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Congratulations!!!" दिल्ली सल्तनत संस्कृति व प्रशासन "
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दिल्ली सल्तनत संस्कृति व प्रशासन
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Question 1 of 60
1. Question
1 points
निम्न में से कौन सा एक युग्म सुमेनित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Incorrect
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Unattempted
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Question 2 of 60
2. Question
1 points
‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ से क्या अभिप्राय है?
Correct
व्याख्या-
सलतनत काल में शाही शिविर को ‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ कहा जाता था।
शाही शिविर में बहु भाषीय एवं बहु जातीय सैनिक होते थे।
शाही शिविर में बहु भाषाओं से एक नयी भाषा उर्दू की उत्पत्ति हुई।
Incorrect
व्याख्या-
सलतनत काल में शाही शिविर को ‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ कहा जाता था।
शाही शिविर में बहु भाषीय एवं बहु जातीय सैनिक होते थे।
शाही शिविर में बहु भाषाओं से एक नयी भाषा उर्दू की उत्पत्ति हुई।
Unattempted
व्याख्या-
सलतनत काल में शाही शिविर को ‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ कहा जाता था।
शाही शिविर में बहु भाषीय एवं बहु जातीय सैनिक होते थे।
शाही शिविर में बहु भाषाओं से एक नयी भाषा उर्दू की उत्पत्ति हुई।
Question 3 of 60
3. Question
1 points
दिल्ली के किस सुल्तान ने ब्राह्मणों पर जजिया कर आरोपित किया था
Correct
व्याख्या –
प्रारंभ में जजिया ब्राह्मणों से नहीं लिया जाता था परन्तु फीरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगा दिया।
जजिया कर लगाने वाला पहला शासक मुहम्मद बिन कासिम था।
जजिया कर गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जाता था।
Incorrect
व्याख्या –
प्रारंभ में जजिया ब्राह्मणों से नहीं लिया जाता था परन्तु फीरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगा दिया।
जजिया कर लगाने वाला पहला शासक मुहम्मद बिन कासिम था।
जजिया कर गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जाता था।
Unattempted
व्याख्या –
प्रारंभ में जजिया ब्राह्मणों से नहीं लिया जाता था परन्तु फीरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगा दिया।
जजिया कर लगाने वाला पहला शासक मुहम्मद बिन कासिम था।
जजिया कर गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जाता था।
Question 4 of 60
4. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।
Incorrect
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।
Unattempted
व्याख्या :
जौनपुर नगर की स्थापना यद्यपि फीरोज तुगलक ने बंगाल से लौटते समय अपने चचेरे भाई जौना खाँ उर्फ मुहम्मद तुगलक की याद में की थी
जौनपुर के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक मलिक सरवर उर्फ खाजा जहाँ को माना जाता हैं
मलिक सरवर अन्तिम तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद ने ”मलिक-उस-शर्क’ की उपाधि देकर जौनपुर का प्रमुख बना दिया था
फीरोज तुगलक ने ‘दार-उल-शफा’ अर्थात औषधालय स्थापित किये थे।
फीरोज तुगलक ने दासों के रख रखाव के लिये दीवाने-बन्दगान’ की स्थापना की थी।
फीरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फारसी. में ‘फतुहाते-फीरोजशाही’ नाम से लिखी।
Question 5 of 60
5. Question
1 points
सल्तनत काल में निम्न में से किस सुल्तान ने आगरा की स्थापना की थी?
Correct
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया। सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Incorrect
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया। सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Unattempted
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया। सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Question 6 of 60
6. Question
1 points
किस कारण से अलाउद्दीन खलजी के शासन काल में किसानों के कष्ट बढ़े
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों पर करों का भार बहुत अधिक था।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा /1/2) भाग कर दिया।
अलाउद्दीन से पूर्व लगान (खराज) पैदावार का 1/3 भाग लिया जाता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये- मकान कर और चराई कर।
चराई कर दुध देने वाले पशुओं पर लगाया गया था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों से उनकी पैदावार का 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक करों के रूप में वसूल कर लेता था।
अलाउद्दीन ने भूमि की पैमाइश कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना था।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों पर करों का भार बहुत अधिक था।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा /1/2) भाग कर दिया।
अलाउद्दीन से पूर्व लगान (खराज) पैदावार का 1/3 भाग लिया जाता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये- मकान कर और चराई कर।
चराई कर दुध देने वाले पशुओं पर लगाया गया था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों से उनकी पैदावार का 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक करों के रूप में वसूल कर लेता था।
अलाउद्दीन ने भूमि की पैमाइश कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना था।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों पर करों का भार बहुत अधिक था।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा /1/2) भाग कर दिया।
अलाउद्दीन से पूर्व लगान (खराज) पैदावार का 1/3 भाग लिया जाता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये- मकान कर और चराई कर।
चराई कर दुध देने वाले पशुओं पर लगाया गया था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
अलाउद्दीन के शासन काल में किसानों से उनकी पैदावार का 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक करों के रूप में वसूल कर लेता था।
अलाउद्दीन ने भूमि की पैमाइश कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना था।
Question 7 of 60
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से फिरोज तुगलक द्वारा स्थापित नगर कौन सा है
Correct
व्याख्या –
फिरोज ने 300 नगरों का.. निर्माण कराया।
फिरोज के द्वारा बसाये गये नगरों में फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद प्रमुख थे।
फरिश्ता ने लिखा है कि फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 सरायें, 200
नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरें, 100 स्नानागृह, 10 स्तम्भ, 150 पुल तथा अनेक बाग (1200 बांग) एवं सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों का निर्माण करवाया था।
फिरोजशाह तुगलक ने मेरठ तथा टोपरा से अशोक स्तंभ दिल्ली मंगवाए थे।
Incorrect
व्याख्या –
फिरोज ने 300 नगरों का.. निर्माण कराया।
फिरोज के द्वारा बसाये गये नगरों में फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद प्रमुख थे।
फरिश्ता ने लिखा है कि फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 सरायें, 200
नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरें, 100 स्नानागृह, 10 स्तम्भ, 150 पुल तथा अनेक बाग (1200 बांग) एवं सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों का निर्माण करवाया था।
फिरोजशाह तुगलक ने मेरठ तथा टोपरा से अशोक स्तंभ दिल्ली मंगवाए थे।
Unattempted
व्याख्या –
फिरोज ने 300 नगरों का.. निर्माण कराया।
फिरोज के द्वारा बसाये गये नगरों में फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद प्रमुख थे।
फरिश्ता ने लिखा है कि फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 सरायें, 200
नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरें, 100 स्नानागृह, 10 स्तम्भ, 150 पुल तथा अनेक बाग (1200 बांग) एवं सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों का निर्माण करवाया था।
फिरोजशाह तुगलक ने मेरठ तथा टोपरा से अशोक स्तंभ दिल्ली मंगवाए थे।
Question 8 of 60
8. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस शासक ने अपने समय की उत्तर भारत की ऐसी सबसे लम्बी नहर का निर्माण कराया जो, आज भी उपयोगी है
Correct
व्याख्या –
फिरोज शाह तुगलक ने कृषि को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सिंचाई के लिए अनेक नहरों का निर्माण करवाया था।
नहरें बनवाने वाला प्रथम सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक था।
फिरोज ने पाँच महत्त्वपूर्ण नहरों निर्माण करवाया-
दिल्ली से हिसार तक
सतलज से एक नहर
सिरमौर से हाँसी तक
घग्घर से फिरोजाबाद तक
यमुना से फिरोजाबाद तक
Incorrect
व्याख्या –
फिरोज शाह तुगलक ने कृषि को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सिंचाई के लिए अनेक नहरों का निर्माण करवाया था।
नहरें बनवाने वाला प्रथम सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक था।
फिरोज ने पाँच महत्त्वपूर्ण नहरों निर्माण करवाया-
दिल्ली से हिसार तक
सतलज से एक नहर
सिरमौर से हाँसी तक
घग्घर से फिरोजाबाद तक
यमुना से फिरोजाबाद तक
Unattempted
व्याख्या –
फिरोज शाह तुगलक ने कृषि को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सिंचाई के लिए अनेक नहरों का निर्माण करवाया था।
नहरें बनवाने वाला प्रथम सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक था।
फिरोज ने पाँच महत्त्वपूर्ण नहरों निर्माण करवाया-
दिल्ली से हिसार तक
सतलज से एक नहर
सिरमौर से हाँसी तक
घग्घर से फिरोजाबाद तक
यमुना से फिरोजाबाद तक
Question 9 of 60
9. Question
1 points
समकालीन इतिहासकारों, जियाउददीन यी और शम्स-ए-सिराज अफीफ, ने अपनी पुस्तकों को निम्नलिखित में से कौन सा एक समान नाम दिया-
Correct
व्याख्या-
जियाउदीन बरनी’ और ‘शम्से सिराज अफीफ’ दोनों ने तारीख-ए-फिरोजशाही’ नाम से पुस्तकों की रचना की थी।
जियाउद्दीन बरनी की तारीखे-फिरोजशाही वहाँ से शुरू होती है जहाँ मिन्हाज-उस-सिराज की पुस्तक तबकाते-नासिरी समाप्त होती है।
बरनी की तारीखे-फिरोजशाही मिन्हाज के तबकाते-नासिरी का ही उत्तरावर्ती भाग है।
बरनी का जन्म 1285 ई. में हुआ था तथा मुहम्मद बिन तुगलक के काफी घनिष्ट थे।
फिरोज शाह तुगलक के दरबारी शम्से-सिराज अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ (6 जिल्दों में) नामक ग्रंथ की रचना की थी।
बरनी का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) समाप्त होता है वहाँ से अफीफ का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) शुरू होता है।
अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही में फिरोजशाह तुगलक के राज्यकाल का वर्णन है।
मिन्हाज, बरनी एवं अफीफ, के ग्रंथों में इतिहास की क्रमबद्धता बनी रही।
Incorrect
व्याख्या-
जियाउदीन बरनी’ और ‘शम्से सिराज अफीफ’ दोनों ने तारीख-ए-फिरोजशाही’ नाम से पुस्तकों की रचना की थी।
जियाउद्दीन बरनी की तारीखे-फिरोजशाही वहाँ से शुरू होती है जहाँ मिन्हाज-उस-सिराज की पुस्तक तबकाते-नासिरी समाप्त होती है।
बरनी की तारीखे-फिरोजशाही मिन्हाज के तबकाते-नासिरी का ही उत्तरावर्ती भाग है।
बरनी का जन्म 1285 ई. में हुआ था तथा मुहम्मद बिन तुगलक के काफी घनिष्ट थे।
फिरोज शाह तुगलक के दरबारी शम्से-सिराज अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ (6 जिल्दों में) नामक ग्रंथ की रचना की थी।
बरनी का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) समाप्त होता है वहाँ से अफीफ का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) शुरू होता है।
अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही में फिरोजशाह तुगलक के राज्यकाल का वर्णन है।
मिन्हाज, बरनी एवं अफीफ, के ग्रंथों में इतिहास की क्रमबद्धता बनी रही।
Unattempted
व्याख्या-
जियाउदीन बरनी’ और ‘शम्से सिराज अफीफ’ दोनों ने तारीख-ए-फिरोजशाही’ नाम से पुस्तकों की रचना की थी।
जियाउद्दीन बरनी की तारीखे-फिरोजशाही वहाँ से शुरू होती है जहाँ मिन्हाज-उस-सिराज की पुस्तक तबकाते-नासिरी समाप्त होती है।
बरनी की तारीखे-फिरोजशाही मिन्हाज के तबकाते-नासिरी का ही उत्तरावर्ती भाग है।
बरनी का जन्म 1285 ई. में हुआ था तथा मुहम्मद बिन तुगलक के काफी घनिष्ट थे।
फिरोज शाह तुगलक के दरबारी शम्से-सिराज अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ (6 जिल्दों में) नामक ग्रंथ की रचना की थी।
बरनी का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) समाप्त होता है वहाँ से अफीफ का ग्रंथ (तारीखे-फिरोजशाही) शुरू होता है।
अफीफ ने ‘तारीखे-फिरोजशाही में फिरोजशाह तुगलक के राज्यकाल का वर्णन है।
मिन्हाज, बरनी एवं अफीफ, के ग्रंथों में इतिहास की क्रमबद्धता बनी रही।
Question 10 of 60
10. Question
1 points
निम्नलिखित में से किन पर सल्तनत काल में जकात कर लगाया गया था.
