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Congratulations!!!" मुगलकालीन विदेशी यात्री "
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Question 1 of 27
1. Question
1 points
सूची । (विदेश यात्री) को सूची ॥ (भारत में आने का वर्ष से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूर का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिए
सूची। सूची ॥
A हॉकिन्स 1. 1615
B टॉमस रो 2.1608
C मनूची 3.1588
D राल्फ फिच 4. 1658
Correct
व्याख्या –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
मनूची 1658 में शाहजहाँ श के समय भारत आया।
Incorrect
व्याख्या –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
मनूची 1658 में शाहजहाँ श के समय भारत आया।
Unattempted
व्याख्या –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
मनूची 1658 में शाहजहाँ श के समय भारत आया।
Question 2 of 27
2. Question
1 points
अपने बड़े सामन्तों के बीच वह (सम्राट) इतना प्रभावशाली था कि कोई अपना सिर बहुत ऊँचा उठाने की हिम्मत नहीं करता था लेकिन साधारण वर्ग के लोगों के साथ वह उदार और मिलनसार था और स्वेच्छा से उन्हें अपने हाथों में लेकर अपनी छाती से लगाता था। उपर्युक्त उद्धरण पर विचार कीजिए और बताइये कि इसका लेख किसे माना जाता है और इसमें किस राजा का उल्लेख है
Correct
व्याख्या –
उपरोक्त कथन मांसरेट का है
यहाँ कथन मांसरेट ने अकबर के सम्बन्ध में कहा ।
मांसरेट अकबर के समय 1578 ई. में उसके दरबार में आया था।
टैवर्नियर हीरे का व्यापारी था; जो शाहजहाँ तथा औरंगजेब के काल में आया था।
राल्फ फिच अकबर के काल में आनेवाला प्रथम अंग्रेज था।
हॉकिन्स जहांगीर के काल में आने वाला अंग्रेज राजदूत था जहांगीर ने हॉकिन्स को 400 जात की मनसब प्रदान की
Incorrect
व्याख्या –
उपरोक्त कथन मांसरेट का है
यहाँ कथन मांसरेट ने अकबर के सम्बन्ध में कहा ।
मांसरेट अकबर के समय 1578 ई. में उसके दरबार में आया था।
टैवर्नियर हीरे का व्यापारी था; जो शाहजहाँ तथा औरंगजेब के काल में आया था।
राल्फ फिच अकबर के काल में आनेवाला प्रथम अंग्रेज था।
हॉकिन्स जहांगीर के काल में आने वाला अंग्रेज राजदूत था जहांगीर ने हॉकिन्स को 400 जात की मनसब प्रदान की
Unattempted
व्याख्या –
उपरोक्त कथन मांसरेट का है
यहाँ कथन मांसरेट ने अकबर के सम्बन्ध में कहा ।
मांसरेट अकबर के समय 1578 ई. में उसके दरबार में आया था।
टैवर्नियर हीरे का व्यापारी था; जो शाहजहाँ तथा औरंगजेब के काल में आया था।
राल्फ फिच अकबर के काल में आनेवाला प्रथम अंग्रेज था।
हॉकिन्स जहांगीर के काल में आने वाला अंग्रेज राजदूत था जहांगीर ने हॉकिन्स को 400 जात की मनसब प्रदान की
Question 3 of 27
3. Question
1 points
“आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों ही लंदन से बड़े हैं” यह विवरण है
Correct
व्याख्या –
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
हॉकिन्स जहाँगीर के काल में भारत आया
मनूची शाहजहाँ के काल में भारत आया
बर्नियर औरंगजेब के काल में भारत आया
Incorrect
व्याख्या –
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
हॉकिन्स जहाँगीर के काल में भारत आया
मनूची शाहजहाँ के काल में भारत आया
बर्नियर औरंगजेब के काल में भारत आया
Unattempted
व्याख्या –
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
हॉकिन्स जहाँगीर के काल में भारत आया
मनूची शाहजहाँ के काल में भारत आया
बर्नियर औरंगजेब के काल में भारत आया
Question 4 of 27
4. Question
1 points
सूरत में उतरने वाला सबसे पहला अंग्रेज कप्तान जो – आगरा में सम्राट जहाँगीर के दरबार में भी गया था
Correct
व्याख्या –
