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Question 1 of 45
1. Question
1 points
मथुरा कला का विकास किस वंश के समय हुआ?
Correct
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Incorrect
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Unattempted
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Question 2 of 45
2. Question
1 points
पतंजलि का सम्बन्ध किस रचना से है?
Correct
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Incorrect
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Unattempted
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Question 3 of 45
3. Question
1 points
टॉलमी कौन था?
Correct
व्याख्या –
टॉलमी एक यूनानी भूगोलवेत्ता था।
टॉलमी की पुस्तक ‘ज्योग्राफी’ (150ई0) में भारत का भू-मध्य सागरीय देशों के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन किया है।
‘ज्योग्राफी’ में भारत की भौगोलिक स्थिति के सुन्दर वर्णन किया गया है।
‘ज्योग्राफी’ में सातवाहन नरेश वशिष्ठी पुत्र शातकर्णी का उल्लेख मिलता है।
Incorrect
व्याख्या –
टॉलमी एक यूनानी भूगोलवेत्ता था।
टॉलमी की पुस्तक ‘ज्योग्राफी’ (150ई0) में भारत का भू-मध्य सागरीय देशों के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन किया है।
‘ज्योग्राफी’ में भारत की भौगोलिक स्थिति के सुन्दर वर्णन किया गया है।
‘ज्योग्राफी’ में सातवाहन नरेश वशिष्ठी पुत्र शातकर्णी का उल्लेख मिलता है।
Unattempted
व्याख्या –
टॉलमी एक यूनानी भूगोलवेत्ता था।
टॉलमी की पुस्तक ‘ज्योग्राफी’ (150ई0) में भारत का भू-मध्य सागरीय देशों के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन किया है।
‘ज्योग्राफी’ में भारत की भौगोलिक स्थिति के सुन्दर वर्णन किया गया है।
‘ज्योग्राफी’ में सातवाहन नरेश वशिष्ठी पुत्र शातकर्णी का उल्लेख मिलता है।
Question 4 of 45
4. Question
1 points
चरक संहिता क्या है
Correct
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Question 5 of 45
5. Question
1 points
कौन शक शासक था
Correct
व्याख्या –
रुद्रदामन (130-150 ई0) भारत में शक शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
शकों की राजधानी उज्जयिनी थी।
जूनागढ़ अभिलेख से शकों की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है।
Incorrect
व्याख्या –
रुद्रदामन (130-150 ई0) भारत में शक शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
शकों की राजधानी उज्जयिनी थी।
जूनागढ़ अभिलेख से शकों की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है।
Unattempted
व्याख्या –
रुद्रदामन (130-150 ई0) भारत में शक शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
शकों की राजधानी उज्जयिनी थी।
जूनागढ़ अभिलेख से शकों की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है।
Question 6 of 45
6. Question
1 points
भरहुत किस लिए प्रसिद्ध है
Correct
व्याख्या –
मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भरहुत कला एवं स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है।
सर्वप्रथम 1873 में कनिघम महोदय ने भरहुत के स्तूप का पता लगाया।
मौर्य काल में अशोक ने भरहुत में एक बौद्ध स्तूप बनवाया।
शुंग काल में भरहुत के बौद्ध स्तूपका विस्तार किया गया और चारों ओर पाषाण वेष्टिनी निर्मित की गयी।
Incorrect
व्याख्या –
मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भरहुत कला एवं स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है।
सर्वप्रथम 1873 में कनिघम महोदय ने भरहुत के स्तूप का पता लगाया।
मौर्य काल में अशोक ने भरहुत में एक बौद्ध स्तूप बनवाया।
शुंग काल में भरहुत के बौद्ध स्तूपका विस्तार किया गया और चारों ओर पाषाण वेष्टिनी निर्मित की गयी।
Unattempted
व्याख्या –
मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भरहुत कला एवं स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है।
सर्वप्रथम 1873 में कनिघम महोदय ने भरहुत के स्तूप का पता लगाया।
मौर्य काल में अशोक ने भरहुत में एक बौद्ध स्तूप बनवाया।
शुंग काल में भरहुत के बौद्ध स्तूपका विस्तार किया गया और चारों ओर पाषाण वेष्टिनी निर्मित की गयी।
Question 7 of 45
7. Question
1 points
किस राजवंश के शासक अपने मातृ नामों से जाने जाते थे?
Correct
व्याख्या –
सातवाहन वंश के शासक अपने मातृनामों से लक्षित होते थे।
सातवाहन काल में राजाओं के नाम मातृप्रधान है-जैसे गौतमीपुत्र सातकर्णी
Incorrect
व्याख्या –
सातवाहन वंश के शासक अपने मातृनामों से लक्षित होते थे।
सातवाहन काल में राजाओं के नाम मातृप्रधान है-जैसे गौतमीपुत्र सातकर्णी
Unattempted
व्याख्या –
सातवाहन वंश के शासक अपने मातृनामों से लक्षित होते थे।
सातवाहन काल में राजाओं के नाम मातृप्रधान है-जैसे गौतमीपुत्र सातकर्णी
Question 8 of 45
8. Question
1 points
प्रथम सदी ई0 में अरब सागर में चलने वाली मानसूनी हवाओं की खोज किसने की थी?