Correct
व्याख्या-
मुस्लिम विधिवेताओं के अनुसार मुस्लिम राजस्व – के दो प्रकार थे
धार्मिक और धर्म निरपेक्षकर।
धर्म निरपेक्षकर–
‘फै’ ‘ अर्थात धर्म निरपेक्ष कराधान जो केवल गैर-मुस्लिमों पर ही लगाया जाता था।
खराज, खम्स और जजिया कर आते थे।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
Incorrect
व्याख्या-
मुस्लिम विधिवेताओं के अनुसार मुस्लिम राजस्व – के दो प्रकार थे
धार्मिक और धर्म निरपेक्षकर।
धर्म निरपेक्षकर–
‘फै’ ‘ अर्थात धर्म निरपेक्ष कराधान जो केवल गैर-मुस्लिमों पर ही लगाया जाता था।
खराज, खम्स और जजिया कर आते थे।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
Unattempted
व्याख्या-
मुस्लिम विधिवेताओं के अनुसार मुस्लिम राजस्व – के दो प्रकार थे
धार्मिक और धर्म निरपेक्षकर।
धर्म निरपेक्षकर–
‘फै’ ‘ अर्थात धर्म निरपेक्ष कराधान जो केवल गैर-मुस्लिमों पर ही लगाया जाता था।
खराज, खम्स और जजिया कर आते थे।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
Question 11 of 60
11. Question
1 points
तिथिक्रम के अनुसार निम्नलिखित इतिहासकारों में अंतिम कौन है
Correct
व्याख्या-
अमीर खुसरों का जन्म 1256 ई. में पटियाली (जिला एटा, उ0प्र0) में हुआ था।
अमीर खुसरों निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था ।
अमीर खुसरों कि रचनाए – -खजाइनुल-फुतूह, तुगलकनामा, नूहसिपेहर, आइने सिकन्दरी आदि
फिरदौसी ने प्रसिद्ध पुस्तक “शाहनामा’ की रचना की थी जो महमूद गजनवी के दरबार में रहता था
हसन निजामी ने अपने ग्रंथ ताजुल-मासिर में 1192 से1238 ई. तक की घटनाओं का वर्णन किया है।
हसन निजामी विदेशी था जो मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत आया था
हसन निजामी इल्तुतमिश के दरबार में रहा था।
जियाउद्दीन बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली में हुआ था।
जियाउद्दीन बरनी की प्रसिद्ध रचना ‘तारीखे-फिरोजशाही’ और ‘फतवा-ए-जहांदारी थी।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद तुगलक एवं फिरोज तुगलक का समकालीन था।
Incorrect
व्याख्या-
अमीर खुसरों का जन्म 1256 ई. में पटियाली (जिला एटा, उ0प्र0) में हुआ था।
अमीर खुसरों निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था ।
अमीर खुसरों कि रचनाए – -खजाइनुल-फुतूह, तुगलकनामा, नूहसिपेहर, आइने सिकन्दरी आदि
फिरदौसी ने प्रसिद्ध पुस्तक “शाहनामा’ की रचना की थी जो महमूद गजनवी के दरबार में रहता था
हसन निजामी ने अपने ग्रंथ ताजुल-मासिर में 1192 से1238 ई. तक की घटनाओं का वर्णन किया है।
हसन निजामी विदेशी था जो मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत आया था
हसन निजामी इल्तुतमिश के दरबार में रहा था।
जियाउद्दीन बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली में हुआ था।
जियाउद्दीन बरनी की प्रसिद्ध रचना ‘तारीखे-फिरोजशाही’ और ‘फतवा-ए-जहांदारी थी।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद तुगलक एवं फिरोज तुगलक का समकालीन था।
Unattempted
व्याख्या-
अमीर खुसरों का जन्म 1256 ई. में पटियाली (जिला एटा, उ0प्र0) में हुआ था।
अमीर खुसरों निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था ।
अमीर खुसरों कि रचनाए – -खजाइनुल-फुतूह, तुगलकनामा, नूहसिपेहर, आइने सिकन्दरी आदि
फिरदौसी ने प्रसिद्ध पुस्तक “शाहनामा’ की रचना की थी जो महमूद गजनवी के दरबार में रहता था
हसन निजामी ने अपने ग्रंथ ताजुल-मासिर में 1192 से1238 ई. तक की घटनाओं का वर्णन किया है।
हसन निजामी विदेशी था जो मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत आया था
हसन निजामी इल्तुतमिश के दरबार में रहा था।
जियाउद्दीन बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली में हुआ था।
जियाउद्दीन बरनी की प्रसिद्ध रचना ‘तारीखे-फिरोजशाही’ और ‘फतवा-ए-जहांदारी थी।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद तुगलक एवं फिरोज तुगलक का समकालीन था।
Question 12 of 60
12. Question
1 points
निम्नलिखित विदेशी यात्रियों में सबसे पहले भारत कौन आया था
Correct
व्याख्या-
बर्नियर, फ्रांसीसी यात्री था जो पेशे से चिकित्सक था। 1656 ई.शाहजहाँ के दरबार में भारत आया।
बर्नियर दारा औरंगजेब के बीच होने वाले उत्तराधिकार लड़ाई का साक्षी था
इब्नबतूता, मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था जो 1333 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
अब्दुर्रज्जाक फारसी यात्री था जो 1443 ई. में कालीकट के जमोरिन के यहाँ शाहरुख का राजदूत बन कर भारत आया था।
अब्दुर्रज्जाक ने विजयनगर शासक देवराय द्वितीय के शासन में विजयनगर की यात्रा की थी।
प्रथम पुर्तगाली / प्रथम यूरोपीय यात्री ‘वास्कोडिगामा’ 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मनरिक नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. को कालीकट (भारत) के शासक जमोरिन के यहाँ पहँचा था।
Incorrect
व्याख्या-
बर्नियर, फ्रांसीसी यात्री था जो पेशे से चिकित्सक था। 1656 ई.शाहजहाँ के दरबार में भारत आया।
बर्नियर दारा औरंगजेब के बीच होने वाले उत्तराधिकार लड़ाई का साक्षी था
इब्नबतूता, मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था जो 1333 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
अब्दुर्रज्जाक फारसी यात्री था जो 1443 ई. में कालीकट के जमोरिन के यहाँ शाहरुख का राजदूत बन कर भारत आया था।
अब्दुर्रज्जाक ने विजयनगर शासक देवराय द्वितीय के शासन में विजयनगर की यात्रा की थी।
प्रथम पुर्तगाली / प्रथम यूरोपीय यात्री ‘वास्कोडिगामा’ 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मनरिक नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. को कालीकट (भारत) के शासक जमोरिन के यहाँ पहँचा था।
Unattempted
व्याख्या-
बर्नियर, फ्रांसीसी यात्री था जो पेशे से चिकित्सक था। 1656 ई.शाहजहाँ के दरबार में भारत आया।
बर्नियर दारा औरंगजेब के बीच होने वाले उत्तराधिकार लड़ाई का साक्षी था
इब्नबतूता, मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था जो 1333 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
अब्दुर्रज्जाक फारसी यात्री था जो 1443 ई. में कालीकट के जमोरिन के यहाँ शाहरुख का राजदूत बन कर भारत आया था।
अब्दुर्रज्जाक ने विजयनगर शासक देवराय द्वितीय के शासन में विजयनगर की यात्रा की थी।
प्रथम पुर्तगाली / प्रथम यूरोपीय यात्री ‘वास्कोडिगामा’ 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मनरिक नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. को कालीकट (भारत) के शासक जमोरिन के यहाँ पहँचा था।
Question 13 of 60
13. Question
1 points
इण्डो-इस्लामिक कला का सबसे पहला उदाहरण है.
Correct
व्याख्या-
इण्डो-इस्लामिक कला का सबसे पहला उदाहरण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित ‘कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद थी
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण दिल्ली के किला-ए-रायपिथौरा’ के निकट हिन्दू मंदिर के चबूतरे पर हिन्दू एवं जैन मंदिरों की विध्वंस सामग्री (मंदिर के स्तम्भ, तोरण और छत) से हुआ था।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद इमारत की विशिष्ट कलाकृति मुस्लिम शैली की मेहराब युक्त पर्दा जैसी दीवार है,
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के स्तम्भ, द्वार और मेहराब और अन्दर की छतों में सुन्दर पच्चीकारी है।
Incorrect
व्याख्या-
इण्डो-इस्लामिक कला का सबसे पहला उदाहरण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित ‘कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद थी
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण दिल्ली के किला-ए-रायपिथौरा’ के निकट हिन्दू मंदिर के चबूतरे पर हिन्दू एवं जैन मंदिरों की विध्वंस सामग्री (मंदिर के स्तम्भ, तोरण और छत) से हुआ था।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद इमारत की विशिष्ट कलाकृति मुस्लिम शैली की मेहराब युक्त पर्दा जैसी दीवार है,
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के स्तम्भ, द्वार और मेहराब और अन्दर की छतों में सुन्दर पच्चीकारी है।
Unattempted
व्याख्या-
इण्डो-इस्लामिक कला का सबसे पहला उदाहरण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित ‘कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद थी
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण दिल्ली के किला-ए-रायपिथौरा’ के निकट हिन्दू मंदिर के चबूतरे पर हिन्दू एवं जैन मंदिरों की विध्वंस सामग्री (मंदिर के स्तम्भ, तोरण और छत) से हुआ था।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद इमारत की विशिष्ट कलाकृति मुस्लिम शैली की मेहराब युक्त पर्दा जैसी दीवार है,
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के स्तम्भ, द्वार और मेहराब और अन्दर की छतों में सुन्दर पच्चीकारी है।
Question 14 of 60
14. Question
1 points
दिल्ली सुल्तानों की राज्य सत्ता का मूल स्रोत क्या था?
Correct
व्याख्या-
दिल्ली सुल्तानों की राज्य सत्ता का मूल स्रोत सैन्य शक्ति था?।
दिल्ली सुल्तानों ने प्रायः विस्तारवादी नीति का अनुसरण. किया जिसका कुशल संचालन एक शक्तिशाली सेना के. द्वारा ही हो सकता था।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारम्भ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है।
इल्तुतमिश के काल में सल्तनत की सेना को हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग को दीवाने-अर्ज तथा इसके अध्यक्ष को आरिजे-मुमालिक कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग ‘दीवाने-अर्ज’ का गठन बलबन ने किया
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली सुल्तानों की राज्य सत्ता का मूल स्रोत सैन्य शक्ति था?।
दिल्ली सुल्तानों ने प्रायः विस्तारवादी नीति का अनुसरण. किया जिसका कुशल संचालन एक शक्तिशाली सेना के. द्वारा ही हो सकता था।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारम्भ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है।
इल्तुतमिश के काल में सल्तनत की सेना को हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग को दीवाने-अर्ज तथा इसके अध्यक्ष को आरिजे-मुमालिक कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग ‘दीवाने-अर्ज’ का गठन बलबन ने किया
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली सुल्तानों की राज्य सत्ता का मूल स्रोत सैन्य शक्ति था?।
दिल्ली सुल्तानों ने प्रायः विस्तारवादी नीति का अनुसरण. किया जिसका कुशल संचालन एक शक्तिशाली सेना के. द्वारा ही हो सकता था।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारम्भ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है।
इल्तुतमिश के काल में सल्तनत की सेना को हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग को दीवाने-अर्ज तथा इसके अध्यक्ष को आरिजे-मुमालिक कहा जाता था।
सल्तनत काल में सैन्य विभाग ‘दीवाने-अर्ज’ का गठन बलबन ने किया
Question 15 of 60
15. Question
1 points
सुल्तानों के काल में सेना का सबसे महत्वपूर्ण अंग क्या था?