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया,
राल्फ फिच व मिन्डेनहाल अकबर के समय भारत आए थे।
Incorrect
व्याख्या –
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया,
राल्फ फिच व मिन्डेनहाल अकबर के समय भारत आए थे।
Unattempted
व्याख्या –
हॉकिन्स 1608 में भारत आया, हॉकिन्स इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया
हॉकिन्स को जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया,
राल्फ फिच व मिन्डेनहाल अकबर के समय भारत आए थे।
Question 5 of 27
5. Question
1 points
अकबर के दरबार में आने वाला प्रथम ईसाई दल (जेस्यूट मिशन में) निम्नलिखित में से कौन था/थे
फ्रांसीस
रूडोल्फ एक्वाविश
एंटोनी मासरेट
सेंट आगस्टाइन
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
Correct
व्याख्या –
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने गोआ से पुर्तगाली मिशनरियों को आमन्त्रित किया
अकबर का निमन्त्रण स्वीकार कर तीन बार ईसाई मिशन भारत आये
पहला ईसाई मिशन जिसमें रुडोल्फ अक्वैबिना, एण्टोनी मॉन्सरेट और एनरिक्वेज सम्मिलित थे
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा ।
दूसरा मिशन जिसमें एडवर्ड लैटोन और क्रिस्टोफर-डि-वागा थे
दूसरा मिशन 1591 ई. से 1592 ई. तक अकबर के दरबार में रहा।
तीसरा मिशन जिसमें जैरोम, जैवियर, पिनहैरो और वैनेडिक्ट-डि-गोएज सम्मिलित थे
तीसरा मिशन मई 1595 ई. में अकबर की राजधानी लाहौर पहँचा।
Incorrect
व्याख्या –
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने गोआ से पुर्तगाली मिशनरियों को आमन्त्रित किया
अकबर का निमन्त्रण स्वीकार कर तीन बार ईसाई मिशन भारत आये
पहला ईसाई मिशन जिसमें रुडोल्फ अक्वैबिना, एण्टोनी मॉन्सरेट और एनरिक्वेज सम्मिलित थे
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा ।
दूसरा मिशन जिसमें एडवर्ड लैटोन और क्रिस्टोफर-डि-वागा थे
दूसरा मिशन 1591 ई. से 1592 ई. तक अकबर के दरबार में रहा।
तीसरा मिशन जिसमें जैरोम, जैवियर, पिनहैरो और वैनेडिक्ट-डि-गोएज सम्मिलित थे
तीसरा मिशन मई 1595 ई. में अकबर की राजधानी लाहौर पहँचा।
Unattempted
व्याख्या –
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने गोआ से पुर्तगाली मिशनरियों को आमन्त्रित किया
अकबर का निमन्त्रण स्वीकार कर तीन बार ईसाई मिशन भारत आये
पहला ईसाई मिशन जिसमें रुडोल्फ अक्वैबिना, एण्टोनी मॉन्सरेट और एनरिक्वेज सम्मिलित थे
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा ।
दूसरा मिशन जिसमें एडवर्ड लैटोन और क्रिस्टोफर-डि-वागा थे
दूसरा मिशन 1591 ई. से 1592 ई. तक अकबर के दरबार में रहा।
तीसरा मिशन जिसमें जैरोम, जैवियर, पिनहैरो और वैनेडिक्ट-डि-गोएज सम्मिलित थे
तीसरा मिशन मई 1595 ई. में अकबर की राजधानी लाहौर पहँचा।
Question 6 of 27
6. Question
1 points
सूची (i) को सूची (ii) से सुमेलित कीजिए
सूची (i) सूची (ii)
(A) फादर एक्वाविवा 1. शाहजहाँ
(B) कैप्टन हॉकिन्स 2. अकबर
(C) मैनडेस्लो 3. शाहजहाँ
(D) टैवर्नियर 4. जहाँगीर
Correct
व्याख्या-
फादर एक्वाविवा-
अकबर के दरबार में आने वाला पहला ईसाई मिशन में सम्मिलित था।
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
Incorrect
व्याख्या-
फादर एक्वाविवा-
अकबर के दरबार में आने वाला पहला ईसाई मिशन में सम्मिलित था।
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
Unattempted
व्याख्या-
फादर एक्वाविवा-
अकबर के दरबार में आने वाला पहला ईसाई मिशन में सम्मिलित था।
पहला ईसाई मिशन 19 फरवरी, 1580 ई. को फतेहपुर सीकरी पहुँचा
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
Question 7 of 27
7. Question
1 points
निम्नलिखित को कालक्रमेण सजाइये..
