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Question 1 of 32
1. Question
1 points
महाभारत का तेलगू संस्करण किसने लिखा?
Correct
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Incorrect
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Unattempted
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Question 2 of 32
2. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन अकबर के दरबार के नौरत्नों में एक ही परिवार का नहीं था?
Correct
व्याख्या-
अकबर के नवरत्नों में शामिल फैजी, अब्दुल फजल का बड़ा भाई था।
फैजी, अब्दुल फजल दोनों शेख मुबारक के पुत्र थे।
तीनों एक ही परिवार के थे
जबकि अब्दुर्रहीम खानखाना बैरम खां का पुत्र था।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर के नवरत्नों में शामिल फैजी, अब्दुल फजल का बड़ा भाई था।
फैजी, अब्दुल फजल दोनों शेख मुबारक के पुत्र थे।
तीनों एक ही परिवार के थे
जबकि अब्दुर्रहीम खानखाना बैरम खां का पुत्र था।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर के नवरत्नों में शामिल फैजी, अब्दुल फजल का बड़ा भाई था।
फैजी, अब्दुल फजल दोनों शेख मुबारक के पुत्र थे।
तीनों एक ही परिवार के थे
जबकि अब्दुर्रहीम खानखाना बैरम खां का पुत्र था।
Question 3 of 32
3. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसने शाहजहाँ के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की भाषा से फारसी भाषा में किया था?
Correct
व्याख्या –
अबू तालिब तुर्बती ने शाहजहाँ के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया।
अब्दुर्रहीम खानखाना ने अकबर के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया
बाबर की आत्मकथा तुजूके बाबरी मूलतः तुर्की भाषा में है।
सर्वप्रथम लीडन एवं एसकिन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया।
Incorrect
व्याख्या –
अबू तालिब तुर्बती ने शाहजहाँ के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया।
अब्दुर्रहीम खानखाना ने अकबर के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया
बाबर की आत्मकथा तुजूके बाबरी मूलतः तुर्की भाषा में है।
सर्वप्रथम लीडन एवं एसकिन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया।
Unattempted
व्याख्या –
अबू तालिब तुर्बती ने शाहजहाँ के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया।
अब्दुर्रहीम खानखाना ने अकबर के काल में तुजूके बाबरी का अनुवाद तुर्की से फारसी भाषा में किया
बाबर की आत्मकथा तुजूके बाबरी मूलतः तुर्की भाषा में है।
सर्वप्रथम लीडन एवं एसकिन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया।
Question 4 of 32
4. Question
1 points
बाबर का संस्मरण फारसी भाषा में किसके काल में अनुदित हुआ?
Correct
व्याख्या –
तुजुक-ए-बाबरी’-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
जिसे ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Incorrect
व्याख्या –
तुजुक-ए-बाबरी’-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
जिसे ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Unattempted
व्याख्या –
तुजुक-ए-बाबरी’-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
जिसे ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Question 5 of 32
5. Question
1 points
निम्न में से कौन सही सुमेलित है–
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब ने इतिहास लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
सबसे अधिक इतिहास की पुस्तकें औरंगजेब के काल में लिखी गईं।
औरंगजेब ने स्वयं मुहम्मद काजिम सिराजी को आलमगीरनामा’ लिखने का आदेश दिया।
ईश्वरदास नागर ने ‘फुतहात-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
साकी-मुस्तैद खाँ ने ‘मासिर-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब ने इतिहास लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
सबसे अधिक इतिहास की पुस्तकें औरंगजेब के काल में लिखी गईं।
औरंगजेब ने स्वयं मुहम्मद काजिम सिराजी को आलमगीरनामा’ लिखने का आदेश दिया।
ईश्वरदास नागर ने ‘फुतहात-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
साकी-मुस्तैद खाँ ने ‘मासिर-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब ने इतिहास लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
सबसे अधिक इतिहास की पुस्तकें औरंगजेब के काल में लिखी गईं।
औरंगजेब ने स्वयं मुहम्मद काजिम सिराजी को आलमगीरनामा’ लिखने का आदेश दिया।
ईश्वरदास नागर ने ‘फुतहात-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
साकी-मुस्तैद खाँ ने ‘मासिर-ए-आलमगीरी’ की रचना की।
Question 6 of 32
6. Question
1 points
नल-दमयन्ती की कहानी को फारसी में अनुवाद करने वाला था
Correct
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की
अकबर ने यह आदेश दिया कि “उन सभी हिन्दू ग्रन्थों को जो पवित्र माने जाते हैं उसे अनूदित कराये जाये”|
मौलाना हुसैन फैजी ने नलदमयन्ती का अनुवाद उल-औ-दमन नाम से किया।
रामायण का अनुवाद अब्दुल कादिर बदायूँनी ने
अथर्ववेद का अनुवाद बदायूँनी व इब्राहिम सरहिन्दी ने तैयार किया।
मुल्लाशेरी ने कृष्ण चरित की संस्कृत पुस्तक ‘हरिवंश का फारसी अनुवाद किया।
टोडरमल ने ‘भागवत पुराण’ का फारसी अनुवाद किया।
अबुल फजल ने ‘पंचतन्त्र का फारसी अनुवाद अनवर-ए-सुहेली नाम से किया।
फैजी ने नसरुल्ला के सहयोग से पंचतन्त्र का अनुवाद यार-ए-दानिश के नाम से किया।
निजामुद्दीन अहमद ने फारसी भाषा में तबकात-ए अकबरी नामक ग्रन्थ की रचना की।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की
अकबर ने यह आदेश दिया कि “उन सभी हिन्दू ग्रन्थों को जो पवित्र माने जाते हैं उसे अनूदित कराये जाये”|
मौलाना हुसैन फैजी ने नलदमयन्ती का अनुवाद उल-औ-दमन नाम से किया।
रामायण का अनुवाद अब्दुल कादिर बदायूँनी ने
अथर्ववेद का अनुवाद बदायूँनी व इब्राहिम सरहिन्दी ने तैयार किया।
