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Question 1 of 32
1. Question
1 points
अकबर के शासन काल में ‘महज़र’ नामक अध्यादेश की घोषणा किस वर्ष की गयी थी?
Correct
व्याख्या-
अकबर प्रथम सम्राट था, जिसके धार्मिक विचारों में क्रमिक विकास दिखायी पड़ता है। उसके इस विकास को तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है-
प्रथम काल (1556-1575 ई.) –
इस काल में अकबर इस्लाम धर्म का कट्टर अनुयायी था।
उसने इस्लाम की उन्नति हेतु अनेक मस्जिदों का निर्माण कराया,
द्वितीय काल (1575-1582 ई.) –
अकबर का यह काल धार्मिक दृष्टि से क्रांतिकारी काल था।
1575 ई. में उसने फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाने की स्थापना की।
1578 ई. में इबादतखाने को धर्म संसद में बदल दिया। उसने शुक्रवार को मांस खाना छोड़ दिया।
1579 ई. में महजर की घोषणा कर अकबर धार्मिक मामलों में सर्वोच्च निर्णायक बन गया।
महजरनामा का प्रारूप शेख़ मुबारक द्वारा तैयार किया गया था।
उलेमाओं ने अकबर को ‘इमामे-आदिल’ घोषित कर विवादास्पद क़ानूनी मामले पर आवश्यकतानुसार निर्णय का अधिकार दिया।
तृतीय काल (1582-1605 ई.) –
इस काल में अकबर पूर्णरूपेण दीन-ए-इलाही में अनुरक्त हो गया।
इस्लाम धर्म में उसकी निष्ठा कम हो गयी।
हर रविवार की संध्या को इबादतखाने में विभिन्न धर्मों के लोग एकत्र होकर धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद किया करते थे।
इबादतखाने के प्रारम्भिक दिनों में शेख़, पीर, उलेमा ही यहाँ धार्मिक वार्ता हेतु उपस्थित होते थे,
Incorrect
व्याख्या-
अकबर प्रथम सम्राट था, जिसके धार्मिक विचारों में क्रमिक विकास दिखायी पड़ता है। उसके इस विकास को तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है-
प्रथम काल (1556-1575 ई.) –
इस काल में अकबर इस्लाम धर्म का कट्टर अनुयायी था।
उसने इस्लाम की उन्नति हेतु अनेक मस्जिदों का निर्माण कराया,
द्वितीय काल (1575-1582 ई.) –
अकबर का यह काल धार्मिक दृष्टि से क्रांतिकारी काल था।
1575 ई. में उसने फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाने की स्थापना की।
1578 ई. में इबादतखाने को धर्म संसद में बदल दिया। उसने शुक्रवार को मांस खाना छोड़ दिया।
1579 ई. में महजर की घोषणा कर अकबर धार्मिक मामलों में सर्वोच्च निर्णायक बन गया।
महजरनामा का प्रारूप शेख़ मुबारक द्वारा तैयार किया गया था।
उलेमाओं ने अकबर को ‘इमामे-आदिल’ घोषित कर विवादास्पद क़ानूनी मामले पर आवश्यकतानुसार निर्णय का अधिकार दिया।
तृतीय काल (1582-1605 ई.) –
इस काल में अकबर पूर्णरूपेण दीन-ए-इलाही में अनुरक्त हो गया।
इस्लाम धर्म में उसकी निष्ठा कम हो गयी।
हर रविवार की संध्या को इबादतखाने में विभिन्न धर्मों के लोग एकत्र होकर धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद किया करते थे।
इबादतखाने के प्रारम्भिक दिनों में शेख़, पीर, उलेमा ही यहाँ धार्मिक वार्ता हेतु उपस्थित होते थे,
Unattempted
व्याख्या-
अकबर प्रथम सम्राट था, जिसके धार्मिक विचारों में क्रमिक विकास दिखायी पड़ता है। उसके इस विकास को तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है-
प्रथम काल (1556-1575 ई.) –
इस काल में अकबर इस्लाम धर्म का कट्टर अनुयायी था।
उसने इस्लाम की उन्नति हेतु अनेक मस्जिदों का निर्माण कराया,
द्वितीय काल (1575-1582 ई.) –