फ्रांसिस बर्नियर
विलियम फिंच
टामस रो
मैन डेस्लो
Correct
व्याख्या-
विलियम फिंच-
विलियम फिंच अंग्रेज सम्राट जेम्स प्रथम के अंग्रेज राजदूत हॉकिन्स के साथ ही अगस्त, 1608 में सूरत पहुँचा था।
विलियम फिंच ने अनारकली की दंतकथा का उल्लेख किया है।
सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
विलियम फिंच-
विलियम फिंच अंग्रेज सम्राट जेम्स प्रथम के अंग्रेज राजदूत हॉकिन्स के साथ ही अगस्त, 1608 में सूरत पहुँचा था।
विलियम फिंच ने अनारकली की दंतकथा का उल्लेख किया है।
सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
विलियम फिंच-
विलियम फिंच अंग्रेज सम्राट जेम्स प्रथम के अंग्रेज राजदूत हॉकिन्स के साथ ही अगस्त, 1608 में सूरत पहुँचा था।
विलियम फिंच ने अनारकली की दंतकथा का उल्लेख किया है।
सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
मैनडेस्लों और टैवर्नियर-
इन विदेशी यात्रियों ने शाहजहाँ के शासन काल में भारत की यात्रा की थी।
मैनडेस्लो जर्मनी का निवासी था।
टैवर्नियर फ्रांसीसी का निवासी था।
ट्रैवर्नियर हीरे का व्यापारी था।
फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर ने तो 1638 ई. से 1663 ई. के बीच भारत की 6 बार यात्रा की थी।
इसने अपने यात्रा वृतान्त ‘ट्रैवल्स इन इण्डिया’ में शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल का विस्तार से विवरण किया है।
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Question 8 of 27
8. Question
1 points
बर्नियर किसके काल में आया
Correct
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर–
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Incorrect
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर–
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Unattempted
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर–
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
Question 9 of 27
9. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
मार्कोपोलो-
मार्कोपोलो वेनिस (इटली) का निवासी था
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
इसने 1292-93 में दक्षिण भारत का भ्रमण किया था।
दक्षिणी राज्यों तथा दक्षिण भारत के लोगों के रहन-सहन, विश्वासों और परम्पराओं तथा उनके समुद्री व्यापार के बारे में व्यापक परिचय दिया।
द ट्रेवल्स ऑफ़ मार्को पोलो मार्कोपोलो की पुस्तक है
इब्नबतूता –
जबकि मुहम्मद तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. तक था।
मुहम्मद तुगलक के समय मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने भारत की यात्रा की थी,
जिसने अपना यात्रा वृत्तान्त अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रेहला’ में लिखा है।
अलबरूनी
अलबरूनी महमूद गजनी के साथ भारत आये थे।
अलबरूनी की अनुपम कृति ‘किताबुल हिन्द’ है।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
मार्कोपोलो-
मार्कोपोलो वेनिस (इटली) का निवासी था
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
इसने 1292-93 में दक्षिण भारत का भ्रमण किया था।
दक्षिणी राज्यों तथा दक्षिण भारत के लोगों के रहन-सहन, विश्वासों और परम्पराओं तथा उनके समुद्री व्यापार के बारे में व्यापक परिचय दिया।
द ट्रेवल्स ऑफ़ मार्को पोलो मार्कोपोलो की पुस्तक है
इब्नबतूता –
जबकि मुहम्मद तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. तक था।
मुहम्मद तुगलक के समय मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने भारत की यात्रा की थी,
जिसने अपना यात्रा वृत्तान्त अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रेहला’ में लिखा है।
अलबरूनी
अलबरूनी महमूद गजनी के साथ भारत आये थे।
अलबरूनी की अनुपम कृति ‘किताबुल हिन्द’ है।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
मार्कोपोलो-
मार्कोपोलो वेनिस (इटली) का निवासी था
मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
इसने 1292-93 में दक्षिण भारत का भ्रमण किया था।
दक्षिणी राज्यों तथा दक्षिण भारत के लोगों के रहन-सहन, विश्वासों और परम्पराओं तथा उनके समुद्री व्यापार के बारे में व्यापक परिचय दिया।
द ट्रेवल्स ऑफ़ मार्को पोलो मार्कोपोलो की पुस्तक है
इब्नबतूता –
जबकि मुहम्मद तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. तक था।
मुहम्मद तुगलक के समय मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने भारत की यात्रा की थी,
जिसने अपना यात्रा वृत्तान्त अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रेहला’ में लिखा है।
अलबरूनी
अलबरूनी महमूद गजनी के साथ भारत आये थे।
अलबरूनी की अनुपम कृति ‘किताबुल हिन्द’ है।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Question 10 of 27
10. Question
1 points
“आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनो लन्दन से बड़े हैं।” यह वक्तव्य किसने दिया है।
Correct
व्याख्या-
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
Incorrect
व्याख्या-
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
Unattempted
व्याख्या-
राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
Question 11 of 27
11. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है।
Correct
व्याख्या-
एडवर्ड टैरी-
एडवर्ड टैरी, सर टॉमस रो का पादरी था।
वह टॉमस रो के साथ ही भारत आया था,
उस समय भारत में मुगल बादशाह जहांगीर का शासन था।
मुल्तान का जिक्र करते हुए उसने लिखा है कि ‘वहाँ अच्छे तीरकमान बनते थे।
टेरी ने जहाँगीर के व्यक्तित्व में क्रूरता और विनम्रता के अदभुत विरोधाभास के संदर्भ में लिखा है ।
टेरी ने अपनी भारत यात्रा का विवरण 1622 ई. में प्रिंस ऑफ बेल्स (चार्ल्स प्रथम) को प्रस्तुत किया था।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
एडवर्ड टैरी-
एडवर्ड टैरी, सर टॉमस रो का पादरी था।
वह टॉमस रो के साथ ही भारत आया था,
उस समय भारत में मुगल बादशाह जहांगीर का शासन था।
मुल्तान का जिक्र करते हुए उसने लिखा है कि ‘वहाँ अच्छे तीरकमान बनते थे।
टेरी ने जहाँगीर के व्यक्तित्व में क्रूरता और विनम्रता के अदभुत विरोधाभास के संदर्भ में लिखा है ।
टेरी ने अपनी भारत यात्रा का विवरण 1622 ई. में प्रिंस ऑफ बेल्स (चार्ल्स प्रथम) को प्रस्तुत किया था।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
एडवर्ड टैरी-
एडवर्ड टैरी, सर टॉमस रो का पादरी था।
वह टॉमस रो के साथ ही भारत आया था,
उस समय भारत में मुगल बादशाह जहांगीर का शासन था।
मुल्तान का जिक्र करते हुए उसने लिखा है कि ‘वहाँ अच्छे तीरकमान बनते थे।
टेरी ने जहाँगीर के व्यक्तित्व में क्रूरता और विनम्रता के अदभुत विरोधाभास के संदर्भ में लिखा है ।
टेरी ने अपनी भारत यात्रा का विवरण 1622 ई. में प्रिंस ऑफ बेल्स (चार्ल्स प्रथम) को प्रस्तुत किया था।
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Question 12 of 27
12. Question
1 points
सूची । को सूची ॥ से सुमेलित कीजिए और अधोलिखित कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
सूची । सूची ii
A पीटर मुण्डी 1.1585
B राल्फ फिच 2.1608
C विलियम हॉकिन्स 3.1615
D सर टॉमस रो 4.1628
Correct
व्याख्या-
पीटर मुण्डी-
पीटर मुण्डी (1630-34 ई.) इतालवी यात्री था।
यह मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में भारत आया।
शाहजहाँ के राज्यकाल के चौथे और पाँचवें वर्षों में एक अत्यन्त भयानक ढंग से एक भारी दुर्भिक्ष के कारण दक्कन तथा गुजरात आ गये।
पीटरमुंडी ने भी इस दुर्भिक्ष की भीषणता का विस्तृत वर्णन किया है।
2.राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
3.कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
4. सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Incorrect
व्याख्या-
पीटर मुण्डी-
पीटर मुण्डी (1630-34 ई.) इतालवी यात्री था।
यह मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में भारत आया।
शाहजहाँ के राज्यकाल के चौथे और पाँचवें वर्षों में एक अत्यन्त भयानक ढंग से एक भारी दुर्भिक्ष के कारण दक्कन तथा गुजरात आ गये।
पीटरमुंडी ने भी इस दुर्भिक्ष की भीषणता का विस्तृत वर्णन किया है।
2.राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
3.कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
4. सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Unattempted
व्याख्या-
पीटर मुण्डी-
पीटर मुण्डी (1630-34 ई.) इतालवी यात्री था।
यह मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में भारत आया।
शाहजहाँ के राज्यकाल के चौथे और पाँचवें वर्षों में एक अत्यन्त भयानक ढंग से एक भारी दुर्भिक्ष के कारण दक्कन तथा गुजरात आ गये।
पीटरमुंडी ने भी इस दुर्भिक्ष की भीषणता का विस्तृत वर्णन किया है।
2.राल्फ फिच –
रॉल्फ फिच(1583-91 ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।
पहला अंग्रेज यात्री है जिसने भारत की यात्रा की
राल्फ फिच ने आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों का भ्रमण किया।और कहा की आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों लंदन से बड़े हैं।
3.कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
4. सर टॉमस रो-
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Question 13 of 27
13. Question
1 points
जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश शासक जेम्स प्रथम का राजदूत कौन था
Correct
विलियम हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
2.सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Incorrect
विलियम हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
2.सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Unattempted
विलियम हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
2.सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टामस-रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Question 14 of 27
14. Question
1 points
अंग्रेजों में से किसने गुजरात में व्यापार करने के लिए अकबर से ‘फरमान’ (Fireman) प्राप्त करने की चेष्टा की
Correct
व्याख्या-
जान मिडेनहाल-
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
Incorrect
व्याख्या-
जान मिडेनहाल-
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
Unattempted
व्याख्या-
जान मिडेनहाल-
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
Question 15 of 27
15. Question
1 points
वह अंग्रेज कौन था जिसे जहांगीर ने 400 जात का मनसब प्रदान किया था
Correct
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
राल्फ फिच अकबर के काल में भारत आया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
जीन-बैपटिस्ट कोल्बर्ट एक फ्रांसीसी राजनेता था
Incorrect
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
राल्फ फिच अकबर के काल में भारत आया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
जीन-बैपटिस्ट कोल्बर्ट एक फ्रांसीसी राजनेता था
Unattempted
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
राल्फ फिच अकबर के काल में भारत आया
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
जीन-बैपटिस्ट कोल्बर्ट एक फ्रांसीसी राजनेता था
Question 16 of 27
16. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन न तो जौहरी और न ही शिल्पकार था
Correct
व्याख्या-
मनूची–
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या-
मनूची–
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
Unattempted
व्याख्या-
मनूची–
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
Question 17 of 27
17. Question
1 points
जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में सर टॉमस रो कितने समय तक जहाँगीर के दरबार में रहा –
Correct
व्याख्या –
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टॉमस -रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
जहाँगीर ने टॉमस को ‘खान’ की उपाधि भी प्रदान की।
टॉमस को लगभग 3 वर्षों तक जहाँगीर के दरबार में रहा ।
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Incorrect
व्याख्या –
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टॉमस -रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
जहाँगीर ने टॉमस को ‘खान’ की उपाधि भी प्रदान की।
टॉमस को लगभग 3 वर्षों तक जहाँगीर के दरबार में रहा ।
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Unattempted
व्याख्या –
सर टॉमस रो–
सर टॉमस रो 1615 ई. में भारत की यात्रा की
टॉमस -रो मुगल बादशाह जहाँगीर के राजदरबार में 1616 ई. में आया था।
सर टॉमस रो जहांगीर से विशेषाधिकार पाने में सफल रहा।
सर टॉमस रो की जहाँगीर से प्रथम मुलाक़ात अजमेर में 1616 में हुई
जहाँगीर ने टॉमस को ‘खान’ की उपाधि भी प्रदान की।
टॉमस को लगभग 3 वर्षों तक जहाँगीर के दरबार में रहा ।
1619 ई. में फरमान लेकर इंग्लैण्ड पहुँचा
भारत में उसकी उपस्थिति तथा बादशाह के साथ उसके सम्बन्धों का विवरण हकलुगाव सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Question 18 of 27
18. Question
1 points
मिर्जा राजा जय सिंह द्वारा (1665 ई.) पुरन्दर के घेरे के समय निम्न में से कौन सा यात्री उपस्थित था?
Correct
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
Question 19 of 27
19. Question
1 points
अकबर के शासन काल में भारत आने वाला यात्री कौन था
Correct
व्याख्या-
मानडेल्स्लों ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के दूत के रूप में अकबर के शासन काल में भारत आया था।
Incorrect
व्याख्या-
मानडेल्स्लों ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के दूत के रूप में अकबर के शासन काल में भारत आया था।
Unattempted
व्याख्या-
मानडेल्स्लों ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के दूत के रूप में अकबर के शासन काल में भारत आया था।
Question 20 of 27
20. Question
1 points
“.ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
Correct
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
यह दाराशिकोह और औरंगजेब के बीच होने वाली उत्तराधिकार की लड़ाई का साक्षी था।
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
यह दाराशिकोह और औरंगजेब के बीच होने वाली उत्तराधिकार की लड़ाई का साक्षी था।
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
यह दाराशिकोह और औरंगजेब के बीच होने वाली उत्तराधिकार की लड़ाई का साक्षी था।
Question 21 of 27
21. Question
1 points
औरंगजेब के शासनकाल में निम्नलिखित यूरोपीय यात्रियों में कौन आया था? अधोलिखित कूट से अपना सही उत्तर चुनिए
विलियम हॉकिन्स
फ्रांसिस बर्नियर
निकोलो कोंटी
जे0वी0 ट्रैवर्नियर
निकोलो मनूची
Correct
व्याख्या –
फ्रांसीस बर्नियर, जे0बी0 ट्रेवर्नियर एवं मनूची ये तीनों यूरोपीय यात्री यद्यपि शाहजहाँ के ही समय में भारत आये थे। लेकिन ये औरंगजेब के समय में भी भारत में रहे।
विलियम हाकिन्स जहाँगीर के समय में भारत आया था।
निकोलो कोन्टी विजयनगर शासक देवराय प्रथम के समय में भारत आया था।
Incorrect
व्याख्या –
फ्रांसीस बर्नियर, जे0बी0 ट्रेवर्नियर एवं मनूची ये तीनों यूरोपीय यात्री यद्यपि शाहजहाँ के ही समय में भारत आये थे। लेकिन ये औरंगजेब के समय में भी भारत में रहे।
विलियम हाकिन्स जहाँगीर के समय में भारत आया था।
निकोलो कोन्टी विजयनगर शासक देवराय प्रथम के समय में भारत आया था।
Unattempted
व्याख्या –
फ्रांसीस बर्नियर, जे0बी0 ट्रेवर्नियर एवं मनूची ये तीनों यूरोपीय यात्री यद्यपि शाहजहाँ के ही समय में भारत आये थे। लेकिन ये औरंगजेब के समय में भी भारत में रहे।
विलियम हाकिन्स जहाँगीर के समय में भारत आया था।
निकोलो कोन्टी विजयनगर शासक देवराय प्रथम के समय में भारत आया था।
Question 22 of 27
22. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसने अपना जीवन दाराशिकोह के तोपची के रूप में प्रारम्भ किया था.
Correct
व्याख्या –
मनूची-
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
मनूची ने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
Incorrect
व्याख्या –
मनूची-
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
मनूची ने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
Unattempted
व्याख्या –
मनूची-
मनूची इटली का निवासी था।
वह 1653 में शाहजहाँ के समय भारत आया।
भारत आकर दाराशिकोह की सेना में नौकरी की ।
इसने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
मनूची ने अपने यात्रा को पुस्तक ‘स्टोरिया डी मोगोर’ में संकलित किया।
‘स्टोरिया डी मोगोर’ को 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण’ कहा जाता है।
मनूची ने उत्तराधिकारी के युद्ध में दारा के तोपची के रूप में कार्य किया।
Question 23 of 27
23. Question
1 points
“मुगल काल में समस्त भूमि का स्वामी राजा होता था।” यह कथन है
Correct
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर ने लिखा है – ” मुगल काल में समस्त भूमि का स्वामी राजा होता था।
Incorrect
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर ने लिखा है – ” मुगल काल में समस्त भूमि का स्वामी राजा होता था।
Unattempted
व्याख्या –
फ्रांसिस बर्नियर-
फ्रांसिस बर्नियर एक सुविख्यात फ्रेंच चिकित्सक था
यह शाहजहाँ के काल में भारत आया।
1658 के प्रारम्भ में सूरत पहुंचा था।
फ्रांसिस बर्नियर के आगमन के समय में शाहजहाँ के बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था।
फ्रांसिस बर्नियर की पुस्तक -‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर”
ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पाप्यर” जो लगभग 1670 ई. में प्रकाशित हुआ।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर, मिर्जाराजा जयसिंह के साथ पुरन्दर के घेरे (1665 ई.) के समय उपस्थित था।
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर कथन -ऐसे समय जब कोई व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है तो वह उसमें से अधिकाधिक निचोड़ता है और गरीब मजदूर उसे छोड़कर अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.”
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर ने लिखा है – ” मुगल काल में समस्त भूमि का स्वामी राजा होता था।
Question 24 of 27
24. Question
1 points
विलियम हाकिन्स के विषय में निम्नलिखित कथनों में से कौन असत्य है?
Correct
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
हांकिन्स ,जहाँगीर से फारसी भाषा में बात-चीत की।
हाकिन्स को तुर्की भाषा की भी अच्छा ज्ञान था।
Incorrect
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
हांकिन्स ,जहाँगीर से फारसी भाषा में बात-चीत की।
हाकिन्स को तुर्की भाषा की भी अच्छा ज्ञान था।
Unattempted
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स-
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
जहाँगीर ने उसे ‘इंगलिश खाँ की उपाधि प्रदान की थी।
हांकिन्स ,जहाँगीर से फारसी भाषा में बात-चीत की।
हाकिन्स को तुर्की भाषा की भी अच्छा ज्ञान था।
Question 25 of 27
25. Question
1 points
सूरत में फैक्ट्री निर्माण के कैप्टन विलियम हॉकिन्स ने किस वर्ष अनुमति हेतु मुगल दरबार में प्रयास किया था
Correct
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
Incorrect
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
Unattempted
व्याख्या-
कैप्टन हांकिन्स–
यह मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत बनाकर आया
यहाँ जहांगीर के शासन काल के दौरान मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
यह 1608 से 1611 ई. तक शाही दरबार में रहा।
जहांगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया
यह तुर्की एवं फारसी भाषा में बातचीत कर सकता था।
यह भारत में अंग्रेजों के व्यापरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत आया था,
पुर्तगालियों के कुचक्र के कारण हांकिन्स अपने उद्देश्य में सफलता न प्राप्त हो सकी और 1611 ई. में स्वदेश लौट गया।
Question 26 of 27
26. Question
1 points
लन्दन का एक व्यापारी जो 1603 में आगरा पहुँचा, कौन था ?