मुल्लाशेरी ने कृष्ण चरित की संस्कृत पुस्तक ‘हरिवंश का फारसी अनुवाद किया।
टोडरमल ने ‘भागवत पुराण’ का फारसी अनुवाद किया।
अबुल फजल ने ‘पंचतन्त्र का फारसी अनुवाद अनवर-ए-सुहेली नाम से किया।
फैजी ने नसरुल्ला के सहयोग से पंचतन्त्र का अनुवाद यार-ए-दानिश के नाम से किया।
निजामुद्दीन अहमद ने फारसी भाषा में तबकात-ए अकबरी नामक ग्रन्थ की रचना की।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की
अकबर ने यह आदेश दिया कि “उन सभी हिन्दू ग्रन्थों को जो पवित्र माने जाते हैं उसे अनूदित कराये जाये”|
मौलाना हुसैन फैजी ने नलदमयन्ती का अनुवाद उल-औ-दमन नाम से किया।
रामायण का अनुवाद अब्दुल कादिर बदायूँनी ने
अथर्ववेद का अनुवाद बदायूँनी व इब्राहिम सरहिन्दी ने तैयार किया।
मुल्लाशेरी ने कृष्ण चरित की संस्कृत पुस्तक ‘हरिवंश का फारसी अनुवाद किया।
टोडरमल ने ‘भागवत पुराण’ का फारसी अनुवाद किया।
अबुल फजल ने ‘पंचतन्त्र का फारसी अनुवाद अनवर-ए-सुहेली नाम से किया।
फैजी ने नसरुल्ला के सहयोग से पंचतन्त्र का अनुवाद यार-ए-दानिश के नाम से किया।
निजामुद्दीन अहमद ने फारसी भाषा में तबकात-ए अकबरी नामक ग्रन्थ की रचना की।
Question 7 of 32
7. Question
1 points
शाहजहाँ के दरबार का राज कवि था
Correct
व्याख्या-
अबू तालिब कलीम शाहजहाँ ने राजकवि की पदवी प्रदान की।
अबू तालिब कलीम दरबार का सर्वश्रेष्ठ कवि था
सैदाई गिलानी सदूदाई गिलानी शाहजहाँ के समय का विशुद्ध फारसी कवि था।
कलीम ने ‘साकीनामा’ तथा अनेक मसनवियों और कसीदों की रचना की थी।
कुदसी भी शाहजहाँ के दरबार का कवि था।
कुदसी ने एक सुन्दर कसीदा शाहजहाँ को पेश किया जिससे खुश होकर बादशाह ने इसे चांदी से तौल देने का आदेश दिया।
Incorrect
व्याख्या-
अबू तालिब कलीम शाहजहाँ ने राजकवि की पदवी प्रदान की।
अबू तालिब कलीम दरबार का सर्वश्रेष्ठ कवि था
सैदाई गिलानी सदूदाई गिलानी शाहजहाँ के समय का विशुद्ध फारसी कवि था।
कलीम ने ‘साकीनामा’ तथा अनेक मसनवियों और कसीदों की रचना की थी।
कुदसी भी शाहजहाँ के दरबार का कवि था।
कुदसी ने एक सुन्दर कसीदा शाहजहाँ को पेश किया जिससे खुश होकर बादशाह ने इसे चांदी से तौल देने का आदेश दिया।
Unattempted
व्याख्या-
अबू तालिब कलीम शाहजहाँ ने राजकवि की पदवी प्रदान की।
अबू तालिब कलीम दरबार का सर्वश्रेष्ठ कवि था
सैदाई गिलानी सदूदाई गिलानी शाहजहाँ के समय का विशुद्ध फारसी कवि था।
कलीम ने ‘साकीनामा’ तथा अनेक मसनवियों और कसीदों की रचना की थी।
कुदसी भी शाहजहाँ के दरबार का कवि था।
कुदसी ने एक सुन्दर कसीदा शाहजहाँ को पेश किया जिससे खुश होकर बादशाह ने इसे चांदी से तौल देने का आदेश दिया।
Question 8 of 32
8. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन अकवर का समकालीन होते हुए ल्लेखित नहीं है
Correct
व्याख्या-
अकबर के शासनकाल में ‘तुलसी रामायण’ अथवा रामचरितमानस’ के रचयिता सन्त तुलसीदास अत्यन्त प्रसिद्ध हुये।
अबुल फजल की रचना ‘ आइन-ए-अकबरी में आगरा के अन्ध कवि सूरदास जिनकी प्रधान रचना ‘सूरसागर’ है तथा हरिदास, रामदास और दरबारी संगीतकार तानसेन सहित अनेक कवियों का उल्लेख है किन्तु उस काल के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास जी का उल्लेख नहीं है।
तुलसीदास को उस समय के सबसे महान व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया गया।
तुलसीदास अकबर के दरबार में कभी भी उपस्थित नहीं हुये।
राजा मानसिंह, मिर्जा अर्दुरहीम ‘खान-ए-खाना शामिल थे, उनके शिष्य एवं प्रशंसक थे।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर के शासनकाल में ‘तुलसी रामायण’ अथवा रामचरितमानस’ के रचयिता सन्त तुलसीदास अत्यन्त प्रसिद्ध हुये।
अबुल फजल की रचना ‘ आइन-ए-अकबरी में आगरा के अन्ध कवि सूरदास जिनकी प्रधान रचना ‘सूरसागर’ है तथा हरिदास, रामदास और दरबारी संगीतकार तानसेन सहित अनेक कवियों का उल्लेख है किन्तु उस काल के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास जी का उल्लेख नहीं है।
तुलसीदास को उस समय के सबसे महान व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया गया।
तुलसीदास अकबर के दरबार में कभी भी उपस्थित नहीं हुये।
राजा मानसिंह, मिर्जा अर्दुरहीम ‘खान-ए-खाना शामिल थे, उनके शिष्य एवं प्रशंसक थे।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर के शासनकाल में ‘तुलसी रामायण’ अथवा रामचरितमानस’ के रचयिता सन्त तुलसीदास अत्यन्त प्रसिद्ध हुये।
अबुल फजल की रचना ‘ आइन-ए-अकबरी में आगरा के अन्ध कवि सूरदास जिनकी प्रधान रचना ‘सूरसागर’ है तथा हरिदास, रामदास और दरबारी संगीतकार तानसेन सहित अनेक कवियों का उल्लेख है किन्तु उस काल के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास जी का उल्लेख नहीं है।
तुलसीदास को उस समय के सबसे महान व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया गया।
तुलसीदास अकबर के दरबार में कभी भी उपस्थित नहीं हुये।
राजा मानसिंह, मिर्जा अर्दुरहीम ‘खान-ए-खाना शामिल थे, उनके शिष्य एवं प्रशंसक थे।
Question 9 of 32
9. Question
1 points
बाबर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ जिस भाषा में लिखी गयी थी, वह थी:
Correct
व्याख्या-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
Question 10 of 32
10. Question
1 points
‘योगवशिष्ठ’ का फारसी अनुवाद किसने किया था?
Correct
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
शाहजहाँ के काल में दाराशिकोह ने काशी के ब्राहमणों की मदद से उपनिषदों, भगवदगीता एवं योगवशिष्ठ का अनुवाद किया।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
शाहजहाँ के काल में दाराशिकोह ने काशी के ब्राहमणों की मदद से उपनिषदों, भगवदगीता एवं योगवशिष्ठ का अनुवाद किया।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
शाहजहाँ के काल में दाराशिकोह ने काशी के ब्राहमणों की मदद से उपनिषदों, भगवदगीता एवं योगवशिष्ठ का अनुवाद किया।
Question 11 of 32
11. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा वक्तव्य सही नहीं है?
Correct
व्याख्या-
अकबर के काल में शेख मुबारक के दो पुत्र फैजी एवं अबुल फजल थे।
‘फैजी प्रसिद्ध कवि थे
‘फैजी ने अकबरनामा’ की रचना की
अबुल फजल प्रसिद्ध इतिहासकार थे। उनकी प्रसिद्ध कृति अकबरनामा तीन भागों में विभाजित है। जिसमें तीसरा भाग ‘आइने अकबरी’ के नाम से प्रसिद्ध है।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर के काल में शेख मुबारक के दो पुत्र फैजी एवं अबुल फजल थे।
‘फैजी प्रसिद्ध कवि थे
‘फैजी ने अकबरनामा’ की रचना की
अबुल फजल प्रसिद्ध इतिहासकार थे। उनकी प्रसिद्ध कृति अकबरनामा तीन भागों में विभाजित है। जिसमें तीसरा भाग ‘आइने अकबरी’ के नाम से प्रसिद्ध है।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर के काल में शेख मुबारक के दो पुत्र फैजी एवं अबुल फजल थे।
‘फैजी प्रसिद्ध कवि थे
‘फैजी ने अकबरनामा’ की रचना की
अबुल फजल प्रसिद्ध इतिहासकार थे। उनकी प्रसिद्ध कृति अकबरनामा तीन भागों में विभाजित है। जिसमें तीसरा भाग ‘आइने अकबरी’ के नाम से प्रसिद्ध है।
Question 12 of 32
12. Question
1 points
अपनी आत्मकथा में बाबर ने निम्नलिखित में से किसका विवरण बहुत कम दिया है
Correct
व्याख्या-
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में भारत का प्राकृतिक विवरण, यहां के लोगों का सामाजिक जीवन तथा रहन सहन और भारत की राजनीतिक स्थिति की अपेक्षा युद्ध का कम वर्णन किया है।
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
तुजुक-ए-बाबरी में बाबर ने लिखा है कि उसके आक्रमण के समय भारत में पांच मुस्लिम राज्य
दिल्ली, (शासक इब्राहिम लोदी),
बंगाल (शासक नुशरत शाह),
बहमनी (कई छोटे-छोटे राज्य).
मालवा (शासक मुहम्मद शाह द्वितीय),
गुजरात (मुजफ्फर शाह द्वितीय)
दो काफिर/हिन्दू राज्य विजय नगर (शासक कृष्णदेव राय) और मेवाड़ (शासक राणा सांगा) थे।
Incorrect
व्याख्या-
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में भारत का प्राकृतिक विवरण, यहां के लोगों का सामाजिक जीवन तथा रहन सहन और भारत की राजनीतिक स्थिति की अपेक्षा युद्ध का कम वर्णन किया है।
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
तुजुक-ए-बाबरी में बाबर ने लिखा है कि उसके आक्रमण के समय भारत में पांच मुस्लिम राज्य
दिल्ली, (शासक इब्राहिम लोदी),
बंगाल (शासक नुशरत शाह),
बहमनी (कई छोटे-छोटे राज्य).
मालवा (शासक मुहम्मद शाह द्वितीय),
गुजरात (मुजफ्फर शाह द्वितीय)
दो काफिर/हिन्दू राज्य विजय नगर (शासक कृष्णदेव राय) और मेवाड़ (शासक राणा सांगा) थे।
Unattempted
व्याख्या-
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में भारत का प्राकृतिक विवरण, यहां के लोगों का सामाजिक जीवन तथा रहन सहन और भारत की राजनीतिक स्थिति की अपेक्षा युद्ध का कम वर्णन किया है।
बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी थी
अकबर के शासनकाल में बाबरनामा का फारसी अनुवाद अर्दुर रहीम खानखाना एवं पायंद खाँ ने की थी।
तुजुक-ए-बाबरी को ‘बाबरनामा’ के नाम से जाना जाता है।
तुर्की भाषा साहित्य के अन्तर्गत इस कृति को साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त उच्चकोटि और मर्मस्पर्शी माना जाता है।
इसकी भाषा शैली की तुलना प्रसिद्ध तुर्की साहित्यकार अली शेर नवाई से की जाती है।
बाबरनामा में भारत की तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक स्थितियों के साथ भौगोलिक स्थिति का आकर्षक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
तुजुक-ए-बाबरी में बाबर ने लिखा है कि उसके आक्रमण के समय भारत में पांच मुस्लिम राज्य
दिल्ली, (शासक इब्राहिम लोदी),
बंगाल (शासक नुशरत शाह),
बहमनी (कई छोटे-छोटे राज्य).
मालवा (शासक मुहम्मद शाह द्वितीय),
गुजरात (मुजफ्फर शाह द्वितीय)
दो काफिर/हिन्दू राज्य विजय नगर (शासक कृष्णदेव राय) और मेवाड़ (शासक राणा सांगा) थे।
Question 13 of 32
13. Question
1 points
मुन्तखब उल तवारीख के लेखक थे
Correct
व्याख्या-
मुन्तखब-उत-तवारीख की रचना मुल्ला अब्दुल कादिर बदायुनी ने मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में की।
मुन्तखब-उत-तवारीख में यद्यपि घटनाक्रम दोषपूर्ण है तथापि अकबर की धर्म सम्बन्धी वैसी धारणाओं का वर्णन हैं जो फारसी साहित्य में अन्यत्र उपलब्ध नहीं है
अबदुर्रहीम खान खाना अकबर के नौ रत्नों में से एक प्रमुख रत्न थे। ये तुर्की, फारसी और हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान थे।
अबदुर्रहीम खान खाना रचना रहीम सतसई है।
अहमद यादगार मिर्जा ने तारीखे-शाही लिखी इसमे सूर और लोदीवंश का प्रामाणिक विवरण मिलता है।
अब्बास खां सरवानी की कृति तारीख-ए-शेरशाही है इस पुस्तक का एक नाम तोफा-ए-अकबरशाही भी है।
Incorrect
व्याख्या-
मुन्तखब-उत-तवारीख की रचना मुल्ला अब्दुल कादिर बदायुनी ने मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में की।
मुन्तखब-उत-तवारीख में यद्यपि घटनाक्रम दोषपूर्ण है तथापि अकबर की धर्म सम्बन्धी वैसी धारणाओं का वर्णन हैं जो फारसी साहित्य में अन्यत्र उपलब्ध नहीं है
अबदुर्रहीम खान खाना अकबर के नौ रत्नों में से एक प्रमुख रत्न थे। ये तुर्की, फारसी और हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान थे।
अबदुर्रहीम खान खाना रचना रहीम सतसई है।
अहमद यादगार मिर्जा ने तारीखे-शाही लिखी इसमे सूर और लोदीवंश का प्रामाणिक विवरण मिलता है।
अब्बास खां सरवानी की कृति तारीख-ए-शेरशाही है इस पुस्तक का एक नाम तोफा-ए-अकबरशाही भी है।
Unattempted
व्याख्या-
मुन्तखब-उत-तवारीख की रचना मुल्ला अब्दुल कादिर बदायुनी ने मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में की।
मुन्तखब-उत-तवारीख में यद्यपि घटनाक्रम दोषपूर्ण है तथापि अकबर की धर्म सम्बन्धी वैसी धारणाओं का वर्णन हैं जो फारसी साहित्य में अन्यत्र उपलब्ध नहीं है
अबदुर्रहीम खान खाना अकबर के नौ रत्नों में से एक प्रमुख रत्न थे। ये तुर्की, फारसी और हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान थे।
अबदुर्रहीम खान खाना रचना रहीम सतसई है।
अहमद यादगार मिर्जा ने तारीखे-शाही लिखी इसमे सूर और लोदीवंश का प्रामाणिक विवरण मिलता है।
अब्बास खां सरवानी की कृति तारीख-ए-शेरशाही है इस पुस्तक का एक नाम तोफा-ए-अकबरशाही भी है।
Question 14 of 32
14. Question
1 points
किसने मध्यकालीन भारत के बारे में लिखा है?
Correct
व्याख्या –
डाक्टर बर्नियर फ्रांसीसी यात्री था।
बर्नियर शाहजहाँ के काल भारत आया ।
बर्नियर दाराशिकोह ओर शाहजहाँ के बीच होने वाले उत्तराधिकार के युद्ध का साक्षी भी है।
बर्नियर अपनी पुस्तक “ट्रेवेल इन द मुगल एंपायर”, में मध्य कालीन भारतीय इतिहास के बारे में लिखा हैं
मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य में समय भारत आया |
ह्वेनसांग चीनी यात्री हर्ष वर्धन के समय भारत आया
इनबतूता मोरक्को (अफ्रीका) का मूल निवासी था।
इब्नबतूता1333 ई० में यह मोहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया। इसकी पुस्तक “रेहला” है।
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
अलबरूनी खीवां (ख्वारिज्म) का रहने वाला था।
अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था।
अलबरूनी की पुस्तक “किताबुल हिन्द” है। जिसमें तत्कालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन मिलता है।
Incorrect
व्याख्या –
डाक्टर बर्नियर फ्रांसीसी यात्री था।
बर्नियर शाहजहाँ के काल भारत आया ।
बर्नियर दाराशिकोह ओर शाहजहाँ के बीच होने वाले उत्तराधिकार के युद्ध का साक्षी भी है।
बर्नियर अपनी पुस्तक “ट्रेवेल इन द मुगल एंपायर”, में मध्य कालीन भारतीय इतिहास के बारे में लिखा हैं
मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य में समय भारत आया |
ह्वेनसांग चीनी यात्री हर्ष वर्धन के समय भारत आया
इनबतूता मोरक्को (अफ्रीका) का मूल निवासी था।
इब्नबतूता1333 ई० में यह मोहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया। इसकी पुस्तक “रेहला” है।
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
अलबरूनी खीवां (ख्वारिज्म) का रहने वाला था।
अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था।
अलबरूनी की पुस्तक “किताबुल हिन्द” है। जिसमें तत्कालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन मिलता है।
Unattempted
व्याख्या –
डाक्टर बर्नियर फ्रांसीसी यात्री था।
बर्नियर शाहजहाँ के काल भारत आया ।
बर्नियर दाराशिकोह ओर शाहजहाँ के बीच होने वाले उत्तराधिकार के युद्ध का साक्षी भी है।
बर्नियर अपनी पुस्तक “ट्रेवेल इन द मुगल एंपायर”, में मध्य कालीन भारतीय इतिहास के बारे में लिखा हैं
मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य में समय भारत आया |
ह्वेनसांग चीनी यात्री हर्ष वर्धन के समय भारत आया
इनबतूता मोरक्को (अफ्रीका) का मूल निवासी था।
इब्नबतूता1333 ई० में यह मोहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया। इसकी पुस्तक “रेहला” है।
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
अलबरूनी खीवां (ख्वारिज्म) का रहने वाला था।
अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था।
अलबरूनी की पुस्तक “किताबुल हिन्द” है। जिसमें तत्कालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन मिलता है।
Question 15 of 32
15. Question
1 points
लीलावती का फारसी अनुवाद करने वाला था
Correct
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
अनुवाद विभाग स्वयं बादशाह की हा देखरेख में काम करता था।
फारसी राज-दरबार की भाषा थी,
“लीलावती’ प्रसिद्ध गणित भास्कर द्वितीय (1114 से 1185 ई.) की प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने अंकगणित, बीजगणित तथा ज्यामिति के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।
“लीलावती’ ग्रंथ का फारसी में अनुवाद अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि ‘फैजी’ ने किया था।
अकबर ने फैजी को ‘मलिक-उस-शोअरा’ की उपाधि प्रदान की थी।
फैजी ने नल-दमयन्ती की कहानी भी फारसी में लिखी।
बदायूँनी , नकीब खाँ और शेख सुल्तान साथ मिलकर महाभारत का ‘रज्मनामा’ के नाम से फारसी में अनुवाद किया
अबुल फजल ने पंचतंत्र को अनवर-ए-सुहैली’ के नाम से अनूदित किया।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
अनुवाद विभाग स्वयं बादशाह की हा देखरेख में काम करता था।
फारसी राज-दरबार की भाषा थी,
“लीलावती’ प्रसिद्ध गणित भास्कर द्वितीय (1114 से 1185 ई.) की प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने अंकगणित, बीजगणित तथा ज्यामिति के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।
“लीलावती’ ग्रंथ का फारसी में अनुवाद अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि ‘फैजी’ ने किया था।
अकबर ने फैजी को ‘मलिक-उस-शोअरा’ की उपाधि प्रदान की थी।
फैजी ने नल-दमयन्ती की कहानी भी फारसी में लिखी।
बदायूँनी , नकीब खाँ और शेख सुल्तान साथ मिलकर महाभारत का ‘रज्मनामा’ के नाम से फारसी में अनुवाद किया
अबुल फजल ने पंचतंत्र को अनवर-ए-सुहैली’ के नाम से अनूदित किया।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने संस्कृत की अनेक पुस्तकों का फारसी में अनुवाद करवाया इसके लिये उसने फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
अनुवाद विभाग स्वयं बादशाह की हा देखरेख में काम करता था।
फारसी राज-दरबार की भाषा थी,
“लीलावती’ प्रसिद्ध गणित भास्कर द्वितीय (1114 से 1185 ई.) की प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने अंकगणित, बीजगणित तथा ज्यामिति के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।
“लीलावती’ ग्रंथ का फारसी में अनुवाद अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि ‘फैजी’ ने किया था।
अकबर ने फैजी को ‘मलिक-उस-शोअरा’ की उपाधि प्रदान की थी।
फैजी ने नल-दमयन्ती की कहानी भी फारसी में लिखी।
बदायूँनी , नकीब खाँ और शेख सुल्तान साथ मिलकर महाभारत का ‘रज्मनामा’ के नाम से फारसी में अनुवाद किया
अबुल फजल ने पंचतंत्र को अनवर-ए-सुहैली’ के नाम से अनूदित किया।
Question 16 of 32
16. Question
1 points
आइने अकबरी का लेखक कौन था
Correct
व्याख्या-
‘अकबरनामा’ अंबुल फजल की रचना है।
1599-98 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया,
‘अकबरनामा तीन जिल्दों में बँटा हुआ है। तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी है।।
Incorrect
व्याख्या-
‘अकबरनामा’ अंबुल फजल की रचना है।
1599-98 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया,
‘अकबरनामा तीन जिल्दों में बँटा हुआ है। तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी है।।
Unattempted
व्याख्या-
‘अकबरनामा’ अंबुल फजल की रचना है।
1599-98 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया,
‘अकबरनामा तीन जिल्दों में बँटा हुआ है। तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी है।।
Question 17 of 32
17. Question
1 points
मुगल युग का सबसे योग्य लेखक कौन माना जाता है.
Correct
व्याख्या-
अबुल फजल को मुगल काल का सबसे योग्य लेखक माना जाता है।
‘अकबरनामा’ अबुल फजल की रचना है।
‘अकबरनामा’ को 1599 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया, जो तीन जिल्दों में बटा हुआ है।
अकबरनामा’ की तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी’ है।
Incorrect
व्याख्या-
अबुल फजल को मुगल काल का सबसे योग्य लेखक माना जाता है।
‘अकबरनामा’ अबुल फजल की रचना है।
‘अकबरनामा’ को 1599 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया, जो तीन जिल्दों में बटा हुआ है।
अकबरनामा’ की तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी’ है।
Unattempted
व्याख्या-
अबुल फजल को मुगल काल का सबसे योग्य लेखक माना जाता है।
‘अकबरनामा’ अबुल फजल की रचना है।
‘अकबरनामा’ को 1599 में पूरा करके अकबर के सामने पेश किया, जो तीन जिल्दों में बटा हुआ है।
अकबरनामा’ की तीसरी जिल्द ‘आइन-ए-अकबरी’ है।
Question 18 of 32
18. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन जीवनीकार थी
Correct
व्याख्या-
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
गुलबदन बेगम द्वारा ‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Incorrect
व्याख्या-
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
गुलबदन बेगम द्वारा ‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Unattempted
व्याख्या-
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
गुलबदन बेगम द्वारा ‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Question 19 of 32
19. Question
1 points
समसामयिक मुस्लिम इतिहासकार जिसने अकवर को इस्लाम विरोधी कहा, वह कौन था
Correct
व्याख्या-
अब्दुल कादिर बदायूंनी उच्चकोटि का लेखक एवं अनुवादकं था।
बदायूंनी की रचना ‘गुन्तखब-उत-तवारीख एवं ‘किताबुल-अहादीस’ है।
मुन्तखब-उत-तवारीख’ में अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की है।
ख्वान्दमीर की कृति कानून-ए-हुमायूँनी है जिसमें हुमायूँ के शासनकाल का वर्णन है।
निजामुद्दीन अहमद ने तबकात-ए-अकबरी लिखी
नियामतुल्ला ने तारीख-ए-खान-जौहानी की रचना की जिसमें अफगान जनजातियों का वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या-
अब्दुल कादिर बदायूंनी उच्चकोटि का लेखक एवं अनुवादकं था।
बदायूंनी की रचना ‘गुन्तखब-उत-तवारीख एवं ‘किताबुल-अहादीस’ है।
मुन्तखब-उत-तवारीख’ में अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की है।
ख्वान्दमीर की कृति कानून-ए-हुमायूँनी है जिसमें हुमायूँ के शासनकाल का वर्णन है।
निजामुद्दीन अहमद ने तबकात-ए-अकबरी लिखी
नियामतुल्ला ने तारीख-ए-खान-जौहानी की रचना की जिसमें अफगान जनजातियों का वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या-
अब्दुल कादिर बदायूंनी उच्चकोटि का लेखक एवं अनुवादकं था।
बदायूंनी की रचना ‘गुन्तखब-उत-तवारीख एवं ‘किताबुल-अहादीस’ है।
मुन्तखब-उत-तवारीख’ में अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की है।
ख्वान्दमीर की कृति कानून-ए-हुमायूँनी है जिसमें हुमायूँ के शासनकाल का वर्णन है।
निजामुद्दीन अहमद ने तबकात-ए-अकबरी लिखी
नियामतुल्ला ने तारीख-ए-खान-जौहानी की रचना की जिसमें अफगान जनजातियों का वर्णन है।
Question 20 of 32
20. Question
1 points
फुतूहात-ए-आलमगीरी का लेखक कौन है
Correct
व्याख्या-
ईश्वरदास नागर कृत फुतूहाते आलमगीरी में औरंगजेब के उत्थान से लेकर उसके राज्यकाल के 34वें वर्ष तक का इतिहास है।
इसमें राजपूतों के खासतौर पर राठौरों के साथ औरंगजेब के सम्बन्धों का विवरण है।
फुतूहाते आलमगीरी में 1691-92 तक औरंगजेब की नीतियां किस हद तक असफल हो गई तथा उमरा अपनी स्वतन्त्र सत्ता का सपना देखने लगे।
Incorrect
व्याख्या-
ईश्वरदास नागर कृत फुतूहाते आलमगीरी में औरंगजेब के उत्थान से लेकर उसके राज्यकाल के 34वें वर्ष तक का इतिहास है।
इसमें राजपूतों के खासतौर पर राठौरों के साथ औरंगजेब के सम्बन्धों का विवरण है।
फुतूहाते आलमगीरी में 1691-92 तक औरंगजेब की नीतियां किस हद तक असफल हो गई तथा उमरा अपनी स्वतन्त्र सत्ता का सपना देखने लगे।
Unattempted
व्याख्या-
ईश्वरदास नागर कृत फुतूहाते आलमगीरी में औरंगजेब के उत्थान से लेकर उसके राज्यकाल के 34वें वर्ष तक का इतिहास है।
इसमें राजपूतों के खासतौर पर राठौरों के साथ औरंगजेब के सम्बन्धों का विवरण है।
फुतूहाते आलमगीरी में 1691-92 तक औरंगजेब की नीतियां किस हद तक असफल हो गई तथा उमरा अपनी स्वतन्त्र सत्ता का सपना देखने लगे।
Question 21 of 32
21. Question
1 points
बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?
Correct
व्याख्या-
बिहारी लाल मथुरा (अथवा जौनपुर) के चौबे कहे जाते हैं।
इनका जन्म ग्वालियर के पास बसुआ गोविन्दपुर गांव में संवत 1660 के लगभग हुआ था।
बिहारी लाल का बाल्यकाल बुन्देलखण्ड तथा शैशव काल मथुरा में व्यतीत हुआ।
इन्हें जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह का प्रश्रय प्राप्त था।
बिहारी की अनुपम रचना ‘विहारी सतसई’ अर्थात् ‘सात सौ दोहे हैं।
बिहारी लाल ने नायिका भेद, नखशिख तथा षडऋतु पर भी श्रृंगारी दोहे लिखे हैं।
Incorrect
व्याख्या-
बिहारी लाल मथुरा (अथवा जौनपुर) के चौबे कहे जाते हैं।
इनका जन्म ग्वालियर के पास बसुआ गोविन्दपुर गांव में संवत 1660 के लगभग हुआ था।
बिहारी लाल का बाल्यकाल बुन्देलखण्ड तथा शैशव काल मथुरा में व्यतीत हुआ।
इन्हें जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह का प्रश्रय प्राप्त था।
बिहारी की अनुपम रचना ‘विहारी सतसई’ अर्थात् ‘सात सौ दोहे हैं।
बिहारी लाल ने नायिका भेद, नखशिख तथा षडऋतु पर भी श्रृंगारी दोहे लिखे हैं।
Unattempted
व्याख्या-
बिहारी लाल मथुरा (अथवा जौनपुर) के चौबे कहे जाते हैं।
इनका जन्म ग्वालियर के पास बसुआ गोविन्दपुर गांव में संवत 1660 के लगभग हुआ था।
बिहारी लाल का बाल्यकाल बुन्देलखण्ड तथा शैशव काल मथुरा में व्यतीत हुआ।
इन्हें जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह का प्रश्रय प्राप्त था।
बिहारी की अनुपम रचना ‘विहारी सतसई’ अर्थात् ‘सात सौ दोहे हैं।
बिहारी लाल ने नायिका भेद, नखशिख तथा षडऋतु पर भी श्रृंगारी दोहे लिखे हैं।
Question 22 of 32
22. Question
1 points
हुमायूँनामा का रचनाकार कौन था?
Correct
त्व्याख्या-
‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है,
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Incorrect
त्व्याख्या-
‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है,
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Unattempted
त्व्याख्या-
‘हुमायूँनामा’ पुस्तक आम बोलचाल की फारसी भाषा में लिखी गई
गुलबदन बेगम जिसे द प्रिसेंज रोज-बाडी के नाम से भी जाना जाता है,
बाबर की बेटी व हुमायूँ की सौतेली बहन थी।
अकबर द्वारा आग्रह किये जाने गुलबदन बेगम ने अपने संस्मरणों को ‘हुमायूँनामा’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किये।
ऐतिहासिक दृष्टि से यह पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुस्तक एक ऐसी लेखिका द्वारा तैयार की गई है
Question 23 of 32
23. Question
1 points
सर्वज्ञता की घोषणा का रचयिता कौन था
Correct
व्याख्या-
मुगल बादशाह अकबर ने 22 जून, 1579 ई. को फतेहपुर सीकरी के जामी मस्जिद से एक मजहर (प्रपत्र) पढ़ा।
मजहर को अबुल फजल एवं फैजी के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था।
इस मजहर पर शेख अब्दुल नबी, अब्दुल्ला सुल्तानपुरी तथा शेख मुबारक सहित सात आलिमों ने हस्ताक्षर किये। महजर को स्मिथ एवं वुल्जले हेग जैसे इतिहासकारों ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ और सर्वज्ञता की घोषणा’ कहा।।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल बादशाह अकबर ने 22 जून, 1579 ई. को फतेहपुर सीकरी के जामी मस्जिद से एक मजहर (प्रपत्र) पढ़ा।
मजहर को अबुल फजल एवं फैजी के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था।
इस मजहर पर शेख अब्दुल नबी, अब्दुल्ला सुल्तानपुरी तथा शेख मुबारक सहित सात आलिमों ने हस्ताक्षर किये। महजर को स्मिथ एवं वुल्जले हेग जैसे इतिहासकारों ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ और सर्वज्ञता की घोषणा’ कहा।।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल बादशाह अकबर ने 22 जून, 1579 ई. को फतेहपुर सीकरी के जामी मस्जिद से एक मजहर (प्रपत्र) पढ़ा।
मजहर को अबुल फजल एवं फैजी के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था।
इस मजहर पर शेख अब्दुल नबी, अब्दुल्ला सुल्तानपुरी तथा शेख मुबारक सहित सात आलिमों ने हस्ताक्षर किये। महजर को स्मिथ एवं वुल्जले हेग जैसे इतिहासकारों ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ और सर्वज्ञता की घोषणा’ कहा।।
Question 24 of 32
24. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन समकालीन थे?
Correct
व्याख्या-
अबुल फजल और अब्दुल कादिर बदायूँनी दोनों समकालीन थे।
अबुल फजल की अकबरनामा तीन खण्डों में विभाजित है।
प्रथम खण्ड – बाबर और हुमायूँ सहित अकबर के पूर्वजों का विवरण दिया गया है।
द्वितीय खण्ड पूरी तरह से कालानुक्राम व्यवस्था में अकबर के शासन की सर्वाङ्गीण विवेचना क समर्पित है। अकबरनामा के तीसरे खण्ड आइन-ए-अकबरी का उपशीर्षक दिया गया है।
आइने-अकबरी मुगलों की प्रशासनिक नीति तथा ” की नीति पर प्रकाश डालती है।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के बाद किसी भारतीय द्वारा लिखी गई आइने-अकबरी दूसरी सबसे बड़ी पुस्तक है।
बदायूँनी अकबर के काल में इतिहासकार थे उसकी रचना मुन्तखब -उत -तवारीख है।
मुन्तखब उत तवारीख पुस्तक में उसने अकबर की धार्मिक नीति की आलोचना की है।
Incorrect
व्याख्या-
अबुल फजल और अब्दुल कादिर बदायूँनी दोनों समकालीन थे।
अबुल फजल की अकबरनामा तीन खण्डों में विभाजित है।
प्रथम खण्ड – बाबर और हुमायूँ सहित अकबर के पूर्वजों का विवरण दिया गया है।
द्वितीय खण्ड पूरी तरह से कालानुक्राम व्यवस्था में अकबर के शासन की सर्वाङ्गीण विवेचना क समर्पित है। अकबरनामा के तीसरे खण्ड आइन-ए-अकबरी का उपशीर्षक दिया गया है।
आइने-अकबरी मुगलों की प्रशासनिक नीति तथा ” की नीति पर प्रकाश डालती है।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के बाद किसी भारतीय द्वारा लिखी गई आइने-अकबरी दूसरी सबसे बड़ी पुस्तक है।
बदायूँनी अकबर के काल में इतिहासकार थे उसकी रचना मुन्तखब -उत -तवारीख है।
मुन्तखब उत तवारीख पुस्तक में उसने अकबर की धार्मिक नीति की आलोचना की है।
Unattempted
व्याख्या-
अबुल फजल और अब्दुल कादिर बदायूँनी दोनों समकालीन थे।
अबुल फजल की अकबरनामा तीन खण्डों में विभाजित है।
प्रथम खण्ड – बाबर और हुमायूँ सहित अकबर के पूर्वजों का विवरण दिया गया है।
द्वितीय खण्ड पूरी तरह से कालानुक्राम व्यवस्था में अकबर के शासन की सर्वाङ्गीण विवेचना क समर्पित है। अकबरनामा के तीसरे खण्ड आइन-ए-अकबरी का उपशीर्षक दिया गया है।
आइने-अकबरी मुगलों की प्रशासनिक नीति तथा ” की नीति पर प्रकाश डालती है।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के बाद किसी भारतीय द्वारा लिखी गई आइने-अकबरी दूसरी सबसे बड़ी पुस्तक है।
बदायूँनी अकबर के काल में इतिहासकार थे उसकी रचना मुन्तखब -उत -तवारीख है।
मुन्तखब उत तवारीख पुस्तक में उसने अकबर की धार्मिक नीति की आलोचना की है।
Question 25 of 32
25. Question
1 points
निम्नलिखित में से एक सही कथन बतायें
Correct
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
ग्रंथ के तीसरे भाग की रचना मोहम्मद हादी ने की जिसने ग्रन्थ के प्रथम भाग को लिखा था।
गुरु अर्जुनदेव की मृत्युदण्ड जहाँगीर के शासनकाल में किया गया था,
गुरु अर्जुन ने विद्रोही शहजादे खुसरो की सहायता की थी।
अकबर ने दक्षिण भारत में खानदेश और अहमदनगर पर विजय प्राप्त की थी।
हुमायूँ ने काबुल की विजय की थी, न कि बल्ख और बदख्शा की।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
ग्रंथ के तीसरे भाग की रचना मोहम्मद हादी ने की जिसने ग्रन्थ के प्रथम भाग को लिखा था।
गुरु अर्जुनदेव की मृत्युदण्ड जहाँगीर के शासनकाल में किया गया था,
गुरु अर्जुन ने विद्रोही शहजादे खुसरो की सहायता की थी।
अकबर ने दक्षिण भारत में खानदेश और अहमदनगर पर विजय प्राप्त की थी।
हुमायूँ ने काबुल की विजय की थी, न कि बल्ख और बदख्शा की।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
ग्रंथ के तीसरे भाग की रचना मोहम्मद हादी ने की जिसने ग्रन्थ के प्रथम भाग को लिखा था।
गुरु अर्जुनदेव की मृत्युदण्ड जहाँगीर के शासनकाल में किया गया था,
गुरु अर्जुन ने विद्रोही शहजादे खुसरो की सहायता की थी।
अकबर ने दक्षिण भारत में खानदेश और अहमदनगर पर विजय प्राप्त की थी।
हुमायूँ ने काबुल की विजय की थी, न कि बल्ख और बदख्शा की।
Question 26 of 32
26. Question
1 points
निम्नांकित में से अपनी जीवन-गाथा लिखी
Correct
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर।
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी,
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
Incorrect
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर।
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी,
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
Unattempted
व्याख्या-
मुगल काल में दो बादशाहों ने अपनी आत्मकथा लिखी-
(1) बाबर
(2) जहाँगीर।
बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुर्की भाषा में लिखी,
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ फारसी भाषा में लिखी।
जहाँगीर की आत्मकथा- ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
Question 27 of 32
27. Question
1 points
खफी खाँ किस शासक से संबंधित था-
Correct
व्याख्या-
खफी खान ने ‘मुन्तखब-उल-लुबाब’ की रचना की जिसमें औरंगजेब के समय का आलोचनात्मक विवरण मिलता है।
Incorrect
व्याख्या-
खफी खान ने ‘मुन्तखब-उल-लुबाब’ की रचना की जिसमें औरंगजेब के समय का आलोचनात्मक विवरण मिलता है।
Unattempted
व्याख्या-
खफी खान ने ‘मुन्तखब-उल-लुबाब’ की रचना की जिसमें औरंगजेब के समय का आलोचनात्मक विवरण मिलता है।
Question 28 of 32
28. Question
1 points
‘मज्म-उल-बहरीन’ का रचयिता था?
Correct
व्याख्या-
‘मज्म-उल-बहरीन’ अर्थात् दो समुद्रों का मिलन दाराशिकोह द्वारा रची गई पुस्तक हैं।
इसमें हिन्दू व इस्लाम धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन है।
Incorrect
व्याख्या-
‘मज्म-उल-बहरीन’ अर्थात् दो समुद्रों का मिलन दाराशिकोह द्वारा रची गई पुस्तक हैं।
इसमें हिन्दू व इस्लाम धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन है।
Unattempted
व्याख्या-
‘मज्म-उल-बहरीन’ अर्थात् दो समुद्रों का मिलन दाराशिकोह द्वारा रची गई पुस्तक हैं।
इसमें हिन्दू व इस्लाम धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन है।
Question 29 of 32
29. Question
1 points
‘निजामुद्दीन अहमद’ ने निम्न से किस पुस्तक की रचना की थी?
Correct
व्याख्या-
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने अकबर के शासनकाल मे तबकात-ए-अकबरी की रचना की।
तबकात-ए-अकबरी 9 खण्डों में विभाजित है।
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने ग्रन्थ की प्रस्तावना में गजनियों के इतिहास का वर्णन किया है।
प्रथम खण्ड में उसने 1593 ई. तक का दिल्ली का इतिहास तथा अन्य शेष खण्डों में उसने दक्षिण, गुजरात, मालवा, बंगाल, जौनपुर, कश्मीर एवं मुल्तान के इतिहास का वर्णन किया है।
फरिश्ता ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘गुलशने इब्राहीमी’ में लिखा है कि “मैंने बहुत ग्रन्थ पढ़े हैं परन्तु मैं इसी ग्रन्थ अर्थात् ‘तबकाते अकबरी’ को पूर्ण मानता हूँ।
मुन्तखब-उत-तवारीख अब्दुल कादिर बदायूँनी की रचना है
हुमायूँनामा हुमायूँ की सौतेली बहन गुलबदन बेगम की कृति है।
मुन्तखब-उल-लुबाब को औरंगजेब के र शासकाल में खाफी खाँ ने लिखा।
Incorrect
व्याख्या-
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने अकबर के शासनकाल मे तबकात-ए-अकबरी की रचना की।
तबकात-ए-अकबरी 9 खण्डों में विभाजित है।
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने ग्रन्थ की प्रस्तावना में गजनियों के इतिहास का वर्णन किया है।
प्रथम खण्ड में उसने 1593 ई. तक का दिल्ली का इतिहास तथा अन्य शेष खण्डों में उसने दक्षिण, गुजरात, मालवा, बंगाल, जौनपुर, कश्मीर एवं मुल्तान के इतिहास का वर्णन किया है।
फरिश्ता ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘गुलशने इब्राहीमी’ में लिखा है कि “मैंने बहुत ग्रन्थ पढ़े हैं परन्तु मैं इसी ग्रन्थ अर्थात् ‘तबकाते अकबरी’ को पूर्ण मानता हूँ।
मुन्तखब-उत-तवारीख अब्दुल कादिर बदायूँनी की रचना है
हुमायूँनामा हुमायूँ की सौतेली बहन गुलबदन बेगम की कृति है।
मुन्तखब-उल-लुबाब को औरंगजेब के र शासकाल में खाफी खाँ ने लिखा।
Unattempted
व्याख्या-
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने अकबर के शासनकाल मे तबकात-ए-अकबरी की रचना की।
तबकात-ए-अकबरी 9 खण्डों में विभाजित है।
ख्वाज निजामुद्दीन अहमद ने ग्रन्थ की प्रस्तावना में गजनियों के इतिहास का वर्णन किया है।
प्रथम खण्ड में उसने 1593 ई. तक का दिल्ली का इतिहास तथा अन्य शेष खण्डों में उसने दक्षिण, गुजरात, मालवा, बंगाल, जौनपुर, कश्मीर एवं मुल्तान के इतिहास का वर्णन किया है।
फरिश्ता ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘गुलशने इब्राहीमी’ में लिखा है कि “मैंने बहुत ग्रन्थ पढ़े हैं परन्तु मैं इसी ग्रन्थ अर्थात् ‘तबकाते अकबरी’ को पूर्ण मानता हूँ।
मुन्तखब-उत-तवारीख अब्दुल कादिर बदायूँनी की रचना है
हुमायूँनामा हुमायूँ की सौतेली बहन गुलबदन बेगम की कृति है।
मुन्तखब-उल-लुबाब को औरंगजेब के र शासकाल में खाफी खाँ ने लिखा।
Question 30 of 32
30. Question
1 points
शाहजहाँ ने किसको “गुण समुन्दर’ की उपाधि से सम्मानित किया था?
Correct
व्याख्या-
मुगल बादशाह शाहजहाँ भी अपने पूर्वजों के समान् संगीत का प्रेमी था तथा वह स्वयं भी एक अच्छा गायक था।
हिन्दी रागों में बादशाह का मनपसन्द राग धुपद राग’ था
धुपद राग को तानसेन के पुत्र विलास खाँ के दामाद एवं शिष्य लाल खाँ द्वारा गाया जाता था।
बादशाहशाहजहाँ ने लाल खाँ को ‘गुण समुन्दर’ की उपाधि से विभूषित किया था।
कलीम शाहजहाँ का राजकवि था
कलीम की रचना ‘साकीनामा’ है।
शौकी जहांगीर के शासनकाल का प्रमुख गजल गायक था। जिसे जहांगीर ने ‘आनन्द खां’ की उपाधि दी थी।
मुहम्मद हुसैन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध ग्रन्थकर्ता था जो अपनी सुन्दर लिखावत के लिए प्रसिद्ध था इसे बादशाह ने जरी कलम’ की उपाधि दी थी।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल बादशाह शाहजहाँ भी अपने पूर्वजों के समान् संगीत का प्रेमी था तथा वह स्वयं भी एक अच्छा गायक था।
हिन्दी रागों में बादशाह का मनपसन्द राग धुपद राग’ था
धुपद राग को तानसेन के पुत्र विलास खाँ के दामाद एवं शिष्य लाल खाँ द्वारा गाया जाता था।
बादशाहशाहजहाँ ने लाल खाँ को ‘गुण समुन्दर’ की उपाधि से विभूषित किया था।
कलीम शाहजहाँ का राजकवि था
कलीम की रचना ‘साकीनामा’ है।
शौकी जहांगीर के शासनकाल का प्रमुख गजल गायक था। जिसे जहांगीर ने ‘आनन्द खां’ की उपाधि दी थी।
मुहम्मद हुसैन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध ग्रन्थकर्ता था जो अपनी सुन्दर लिखावत के लिए प्रसिद्ध था इसे बादशाह ने जरी कलम’ की उपाधि दी थी।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल बादशाह शाहजहाँ भी अपने पूर्वजों के समान् संगीत का प्रेमी था तथा वह स्वयं भी एक अच्छा गायक था।
हिन्दी रागों में बादशाह का मनपसन्द राग धुपद राग’ था
धुपद राग को तानसेन के पुत्र विलास खाँ के दामाद एवं शिष्य लाल खाँ द्वारा गाया जाता था।
बादशाहशाहजहाँ ने लाल खाँ को ‘गुण समुन्दर’ की उपाधि से विभूषित किया था।
कलीम शाहजहाँ का राजकवि था
कलीम की रचना ‘साकीनामा’ है।
शौकी जहांगीर के शासनकाल का प्रमुख गजल गायक था। जिसे जहांगीर ने ‘आनन्द खां’ की उपाधि दी थी।
मुहम्मद हुसैन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध ग्रन्थकर्ता था जो अपनी सुन्दर लिखावत के लिए प्रसिद्ध था इसे बादशाह ने जरी कलम’ की उपाधि दी थी।
Question 31 of 32
31. Question
1 points
किस मुगल शहजादे ने उपनिषदों का फारसी में करवाया था
Correct
व्याख्या-
अकबर के बाद दाराशिकोह सर्वाधिक सहिष्णु था।
दाराशिकोह अरबी, फारसी और संस्कृत का ज्ञाता था
दाराशिकोह ने 52 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद सिरी-ए-अकबर, ‘सिर्र-अल-असरार’ नाम से करवाया।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर के बाद दाराशिकोह सर्वाधिक सहिष्णु था।
दाराशिकोह अरबी, फारसी और संस्कृत का ज्ञाता था
दाराशिकोह ने 52 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद सिरी-ए-अकबर, ‘सिर्र-अल-असरार’ नाम से करवाया।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर के बाद दाराशिकोह सर्वाधिक सहिष्णु था।
दाराशिकोह अरबी, फारसी और संस्कृत का ज्ञाता था
दाराशिकोह ने 52 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद सिरी-ए-अकबर, ‘सिर्र-अल-असरार’ नाम से करवाया।
Question 32 of 32
32. Question
1 points
बाबर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ जिस भाषा में लिखी गयी थी,
Correct
व्याख्या-
बाबर की आत्मकथा “तुजुक-ए-बाबरी या ‘वाकयन्ते बाबरी’ मुख्यतः तुर्की भाषा में लिखी गयी।
अर्द्धररहीम खानखाना ने इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया जबकि लीडन एवं एसकिन ने सर्वप्रथम इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। .
Incorrect
व्याख्या-
बाबर की आत्मकथा “तुजुक-ए-बाबरी या ‘वाकयन्ते बाबरी’ मुख्यतः तुर्की भाषा में लिखी गयी।
अर्द्धररहीम खानखाना ने इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया जबकि लीडन एवं एसकिन ने सर्वप्रथम इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। .
Unattempted
व्याख्या-
बाबर की आत्मकथा “तुजुक-ए-बाबरी या ‘वाकयन्ते बाबरी’ मुख्यतः तुर्की भाषा में लिखी गयी।
अर्द्धररहीम खानखाना ने इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया जबकि लीडन एवं एसकिन ने सर्वप्रथम इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। .