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Question 1 of 54
1. Question
2 points
437-38 ई० के मंदसौर अभिलेख में निम्नलिखित में से किस श्रेणी द्वारा एक भव्य सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख मिलता है?
Correct
व्याख्या-
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Incorrect
व्याख्या-
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Unattempted
व्याख्या-
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Question 2 of 54
2. Question
2 points
कायस्थ जाति का सर्वप्रथम उल्लेख किसने किया है ?
Correct
व्याख्या-
गुप्तकालीन अभिलेखों में ‘कायस्थ’ नामक नए वर्ग का उल्लेख मिलता है।
‘कायस्थ’ का उदय भूमि और भू-राजस्व के स्थानान्तरण के कारण हुआ।
‘कायस्थ’ का सर्वप्रथम उल्लेख ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ में मिलता है
‘कायस्थ’ का एक जाति के रूप में इनका उल्लेख गुप्तोत्तर कालीन ‘ओशनम स्मृति’ में मिलता है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकालीन अभिलेखों में ‘कायस्थ’ नामक नए वर्ग का उल्लेख मिलता है।
‘कायस्थ’ का उदय भूमि और भू-राजस्व के स्थानान्तरण के कारण हुआ।
‘कायस्थ’ का सर्वप्रथम उल्लेख ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ में मिलता है
‘कायस्थ’ का एक जाति के रूप में इनका उल्लेख गुप्तोत्तर कालीन ‘ओशनम स्मृति’ में मिलता है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकालीन अभिलेखों में ‘कायस्थ’ नामक नए वर्ग का उल्लेख मिलता है।
‘कायस्थ’ का उदय भूमि और भू-राजस्व के स्थानान्तरण के कारण हुआ।
‘कायस्थ’ का सर्वप्रथम उल्लेख ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ में मिलता है
‘कायस्थ’ का एक जाति के रूप में इनका उल्लेख गुप्तोत्तर कालीन ‘ओशनम स्मृति’ में मिलता है।
Question 3 of 54
3. Question
2 points
दासमुक्ति के अनुष्ठान का विधान सर्वप्रथम किसने किया था ?
Correct
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Incorrect
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Unattempted
व्याख्या-
दासों की मुक्ति के विधान का सर्वप्रथम विवेचन नारद ने किया है।
नारद के अनुसार दान में मिला हुआ, दासी का पत्र खरीदा हुआ दास, सम्बन्धियों से प्राप्त हुआ दास केवल स्वामी की कृपा से ही मुक्त हो सकते हैं।
Question 4 of 54
4. Question
2 points
फाह्यान ने किसके व्यक्तित्व का विस्तृत विवरण दिया है?
Correct
व्याख्या-
फाह्यान नामक चीनी यात्री चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 399 में भारत आया।
फाह्यान 15 वर्षों तक (414 ई. तक) भारत में रहा।
फाह्यान ने तत्कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर निरुपण करता है।
फाह्यान ने चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन की उच्च शब्दों में प्रशंसा की है।
फाह्यान के अनुसार राज्य में चतुर्दिक शान्ति और व्यवस्था व्याप्त थी। प्रजा सुखी एवं समृद्ध थी तथा लोग परस्पर सौहार्दपूर्वक रहते थे।
Incorrect
व्याख्या-
फाह्यान नामक चीनी यात्री चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 399 में भारत आया।
फाह्यान 15 वर्षों तक (414 ई. तक) भारत में रहा।
फाह्यान ने तत्कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर निरुपण करता है।
फाह्यान ने चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन की उच्च शब्दों में प्रशंसा की है।
फाह्यान के अनुसार राज्य में चतुर्दिक शान्ति और व्यवस्था व्याप्त थी। प्रजा सुखी एवं समृद्ध थी तथा लोग परस्पर सौहार्दपूर्वक रहते थे।
Unattempted
व्याख्या-
फाह्यान नामक चीनी यात्री चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 399 में भारत आया।
फाह्यान 15 वर्षों तक (414 ई. तक) भारत में रहा।
फाह्यान ने तत्कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर निरुपण करता है।
फाह्यान ने चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन की उच्च शब्दों में प्रशंसा की है।
फाह्यान के अनुसार राज्य में चतुर्दिक शान्ति और व्यवस्था व्याप्त थी। प्रजा सुखी एवं समृद्ध थी तथा लोग परस्पर सौहार्दपूर्वक रहते थे।
Question 5 of 54
5. Question
2 points
निम्नलिखित अभिलेखों में से कौन सा लकुलीश पाशुपत मत पर प्रकाश डालता है?
Correct
व्याख्या –
चन्द्रगुप्त द्वितीय के मथुरा अभिलेख द्वारा लकुलीश पाशुपत मत पर प्रकाश पड़ता है।
मथुरा अभिलेख अनुसार लकुलीश का जन्म गुजरात के कायावरोहन नामक स्थान पर हुआ था।
लकुलीश को शिव का अवतार माना जाता है।
लकुलीश ने पचार्थ विधा अथवा ‘पंच अध्याय’ नामक ग्रंथ की रचना की थी।
Incorrect
व्याख्या –
चन्द्रगुप्त द्वितीय के मथुरा अभिलेख द्वारा लकुलीश पाशुपत मत पर प्रकाश पड़ता है।
मथुरा अभिलेख अनुसार लकुलीश का जन्म गुजरात के कायावरोहन नामक स्थान पर हुआ था।
लकुलीश को शिव का अवतार माना जाता है।
लकुलीश ने पचार्थ विधा अथवा ‘पंच अध्याय’ नामक ग्रंथ की रचना की थी।
Unattempted
व्याख्या –
चन्द्रगुप्त द्वितीय के मथुरा अभिलेख द्वारा लकुलीश पाशुपत मत पर प्रकाश पड़ता है।
मथुरा अभिलेख अनुसार लकुलीश का जन्म गुजरात के कायावरोहन नामक स्थान पर हुआ था।
लकुलीश को शिव का अवतार माना जाता है।
लकुलीश ने पचार्थ विधा अथवा ‘पंच अध्याय’ नामक ग्रंथ की रचना की थी।
Question 6 of 54
6. Question
2 points
निम्नलिखित में से किस अभिलेख में वीरसेन का उल्लेख है
Correct
व्याख्या –
वीरसेन का उल्लेख चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के उदयगिरि गुहालेख से प्राप्त होता है।
उदयगिरि गुहा म०प्र० में भिलसा के समीप स्थित है।
वीरसेन चन्द्रगुप्त द्वितीय का एक सान्धिविग्रहिक सचिव था।
उदयगिरि पहाड़ी से मिले अभिलेख से यह भी इंगित होता है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने इस स्थान पर एक शैव गुहा का निर्माण कराया था।
वाराह प्रतिमा विष्णु के कल्याणकारी स्वरूप की द्योतक हैं-प्रसिद्ध इतिहासकार ए.एल.बाराम ने इसे संसार की संभवतः एकमात्र पशुवत मूर्ति माना है जो कि आधुनिककालीन मानव को एक सच्चा धार्मिक संदेश प्रदान करती है।
उदयगिरि में वाराह गुहा का भी प्रमाण मिलता है जिसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है।
वाराह गुहा मन्दिर में वाराह को अपने दातों में पृथ्वी को उठाये प्रदर्शित किया गया है।
Incorrect
व्याख्या –
वीरसेन का उल्लेख चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के उदयगिरि गुहालेख से प्राप्त होता है।
उदयगिरि गुहा म०प्र० में भिलसा के समीप स्थित है।
वीरसेन चन्द्रगुप्त द्वितीय का एक सान्धिविग्रहिक सचिव था।
उदयगिरि पहाड़ी से मिले अभिलेख से यह भी इंगित होता है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने इस स्थान पर एक शैव गुहा का निर्माण कराया था।
वाराह प्रतिमा विष्णु के कल्याणकारी स्वरूप की द्योतक हैं-प्रसिद्ध इतिहासकार ए.एल.बाराम ने इसे संसार की संभवतः एकमात्र पशुवत मूर्ति माना है जो कि आधुनिककालीन मानव को एक सच्चा धार्मिक संदेश प्रदान करती है।
उदयगिरि में वाराह गुहा का भी प्रमाण मिलता है जिसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है।
वाराह गुहा मन्दिर में वाराह को अपने दातों में पृथ्वी को उठाये प्रदर्शित किया गया है।
Unattempted
व्याख्या –
वीरसेन का उल्लेख चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के उदयगिरि गुहालेख से प्राप्त होता है।
उदयगिरि गुहा म०प्र० में भिलसा के समीप स्थित है।
वीरसेन चन्द्रगुप्त द्वितीय का एक सान्धिविग्रहिक सचिव था।
उदयगिरि पहाड़ी से मिले अभिलेख से यह भी इंगित होता है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने इस स्थान पर एक शैव गुहा का निर्माण कराया था।
वाराह प्रतिमा विष्णु के कल्याणकारी स्वरूप की द्योतक हैं-प्रसिद्ध इतिहासकार ए.एल.बाराम ने इसे संसार की संभवतः एकमात्र पशुवत मूर्ति माना है जो कि आधुनिककालीन मानव को एक सच्चा धार्मिक संदेश प्रदान करती है।
उदयगिरि में वाराह गुहा का भी प्रमाण मिलता है जिसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है।
वाराह गुहा मन्दिर में वाराह को अपने दातों में पृथ्वी को उठाये प्रदर्शित किया गया है।
Question 7 of 54
7. Question
2 points
एक प्रारम्भिक धर्मशास्त्र लेखक आपस्तम्ब ने निम्नांकित को कर मुक्त रखा था
श्रोत्रिय
स्त्री
संन्यासी
ब्रह्मचारी
नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर निर्दिष्ट कीजिए- .
