमहात्म्य’ किस भाषा में लिखा गया है?
: एकलिंग महात्म्य संस्कृत भाषा –
: एकलिंग महात्म्य संस्कृत भाषा –
: एकलिंग महात्म्य संस्कृत भाषा –
‘राजवल्लभ मण्डन’का सम्बन्ध है –
‘राजवल्लभ मण्डन’
मंडन की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
‘राजवल्लभ मण्डन’
मंडन की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
‘राजवल्लभ मण्डन’
मंडन की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
‘जुलगमैन चरित्र’ की रचना किसने की?
“जुलगमैन चरित्र”– रचना कृष्णदास पयहारी ।
“जुलगमैन चरित्र”– रचना कृष्णदास पयहारी ।
“जुलगमैन चरित्र”– रचना कृष्णदास पयहारी ।
“राव जैतसी रो छन्द’ के रचयिता है?
‘राव जैतसी रो छंद’ – रचियता बीठू सूजा
‘राव जैतसी रो छंद’ – रचियता बीठू सूजा
‘राव जैतसी रो छंद’ – रचियता बीठू सूजा
‘वंश भास्कर’ के लेखक थे
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
जयपुर का कौनसा शासक कविताओं में अपना उपनाम ब्रजनिधि लिखते थे?
पुस्तक ‘रणखार’ के लेखक हैं
रणखार– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी
रणखार– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी
रणखार– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी
निम्नलिखित लेखकों में से कौन ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान’ के लेखक है?
‘ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान’ पुस्तक – लेखिका रीमा हूजा है।
‘ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान’ पुस्तक – लेखिका रीमा हूजा है।
‘ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान’ पुस्तक – लेखिका रीमा हूजा है।
‘बेलि क्रिसण रुक्मणि’ किस भाषा का ग्रंथ है?
बेली क्रिसण रुक्मणि- डिंगल भाषा में रचित पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) की सर्वश्रेष्ठ रचना ।
बेली क्रिसण रुक्मणि- डिंगल भाषा में रचित पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) की सर्वश्रेष्ठ रचना ।
बेली क्रिसण रुक्मणि- डिंगल भाषा में रचित पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) की सर्वश्रेष्ठ रचना ।
निम्नलिखित में से कौन सा ग्रन्थ कुम्भा की रचना नहीं है?
‘कलानिधि’ – रचियता कल्लिनाथ
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
‘कलानिधि’ – रचियता कल्लिनाथ
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
‘कलानिधि’ – रचियता कल्लिनाथ
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
सुमेलित कीजिए
पुस्तक लेखक
(A) हम्मिरायण i. बादर
(B) वीरमायण ii. मंछाराम सेवग
(C) रघुनाथ रूपक iii. दुरसा आढा
(D) किरतार बावणी iv. भाण्डऊ व्यास
हम्मिरायण-
वीरमायण (बीरमाण)-
रघुनाथ रुपक-
किरतार बावनी-
हम्मिरायण-
वीरमायण (बीरमाण)-
रघुनाथ रुपक-
किरतार बावनी-
हम्मिरायण-
वीरमायण (बीरमाण)-
रघुनाथ रुपक-
किरतार बावनी-
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
लेखक पुस्तकें
चंद्रसिंह बिरकाली की रचना– ‘बादली’
कन्हैयालाल सेठी – धरती धोरां री
उमरदान लालस – छपना-रो-छन्द
मेघराज मुकुल – सैनानी
चंद्रसिंह बिरकाली की रचना– ‘बादली’
कन्हैयालाल सेठी – धरती धोरां री
उमरदान लालस – छपना-रो-छन्द
मेघराज मुकुल – सैनानी
चंद्रसिंह बिरकाली की रचना– ‘बादली’
कन्हैयालाल सेठी – धरती धोरां री
उमरदान लालस – छपना-रो-छन्द
मेघराज मुकुल – सैनानी
‘ललित विग्रहराज’ का लेखक कौन था?
निम्नलिखित में से गलत युग्म की पहचान कीजिए
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
कान्हड़दे प्रबन्ध : पदमनाभ ।
वीर विनोद : श्यामलदास
हम्मीर काव्य : नयनचन्द्र सूरी
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
कान्हड़दे प्रबन्ध : पदमनाभ ।
वीर विनोद : श्यामलदास
हम्मीर काव्य : नयनचन्द्र सूरी
वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
कान्हड़दे प्रबन्ध : पदमनाभ ।
वीर विनोद : श्यामलदास
हम्मीर काव्य : नयनचन्द्र सूरी
“मारवाड़रा परगनारी विगत”ग्रंथ लिखा है
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ – रचयिता मुहणोत नैणसी
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ – रचयिता मुहणोत नैणसी
‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ – रचयिता मुहणोत नैणसी
जोधपुर किले में “पुस्तक प्रकाशन” पुस्तकालय की स्थापना किसने की?