Correct
व्याख्या-
स्ट्रेबो ई0पू0 64-19ई0) के विवरण से मौर्य कालीन समाज एवं संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है ।
यूनानी नाविक हिप्पालस ने 48 ई0 में हिन्द महासागर में चलने वाली मानसूनी हवाओं की खोज की
प्लिनी की पुस्तक ‘नेचुरल हिस्टोरिका’ से भारत एवं रोम के मध्य व्यापार की जानकारी मिलती है।
Incorrect
व्याख्या-
स्ट्रेबो ई0पू0 64-19ई0) के विवरण से मौर्य कालीन समाज एवं संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है ।
यूनानी नाविक हिप्पालस ने 48 ई0 में हिन्द महासागर में चलने वाली मानसूनी हवाओं की खोज की
प्लिनी की पुस्तक ‘नेचुरल हिस्टोरिका’ से भारत एवं रोम के मध्य व्यापार की जानकारी मिलती है।
Unattempted
व्याख्या-
स्ट्रेबो ई0पू0 64-19ई0) के विवरण से मौर्य कालीन समाज एवं संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है ।
यूनानी नाविक हिप्पालस ने 48 ई0 में हिन्द महासागर में चलने वाली मानसूनी हवाओं की खोज की
प्लिनी की पुस्तक ‘नेचुरल हिस्टोरिका’ से भारत एवं रोम के मध्य व्यापार की जानकारी मिलती है।
Question 9 of 45
9. Question
1 points
रोम और भारत के व्यापारिक सम्बन्धों की जानकारी देने वाली पुस्तक ‘पेरीप्लस ऑफ द इरीथियन सी’ की रचना किसने की थी?
Correct
व्याख्या –
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ की रचना एक अज्ञात यूनानी नाविक ने 80 – 115 ई0 के मध्य की
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ यूनानी भाषा में है ।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ में भारत से निर्यातित तथा भारत को आयातित वस्तुओं की सूची दी गयी है।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ को विदेशी व्यापार की गाइड के रूप में जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ की रचना एक अज्ञात यूनानी नाविक ने 80 – 115 ई0 के मध्य की
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ यूनानी भाषा में है ।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ में भारत से निर्यातित तथा भारत को आयातित वस्तुओं की सूची दी गयी है।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ को विदेशी व्यापार की गाइड के रूप में जाना जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ की रचना एक अज्ञात यूनानी नाविक ने 80 – 115 ई0 के मध्य की
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ यूनानी भाषा में है ।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ में भारत से निर्यातित तथा भारत को आयातित वस्तुओं की सूची दी गयी है।
‘पेरीप्लस ऑफ दि एरीथ्रियन सी’ को विदेशी व्यापार की गाइड के रूप में जाना जाता है।
Question 10 of 45
10. Question
1 points
किस शासक ने ‘परममाहेश्वर’ की उपाधि धारण की थी?
Correct
व्याख्या-
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
विम कडफिसेस शैव मतानुयायी था ।
विम कडफिसेस ने ‘महेश्वर’ की उपाधि धारण की थी।
Incorrect
व्याख्या-
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
विम कडफिसेस शैव मतानुयायी था ।
विम कडफिसेस ने ‘महेश्वर’ की उपाधि धारण की थी।
Unattempted
व्याख्या-
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
विम कडफिसेस शैव मतानुयायी था ।
विम कडफिसेस ने ‘महेश्वर’ की उपाधि धारण की थी।
Question 11 of 45
11. Question
1 points
कनिष्क के दरबारी कवि ‘अश्वघोष’ द्वारा रचित रचना नहीं है
Correct
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है
Incorrect
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है
Unattempted
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है
Question 12 of 45
12. Question
1 points
भारत में सर्वप्रथम किसने ब्राह्मण राज्य की स्थापना की थी?
Correct
व्याख्या –
पुष्यमित्र शुंग ने भारत में सर्वप्रथम ब्राह्मण राजवंश की स्थापना की।
अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या 184 ई) पू) में पुष्यमित्र शुंग ने नये राजवंश ‘शुंग वंश’ की स्थापना की।
भारतीय साहित्य शृंगों को ब्राह्मण मानता है।
Incorrect
व्याख्या –
पुष्यमित्र शुंग ने भारत में सर्वप्रथम ब्राह्मण राजवंश की स्थापना की।
अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या 184 ई) पू) में पुष्यमित्र शुंग ने नये राजवंश ‘शुंग वंश’ की स्थापना की।
भारतीय साहित्य शृंगों को ब्राह्मण मानता है।
Unattempted
व्याख्या –
पुष्यमित्र शुंग ने भारत में सर्वप्रथम ब्राह्मण राजवंश की स्थापना की।
अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या 184 ई) पू) में पुष्यमित्र शुंग ने नये राजवंश ‘शुंग वंश’ की स्थापना की।
भारतीय साहित्य शृंगों को ब्राह्मण मानता है।
Question 13 of 45
13. Question
1 points
भारत में सबसे ज्यादा तांबे के सिक्के चलाये थे?
Correct
व्याख्या –
भारत में सबसे ज्यादा ताँबे के सिक्के कुषाणों ने चलाए ।
कुषाणों ने ही सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के (124 ग्रेन) चलाये।
कुषाण शासकों के सिक्के रोमन मानक के बराबर होते थे।
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
Incorrect
व्याख्या –
भारत में सबसे ज्यादा ताँबे के सिक्के कुषाणों ने चलाए ।
कुषाणों ने ही सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के (124 ग्रेन) चलाये।
कुषाण शासकों के सिक्के रोमन मानक के बराबर होते थे।
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
Unattempted
व्याख्या –
भारत में सबसे ज्यादा ताँबे के सिक्के कुषाणों ने चलाए ।
कुषाणों ने ही सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के (124 ग्रेन) चलाये।
कुषाण शासकों के सिक्के रोमन मानक के बराबर होते थे।
कुषाण शासक विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं।
Question 14 of 45
14. Question
1 points
पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ की रचना किस काल में की थी?