Correct
व्याख्या-
धर्मशास्त्र लेखक आपस्तम्ब के अनुसार श्रोत्रिय, स्त्री, संन्यासी और ब्रह्मचारी कर मुक्त थे।
आपस्तम्ब ने दस वर्ष के ब्राह्मण को सौ वर्ष के क्षत्रिय से श्रेष्ठतर बताया है।
ब्राह्मण का मुख्य कार्य अध्ययन, अध्यापन, यज्ञ-याजन तथा प्रतिग्रह था
गौतम और आपस्तम्ब ने यह व्यवस्था दी कि यदि किसी व्यक्ति के चोरी गये माल का पता नही लग पाये तो राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह उसकी क्षतिपूर्ति करे।।
Incorrect
व्याख्या-
धर्मशास्त्र लेखक आपस्तम्ब के अनुसार श्रोत्रिय, स्त्री, संन्यासी और ब्रह्मचारी कर मुक्त थे।
आपस्तम्ब ने दस वर्ष के ब्राह्मण को सौ वर्ष के क्षत्रिय से श्रेष्ठतर बताया है।
ब्राह्मण का मुख्य कार्य अध्ययन, अध्यापन, यज्ञ-याजन तथा प्रतिग्रह था
गौतम और आपस्तम्ब ने यह व्यवस्था दी कि यदि किसी व्यक्ति के चोरी गये माल का पता नही लग पाये तो राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह उसकी क्षतिपूर्ति करे।।
Unattempted
व्याख्या-
धर्मशास्त्र लेखक आपस्तम्ब के अनुसार श्रोत्रिय, स्त्री, संन्यासी और ब्रह्मचारी कर मुक्त थे।
आपस्तम्ब ने दस वर्ष के ब्राह्मण को सौ वर्ष के क्षत्रिय से श्रेष्ठतर बताया है।
ब्राह्मण का मुख्य कार्य अध्ययन, अध्यापन, यज्ञ-याजन तथा प्रतिग्रह था
गौतम और आपस्तम्ब ने यह व्यवस्था दी कि यदि किसी व्यक्ति के चोरी गये माल का पता नही लग पाये तो राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह उसकी क्षतिपूर्ति करे।।
Question 8 of 54
8. Question
2 points
कुमार गुप्त कालीन मन्दसौर अभिलेख में उल्लिखित श्रेणी में कौन सम्मिलित थे
Correct
व्याख्या-
प्राचीन मालवा में स्थित मंदसौर अभिलेख में रेशम बुनकरों की श्रेणी का उल्लेख है
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Incorrect
व्याख्या-
प्राचीन मालवा में स्थित मंदसौर अभिलेख में रेशम बुनकरों की श्रेणी का उल्लेख है
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Unattempted
व्याख्या-
प्राचीन मालवा में स्थित मंदसौर अभिलेख में रेशम बुनकरों की श्रेणी का उल्लेख है
कुमार गुप्त के मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि रेशम बुनकरों की एक श्रेणी ने भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
स्कन्द गुप्त के इन्दौर ताम्रपत्र से पता चलता है कि इन्द्रपुर के देवविष्णु नामक ब्राह्मण ने इन्द्रपुर के तेलियों की श्रेणियों ने सूर्य मंदिर के दीपक की स्थाई रूप से देख-रेख की जा सके इस के लिए पूंजी जमा कराई
Question 9 of 54
9. Question
2 points
गुप्तकाल में भूमि संबंधी अभिलेखों को सुरक्षित रखने के लिए नियुक्त पदाधिकारी को कहा जाता था
Correct
व्याख्या-
गुप्तकाल में भूमि आलेखों को सुरक्षित करने के लिए महाक्षपटलिक और करणिक नामक पदाधिकारी थे।
करणिक महाक्षपटलिक के अधीन था।
शौल्किक सीमा शुल्क विभाग का अधीक्षक था।
ध्रुवाधिकरण भूमिकर वसूलने वाला प्रमुख अधिकारी था।
सार्थवाह व्यापारिक दलों का नेता था।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकाल में भूमि आलेखों को सुरक्षित करने के लिए महाक्षपटलिक और करणिक नामक पदाधिकारी थे।
करणिक महाक्षपटलिक के अधीन था।
शौल्किक सीमा शुल्क विभाग का अधीक्षक था।
ध्रुवाधिकरण भूमिकर वसूलने वाला प्रमुख अधिकारी था।
सार्थवाह व्यापारिक दलों का नेता था।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकाल में भूमि आलेखों को सुरक्षित करने के लिए महाक्षपटलिक और करणिक नामक पदाधिकारी थे।
करणिक महाक्षपटलिक के अधीन था।
शौल्किक सीमा शुल्क विभाग का अधीक्षक था।
ध्रुवाधिकरण भूमिकर वसूलने वाला प्रमुख अधिकारी था।
सार्थवाह व्यापारिक दलों का नेता था।
Question 10 of 54
10. Question
2 points
भारत में ‘हूणों’ ने अपने सिक्के किस धातु के चलाये
Correct
व्याख्या-
हूणों ने ताँबे एवं चाँदी के सिक्के चलवाये।
हूणों की स्वर्ण मुद्राएँ नहीं मिली है।
हूण शासक तोरमाण के अनेक सिक्के एवं अभिलेख मिलते हैं।
तोरमाण के दो प्रकार के सिक्के मिलते हैं। एक ससैनियन ढंग के सिक्के, जो फारस के शासक के अनुकरण पर तैयार किये गये थे। इसी में एक पर ‘शाही जबुल’ लिखा हुआ है जो कि तोरमाण की पदवी थी।
दूसरा गुप्त-मध्य भारत में प्रचलित शैली के सिक्के, इन पर ‘विजितावनिखनिपति श्री तोरमाण’ लिखा हुआ है।
तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल ने भी सिक्के जारी किये थे।
Incorrect
व्याख्या-
हूणों ने ताँबे एवं चाँदी के सिक्के चलवाये।
हूणों की स्वर्ण मुद्राएँ नहीं मिली है।
हूण शासक तोरमाण के अनेक सिक्के एवं अभिलेख मिलते हैं।
तोरमाण के दो प्रकार के सिक्के मिलते हैं। एक ससैनियन ढंग के सिक्के, जो फारस के शासक के अनुकरण पर तैयार किये गये थे। इसी में एक पर ‘शाही जबुल’ लिखा हुआ है जो कि तोरमाण की पदवी थी।
दूसरा गुप्त-मध्य भारत में प्रचलित शैली के सिक्के, इन पर ‘विजितावनिखनिपति श्री तोरमाण’ लिखा हुआ है।
तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल ने भी सिक्के जारी किये थे।
Unattempted
व्याख्या-
हूणों ने ताँबे एवं चाँदी के सिक्के चलवाये।
हूणों की स्वर्ण मुद्राएँ नहीं मिली है।
हूण शासक तोरमाण के अनेक सिक्के एवं अभिलेख मिलते हैं।
तोरमाण के दो प्रकार के सिक्के मिलते हैं। एक ससैनियन ढंग के सिक्के, जो फारस के शासक के अनुकरण पर तैयार किये गये थे। इसी में एक पर ‘शाही जबुल’ लिखा हुआ है जो कि तोरमाण की पदवी थी।
दूसरा गुप्त-मध्य भारत में प्रचलित शैली के सिक्के, इन पर ‘विजितावनिखनिपति श्री तोरमाण’ लिखा हुआ है।
तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल ने भी सिक्के जारी किये थे।
Question 11 of 54
11. Question
2 points
‘उपरिक’ शब्द का अभिप्राय है.
Correct
व्याख्या-
गुप्तकाल में प्रांतों को देश, अवनि तथा भुक्ति कहा जाता था।
प्रांतों के प्रशासक को ‘उपरिक’ कहा जाता था।
‘उपरिक’ की नियुक्ति सीधे सम्राट द्वारा की जाती थी तथा वह सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था।
उपरिक महाराज का पद बहुत ही ऊँचा था। इस पद पर साधारणतया राजकुमार ही नियुक्त होते थे।
प्रमुख उपरिक –
मुण्ड्रवर्धन में चिरादत्त,
मंदसोर में बंधवर्मा,
सौराष्ट्र में पर्णदत्त
वैशाली में गोविन्दराप्त आदि उपरिक
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकाल में प्रांतों को देश, अवनि तथा भुक्ति कहा जाता था।
प्रांतों के प्रशासक को ‘उपरिक’ कहा जाता था।
‘उपरिक’ की नियुक्ति सीधे सम्राट द्वारा की जाती थी तथा वह सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था।
उपरिक महाराज का पद बहुत ही ऊँचा था। इस पद पर साधारणतया राजकुमार ही नियुक्त होते थे।
प्रमुख उपरिक –
मुण्ड्रवर्धन में चिरादत्त,
मंदसोर में बंधवर्मा,
सौराष्ट्र में पर्णदत्त
वैशाली में गोविन्दराप्त आदि उपरिक
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकाल में प्रांतों को देश, अवनि तथा भुक्ति कहा जाता था।
प्रांतों के प्रशासक को ‘उपरिक’ कहा जाता था।
‘उपरिक’ की नियुक्ति सीधे सम्राट द्वारा की जाती थी तथा वह सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था।
उपरिक महाराज का पद बहुत ही ऊँचा था। इस पद पर साधारणतया राजकुमार ही नियुक्त होते थे।
प्रमुख उपरिक –
मुण्ड्रवर्धन में चिरादत्त,
मंदसोर में बंधवर्मा,
सौराष्ट्र में पर्णदत्त
वैशाली में गोविन्दराप्त आदि उपरिक
Question 12 of 54
12. Question
2 points
नारद ने स्त्री को द्वितीय पति प्राप्त करने की अनुमति दी है यदि उसका प्रथम पति –
नंपुसक 2. जाति से पतित हो गया हो
दिवंगत हो गया हो 4. प्रव्रजित हो गया हो
नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर निर्दिष्ट कीजिए.