Correct
जान मिडेनहाल–
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
1603 ई में आगरा पहुंचा था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
राल्फ फिच (1583-91ई) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला प्रथम अंग्रेज व्यापारी था। यह प्रथम अंग्रेज यात्री था
विलियम हाकिन्स (1608-11 ई) जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में 1608 ई. में पहुंचा था।
जहांगीर ने हाकिन्स को 400 का मनसब प्रदान किया था।
सर टामस रो (1615-19 ई.) जहांगीर के दरबार में आने वाले दूसरे अंग्रेज शिष्ट मण्डल का अध्यक्ष था।
सर टामस रो ने मुगल सम्राट जहांगीर से भारत में अंग्रेज फैक्ट्री स्थापित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त किया।
Incorrect
जान मिडेनहाल–
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
1603 ई में आगरा पहुंचा था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
राल्फ फिच (1583-91ई) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला प्रथम अंग्रेज व्यापारी था। यह प्रथम अंग्रेज यात्री था
विलियम हाकिन्स (1608-11 ई) जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में 1608 ई. में पहुंचा था।
जहांगीर ने हाकिन्स को 400 का मनसब प्रदान किया था।
सर टामस रो (1615-19 ई.) जहांगीर के दरबार में आने वाले दूसरे अंग्रेज शिष्ट मण्डल का अध्यक्ष था।
सर टामस रो ने मुगल सम्राट जहांगीर से भारत में अंग्रेज फैक्ट्री स्थापित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त किया।
Unattempted
जान मिडेनहाल–
जान मिडेनहाल 1599 में स्थल मार्ग से आने वाला पहला अंग्रेज यात्री था
1603 ई में आगरा पहुंचा था
एलिजाबेथ के दूत के रूप में जान मिडेनहाल अकबर और जहाँगीर के काल में दो बार भारत की यात्रा की।
इस ने गुजरात में व्यापार करने के लिये अकबर से ‘फरमान’ प्राप्त करने की चेष्टा की परन्तु असफल रहा।
राल्फ फिच (1583-91ई) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला प्रथम अंग्रेज व्यापारी था। यह प्रथम अंग्रेज यात्री था
विलियम हाकिन्स (1608-11 ई) जहाँगीर के दरबार में ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में 1608 ई. में पहुंचा था।
जहांगीर ने हाकिन्स को 400 का मनसब प्रदान किया था।
सर टामस रो (1615-19 ई.) जहांगीर के दरबार में आने वाले दूसरे अंग्रेज शिष्ट मण्डल का अध्यक्ष था।
सर टामस रो ने मुगल सम्राट जहांगीर से भारत में अंग्रेज फैक्ट्री स्थापित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त किया।
Question 27 of 27
27. Question
1 points
इब्नबतूता यात्री था
Correct
व्याख्या-
इब्नबतूता–
अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया।
सुल्तान ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
1342 ई० में यह सुल्तान के राजदूत की हैसियत से चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में गया।
इब्नबतूता ने रेहला नामक अपनी पुस्तक में मुहम्मद तुगलक के शासनकाल का उल्लेख किया है।
Incorrect
व्याख्या-
इब्नबतूता–
अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया।
सुल्तान ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
1342 ई० में यह सुल्तान के राजदूत की हैसियत से चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में गया।
इब्नबतूता ने रेहला नामक अपनी पुस्तक में मुहम्मद तुगलक के शासनकाल का उल्लेख किया है।
Unattempted
व्याख्या-
इब्नबतूता–
अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया।
सुल्तान ने इब्नबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
1342 ई० में यह सुल्तान के राजदूत की हैसियत से चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में गया।
इब्नबतूता ने रेहला नामक अपनी पुस्तक में मुहम्मद तुगलक के शासनकाल का उल्लेख किया है।