Correct
व्याख्या –
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग के दो अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाए थे ।
पुष्यमित्र शुंग के राजपुरोहित थे।
‘महाभाष्य’ में पुष्यमित्र शुंग के समय में हुये यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
Incorrect
व्याख्या –
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग के दो अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाए थे ।
पुष्यमित्र शुंग के राजपुरोहित थे।
‘महाभाष्य’ में पुष्यमित्र शुंग के समय में हुये यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
Unattempted
व्याख्या –
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग के दो अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाए थे ।
पुष्यमित्र शुंग के राजपुरोहित थे।
‘महाभाष्य’ में पुष्यमित्र शुंग के समय में हुये यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
Question 15 of 45
15. Question
1 points
मिनेण्डर की राजधानी थी
Correct
व्याख्या –
भारत के हिन्द यवन शासकों में मिनाण्डर (1.65 145 B.C) की स्मृति भारतीय साहित्यिक ग्रंथों में सर्वाधिक सुरक्षित है।
मिनाण्डर की राजधानी साकल (सियाल कोट) में थी।
मिनाण्डर की जानकारी बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता’ से भी प्राप्त होती है।
मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता ग्रंथों से मिनाण्डर के बौद्ध अनुयायी होने की पुष्टि होती है।
Incorrect
व्याख्या –
भारत के हिन्द यवन शासकों में मिनाण्डर (1.65 145 B.C) की स्मृति भारतीय साहित्यिक ग्रंथों में सर्वाधिक सुरक्षित है।
मिनाण्डर की राजधानी साकल (सियाल कोट) में थी।
मिनाण्डर की जानकारी बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता’ से भी प्राप्त होती है।
मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता ग्रंथों से मिनाण्डर के बौद्ध अनुयायी होने की पुष्टि होती है।
Unattempted
व्याख्या –
भारत के हिन्द यवन शासकों में मिनाण्डर (1.65 145 B.C) की स्मृति भारतीय साहित्यिक ग्रंथों में सर्वाधिक सुरक्षित है।
मिनाण्डर की राजधानी साकल (सियाल कोट) में थी।
मिनाण्डर की जानकारी बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता’ से भी प्राप्त होती है।
मिलिन्दपन्हो तथा क्षेमेन्द्र कृत ‘अवदान कल्पलता ग्रंथों से मिनाण्डर के बौद्ध अनुयायी होने की पुष्टि होती है।
Question 16 of 45
16. Question
1 points
भारत में सर्वप्रथम किसने लेखयुक्त सोने के सिक्के चलाये थे?
Correct
व्याख्या –
हिंद यवन शासकों द्वारा सर्वप्रथम लेखयुक्त स्वर्ण सिक्के जारी किए गए।
यवन शासकों के सिक्कों पर आकृति के साथ-साथ ‘खरोष्ठी लिपि में तथा प्राकृत और यूनानी भाषा में मुद्रालेख खुदा होता था।
कुषाण शासक विम कडफिसेस को भारत में स्वर्ण सिक्कों को नियमित रूप से प्रचलित करने का श्रेय प्राप्त है।
Incorrect
व्याख्या –
हिंद यवन शासकों द्वारा सर्वप्रथम लेखयुक्त स्वर्ण सिक्के जारी किए गए।
यवन शासकों के सिक्कों पर आकृति के साथ-साथ ‘खरोष्ठी लिपि में तथा प्राकृत और यूनानी भाषा में मुद्रालेख खुदा होता था।
कुषाण शासक विम कडफिसेस को भारत में स्वर्ण सिक्कों को नियमित रूप से प्रचलित करने का श्रेय प्राप्त है।
Unattempted
व्याख्या –
हिंद यवन शासकों द्वारा सर्वप्रथम लेखयुक्त स्वर्ण सिक्के जारी किए गए।
यवन शासकों के सिक्कों पर आकृति के साथ-साथ ‘खरोष्ठी लिपि में तथा प्राकृत और यूनानी भाषा में मुद्रालेख खुदा होता था।
कुषाण शासक विम कडफिसेस को भारत में स्वर्ण सिक्कों को नियमित रूप से प्रचलित करने का श्रेय प्राप्त है।
Question 17 of 45
17. Question
1 points
किस वंश ने भारत में एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की थी?
Correct
व्याख्या –
कुषाण वंश का महानतम शासक कनिष्क हुआ।
कनिष्क का साम्राज्य उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में विन्ध्य य पर्वत तक
पश्चिम में उत्तरी अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक विस्तृत था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
Incorrect
व्याख्या –
कुषाण वंश का महानतम शासक कनिष्क हुआ।
कनिष्क का साम्राज्य उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में विन्ध्य य पर्वत तक
पश्चिम में उत्तरी अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक विस्तृत था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
Unattempted
व्याख्या –
कुषाण वंश का महानतम शासक कनिष्क हुआ।
कनिष्क का साम्राज्य उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में विन्ध्य य पर्वत तक
पश्चिम में उत्तरी अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक विस्तृत था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
Question 18 of 45
18. Question
1 points
‘अश्वघोष’ किसका दरबारी था?
Correct
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है।
Incorrect
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है।
Unattempted
व्याख्या –
अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
‘हर्षचरित’ हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट की रचना है।
बाणभट्ट ने ‘कादम्बरी’ नामक ग्रंथ भी लिखा है।
Question 19 of 45
19. Question
1 points
चरक व नागार्जुन विद्वान किसके समकालीन थे
Correct
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Incorrect
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Unattempted
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Question 20 of 45
20. Question
1 points
सातवाहन शासन लगभग कितने वर्ष तक चला-
Correct
व्याख्या –
पुराणों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग चार सौ वर्षों तक शासन किया,
अभिलेखों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग तीन सौ वर्षों तक शासन किया।
अभिलेखों की तिथि ही अधिक प्रामाणिक मानी जाती है।
Incorrect
व्याख्या –
पुराणों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग चार सौ वर्षों तक शासन किया,
अभिलेखों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग तीन सौ वर्षों तक शासन किया।
अभिलेखों की तिथि ही अधिक प्रामाणिक मानी जाती है।
Unattempted
व्याख्या –
पुराणों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग चार सौ वर्षों तक शासन किया,
अभिलेखों के अनुसार सातवाहनों ने लगभग तीन सौ वर्षों तक शासन किया।
अभिलेखों की तिथि ही अधिक प्रामाणिक मानी जाती है।
Question 21 of 45
21. Question
1 points
सातवाहन काल का सर्वश्रेष्ठ शासक कौन था.