Correct
व्याख्या-
नारद और पाराशर ने पाँच विशेष परिस्थितियों में स्त्रियों को पुनर्विवाह की अनुमति दी है।
(1) मृत हो गया हो।
(2) लापता हो।
(3) संन्यासी ही गया हो।
(4) नपुसक हो।
(5) पतित हो गया हो।
****, मनु, वृहस्पति, विष्णु ने स्त्री पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी हा वृहस्पति ने पति की मृत्य के बाद विधवा पत्नी को आजीवन ब्रह्मचर्य पालन की अनुमति दी है।
Incorrect
व्याख्या-
नारद और पाराशर ने पाँच विशेष परिस्थितियों में स्त्रियों को पुनर्विवाह की अनुमति दी है।
(1) मृत हो गया हो।
(2) लापता हो।
(3) संन्यासी ही गया हो।
(4) नपुसक हो।
(5) पतित हो गया हो।
****, मनु, वृहस्पति, विष्णु ने स्त्री पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी हा वृहस्पति ने पति की मृत्य के बाद विधवा पत्नी को आजीवन ब्रह्मचर्य पालन की अनुमति दी है।
Unattempted
व्याख्या-
नारद और पाराशर ने पाँच विशेष परिस्थितियों में स्त्रियों को पुनर्विवाह की अनुमति दी है।
(1) मृत हो गया हो।
(2) लापता हो।
(3) संन्यासी ही गया हो।
(4) नपुसक हो।
(5) पतित हो गया हो।
****, मनु, वृहस्पति, विष्णु ने स्त्री पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी हा वृहस्पति ने पति की मृत्य के बाद विधवा पत्नी को आजीवन ब्रह्मचर्य पालन की अनुमति दी है।
Question 13 of 54
13. Question
2 points
निम्न में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
वृहत्संहिता -वाराहमिमिहिर जो ज्योतिष से सम्बन्धित प्रसिद्ध पुस्तक है,
बुद्धरचित : अश्वघोष
मृच्छकटिका : शुद्रक
शिलप्पादिकारम् : इलांगो अडिगल
Incorrect
व्याख्या-
वृहत्संहिता -वाराहमिमिहिर जो ज्योतिष से सम्बन्धित प्रसिद्ध पुस्तक है,
बुद्धरचित : अश्वघोष
मृच्छकटिका : शुद्रक
शिलप्पादिकारम् : इलांगो अडिगल
Unattempted
व्याख्या-
वृहत्संहिता -वाराहमिमिहिर जो ज्योतिष से सम्बन्धित प्रसिद्ध पुस्तक है,
बुद्धरचित : अश्वघोष
मृच्छकटिका : शुद्रक
शिलप्पादिकारम् : इलांगो अडिगल
Question 14 of 54
14. Question
2 points
गुप्तवंश के शासकों का सही क्रम क्या था?
Correct
व्याख्या-
गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था उसने सामन्तों वाली महाराज की उपाधि धारण की।
श्रीगुप्त के बाद घटोत्कच गद्छी पर बैठा।
चन्द्रगुप्त गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक था
चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक 319 ई० गुप्त संवत के नाम से जाना जाता है।
चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद उसकी लिच्छवि पत्नी से उत्पन्न पुत्र समुद्रगुप्त गददी पर बैठा।
समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था उसने सामन्तों वाली महाराज की उपाधि धारण की।
श्रीगुप्त के बाद घटोत्कच गद्छी पर बैठा।
चन्द्रगुप्त गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक था
चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक 319 ई० गुप्त संवत के नाम से जाना जाता है।
चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद उसकी लिच्छवि पत्नी से उत्पन्न पुत्र समुद्रगुप्त गददी पर बैठा।
समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था उसने सामन्तों वाली महाराज की उपाधि धारण की।
श्रीगुप्त के बाद घटोत्कच गद्छी पर बैठा।
चन्द्रगुप्त गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक था
चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक 319 ई० गुप्त संवत के नाम से जाना जाता है।
चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद उसकी लिच्छवि पत्नी से उत्पन्न पुत्र समुद्रगुप्त गददी पर बैठा।
समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
Question 15 of 54
15. Question
2 points
चीनी यात्री फाहृयान की भारत यात्र के समय गुप्त वंश में शासक कौन था?
Correct
व्याख्या-
चीनी यात्री फाह्यान ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II के काल में 399-414 ई० के बीच भारत की यात्रा की।
फाह्यान का वर्णन “फो-चो-की” नाम से जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्या-
चीनी यात्री फाह्यान ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II के काल में 399-414 ई० के बीच भारत की यात्रा की।
फाह्यान का वर्णन “फो-चो-की” नाम से जाना जाता है।
Unattempted
व्याख्या-
चीनी यात्री फाह्यान ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II के काल में 399-414 ई० के बीच भारत की यात्रा की।
फाह्यान का वर्णन “फो-चो-की” नाम से जाना जाता है।
Question 16 of 54
16. Question
2 points
गुप्तकाल के संदर्भ में कौन सा वक्तव्य सही नहीं है?
Correct
व्याख्या-
गुप्त शासकों ने प्रचलित स्वर्ण मानक को निम्न कर सिक्के निर्मित किये।
कुषाण काल में सर्वाधिक शुद्ध सिक्के 124 ग्रेन के निर्मित किये गये
गुप्त शासकों ने 144 ग्रेन के स्वर्ण सिक्के दीनार निर्मित किये।
गुप्तकाल में कौड़ी द्वारा विनिमय का प्रमाण है।
गुप्त शासक रोम से व्यापार करते थे।
गुप्तकाल के अभिलेख में ‘दीनार’ का उल्लेख प्राप्त है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्त शासकों ने प्रचलित स्वर्ण मानक को निम्न कर सिक्के निर्मित किये।
कुषाण काल में सर्वाधिक शुद्ध सिक्के 124 ग्रेन के निर्मित किये गये
गुप्त शासकों ने 144 ग्रेन के स्वर्ण सिक्के दीनार निर्मित किये।
गुप्तकाल में कौड़ी द्वारा विनिमय का प्रमाण है।
गुप्त शासक रोम से व्यापार करते थे।
गुप्तकाल के अभिलेख में ‘दीनार’ का उल्लेख प्राप्त है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्त शासकों ने प्रचलित स्वर्ण मानक को निम्न कर सिक्के निर्मित किये।
कुषाण काल में सर्वाधिक शुद्ध सिक्के 124 ग्रेन के निर्मित किये गये
गुप्त शासकों ने 144 ग्रेन के स्वर्ण सिक्के दीनार निर्मित किये।
गुप्तकाल में कौड़ी द्वारा विनिमय का प्रमाण है।
गुप्त शासक रोम से व्यापार करते थे।
गुप्तकाल के अभिलेख में ‘दीनार’ का उल्लेख प्राप्त है।
Question 17 of 54
17. Question
2 points
मध्य प्रदेश में स्थित किस स्थान से प्राप्त अभिलेख में सती होने की घटना का उल्लेख है?
Correct
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के एरण नामक स्थान से गुप्त शासक भानुगुप्त के काल का 510 ई० का एरण अभिलेख मिला है।
एरण अभिलेख में सती होने की घटना का सर्वप्रथम उल्लेख है।
एरण अभिलेख के अनुसार भानुगुप्त का सेनापति गोपराज हूणों से लगडता मारा गया और उसकी पत्नी सती हो गई।
Incorrect
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के एरण नामक स्थान से गुप्त शासक भानुगुप्त के काल का 510 ई० का एरण अभिलेख मिला है।
एरण अभिलेख में सती होने की घटना का सर्वप्रथम उल्लेख है।
एरण अभिलेख के अनुसार भानुगुप्त का सेनापति गोपराज हूणों से लगडता मारा गया और उसकी पत्नी सती हो गई।
Unattempted
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के एरण नामक स्थान से गुप्त शासक भानुगुप्त के काल का 510 ई० का एरण अभिलेख मिला है।
एरण अभिलेख में सती होने की घटना का सर्वप्रथम उल्लेख है।
एरण अभिलेख के अनुसार भानुगुप्त का सेनापति गोपराज हूणों से लगडता मारा गया और उसकी पत्नी सती हो गई।
Question 18 of 54
18. Question
2 points
गुप्तकाल में राज्य की राजस्व का मुख्य स्रोत क्या था
Correct
व्याख्या-
गुप्त काल में राज्य की आमदनी का मुख्य स्रोत भूमिकर था।
गुप्त काल में भूमि पर राजा का ही स्वामित्व था।
राजा भूमि से उत्पन्न उत्पादन का 1/6 से लेकर 1/4 भाग तक भू-राजस्व के रूप में प्राप्त करता था। इस कर को ‘भाग’ कहा जाता था।
Incorrect
Unattempted
Question 19 of 54
19. Question
2 points
स्कन्दगुप्त को उत्तर-पश्चिम सीमा की ओर से किससे लम्बे युद्ध करने पड़े
Correct
व्याख्या-
स्कन्दगुप्त के समय भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा की ओर से मध्य एशिया की हूण नामक बर्बर जाति का खुशनवाज के नेतृत्व में आक्रमण हुआ।
स्कन्दगुप्त और हूणों के बीच हुये युद्ध का वर्णन भितरी स्तम्भ लेख में मिलता है।
जूनागढ़ अभिलेख स्कन्दगुप्त की हूणों के विरुद्ध सफलता का गुणगान करता है।
हूणों का दुबारा आक्रमण तोरमाण के नेतृत्व में हुआ।