Correct
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तन्त्र का प्रधान सुल्तान होता था अर्थात वही प्रमुख सेना नायक था।
सैन्य संगठन एवं प्रशासन के एक पृथक विभाग ‘दीवान-ए-अर्ज’ होता था
‘दीवान-ए-अर्ज का प्रधान ‘आरिज-ए-ममालिक’ कहलाता था।
सेनाएं दो प्रकार की होती थीं-एक वह सेना जो राजधानी में नियुक्त होती थी, हुश्म-ए-कल्ब’ कहलाती थी
दूसरी सेना जो हश्म-ए-अतरफ’, जो प्रांतों में नियुक्त की जाती थी।
सेना के कई अंग- घोड़ा, हाथी, पैदल आदि होते थे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण अंग ‘अश्वरोही सेना’ होती थी।
इस समय में घोड़ों का आयात अरब, तुर्किस्तान, रूस तथा अन्य देशों से किया जाता था।
घोडों की दाग प्रथा के द्वारा अच्छी अश्वरोही सेना का गठन सम्भव हो सका था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली के आधार पर होता था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली–
सर-ए-खेल के अन्तर्गत दस अश्वारोही,
सिपाहसालार के अन्तर्गत दस सर-ए-खैल,
अमीर के अन्तर्गत दस सिपासहलार
मलिक के अन्तर्गत दस अमीर
खान के अन्तर्गत दस मलिक होते थे।
Incorrect
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तन्त्र का प्रधान सुल्तान होता था अर्थात वही प्रमुख सेना नायक था।
सैन्य संगठन एवं प्रशासन के एक पृथक विभाग ‘दीवान-ए-अर्ज’ होता था
‘दीवान-ए-अर्ज का प्रधान ‘आरिज-ए-ममालिक’ कहलाता था।
सेनाएं दो प्रकार की होती थीं-एक वह सेना जो राजधानी में नियुक्त होती थी, हुश्म-ए-कल्ब’ कहलाती थी
दूसरी सेना जो हश्म-ए-अतरफ’, जो प्रांतों में नियुक्त की जाती थी।
सेना के कई अंग- घोड़ा, हाथी, पैदल आदि होते थे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण अंग ‘अश्वरोही सेना’ होती थी।
इस समय में घोड़ों का आयात अरब, तुर्किस्तान, रूस तथा अन्य देशों से किया जाता था।
घोडों की दाग प्रथा के द्वारा अच्छी अश्वरोही सेना का गठन सम्भव हो सका था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली के आधार पर होता था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली–
सर-ए-खेल के अन्तर्गत दस अश्वारोही,
सिपाहसालार के अन्तर्गत दस सर-ए-खैल,
अमीर के अन्तर्गत दस सिपासहलार
मलिक के अन्तर्गत दस अमीर
खान के अन्तर्गत दस मलिक होते थे।
Unattempted
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तन्त्र का प्रधान सुल्तान होता था अर्थात वही प्रमुख सेना नायक था।
सैन्य संगठन एवं प्रशासन के एक पृथक विभाग ‘दीवान-ए-अर्ज’ होता था
‘दीवान-ए-अर्ज का प्रधान ‘आरिज-ए-ममालिक’ कहलाता था।
सेनाएं दो प्रकार की होती थीं-एक वह सेना जो राजधानी में नियुक्त होती थी, हुश्म-ए-कल्ब’ कहलाती थी
दूसरी सेना जो हश्म-ए-अतरफ’, जो प्रांतों में नियुक्त की जाती थी।
सेना के कई अंग- घोड़ा, हाथी, पैदल आदि होते थे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण अंग ‘अश्वरोही सेना’ होती थी।
इस समय में घोड़ों का आयात अरब, तुर्किस्तान, रूस तथा अन्य देशों से किया जाता था।
घोडों की दाग प्रथा के द्वारा अच्छी अश्वरोही सेना का गठन सम्भव हो सका था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली के आधार पर होता था।
सेना का गठन दशमलव प्रणाली–
सर-ए-खेल के अन्तर्गत दस अश्वारोही,
सिपाहसालार के अन्तर्गत दस सर-ए-खैल,
अमीर के अन्तर्गत दस सिपासहलार
मलिक के अन्तर्गत दस अमीर
खान के अन्तर्गत दस मलिक होते थे।
Question 16 of 60
16. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सल्तनत काल का इतिहासकार नहीं था? –
Correct
व्याख्या-
अमीर खुसरो, इब्नबतूता तथा जियाउद्दीन बरनी ये तीनों सल्तनत कालीन इतिहासकार थे।
अमीर खुसरो में ‘खजाइनुल-फुतूह, के द्वारा अलाउद्दीन खिलजी का वर्णन किया
इब्नबतूता ने रेहला’ में मुहम्मद बिन तुगलक का वर्णन किया
जियाउद्दीन बरनी ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में फिरोजशाह तुगलंक का वर्णन किया।
‘अब्दुल कादिर बदायूँनी’ मुगल कालीन इतिहासकार था।
बदायूँनी ने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘मुन्तखब-उत-तवारिख’ की रचना की।
बदायूँनी अकबर के समय का था
बदायूँनी ने अकबर की नीतियों का कड़ा विरोध किया।
बदायूँनी ने अकबर की सर्वधर्म समभाव की कड़ी आलोचना की थी।
Incorrect
व्याख्या-
अमीर खुसरो, इब्नबतूता तथा जियाउद्दीन बरनी ये तीनों सल्तनत कालीन इतिहासकार थे।
अमीर खुसरो में ‘खजाइनुल-फुतूह, के द्वारा अलाउद्दीन खिलजी का वर्णन किया
इब्नबतूता ने रेहला’ में मुहम्मद बिन तुगलक का वर्णन किया
जियाउद्दीन बरनी ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में फिरोजशाह तुगलंक का वर्णन किया।
‘अब्दुल कादिर बदायूँनी’ मुगल कालीन इतिहासकार था।
बदायूँनी ने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘मुन्तखब-उत-तवारिख’ की रचना की।
बदायूँनी अकबर के समय का था
बदायूँनी ने अकबर की नीतियों का कड़ा विरोध किया।
बदायूँनी ने अकबर की सर्वधर्म समभाव की कड़ी आलोचना की थी।
Unattempted
व्याख्या-
अमीर खुसरो, इब्नबतूता तथा जियाउद्दीन बरनी ये तीनों सल्तनत कालीन इतिहासकार थे।
अमीर खुसरो में ‘खजाइनुल-फुतूह, के द्वारा अलाउद्दीन खिलजी का वर्णन किया
इब्नबतूता ने रेहला’ में मुहम्मद बिन तुगलक का वर्णन किया
जियाउद्दीन बरनी ने ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में फिरोजशाह तुगलंक का वर्णन किया।
‘अब्दुल कादिर बदायूँनी’ मुगल कालीन इतिहासकार था।
बदायूँनी ने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘मुन्तखब-उत-तवारिख’ की रचना की।
बदायूँनी अकबर के समय का था
बदायूँनी ने अकबर की नीतियों का कड़ा विरोध किया।
बदायूँनी ने अकबर की सर्वधर्म समभाव की कड़ी आलोचना की थी।
Question 17 of 60
17. Question
1 points
तुगलकाबाद के किले का निर्माण किसने कराया था
Correct
गियासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नामक किले का निर्माण करवाया।
गियासुद्दीन तुगलक ने अपने निवास के लिए यहाँ एक महल का निर्माण करवाया, जिसका नाम छप्पन कोट था।
Incorrect
गियासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नामक किले का निर्माण करवाया।
गियासुद्दीन तुगलक ने अपने निवास के लिए यहाँ एक महल का निर्माण करवाया, जिसका नाम छप्पन कोट था।
Unattempted
गियासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नामक किले का निर्माण करवाया।
गियासुद्दीन तुगलक ने अपने निवास के लिए यहाँ एक महल का निर्माण करवाया, जिसका नाम छप्पन कोट था।
Question 18 of 60
18. Question
1 points
जकात क्या थी
Correct
व्याख्या-
जकात मुसलमानों से लिया जाने वाला धार्मिक कर था।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
सम्पति की वह न्यूनतम मात्रा, जिसके ऊपर जकात लिया जाता था ‘निसाब’ कहलाती थी।
जकात को “सदका कर’ भी कहा जाता था।
Incorrect
व्याख्या-
जकात मुसलमानों से लिया जाने वाला धार्मिक कर था।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
सम्पति की वह न्यूनतम मात्रा, जिसके ऊपर जकात लिया जाता था ‘निसाब’ कहलाती थी।
जकात को “सदका कर’ भी कहा जाता था।
Unattempted
व्याख्या-
जकात मुसलमानों से लिया जाने वाला धार्मिक कर था।
धार्मिक कर-
धार्मिक कर के अन्तर्गत ‘जकात’ आता था जो केवल मुसलमानों से ही वसूल किया जाता था।
जकात का प्रयोग तीन प्रमुख सन्दर्भ में किया गया-सम्पत्ति कर, उस्र एवं वस्तुओं पर आयात-निर्यात कर।
प्रत्येक मुसलमान को अपनी चल-अचल सम्पत्ति की मात्रा एवं मूल्य का 1/40 अंश जकात के रूप में देना होता था। जकात धनराशि का उपयोग निर्धनों, असहायों, तथा अन्य मुसलमानों की सहायतार्थ किया जाता था।
सम्पति की वह न्यूनतम मात्रा, जिसके ऊपर जकात लिया जाता था ‘निसाब’ कहलाती थी।
जकात को “सदका कर’ भी कहा जाता था।
Question 19 of 60
19. Question
1 points
इस्लाम में शरियत का सम्बन्ध किससे है-
Correct
व्याख्या –
मुहम्मद साहब के बताये हुए नियम एवं इस्लामी सिद्धान्त ‘शरिअत’ के नाम से प्रसिद्ध है।
इस्लामी नियमों एवं सिद्धान्तों के लिए शब्द ‘शरा’ का प्रयोग होता था।
इस्लाम में शरियत का सम्बन्ध कानून तथा न्याय से है
दिल्ली सल्तनत में इस्लामी कानून के चार मुख्य स्रोत थे।
(1) कुरान
(2) हदीस
(3) इजमा
(1) कयास
कुरान’- में वे दैवी उपदेश थे जो मुहम्मद साहब को ईश्वर का संदेश वाहक तथा पैगम्बर बनने के उपरान्त प्राप्त हुए थे।
‘हदीस’ -मुहम्मद साहब ने समय-समय पर कानून एवं धर्म सम्बन्धी जो बाते कहीं वे ‘हदीस’ में संकलित की गयी कुरान में कहे गये उपदेशों की जब कभी व्याख्या की आवश्यकता हुई तो वे व्याख्याएं ‘हदीस’ में साम्मिलित कर ली गयीं।
‘इजमा – मुस्लमान समाज के हित में बनाये वाले (विधिवेत्ताओं द्वारा) नियमों को ‘इजमा । कहा जाता है।
कयास‘ -अबू हनीफ ने जब कुरान, हदीस तथा इजमा के आधार पर विधि के सिद्धान्तों को विश्लेषण द्वारा प्रतिपादित किया तो उसे कयास’ कहा गया।
इस्लामी कानून के इन चार प्रमुख स्रोतों के अतिरिक्त समाज की परम्पराएं एवं रीतियां भी धीरे-धीरे इस्लामी कानून के रूप में मानी जाने लगी। इस प्रकार इस्लामी कानून का विधिवत विकास होता रहा।
Incorrect
व्याख्या –
मुहम्मद साहब के बताये हुए नियम एवं इस्लामी सिद्धान्त ‘शरिअत’ के नाम से प्रसिद्ध है।
इस्लामी नियमों एवं सिद्धान्तों के लिए शब्द ‘शरा’ का प्रयोग होता था।
इस्लाम में शरियत का सम्बन्ध कानून तथा न्याय से है
दिल्ली सल्तनत में इस्लामी कानून के चार मुख्य स्रोत थे।
(1) कुरान
(2) हदीस
(3) इजमा
(1) कयास
कुरान’- में वे दैवी उपदेश थे जो मुहम्मद साहब को ईश्वर का संदेश वाहक तथा पैगम्बर बनने के उपरान्त प्राप्त हुए थे।
‘हदीस’ -मुहम्मद साहब ने समय-समय पर कानून एवं धर्म सम्बन्धी जो बाते कहीं वे ‘हदीस’ में संकलित की गयी कुरान में कहे गये उपदेशों की जब कभी व्याख्या की आवश्यकता हुई तो वे व्याख्याएं ‘हदीस’ में साम्मिलित कर ली गयीं।
‘इजमा – मुस्लमान समाज के हित में बनाये वाले (विधिवेत्ताओं द्वारा) नियमों को ‘इजमा । कहा जाता है।
कयास‘ -अबू हनीफ ने जब कुरान, हदीस तथा इजमा के आधार पर विधि के सिद्धान्तों को विश्लेषण द्वारा प्रतिपादित किया तो उसे कयास’ कहा गया।
इस्लामी कानून के इन चार प्रमुख स्रोतों के अतिरिक्त समाज की परम्पराएं एवं रीतियां भी धीरे-धीरे इस्लामी कानून के रूप में मानी जाने लगी। इस प्रकार इस्लामी कानून का विधिवत विकास होता रहा।
Unattempted
व्याख्या –
मुहम्मद साहब के बताये हुए नियम एवं इस्लामी सिद्धान्त ‘शरिअत’ के नाम से प्रसिद्ध है।
इस्लामी नियमों एवं सिद्धान्तों के लिए शब्द ‘शरा’ का प्रयोग होता था।
इस्लाम में शरियत का सम्बन्ध कानून तथा न्याय से है
दिल्ली सल्तनत में इस्लामी कानून के चार मुख्य स्रोत थे।
(1) कुरान
(2) हदीस
(3) इजमा
(1) कयास
कुरान’- में वे दैवी उपदेश थे जो मुहम्मद साहब को ईश्वर का संदेश वाहक तथा पैगम्बर बनने के उपरान्त प्राप्त हुए थे।
‘हदीस’ -मुहम्मद साहब ने समय-समय पर कानून एवं धर्म सम्बन्धी जो बाते कहीं वे ‘हदीस’ में संकलित की गयी कुरान में कहे गये उपदेशों की जब कभी व्याख्या की आवश्यकता हुई तो वे व्याख्याएं ‘हदीस’ में साम्मिलित कर ली गयीं।
‘इजमा – मुस्लमान समाज के हित में बनाये वाले (विधिवेत्ताओं द्वारा) नियमों को ‘इजमा । कहा जाता है।
कयास‘ -अबू हनीफ ने जब कुरान, हदीस तथा इजमा के आधार पर विधि के सिद्धान्तों को विश्लेषण द्वारा प्रतिपादित किया तो उसे कयास’ कहा गया।
इस्लामी कानून के इन चार प्रमुख स्रोतों के अतिरिक्त समाज की परम्पराएं एवं रीतियां भी धीरे-धीरे इस्लामी कानून के रूप में मानी जाने लगी। इस प्रकार इस्लामी कानून का विधिवत विकास होता रहा।
Question 20 of 60
20. Question
1 points
मिनहाज-उस-सिराज कौन था
Correct
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज ने अपनी पुस्तक ‘तबकाते-नासिरी’ में कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल तक (1260ई.) का क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत किया है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को समर्पित की है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तकं नासिरुद्दीन महमूद के संरक्षण में ही पूरी की।
Incorrect
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज ने अपनी पुस्तक ‘तबकाते-नासिरी’ में कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल तक (1260ई.) का क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत किया है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को समर्पित की है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तकं नासिरुद्दीन महमूद के संरक्षण में ही पूरी की।
Unattempted
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज ने अपनी पुस्तक ‘तबकाते-नासिरी’ में कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल तक (1260ई.) का क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत किया है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को समर्पित की है।
मिनहाज ने अपनी पुस्तकं नासिरुद्दीन महमूद के संरक्षण में ही पूरी की।
Question 21 of 60
21. Question
1 points
वह कौन सुल्तान था जिसने 1504 में आगरा का निर्माण कराया और उसे अपनी राजधानी बनाया
Correct
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Incorrect
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Unattempted
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Question 22 of 60
22. Question
1 points
आरिज-ए-मुमालिक किस विभाग का प्रबंधकर्ता था।
Correct
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तंत्र का प्रधान सुल्तान ही होता था अर्थात वही सेनानायक होता था।
सेना के संगठन एवं प्रशासन के लिए एक पृथक मंत्रालय होता था जिसे ‘दीवाने-ए-आजिर’ कहा जाता था।
इसका अध्यक्ष ‘आरिज-ए-मुमालिक’ कहलाता था। आरिज-मुमालिक ही सेना की रखरखाव,, उसके प्रशिक्षण, ‘दीवाने-ए-आजिर की दक्षता और उसके प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता था।
सैनिकों को वेतन का वितरण भी ‘आरिज-ए-मुमालिक’ के माध्यम से ही होता था।
Incorrect
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तंत्र का प्रधान सुल्तान ही होता था अर्थात वही सेनानायक होता था।
सेना के संगठन एवं प्रशासन के लिए एक पृथक मंत्रालय होता था जिसे ‘दीवाने-ए-आजिर’ कहा जाता था।
इसका अध्यक्ष ‘आरिज-ए-मुमालिक’ कहलाता था। आरिज-मुमालिक ही सेना की रखरखाव,, उसके प्रशिक्षण, ‘दीवाने-ए-आजिर की दक्षता और उसके प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता था।
सैनिकों को वेतन का वितरण भी ‘आरिज-ए-मुमालिक’ के माध्यम से ही होता था।
Unattempted
व्याख्या-
सल्तनत कालीन सैन्य तंत्र का प्रधान सुल्तान ही होता था अर्थात वही सेनानायक होता था।
सेना के संगठन एवं प्रशासन के लिए एक पृथक मंत्रालय होता था जिसे ‘दीवाने-ए-आजिर’ कहा जाता था।
इसका अध्यक्ष ‘आरिज-ए-मुमालिक’ कहलाता था। आरिज-मुमालिक ही सेना की रखरखाव,, उसके प्रशिक्षण, ‘दीवाने-ए-आजिर की दक्षता और उसके प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता था।
सैनिकों को वेतन का वितरण भी ‘आरिज-ए-मुमालिक’ के माध्यम से ही होता था।
Question 23 of 60
23. Question
1 points
आगरा शहर का संस्थापक कौन था
Correct
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Incorrect
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Unattempted
व्याख्या-
आगरा नगर की स्थापना 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने की थी।
सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था ताकि दोआब पर नियंत्रण रखा जा सके और राजपूतों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को विफल बनाया जा सके।
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली सल्तनत के क्षेत्रों में अधिकतम वृद्धि सिकन्दर के समय में हुई।
सिकन्दर साहित्यिक अभिरुचि रखता था वह ‘गुलरुखी’ उपनाम से स्वयं फारसी में पद्य रचनाएं करता था।
सिकन्दर लोदी ने ‘फरहंगे सिकन्दरी नाम से फारसी में आयुर्वेद के एक संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद प्रकाशित करवाया।
सिकन्दर लोदी भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-सिकन्दर शाही नाम से लिखा गया।
Question 24 of 60
24. Question
1 points
सल्तनत काल में कला और स्थापत्य किनके मिश्रण थे
Correct
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद तुर्कों ने भारत में जिस कला शैली की विकास किया, उसे इण्डो इस्लामिक शैली कहा जाता है।
यह शैली भारतीय इस्लामी दोनों शैलियों के मिश्रण से विकसित हुई।
इसकी प्रमुख विशेषता ‘मेहराब’ और ‘गुम्बद का प्रयोग है।
तुर्कों ने यह परम्परा रोमन (इटली) के शासकों से ग्रहण की थी।
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद तुर्कों ने भारत में जिस कला शैली की विकास किया, उसे इण्डो इस्लामिक शैली कहा जाता है।
यह शैली भारतीय इस्लामी दोनों शैलियों के मिश्रण से विकसित हुई।
इसकी प्रमुख विशेषता ‘मेहराब’ और ‘गुम्बद का प्रयोग है।
तुर्कों ने यह परम्परा रोमन (इटली) के शासकों से ग्रहण की थी।
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद तुर्कों ने भारत में जिस कला शैली की विकास किया, उसे इण्डो इस्लामिक शैली कहा जाता है।
यह शैली भारतीय इस्लामी दोनों शैलियों के मिश्रण से विकसित हुई।
इसकी प्रमुख विशेषता ‘मेहराब’ और ‘गुम्बद का प्रयोग है।
तुर्कों ने यह परम्परा रोमन (इटली) के शासकों से ग्रहण की थी।
Question 25 of 60
25. Question
1 points
‘तबकाते नासिरी’ किसकी रचना है?
Correct
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन सिराज ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है–
इसमें मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी के आधार पर वर्णन है।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Incorrect
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन सिराज ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है–
इसमें मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी के आधार पर वर्णन है।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Unattempted
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन सिराज ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है–
इसमें मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी के आधार पर वर्णन है।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Question 26 of 60
26. Question
1 points
पर्सीब्राउन ने किसके बारे में लिखा.
Correct
व्याख्या-
पर्सीब्राउन ने भारतीय स्थापत्य कला का सजीव वर्णन किया है।
पर्सीब्राउन ने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे के बारे में में लिखा है कि इसकी शैली इस्लामी शैली की बौद्धिकता तथा गाम्भीर्य की अपेक्षा मंदिर निर्माता की स्वतन्त्र कल्पना का परिचय प्रदान करती है।
पर्सीब्राउन ने आगरे किले के दक्षिणी दरवाजे के बारे में लिखा है कि “नि: संदेह यह भारत के सबसे अधिक प्रभावशाली दरवाजों में से एक है।
Incorrect
व्याख्या-
पर्सीब्राउन ने भारतीय स्थापत्य कला का सजीव वर्णन किया है।
पर्सीब्राउन ने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे के बारे में में लिखा है कि इसकी शैली इस्लामी शैली की बौद्धिकता तथा गाम्भीर्य की अपेक्षा मंदिर निर्माता की स्वतन्त्र कल्पना का परिचय प्रदान करती है।
पर्सीब्राउन ने आगरे किले के दक्षिणी दरवाजे के बारे में लिखा है कि “नि: संदेह यह भारत के सबसे अधिक प्रभावशाली दरवाजों में से एक है।
Unattempted
व्याख्या-
पर्सीब्राउन ने भारतीय स्थापत्य कला का सजीव वर्णन किया है।
पर्सीब्राउन ने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे के बारे में में लिखा है कि इसकी शैली इस्लामी शैली की बौद्धिकता तथा गाम्भीर्य की अपेक्षा मंदिर निर्माता की स्वतन्त्र कल्पना का परिचय प्रदान करती है।
पर्सीब्राउन ने आगरे किले के दक्षिणी दरवाजे के बारे में लिखा है कि “नि: संदेह यह भारत के सबसे अधिक प्रभावशाली दरवाजों में से एक है।
Question 27 of 60
27. Question
1 points
सल्तनत काल में
Correct
व्याख्या –
सल्तनत काल में आंतरिक एवं वाह्य व्यापार उन्नति पर था।
देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो सामग्री बचती थी उसे निर्यात कर दिया जाता था।
आयातित सामानों में मुख्य वस्तुएं रेशम, मलमल, जड़ाऊ वस्तुएं, घोड़ें आदि का चीन, जापान, मलक्का, अरब आदि देशों से आयात किया जाता था।
निर्यात में मुख्य रूप से कपड़े अनाज, नील, अफीम, काली मिर्च, सुगन्धित ककड़ी आदि का मलाया, पूर्वी समूहों और अफ्रीका आदि देशों में किया जाता था।
मध्यकाल में हिन्दुओं पर सूफीवाद ने हिन्दू और मुस्लिम के बीच खाई को कम करने का कार्य किया।
‘उर्दू की उत्पत्ति सल्तनत काल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उर्दू की उत्पत्ति फारसी और हिन्दी के समिश्रण से हुई।
Incorrect
व्याख्या –
सल्तनत काल में आंतरिक एवं वाह्य व्यापार उन्नति पर था।
देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो सामग्री बचती थी उसे निर्यात कर दिया जाता था।
आयातित सामानों में मुख्य वस्तुएं रेशम, मलमल, जड़ाऊ वस्तुएं, घोड़ें आदि का चीन, जापान, मलक्का, अरब आदि देशों से आयात किया जाता था।
निर्यात में मुख्य रूप से कपड़े अनाज, नील, अफीम, काली मिर्च, सुगन्धित ककड़ी आदि का मलाया, पूर्वी समूहों और अफ्रीका आदि देशों में किया जाता था।
मध्यकाल में हिन्दुओं पर सूफीवाद ने हिन्दू और मुस्लिम के बीच खाई को कम करने का कार्य किया।
‘उर्दू की उत्पत्ति सल्तनत काल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उर्दू की उत्पत्ति फारसी और हिन्दी के समिश्रण से हुई।
Unattempted
व्याख्या –
सल्तनत काल में आंतरिक एवं वाह्य व्यापार उन्नति पर था।
देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो सामग्री बचती थी उसे निर्यात कर दिया जाता था।
आयातित सामानों में मुख्य वस्तुएं रेशम, मलमल, जड़ाऊ वस्तुएं, घोड़ें आदि का चीन, जापान, मलक्का, अरब आदि देशों से आयात किया जाता था।
निर्यात में मुख्य रूप से कपड़े अनाज, नील, अफीम, काली मिर्च, सुगन्धित ककड़ी आदि का मलाया, पूर्वी समूहों और अफ्रीका आदि देशों में किया जाता था।
मध्यकाल में हिन्दुओं पर सूफीवाद ने हिन्दू और मुस्लिम के बीच खाई को कम करने का कार्य किया।
‘उर्दू की उत्पत्ति सल्तनत काल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उर्दू की उत्पत्ति फारसी और हिन्दी के समिश्रण से हुई।
Question 28 of 60
28. Question
1 points
मिनहाज उस सिराज किन शासकों का समकालीन था
Correct
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज प्रारम्भ में उच्छ के नासिरूद्दीन कुबाचा की सेवा में था।
इल्तुतमिश ‘ने कुबाचा को पराजित किया तब मिनहाज इल्तुतमिश के साथ दिल्ली आये।
सुल्तान रजिया के शासन काल में मिनहाज-उस-सिराज को दिल्ली का काजी बनाया गया।
नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल मिनहाज ने अपनी पुस्तक ‘तबकात-नासिरी पूरी की
तबकात-नासिरी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को ही समर्पित है।
मिनहाज-उस-सिराज दिल्ली के छ: दासवंशीय सुल्तानों के शासनकाल में रहे।
Incorrect
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज प्रारम्भ में उच्छ के नासिरूद्दीन कुबाचा की सेवा में था।
इल्तुतमिश ‘ने कुबाचा को पराजित किया तब मिनहाज इल्तुतमिश के साथ दिल्ली आये।
सुल्तान रजिया के शासन काल में मिनहाज-उस-सिराज को दिल्ली का काजी बनाया गया।
नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल मिनहाज ने अपनी पुस्तक ‘तबकात-नासिरी पूरी की
तबकात-नासिरी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को ही समर्पित है।
मिनहाज-उस-सिराज दिल्ली के छ: दासवंशीय सुल्तानों के शासनकाल में रहे।
Unattempted
व्याख्या –
मिनहाज-उस-सिराज प्रारम्भ में उच्छ के नासिरूद्दीन कुबाचा की सेवा में था।
इल्तुतमिश ‘ने कुबाचा को पराजित किया तब मिनहाज इल्तुतमिश के साथ दिल्ली आये।
सुल्तान रजिया के शासन काल में मिनहाज-उस-सिराज को दिल्ली का काजी बनाया गया।
नासिरूद्दीन महमूद के शासनकाल मिनहाज ने अपनी पुस्तक ‘तबकात-नासिरी पूरी की
तबकात-नासिरी पुस्तक नासिरूद्दीन महमूद को ही समर्पित है।
मिनहाज-उस-सिराज दिल्ली के छ: दासवंशीय सुल्तानों के शासनकाल में रहे।
Question 29 of 60
29. Question
1 points
अमीर खुसरो किसका समकालीन था.
Correct
व्याख्या •
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Incorrect
व्याख्या •
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Unattempted
व्याख्या •
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Question 30 of 60
30. Question
1 points
शर्ब कर किस पर लागू होता था.
Correct
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने हक-ए-शर्ब’ नामक सिंचाई कर लगाया।
यह कर शाही नहरों से सिंचाई करने वालों से लिया जाता था।
हक-ए-शर्ब’ आय का 1/10 भाग (10%) लिया जाता था।
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने हक-ए-शर्ब’ नामक सिंचाई कर लगाया।
यह कर शाही नहरों से सिंचाई करने वालों से लिया जाता था।
हक-ए-शर्ब’ आय का 1/10 भाग (10%) लिया जाता था।
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने हक-ए-शर्ब’ नामक सिंचाई कर लगाया।
यह कर शाही नहरों से सिंचाई करने वालों से लिया जाता था।
हक-ए-शर्ब’ आय का 1/10 भाग (10%) लिया जाता था।
Question 31 of 60
31. Question
1 points
मुकद्दम क्या थे
Correct
व्याख्या-
केन्द्र-प्रान्त (इक्ता)- शिक-परगना-ग्राम
प्रत्येक परगना के अन्तर्गत अनेक गाँव होते थे।
गाँव का प्रधान मुकदम’ कहलाता था जो भूमि कर की वसूली में राजस्व कर्मचारियों की सहायता करता था।
मुकददम गाँव में शांति एवं सुव्यवस्था की स्थापना के लिए उत्तरदायी होता था।
गाँव का दूसरा अधिकारी पटवारी कहलाता था जो गांव की समस्त भूमि का ब्यौरा रखता था।
पटवारी राजस्व विभाग का सबसे निम्न वर्ग का अधिकारी होता था
अबुल फजल गाँव प्रशासन के विषय में कोई जानकारी नहीं प्रदान करता है।
Incorrect
व्याख्या-
केन्द्र-प्रान्त (इक्ता)- शिक-परगना-ग्राम
प्रत्येक परगना के अन्तर्गत अनेक गाँव होते थे।
गाँव का प्रधान मुकदम’ कहलाता था जो भूमि कर की वसूली में राजस्व कर्मचारियों की सहायता करता था।
मुकददम गाँव में शांति एवं सुव्यवस्था की स्थापना के लिए उत्तरदायी होता था।
गाँव का दूसरा अधिकारी पटवारी कहलाता था जो गांव की समस्त भूमि का ब्यौरा रखता था।
पटवारी राजस्व विभाग का सबसे निम्न वर्ग का अधिकारी होता था
अबुल फजल गाँव प्रशासन के विषय में कोई जानकारी नहीं प्रदान करता है।
Unattempted
व्याख्या-
केन्द्र-प्रान्त (इक्ता)- शिक-परगना-ग्राम
प्रत्येक परगना के अन्तर्गत अनेक गाँव होते थे।
गाँव का प्रधान मुकदम’ कहलाता था जो भूमि कर की वसूली में राजस्व कर्मचारियों की सहायता करता था।
मुकददम गाँव में शांति एवं सुव्यवस्था की स्थापना के लिए उत्तरदायी होता था।
गाँव का दूसरा अधिकारी पटवारी कहलाता था जो गांव की समस्त भूमि का ब्यौरा रखता था।
पटवारी राजस्व विभाग का सबसे निम्न वर्ग का अधिकारी होता था
अबुल फजल गाँव प्रशासन के विषय में कोई जानकारी नहीं प्रदान करता है।
Question 32 of 60
32. Question
1 points
फिरोज तुगलक के समय में क्या हुआ
Correct
व्याख्या-
फिरोज तुगलक ने अपनी उदारता एवं धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करते हुए समस्त कर प्रणाली की पुर्नस्थापना की।
फिरोज तुगलक ने 24 कष्टदायी करों को समाप्त कर दिया।
फिरोज तुगलक ने मुहम्मद तुगलक के काल के सभी ऋण (तकाबी) माफ कर दिये।
फिरोज तुगलक ने शरियत के अनुमति के अनुसार केवल चार करों- जजिया, जकात, खम्स और खराज को ही लागू किया।
फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर जजिया कर आरोपित कर दिया
फिरोज तुगलक ने खम्स का 1/5 भाग पुन: अपने लिए रखा और 4/5 भाग सैनिको में बांट दिया ।
सुल्तान अलाउद्दीन एवं मुहम्मद तुगलक के समय खम्स का 4/5 भाग अपने लिए रखते थे तथा शेष 1/5 भाग सैनिकों में बाँटते थे।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज तुगलक ने अपनी उदारता एवं धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करते हुए समस्त कर प्रणाली की पुर्नस्थापना की।
फिरोज तुगलक ने 24 कष्टदायी करों को समाप्त कर दिया।
फिरोज तुगलक ने मुहम्मद तुगलक के काल के सभी ऋण (तकाबी) माफ कर दिये।
फिरोज तुगलक ने शरियत के अनुमति के अनुसार केवल चार करों- जजिया, जकात, खम्स और खराज को ही लागू किया।
फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर जजिया कर आरोपित कर दिया
फिरोज तुगलक ने खम्स का 1/5 भाग पुन: अपने लिए रखा और 4/5 भाग सैनिको में बांट दिया ।
सुल्तान अलाउद्दीन एवं मुहम्मद तुगलक के समय खम्स का 4/5 भाग अपने लिए रखते थे तथा शेष 1/5 भाग सैनिकों में बाँटते थे।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज तुगलक ने अपनी उदारता एवं धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करते हुए समस्त कर प्रणाली की पुर्नस्थापना की।
फिरोज तुगलक ने 24 कष्टदायी करों को समाप्त कर दिया।
फिरोज तुगलक ने मुहम्मद तुगलक के काल के सभी ऋण (तकाबी) माफ कर दिये।
फिरोज तुगलक ने शरियत के अनुमति के अनुसार केवल चार करों- जजिया, जकात, खम्स और खराज को ही लागू किया।
फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर जजिया कर आरोपित कर दिया
फिरोज तुगलक ने खम्स का 1/5 भाग पुन: अपने लिए रखा और 4/5 भाग सैनिको में बांट दिया ।
सुल्तान अलाउद्दीन एवं मुहम्मद तुगलक के समय खम्स का 4/5 भाग अपने लिए रखते थे तथा शेष 1/5 भाग सैनिकों में बाँटते थे।
Question 33 of 60
33. Question
1 points
बरनी किसके शासन काल में था
Correct
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं-
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Incorrect
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं-
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Unattempted
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं-
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Question 34 of 60
34. Question
1 points
अमीर खुसरो किसके समय था
Correct
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Incorrect
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Unattempted
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Question 35 of 60
35. Question
1 points
तारीख-ए- फिरोजशाही’ का लेखक कौन है
Correct
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं–
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Incorrect
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं–
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Unattempted
व्याख्या-
बरनी का जन्म 1285 ई. में दिल्ली के सम्पन्न सैयद परिवार में हुआ था।
बरनी की रचनाएं–
‘तारीखे-फिरोजशाही’
‘फतवां-ए-जहांदारी’
बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 17 वर्षों का समय गुजारा था।
बरनी को फिरोज ने कुछ समय तक जेल में भी डाल दिया था।
बरनी ने अपनी पुस्तक ‘फतवा-ए-जहांदारी की रचना जेल में ही की थी।
Question 36 of 60
36. Question
1 points
ऐबक ने किसके सम्मान में ‘कुतुबमीनार’ बनाने की योजना बनायी थी?
Correct
व्याख्या-
कुतुबमीनार–
निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत ‘कुतुबुद्दीन’ बख्तियार काकी’ की याद से प्रारम्भ करवाया था।
कुतुबमीनार दिल्ली में स्थित है इल्तुतमिश के काल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
कुतुबमीनार का निर्माण मुअज्जिन के आजान देने के लिए किया गया था।
कुतुबमीनार की ऊँचाई 242 फीट है और नीचे से ऊपर की ओर पतली होती गयी है।
यह गोलाकार तथा पंचमंलिजी इमारत है।
इसके बाहरी भाग पर अरबी एवं फारसी में लेख अंकित है।
फिरोज शाह तुगलक के काल में बिजली गिरने से इसकी एक मंजिल क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसे फिरोज ने उसके स्थान पर दो और मंजिलों का निर्माण करवा दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
कुतुबमीनार–
निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत ‘कुतुबुद्दीन’ बख्तियार काकी’ की याद से प्रारम्भ करवाया था।
कुतुबमीनार दिल्ली में स्थित है इल्तुतमिश के काल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
कुतुबमीनार का निर्माण मुअज्जिन के आजान देने के लिए किया गया था।
कुतुबमीनार की ऊँचाई 242 फीट है और नीचे से ऊपर की ओर पतली होती गयी है।
यह गोलाकार तथा पंचमंलिजी इमारत है।
इसके बाहरी भाग पर अरबी एवं फारसी में लेख अंकित है।
फिरोज शाह तुगलक के काल में बिजली गिरने से इसकी एक मंजिल क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसे फिरोज ने उसके स्थान पर दो और मंजिलों का निर्माण करवा दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
कुतुबमीनार–
निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत ‘कुतुबुद्दीन’ बख्तियार काकी’ की याद से प्रारम्भ करवाया था।
कुतुबमीनार दिल्ली में स्थित है इल्तुतमिश के काल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
कुतुबमीनार का निर्माण मुअज्जिन के आजान देने के लिए किया गया था।
कुतुबमीनार की ऊँचाई 242 फीट है और नीचे से ऊपर की ओर पतली होती गयी है।
यह गोलाकार तथा पंचमंलिजी इमारत है।
इसके बाहरी भाग पर अरबी एवं फारसी में लेख अंकित है।
फिरोज शाह तुगलक के काल में बिजली गिरने से इसकी एक मंजिल क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसे फिरोज ने उसके स्थान पर दो और मंजिलों का निर्माण करवा दिया था।
Question 37 of 60
37. Question
1 points
आर्थिक सुधार करने वाला पहला सुल्तान था?
Correct
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था जिसने आर्थिक सुधार लागू किया।
आर्थिक सुधार के पीछे अलाउद्दीन का उद्देश्य एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का विस्तृत वर्णन जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही में किया है।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का वर्णन खजाइनुल-फुतूह (खुसरो), फुतूहसलातीन (इसामी) तथा रेहला (इब्नबतूता) में वर्णन मिलता है।
अलाउद्दीन ने ‘बिस्वा’ को पैमाइश की इकाई मानकर लगान निश्चित किया।
अलाउद्दीन ने सभी राजकीय अनुदानों (मिल्क). पुरस्कार (इनाम) और वक्फ भूमियों को छीनकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया।
अलाउद्दीन ने गाँव के राजस्व अधिकारियों- मुकदमों तथा खुतों के विशेषाधिकार छीन उन पर अंकुश लगा दिया। अलाउद्दीन ने राजस्व की दर बढ़ा कर 50% कर दिया।
अलाउद्दीन ने गृहकर (घरी) तथा चारागाहकर (चरी) भी लगाया।
अलाउद्दीन ने पहली बार सैनिकों को नकद वेतन दिया।
विशाल सेना तैयार की तथा राशनिंग पद्धति लागू करके बाजार नियंत्रण व्यवस्था लागू की
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था जिसने आर्थिक सुधार लागू किया।
आर्थिक सुधार के पीछे अलाउद्दीन का उद्देश्य एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का विस्तृत वर्णन जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही में किया है।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का वर्णन खजाइनुल-फुतूह (खुसरो), फुतूहसलातीन (इसामी) तथा रेहला (इब्नबतूता) में वर्णन मिलता है।
अलाउद्दीन ने ‘बिस्वा’ को पैमाइश की इकाई मानकर लगान निश्चित किया।
अलाउद्दीन ने सभी राजकीय अनुदानों (मिल्क). पुरस्कार (इनाम) और वक्फ भूमियों को छीनकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया।
अलाउद्दीन ने गाँव के राजस्व अधिकारियों- मुकदमों तथा खुतों के विशेषाधिकार छीन उन पर अंकुश लगा दिया। अलाउद्दीन ने राजस्व की दर बढ़ा कर 50% कर दिया।
अलाउद्दीन ने गृहकर (घरी) तथा चारागाहकर (चरी) भी लगाया।
अलाउद्दीन ने पहली बार सैनिकों को नकद वेतन दिया।
विशाल सेना तैयार की तथा राशनिंग पद्धति लागू करके बाजार नियंत्रण व्यवस्था लागू की
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था जिसने आर्थिक सुधार लागू किया।
आर्थिक सुधार के पीछे अलाउद्दीन का उद्देश्य एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का विस्तृत वर्णन जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही में किया है।
अलाउद्दीन के आर्थिक सुधार का वर्णन खजाइनुल-फुतूह (खुसरो), फुतूहसलातीन (इसामी) तथा रेहला (इब्नबतूता) में वर्णन मिलता है।
अलाउद्दीन ने ‘बिस्वा’ को पैमाइश की इकाई मानकर लगान निश्चित किया।
अलाउद्दीन ने सभी राजकीय अनुदानों (मिल्क). पुरस्कार (इनाम) और वक्फ भूमियों को छीनकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया।
अलाउद्दीन ने गाँव के राजस्व अधिकारियों- मुकदमों तथा खुतों के विशेषाधिकार छीन उन पर अंकुश लगा दिया। अलाउद्दीन ने राजस्व की दर बढ़ा कर 50% कर दिया।
अलाउद्दीन ने गृहकर (घरी) तथा चारागाहकर (चरी) भी लगाया।
अलाउद्दीन ने पहली बार सैनिकों को नकद वेतन दिया।
विशाल सेना तैयार की तथा राशनिंग पद्धति लागू करके बाजार नियंत्रण व्यवस्था लागू की
Question 38 of 60
38. Question
1 points
अमीर खुसरो ने ‘मिफ्ता-उल-फुतुह’ की रचना किसके संरक्षण में की थी?
Correct
व्याख्या-
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
खुसरो की पहली मसनवी ‘किरान-उस-सादेन’ थी जिसको उन्होंने 1289 ई. में कैकुबाद के शासन काल में लिखा था।
किरान-उस-सादेन’ में दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामाजिक जीवन के बारे में लिखा है
1291 ई. में उसने जलालुद्दीन खिलजी के शासन काल में मिफ्ता-उल-फुतूह’ की रचना की थी
मिफ्ता-उल-फुतूह में सुल्तान के अभियान मलिक छज्जू का विद्रोह, रणथम्भौर पर आक्रमण और आयन की विजय का वर्णन है
Incorrect
व्याख्या-
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
खुसरो की पहली मसनवी ‘किरान-उस-सादेन’ थी जिसको उन्होंने 1289 ई. में कैकुबाद के शासन काल में लिखा था।
किरान-उस-सादेन’ में दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामाजिक जीवन के बारे में लिखा है
1291 ई. में उसने जलालुद्दीन खिलजी के शासन काल में मिफ्ता-उल-फुतूह’ की रचना की थी
मिफ्ता-उल-फुतूह में सुल्तान के अभियान मलिक छज्जू का विद्रोह, रणथम्भौर पर आक्रमण और आयन की विजय का वर्णन है
Unattempted
व्याख्या-
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने बलबन के अमीर किश्लू खाँ के दरबार में नौकरी की।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरोने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना राजकवि बनाया।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो की दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
खुसरो की पहली मसनवी ‘किरान-उस-सादेन’ थी जिसको उन्होंने 1289 ई. में कैकुबाद के शासन काल में लिखा था।
किरान-उस-सादेन’ में दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामाजिक जीवन के बारे में लिखा है
1291 ई. में उसने जलालुद्दीन खिलजी के शासन काल में मिफ्ता-उल-फुतूह’ की रचना की थी
मिफ्ता-उल-फुतूह में सुल्तान के अभियान मलिक छज्जू का विद्रोह, रणथम्भौर पर आक्रमण और आयन की विजय का वर्णन है
Question 39 of 60
39. Question
1 points
‘अमीर खुसरो’ द्वारा रचित अंतिम मसनवी थी?
Correct
व्याख्या-
अमीर खुसरो’ द्वारा रचित किताबें
किरान-उस-सादेन
ऐतिहासिक विषय को लेकर उसकी पहली रचना है – “किरान-उस-सादेन” जो उन्होंने 1289 ई. में लिखी थी. इसमें बुगरा खां और उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है. इसमें दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामजिक जीवन के विषय में दिलचस्प विवरण दिए गए हैं. इस रचना द्वारा उन्होंने मंगोलों के प्रति अपनी घृणा भी प्रकट की है.
मिफता-उल-फुतूह
मिफता-उल-फुतूह की रचना उन्होंने 1291 ई में की. इस रचने में उन्होंने जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों, मालिक छज्जू का विद्रोह व उसका दमन, रणथम्बौर पर सुलतान की चढ़ाई और अन्य स्थानों की विजय पर विचार किया है.
खजाइन-उल-फुतूह
खजाइन-उल-फुतूह में, जिसे तारीख-ए-अलाई के नाम से भी जाना जाता है, अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पहले 15 वर्षों का चाटुकारितापूर्ण विवरण है. यद्यपि यह रचना मूलतः साहित्यिक है परन्तु फिर भी इसका अपना महत्त्व है क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी का समसामयिक विवरण केवल इसी पुस्तक में मिलता है. इसमें उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा गुजरात, चित्तौड़, मालवा और वारंगल की विजय के विषय में लिखा है. इसमें हमें मालिक काफूर के दक्कन अभियानों का आँखों देखा विवरण मिलता है और भौगोलिक और सैन्य विवरणों की दृष्टि से यह काफी प्रसिद्ध है. इसमें भारत का बड़ा ही अच्छा चित्रण है और साथ ही अलाउद्दीन के भवनों व प्रशासनिक सुधारों का वर्णन किया गया है. परन्तु अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल पर विचार करते समय उनकी दृष्टि आलोचनात्मक नहीं रही है.
आशिका
अमीर खुसरो की एक अन्य रचना “आशिका” का सम्बन्ध गुजरात के राजकरन की पुत्री देवलरानी और अलाउद्दीन के पुत्र खिज्रखां की प्रेमकथा से है. इसमें अलाउद्दीन की गुजरात व आलवा विजय के बारे में चर्चा की गई है. साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों की स्थालाकृति (topography) का वर्णन भी किया है. इसमें वे मंगोलों द्वारा स्वयं अपने कैद किये जाने की चर्चा भी करते हैं.
नूह सिपिहर
एक अन्य पुस्तक जहाँ हिन्दुस्तान और उसके लोगों का अच्छा चित्रण हुआ है वह नूह सिपिहर (Nuh Sipihr) है. इसमें मुबारक खिलजी का बड़ा ही चातुकारतापूर्ण विवरण है. उन्होंने मुबारकशाह के भवनों के विजयों के साथ-साथ जलवायु, सब्जियों, फलों, भाषाओं, दर्शनरम जीवन जैसे विषयों पर विचार किया है. इसमें तत्कालीन सामजिक स्थिति का बड़ा ही जीवंत चित्रण देखने को मिलता है.
तुगलकनामा
खुसरो की अंतिम ऐतिहासिक मसनवी है तुगलकनामा. इसमें खुशरोशाह के विरुद्ध गयासुद्दीन तुगलक की विजय का चित्रण है. पूरी कहानी को धार्मिक रंग में प्रस्तुत किया गया है. इसमें गयासुद्दीन सत् तत्वों का प्रतीक है और उसे असत् तत्वों के अमीर खुसरोशाह के साथ संघर्ष करते दिखाया गया है.
Incorrect
व्याख्या-
अमीर खुसरो’ द्वारा रचित किताबें
किरान-उस-सादेन
ऐतिहासिक विषय को लेकर उसकी पहली रचना है – “किरान-उस-सादेन” जो उन्होंने 1289 ई. में लिखी थी. इसमें बुगरा खां और उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है. इसमें दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामजिक जीवन के विषय में दिलचस्प विवरण दिए गए हैं. इस रचना द्वारा उन्होंने मंगोलों के प्रति अपनी घृणा भी प्रकट की है.
मिफता-उल-फुतूह
मिफता-उल-फुतूह की रचना उन्होंने 1291 ई में की. इस रचने में उन्होंने जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों, मालिक छज्जू का विद्रोह व उसका दमन, रणथम्बौर पर सुलतान की चढ़ाई और अन्य स्थानों की विजय पर विचार किया है.
खजाइन-उल-फुतूह
खजाइन-उल-फुतूह में, जिसे तारीख-ए-अलाई के नाम से भी जाना जाता है, अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पहले 15 वर्षों का चाटुकारितापूर्ण विवरण है. यद्यपि यह रचना मूलतः साहित्यिक है परन्तु फिर भी इसका अपना महत्त्व है क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी का समसामयिक विवरण केवल इसी पुस्तक में मिलता है. इसमें उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा गुजरात, चित्तौड़, मालवा और वारंगल की विजय के विषय में लिखा है. इसमें हमें मालिक काफूर के दक्कन अभियानों का आँखों देखा विवरण मिलता है और भौगोलिक और सैन्य विवरणों की दृष्टि से यह काफी प्रसिद्ध है. इसमें भारत का बड़ा ही अच्छा चित्रण है और साथ ही अलाउद्दीन के भवनों व प्रशासनिक सुधारों का वर्णन किया गया है. परन्तु अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल पर विचार करते समय उनकी दृष्टि आलोचनात्मक नहीं रही है.
आशिका
अमीर खुसरो की एक अन्य रचना “आशिका” का सम्बन्ध गुजरात के राजकरन की पुत्री देवलरानी और अलाउद्दीन के पुत्र खिज्रखां की प्रेमकथा से है. इसमें अलाउद्दीन की गुजरात व आलवा विजय के बारे में चर्चा की गई है. साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों की स्थालाकृति (topography) का वर्णन भी किया है. इसमें वे मंगोलों द्वारा स्वयं अपने कैद किये जाने की चर्चा भी करते हैं.
नूह सिपिहर
एक अन्य पुस्तक जहाँ हिन्दुस्तान और उसके लोगों का अच्छा चित्रण हुआ है वह नूह सिपिहर (Nuh Sipihr) है. इसमें मुबारक खिलजी का बड़ा ही चातुकारतापूर्ण विवरण है. उन्होंने मुबारकशाह के भवनों के विजयों के साथ-साथ जलवायु, सब्जियों, फलों, भाषाओं, दर्शनरम जीवन जैसे विषयों पर विचार किया है. इसमें तत्कालीन सामजिक स्थिति का बड़ा ही जीवंत चित्रण देखने को मिलता है.
तुगलकनामा
खुसरो की अंतिम ऐतिहासिक मसनवी है तुगलकनामा. इसमें खुशरोशाह के विरुद्ध गयासुद्दीन तुगलक की विजय का चित्रण है. पूरी कहानी को धार्मिक रंग में प्रस्तुत किया गया है. इसमें गयासुद्दीन सत् तत्वों का प्रतीक है और उसे असत् तत्वों के अमीर खुसरोशाह के साथ संघर्ष करते दिखाया गया है.
Unattempted
व्याख्या-
अमीर खुसरो’ द्वारा रचित किताबें
किरान-उस-सादेन
ऐतिहासिक विषय को लेकर उसकी पहली रचना है – “किरान-उस-सादेन” जो उन्होंने 1289 ई. में लिखी थी. इसमें बुगरा खां और उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है. इसमें दिल्ली, उसकी इमारतों, शाही दरबार, अमीरों और अफसरों के सामजिक जीवन के विषय में दिलचस्प विवरण दिए गए हैं. इस रचना द्वारा उन्होंने मंगोलों के प्रति अपनी घृणा भी प्रकट की है.
मिफता-उल-फुतूह
मिफता-उल-फुतूह की रचना उन्होंने 1291 ई में की. इस रचने में उन्होंने जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों, मालिक छज्जू का विद्रोह व उसका दमन, रणथम्बौर पर सुलतान की चढ़ाई और अन्य स्थानों की विजय पर विचार किया है.
खजाइन-उल-फुतूह
खजाइन-उल-फुतूह में, जिसे तारीख-ए-अलाई के नाम से भी जाना जाता है, अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पहले 15 वर्षों का चाटुकारितापूर्ण विवरण है. यद्यपि यह रचना मूलतः साहित्यिक है परन्तु फिर भी इसका अपना महत्त्व है क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी का समसामयिक विवरण केवल इसी पुस्तक में मिलता है. इसमें उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा गुजरात, चित्तौड़, मालवा और वारंगल की विजय के विषय में लिखा है. इसमें हमें मालिक काफूर के दक्कन अभियानों का आँखों देखा विवरण मिलता है और भौगोलिक और सैन्य विवरणों की दृष्टि से यह काफी प्रसिद्ध है. इसमें भारत का बड़ा ही अच्छा चित्रण है और साथ ही अलाउद्दीन के भवनों व प्रशासनिक सुधारों का वर्णन किया गया है. परन्तु अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल पर विचार करते समय उनकी दृष्टि आलोचनात्मक नहीं रही है.
आशिका
अमीर खुसरो की एक अन्य रचना “आशिका” का सम्बन्ध गुजरात के राजकरन की पुत्री देवलरानी और अलाउद्दीन के पुत्र खिज्रखां की प्रेमकथा से है. इसमें अलाउद्दीन की गुजरात व आलवा विजय के बारे में चर्चा की गई है. साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों की स्थालाकृति (topography) का वर्णन भी किया है. इसमें वे मंगोलों द्वारा स्वयं अपने कैद किये जाने की चर्चा भी करते हैं.
नूह सिपिहर
एक अन्य पुस्तक जहाँ हिन्दुस्तान और उसके लोगों का अच्छा चित्रण हुआ है वह नूह सिपिहर (Nuh Sipihr) है. इसमें मुबारक खिलजी का बड़ा ही चातुकारतापूर्ण विवरण है. उन्होंने मुबारकशाह के भवनों के विजयों के साथ-साथ जलवायु, सब्जियों, फलों, भाषाओं, दर्शनरम जीवन जैसे विषयों पर विचार किया है. इसमें तत्कालीन सामजिक स्थिति का बड़ा ही जीवंत चित्रण देखने को मिलता है.
तुगलकनामा
खुसरो की अंतिम ऐतिहासिक मसनवी है तुगलकनामा. इसमें खुशरोशाह के विरुद्ध गयासुद्दीन तुगलक की विजय का चित्रण है. पूरी कहानी को धार्मिक रंग में प्रस्तुत किया गया है. इसमें गयासुद्दीन सत् तत्वों का प्रतीक है और उसे असत् तत्वों के अमीर खुसरोशाह के साथ संघर्ष करते दिखाया गया है.
Question 40 of 60
40. Question
1 points
“रेहला’ की रचना किसने की थी?
Correct
व्याख्या-
‘रेहला’ की रचना मोरक्को के इब्नबतूता ने किया था।
इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
इब्नबतूता ने अपना ग्रंथ ‘रेहला’ अरबी भाषा में लिखा था।
मुहम्मद तुगलक कालीन देश की संस्कृति एवं रीति-रिवाज के विषय अच्छी जानकारी ‘रेहला’ में मिलती है।
आठ वर्ष तक वह पद पर रहा, किन्तु कुछ कारणवश सुल्तान उससे अप्रसन्न हो गया और इसे जेल में डाल दिया था। 1342 ई. में मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा गया,
1345 ई. में इब्नबतूता ने श्रीलंका की यात्रा की
Incorrect
व्याख्या-
‘रेहला’ की रचना मोरक्को के इब्नबतूता ने किया था।
इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
इब्नबतूता ने अपना ग्रंथ ‘रेहला’ अरबी भाषा में लिखा था।
मुहम्मद तुगलक कालीन देश की संस्कृति एवं रीति-रिवाज के विषय अच्छी जानकारी ‘रेहला’ में मिलती है।
आठ वर्ष तक वह पद पर रहा, किन्तु कुछ कारणवश सुल्तान उससे अप्रसन्न हो गया और इसे जेल में डाल दिया था। 1342 ई. में मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा गया,
1345 ई. में इब्नबतूता ने श्रीलंका की यात्रा की
Unattempted
व्याख्या-
‘रेहला’ की रचना मोरक्को के इब्नबतूता ने किया था।
इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।
मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
इब्नबतूता ने अपना ग्रंथ ‘रेहला’ अरबी भाषा में लिखा था।
मुहम्मद तुगलक कालीन देश की संस्कृति एवं रीति-रिवाज के विषय अच्छी जानकारी ‘रेहला’ में मिलती है।
आठ वर्ष तक वह पद पर रहा, किन्तु कुछ कारणवश सुल्तान उससे अप्रसन्न हो गया और इसे जेल में डाल दिया था। 1342 ई. में मुहम्मद तुगलक ने इब्नबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा गया,
1345 ई. में इब्नबतूता ने श्रीलंका की यात्रा की
Question 41 of 60
41. Question
1 points
कृषि के विकास हेतु कार्यों की देखभाल करने के लिये . “दीवान-ए-अमीरकोही’ की स्थापना किसने की थी? .
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक ने कृषि के विकास हेतु एक नये ‘ विभाग दीवाने-कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की
इस विभाग का उददेश्य राज्य ” की ओर से प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता देकर कृषि के योग्य भूमि का विस्तार करना था।
इस योजना द्वारा जिन लोगों को आवश्यकता थी उन्हें जमीनें दे दी गयी
दुर्भाग्यवश यह योजना भी असफल हो गयी।
असफलता के पीछे कई कारण थे जैसे दोआब जैसे बंजर भूमि का चयन, तीन वर्ष का अल्प समय, अष्ट किसान एवं कर्मचारी आदि ने इस योजना को असफल बनाने में भूमिका निभायी।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक ने कृषि के विकास हेतु एक नये ‘ विभाग दीवाने-कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की
इस विभाग का उददेश्य राज्य ” की ओर से प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता देकर कृषि के योग्य भूमि का विस्तार करना था।
इस योजना द्वारा जिन लोगों को आवश्यकता थी उन्हें जमीनें दे दी गयी
दुर्भाग्यवश यह योजना भी असफल हो गयी।
असफलता के पीछे कई कारण थे जैसे दोआब जैसे बंजर भूमि का चयन, तीन वर्ष का अल्प समय, अष्ट किसान एवं कर्मचारी आदि ने इस योजना को असफल बनाने में भूमिका निभायी।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक ने कृषि के विकास हेतु एक नये ‘ विभाग दीवाने-कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की
इस विभाग का उददेश्य राज्य ” की ओर से प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता देकर कृषि के योग्य भूमि का विस्तार करना था।
इस योजना द्वारा जिन लोगों को आवश्यकता थी उन्हें जमीनें दे दी गयी
दुर्भाग्यवश यह योजना भी असफल हो गयी।
असफलता के पीछे कई कारण थे जैसे दोआब जैसे बंजर भूमि का चयन, तीन वर्ष का अल्प समय, अष्ट किसान एवं कर्मचारी आदि ने इस योजना को असफल बनाने में भूमिका निभायी।
Question 42 of 60
42. Question
1 points
दिल्ली में स्थित ‘सीरी किले’ का निर्माण करवाया
Correct
व्याख्या –
सल्तनत कालीन स्थापत्य कला और वास्तुकला-
इमारत
शासक
1. जमात खाना मस्जिद
अलाउद्दीन खिलजी
2. अलाई दरवाजा
अलाउद्दीन खिलजी
3. हजार सितून
अलाउद्दीन खिलजी
Incorrect
व्याख्या –
सल्तनत कालीन स्थापत्य कला और वास्तुकला-
इमारत
शासक
1. जमात खाना मस्जिद
अलाउद्दीन खिलजी
2. अलाई दरवाजा
अलाउद्दीन खिलजी
3. हजार सितून
अलाउद्दीन खिलजी
Unattempted
व्याख्या –
सल्तनत कालीन स्थापत्य कला और वास्तुकला-
इमारत
शासक
1. जमात खाना मस्जिद
अलाउद्दीन खिलजी
2. अलाई दरवाजा
अलाउद्दीन खिलजी
3. हजार सितून
अलाउद्दीन खिलजी
Question 43 of 60
43. Question
1 points
मुहम्मद तुगलक के सम्मान में उसके उत्तराधिकारी फिरोज खाँ ने एक नगर की स्थापना की.
Correct
व्याख्या –
बंगाल अभियान (1359 ई०) से लौटते समय फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद उर्फ जौना खाँ के सम्मान में गोमती नदी के किनारे ‘जौनपुर नगर’ स्थापना की.
Incorrect
व्याख्या –
बंगाल अभियान (1359 ई०) से लौटते समय फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद उर्फ जौना खाँ के सम्मान में गोमती नदी के किनारे ‘जौनपुर नगर’ स्थापना की.
Unattempted
व्याख्या –
बंगाल अभियान (1359 ई०) से लौटते समय फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद उर्फ जौना खाँ के सम्मान में गोमती नदी के किनारे ‘जौनपुर नगर’ स्थापना की.
Question 44 of 60
44. Question
1 points
, कौन सी पुस्तक सुल्तान फिरोजशाह तुगलक की आत्मकथा है.
Correct
व्याख्या .
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या .
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या .
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Question 45 of 60
45. Question
1 points
. ‘अढ़ाई दिन के झोपड़े’ का निर्माण किसने करवाया था?
Correct
व्याख्या-
‘ढाई दिन के झोपड़े’ नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में करवाया था।
‘ढाई दिन के झोपडा’ पहले एक संस्कृत विद्यालय एवं मंदिर था, जिसे विग्रहराज विसलदेव ने 12 वी शताब्दी में निर्मित करवाया था।
कुतुबुद्दीन ने इसका ऊपरी भाग गिरवा कर गुंबद एवं मेहराबें बनवा दी।
ढाई दिन का झोपड़ा, ऐबक द्वारा निर्मित कुव्वत -उल-इस्लाम (दिल्ली) मस्जिद से मिलता जुलता है।
Incorrect
व्याख्या-
‘ढाई दिन के झोपड़े’ नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में करवाया था।
‘ढाई दिन के झोपडा’ पहले एक संस्कृत विद्यालय एवं मंदिर था, जिसे विग्रहराज विसलदेव ने 12 वी शताब्दी में निर्मित करवाया था।
कुतुबुद्दीन ने इसका ऊपरी भाग गिरवा कर गुंबद एवं मेहराबें बनवा दी।
ढाई दिन का झोपड़ा, ऐबक द्वारा निर्मित कुव्वत -उल-इस्लाम (दिल्ली) मस्जिद से मिलता जुलता है।
Unattempted
व्याख्या-
‘ढाई दिन के झोपड़े’ नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में करवाया था।
‘ढाई दिन के झोपडा’ पहले एक संस्कृत विद्यालय एवं मंदिर था, जिसे विग्रहराज विसलदेव ने 12 वी शताब्दी में निर्मित करवाया था।
कुतुबुद्दीन ने इसका ऊपरी भाग गिरवा कर गुंबद एवं मेहराबें बनवा दी।
ढाई दिन का झोपड़ा, ऐबक द्वारा निर्मित कुव्वत -उल-इस्लाम (दिल्ली) मस्जिद से मिलता जुलता है।
Question 46 of 60
46. Question
1 points
‘दीवान-ए-अर्ज’ की स्थापना किसने की थी?
Correct
व्याख्या-
‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना “बलबन ने की थी।
बलबन ने मंगोल आक्रमण से निपटने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी।
बलबन ने सेना का पुर्नगठन किया
बलबन ने सैनिकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करवायी तथा सैन्य शक्ति को अत्याधिक शक्तिशाली बना दिया।
दीवाने अर्ज’ का अध्यक्ष आरिज-ए-मुमालिक’ होता था
आरिज-ए-मुमालिक का प्रमुख कार्य सैनिकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण तथा वेतन की व्यवस्था करना था।
Incorrect
व्याख्या-
‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना “बलबन ने की थी।
बलबन ने मंगोल आक्रमण से निपटने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी।
बलबन ने सेना का पुर्नगठन किया
बलबन ने सैनिकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करवायी तथा सैन्य शक्ति को अत्याधिक शक्तिशाली बना दिया।
दीवाने अर्ज’ का अध्यक्ष आरिज-ए-मुमालिक’ होता था
आरिज-ए-मुमालिक का प्रमुख कार्य सैनिकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण तथा वेतन की व्यवस्था करना था।
Unattempted
व्याख्या-
‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना “बलबन ने की थी।
बलबन ने मंगोल आक्रमण से निपटने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी।
बलबन ने सेना का पुर्नगठन किया
बलबन ने सैनिकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करवायी तथा सैन्य शक्ति को अत्याधिक शक्तिशाली बना दिया।
दीवाने अर्ज’ का अध्यक्ष आरिज-ए-मुमालिक’ होता था
आरिज-ए-मुमालिक का प्रमुख कार्य सैनिकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण तथा वेतन की व्यवस्था करना था।
Question 47 of 60
47. Question
1 points
किस सुल्तान ने खुत और मुकदम को उनके पुराने अधिकार वापस कर दिये थे?
Correct
व्याख्या-
ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई0 में नसिरुद्दीन खुसरव की हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की यह उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था
गाजी मलिक का दूसरा नाम ग्यासुद्दीन तुगलक था गाजी का अर्थ होता है – “काफिरों का संहारक” (जो धर्म नहीं मानते उनकी हत्या करने वाला)
दिलली सल्तनत पर शासन करने वाला यह तीसरा वंश था
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की
बरनी के अनुसार “सुल्तान ने वह कार्य कुछ दिनों में ही कर दिखाया जो दूसरे सुल्तानों ने वर्षों में किया था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम, खुतों तथा चौधरियां के उनके पुराने अधिकार लौटा दिये
फरिश्ता के अनुसार, गाजी मलिक के पिता कुतुलुग गाजी थे बाद में कुतुलुग शब्द अपभ्रंश होते-होते तुगलक हो गया और ये अपने नाम के आगे तुगलक लिखने लगे
ग्यासुद्दीन तुगलक दिन में दो बार सुबह-शाम दरबार लगाता था
ग्यासुद्दीन तुगलक पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने डाक व्यवस्था को सुदृढ बनाया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने असैनिक पदाधिकारियों को जागीर देने की प्रथा पुन: शुरु की
अमीर खुसरो के अनुसार, ग्यासुद्दीन तुगलक एक विद्वान शासक था
गयासुद्दीन के समय में दिल्ली सल्तनत के आय के स्त्रोत निम्न थे
जजिया – यह मुसलमानों से लिया जाने वाला वैयक्तिक कर था
जकात – मुसलमानों द्वारा अपने सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दान करना जकात कहलाता है
खुम्स – यह गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो लोग मुसलमान नही थे वह ये कर अदा करते थे
खम्स – लूट में प्राप्त धन खुम्स कहा जाता था
उश्र – यह एक प्रकार का कृषि कर था
गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिध्द चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ कटुतापूर्ण संबंध थे
एक बार जब गयासुद्दीन बंगाल विजय अभियान पर गया, तब वहाँ से लौटते वक्त तुगलकी फरमान भिजवाया कि मेरे दिल्ली मे प्रवेश के पूर्व ही निजामुद्दीन औलिया दिल्ली छोड कर चले जाये ,यह सुनकर निजमुद्दीन औलिया ने कहा था- ‘हनूज-ए-दिल्ली दूरस्थ’ (अर्थात दिल्ली अभी दूर है) संयोग कुछ ऐसा रहा दिल्ली में प्रवेश करने से पहले सुल्तान जब अफगानपुर नामक गाँव में विश्राम कर रहा था, तो लकडी की छत गिर जाने के कारण सुल्तान की मृत्यु हो गयी और वह दिल्ली नही पहुँच सका
इब्नबतुता के अनुसार, गयासुद्दीन की मृत्यु का कारण उसके पुत्र मोहम्मद बिन तुगलक (जौन खाँ) का षडयंत्र था
ग्यासुद्दीन तुगलक को उस ही के द्वारा तुगलकाबाद में बनबाये गये कब्र में दफना दिया गया
Incorrect
व्याख्या-
ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई0 में नसिरुद्दीन खुसरव की हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की यह उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था
गाजी मलिक का दूसरा नाम ग्यासुद्दीन तुगलक था गाजी का अर्थ होता है – “काफिरों का संहारक” (जो धर्म नहीं मानते उनकी हत्या करने वाला)
दिलली सल्तनत पर शासन करने वाला यह तीसरा वंश था
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की
बरनी के अनुसार “सुल्तान ने वह कार्य कुछ दिनों में ही कर दिखाया जो दूसरे सुल्तानों ने वर्षों में किया था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम, खुतों तथा चौधरियां के उनके पुराने अधिकार लौटा दिये
फरिश्ता के अनुसार, गाजी मलिक के पिता कुतुलुग गाजी थे बाद में कुतुलुग शब्द अपभ्रंश होते-होते तुगलक हो गया और ये अपने नाम के आगे तुगलक लिखने लगे
ग्यासुद्दीन तुगलक दिन में दो बार सुबह-शाम दरबार लगाता था
ग्यासुद्दीन तुगलक पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने डाक व्यवस्था को सुदृढ बनाया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने असैनिक पदाधिकारियों को जागीर देने की प्रथा पुन: शुरु की
अमीर खुसरो के अनुसार, ग्यासुद्दीन तुगलक एक विद्वान शासक था
गयासुद्दीन के समय में दिल्ली सल्तनत के आय के स्त्रोत निम्न थे
जजिया – यह मुसलमानों से लिया जाने वाला वैयक्तिक कर था
जकात – मुसलमानों द्वारा अपने सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दान करना जकात कहलाता है
खुम्स – यह गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो लोग मुसलमान नही थे वह ये कर अदा करते थे
खम्स – लूट में प्राप्त धन खुम्स कहा जाता था
उश्र – यह एक प्रकार का कृषि कर था
गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिध्द चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ कटुतापूर्ण संबंध थे
एक बार जब गयासुद्दीन बंगाल विजय अभियान पर गया, तब वहाँ से लौटते वक्त तुगलकी फरमान भिजवाया कि मेरे दिल्ली मे प्रवेश के पूर्व ही निजामुद्दीन औलिया दिल्ली छोड कर चले जाये ,यह सुनकर निजमुद्दीन औलिया ने कहा था- ‘हनूज-ए-दिल्ली दूरस्थ’ (अर्थात दिल्ली अभी दूर है) संयोग कुछ ऐसा रहा दिल्ली में प्रवेश करने से पहले सुल्तान जब अफगानपुर नामक गाँव में विश्राम कर रहा था, तो लकडी की छत गिर जाने के कारण सुल्तान की मृत्यु हो गयी और वह दिल्ली नही पहुँच सका
इब्नबतुता के अनुसार, गयासुद्दीन की मृत्यु का कारण उसके पुत्र मोहम्मद बिन तुगलक (जौन खाँ) का षडयंत्र था
ग्यासुद्दीन तुगलक को उस ही के द्वारा तुगलकाबाद में बनबाये गये कब्र में दफना दिया गया
Unattempted
व्याख्या-
ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई0 में नसिरुद्दीन खुसरव की हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की यह उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था
गाजी मलिक का दूसरा नाम ग्यासुद्दीन तुगलक था गाजी का अर्थ होता है – “काफिरों का संहारक” (जो धर्म नहीं मानते उनकी हत्या करने वाला)
दिलली सल्तनत पर शासन करने वाला यह तीसरा वंश था
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की
बरनी के अनुसार “सुल्तान ने वह कार्य कुछ दिनों में ही कर दिखाया जो दूसरे सुल्तानों ने वर्षों में किया था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम, खुतों तथा चौधरियां के उनके पुराने अधिकार लौटा दिये
फरिश्ता के अनुसार, गाजी मलिक के पिता कुतुलुग गाजी थे बाद में कुतुलुग शब्द अपभ्रंश होते-होते तुगलक हो गया और ये अपने नाम के आगे तुगलक लिखने लगे
ग्यासुद्दीन तुगलक दिन में दो बार सुबह-शाम दरबार लगाता था
ग्यासुद्दीन तुगलक पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने डाक व्यवस्था को सुदृढ बनाया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने असैनिक पदाधिकारियों को जागीर देने की प्रथा पुन: शुरु की
अमीर खुसरो के अनुसार, ग्यासुद्दीन तुगलक एक विद्वान शासक था
गयासुद्दीन के समय में दिल्ली सल्तनत के आय के स्त्रोत निम्न थे
जजिया – यह मुसलमानों से लिया जाने वाला वैयक्तिक कर था
जकात – मुसलमानों द्वारा अपने सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दान करना जकात कहलाता है
खुम्स – यह गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो लोग मुसलमान नही थे वह ये कर अदा करते थे
खम्स – लूट में प्राप्त धन खुम्स कहा जाता था
उश्र – यह एक प्रकार का कृषि कर था
गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिध्द चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ कटुतापूर्ण संबंध थे
एक बार जब गयासुद्दीन बंगाल विजय अभियान पर गया, तब वहाँ से लौटते वक्त तुगलकी फरमान भिजवाया कि मेरे दिल्ली मे प्रवेश के पूर्व ही निजामुद्दीन औलिया दिल्ली छोड कर चले जाये ,यह सुनकर निजमुद्दीन औलिया ने कहा था- ‘हनूज-ए-दिल्ली दूरस्थ’ (अर्थात दिल्ली अभी दूर है) संयोग कुछ ऐसा रहा दिल्ली में प्रवेश करने से पहले सुल्तान जब अफगानपुर नामक गाँव में विश्राम कर रहा था, तो लकडी की छत गिर जाने के कारण सुल्तान की मृत्यु हो गयी और वह दिल्ली नही पहुँच सका
इब्नबतुता के अनुसार, गयासुद्दीन की मृत्यु का कारण उसके पुत्र मोहम्मद बिन तुगलक (जौन खाँ) का षडयंत्र था
ग्यासुद्दीन तुगलक को उस ही के द्वारा तुगलकाबाद में बनबाये गये कब्र में दफना दिया गया
Question 48 of 60
48. Question
1 points
‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ की रचना किसने की थी?
Correct
व्याख्या-
‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक जियाउद्दीन ‘बरनी था
जियाउद्दीन बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक तथा फिरोज शाह तुगलक का समकालीन था।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में उसने 17वर्षों का समय व्यतीत किया था।
बरनी ने अपने ग्रंथ में बलबन के राज्यारोहण से लेकर फिरोज के शासन काल के छठे वर्ष का वर्णन किया है।
बरनी राजस्व व्यवस्था विस्तार का वर्णन से किया है।
Incorrect
व्याख्या-
‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक जियाउद्दीन ‘बरनी था
जियाउद्दीन बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक तथा फिरोज शाह तुगलक का समकालीन था।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में उसने 17वर्षों का समय व्यतीत किया था।
बरनी ने अपने ग्रंथ में बलबन के राज्यारोहण से लेकर फिरोज के शासन काल के छठे वर्ष का वर्णन किया है।
बरनी राजस्व व्यवस्था विस्तार का वर्णन से किया है।
Unattempted
व्याख्या-
‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक जियाउद्दीन ‘बरनी था
जियाउद्दीन बरनी गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक तथा फिरोज शाह तुगलक का समकालीन था।
जियाउद्दीन बरनी मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में उसने 17वर्षों का समय व्यतीत किया था।
बरनी ने अपने ग्रंथ में बलबन के राज्यारोहण से लेकर फिरोज के शासन काल के छठे वर्ष का वर्णन किया है।
बरनी राजस्व व्यवस्था विस्तार का वर्णन से किया है।
Question 49 of 60
49. Question
1 points
. किस सुल्तान ने अपनी आत्मकथा लिखी थी?
Correct
व्याख्या-
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या-
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या-
‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ की रचना का सुल्तान फिरोजशाह की |
फुतुहाते-फिरोजशाही’ में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के सैन्य अभियानों, राजनीतिक कर्तयों और मानवतावादी तथा नैतिक दायित्वों का वर्णन है।
Question 50 of 60
50. Question
1 points
इक्ता प्रथा किसने प्रारम्भ की.
Correct
व्याख्या- ‘
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Incorrect
व्याख्या- ‘
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Unattempted
व्याख्या- ‘
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Question 51 of 60
51. Question
1 points
कुव्वत -उल इस्लाम मस्जिद किसने बनवायी?
Correct
व्याख्या-
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में बनवाई थी।
यह दिल्ली में बनी मुस्लिम काल की प्रथम मस्जिद थी।
सुल्तान इल्तुतमिश ने मस्जिद के ‘सहन (आंगन) को और विस्तृत कर दिया था।
अमीर खुसरो लिखता है कि सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने इसके इबादतखाना को और भी विस्तृत कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में बनवाई थी।
यह दिल्ली में बनी मुस्लिम काल की प्रथम मस्जिद थी।
सुल्तान इल्तुतमिश ने मस्जिद के ‘सहन (आंगन) को और विस्तृत कर दिया था।
अमीर खुसरो लिखता है कि सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने इसके इबादतखाना को और भी विस्तृत कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में बनवाई थी।
यह दिल्ली में बनी मुस्लिम काल की प्रथम मस्जिद थी।
सुल्तान इल्तुतमिश ने मस्जिद के ‘सहन (आंगन) को और विस्तृत कर दिया था।
अमीर खुसरो लिखता है कि सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने इसके इबादतखाना को और भी विस्तृत कर दिया था।
Question 52 of 60
52. Question
1 points
अलाई दरवाजा का निर्माण किसने करवाया
Correct
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्यं कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वार बनाना था।
कुतुबमीनार के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
कुतुबमीनार के ऊपर एक गुम्बद भी है, जिसके निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
जॉन मार्शल ने इसे इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Incorrect
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्यं कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वार बनाना था।
कुतुबमीनार के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
कुतुबमीनार के ऊपर एक गुम्बद भी है, जिसके निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
जॉन मार्शल ने इसे इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Unattempted
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्यं कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वार बनाना था।
कुतुबमीनार के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
कुतुबमीनार के ऊपर एक गुम्बद भी है, जिसके निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
जॉन मार्शल ने इसे इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Question 53 of 60
53. Question
1 points
निम्नलिखित में से ‘इक्ता’ का अर्थ कौन-सा है?
Correct
व्याख्या –
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Incorrect
व्याख्या –
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Unattempted
व्याख्या –
सन् 1210 ई० में इल्तुतमिश के राज्यारोहण के साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासन तंत्र की आधारशिला के रूप में इक्ता-प्रथा स्थापित हुई।
इक्ता’ एक अरबी शब्द है। इसे एक प्रकार के प्रशासकीय अधिकार प्रदान करने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता था।
इक्ता व्यवस्था की व्याख्या निजाम-उल-मुल्क-अबू-अली-हसन-बिन-अली तूसी ने अपने ग्रंथ सियासतनामा में की है।
भारत में इक्ता प्रथा की शुरूआत इलतुतमिश ने की।
यह सैनिकों अथवा अमीरों को तनख्वाह के बदले ‘ में भूमि के लगान का अनुदान था।
Question 54 of 60
54. Question
1 points
तबकात-ए-नासिरी के लेखक हैं।
Correct
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी’ मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी’ ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है-
‘तबकात-ए-नासिरी’ में मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित ‘तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक . (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी का इतिहास वर्णित है।।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Incorrect
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी’ मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी’ ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है-
‘तबकात-ए-नासिरी’ में मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित ‘तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक . (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी का इतिहास वर्णित है।।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Unattempted
व्याख्या-
‘तबकात-ए-नासिरी’ मिनहाजुद्दीन सिराज का ग्रंथ है।
मिनहाजुद्दीन ने इस ग्रंथ की रचना सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में की थी।
‘तबकात-ए-नासिरी’ ग्रंथ 23 अध्यायों में विभाजित है-
‘तबकात-ए-नासिरी’ में मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा भारत की नवस्थापित ‘तुर्की सल्तनत का आरम्भ से लेकर 1260 ई. तक . (नासिरुद्दीन के शासन काल तक) निजी जानकारी का इतिहास वर्णित है।।
रैवर्टी ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
मिनहाज ने जहां अपना इतिहास समाप्त किया, वहीं से बरनी ने दिल्ली सल्तनत का इतिहास प्रारम्भ किया
Question 55 of 60
55. Question
1 points
खराज से तात्पर्य था
Correct
व्याख्या –
मध्यकाल में खराज शब्द और मुस्लिमों से लिये. जाने वाले भूमि कर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
Incorrect
व्याख्या –
मध्यकाल में खराज शब्द और मुस्लिमों से लिये. जाने वाले भूमि कर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
Unattempted
व्याख्या –
मध्यकाल में खराज शब्द और मुस्लिमों से लिये. जाने वाले भूमि कर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
Question 56 of 60
56. Question
1 points
दिल्ली सल्तनत में कुल कितने राजवंश हुए?
Correct
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत में कुल 5 राजवंश-
ममलूक ‘(1206-1290)
खिलजी, (1290-1320)
तुगलक, (1320-1414)
सैय्यद (1414-1451)
लोदी वंश (1451-1526)
Incorrect
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत में कुल 5 राजवंश-
ममलूक ‘(1206-1290)
खिलजी, (1290-1320)
तुगलक, (1320-1414)
सैय्यद (1414-1451)
लोदी वंश (1451-1526)
Unattempted
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत में कुल 5 राजवंश-
ममलूक ‘(1206-1290)
खिलजी, (1290-1320)
तुगलक, (1320-1414)
सैय्यद (1414-1451)
लोदी वंश (1451-1526)
Question 57 of 60
57. Question
1 points
सल्तनत काल में किस भाशा को राजमाशा का दर्जा दिया गया?
Correct
व्याख्या – सलतनत काल में फारसी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
Incorrect
व्याख्या – सलतनत काल में फारसी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
Unattempted
व्याख्या – सलतनत काल में फारसी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
Question 58 of 60
58. Question
1 points
जौनपुर की स्थापना की
Correct
व्याख्या –
जौनपुर नगर-की-स्थापना फीरोजशाह तुगलक ने जौना खाँ उर्फ-मुहम्मद बिन तुगलक की याद में बंगालं अभियान से लौटते समय की।
Incorrect
व्याख्या –
जौनपुर नगर-की-स्थापना फीरोजशाह तुगलक ने जौना खाँ उर्फ-मुहम्मद बिन तुगलक की याद में बंगालं अभियान से लौटते समय की।
Unattempted
व्याख्या –
जौनपुर नगर-की-स्थापना फीरोजशाह तुगलक ने जौना खाँ उर्फ-मुहम्मद बिन तुगलक की याद में बंगालं अभियान से लौटते समय की।
Question 59 of 60
59. Question
1 points
किस सुल्तान द्वारा खालसा क्षेत्रों में भूमि की नपाई के स्थान पर बँटाई प्रथा को जारी किया गया ?
Correct
व्याख्या •
अलाउददीन द्वारा खालसा क्षेत्रों में भूमि की नपाई के स्थान पर बंटाई प्रथा को जारी किया गया था।
अलाउददीन ने समस्त भूमि को खालसा भूमि में परिवर्तित किया और राजस्व निर्धारण हेतु उसे व्यवस्थित रूप प्रदान किया।
Incorrect
व्याख्या •
अलाउददीन द्वारा खालसा क्षेत्रों में भूमि की नपाई के स्थान पर बंटाई प्रथा को जारी किया गया था।
अलाउददीन ने समस्त भूमि को खालसा भूमि में परिवर्तित किया और राजस्व निर्धारण हेतु उसे व्यवस्थित रूप प्रदान किया।
Unattempted
व्याख्या •
अलाउददीन द्वारा खालसा क्षेत्रों में भूमि की नपाई के स्थान पर बंटाई प्रथा को जारी किया गया था।
अलाउददीन ने समस्त भूमि को खालसा भूमि में परिवर्तित किया और राजस्व निर्धारण हेतु उसे व्यवस्थित रूप प्रदान किया।
Question 60 of 60
60. Question
1 points
सुल्तानगढ़ी किसका मकबरा (Mausoleum) है?
Correct
सुल्तानगढ़ी मक़बरे का निर्माण इल्तुतमिश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नसिरुद्दीन महमूद की याद में कुतुबमीनार से लगभग 3 मील की दूरी पर स्थित मलकापुर में 1231 ई. में करवाया था।
पर्सी ब्राउन के शब्दों में सुल्तानगढ़ी का शाब्दिक अर्थ है- “गुफ़ा का सुल्तान”।
यह मक़बरा आकार में दुर्ग के समान ही प्रतीत होता है।
Incorrect
सुल्तानगढ़ी मक़बरे का निर्माण इल्तुतमिश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नसिरुद्दीन महमूद की याद में कुतुबमीनार से लगभग 3 मील की दूरी पर स्थित मलकापुर में 1231 ई. में करवाया था।
पर्सी ब्राउन के शब्दों में सुल्तानगढ़ी का शाब्दिक अर्थ है- “गुफ़ा का सुल्तान”।
यह मक़बरा आकार में दुर्ग के समान ही प्रतीत होता है।
Unattempted
सुल्तानगढ़ी मक़बरे का निर्माण इल्तुतमिश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नसिरुद्दीन महमूद की याद में कुतुबमीनार से लगभग 3 मील की दूरी पर स्थित मलकापुर में 1231 ई. में करवाया था।
पर्सी ब्राउन के शब्दों में सुल्तानगढ़ी का शाब्दिक अर्थ है- “गुफ़ा का सुल्तान”।
यह मक़बरा आकार में दुर्ग के समान ही प्रतीत होता है।