Correct
व्याख्या –
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महानतम शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित करके महाराष्ट्र पर अधिकार कर लिया
Incorrect
व्याख्या –
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महानतम शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित करके महाराष्ट्र पर अधिकार कर लिया
Unattempted
व्याख्या –
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महानतम शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित करके महाराष्ट्र पर अधिकार कर लिया
Question 22 of 45
22. Question
1 points
कनिष्क का राजवैद्य कौन था
Correct
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
कनिष्क के दरबार में अन्य विद्वान -अश्वघोष, नागार्जुन, पार्श्व, वसुमित्र, मातृचेट तथा संघरक्ष आदि।
Incorrect
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
कनिष्क के दरबार में अन्य विद्वान -अश्वघोष, नागार्जुन, पार्श्व, वसुमित्र, मातृचेट तथा संघरक्ष आदि।
Unattempted
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
कनिष्क के दरबार में अन्य विद्वान -अश्वघोष, नागार्जुन, पार्श्व, वसुमित्र, मातृचेट तथा संघरक्ष आदि।
Question 23 of 45
23. Question
1 points
शकों का आगमन भारत में कहाँ से हुआ
Correct
व्याख्या –
शक मध्य एशिया के मूल निवासी थे।
यूनानियों के पश्चात् शकों ने ही भारत पर आक्रमण किया।
भारत पर शकों की कुल चार शाखाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) उत्तरी क्षत्रप जो तक्षशिला और मथुरा मे शासन करते थे
(2) पश्चिमी क्षत्रप जो नासिक और उज्जैन में शासन करते थे।
Incorrect
व्याख्या –
शक मध्य एशिया के मूल निवासी थे।
यूनानियों के पश्चात् शकों ने ही भारत पर आक्रमण किया।
भारत पर शकों की कुल चार शाखाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) उत्तरी क्षत्रप जो तक्षशिला और मथुरा मे शासन करते थे
(2) पश्चिमी क्षत्रप जो नासिक और उज्जैन में शासन करते थे।
Unattempted
व्याख्या –
शक मध्य एशिया के मूल निवासी थे।
यूनानियों के पश्चात् शकों ने ही भारत पर आक्रमण किया।
भारत पर शकों की कुल चार शाखाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) उत्तरी क्षत्रप जो तक्षशिला और मथुरा मे शासन करते थे
(2) पश्चिमी क्षत्रप जो नासिक और उज्जैन में शासन करते थे।
Question 24 of 45
24. Question
1 points
वह नृपति कौन था जिसने मध्य एशिया तक शासन किया –
Correct
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का महान शासक हुआ।
कनिष्क ने मध्यएशिया तक शासन किया।
कनिष्क चीन के तुर्किस्तान के क्षेत्र (काशगर, यारकन्द और खोतान) को अपने राज्य में मिला लिया।
Incorrect
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का महान शासक हुआ।
कनिष्क ने मध्यएशिया तक शासन किया।
कनिष्क चीन के तुर्किस्तान के क्षेत्र (काशगर, यारकन्द और खोतान) को अपने राज्य में मिला लिया।
Unattempted
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का महान शासक हुआ।
कनिष्क ने मध्यएशिया तक शासन किया।
कनिष्क चीन के तुर्किस्तान के क्षेत्र (काशगर, यारकन्द और खोतान) को अपने राज्य में मिला लिया।
Question 25 of 45
25. Question
1 points
नागार्जुन स्तूप निर्मित हुआ?
Correct
व्याख्या –
नागार्जुन स्तूप का निर्माण सातवाहन काल एवं अन्तिम रूप से गुप्त युग में माना जाता है।
नागार्जुन स्तूप आन्ध्र के गुंटूर जिले में स्थित है
Incorrect
व्याख्या –
नागार्जुन स्तूप का निर्माण सातवाहन काल एवं अन्तिम रूप से गुप्त युग में माना जाता है।
नागार्जुन स्तूप आन्ध्र के गुंटूर जिले में स्थित है
Unattempted
व्याख्या –
नागार्जुन स्तूप का निर्माण सातवाहन काल एवं अन्तिम रूप से गुप्त युग में माना जाता है।
नागार्जुन स्तूप आन्ध्र के गुंटूर जिले में स्थित है
Question 26 of 45
26. Question
1 points
निम्न में से किस अभिलेख में, भारतवर्ष का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता हैं
Correct
व्याख्या –
पहली शताब्दी ईसा पूर्व में कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल ने अपने हाथी गुम्फा अभिलेख में भारतवर्ष का सर्वप्रथम उल्लेख किया है।
Incorrect
व्याख्या –
पहली शताब्दी ईसा पूर्व में कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल ने अपने हाथी गुम्फा अभिलेख में भारतवर्ष का सर्वप्रथम उल्लेख किया है।
Unattempted
व्याख्या –
पहली शताब्दी ईसा पूर्व में कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल ने अपने हाथी गुम्फा अभिलेख में भारतवर्ष का सर्वप्रथम उल्लेख किया है।
Question 27 of 45
27. Question
1 points
चरक संहिता किस विषय के अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण किताब है?