तोरमाण ने चन्द्रभागा नदी के तट पर पवैय्या नामक स्थान पर अपना शासन स्थापित कर लिया।
Incorrect
व्याख्या-
स्कन्दगुप्त के समय भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा की ओर से मध्य एशिया की हूण नामक बर्बर जाति का खुशनवाज के नेतृत्व में आक्रमण हुआ।
स्कन्दगुप्त और हूणों के बीच हुये युद्ध का वर्णन भितरी स्तम्भ लेख में मिलता है।
जूनागढ़ अभिलेख स्कन्दगुप्त की हूणों के विरुद्ध सफलता का गुणगान करता है।
हूणों का दुबारा आक्रमण तोरमाण के नेतृत्व में हुआ।
तोरमाण ने चन्द्रभागा नदी के तट पर पवैय्या नामक स्थान पर अपना शासन स्थापित कर लिया।
Unattempted
व्याख्या-
स्कन्दगुप्त के समय भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा की ओर से मध्य एशिया की हूण नामक बर्बर जाति का खुशनवाज के नेतृत्व में आक्रमण हुआ।
स्कन्दगुप्त और हूणों के बीच हुये युद्ध का वर्णन भितरी स्तम्भ लेख में मिलता है।
जूनागढ़ अभिलेख स्कन्दगुप्त की हूणों के विरुद्ध सफलता का गुणगान करता है।
हूणों का दुबारा आक्रमण तोरमाण के नेतृत्व में हुआ।
तोरमाण ने चन्द्रभागा नदी के तट पर पवैय्या नामक स्थान पर अपना शासन स्थापित कर लिया।
Question 20 of 54
20. Question
2 points
कला के किस क्षेत्र में गुप्त काल में असाधारण उन्नति हुई थी
Correct
व्याख्या-
गुप्तकाल में चित्रकला के क्षेत्र में असाधारण उन्नति हुयी।
अजन्ता एवं बाघ की गुफाओं में बने चित्र गुप्तकाल के है।
अजन्ता महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
अजन्ता की गुफाओं का निर्माण द्वितीय शताब्दी ई.पू0 से लेकर सातवीं शताब्दी ई. तक हुआ।
अजन्ता की गुफा संख्या 16, 17 और 19 गुप्तकालीन हैं।
बाघ की गुफा मध्यप्रदेश में ग्वालियर के समीप धार जिले में स्थित है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकाल में चित्रकला के क्षेत्र में असाधारण उन्नति हुयी।
अजन्ता एवं बाघ की गुफाओं में बने चित्र गुप्तकाल के है।
अजन्ता महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
अजन्ता की गुफाओं का निर्माण द्वितीय शताब्दी ई.पू0 से लेकर सातवीं शताब्दी ई. तक हुआ।
अजन्ता की गुफा संख्या 16, 17 और 19 गुप्तकालीन हैं।
बाघ की गुफा मध्यप्रदेश में ग्वालियर के समीप धार जिले में स्थित है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकाल में चित्रकला के क्षेत्र में असाधारण उन्नति हुयी।
अजन्ता एवं बाघ की गुफाओं में बने चित्र गुप्तकाल के है।
अजन्ता महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
अजन्ता की गुफाओं का निर्माण द्वितीय शताब्दी ई.पू0 से लेकर सातवीं शताब्दी ई. तक हुआ।
अजन्ता की गुफा संख्या 16, 17 और 19 गुप्तकालीन हैं।
बाघ की गुफा मध्यप्रदेश में ग्वालियर के समीप धार जिले में स्थित है।
Question 21 of 54
21. Question
2 points
समुद्रगुप्त का दक्षिण के राज्यों पर कैसा आधिपत्य था
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में उसकी विजयों एवं पराजित शासकों के प्रति उसकी नीति का पूरा विवरण मिलता है।
समुद्रगुप्त के दक्षिण विजय को इतिहासकार रायचौधरी ने ‘धर्म विजय’ की संज्ञा दी है।
प्रयाग प्रशस्ति की 19वीं एवं 20वीं पंक्ति में दक्षिणापथ युद्ध का विवरण मिलता है।
दक्षिणापथ युद्ध में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति “सर्वदक्षिणापथ ग्रहणमोक्षानुग्रह” की नीति अपनाई गयी, अर्थात विजय करने के बाद भेंट-उपहारादि प्राप्त करके उनके राज्य वापस लौटा दिये गये।
समुद्रगुप्त ने उन्मूलित राजवंशों को पुनः प्रतिष्ठित किया।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में उसकी विजयों एवं पराजित शासकों के प्रति उसकी नीति का पूरा विवरण मिलता है।
समुद्रगुप्त के दक्षिण विजय को इतिहासकार रायचौधरी ने ‘धर्म विजय’ की संज्ञा दी है।
प्रयाग प्रशस्ति की 19वीं एवं 20वीं पंक्ति में दक्षिणापथ युद्ध का विवरण मिलता है।
दक्षिणापथ युद्ध में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति “सर्वदक्षिणापथ ग्रहणमोक्षानुग्रह” की नीति अपनाई गयी, अर्थात विजय करने के बाद भेंट-उपहारादि प्राप्त करके उनके राज्य वापस लौटा दिये गये।
समुद्रगुप्त ने उन्मूलित राजवंशों को पुनः प्रतिष्ठित किया।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में उसकी विजयों एवं पराजित शासकों के प्रति उसकी नीति का पूरा विवरण मिलता है।
समुद्रगुप्त के दक्षिण विजय को इतिहासकार रायचौधरी ने ‘धर्म विजय’ की संज्ञा दी है।
प्रयाग प्रशस्ति की 19वीं एवं 20वीं पंक्ति में दक्षिणापथ युद्ध का विवरण मिलता है।
दक्षिणापथ युद्ध में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति “सर्वदक्षिणापथ ग्रहणमोक्षानुग्रह” की नीति अपनाई गयी, अर्थात विजय करने के बाद भेंट-उपहारादि प्राप्त करके उनके राज्य वापस लौटा दिये गये।
समुद्रगुप्त ने उन्मूलित राजवंशों को पुनः प्रतिष्ठित किया।
Question 22 of 54
22. Question
2 points
प्राचीन भारत में ज्योतिषशास्त्र का पहला प्रसिद्ध विद्वान कौन था
Correct
व्याख्या-
आर्यभट्ट को प्राचीन भारत में ज्योतिष शास्त्र का प्रथम विद्वान माना जाता है।
आर्यभट्ट ज्योतिषी होने के साथ-साथ ये प्रसिद्ध गणितज्ञ भी थे।
आर्यभट्ट गुप्तकाल के समकालीन है।
आर्यभट्ट की प्रसिद्ध रचना आर्यभट्टीयम है। इन्होंने ज्योतिष को गणित से अलग शास्त्र माना तथा दशमलव प्रणाली का विकास किया।
आर्यभट्ट और कालिदास ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II, /चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार थे
Incorrect
व्याख्या-
आर्यभट्ट को प्राचीन भारत में ज्योतिष शास्त्र का प्रथम विद्वान माना जाता है।
आर्यभट्ट ज्योतिषी होने के साथ-साथ ये प्रसिद्ध गणितज्ञ भी थे।
आर्यभट्ट गुप्तकाल के समकालीन है।
आर्यभट्ट की प्रसिद्ध रचना आर्यभट्टीयम है। इन्होंने ज्योतिष को गणित से अलग शास्त्र माना तथा दशमलव प्रणाली का विकास किया।
आर्यभट्ट और कालिदास ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II, /चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार थे
Unattempted
व्याख्या-
आर्यभट्ट को प्राचीन भारत में ज्योतिष शास्त्र का प्रथम विद्वान माना जाता है।
आर्यभट्ट ज्योतिषी होने के साथ-साथ ये प्रसिद्ध गणितज्ञ भी थे।
आर्यभट्ट गुप्तकाल के समकालीन है।
आर्यभट्ट की प्रसिद्ध रचना आर्यभट्टीयम है। इन्होंने ज्योतिष को गणित से अलग शास्त्र माना तथा दशमलव प्रणाली का विकास किया।
आर्यभट्ट और कालिदास ने गुप्त शासक चन्द्रगुप्त II, /चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार थे
Question 23 of 54
23. Question
2 points
मंदिर निर्माण वास्तुकला का भव्य स्वरूप कब पूर्ण रूप से विकसित हुआ
Correct
व्याख्या-
छठवीं शताब्दी से गुप्त साम्राज्य में मन्दिर निर्माण का कला आरम्भ हुआ।
गुप्त कालिन मंदिर-
देवगढ़ के दशावातर मन्दिर,
भूमरा का शैव मन्दिर,
नचंना गुठार का पर्वती मन्दिर,
एरण का विष्णु मन्दिर,
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में देवगढ़ नामक स्थान से प्राप्त दशावतार मन्दिर उल्लेखनीय है।
सभी. मन्दिरों में देवगढ़ का दशावतार मन्दिर सर्वाधिक सुन्दर है जिसमें गुप्त मन्दिरों की सभी विशेषतायें प्राप्त हो जाती है।
Incorrect
व्याख्या-
छठवीं शताब्दी से गुप्त साम्राज्य में मन्दिर निर्माण का कला आरम्भ हुआ।
गुप्त कालिन मंदिर-
देवगढ़ के दशावातर मन्दिर,
भूमरा का शैव मन्दिर,
नचंना गुठार का पर्वती मन्दिर,
एरण का विष्णु मन्दिर,
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में देवगढ़ नामक स्थान से प्राप्त दशावतार मन्दिर उल्लेखनीय है।
सभी. मन्दिरों में देवगढ़ का दशावतार मन्दिर सर्वाधिक सुन्दर है जिसमें गुप्त मन्दिरों की सभी विशेषतायें प्राप्त हो जाती है।
Unattempted
व्याख्या-
छठवीं शताब्दी से गुप्त साम्राज्य में मन्दिर निर्माण का कला आरम्भ हुआ।
गुप्त कालिन मंदिर-
देवगढ़ के दशावातर मन्दिर,
भूमरा का शैव मन्दिर,
नचंना गुठार का पर्वती मन्दिर,
एरण का विष्णु मन्दिर,
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में देवगढ़ नामक स्थान से प्राप्त दशावतार मन्दिर उल्लेखनीय है।
सभी. मन्दिरों में देवगढ़ का दशावतार मन्दिर सर्वाधिक सुन्दर है जिसमें गुप्त मन्दिरों की सभी विशेषतायें प्राप्त हो जाती है।