****महाराजा मानसिंह ने 2 जनवरी 1805 में जोधपुर (मेहरानगढ़ दुर्ग) में स्थित ‘पुस्तक प्रकाश’ पुस्तकालय की स्थापना की थी
****महाराजा मानसिंह ने 2 जनवरी 1805 में जोधपुर (मेहरानगढ़ दुर्ग) में स्थित ‘पुस्तक प्रकाश’ पुस्तकालय की स्थापना की थी
****महाराजा मानसिंह ने 2 जनवरी 1805 में जोधपुर (मेहरानगढ़ दुर्ग) में स्थित ‘पुस्तक प्रकाश’ पुस्तकालय की स्थापना की थी
महाराणा कुम्भा द्वारा रचित ग्रंथ संगीत राज’कितने कोषों में विभक्त हैं ?
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश,
(2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश,
(4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश,
(2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश,
(4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश,
(2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश,
(4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
वीर सतसई, बलबुद्विलास और रामरंजाट के लेखक हैं
‘प्रबंध कोश’ नामक पुस्तक का लेखक कौन है?
‘ढोला-मारू-री-वात’ किसके द्वारा लिखी गई थी?
कवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपनी पुस्तक ‘वीर सतसई’ किस भाषा में लिखी है ?
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
निम्नलिखित में किसका लेखक वीरभान था?
राजरूपक -रचियता वीरभान
राजरूपक -रचियता वीरभान
राजरूपक -रचियता वीरभान
सूची-I व सूची-II का मिलान कीजिए तथा प्रयोग किए गए कूट के आधार पर नीचे दी गई सूची में से सही
उत्तर का चयन कीजिए
सूची-I सूची-II
लेखक पुस्तक
(A) करनी दान i. मारवाड़ रा
परगना री विगत
(B) श्यामल दास ii. सूरज प्रकाश
(C) मुहणौत नैणसी iii.. वंश भास्कर
(D) सूर्यमल्ल मिश्रण iv. वीर विनोद
करणीदान –
श्यामलदास –
महणौत नैणसी –
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
करणीदान –
श्यामलदास –
महणौत नैणसी –
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
करणीदान –
श्यामलदास –
महणौत नैणसी –
‘वंश भास्कर-सूर्यमल्ल मिश्रण
‘राजविलास’ की रचना किसने लिखी थी? –
*****राजविलास- रचना कवि मान मेवाड़ के महाराजा राजसिंह के दरबारी कवि थे।
*****राजविलास- रचना कवि मान मेवाड़ के महाराजा राजसिंह के दरबारी कवि थे।
*****राजविलास- रचना कवि मान मेवाड़ के महाराजा राजसिंह के दरबारी कवि थे।
पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा रचित पुस्तक ‘वेलि कृष्ण रुकमणी री’ किस भाषा में लिखी गई हैं ?
ख्यात के विषय में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
*****राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध ख्यातों में महणोत नैणसी द्वारा रचित ‘मारवाड़ री परगना री विगत’ है, जिसे राजस्थान का गजेटियर भी कहा जाता है। अधिकतर ख्यातों का लेखन राज्य के संरक्षण में होता था।
*****राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध ख्यातों में महणोत नैणसी द्वारा रचित ‘मारवाड़ री परगना री विगत’ है, जिसे राजस्थान का गजेटियर भी कहा जाता है। अधिकतर ख्यातों का लेखन राज्य के संरक्षण में होता था।
*****राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध ख्यातों में महणोत नैणसी द्वारा रचित ‘मारवाड़ री परगना री विगत’ है, जिसे राजस्थान का गजेटियर भी कहा जाता है। अधिकतर ख्यातों का लेखन राज्य के संरक्षण में होता था।
प्रसिद्ध राजस्थानी गीत ‘धरती धोरां री’ किसके द्वारा लिखा गया?
‘धरती धोरां री’ राजस्थानी –श्री कन्हैयालाल सेठिया की रचना है।
श्री कन्हैयालाल सेठिया की अन्य रचना –
‘धरती धोरां री’ राजस्थानी –श्री कन्हैयालाल सेठिया की रचना है।
श्री कन्हैयालाल सेठिया की अन्य रचना –
‘धरती धोरां री’ राजस्थानी –श्री कन्हैयालाल सेठिया की रचना है।
श्री कन्हैयालाल सेठिया की अन्य रचना –
प्रबंध-चिंतामणि का लेखक था
चौहान शासक, जो ‘कवि बान्धव’ के रूप में जाना जाता था
निम्नलिखित में से कौन सा विद्वान कुम्भा के दरबार में नहीं था?