Correct
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
Question 28 of 45
28. Question
1 points
कुषाण थे
Correct
व्याख्या –
कुषाण नार्थ सेन्ट्रल एशिया के पश्चिमी चीन के यूची जाति से सम्बद्ध थे।
कुषाण प्रारम्भ में चीन के सीमावर्ती प्रदेशों कान्सू तथा निंग-सिया में निवास करते थे।
Incorrect
व्याख्या –
कुषाण नार्थ सेन्ट्रल एशिया के पश्चिमी चीन के यूची जाति से सम्बद्ध थे।
कुषाण प्रारम्भ में चीन के सीमावर्ती प्रदेशों कान्सू तथा निंग-सिया में निवास करते थे।
Unattempted
व्याख्या –
कुषाण नार्थ सेन्ट्रल एशिया के पश्चिमी चीन के यूची जाति से सम्बद्ध थे।
कुषाण प्रारम्भ में चीन के सीमावर्ती प्रदेशों कान्सू तथा निंग-सिया में निवास करते थे।
Question 29 of 45
29. Question
1 points
कुषाण शासकों में सबसे प्रसिद्ध शासक था
Correct
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Incorrect
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Unattempted
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Question 30 of 45
30. Question
1 points
तीसरी शताब्दी ई0 में वारंगल जिस कार्य के लिए प्रसिद्ध था, वह था
Correct
व्याख्या-
मौर्योत्तरकालीन में भारत का रोम के साथ फलता-फूलता विदेशी व्यापार था।
यह व्यापार रोम के शासकों आगस्टस, टाइबेरियस तथा नीरो के समय था।
मौर्योत्तर काल में हाथी दाँत का उद्योग भी खूब फला-फूला।
वारंगल हाथी दाँत उद्योग का प्रसिद्ध केन्द्र था।
विदिशा में हस्ति-दन्त शिल्पियों की एक श्रेणी थी,
भारतीय दन्त शिल्प की वस्तुएं रोम और अफगानिस्तान से मिली है।
मौर्योत्तर काल में कारीगरी एवं शिल्पों का विलक्षण विकास हुआ।
मिलिन्दपन्हों में 75 प्रकार के व्यवसाय बताए गये है।
Incorrect
व्याख्या-
मौर्योत्तरकालीन में भारत का रोम के साथ फलता-फूलता विदेशी व्यापार था।
यह व्यापार रोम के शासकों आगस्टस, टाइबेरियस तथा नीरो के समय था।
मौर्योत्तर काल में हाथी दाँत का उद्योग भी खूब फला-फूला।
वारंगल हाथी दाँत उद्योग का प्रसिद्ध केन्द्र था।
विदिशा में हस्ति-दन्त शिल्पियों की एक श्रेणी थी,
भारतीय दन्त शिल्प की वस्तुएं रोम और अफगानिस्तान से मिली है।
मौर्योत्तर काल में कारीगरी एवं शिल्पों का विलक्षण विकास हुआ।
मिलिन्दपन्हों में 75 प्रकार के व्यवसाय बताए गये है।
Unattempted
व्याख्या-
मौर्योत्तरकालीन में भारत का रोम के साथ फलता-फूलता विदेशी व्यापार था।
यह व्यापार रोम के शासकों आगस्टस, टाइबेरियस तथा नीरो के समय था।
मौर्योत्तर काल में हाथी दाँत का उद्योग भी खूब फला-फूला।
वारंगल हाथी दाँत उद्योग का प्रसिद्ध केन्द्र था।
विदिशा में हस्ति-दन्त शिल्पियों की एक श्रेणी थी,
भारतीय दन्त शिल्प की वस्तुएं रोम और अफगानिस्तान से मिली है।
मौर्योत्तर काल में कारीगरी एवं शिल्पों का विलक्षण विकास हुआ।
मिलिन्दपन्हों में 75 प्रकार के व्यवसाय बताए गये है।
Question 31 of 45
31. Question
1 points
पूर्व गुप्त युग में रोम भारत से मुख्य रूप से आयात कर रहा था
Correct
व्याख्या-
पूर्व गुप्त काल में भारत का रोम के साथ व्यापारिक सम्बन्ध था।
प्लिनी भारत को बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों का प्रमुख उत्पादक बताता है।
प्लिनी के विवरण से ज्ञात होता है कि रोम प्रतिवर्ष भारत से विलासिता की सामग्रियाँ मँगाने में साठ करोड़ सेस्टर्स व्यय करता था।
विलासिता की सामग्रियों के बदले भारत रोम से बड़ी मात्रा में स्वर्ण-मुद्रायें प्राप्त करता था।
Incorrect
व्याख्या-
पूर्व गुप्त काल में भारत का रोम के साथ व्यापारिक सम्बन्ध था।
प्लिनी भारत को बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों का प्रमुख उत्पादक बताता है।
प्लिनी के विवरण से ज्ञात होता है कि रोम प्रतिवर्ष भारत से विलासिता की सामग्रियाँ मँगाने में साठ करोड़ सेस्टर्स व्यय करता था।
विलासिता की सामग्रियों के बदले भारत रोम से बड़ी मात्रा में स्वर्ण-मुद्रायें प्राप्त करता था।
Unattempted
व्याख्या-
पूर्व गुप्त काल में भारत का रोम के साथ व्यापारिक सम्बन्ध था।
प्लिनी भारत को बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों का प्रमुख उत्पादक बताता है।
प्लिनी के विवरण से ज्ञात होता है कि रोम प्रतिवर्ष भारत से विलासिता की सामग्रियाँ मँगाने में साठ करोड़ सेस्टर्स व्यय करता था।
विलासिता की सामग्रियों के बदले भारत रोम से बड़ी मात्रा में स्वर्ण-मुद्रायें प्राप्त करता था।
Question 32 of 45
32. Question
1 points
सातवाहन शासकों की राजकीय भाषा थी
Correct
व्याख्या –