Question 24 of 54
24. Question
2 points
महरौली के लौह स्तम्भ में शासक नाम है
Correct
व्याख्या-
दिल्ली में महरौली में स्थित लौह स्तम्भ में चन्द्र नामक शासक की विजयों का उल्लेख है।
चन्द्र की पहचान चन्द्रगुप्त द्वितीय से की जाती है।
महरौली में स्थित लौह स्तम्भ लेख में राजा चन्द्र के द्वारा सप्त सिन्धु पार कर बाहलीकों के विरूद्ध और पूर्व में बंग शासकों के विरूद्ध विजय का वर्णन किया गया है।
बंग की पहचान बंगाल तथा बाहलीकों की पहचान बल्ख से की जाती है।
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली में महरौली में स्थित लौह स्तम्भ में चन्द्र नामक शासक की विजयों का उल्लेख है।
चन्द्र की पहचान चन्द्रगुप्त द्वितीय से की जाती है।
महरौली में स्थित लौह स्तम्भ लेख में राजा चन्द्र के द्वारा सप्त सिन्धु पार कर बाहलीकों के विरूद्ध और पूर्व में बंग शासकों के विरूद्ध विजय का वर्णन किया गया है।
बंग की पहचान बंगाल तथा बाहलीकों की पहचान बल्ख से की जाती है।
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली में महरौली में स्थित लौह स्तम्भ में चन्द्र नामक शासक की विजयों का उल्लेख है।
चन्द्र की पहचान चन्द्रगुप्त द्वितीय से की जाती है।
महरौली में स्थित लौह स्तम्भ लेख में राजा चन्द्र के द्वारा सप्त सिन्धु पार कर बाहलीकों के विरूद्ध और पूर्व में बंग शासकों के विरूद्ध विजय का वर्णन किया गया है।
बंग की पहचान बंगाल तथा बाहलीकों की पहचान बल्ख से की जाती है।
Question 25 of 54
25. Question
2 points
राजग्रहणमोक्षानुग्रह (पराजित राजाओं को उनके राज्य लौटा देना) की नीति अपनायी थी
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त के दक्षिणापथ की विजय के बारे में उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति की 19 वीं, 20 वीं पंक्ति में मिलता है।
समुद्रगुप्त की दक्षिण विजय को इतिहासकार राय चौधरी ने धर्म विजय की संज्ञा दी है।
दक्षिणापथ की विजय में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति राजग्रहणमोक्षानुग्रह की नीति अपनायी अर्थात् विजय के बाद उनके राज्य वापस कर दिये गये।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त के दक्षिणापथ की विजय के बारे में उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति की 19 वीं, 20 वीं पंक्ति में मिलता है।
समुद्रगुप्त की दक्षिण विजय को इतिहासकार राय चौधरी ने धर्म विजय की संज्ञा दी है।
दक्षिणापथ की विजय में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति राजग्रहणमोक्षानुग्रह की नीति अपनायी अर्थात् विजय के बाद उनके राज्य वापस कर दिये गये।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त के दक्षिणापथ की विजय के बारे में उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति की 19 वीं, 20 वीं पंक्ति में मिलता है।
समुद्रगुप्त की दक्षिण विजय को इतिहासकार राय चौधरी ने धर्म विजय की संज्ञा दी है।
दक्षिणापथ की विजय में उसने 12 राज्यों को पराजित किया।
दक्षिणापथ राज्यों के प्रति राजग्रहणमोक्षानुग्रह की नीति अपनायी अर्थात् विजय के बाद उनके राज्य वापस कर दिये गये।
Question 26 of 54
26. Question
2 points
भितरी अभिलेख में विजय का विवरण है
Correct
व्याख्या-
भीतरी अभिलेख –
भीतरी अभिलेख स्कंदगुप्त से संबंधित है जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से प्राप्त हुआ है।
इस अभिलेख में हूणों के आक्रमण का उल्लेख हुआ है जिसका सफलतापूर्वक दमन स्कंदगुप्त द्वारा किया गया।
स्कंदगुप्त गुप्त वंश का एक शासक था।
Incorrect
व्याख्या-
भीतरी अभिलेख –
भीतरी अभिलेख स्कंदगुप्त से संबंधित है जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से प्राप्त हुआ है।
इस अभिलेख में हूणों के आक्रमण का उल्लेख हुआ है जिसका सफलतापूर्वक दमन स्कंदगुप्त द्वारा किया गया।
स्कंदगुप्त गुप्त वंश का एक शासक था।
Unattempted
व्याख्या-
भीतरी अभिलेख –
भीतरी अभिलेख स्कंदगुप्त से संबंधित है जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से प्राप्त हुआ है।
इस अभिलेख में हूणों के आक्रमण का उल्लेख हुआ है जिसका सफलतापूर्वक दमन स्कंदगुप्त द्वारा किया गया।
स्कंदगुप्त गुप्त वंश का एक शासक था।
Question 27 of 54
27. Question
2 points
हरिषेण ने रचना की थी
Correct
व्याख्या-
हरिषेण गुप्त शासक समुद्रगुप्त के दरबार में संधिविग्रहिक के पद पर कार्यरत था।
हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद अभिलेख) की रचना की थी।
प्रयाग प्रशस्ति चम्पू शैली में लिखा गया है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के विजयों का उल्लेख विवरण मिलता है।
Incorrect
व्याख्या-
हरिषेण गुप्त शासक समुद्रगुप्त के दरबार में संधिविग्रहिक के पद पर कार्यरत था।
हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद अभिलेख) की रचना की थी।
प्रयाग प्रशस्ति चम्पू शैली में लिखा गया है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के विजयों का उल्लेख विवरण मिलता है।
Unattempted
व्याख्या-
हरिषेण गुप्त शासक समुद्रगुप्त के दरबार में संधिविग्रहिक के पद पर कार्यरत था।
हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद अभिलेख) की रचना की थी।
प्रयाग प्रशस्ति चम्पू शैली में लिखा गया है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के विजयों का उल्लेख विवरण मिलता है।
Question 28 of 54
28. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन एक प्रशासकीय विभाग है
Correct
व्याख्या-
प्रशासन की सुविधा के लिये गुप्त साम्राज्य अनेक प्रांतों में विभाजित था
प्रांतों को देश, अवनि अथवा भुक्ति कहा जाता था।
मंडल भी एक प्रशासनिक इकाई था जिसका उल्लेख मौर्य प्रशासन में एवं विजयनगर प्रशासन में मिलता है।
मौर्य प्रशासन में साम्राज्य प्रांत मण्डलों में बंटे थे।
विजयनगर कालीन प्रांत राज्य या मण्डलम कहलाते थे।
देश, भुक्त्ति तथा मण्डल सभी प्रशासकीय विभाग हैं।
Incorrect
व्याख्या-
प्रशासन की सुविधा के लिये गुप्त साम्राज्य अनेक प्रांतों में विभाजित था
प्रांतों को देश, अवनि अथवा भुक्ति कहा जाता था।
मंडल भी एक प्रशासनिक इकाई था जिसका उल्लेख मौर्य प्रशासन में एवं विजयनगर प्रशासन में मिलता है।
मौर्य प्रशासन में साम्राज्य प्रांत मण्डलों में बंटे थे।
विजयनगर कालीन प्रांत राज्य या मण्डलम कहलाते थे।
देश, भुक्त्ति तथा मण्डल सभी प्रशासकीय विभाग हैं।
Unattempted
व्याख्या-
प्रशासन की सुविधा के लिये गुप्त साम्राज्य अनेक प्रांतों में विभाजित था
प्रांतों को देश, अवनि अथवा भुक्ति कहा जाता था।
मंडल भी एक प्रशासनिक इकाई था जिसका उल्लेख मौर्य प्रशासन में एवं विजयनगर प्रशासन में मिलता है।
मौर्य प्रशासन में साम्राज्य प्रांत मण्डलों में बंटे थे।
विजयनगर कालीन प्रांत राज्य या मण्डलम कहलाते थे।
देश, भुक्त्ति तथा मण्डल सभी प्रशासकीय विभाग हैं।
Question 29 of 54
29. Question
2 points
भाग क्या था
Correct
व्याख्या-
गुप्तकाल में ‘भाग’ भूमि से उत्पन्न अनाज पर लिया जाने वाला कर था।
भाग भू-राजस्व में राजा का हिस्सा था
‘भाग’ की मात्रा सामान्यतः 1/6 भाग होती थी।
कृषक भूमि कर (भाग) को हिरण्य (नगद) या मे (अन्न के तौल) दोनों रूपों में दे सकते थे।
गुप्तकाल में भूमिकर संग्रह करने वाले अधिकारी को ‘ध्रुवाधिकरण’ कहा जाता था।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकाल में ‘भाग’ भूमि से उत्पन्न अनाज पर लिया जाने वाला कर था।
भाग भू-राजस्व में राजा का हिस्सा था
‘भाग’ की मात्रा सामान्यतः 1/6 भाग होती थी।
कृषक भूमि कर (भाग) को हिरण्य (नगद) या मे (अन्न के तौल) दोनों रूपों में दे सकते थे।
गुप्तकाल में भूमिकर संग्रह करने वाले अधिकारी को ‘ध्रुवाधिकरण’ कहा जाता था।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकाल में ‘भाग’ भूमि से उत्पन्न अनाज पर लिया जाने वाला कर था।
भाग भू-राजस्व में राजा का हिस्सा था
‘भाग’ की मात्रा सामान्यतः 1/6 भाग होती थी।
कृषक भूमि कर (भाग) को हिरण्य (नगद) या मे (अन्न के तौल) दोनों रूपों में दे सकते थे।
गुप्तकाल में भूमिकर संग्रह करने वाले अधिकारी को ‘ध्रुवाधिकरण’ कहा जाता था।
Question 30 of 54
30. Question
2 points
किस जगह को प्राचीन काल में समतट कहा जाता था..