अकबर का यह काल धार्मिक दृष्टि से क्रांतिकारी काल था।
1575 ई. में उसने फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाने की स्थापना की।
1578 ई. में इबादतखाने को धर्म संसद में बदल दिया। उसने शुक्रवार को मांस खाना छोड़ दिया।
1579 ई. में महजर की घोषणा कर अकबर धार्मिक मामलों में सर्वोच्च निर्णायक बन गया।
महजरनामा का प्रारूप शेख़ मुबारक द्वारा तैयार किया गया था।
उलेमाओं ने अकबर को ‘इमामे-आदिल’ घोषित कर विवादास्पद क़ानूनी मामले पर आवश्यकतानुसार निर्णय का अधिकार दिया।
तृतीय काल (1582-1605 ई.) –
इस काल में अकबर पूर्णरूपेण दीन-ए-इलाही में अनुरक्त हो गया।
इस्लाम धर्म में उसकी निष्ठा कम हो गयी।
हर रविवार की संध्या को इबादतखाने में विभिन्न धर्मों के लोग एकत्र होकर धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद किया करते थे।
इबादतखाने के प्रारम्भिक दिनों में शेख़, पीर, उलेमा ही यहाँ धार्मिक वार्ता हेतु उपस्थित होते थे,
Question 2 of 32
2. Question
1 points
निम्नलिखित बादशाहों में से किसने कविन्द्रचार्य सरस्वती के निवेदन पर बनारस एवं इलाहाबाद पर लगने वाले तीर्थ यात्रा कर को माफ कर दिया था?
Correct
व्याख्या-
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में इस्लामी वातावरण पैदा करने का प्रयत्न किया। उसने सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
शाहजहां ने हिन्दू राजाओं के राज्याभिषेक के समय उनके मस्तक पर तिलक लगाने का कार्य अपने प्रधान मंत्री को दे दिया, जिसे उसके पूर्वाधिकारी सम्राट स्वयं करते आये थे।
शाहजहां ने तीर्थ यात्रा कर को पुनः लागू कर दिया।
शाहजहां ने कविन्द्राचार्य के कहने पर उसने बनारस तथा इलाहाबाद में तीर्थ यात्रा कर को समाप्त कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में इस्लामी वातावरण पैदा करने का प्रयत्न किया। उसने सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
शाहजहां ने हिन्दू राजाओं के राज्याभिषेक के समय उनके मस्तक पर तिलक लगाने का कार्य अपने प्रधान मंत्री को दे दिया, जिसे उसके पूर्वाधिकारी सम्राट स्वयं करते आये थे।
शाहजहां ने तीर्थ यात्रा कर को पुनः लागू कर दिया।
शाहजहां ने कविन्द्राचार्य के कहने पर उसने बनारस तथा इलाहाबाद में तीर्थ यात्रा कर को समाप्त कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में इस्लामी वातावरण पैदा करने का प्रयत्न किया। उसने सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
शाहजहां ने हिन्दू राजाओं के राज्याभिषेक के समय उनके मस्तक पर तिलक लगाने का कार्य अपने प्रधान मंत्री को दे दिया, जिसे उसके पूर्वाधिकारी सम्राट स्वयं करते आये थे।
शाहजहां ने तीर्थ यात्रा कर को पुनः लागू कर दिया।
शाहजहां ने कविन्द्राचार्य के कहने पर उसने बनारस तथा इलाहाबाद में तीर्थ यात्रा कर को समाप्त कर दिया था।
Question 3 of 32
3. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस जैन मुनि को सम्राट अकबर ने जगत गुरू की उपाधि प्रदान की थी?
Correct
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Incorrect
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Unattempted
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Question 4 of 32
4. Question
1 points
किस मुगल बादशाह ने ‘सिजदा’ नामक फारसी रिवाज को समाप्त किया था?
Correct
व्याख्या –
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
बलबन ने ‘सिजदा’ नामक फारसी रिवाज को चलाया था
शाहजहां ने ‘सिजदा’ के स्थान पर चहारतस्लीम’ की प्रथा लागू की गई।
Incorrect
व्याख्या –
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
बलबन ने ‘सिजदा’ नामक फारसी रिवाज को चलाया था
शाहजहां ने ‘सिजदा’ के स्थान पर चहारतस्लीम’ की प्रथा लागू की गई।
Unattempted
व्याख्या –
शाहजहां कट्टरपंथी मुसलमान था।
शाहजहां ने अपने दरबार में सिजदा का निषेध कर दिया तथा हिन्दुओं की तुलादान रीति तथा रक्षाबन्धन, दशहरा और बसन्त आदि उत्सवों को,बन्द करवा दिया।
शाहजहां ने हिजरी सन को फिर से जारी किया।
शाहजहां ने ईद, सब्बे-बरात, मिल्लत आदि मुसलमानी त्यौहारों को दरबार में कट्टर मुसलमानी रीति से मनाना शुरू कर दिया।
बलबन ने ‘सिजदा’ नामक फारसी रिवाज को चलाया था
शाहजहां ने ‘सिजदा’ के स्थान पर चहारतस्लीम’ की प्रथा लागू की गई।
Question 5 of 32
5. Question
1 points
अकबर के शासनकाल की निम्नलिखित घटनाओं को तिथिक्रमानुसार व्यवस्थि करें
जजिया की समाप्ति
तीर्थयात्राकर की समाप्ति
इबादतखाना की निर्माण
4.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
Correct
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Incorrect
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Unattempted
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Question 6 of 32
6. Question
1 points
दीन-ए-इलाही के अनुयायी परस्पर अभिवादन करते हुए कहते थे:
Correct
व्याख्या-
अकबर ने घार्मिक नीति दीन-ए-इलाही/तौहीदे-इलाही की 1582 ई०में घोषणा की
दीन-ए-इलाही की दीक्षा रविवार को ली जाती थी।
दीन-ए-इलाही में अभिवादन में अल्लाह हो अकबर’ अर्थात अल्लाह महान है एवं प्रतिवादन में ‘जल्ले-जलाले-हू कहते थे
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने घार्मिक नीति दीन-ए-इलाही/तौहीदे-इलाही की 1582 ई०में घोषणा की
दीन-ए-इलाही की दीक्षा रविवार को ली जाती थी।
दीन-ए-इलाही में अभिवादन में अल्लाह हो अकबर’ अर्थात अल्लाह महान है एवं प्रतिवादन में ‘जल्ले-जलाले-हू कहते थे
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने घार्मिक नीति दीन-ए-इलाही/तौहीदे-इलाही की 1582 ई०में घोषणा की
दीन-ए-इलाही की दीक्षा रविवार को ली जाती थी।
दीन-ए-इलाही में अभिवादन में अल्लाह हो अकबर’ अर्थात अल्लाह महान है एवं प्रतिवादन में ‘जल्ले-जलाले-हू कहते थे
Question 7 of 32
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसने अकबर द्वारा आरम्भ किये गये ‘दीन-ए-इलाही’ को स्वीकार किया
Correct
व्याख्या-
अकबर ने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582 ई. ‘दीने-इलाही (दैवीय एकेश्वरवाद)/तौहीदे-इलाही नामक एक नवीन धर्म प्रवर्तित किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
तौहीदे-इलाही की प्रेरणा मुख्य रूप से सुलहकुल या सार्वभौमिक सौहार्द्र से मिली थी।
दीने-इलाही का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ‘दीने-इलाही को स्वीकार किया था ।
स्मिथ ने कहा है कि तौहीदे-इलाही अकबर की मुल का स्मरक था, बुद्धिमानी का नहीं।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582 ई. ‘दीने-इलाही (दैवीय एकेश्वरवाद)/तौहीदे-इलाही नामक एक नवीन धर्म प्रवर्तित किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
तौहीदे-इलाही की प्रेरणा मुख्य रूप से सुलहकुल या सार्वभौमिक सौहार्द्र से मिली थी।
दीने-इलाही का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ‘दीने-इलाही को स्वीकार किया था ।
स्मिथ ने कहा है कि तौहीदे-इलाही अकबर की मुल का स्मरक था, बुद्धिमानी का नहीं।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582 ई. ‘दीने-इलाही (दैवीय एकेश्वरवाद)/तौहीदे-इलाही नामक एक नवीन धर्म प्रवर्तित किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
तौहीदे-इलाही की प्रेरणा मुख्य रूप से सुलहकुल या सार्वभौमिक सौहार्द्र से मिली थी।
दीने-इलाही का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ‘दीने-इलाही को स्वीकार किया था ।
स्मिथ ने कहा है कि तौहीदे-इलाही अकबर की मुल का स्मरक था, बुद्धिमानी का नहीं।
Question 8 of 32
8. Question
1 points
सुलह-ए-कुल की नीति थी
Correct
व्याख्या-
अकबर सर्वाधिक धर्म ‘सहिष्णु शासक था
अकबर ने 1582 ई० में एक नये धर्म दीन-ए-इलाही का प्रतिपादन किया।
दीन-ए-इलाही धर्म सभी धर्मों की एकता अर्थात सुलह-ए-कुल की नीति पर आधारित था।
निजामुद्दीन औलिया ने सुलह-ए-कुल की नीति का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर सर्वाधिक धर्म ‘सहिष्णु शासक था
अकबर ने 1582 ई० में एक नये धर्म दीन-ए-इलाही का प्रतिपादन किया।
दीन-ए-इलाही धर्म सभी धर्मों की एकता अर्थात सुलह-ए-कुल की नीति पर आधारित था।
निजामुद्दीन औलिया ने सुलह-ए-कुल की नीति का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर सर्वाधिक धर्म ‘सहिष्णु शासक था
अकबर ने 1582 ई० में एक नये धर्म दीन-ए-इलाही का प्रतिपादन किया।
दीन-ए-इलाही धर्म सभी धर्मों की एकता अर्थात सुलह-ए-कुल की नीति पर आधारित था।
निजामुद्दीन औलिया ने सुलह-ए-कुल की नीति का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया था।
तौहीदे-इलाही धर्म की दीक्षा रविवार को दि जाती थी ।
‘दीने-इलाही सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी।
Question 9 of 32
9. Question
1 points
जजिया को पुनः प्रारम्भ किया था?
Correct
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
अकबर ने 1564 ई. में जजिया को समाप्त कर दिया था।
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
अकबर ने 1564 ई. में जजिया को समाप्त कर दिया था।
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
अकबर ने 1564 ई. में जजिया को समाप्त कर दिया था।
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Question 10 of 32
10. Question
1 points
इबादत खाना क्या था
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
इबादतखाने में वाद-विवाद पर अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
इबादतखाने में वाद-विवाद पर अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
इबादतखाने में वाद-विवाद पर अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Question 11 of 32
11. Question
1 points
न्याय के लिए बादशाह से फरियाद करने का अधिकार प्रदान किया
Correct
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Incorrect
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Unattempted
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Question 12 of 32
12. Question
1 points
तानसेन के गुरु कौन थे?
Correct
व्याख्या-
तानसेन अकबर के नवरत्नों में सामिल था
तानसेन ने अनेक रागों का अविष्कार किया था।
अकबर ने तानसेन ‘कण्ठाभरणवाणी विलास’ की उपाधि दी ।
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर ने गान विद्या का एक स्कूल खोला जिसमे तानसेन ने शिक्षा पायी थी।
स्वामी हरिदास तानसेन के गुरू थे
कुछ विद्वान हरिदास और तानसेन दोनों को मान सिंह तोमर के शिष्य मानते हैं।
Incorrect
व्याख्या-
तानसेन अकबर के नवरत्नों में सामिल था
तानसेन ने अनेक रागों का अविष्कार किया था।
अकबर ने तानसेन ‘कण्ठाभरणवाणी विलास’ की उपाधि दी ।
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर ने गान विद्या का एक स्कूल खोला जिसमे तानसेन ने शिक्षा पायी थी।
स्वामी हरिदास तानसेन के गुरू थे
कुछ विद्वान हरिदास और तानसेन दोनों को मान सिंह तोमर के शिष्य मानते हैं।
Unattempted
व्याख्या-
तानसेन अकबर के नवरत्नों में सामिल था
तानसेन ने अनेक रागों का अविष्कार किया था।
अकबर ने तानसेन ‘कण्ठाभरणवाणी विलास’ की उपाधि दी ।
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर ने गान विद्या का एक स्कूल खोला जिसमे तानसेन ने शिक्षा पायी थी।
स्वामी हरिदास तानसेन के गुरू थे
कुछ विद्वान हरिदास और तानसेन दोनों को मान सिंह तोमर के शिष्य मानते हैं।
Question 13 of 32
13. Question
1 points
किस इतिहासकार ने कहा था कि अकबर का दीन-ए-इलाही उसकी मूर्खता का स्मारक था
Correct
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Question 14 of 32
14. Question
1 points
इबादतखाना क्या था
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
Question 15 of 32
15. Question
1 points
न्याय के घंटे और जंजीर के लिये कौन सा मुगल सम्राट प्रसिद्ध है
Correct
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Incorrect
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Unattempted
व्याख्या-
जहांगीर ने महल में घण्टा लगवाया जो एक जंजीर से बाहर से जुड़ा हुआ था।
कोई भी व्यक्ति न्याय की फरियाद के लिए घण्टा बजा सकता था।
न्यायालयों के अधिकारी निर्णय करने में विलम्ब करे तो न्याय के इच्छुक व्यक्ति जंजीर हिलाकर न्याय की फरियाद कर सकता था
सम्राट स्वयं उसको बुलवाता था तथा उस पर उचित कार्यवाही करता था,जिसे उसको न्याय दिया जा सके।
फरियाद करने की व्यवस्था शाहजहां के समय में भी चलती रही थी।
Question 16 of 32
16. Question
1 points
अकबर के बारे में एक सही कथन बतायें
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1595 में कन्धार को विजित किया था।
मुजफ्फर हुसैन मिर्जा ने कन्धार किला स्वेच्छा से मुगल सरदार शाहबेग को सौंप दिया
अकबर ने सम्पूर्ण दक्षिण की विजय नहीं की थी बल्कि अहमदनगर, खानदेश एवं बरार पर ही अधिकार किया था।
अकबर ने दीन-ए-इलाही को राजधर्म बनाया
1579 ई. में अकबर ने ‘मजहर’ की घोषणा की
‘मजहर’ -इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अधिकार अकबर को मिल गया।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1595 में कन्धार को विजित किया था।
मुजफ्फर हुसैन मिर्जा ने कन्धार किला स्वेच्छा से मुगल सरदार शाहबेग को सौंप दिया
अकबर ने सम्पूर्ण दक्षिण की विजय नहीं की थी बल्कि अहमदनगर, खानदेश एवं बरार पर ही अधिकार किया था।
अकबर ने दीन-ए-इलाही को राजधर्म बनाया
1579 ई. में अकबर ने ‘मजहर’ की घोषणा की
‘मजहर’ -इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अधिकार अकबर को मिल गया।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1595 में कन्धार को विजित किया था।
मुजफ्फर हुसैन मिर्जा ने कन्धार किला स्वेच्छा से मुगल सरदार शाहबेग को सौंप दिया
अकबर ने सम्पूर्ण दक्षिण की विजय नहीं की थी बल्कि अहमदनगर, खानदेश एवं बरार पर ही अधिकार किया था।
अकबर ने दीन-ए-इलाही को राजधर्म बनाया
1579 ई. में अकबर ने ‘मजहर’ की घोषणा की
‘मजहर’ -इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अधिकार अकबर को मिल गया।
Question 17 of 32
17. Question
1 points
दीन-ए- इलाही का क्या उद्देश्य था ?
Correct
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Question 18 of 32
18. Question
1 points
अकबर ने कि सन् में ‘महजर’ की घोषण की थी?
Correct
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Incorrect
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Unattempted
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Question 19 of 32
19. Question
1 points
अकबर ने किस सिक्ख गुरु को भूमिदान में दिया था?
Correct
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर सिक्खों के चौथे गुरू रामदास (1574-81 ई.) का समकालीन था।
अकबर ने गुरू रामदास को 500 बीघा जमीन दान दी ।
गुरू रामदास ने इसी जमीन पर “अमृतसर’ नामक शहर को बसाया था।
पुर्व इसका नाम ‘रामदासपुर था।
अकबर स्वयं सिक्खों के तीसरे गुरू अमरदास से मिलने के लिए गोइन्दवाल गया था।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर सिक्खों के चौथे गुरू रामदास (1574-81 ई.) का समकालीन था।
अकबर ने गुरू रामदास को 500 बीघा जमीन दान दी ।
गुरू रामदास ने इसी जमीन पर “अमृतसर’ नामक शहर को बसाया था।
पुर्व इसका नाम ‘रामदासपुर था।
अकबर स्वयं सिक्खों के तीसरे गुरू अमरदास से मिलने के लिए गोइन्दवाल गया था।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल सम्राट अकबर सिक्खों के चौथे गुरू रामदास (1574-81 ई.) का समकालीन था।
अकबर ने गुरू रामदास को 500 बीघा जमीन दान दी ।
गुरू रामदास ने इसी जमीन पर “अमृतसर’ नामक शहर को बसाया था।
पुर्व इसका नाम ‘रामदासपुर था।
अकबर स्वयं सिक्खों के तीसरे गुरू अमरदास से मिलने के लिए गोइन्दवाल गया था।
Question 20 of 32
20. Question
1 points
‘दीन-ए-इलाही’ को स्वीकार करने वाला एक मात्र हिन्दू था?
Correct
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दू प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से केवल बीरबल (महेश दास) ने ही स्वीकार किया था।
राजा भगवान दास एवं राजा मान सिंह ने इसके सदस्य बनने से इन्कार कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दू प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से केवल बीरबल (महेश दास) ने ही स्वीकार किया था।
राजा भगवान दास एवं राजा मान सिंह ने इसके सदस्य बनने से इन्कार कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दू प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से केवल बीरबल (महेश दास) ने ही स्वीकार किया था।
राजा भगवान दास एवं राजा मान सिंह ने इसके सदस्य बनने से इन्कार कर दिया था।
Question 21 of 32
21. Question
1 points
जजिया कर को किसने हटाया था
Correct
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
Incorrect
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
Unattempted
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
Question 22 of 32
22. Question
1 points
अकबर ने कब ज़जिया की समाप्ति की?
Correct
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
जजिया कर –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Incorrect
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
जजिया कर –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Unattempted
व्याख्या –
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
जजिया कर –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Question 23 of 32
23. Question
1 points
इबादतखाना किस वर्ष में बंद किया गया था?
Correct
व्याख्या –
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Incorrect
व्याख्या –
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Unattempted
व्याख्या –
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Question 24 of 32
24. Question
1 points
इबादतखाना या प्रार्थना सभा का अकबर ने 1575 में कहाँ निर्माण करवाया था.
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की फतेहपुर सीकरी में स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की फतेहपुर सीकरी में स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद के उददेश्य से इबादतखाने (पूजागृह/उपासना गृह) की फतेहपुर सीकरी में स्थापना की
इबादत खाना एक प्रार्थना कक्ष था
शुरू में इबादतखाने में वाद-विवाद केवल सन्नी मत के इर्द-गिर्द तथा उसके अनुयायियों के बीच तक ही सीमित रहता था,
1579 ई. में अकबर ने इबादतखाने का द्वार सभी धर्मो के लिए खोल दिया।
वाद-विवाद में अबुल फजल की प्रमुख भूमिका थी।
1582 में इबादतखाने को बंद करवा दिया।
Question 25 of 32
25. Question
1 points
अकबर की शादी के लिए लड़कियों की आय निर्धारित की-थी
Correct
व्याख्या-
अकबर ने ने बाल-विवाह पर प्रतिबन्ध लगाकर लड़के लड़कियों के लिए विवाह की उम्र क्रमश: 14 वर्ष और 16 वर्ष निश्चित कर दी ।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने ने बाल-विवाह पर प्रतिबन्ध लगाकर लड़के लड़कियों के लिए विवाह की उम्र क्रमश: 14 वर्ष और 16 वर्ष निश्चित कर दी ।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने ने बाल-विवाह पर प्रतिबन्ध लगाकर लड़के लड़कियों के लिए विवाह की उम्र क्रमश: 14 वर्ष और 16 वर्ष निश्चित कर दी ।
Question 26 of 32
26. Question
1 points
जजिया कर से अर्थ है
Correct
व्याख्या –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर का अर्थ विभेद है
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Incorrect
व्याख्या –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर का अर्थ विभेद है
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Unattempted
व्याख्या –
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर का अर्थ विभेद है
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Question 27 of 32
27. Question
1 points
निम्नलिखित में किस मुसलमान शासक ने तीर्थयात्रा कर समाप्त कर दिया था
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
Question 28 of 32
28. Question
1 points
निम्नलिखित में से वह जैन आचार्य कौन था? जो दो वर्ष तक मुगल दरबार में रहा और जिसे जगतगुरू की उपाधि से सम्मानित किया गया।
Correct
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Incorrect
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Unattempted
व्याख्या –
अकबर ने गुजरात विजय के बाद फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 में इबादतखाना का निर्माण करवाया गया।
अकबर के समय जैन धर्मावलम्बियों में हरविजय सूरी एवं जिनचन्द्र सूरी का नाम प्रमुख है।
अकबर ने हरविजय सूरी को ‘जगतगुरू’ की उपाधि तथा जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान की उपधि दी गयी।
Question 29 of 32
29. Question
1 points
निम्नलिखित में कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
Correct
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Incorrect
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Unattempted
1560-62ई.- पर्दाशासन(पेटीकोट सरकार) का अस्तित्व (अकबर की धाय माँ माहम अनगा, उसका पुत्र आधम खाँ और पुत्री जीजी अनगा)
1562ई. – दास प्रथा का अंत/.युद्ध बंदियों के धर्म परिवर्तन
1563ई.- तीर्थयात्रा कर समाप्त(प्रयाग और बनारस आदि तीर्थस्थानों पर)
1564ई.- जजिया कर समाप्त।
1571ई. – फतेहपुर सीकरी की स्थापना (प्रारूप बहाउद्दीन ने तैयार किया था
1574ई. गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ ( प्रेरणा अब्बा सईद से प्राप्त की)
1575ई.-फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने का निर्माण किया।
1578ई.- इबादत खाने को सभी धर्मों के लिए खोला गाय अर्थात् यह धर्म संसद बना।
1579ई. – महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा स्मिथ ने इनफैविलिटी डिक्री कहा है।
महजर या तथाकथित अमोघत्व की घोषणा पत्र को अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था
‘मजहर’ के द्वारा भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अदि कार अकबर को मिल गया।
मजहर को वूज्जले हेग एवं स्मिथ ने ‘अचूक आज्ञापत्र’ कहा है
1580ई. – टोडरमल द्वारा दहसाला प्रणाली लागू।
1582ई.-तौहीदे-इलाही की घोषणा।
1583ई. – कुछ निश्चित दिनों पर पशुवध निषेध/इलाही संवत
1584ई.- गुजरात विद्रोह को दबाने के लिए अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी थी।
Question 30 of 32
30. Question
1 points
“दीन-ए-इलाही अकबर की मूर्खता का प्रतीक था, न कि उसकी बुद्धिमत्ता का।” यह टिप्पणी किसकी थी
Correct
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी,
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Question 31 of 32
31. Question
1 points
दीन-ए-इलाही का प्रवर्तन किया था
Correct
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर एक धर्म सहिष्णु शासक था।
अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की थी
‘दीन-ए-इलाही’ को अबुल फजल ने तौहीद-ए-इलाही की संज्ञा दी।
‘दीने-इलाही’ वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर अधारित एक विचार पद्धति थी
‘दीने-इलाही’ का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दुओं में महेश दास ऊर्फ बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।
‘दीने-इलाही’ धर्म दीक्षा के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया था।
समकालीन विद्वान बदायूँनी तथा फादर मान्सेरेट इसे धर्म मानते है
इतिहासकार स्मिथ ने दीन-ए-इलाही की कटु आलोचना की है।
स्मिथ ने कहा है कि-“यह सारी योजना (दीन-ए-इलाही) हास्यास्पद, अहंकार का परिणाम और अनियंत्रित निरंकुशता की दानवीय उपज थी”।
स्मिथ ने ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की मूर्खता का स्मारक है, उसकी बुद्धिमत्ता का नहीं।
Question 32 of 32
32. Question
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औरंगजेब ने किस वर्ष जजिया लागू की थी?
Correct
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
Incorrect
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया
Unattempted
व्याख्या-
जजिया को अकबर ने 1564 ई. में समाप्त कर दिया
जजिया कर मुस्लिमों द्वारा गैर मुस्लिमों से उनकी सुरक्षा के बदले में लिया जता था ।
जजिया कर की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने की थी।
फिरोज शाह तुगलक प्रथम शासक था जिसने जजिया को ब्राह्मणों पर लगाया
मुगल शासक औरंगजेब ने 1679 ई. में हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया था।
अकबर ने 1562 ई. में दास प्रथा को भी समाप्त कर दिया
अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर को भी समाप्त कर दिया