प्राकृत भाषा सातवाहनों की राष्ट्रभाषा थी।
सातवाहनों के अभिलेख प्राकृत भाषा में हैं।
सातवाहन युग में संस्कृत भाषा का भी प्रसार था।
Incorrect
व्याख्या –
प्राकृत भाषा सातवाहनों की राष्ट्रभाषा थी।
सातवाहनों के अभिलेख प्राकृत भाषा में हैं।
सातवाहन युग में संस्कृत भाषा का भी प्रसार था।
Unattempted
व्याख्या –
प्राकृत भाषा सातवाहनों की राष्ट्रभाषा थी।
सातवाहनों के अभिलेख प्राकृत भाषा में हैं।
सातवाहन युग में संस्कृत भाषा का भी प्रसार था।
Question 33 of 45
33. Question
1 points
सबसे पूर्व जानी जाने वाली स्मृति –
Correct
व्याख्या –
सबसे पूर्व जानी जाने वाली स्मृति मनुस्मृति है।
मनुस्मृति की रचना शुंग काल में ई0पू0 200 से 200 ई0 के मध्य हुई
मनुस्मृति को ‘मानव धर्मशास्त्र’ भी कहा जाता है।
याज्ञवल्क्य स्मृति की रचना (100 ई0पू0-300ई0 पू0) गुप्तकाल की मानी जाती है।
Incorrect
व्याख्या –
सबसे पूर्व जानी जाने वाली स्मृति मनुस्मृति है।
मनुस्मृति की रचना शुंग काल में ई0पू0 200 से 200 ई0 के मध्य हुई
मनुस्मृति को ‘मानव धर्मशास्त्र’ भी कहा जाता है।
याज्ञवल्क्य स्मृति की रचना (100 ई0पू0-300ई0 पू0) गुप्तकाल की मानी जाती है।
Unattempted
व्याख्या –
सबसे पूर्व जानी जाने वाली स्मृति मनुस्मृति है।
मनुस्मृति की रचना शुंग काल में ई0पू0 200 से 200 ई0 के मध्य हुई
मनुस्मृति को ‘मानव धर्मशास्त्र’ भी कहा जाता है।
याज्ञवल्क्य स्मृति की रचना (100 ई0पू0-300ई0 पू0) गुप्तकाल की मानी जाती है।
Question 34 of 45
34. Question
1 points
200 ई0पू0 से 300 ई0 के मध्य के समय की एक विशेषता विदेशी व्यापार की उन्नति स्वीकार किया गया है। निम्न कारणों में कौन कारण उसकी उन्नति में सहायक नहीं हुआ था
Correct
व्याख्या-
मौर्योत्तर काल में भारत में राजनैतिक एकता नहीं थी फिर भी इस काल की सबसे बड़ी विशेषता व्यापार एवं वाणिज्य की उन्नति थी।
मौर्य शासकों ने विभिन्न सड़कों का निर्माण करके और समान प्रशासकीय व्यवस्था लागू करके व्यापार की उन्नति में सहायता दी थी।
मौर्योत्तर काल में हुये विदेशी आक्रमणों ने भारत का मध्य एशिया और भूमध्यसागरीय (मेडीटेरिपन) देशों से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया।
भारतीय ग्रीक शासकों ने पश्चिम एशिया और मेडीटेरियन देश से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
शक, पार्शियन और कुषाण शासकों ने मध्य एशिया के देशों में घनिष्ट सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
मौर्योत्तर कालीन व्यापार-वाणिज्य को शिखर पर पहुँचा दिया।
Incorrect
व्याख्या-
मौर्योत्तर काल में भारत में राजनैतिक एकता नहीं थी फिर भी इस काल की सबसे बड़ी विशेषता व्यापार एवं वाणिज्य की उन्नति थी।
मौर्य शासकों ने विभिन्न सड़कों का निर्माण करके और समान प्रशासकीय व्यवस्था लागू करके व्यापार की उन्नति में सहायता दी थी।
मौर्योत्तर काल में हुये विदेशी आक्रमणों ने भारत का मध्य एशिया और भूमध्यसागरीय (मेडीटेरिपन) देशों से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया।
भारतीय ग्रीक शासकों ने पश्चिम एशिया और मेडीटेरियन देश से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
शक, पार्शियन और कुषाण शासकों ने मध्य एशिया के देशों में घनिष्ट सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
मौर्योत्तर कालीन व्यापार-वाणिज्य को शिखर पर पहुँचा दिया।
Unattempted
व्याख्या-
मौर्योत्तर काल में भारत में राजनैतिक एकता नहीं थी फिर भी इस काल की सबसे बड़ी विशेषता व्यापार एवं वाणिज्य की उन्नति थी।
मौर्य शासकों ने विभिन्न सड़कों का निर्माण करके और समान प्रशासकीय व्यवस्था लागू करके व्यापार की उन्नति में सहायता दी थी।
मौर्योत्तर काल में हुये विदेशी आक्रमणों ने भारत का मध्य एशिया और भूमध्यसागरीय (मेडीटेरिपन) देशों से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया।
भारतीय ग्रीक शासकों ने पश्चिम एशिया और मेडीटेरियन देश से घनिष्ठ सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
शक, पार्शियन और कुषाण शासकों ने मध्य एशिया के देशों में घनिष्ट सम्पर्क स्थापित करने में सहयोग दिया था।
मौर्योत्तर कालीन व्यापार-वाणिज्य को शिखर पर पहुँचा दिया।
Question 35 of 45
35. Question
1 points
मालव काल गणना निम्न में से किस संवत से अभिन्न थी
Correct
व्याख्या-
मालव काल गणना विक्रम संवत से अभिन्न थी।
मालवा के शासक विक्रमादित्य ने 57 ई.पू0 में शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में विक्रम संवत् (57ई.पू0) चलाया |