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति की 22 वीं पंक्ति में उसके द्वारा सीमावर्ती राज्यों की विजय का उल्लेख है।
सीमावर्ती राज्य – समतट, डवाक, कामरूप, कर्तृपुर एवं नेपाल।
समतट की पहचान पूर्वी बंगाल अथवा आधुनिक बांग्लादेश,
डवाक की पहचान असम के नौगांव जिले में स्थित डवोक,
कामरूप की पहचान असम
कर्तृपुर की पहचान जालंधर में स्थित करतारपुर से की जाती है।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति की 22 वीं पंक्ति में उसके द्वारा सीमावर्ती राज्यों की विजय का उल्लेख है।
सीमावर्ती राज्य – समतट, डवाक, कामरूप, कर्तृपुर एवं नेपाल।
समतट की पहचान पूर्वी बंगाल अथवा आधुनिक बांग्लादेश,
डवाक की पहचान असम के नौगांव जिले में स्थित डवोक,
कामरूप की पहचान असम
कर्तृपुर की पहचान जालंधर में स्थित करतारपुर से की जाती है।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति की 22 वीं पंक्ति में उसके द्वारा सीमावर्ती राज्यों की विजय का उल्लेख है।
सीमावर्ती राज्य – समतट, डवाक, कामरूप, कर्तृपुर एवं नेपाल।
समतट की पहचान पूर्वी बंगाल अथवा आधुनिक बांग्लादेश,
डवाक की पहचान असम के नौगांव जिले में स्थित डवोक,
कामरूप की पहचान असम
कर्तृपुर की पहचान जालंधर में स्थित करतारपुर से की जाती है।
Question 31 of 54
31. Question
2 points
एरण लेख किसके शासन से सम्बन्धित है
Correct
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के सागर जिले में एरण नामक स्थान से समुद्रगुप्त का एक लेख मिला है
एरण लेख में समुद्रगुप्त को पृथु, राघव आदि राजाओं से बढ़कर दानी कहा गया है जो प्रसन्न होने पर कुबेर तथा रुष्ट होने पर यमराज के समान था।
एरण लेख से यह भी पता चला है कि ऐरिकिरण प्रदेश (एरण) उसका भोगनगर’ था।
एरण अभिलेख में समुद्रगुप्त की पत्नी का नाम दत्तदेवी मिलता है
Incorrect
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के सागर जिले में एरण नामक स्थान से समुद्रगुप्त का एक लेख मिला है
एरण लेख में समुद्रगुप्त को पृथु, राघव आदि राजाओं से बढ़कर दानी कहा गया है जो प्रसन्न होने पर कुबेर तथा रुष्ट होने पर यमराज के समान था।
एरण लेख से यह भी पता चला है कि ऐरिकिरण प्रदेश (एरण) उसका भोगनगर’ था।
एरण अभिलेख में समुद्रगुप्त की पत्नी का नाम दत्तदेवी मिलता है
Unattempted
व्याख्या-
मध्य प्रदेश के सागर जिले में एरण नामक स्थान से समुद्रगुप्त का एक लेख मिला है
एरण लेख में समुद्रगुप्त को पृथु, राघव आदि राजाओं से बढ़कर दानी कहा गया है जो प्रसन्न होने पर कुबेर तथा रुष्ट होने पर यमराज के समान था।
एरण लेख से यह भी पता चला है कि ऐरिकिरण प्रदेश (एरण) उसका भोगनगर’ था।
एरण अभिलेख में समुद्रगुप्त की पत्नी का नाम दत्तदेवी मिलता है
Question 32 of 54
32. Question
2 points
प्राचीन भारतीय राजप्रसादों के किस मण्डप की तुलना मुगलकालीन ‘दरबार-ए-खास’ से कर सकते हैं जहाँ राजा गम्भीर मंत्रणा करता था?
Correct
व्याख्या-
प्राचीन भारतीय राजप्रासादों में मंत्रियों से गम्भीर मंत्रणा हेतु सभा-मण्डप का निर्माण किया जाता था।
बुद्धकालीन वैशाली का सभा-मण्डप इस हेतु विख्यात था।
वैशाली का सभा-मण्डप मध्यकालीन मुगल राजप्रसाद के ‘दरबार-ए-खास’ के ही समान था।
Incorrect
व्याख्या-
प्राचीन भारतीय राजप्रासादों में मंत्रियों से गम्भीर मंत्रणा हेतु सभा-मण्डप का निर्माण किया जाता था।
बुद्धकालीन वैशाली का सभा-मण्डप इस हेतु विख्यात था।
वैशाली का सभा-मण्डप मध्यकालीन मुगल राजप्रसाद के ‘दरबार-ए-खास’ के ही समान था।
Unattempted
व्याख्या-
प्राचीन भारतीय राजप्रासादों में मंत्रियों से गम्भीर मंत्रणा हेतु सभा-मण्डप का निर्माण किया जाता था।
बुद्धकालीन वैशाली का सभा-मण्डप इस हेतु विख्यात था।
वैशाली का सभा-मण्डप मध्यकालीन मुगल राजप्रसाद के ‘दरबार-ए-खास’ के ही समान था।
Question 33 of 54
33. Question
2 points
अजन्ता के प्राचीनतम चित्र किस काल के माने जाते हैं?
Correct
व्याख्या-
अजन्ता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शताब्दी ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शताब्दी के हैं।
Incorrect
व्याख्या-
अजन्ता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शताब्दी ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शताब्दी के हैं।
Unattempted
व्याख्या-
अजन्ता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शताब्दी ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शताब्दी के हैं।
Question 34 of 54
34. Question
2 points
‘चक्रवर्ती क्षेत्र’ की परिकल्पना का विकास हुआ
Correct
व्याख्या-
प्राचीन काल में हिन्दू-पुराणों में ‘चक्रवर्ती क्षेत्र की अवधारणा प्रस्तुत की गयी है।
गुप्तयुगीन कवि कालिदास ने भी चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के साम्राज्य विस्तार की तुलना अयोध्यावंशी राजा भृगु एवं दिलीप की दिग्विजय से की है।
Incorrect
व्याख्या-
प्राचीन काल में हिन्दू-पुराणों में ‘चक्रवर्ती क्षेत्र की अवधारणा प्रस्तुत की गयी है।
गुप्तयुगीन कवि कालिदास ने भी चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के साम्राज्य विस्तार की तुलना अयोध्यावंशी राजा भृगु एवं दिलीप की दिग्विजय से की है।
Unattempted
व्याख्या-
प्राचीन काल में हिन्दू-पुराणों में ‘चक्रवर्ती क्षेत्र की अवधारणा प्रस्तुत की गयी है।
गुप्तयुगीन कवि कालिदास ने भी चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के साम्राज्य विस्तार की तुलना अयोध्यावंशी राजा भृगु एवं दिलीप की दिग्विजय से की है।
Question 35 of 54
35. Question
2 points
चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा विवरण के सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि वह
Correct
व्याख्या-
चीनी यात्री फाहयान, (399-414ई.) जो चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया,
फाहयान ने मध्य प्रदेश का वर्णन किया एवं मध्य प्रदेश के राजा के कुशल प्रशासन की प्रशंसा की
फाहयान,ने अपने यात्रा विवरण में गुप्त शासकों का नामोल्लेख नही किया।
Incorrect
व्याख्या-
चीनी यात्री फाहयान, (399-414ई.) जो चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया,
फाहयान ने मध्य प्रदेश का वर्णन किया एवं मध्य प्रदेश के राजा के कुशल प्रशासन की प्रशंसा की
फाहयान,ने अपने यात्रा विवरण में गुप्त शासकों का नामोल्लेख नही किया।
Unattempted
व्याख्या-
चीनी यात्री फाहयान, (399-414ई.) जो चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया,
फाहयान ने मध्य प्रदेश का वर्णन किया एवं मध्य प्रदेश के राजा के कुशल प्रशासन की प्रशंसा की
फाहयान,ने अपने यात्रा विवरण में गुप्त शासकों का नामोल्लेख नही किया।
Question 36 of 54
36. Question
2 points
कौन सा गुप्त वंशीय शासक सौ युद्धों का विजेता था
Correct
व्याख्या-
गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त को उसकी गरुड़ प्रकार की मुद्राओं में सैकड़ों युद्धों का विजेता कहा गया है।
गरूड़ प्रकार के सिक्के नागवंशी राजाओं के ऊपर उसकी विजय के संकेत है।
गरूड़ प्रकार के सिक्कों के मुख भाग पर राजा की आकृति, गरूड़ ध्वज तथा पृष्ठ भाग पर पराक्रमः अंकित है।
इतिहासकार स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी है।
समुद्रगुप्त ने कविराज की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी भी था।
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त को उसकी गरुड़ प्रकार की मुद्राओं में सैकड़ों युद्धों का विजेता कहा गया है।
गरूड़ प्रकार के सिक्के नागवंशी राजाओं के ऊपर उसकी विजय के संकेत है।
गरूड़ प्रकार के सिक्कों के मुख भाग पर राजा की आकृति, गरूड़ ध्वज तथा पृष्ठ भाग पर पराक्रमः अंकित है।
इतिहासकार स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी है।
समुद्रगुप्त ने कविराज की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी भी था।
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त को उसकी गरुड़ प्रकार की मुद्राओं में सैकड़ों युद्धों का विजेता कहा गया है।
गरूड़ प्रकार के सिक्के नागवंशी राजाओं के ऊपर उसकी विजय के संकेत है।
गरूड़ प्रकार के सिक्कों के मुख भाग पर राजा की आकृति, गरूड़ ध्वज तथा पृष्ठ भाग पर पराक्रमः अंकित है।
इतिहासकार स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी है।
समुद्रगुप्त ने कविराज की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी भी था।
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
Question 37 of 54
37. Question
2 points
गुप्त काल के शिल्पी संघों में से कौन सा शिल्पी संघ दान देने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध था
Correct
व्याख्या-
कुमारगुप्त कालीन मंदसौर अभिलेख ज्ञात होता है कि मालवा की पट्टवाय (रेशम बुनकरों की) श्रेणी ने शिल्प द्वारा अर्जित धन से 426-37 ई. में मालवा में (मंदसौर) एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया |
गुप्तकाल के शिल्पी संघों में मालवा (मंदसौर का रेशम बुनकर शिल्पी संघ दान देने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध था।
Incorrect
व्याख्या-
कुमारगुप्त कालीन मंदसौर अभिलेख ज्ञात होता है कि मालवा की पट्टवाय (रेशम बुनकरों की) श्रेणी ने शिल्प द्वारा अर्जित धन से 426-37 ई. में मालवा में (मंदसौर) एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया |
गुप्तकाल के शिल्पी संघों में मालवा (मंदसौर का रेशम बुनकर शिल्पी संघ दान देने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध था।
Unattempted
व्याख्या-
कुमारगुप्त कालीन मंदसौर अभिलेख ज्ञात होता है कि मालवा की पट्टवाय (रेशम बुनकरों की) श्रेणी ने शिल्प द्वारा अर्जित धन से 426-37 ई. में मालवा में (मंदसौर) एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया |
गुप्तकाल के शिल्पी संघों में मालवा (मंदसौर का रेशम बुनकर शिल्पी संघ दान देने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध था।
Question 38 of 54
38. Question
2 points
गुप्तकालीन चित्रकला का उत्कृष्टतम् रूप मिलता है
Correct
व्याख्या-
गुप्तकालीन चित्रकला का उत्कृष्टतम रूप अजन्ता गुहाओं में मिला है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित इस गुफा की खोज 1819 ई. में सर जेम्स अलेक्जेन्डर ने की।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शती ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शती के हैं।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तकालीन चित्रकला का उत्कृष्टतम रूप अजन्ता गुहाओं में मिला है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित इस गुफा की खोज 1819 ई. में सर जेम्स अलेक्जेन्डर ने की।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शती ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शती के हैं।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तकालीन चित्रकला का उत्कृष्टतम रूप अजन्ता गुहाओं में मिला है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित इस गुफा की खोज 1819 ई. में सर जेम्स अलेक्जेन्डर ने की।
अजन्ता के पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है।
अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1, 2) के चित्र ही अवशिष्ट हैं तथा अन्य नष्ट हो गये हैं।
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सार्वधिक प्राचीन है जिनका समय दूसरी शती ई. पू) माना जाता है।
इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है।
गुफा संख्या 16वीं एवं 17वीं के चित्र गुप्त काल के है और वे कला की दृष्टि से सर्वोत्तम है।
गुफा संख्या 16वीं में ‘मरणासन्न राजकुमारी’ नामक चित्र
गुफा संख्या 17वीं में ‘माता और शिशु’ नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है।
गुफा संख्या 17वीं को चित्रशाला कहा जाता है
पहली ‘दूसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शती के हैं।
Question 39 of 54
39. Question
2 points
‘प्रयाग प्रशस्ति’ में किस शासक के सामरिक अभियानों का वर्णन है?