मुनि जिन विजय सूरी ;
सोमसन्दर, मुनिसुन्दर, टिल्ला, जयचन्द्रसूरि, सुन्दरसूरि, कुम्भाकालीन जैन विद्वान थे,
नापा, पोमा व पंजा व उनके पिता जैता विजय स्तंभ (चित्तौड़गढ़ दुर्ग) के निर्माणकर्ता थे।
मुनि जिन विजय सूरी ;
सोमसन्दर, मुनिसुन्दर, टिल्ला, जयचन्द्रसूरि, सुन्दरसूरि, कुम्भाकालीन जैन विद्वान थे,
नापा, पोमा व पंजा व उनके पिता जैता विजय स्तंभ (चित्तौड़गढ़ दुर्ग) के निर्माणकर्ता थे।
मुनि जिन विजय सूरी ;
सोमसन्दर, मुनिसुन्दर, टिल्ला, जयचन्द्रसूरि, सुन्दरसूरि, कुम्भाकालीन जैन विद्वान थे,
नापा, पोमा व पंजा व उनके पिता जैता विजय स्तंभ (चित्तौड़गढ़ दुर्ग) के निर्माणकर्ता थे।
निम्नलिखित शासकों में से सबसे अधिक किसे मेवाड़ की बौद्धिक व कलात्मक उन्नति का श्रेय जाता है?
महाराणा कुम्भा
महाराणा कुम्भा
महाराणा कुम्भा
. गलत युग्म को चुनिए
साहित्यिक रचना साहित्यकार
बादली;
राधा – सत्यप्रकाश जोशी
मेघमाल – सुमेर सिंह शेखावत
बाथा में भूगोल – हरीश भादानी
बादली;
राधा – सत्यप्रकाश जोशी
मेघमाल – सुमेर सिंह शेखावत
बाथा में भूगोल – हरीश भादानी
बादली;
राधा – सत्यप्रकाश जोशी
मेघमाल – सुमेर सिंह शेखावत
बाथा में भूगोल – हरीश भादानी
सूची-I से सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए
सूची-I (लेखक) सूची-II ( ग्रन्थ)
i करणीदान a. अजितोदय
ii दौलतविजय b. कान्हड़दे प्रबन्ध
iii पद्मनाभ c. खुमाणरासो
iv जगजीवन भट्ट d. सूरजप्रकाश
करणीदान-
दौलतविजय (दलपत विजय)
पदमनाभ-
जगजीवन भट्ट –
का वर्णन है।
करणीदान-
दौलतविजय (दलपत विजय)
पदमनाभ-
जगजीवन भट्ट –
का वर्णन है।
करणीदान-
दौलतविजय (दलपत विजय)
पदमनाभ-
जगजीवन भट्ट –
का वर्णन है।
विजयदान देथा का सम्बन्ध है
विजयदान देथा
विजयदान देथा
विजयदान देथा
निम्नलिखित में से कौन-सा महाराणा कुंभा द्वारा रचित ग्रंथ नहीं है?
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
निम्न में कुम्भा द्वारा रचित ग्रन्थ है
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
कुंभा (1433-1468) की प्रमुख रचनाएं
संगीतराज की रचना महाराणा कुम्भा द्वारा की गई थी, इसके पाँच भाग –
(1) पाठरत्नकोश, (2) गीत रत्नकोश,
(3) वाद्यरत्न कोश, (4) नृत्यरत्न कोश,
(5) रसरत्न कोश
‘फ्रॉम पर्दा टू द पीपुल’ की लेखिका हैं
‘फ्रॉम पर्दा टू द पीपुल’ -फ्रांसिस टेफ्ट –
‘फ्रॉम पर्दा टू द पीपुल’ -फ्रांसिस टेफ्ट –
‘फ्रॉम पर्दा टू द पीपुल’ -फ्रांसिस टेफ्ट –
“स्वतंत्र बावनी” रचना है
“स्वतंत्र बावनी”-तेज कवि
“स्वतंत्र बावनी”-तेज कवि
“स्वतंत्र बावनी”-तेज कवि
कवि चन्दरबरदाई का अन्य नाम क्या था?
कवि चन्दरबरदाई –
कवि चन्दरबरदाई –
कवि चन्दरबरदाई –
निम्नलिखित में से किसे सवाई जयसिंह का संरक्षण प्राप्त नहीं था?
.जयसिंह-II (सवाई)
मिर्जा राजा जयसिंह-I
.जयसिंह-II (सवाई)
मिर्जा राजा जयसिंह-I
.जयसिंह-II (सवाई)
मिर्जा राजा जयसिंह-I
राजस्थानी भाषा का पहला माने जाने वाला नाटक किसने लिखा था?
शिवचन्द्र भरतिया
शिवचन्द्र भरतिया
शिवचन्द्र भरतिया