विक्रमादित्य का शासन सतयुग के समान सुख एवं समृद्धि से भरा हुआ था।
विक्रम संवत् को ‘कृत (सतयुग) संवत्’ भी कहा गया।
मालवगण अथवा मालवा से सम्बन्धित होने के कारण इसे मालव संवत् नाम दिया गया।
Incorrect
व्याख्या-
मालव काल गणना विक्रम संवत से अभिन्न थी।
मालवा के शासक विक्रमादित्य ने 57 ई.पू0 में शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में विक्रम संवत् (57ई.पू0) चलाया |
विक्रमादित्य का शासन सतयुग के समान सुख एवं समृद्धि से भरा हुआ था।
विक्रम संवत् को ‘कृत (सतयुग) संवत्’ भी कहा गया।
मालवगण अथवा मालवा से सम्बन्धित होने के कारण इसे मालव संवत् नाम दिया गया।
Unattempted
व्याख्या-
मालव काल गणना विक्रम संवत से अभिन्न थी।
मालवा के शासक विक्रमादित्य ने 57 ई.पू0 में शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में विक्रम संवत् (57ई.पू0) चलाया |
विक्रमादित्य का शासन सतयुग के समान सुख एवं समृद्धि से भरा हुआ था।
विक्रम संवत् को ‘कृत (सतयुग) संवत्’ भी कहा गया।
मालवगण अथवा मालवा से सम्बन्धित होने के कारण इसे मालव संवत् नाम दिया गया।
Question 36 of 45
36. Question
1 points
प्राक् गुप्त काल में शिल्पियों की श्रेणी प्रमुख की क्या उपाधि थी
Correct
व्याख्या –
प्राक् गुप्त काल में शिल्पियों की श्रेणी को प्रमुख को जेत्थक या जेट्टक कहा जाता था।
श्रेणियां अपने व्यावसायिक कार्यों के अतिरिक्त संगठित रूप में समाज कल्याण के अनेक कार्य जैसे सभा भवनों का निर्माण, मंदिरों, तालाबों और उपवनों का निर्माण भी कराती थी।
श्रेणियां बैकों के रुप में भी कार्य करती थी।
Incorrect
व्याख्या –
प्राक् गुप्त काल में शिल्पियों की श्रेणी को प्रमुख को जेत्थक या जेट्टक कहा जाता था।
श्रेणियां अपने व्यावसायिक कार्यों के अतिरिक्त संगठित रूप में समाज कल्याण के अनेक कार्य जैसे सभा भवनों का निर्माण, मंदिरों, तालाबों और उपवनों का निर्माण भी कराती थी।
श्रेणियां बैकों के रुप में भी कार्य करती थी।
Unattempted
व्याख्या –
प्राक् गुप्त काल में शिल्पियों की श्रेणी को प्रमुख को जेत्थक या जेट्टक कहा जाता था।
श्रेणियां अपने व्यावसायिक कार्यों के अतिरिक्त संगठित रूप में समाज कल्याण के अनेक कार्य जैसे सभा भवनों का निर्माण, मंदिरों, तालाबों और उपवनों का निर्माण भी कराती थी।
श्रेणियां बैकों के रुप में भी कार्य करती थी।
Question 37 of 45
37. Question
1 points
मनु की विधि व्यवस्था में चोरी के लिये निम्नलिखित में से किसे सर्वाधिक दण्ड दिया जाता था?
Correct
व्याख्या-
मनु विख्यात हिन्दु विद्वान तथा धर्मशास्त्रवेत्ता थे।
मनु को मानव जाति के जनक तथा प्रथम विधिवेता के रुप में वर्णित किया गया है।
मनु के अनुसार समाज में ब्राह्मण की स्थिति सर्वश्रेष्ठ है।
मनु के अनुसार समाज और राज्य में अध्यापक, पुरोहित , न्यायाधीश और कर निर्धारक आदि सभी उच्च पदों पर ब्राह्मण ही नियुक्त किये जाते थे।
मनु स्मृति में चोरी के लिए सार्वधिक दण्ड ब्राह्मणों के लिए निश्चित किया गया है। तत्पश्चात् क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को दण्डित करने का विधान किया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
मनु विख्यात हिन्दु विद्वान तथा धर्मशास्त्रवेत्ता थे।
मनु को मानव जाति के जनक तथा प्रथम विधिवेता के रुप में वर्णित किया गया है।
मनु के अनुसार समाज में ब्राह्मण की स्थिति सर्वश्रेष्ठ है।
मनु के अनुसार समाज और राज्य में अध्यापक, पुरोहित , न्यायाधीश और कर निर्धारक आदि सभी उच्च पदों पर ब्राह्मण ही नियुक्त किये जाते थे।
मनु स्मृति में चोरी के लिए सार्वधिक दण्ड ब्राह्मणों के लिए निश्चित किया गया है। तत्पश्चात् क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को दण्डित करने का विधान किया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
मनु विख्यात हिन्दु विद्वान तथा धर्मशास्त्रवेत्ता थे।
मनु को मानव जाति के जनक तथा प्रथम विधिवेता के रुप में वर्णित किया गया है।
मनु के अनुसार समाज में ब्राह्मण की स्थिति सर्वश्रेष्ठ है।
मनु के अनुसार समाज और राज्य में अध्यापक, पुरोहित , न्यायाधीश और कर निर्धारक आदि सभी उच्च पदों पर ब्राह्मण ही नियुक्त किये जाते थे।
मनु स्मृति में चोरी के लिए सार्वधिक दण्ड ब्राह्मणों के लिए निश्चित किया गया है। तत्पश्चात् क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को दण्डित करने का विधान किया गया है।
Question 38 of 45
38. Question
1 points
पेरिप्लस ऑफ द इरीथियन सी कहाँ से कहाँ तक की समुद्री यात्रा का वर्णन करता है?