Correct
व्याख्या-
हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के सैन्य अभियानों का वर्णन मिलता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को सौ युद्धों का विजेता बताया गया है।
प्रयाग स्तम्भ पर अशोक के धम्म और शांति संदेश उत्कीर्ण किये जा चुके थे।
Incorrect
व्याख्या-
हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के सैन्य अभियानों का वर्णन मिलता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को सौ युद्धों का विजेता बताया गया है।
प्रयाग स्तम्भ पर अशोक के धम्म और शांति संदेश उत्कीर्ण किये जा चुके थे।
Unattempted
व्याख्या-
हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के सैन्य अभियानों का वर्णन मिलता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को सौ युद्धों का विजेता बताया गया है।
प्रयाग स्तम्भ पर अशोक के धम्म और शांति संदेश उत्कीर्ण किये जा चुके थे।
Question 40 of 54
40. Question
2 points
किस गुप्त शासक ने चाँदी के सिक्के चलाये थे?
Correct
व्याख्या-
गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने सर्वप्रथम चांदी की मुद्रायें जारी की।
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शक विजय के उपलक्ष्य में मालवा क्षेत्र में व्याघ्र शैली के चांदी के सिक्के चलवाए थे।
शक विजय के अवसर पर चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने धनुर्धारी, छत्रधारी, पर्यंक, अश्वारोही आदि विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किये थे।
शेर की आकृति वाले सिक्के के मुख भाग पर सिंह को धनुष-बाण अथवा कृपाण से मारते हुए राजा की आकृति उत्कीर्ण है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने सर्वप्रथम चांदी की मुद्रायें जारी की।
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शक विजय के उपलक्ष्य में मालवा क्षेत्र में व्याघ्र शैली के चांदी के सिक्के चलवाए थे।
शक विजय के अवसर पर चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने धनुर्धारी, छत्रधारी, पर्यंक, अश्वारोही आदि विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किये थे।
शेर की आकृति वाले सिक्के के मुख भाग पर सिंह को धनुष-बाण अथवा कृपाण से मारते हुए राजा की आकृति उत्कीर्ण है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने सर्वप्रथम चांदी की मुद्रायें जारी की।
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शक विजय के उपलक्ष्य में मालवा क्षेत्र में व्याघ्र शैली के चांदी के सिक्के चलवाए थे।
शक विजय के अवसर पर चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने धनुर्धारी, छत्रधारी, पर्यंक, अश्वारोही आदि विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किये थे।
शेर की आकृति वाले सिक्के के मुख भाग पर सिंह को धनुष-बाण अथवा कृपाण से मारते हुए राजा की आकृति उत्कीर्ण है।
Question 41 of 54
41. Question
2 points
‘भारत का नेपोलियन’ किसे कहा जाता है
Correct
व्याख्या-
विन्सेन्ट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
समुद्रगुप्त ने ‘कविराज’ की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी था
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
संसार के दिग्विजयी राजाओं में समुद्रगुप्त अग्रण्य है।
Incorrect
व्याख्या-
विन्सेन्ट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
समुद्रगुप्त ने ‘कविराज’ की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी था
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
संसार के दिग्विजयी राजाओं में समुद्रगुप्त अग्रण्य है।
Unattempted
व्याख्या-
विन्सेन्ट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
समुद्रगुप्त ने ‘कविराज’ की उपाधि धारण की थी।
समुद्रगुप्त वीणा प्रेमी था
समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बसुबन्धु रहते थे।
संसार के दिग्विजयी राजाओं में समुद्रगुप्त अग्रण्य है।
Question 42 of 54
42. Question
2 points
नालन्दा किस रूप में प्रसिद्ध था
Correct
व्याख्या-
नालन्दा विश्वविद्यालय कुमारगुप्त द्वारा बनवाया गया था
जिसका वर्णन सातवीं शताब्दी में हेनसांग एवं इत्सिंग ने किया है।
प्राचीन काल में नालन्दा एक ज्ञान के स्थल के रूप में प्रसिद्ध था।
बिहार की राजधानी पटना के निकट राजगृह से 7 मील की दूरी पर आधुनिक बड़गांव नामक ग्राम से प्राचीन नालन्दा के अवशेष मिलते है।
Incorrect
व्याख्या-
नालन्दा विश्वविद्यालय कुमारगुप्त द्वारा बनवाया गया था
जिसका वर्णन सातवीं शताब्दी में हेनसांग एवं इत्सिंग ने किया है।
प्राचीन काल में नालन्दा एक ज्ञान के स्थल के रूप में प्रसिद्ध था।
बिहार की राजधानी पटना के निकट राजगृह से 7 मील की दूरी पर आधुनिक बड़गांव नामक ग्राम से प्राचीन नालन्दा के अवशेष मिलते है।
Unattempted
व्याख्या-
नालन्दा विश्वविद्यालय कुमारगुप्त द्वारा बनवाया गया था
जिसका वर्णन सातवीं शताब्दी में हेनसांग एवं इत्सिंग ने किया है।
प्राचीन काल में नालन्दा एक ज्ञान के स्थल के रूप में प्रसिद्ध था।
बिहार की राजधानी पटना के निकट राजगृह से 7 मील की दूरी पर आधुनिक बड़गांव नामक ग्राम से प्राचीन नालन्दा के अवशेष मिलते है।
Question 43 of 54
43. Question
2 points
फाह्यान किसके काल में आया था
Correct
व्याख्या-
गुप्तवंशीय शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के समय में 399 ई. में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया
फाह्यान का यात्रा वृत्तान्त चन्द्रगुप्त द्वितीय कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर चित्रण करता है।
Incorrect
व्याख्या-
गुप्तवंशीय शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के समय में 399 ई. में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया
फाह्यान का यात्रा वृत्तान्त चन्द्रगुप्त द्वितीय कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर चित्रण करता है।
Unattempted
व्याख्या-
गुप्तवंशीय शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’ के समय में 399 ई. में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया
फाह्यान का यात्रा वृत्तान्त चन्द्रगुप्त द्वितीय कालीन भारत की सांस्कृतिक दशा का सुन्दर चित्रण करता है।
कालिदास को ‘भारत के शेक्सपियर’ के नाम से जाना जाता है
***मृच्छकटिकम नाटक की रचना शूद्रक ने की थी, जो गुप्तकालीन एक मात्र दुःखान्त नाटक माना जाता है।
Question 45 of 54
45. Question
2 points
गुप्तकला कहाँ पायी जाती है
Correct
व्याख्या-
********गुप्तकालीन कला का नमूना साँची के महास्तूप के दक्षिण पूर्व की ओर बना एक मंदिर है। यह गुप्तकाल का प्रारम्भिक मंदिर है जिसका आकार छोटा है, छत सपाट है, गर्भ गृह चौकोर है तथा इसके सामने छोटा स्तम्भ युक्त मण्डल बना हुआ है। स्तम्भों पर घंटाकृति तथा शीर्ष बने हुए है।
Incorrect
व्याख्या-
********गुप्तकालीन कला का नमूना साँची के महास्तूप के दक्षिण पूर्व की ओर बना एक मंदिर है। यह गुप्तकाल का प्रारम्भिक मंदिर है जिसका आकार छोटा है, छत सपाट है, गर्भ गृह चौकोर है तथा इसके सामने छोटा स्तम्भ युक्त मण्डल बना हुआ है। स्तम्भों पर घंटाकृति तथा शीर्ष बने हुए है।
Unattempted
व्याख्या-
********गुप्तकालीन कला का नमूना साँची के महास्तूप के दक्षिण पूर्व की ओर बना एक मंदिर है। यह गुप्तकाल का प्रारम्भिक मंदिर है जिसका आकार छोटा है, छत सपाट है, गर्भ गृह चौकोर है तथा इसके सामने छोटा स्तम्भ युक्त मण्डल बना हुआ है। स्तम्भों पर घंटाकृति तथा शीर्ष बने हुए है।
Question 46 of 54
46. Question
2 points
कौन गुप्त शासक गायक और कवि था
Correct
व्याख्या-
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के लिए कहा गया कि विद्वानों की जीविका का स्रोत अनेक काव्यों की रचना द्वारा उसने कविराज की उपाधि प्राप्त की थी’
समुद्र गुप्त के वीणा वादन स्वर्ण सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के लिए कहा गया कि विद्वानों की जीविका का स्रोत अनेक काव्यों की रचना द्वारा उसने कविराज की उपाधि प्राप्त की थी’
समुद्र गुप्त के वीणा वादन स्वर्ण सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के लिए कहा गया कि विद्वानों की जीविका का स्रोत अनेक काव्यों की रचना द्वारा उसने कविराज की उपाधि प्राप्त की थी’
समुद्र गुप्त के वीणा वादन स्वर्ण सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है।
Question 47 of 54
47. Question
2 points
समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कहाँ से प्राप्त हआ है
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Question 48 of 54
48. Question
2 points
हूणों का आक्रमण किसके काल में हुआ था
Correct
व्याख्या-
हूण मध्य एशिया में निवास करने वाली एक बर्बर जाति थी।
हूणों का प्रथम आक्रमण स्कन्दगुप्त के समय में खुशनेवाज़ के नेतृत्व में हुआ।
स्कन्दगुप्त के भीतरी स्तम्भ लेख और जूनागढ़ अभिलेख में स्कन्दगुप्त द्वारा हूणों को पराजित करने का उल्लेख है।
Incorrect
व्याख्या-
हूण मध्य एशिया में निवास करने वाली एक बर्बर जाति थी।
हूणों का प्रथम आक्रमण स्कन्दगुप्त के समय में खुशनेवाज़ के नेतृत्व में हुआ।
स्कन्दगुप्त के भीतरी स्तम्भ लेख और जूनागढ़ अभिलेख में स्कन्दगुप्त द्वारा हूणों को पराजित करने का उल्लेख है।
Unattempted
व्याख्या-
हूण मध्य एशिया में निवास करने वाली एक बर्बर जाति थी।
हूणों का प्रथम आक्रमण स्कन्दगुप्त के समय में खुशनेवाज़ के नेतृत्व में हुआ।
स्कन्दगुप्त के भीतरी स्तम्भ लेख और जूनागढ़ अभिलेख में स्कन्दगुप्त द्वारा हूणों को पराजित करने का उल्लेख है।
Question 49 of 54
49. Question
2 points
असम का प्राचीन नाम है
Correct
व्याख्या-
असम का प्रचीन नाम कारूप से मिलता है।
मध्यकाल में उत्तरी बर्मा से मंगोल प्रजाति के अहोम के आने से इसका नाम असम पड़ गया।
Incorrect
व्याख्या-
असम का प्रचीन नाम कारूप से मिलता है।
मध्यकाल में उत्तरी बर्मा से मंगोल प्रजाति के अहोम के आने से इसका नाम असम पड़ गया।
Unattempted
व्याख्या-
असम का प्रचीन नाम कारूप से मिलता है।
मध्यकाल में उत्तरी बर्मा से मंगोल प्रजाति के अहोम के आने से इसका नाम असम पड़ गया।
Question 50 of 54
50. Question
2 points
गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त II की दूसरी राजधानी थी
Correct
व्याख्या-
चन्द्रगुप्त II कि उसकी पहली राजधानी पाटिलपुत्र थी।
गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय की दूसरी राजधानी उज्जैन थी
उज्जैन में चन्द्रगुप्त II के नवरत्न रहते थे।
Incorrect
व्याख्या-
चन्द्रगुप्त II कि उसकी पहली राजधानी पाटिलपुत्र थी।
गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय की दूसरी राजधानी उज्जैन थी
उज्जैन में चन्द्रगुप्त II के नवरत्न रहते थे।
Unattempted
व्याख्या-
चन्द्रगुप्त II कि उसकी पहली राजधानी पाटिलपुत्र थी।
गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय की दूसरी राजधानी उज्जैन थी
उज्जैन में चन्द्रगुप्त II के नवरत्न रहते थे।
Question 51 of 54
51. Question
2 points
समुद्र-गुप्त को “भारत का नेपोलियन” किसने कहा?
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त की विजयों की जानकारी का प्रमुख स्रोत हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति है।
प्रयाग प्रशस्ति के 7वीं पंक्ति से ही समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में पता चलने लगता है।
प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को 100 युद्धों का विजेता कहा गया है।
स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘भारत के नेपोलियन’ की संज्ञा दी।
Question 52 of 54
52. Question
2 points
समुद्रगुप्त पुत्र था
Correct
व्याख्या-
समुद्रगुप्त गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम का लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से उत्पन्न पुत्र था।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
कौशाम्बी के अशोक स्तम्भ पर समुद्र गुप्त की विस्तृत प्रशस्ति अंकित है।
कौशाम्बी से समुद्रगुप्त के बाल्यजीवन, शिक्षा, व्यक्तिगत गुण, दिग्विजय तत्कालीन राजनीतिक अवस्था, भाषा, साहित्य, शास्त्र, विद्या आदि की पर्याप्त जानकारी मिलती है।
Incorrect
व्याख्या-
समुद्रगुप्त गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम का लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से उत्पन्न पुत्र था।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
कौशाम्बी के अशोक स्तम्भ पर समुद्र गुप्त की विस्तृत प्रशस्ति अंकित है।
कौशाम्बी से समुद्रगुप्त के बाल्यजीवन, शिक्षा, व्यक्तिगत गुण, दिग्विजय तत्कालीन राजनीतिक अवस्था, भाषा, साहित्य, शास्त्र, विद्या आदि की पर्याप्त जानकारी मिलती है।
Unattempted
व्याख्या-
समुद्रगुप्त गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम का लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से उत्पन्न पुत्र था।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
कौशाम्बी के अशोक स्तम्भ पर समुद्र गुप्त की विस्तृत प्रशस्ति अंकित है।
कौशाम्बी से समुद्रगुप्त के बाल्यजीवन, शिक्षा, व्यक्तिगत गुण, दिग्विजय तत्कालीन राजनीतिक अवस्था, भाषा, साहित्य, शास्त्र, विद्या आदि की पर्याप्त जानकारी मिलती है।
Question 53 of 54
53. Question
2 points
वर्णसंकर का मतलब है
Correct
व्याख्या-
अनुलोम एवं प्रतिलोम विवाहों से उत्पन्न सन्तान को वर्णसंकर कहा गया है।
वर्णसंकर की सर्वप्रथम संकल्पना मौर्योत्तर काल में स्मृतियों में मिलती है।
गुप्तकाल में वर्णसंकर का व्यापक प्रचलन हुआ।
वर्णसंकर जातियों की सबसे लम्बी सूची वैजयन्ती ने दी है, जिसमें 64 वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है।
वर्णसंकर जातियों की उत्पत्ति चारों वर्गों के पुत्रों, बारह अनुलोम और प्रतिलोम पुत्रों और उसके अड़तालीस प्रशाखाओं से हुई थी।
Incorrect
व्याख्या-
अनुलोम एवं प्रतिलोम विवाहों से उत्पन्न सन्तान को वर्णसंकर कहा गया है।
वर्णसंकर की सर्वप्रथम संकल्पना मौर्योत्तर काल में स्मृतियों में मिलती है।
गुप्तकाल में वर्णसंकर का व्यापक प्रचलन हुआ।
वर्णसंकर जातियों की सबसे लम्बी सूची वैजयन्ती ने दी है, जिसमें 64 वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है।
वर्णसंकर जातियों की उत्पत्ति चारों वर्गों के पुत्रों, बारह अनुलोम और प्रतिलोम पुत्रों और उसके अड़तालीस प्रशाखाओं से हुई थी।
Unattempted
व्याख्या-
अनुलोम एवं प्रतिलोम विवाहों से उत्पन्न सन्तान को वर्णसंकर कहा गया है।
वर्णसंकर की सर्वप्रथम संकल्पना मौर्योत्तर काल में स्मृतियों में मिलती है।
गुप्तकाल में वर्णसंकर का व्यापक प्रचलन हुआ।
वर्णसंकर जातियों की सबसे लम्बी सूची वैजयन्ती ने दी है, जिसमें 64 वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है।
वर्णसंकर जातियों की उत्पत्ति चारों वर्गों के पुत्रों, बारह अनुलोम और प्रतिलोम पुत्रों और उसके अड़तालीस प्रशाखाओं से हुई थी।
Question 54 of 54
54. Question
2 points
किस पुराण में कहा गया है, “वह देश, जो समुद्र के उत्तर व हिमाच्छादित पर्वतों के दक्षिण में है, भारत कहलाता है, यहाँ भरत के वंशज रहते हैं”.
Correct
व्याख्या-
विष्णु पुराण में उल्लिखित है कि-
” उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः।।
” अर्थात् समुद्र के उत्तर में तथा हिमालय के दक्षिण में जो स्थित है वह भारत देश है तथा वहाँ की सन्ताने ‘भारती’ हैं।
वायु पुराण में कहा गया है कि अनुगंगा, प्रयाग, साकेत और मगध गुप्त वंश के अधीन होंगे।
Incorrect
व्याख्या-
विष्णु पुराण में उल्लिखित है कि-
” उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः।।
” अर्थात् समुद्र के उत्तर में तथा हिमालय के दक्षिण में जो स्थित है वह भारत देश है तथा वहाँ की सन्ताने ‘भारती’ हैं।
वायु पुराण में कहा गया है कि अनुगंगा, प्रयाग, साकेत और मगध गुप्त वंश के अधीन होंगे।
Unattempted
व्याख्या-
विष्णु पुराण में उल्लिखित है कि-
” उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः।।
” अर्थात् समुद्र के उत्तर में तथा हिमालय के दक्षिण में जो स्थित है वह भारत देश है तथा वहाँ की सन्ताने ‘भारती’ हैं।
वायु पुराण में कहा गया है कि अनुगंगा, प्रयाग, साकेत और मगध गुप्त वंश के अधीन होंगे।