Correct
व्याख्या-
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ एक अज्ञात यूनानी नाविक की पुस्तक है।
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ में लाल सागर तथा भारत के बीच उसके द्वारा भ्रमण किये गये बंदरगाहों का वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या-
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ एक अज्ञात यूनानी नाविक की पुस्तक है।
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ में लाल सागर तथा भारत के बीच उसके द्वारा भ्रमण किये गये बंदरगाहों का वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या-
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ एक अज्ञात यूनानी नाविक की पुस्तक है।
‘पेरिप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ में लाल सागर तथा भारत के बीच उसके द्वारा भ्रमण किये गये बंदरगाहों का वर्णन है।
Question 39 of 45
39. Question
1 points
गौतमीपुत्र सातकर्णी किस वंश से सम्बन्धित था
Correct
व्याख्या-
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महान शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित किया
Incorrect
व्याख्या-
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महान शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित किया
Unattempted
व्याख्या-
गौतमीपुत्र सातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महान शासक था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी की सैनिक सफलताओं विषय में उसकी माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावि के नासिक गुहालेख से मिलती है।
गौतमीपुत्र सातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित किया
Question 40 of 45
40. Question
1 points
आधुनिक पाकिस्तान के किस नगर में सम्राट कनिष्क की राजधानी थी
Correct
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Incorrect
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Unattempted
व्याख्या –
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।
पुरुषपुर (पेशावर) कुषाण साम्राज्य की राजधानी थी।
कनिष्क का चीनी तुर्किस्तान के प्रश्न पर चीन से युद्ध हुआ
कनिष्क ने चीनियों को पराजित करके मध्य एशिया (चीनी, तुर्किस्तान) पर अधिकार कर लिया ।
कनिष्क ने चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त वैक्ट्रिया, ख्वारिज्म तथा बुखारा पर भी उसका अधिकार था।
कनिष्क ने पहली बार एक अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की।
Question 41 of 45
41. Question
1 points
खारवेल का हाथीगुम्फा लेख कहाँ है
Correct
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है।
Incorrect
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है।
Unattempted
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है।
Question 42 of 45
42. Question
1 points
प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष किसके समकालीन थे
Correct
व्याख्या .
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Incorrect
व्याख्या .
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Unattempted
व्याख्या .
चरक कनिष्क का राजवैद्य था।
चरक का ग्रंथ ‘चरक संहिता’ औषधिशास्त्र की प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है।
चरक को चिकित्सा शास्त्र का आविष्कारक माना जाता है।
‘चरक संहिता’ को आधुनिक चिकित्साशास्त्र का विश्वकोष माना जाता है।
अश्वघोष तथा नागार्जुन जैसे प्रसिद्ध विद्वान कनिष्क के दरबार निवास करते थे।
अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
अश्वघोष प्रमुख रचनायें- बुद्धचरित, सौंदरानंद तथा सारिपुत्रप्रकरण।
बुद्धचरित, सौंदरानंद – महाकाव्य
सारिपुत्रप्रकरण। – नाटक
नागार्जुन विदर्भ के निवासी थे।
नागार्जुन को ‘भारत का आइन्सटीन’ कहा जाता है।
नागार्जुन ने अपनी पुस्तक ‘प्रज्ञापारमितासूत्र; में सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है।
Question 43 of 45
43. Question
1 points
किस वंश के इतिहास का प्रमख स्रोत सिक्क है
Correct
व्याख्या –
हिन्दू-यूनानी और शक-पर्शियन राजाओं के विषय में जानकारी के प्रमुख स्रोत सिक्के हैं।
Incorrect
व्याख्या –
हिन्दू-यूनानी और शक-पर्शियन राजाओं के विषय में जानकारी के प्रमुख स्रोत सिक्के हैं।
Unattempted
व्याख्या –
हिन्दू-यूनानी और शक-पर्शियन राजाओं के विषय में जानकारी के प्रमुख स्रोत सिक्के हैं।
Question 44 of 45
44. Question
1 points
मुद्राराक्षस का रचयिता है।
Correct
व्याख्या-
‘मुद्राराक्षस’ नामक ग्रंथ विशाखदत्त द्वारा रचित है।
‘मुद्राराक्षस’ में चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारम्भिक जीवन एवं चाणक्य की योजनाओं का वर्णन मिलता है।
मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘वृषल’ व ‘कुलहीन’ कहा है।
विशाखदत्त की अन्य रचना – ‘देवीचन्द्र गुप्तम’ जो एक नाटक है ।
Incorrect
व्याख्या-
‘मुद्राराक्षस’ नामक ग्रंथ विशाखदत्त द्वारा रचित है।
‘मुद्राराक्षस’ में चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारम्भिक जीवन एवं चाणक्य की योजनाओं का वर्णन मिलता है।
मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘वृषल’ व ‘कुलहीन’ कहा है।
विशाखदत्त की अन्य रचना – ‘देवीचन्द्र गुप्तम’ जो एक नाटक है ।
Unattempted
व्याख्या-
‘मुद्राराक्षस’ नामक ग्रंथ विशाखदत्त द्वारा रचित है।
‘मुद्राराक्षस’ में चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारम्भिक जीवन एवं चाणक्य की योजनाओं का वर्णन मिलता है।
मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘वृषल’ व ‘कुलहीन’ कहा है।
विशाखदत्त की अन्य रचना – ‘देवीचन्द्र गुप्तम’ जो एक नाटक है ।
Question 45 of 45
45. Question
1 points
किस शासक के विषय में हमारी जानकारी का आधार मात्र एक अभिलेख है?
Correct
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है
Incorrect
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है
Unattempted
व्याख्या –
खारवेल चेदि वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।
खारवेल की उपलब्धियों की जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित है