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Question 1 of 40
1. Question
1 points
‘खिदमती’ क्या है?
Correct
व्याख्या-
मुगलकाल में खिदमती-
जब युद्ध में हिन्दू शासक हार जाते थे तो उन्हें हर्जाने के रूप में युद्ध सहायता हेतु युद्ध सामग्री एवं सैनिक देने पड़ते थे।
Incorrect
व्याख्या-
मुगलकाल में खिदमती-
जब युद्ध में हिन्दू शासक हार जाते थे तो उन्हें हर्जाने के रूप में युद्ध सहायता हेतु युद्ध सामग्री एवं सैनिक देने पड़ते थे।
Unattempted
व्याख्या-
मुगलकाल में खिदमती-
जब युद्ध में हिन्दू शासक हार जाते थे तो उन्हें हर्जाने के रूप में युद्ध सहायता हेतु युद्ध सामग्री एवं सैनिक देने पड़ते थे।
Question 2 of 40
2. Question
1 points
निम्न शासकों में से किसके काल में मुगलों और असम के अहोमों के बीच लम्बे काल तक संघर्ष हुआ?
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में असम के अहोमो और मुगलों के बीच लम्बे काल तक संघर्ष हुआ।
उत्तराधिकार के युद्ध के कारण 1661 ई० तक मुगल असम की ओर कोई ध्यान न दे सके।
औरंगजेब ने मीरजुमला को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असामियों पर आक्रमण करने का आदेश दिए।
1661 ई० में मीरजुमला ने कूच बिहार की राजधानी को जीत लिया तथा असम के पूर्वी और मध्य-भाग पर अधिकार कर लिया।
असम में मुगलों की सत्ता को स्थापित कियां असम-विजय का श्रेय मीरजुमला को दिया जाता है।
1663 ई० में मीर जुमला की मृत्यु हो गयी। इसके बाद शाइस्ता खाँ को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया गया।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में असम के अहोमो और मुगलों के बीच लम्बे काल तक संघर्ष हुआ।
उत्तराधिकार के युद्ध के कारण 1661 ई० तक मुगल असम की ओर कोई ध्यान न दे सके।
औरंगजेब ने मीरजुमला को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असामियों पर आक्रमण करने का आदेश दिए।
1661 ई० में मीरजुमला ने कूच बिहार की राजधानी को जीत लिया तथा असम के पूर्वी और मध्य-भाग पर अधिकार कर लिया।
असम में मुगलों की सत्ता को स्थापित कियां असम-विजय का श्रेय मीरजुमला को दिया जाता है।
1663 ई० में मीर जुमला की मृत्यु हो गयी। इसके बाद शाइस्ता खाँ को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया गया।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में असम के अहोमो और मुगलों के बीच लम्बे काल तक संघर्ष हुआ।
उत्तराधिकार के युद्ध के कारण 1661 ई० तक मुगल असम की ओर कोई ध्यान न दे सके।
औरंगजेब ने मीरजुमला को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असामियों पर आक्रमण करने का आदेश दिए।
1661 ई० में मीरजुमला ने कूच बिहार की राजधानी को जीत लिया तथा असम के पूर्वी और मध्य-भाग पर अधिकार कर लिया।
असम में मुगलों की सत्ता को स्थापित कियां असम-विजय का श्रेय मीरजुमला को दिया जाता है।
1663 ई० में मीर जुमला की मृत्यु हो गयी। इसके बाद शाइस्ता खाँ को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया गया।
Question 3 of 40
3. Question
1 points
अकबर के राज्यकाल में दक्षिण में निम्न में से कौन-सा एक प्रान्त मुगल राज्य का भाग नहीं था?
Correct
व्याख्या-
अकबर की दक्कन नीति सम्राज्यवादी थी।
अकबर के दक्कन अभियान के दो मुख्य उद्देश्य थे
एक अखिल भारतीय साम्राज्य के आदर्श से प्रेरित होकर वह दक्कन को अपने आधिपत्य में लाना चाहता था।
पुर्तगीज को समुद्र तक धकेलने वह दक्कन को अपने नियंत्रण करना चाहता था।
अकबर द्वारा विजित दक्षिणी राज्य –
अहमदनगर, बरार और खानदेश
जबकि बीजापुर और गोलकुण्डा को औरंगजेब ने जीता था।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर की दक्कन नीति सम्राज्यवादी थी।
अकबर के दक्कन अभियान के दो मुख्य उद्देश्य थे
एक अखिल भारतीय साम्राज्य के आदर्श से प्रेरित होकर वह दक्कन को अपने आधिपत्य में लाना चाहता था।
पुर्तगीज को समुद्र तक धकेलने वह दक्कन को अपने नियंत्रण करना चाहता था।
अकबर द्वारा विजित दक्षिणी राज्य –
अहमदनगर, बरार और खानदेश
जबकि बीजापुर और गोलकुण्डा को औरंगजेब ने जीता था।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर की दक्कन नीति सम्राज्यवादी थी।
अकबर के दक्कन अभियान के दो मुख्य उद्देश्य थे
एक अखिल भारतीय साम्राज्य के आदर्श से प्रेरित होकर वह दक्कन को अपने आधिपत्य में लाना चाहता था।
पुर्तगीज को समुद्र तक धकेलने वह दक्कन को अपने नियंत्रण करना चाहता था।
अकबर द्वारा विजित दक्षिणी राज्य –
अहमदनगर, बरार और खानदेश
जबकि बीजापुर और गोलकुण्डा को औरंगजेब ने जीता था।
Question 4 of 40
4. Question
1 points
मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जागीरदारी संकट के सिद्धान्त को प्रतिपादित करने वाला प्रथम इतिहासकार कौन था?
Correct
व्याख्या-
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण-
(1) औरंगजेब की शासन नीति –
(2) औरंगजेब की दक्षिण नीति-
(3) अयोग्य उत्तराधिकारी-
(4) आर्थिक दुर्बलता-
(5) सैनिक अव्यवस्था एवं अनुशासनहीनता-
इतिहासकार सतीशचन्द्र ने मनसबदारी एवं जागीरदारी व्यवस्था में आये दोष को ही मुगल साम्राज्य के पतन का सबसे प्रमुख कारण माना है।
Incorrect
व्याख्या-
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण-
(1) औरंगजेब की शासन नीति –
(2) औरंगजेब की दक्षिण नीति-
(3) अयोग्य उत्तराधिकारी-
(4) आर्थिक दुर्बलता-
(5) सैनिक अव्यवस्था एवं अनुशासनहीनता-
इतिहासकार सतीशचन्द्र ने मनसबदारी एवं जागीरदारी व्यवस्था में आये दोष को ही मुगल साम्राज्य के पतन का सबसे प्रमुख कारण माना है।
Unattempted
व्याख्या-
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण-
(1) औरंगजेब की शासन नीति –
(2) औरंगजेब की दक्षिण नीति-
(3) अयोग्य उत्तराधिकारी-
(4) आर्थिक दुर्बलता-
(5) सैनिक अव्यवस्था एवं अनुशासनहीनता-
इतिहासकार सतीशचन्द्र ने मनसबदारी एवं जागीरदारी व्यवस्था में आये दोष को ही मुगल साम्राज्य के पतन का सबसे प्रमुख कारण माना है।
Question 5 of 40
5. Question
1 points
भारत में मुगल शासन के स्थापना के पूर्व मुगल शासकों के पूर्वजों की उपाधि क्या थी?
Correct
व्याख्या –
भारत में मुगल शासन की स्थापना के पूर्व मुगल शासकों के पूर्वजों की उपाधि मिर्जा थी।
मिर्जा मुगलों के रिश्तेदार थे।
मिर्ज़ा विद्रोह-
मिर्जा शाही परिवार का हिस्सा थे। इब्राहिम मिर्ज़ा, मुहम्मद हुसैन मिर्ज़ा, मसूद हुसैन मिर्ज़ा, सिकंदर मिर्ज़ा और महमूद मिर्ज़ा उन रईसों में से थे जो अकबर के रक्त रिश्तेदार थे। शाही परिवार के सदस्य होने के नाते, उन्होंने सम्राट से सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों की इच्छा की, जिसे विफल करते हुए, उन्होंने उस अवधि के दौरान विद्रोह भी किया जब उज़बेग्स ने अकबर के खिलाफ विद्रोह किया था। वे भी पराजित हुए, गुजरात में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया और आखिरकार, जब व अकबर ने 1573 ई। में गुजरात में विद्रोह को दबा दिया, तब वश में कर लिया गया।
Incorrect
व्याख्या –
भारत में मुगल शासन की स्थापना के पूर्व मुगल शासकों के पूर्वजों की उपाधि मिर्जा थी।
मिर्जा मुगलों के रिश्तेदार थे।
मिर्ज़ा विद्रोह-
मिर्जा शाही परिवार का हिस्सा थे। इब्राहिम मिर्ज़ा, मुहम्मद हुसैन मिर्ज़ा, मसूद हुसैन मिर्ज़ा, सिकंदर मिर्ज़ा और महमूद मिर्ज़ा उन रईसों में से थे जो अकबर के रक्त रिश्तेदार थे। शाही परिवार के सदस्य होने के नाते, उन्होंने सम्राट से सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों की इच्छा की, जिसे विफल करते हुए, उन्होंने उस अवधि के दौरान विद्रोह भी किया जब उज़बेग्स ने अकबर के खिलाफ विद्रोह किया था। वे भी पराजित हुए, गुजरात में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया और आखिरकार, जब व अकबर ने 1573 ई। में गुजरात में विद्रोह को दबा दिया, तब वश में कर लिया गया।
Unattempted
व्याख्या –
भारत में मुगल शासन की स्थापना के पूर्व मुगल शासकों के पूर्वजों की उपाधि मिर्जा थी।
मिर्जा मुगलों के रिश्तेदार थे।
मिर्ज़ा विद्रोह-
मिर्जा शाही परिवार का हिस्सा थे। इब्राहिम मिर्ज़ा, मुहम्मद हुसैन मिर्ज़ा, मसूद हुसैन मिर्ज़ा, सिकंदर मिर्ज़ा और महमूद मिर्ज़ा उन रईसों में से थे जो अकबर के रक्त रिश्तेदार थे। शाही परिवार के सदस्य होने के नाते, उन्होंने सम्राट से सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों की इच्छा की, जिसे विफल करते हुए, उन्होंने उस अवधि के दौरान विद्रोह भी किया जब उज़बेग्स ने अकबर के खिलाफ विद्रोह किया था। वे भी पराजित हुए, गुजरात में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया और आखिरकार, जब व अकबर ने 1573 ई। में गुजरात में विद्रोह को दबा दिया, तब वश में कर लिया गया।
Question 6 of 40
6. Question
1 points
खजुआ का युद्ध किनके बीच लड़ा गया था?
Correct
व्याख्या –
धरमत का युद्ध-
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने 15 अप्रैल, 1658 ई. को धरमत के युद्ध में जोधपुर के राजा जसवंत सिंह और कासिम खाँ की शाही सेना को हरा दिया। जसवंत सिंह जोधपुर भाग आया, जहाँ उसकी पत्नी ने उसके रणक्षेत्र से भागने के कारण उसके लिए दुर्ग के द्वार बंद करवा दिये। धरमत के युद्ध से औरंगजेब की प्रतिष्ठा बढ़ गई और दारा की कमजोरी उजागर हो गई।
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
खजवा का युद्ध-
बहादुरपुर के युद्ध में पराजित होकर शाहशुजा बंगाल भाग गया था। औरंगजेब जब दाराशिकोह का पीछा करते हुए पंजाब की ओर बढा, तो शाहशुजा आगरे पर अधिकार करने के लिए खजवा नामक स्थान पर सैनिक तैयारियाँ करने लगा। सूचना पाकर औरंगजेब ने 5 जनवरी, 1659 ई. को इलाहाबाद के निकट खजवा में शाहशुजा को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
Incorrect
व्याख्या –
धरमत का युद्ध-
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने 15 अप्रैल, 1658 ई. को धरमत के युद्ध में जोधपुर के राजा जसवंत सिंह और कासिम खाँ की शाही सेना को हरा दिया। जसवंत सिंह जोधपुर भाग आया, जहाँ उसकी पत्नी ने उसके रणक्षेत्र से भागने के कारण उसके लिए दुर्ग के द्वार बंद करवा दिये। धरमत के युद्ध से औरंगजेब की प्रतिष्ठा बढ़ गई और दारा की कमजोरी उजागर हो गई।
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
खजवा का युद्ध-
बहादुरपुर के युद्ध में पराजित होकर शाहशुजा बंगाल भाग गया था। औरंगजेब जब दाराशिकोह का पीछा करते हुए पंजाब की ओर बढा, तो शाहशुजा आगरे पर अधिकार करने के लिए खजवा नामक स्थान पर सैनिक तैयारियाँ करने लगा। सूचना पाकर औरंगजेब ने 5 जनवरी, 1659 ई. को इलाहाबाद के निकट खजवा में शाहशुजा को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
Unattempted
व्याख्या –
धरमत का युद्ध-
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने 15 अप्रैल, 1658 ई. को धरमत के युद्ध में जोधपुर के राजा जसवंत सिंह और कासिम खाँ की शाही सेना को हरा दिया। जसवंत सिंह जोधपुर भाग आया, जहाँ उसकी पत्नी ने उसके रणक्षेत्र से भागने के कारण उसके लिए दुर्ग के द्वार बंद करवा दिये। धरमत के युद्ध से औरंगजेब की प्रतिष्ठा बढ़ गई और दारा की कमजोरी उजागर हो गई।
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
खजवा का युद्ध-
बहादुरपुर के युद्ध में पराजित होकर शाहशुजा बंगाल भाग गया था। औरंगजेब जब दाराशिकोह का पीछा करते हुए पंजाब की ओर बढा, तो शाहशुजा आगरे पर अधिकार करने के लिए खजवा नामक स्थान पर सैनिक तैयारियाँ करने लगा। सूचना पाकर औरंगजेब ने 5 जनवरी, 1659 ई. को इलाहाबाद के निकट खजवा में शाहशुजा को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
Question 7 of 40
7. Question
1 points
शाह बुलन्द इकबाल की उपाधि प्राप्त की थी
Correct
व्याख्या –
दारा शिकोह शाहजहाँ का सबसे बड़ा पुत्र था।
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को मुगल काल का सबसे बडा 60,000 का मनसब प्रदान किया
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को शाह बुलन्द इकबाल की उपाधि प्रदान की।
शाहजहाँ ने औरंगजेब को उसने बहादुर की उपाधि दी थी
Incorrect
व्याख्या –
दारा शिकोह शाहजहाँ का सबसे बड़ा पुत्र था।
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को मुगल काल का सबसे बडा 60,000 का मनसब प्रदान किया
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को शाह बुलन्द इकबाल की उपाधि प्रदान की।
शाहजहाँ ने औरंगजेब को उसने बहादुर की उपाधि दी थी
Unattempted
व्याख्या –
दारा शिकोह शाहजहाँ का सबसे बड़ा पुत्र था।
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को मुगल काल का सबसे बडा 60,000 का मनसब प्रदान किया
शाहजहाँ ने दारा शिकोह को शाह बुलन्द इकबाल की उपाधि प्रदान की।
शाहजहाँ ने औरंगजेब को उसने बहादुर की उपाधि दी थी
Question 8 of 40
8. Question
1 points
निम्न जहाँगीर की पत्नियों में कौन राजपूत नहीं थी
Correct
जहाँगीर –
नाम (Name)
मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम
जन्म तिथि (Birthday)
31 अगस्त 1569, फतेहपुर सीकरी, मुगल साम्राज्य
मृत्यु तिथि (Death)
28 अक्टूबर 1627, राजोरी, कश्मीर
पिता (Father Name)
अकबर
माता (Mother Name)
मरियम
पत्नी (Wife Name)
नूरजहां, साहिब जमाल, जगत गोसेन,
मलिक जहां, शाह बेगम, खास महल,
करमसी, सलिहा बानु बेगम, नूर-अन-निसा बेगम,
मेहरून्निशा/नूरुन्निशा बेगम’ राजपूत नहीं थी।
नूरजहाँ का पिता गियासबेग पार्शिया का रहने वाला था।
गियासबेग को जहाँगीर ने ‘एत्माद्दौला का उपाधि प्रदान की ।
Incorrect
जहाँगीर –
नाम (Name)
मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम
जन्म तिथि (Birthday)
31 अगस्त 1569, फतेहपुर सीकरी, मुगल साम्राज्य
मृत्यु तिथि (Death)
28 अक्टूबर 1627, राजोरी, कश्मीर
पिता (Father Name)
अकबर
माता (Mother Name)
मरियम
पत्नी (Wife Name)
नूरजहां, साहिब जमाल, जगत गोसेन,
मलिक जहां, शाह बेगम, खास महल,
करमसी, सलिहा बानु बेगम, नूर-अन-निसा बेगम,
मेहरून्निशा/नूरुन्निशा बेगम’ राजपूत नहीं थी।
नूरजहाँ का पिता गियासबेग पार्शिया का रहने वाला था।
गियासबेग को जहाँगीर ने ‘एत्माद्दौला का उपाधि प्रदान की ।
Unattempted
जहाँगीर –
नाम (Name)
मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम
जन्म तिथि (Birthday)
31 अगस्त 1569, फतेहपुर सीकरी, मुगल साम्राज्य
मृत्यु तिथि (Death)
28 अक्टूबर 1627, राजोरी, कश्मीर
पिता (Father Name)
अकबर
माता (Mother Name)
मरियम
पत्नी (Wife Name)
नूरजहां, साहिब जमाल, जगत गोसेन,
मलिक जहां, शाह बेगम, खास महल,
करमसी, सलिहा बानु बेगम, नूर-अन-निसा बेगम,
मेहरून्निशा/नूरुन्निशा बेगम’ राजपूत नहीं थी।
नूरजहाँ का पिता गियासबेग पार्शिया का रहने वाला था।
गियासबेग को जहाँगीर ने ‘एत्माद्दौला का उपाधि प्रदान की ।
Question 9 of 40
9. Question
1 points
निम्न में से कौन सा प्रथम मुगल सम्राट था जिसने बंगाल के विरुद्ध सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था?
Correct
व्याख्या-
हुमायूँ पहला सम्राट था जिसने बंगाल के विरुद्ध सैन्य अभियान का नेतृत्व किया।
हुमायूँ के समय शेरशाह सूरी ने बंगाल पर अधिकार कर लिया था।
हुमायूँ ने गौड़ को पुन: बसा कर उसका नाम जन्नताबाद रखा।
Incorrect
व्याख्या-
हुमायूँ पहला सम्राट था जिसने बंगाल के विरुद्ध सैन्य अभियान का नेतृत्व किया।
हुमायूँ के समय शेरशाह सूरी ने बंगाल पर अधिकार कर लिया था।
हुमायूँ ने गौड़ को पुन: बसा कर उसका नाम जन्नताबाद रखा।
Unattempted
व्याख्या-
हुमायूँ पहला सम्राट था जिसने बंगाल के विरुद्ध सैन्य अभियान का नेतृत्व किया।
हुमायूँ के समय शेरशाह सूरी ने बंगाल पर अधिकार कर लिया था।
हुमायूँ ने गौड़ को पुन: बसा कर उसका नाम जन्नताबाद रखा।
Question 10 of 40
10. Question
1 points
शेरशाह सूर ने कहाँ पर शिक्षा प्राप्त की थी?
Correct
व्याख्या.
शेरशाह सूरी का जन्म पंजाब में हुआ था।
शेरशाह सूरी ने अपनी फारसी शिक्षा जौनपुर में प्राप्त की।
शेरशाह सूरी को दिल्ली में द्वितीय अफगान शक्ति का संस्थापक बना।
Incorrect
व्याख्या.
शेरशाह सूरी का जन्म पंजाब में हुआ था।
शेरशाह सूरी ने अपनी फारसी शिक्षा जौनपुर में प्राप्त की।
शेरशाह सूरी को दिल्ली में द्वितीय अफगान शक्ति का संस्थापक बना।
Unattempted
व्याख्या.
शेरशाह सूरी का जन्म पंजाब में हुआ था।
शेरशाह सूरी ने अपनी फारसी शिक्षा जौनपुर में प्राप्त की।
शेरशाह सूरी को दिल्ली में द्वितीय अफगान शक्ति का संस्थापक बना।
Question 11 of 40
11. Question
1 points
औरंगजेब के विरूद्ध विद्रोह करने वाले कृषकों की पहचान कीजिए-
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब के समय मुगल सम्राट का चर्मोत्कर्ष और विघटन का काल माना जाता है।
औरंगजेब के समय में दो प्रमुख कृषक विद्रोह जाटों और सतनामियों के हुए।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब के समय मुगल सम्राट का चर्मोत्कर्ष और विघटन का काल माना जाता है।
औरंगजेब के समय में दो प्रमुख कृषक विद्रोह जाटों और सतनामियों के हुए।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब के समय मुगल सम्राट का चर्मोत्कर्ष और विघटन का काल माना जाता है।
औरंगजेब के समय में दो प्रमुख कृषक विद्रोह जाटों और सतनामियों के हुए।
Question 12 of 40
12. Question
1 points
निम्नलिखित में से बाबर की विजयों का कौन सा एक क्रम सही है
Correct
व्याख्या-
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Incorrect
व्याख्या-
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Unattempted
व्याख्या-
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Question 13 of 40
13. Question
1 points
निम्नलिखित में कौन एक सही सुमेलित है
Correct
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
पानीपत का दूसरा युद्ध–
पानीपत का दूसरा युद्ध 1556 ई. में अकबर और हेमू के बीच हुआ था,
पानीपत का दूसरा युद्ध में अकबर विजयी हुआ था।
हेमू मोहम्मद आदिल शाह का सेनापति था।।
हेमू मध्य कालीन भारत में प्रथम एवं एकमात्र हिन्दू राजा हुआ, जिसने दिल्ली के राजसिंहासन अधिकार किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
तराइन प्रथम का युद्ध–
तराइन प्रथम का युद्ध 1191 ई. में मोहम्मद गोरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था,
इसमे पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को पराजित किया था।
Incorrect
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
पानीपत का दूसरा युद्ध–
पानीपत का दूसरा युद्ध 1556 ई. में अकबर और हेमू के बीच हुआ था,
पानीपत का दूसरा युद्ध में अकबर विजयी हुआ था।
हेमू मोहम्मद आदिल शाह का सेनापति था।।
हेमू मध्य कालीन भारत में प्रथम एवं एकमात्र हिन्दू राजा हुआ, जिसने दिल्ली के राजसिंहासन अधिकार किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
तराइन प्रथम का युद्ध–
तराइन प्रथम का युद्ध 1191 ई. में मोहम्मद गोरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था,
इसमे पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को पराजित किया था।
Unattempted
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
पानीपत का दूसरा युद्ध–
पानीपत का दूसरा युद्ध 1556 ई. में अकबर और हेमू के बीच हुआ था,
पानीपत का दूसरा युद्ध में अकबर विजयी हुआ था।
हेमू मोहम्मद आदिल शाह का सेनापति था।।
हेमू मध्य कालीन भारत में प्रथम एवं एकमात्र हिन्दू राजा हुआ, जिसने दिल्ली के राजसिंहासन अधिकार किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
तराइन प्रथम का युद्ध–
तराइन प्रथम का युद्ध 1191 ई. में मोहम्मद गोरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था,
इसमे पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को पराजित किया था।
Question 14 of 40
14. Question
1 points
औरंगजेब की मृत्यु कहाँ हुई
Correct
औरंगजेब-
औरगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 ई. को दोहद में हुआ था।
वह शाहजहाँ तथा मुमताज महल की छठी संन्तान थी।
शाहजहां ने औरगजेब को ‘बहादुर’ की उपाधि देकर उसकी वीरता की प्रशंसा की।
औरगजेब एक मात्र मुगल बादशाह था, जिसका राज्याभिषेक दो बार हुआ था।
मार्च, 1707 ई. अहमदनगर में औरगजेब का स्वर्गवास हो गया।
औरगजेब के शव को दौलताबाद के पास खुल्दाबाद नामक स्थान पर सूफी शेख जैनुद्दीन के मकबरे की चहारदीवारी में स्थित लाल पत्थरों से निर्मित एक कब्र में उसे दफनाया गया।
Incorrect
औरंगजेब-
औरगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 ई. को दोहद में हुआ था।
वह शाहजहाँ तथा मुमताज महल की छठी संन्तान थी।
शाहजहां ने औरगजेब को ‘बहादुर’ की उपाधि देकर उसकी वीरता की प्रशंसा की।
औरगजेब एक मात्र मुगल बादशाह था, जिसका राज्याभिषेक दो बार हुआ था।
मार्च, 1707 ई. अहमदनगर में औरगजेब का स्वर्गवास हो गया।
औरगजेब के शव को दौलताबाद के पास खुल्दाबाद नामक स्थान पर सूफी शेख जैनुद्दीन के मकबरे की चहारदीवारी में स्थित लाल पत्थरों से निर्मित एक कब्र में उसे दफनाया गया।
Unattempted
औरंगजेब-
औरगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 ई. को दोहद में हुआ था।
वह शाहजहाँ तथा मुमताज महल की छठी संन्तान थी।
शाहजहां ने औरगजेब को ‘बहादुर’ की उपाधि देकर उसकी वीरता की प्रशंसा की।
औरगजेब एक मात्र मुगल बादशाह था, जिसका राज्याभिषेक दो बार हुआ था।
मार्च, 1707 ई. अहमदनगर में औरगजेब का स्वर्गवास हो गया।
औरगजेब के शव को दौलताबाद के पास खुल्दाबाद नामक स्थान पर सूफी शेख जैनुद्दीन के मकबरे की चहारदीवारी में स्थित लाल पत्थरों से निर्मित एक कब्र में उसे दफनाया गया।
Question 15 of 40
15. Question
1 points
किस कालक्रम में निम्नलिखित घटनायें घटित हुई ?
(1) चौसा का युद्ध
(2) बिलग्राम का युद्ध
(3) हल्दीघाटी का युद्ध
(4) नादिरशाह का आक्रमण
Correct
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
कन्नौज /बिलग्राम का युद्ध-
बिलग्राम अथवा कन्नौज का युद्ध 17 मई, 1540 को हुमायूँ एवं शेरशाह के बीच हुआ था।
इसमें भी शेरशाह विजयी हुई और भारत में एक बार पुन: अफगान साम्राज्य की स्थापना हुई।
हल्दी घाटी का युद्ध-
युद्ध का नाम
हल्दीघाटी युद्ध
युद्ध कब हुआ था
18 जून 1576
युद्ध किसके बीच में हुआ था
महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बिच
हल्दीघाटी युद्ध में जीत किसकी हुई थी
इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला था
अकबर की सेना की संख्या कितनी थी
7000 से 10000 सैनिक
महाराणा प्रताप की सेना की संख्या कितनी थी
1600 सैनिक
युद्ध कितने समय के लिए हुआ था
3 घंटे तक
युद्ध कहाँ हुआ था
हल्दीघाटी
नादिर शाह –
नादिर शाह ईरान का शासक था
भारतीय इतिहास में नादिर शाह का नाम लुटेरे तथा हत्यारे के रूप में काले अक्षरों में आता है।
नादिर शाह ने 1739 ई. में मुहम्मदशाह के शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया था।
24 फरवरी, 1739 ई. को नादिर शाह ने कसाल के युद्ध में मुहम्मदशाह को पराजित किया।
Incorrect
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
कन्नौज /बिलग्राम का युद्ध-
बिलग्राम अथवा कन्नौज का युद्ध 17 मई, 1540 को हुमायूँ एवं शेरशाह के बीच हुआ था।
इसमें भी शेरशाह विजयी हुई और भारत में एक बार पुन: अफगान साम्राज्य की स्थापना हुई।
हल्दी घाटी का युद्ध-
युद्ध का नाम
हल्दीघाटी युद्ध
युद्ध कब हुआ था
18 जून 1576
युद्ध किसके बीच में हुआ था
महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बिच
हल्दीघाटी युद्ध में जीत किसकी हुई थी
इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला था
अकबर की सेना की संख्या कितनी थी
7000 से 10000 सैनिक
महाराणा प्रताप की सेना की संख्या कितनी थी
1600 सैनिक
युद्ध कितने समय के लिए हुआ था
3 घंटे तक
युद्ध कहाँ हुआ था
हल्दीघाटी
नादिर शाह –
नादिर शाह ईरान का शासक था
भारतीय इतिहास में नादिर शाह का नाम लुटेरे तथा हत्यारे के रूप में काले अक्षरों में आता है।
नादिर शाह ने 1739 ई. में मुहम्मदशाह के शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया था।
24 फरवरी, 1739 ई. को नादिर शाह ने कसाल के युद्ध में मुहम्मदशाह को पराजित किया।
Unattempted
व्याख्या-
चौसा का युद्ध–
चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 को हमाएँ और शेर खॉ के बीच हुआ था।
इसी युद्ध में हुमायूँ को अपने प्राणों की रक्षा के लिए घोड़े सहित नदी में कूदना पड़ा था,
निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूँ को अपनी मशक के द्वारा डूबने से बचाया था।
हुमायूँ की पराजय शेर खाँ ने ‘शेरशाह की पदवी धारण की तथा अपना खुतबा पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के जारी किये।
कन्नौज /बिलग्राम का युद्ध-
बिलग्राम अथवा कन्नौज का युद्ध 17 मई, 1540 को हुमायूँ एवं शेरशाह के बीच हुआ था।
इसमें भी शेरशाह विजयी हुई और भारत में एक बार पुन: अफगान साम्राज्य की स्थापना हुई।
हल्दी घाटी का युद्ध-
युद्ध का नाम
हल्दीघाटी युद्ध
युद्ध कब हुआ था
18 जून 1576
युद्ध किसके बीच में हुआ था
महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बिच
हल्दीघाटी युद्ध में जीत किसकी हुई थी
इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला था
अकबर की सेना की संख्या कितनी थी
7000 से 10000 सैनिक
महाराणा प्रताप की सेना की संख्या कितनी थी
1600 सैनिक
युद्ध कितने समय के लिए हुआ था
3 घंटे तक
युद्ध कहाँ हुआ था
हल्दीघाटी
नादिर शाह –
नादिर शाह ईरान का शासक था
भारतीय इतिहास में नादिर शाह का नाम लुटेरे तथा हत्यारे के रूप में काले अक्षरों में आता है।
नादिर शाह ने 1739 ई. में मुहम्मदशाह के शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया था।
24 फरवरी, 1739 ई. को नादिर शाह ने कसाल के युद्ध में मुहम्मदशाह को पराजित किया।
Question 16 of 40
16. Question
1 points
बाबर था
Correct
व्याख्या –
बाबर-
बाबर चतगाई तुर्क जाति का था।
बाबर का जन्म 1483 ई. को फरगना में हुआ था।
बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा तथा माता का नाम कुतलुग निगार खानम था।
वह माता की ओर से चंगेज खाँ का 14वा वंशज तथा पिता की ओर से तैमूर का 5वा वंशज था।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Incorrect
व्याख्या –
बाबर-
बाबर चतगाई तुर्क जाति का था।
बाबर का जन्म 1483 ई. को फरगना में हुआ था।
बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा तथा माता का नाम कुतलुग निगार खानम था।
वह माता की ओर से चंगेज खाँ का 14वा वंशज तथा पिता की ओर से तैमूर का 5वा वंशज था।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Unattempted
व्याख्या –
बाबर-
बाबर चतगाई तुर्क जाति का था।
बाबर का जन्म 1483 ई. को फरगना में हुआ था।
बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा तथा माता का नाम कुतलुग निगार खानम था।
वह माता की ओर से चंगेज खाँ का 14वा वंशज तथा पिता की ओर से तैमूर का 5वा वंशज था।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
Question 17 of 40
17. Question
1 points
रानी दुर्गावती किससे लड़ी
Correct
व्याख्या-
रानी दुर्गावती चंदेल शासक कीर्तिराज की पुत्री थी।
रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना के शासक दलपतिशाह के साथ हुआ.
अपने पति दलपतिशाह की मृत्यु होने से रानी दुर्गावती ने अपने अल्पवयस्क पुत्र वीरनारायण, को गद्दी पर बैठाया तथा स्वयं उसकी संरक्षिका बनी।
1564 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने आसफ खाँ को गोण्डवाना पर विजय के लिए भेजा।
आसफ खाँ ने नरही एवं चौरागढ़ के यद्धों में राजपूतों को परास्त कर मुगल सत्ता स्थापित की।
गोण्डवाना को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया।
दुर्गावती के बारे में प्रसिद्ध कथन -जब भी उसे शेर के आने की सूचना मिलती थी, तो वह उसे मारकर ही भोजन ग्रहण करती थी।
Incorrect
व्याख्या-
रानी दुर्गावती चंदेल शासक कीर्तिराज की पुत्री थी।
रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना के शासक दलपतिशाह के साथ हुआ.
अपने पति दलपतिशाह की मृत्यु होने से रानी दुर्गावती ने अपने अल्पवयस्क पुत्र वीरनारायण, को गद्दी पर बैठाया तथा स्वयं उसकी संरक्षिका बनी।
1564 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने आसफ खाँ को गोण्डवाना पर विजय के लिए भेजा।
आसफ खाँ ने नरही एवं चौरागढ़ के यद्धों में राजपूतों को परास्त कर मुगल सत्ता स्थापित की।
गोण्डवाना को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया।
दुर्गावती के बारे में प्रसिद्ध कथन -जब भी उसे शेर के आने की सूचना मिलती थी, तो वह उसे मारकर ही भोजन ग्रहण करती थी।
Unattempted
व्याख्या-
रानी दुर्गावती चंदेल शासक कीर्तिराज की पुत्री थी।
रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना के शासक दलपतिशाह के साथ हुआ.
अपने पति दलपतिशाह की मृत्यु होने से रानी दुर्गावती ने अपने अल्पवयस्क पुत्र वीरनारायण, को गद्दी पर बैठाया तथा स्वयं उसकी संरक्षिका बनी।
1564 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने आसफ खाँ को गोण्डवाना पर विजय के लिए भेजा।
आसफ खाँ ने नरही एवं चौरागढ़ के यद्धों में राजपूतों को परास्त कर मुगल सत्ता स्थापित की।
गोण्डवाना को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया।
दुर्गावती के बारे में प्रसिद्ध कथन -जब भी उसे शेर के आने की सूचना मिलती थी, तो वह उसे मारकर ही भोजन ग्रहण करती थी।
Question 18 of 40
18. Question
1 points
खानवा के संग्राम में कौन परारत हुए
Correct
व्याख्या-
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
राणा सांगा मेवाड़ का राजपूत शासक था
युद्ध से पूर्व बाबर ने अपने सैनिकों के उत्साहवर्द्धन के लिए ‘जिहाद’ (धर्मयुद्ध) की भी घोषणा की।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
राणा साँगा ने बाबर के खिलाफ एक दुर्जेय सैन्य गठबंधन बनाया था।
सैन्य गठबंधन में राजस्थान के लगभग सभी प्रमुख राजपूत राजाओं में शामिल थे
जिनमें हरौटी, जालोर, सिरोही, डूंगरपुर और ढुंढार शामिल थे। मारवाड़ के गंगा राठौर मारवाड़ व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुए, लेकिन अपने पुत्र मालदेव राठौर के नेतृत्व में एक दल भेजा। मालवा में चंदेरी की राव मेदिनी राय भी गठबंधन में शामिल हुईं।
Incorrect
व्याख्या-
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
राणा सांगा मेवाड़ का राजपूत शासक था
युद्ध से पूर्व बाबर ने अपने सैनिकों के उत्साहवर्द्धन के लिए ‘जिहाद’ (धर्मयुद्ध) की भी घोषणा की।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
राणा साँगा ने बाबर के खिलाफ एक दुर्जेय सैन्य गठबंधन बनाया था।
सैन्य गठबंधन में राजस्थान के लगभग सभी प्रमुख राजपूत राजाओं में शामिल थे
जिनमें हरौटी, जालोर, सिरोही, डूंगरपुर और ढुंढार शामिल थे। मारवाड़ के गंगा राठौर मारवाड़ व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुए, लेकिन अपने पुत्र मालदेव राठौर के नेतृत्व में एक दल भेजा। मालवा में चंदेरी की राव मेदिनी राय भी गठबंधन में शामिल हुईं।
Unattempted
व्याख्या-
खानवा का युद्ध –
खानवा के युद्ध में 16 मार्च, 1527 ई. को बाबर ने राणासांगा को पराजित किया था।
राणा सांगा मेवाड़ का राजपूत शासक था
युद्ध से पूर्व बाबर ने अपने सैनिकों के उत्साहवर्द्धन के लिए ‘जिहाद’ (धर्मयुद्ध) की भी घोषणा की।
खानवा के युद्ध की विजय बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
राणा साँगा ने बाबर के खिलाफ एक दुर्जेय सैन्य गठबंधन बनाया था।
सैन्य गठबंधन में राजस्थान के लगभग सभी प्रमुख राजपूत राजाओं में शामिल थे
जिनमें हरौटी, जालोर, सिरोही, डूंगरपुर और ढुंढार शामिल थे। मारवाड़ के गंगा राठौर मारवाड़ व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुए, लेकिन अपने पुत्र मालदेव राठौर के नेतृत्व में एक दल भेजा। मालवा में चंदेरी की राव मेदिनी राय भी गठबंधन में शामिल हुईं।
Question 19 of 40
19. Question
1 points
समूगढ़ का युद्ध किसके लिए निर्णायक साबित हुआ
Correct
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया।
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
औरंगजेब ने आगरा के किले पर अधिकार करके शाहजहाँ को नजरबंद कर दिया।
21 जुलाई, 1658 ई. को वह आगरा के सिंहासन पर बैठा ।
डॉ. स्मिथ के अनुसार -‘उत्तराधिकार युद्ध का निर्णय सामूगढ़ में हो गया।
Incorrect
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया।
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
औरंगजेब ने आगरा के किले पर अधिकार करके शाहजहाँ को नजरबंद कर दिया।
21 जुलाई, 1658 ई. को वह आगरा के सिंहासन पर बैठा ।
डॉ. स्मिथ के अनुसार -‘उत्तराधिकार युद्ध का निर्णय सामूगढ़ में हो गया।
Unattempted
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया।
औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
औरंगजेब ने आगरा के किले पर अधिकार करके शाहजहाँ को नजरबंद कर दिया।
21 जुलाई, 1658 ई. को वह आगरा के सिंहासन पर बैठा ।
डॉ. स्मिथ के अनुसार -‘उत्तराधिकार युद्ध का निर्णय सामूगढ़ में हो गया।
Question 20 of 40
20. Question
1 points
जहाँगीर ने क्या खोया
Correct
व्याख्या-
अकबर ने 1594 ई. में कंधार पर अधिकार कर किया ।
जहाँगीर के समय ईरान के शाह अब्यास ने 1622 ई. में कंधार का घेरा डाल दिया।
जहाँगीर ने कंधार की रक्षा के लिए शहजादा खुर्रम को आदेश दिया ,किन्तु खुर्रम ने जाने से इंकार कर दिया
शाह अब्बास ने कंधार पर अधिकार कर लिया है।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर ने 1594 ई. में कंधार पर अधिकार कर किया ।
जहाँगीर के समय ईरान के शाह अब्यास ने 1622 ई. में कंधार का घेरा डाल दिया।
जहाँगीर ने कंधार की रक्षा के लिए शहजादा खुर्रम को आदेश दिया ,किन्तु खुर्रम ने जाने से इंकार कर दिया
शाह अब्बास ने कंधार पर अधिकार कर लिया है।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर ने 1594 ई. में कंधार पर अधिकार कर किया ।
जहाँगीर के समय ईरान के शाह अब्यास ने 1622 ई. में कंधार का घेरा डाल दिया।
जहाँगीर ने कंधार की रक्षा के लिए शहजादा खुर्रम को आदेश दिया ,किन्तु खुर्रम ने जाने से इंकार कर दिया
शाह अब्बास ने कंधार पर अधिकार कर लिया है।
Question 21 of 40
21. Question
1 points
औरंगजेब के आदेश पर किसको मारा गया-
Correct
व्याख्या-
गुरु तेगबहादुर–
गुरु तेगबहादुर सिखों के नवें गुरू थे।
गुरू तेगबहादुर को ‘हिन्द की चादर’ कहा जाता है।
गुरु तेगबहादुर का जन्म अप्रैल, 1621 को श्री अमृतसर साहब में हुआ।
इनके पिता गुरु हरगोविन्द साहब तथा माता नानकी जी थी।
उन्होंने अपना निवास स्थान आनन्दपुर में बनाया।
गुरु तेगबहादुर ने जयपुर के राजा रामसिंह के साथ असम के अभियान में गये
किन्तु औरंगजेब की धार्मिक उत्पीड़न की नीति उन्हें रास न आई।
औरंगजेब की सिखों के गुरुद्वारों को नष्ट करने तथा मसन्दों को शहर से बाहर निकालने की नीति का विरोध किया
औरंगजेब ने गुरू तेगबहादुर को कैद करके दिल्ली लाया गया।
गुरू तेगबहादुर को इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेने को कहा गया, किन्तु उन्होंने इंकार कर दिया।
दिसम्बर, 1675 ई. में गुरू तेगबहादुर को घोर यातना देने के बाद उन्हें मार डाला गया ।
Incorrect
व्याख्या-
गुरु तेगबहादुर–
गुरु तेगबहादुर सिखों के नवें गुरू थे।
गुरू तेगबहादुर को ‘हिन्द की चादर’ कहा जाता है।
गुरु तेगबहादुर का जन्म अप्रैल, 1621 को श्री अमृतसर साहब में हुआ।
इनके पिता गुरु हरगोविन्द साहब तथा माता नानकी जी थी।
उन्होंने अपना निवास स्थान आनन्दपुर में बनाया।
गुरु तेगबहादुर ने जयपुर के राजा रामसिंह के साथ असम के अभियान में गये
किन्तु औरंगजेब की धार्मिक उत्पीड़न की नीति उन्हें रास न आई।
औरंगजेब की सिखों के गुरुद्वारों को नष्ट करने तथा मसन्दों को शहर से बाहर निकालने की नीति का विरोध किया
औरंगजेब ने गुरू तेगबहादुर को कैद करके दिल्ली लाया गया।
गुरू तेगबहादुर को इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेने को कहा गया, किन्तु उन्होंने इंकार कर दिया।
दिसम्बर, 1675 ई. में गुरू तेगबहादुर को घोर यातना देने के बाद उन्हें मार डाला गया ।
Unattempted
व्याख्या-
गुरु तेगबहादुर–
गुरु तेगबहादुर सिखों के नवें गुरू थे।
गुरू तेगबहादुर को ‘हिन्द की चादर’ कहा जाता है।
गुरु तेगबहादुर का जन्म अप्रैल, 1621 को श्री अमृतसर साहब में हुआ।
इनके पिता गुरु हरगोविन्द साहब तथा माता नानकी जी थी।
उन्होंने अपना निवास स्थान आनन्दपुर में बनाया।
गुरु तेगबहादुर ने जयपुर के राजा रामसिंह के साथ असम के अभियान में गये
किन्तु औरंगजेब की धार्मिक उत्पीड़न की नीति उन्हें रास न आई।
औरंगजेब की सिखों के गुरुद्वारों को नष्ट करने तथा मसन्दों को शहर से बाहर निकालने की नीति का विरोध किया
औरंगजेब ने गुरू तेगबहादुर को कैद करके दिल्ली लाया गया।
गुरू तेगबहादुर को इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेने को कहा गया, किन्तु उन्होंने इंकार कर दिया।
दिसम्बर, 1675 ई. में गुरू तेगबहादुर को घोर यातना देने के बाद उन्हें मार डाला गया ।
Question 22 of 40
22. Question
1 points
मुगलों के लिए कौन एक समस्या था
Correct
व्याख्या-
दुर्गादास, बंदाबहादुर तथा अहमदशाह अब्दाली तीनों मुगलों के लिए समस्या बन गये थे।
दुर्गादास-
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
दुर्गादास ने अजीतसिंह को मारवाड़ का शासक बनाया
बंदाबहादुर-
बंदाबहादुर अंतिम सिख गुरु गोविन्द सिंह का शिष्य था।
बंदाबहादुर ने गोविन्दसिंह की मृत्यु के बाद उसने 1708 में सिखों का नेतृत्व संभाला किया
बंदाबहादुर ने सरहिंद के फौजदार वजीर खाँ पर आक्रमण करके उसे समाप्त कर दिया।
बंदाबहादुर ने यमुना व सतलज के प्रदेश पर अधिकार करके अपने नाम के सिक्के चलाये
बंदाबहादुर ने लोहगढ़ पर अधिकार करके उसे शक्ति का केन्द्र बनाया
फर्रुखसियर के शासनकाल में बन्दा पकड़ कर मार दिया गया।
Incorrect
व्याख्या-
दुर्गादास, बंदाबहादुर तथा अहमदशाह अब्दाली तीनों मुगलों के लिए समस्या बन गये थे।
दुर्गादास-
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
दुर्गादास ने अजीतसिंह को मारवाड़ का शासक बनाया
बंदाबहादुर-
बंदाबहादुर अंतिम सिख गुरु गोविन्द सिंह का शिष्य था।
बंदाबहादुर ने गोविन्दसिंह की मृत्यु के बाद उसने 1708 में सिखों का नेतृत्व संभाला किया
बंदाबहादुर ने सरहिंद के फौजदार वजीर खाँ पर आक्रमण करके उसे समाप्त कर दिया।
बंदाबहादुर ने यमुना व सतलज के प्रदेश पर अधिकार करके अपने नाम के सिक्के चलाये
बंदाबहादुर ने लोहगढ़ पर अधिकार करके उसे शक्ति का केन्द्र बनाया
फर्रुखसियर के शासनकाल में बन्दा पकड़ कर मार दिया गया।
Unattempted
व्याख्या-
दुर्गादास, बंदाबहादुर तथा अहमदशाह अब्दाली तीनों मुगलों के लिए समस्या बन गये थे।
दुर्गादास-
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
दुर्गादास ने अजीतसिंह को मारवाड़ का शासक बनाया
बंदाबहादुर-
बंदाबहादुर अंतिम सिख गुरु गोविन्द सिंह का शिष्य था।
बंदाबहादुर ने गोविन्दसिंह की मृत्यु के बाद उसने 1708 में सिखों का नेतृत्व संभाला किया
बंदाबहादुर ने सरहिंद के फौजदार वजीर खाँ पर आक्रमण करके उसे समाप्त कर दिया।
बंदाबहादुर ने यमुना व सतलज के प्रदेश पर अधिकार करके अपने नाम के सिक्के चलाये
बंदाबहादुर ने लोहगढ़ पर अधिकार करके उसे शक्ति का केन्द्र बनाया
फर्रुखसियर के शासनकाल में बन्दा पकड़ कर मार दिया गया।
Question 23 of 40
23. Question
1 points
किस जैन आचार्य को मुगल दरबार में “जगत-गुरू’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था
Correct
व्याख्या-
अकबर जैन धर्म से प्रभावित था।
1582 ई. में जैनाचार्य हीरविजय सूरी को जैन धर्म के सिद्धान्त समझाने के लिए दरबार बुलवाया था।
हीरविजय सूरी मुगल राजदरबार में दो वर्ष तक रहे।
अकबर ने हीरविजय सूरी को “जगतगुरु की उपाधि दी गई।
जैनाचार्य हीरविजय सूरी के ज्ञान, साधु स्वभाव से प्रभावित होकर अकबर ने कुछ दिनों के लिए स्वयं माँस-भक्षण करना बन्द कर दिया,
अकबर ने दरबार में पशु-पक्षियों के वध पर रोक लगा दी।
अबुल फजल ने अकबर के दरबार में सर्वोच्च 21 विद्वानों में हीरविजय सूरी का भी नाम मिलता है
अकबर ने 1591 ई. में खरतर-गच्छ सम्प्रदाय के जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरी को आमन्त्रित किया था
अकबर ने जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान’ की उपाधि प्रदान की।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर जैन धर्म से प्रभावित था।
1582 ई. में जैनाचार्य हीरविजय सूरी को जैन धर्म के सिद्धान्त समझाने के लिए दरबार बुलवाया था।
हीरविजय सूरी मुगल राजदरबार में दो वर्ष तक रहे।
अकबर ने हीरविजय सूरी को “जगतगुरु की उपाधि दी गई।
जैनाचार्य हीरविजय सूरी के ज्ञान, साधु स्वभाव से प्रभावित होकर अकबर ने कुछ दिनों के लिए स्वयं माँस-भक्षण करना बन्द कर दिया,
अकबर ने दरबार में पशु-पक्षियों के वध पर रोक लगा दी।
अबुल फजल ने अकबर के दरबार में सर्वोच्च 21 विद्वानों में हीरविजय सूरी का भी नाम मिलता है
अकबर ने 1591 ई. में खरतर-गच्छ सम्प्रदाय के जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरी को आमन्त्रित किया था
अकबर ने जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान’ की उपाधि प्रदान की।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर जैन धर्म से प्रभावित था।
1582 ई. में जैनाचार्य हीरविजय सूरी को जैन धर्म के सिद्धान्त समझाने के लिए दरबार बुलवाया था।
हीरविजय सूरी मुगल राजदरबार में दो वर्ष तक रहे।
अकबर ने हीरविजय सूरी को “जगतगुरु की उपाधि दी गई।
जैनाचार्य हीरविजय सूरी के ज्ञान, साधु स्वभाव से प्रभावित होकर अकबर ने कुछ दिनों के लिए स्वयं माँस-भक्षण करना बन्द कर दिया,
अकबर ने दरबार में पशु-पक्षियों के वध पर रोक लगा दी।
अबुल फजल ने अकबर के दरबार में सर्वोच्च 21 विद्वानों में हीरविजय सूरी का भी नाम मिलता है
अकबर ने 1591 ई. में खरतर-गच्छ सम्प्रदाय के जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरी को आमन्त्रित किया था
अकबर ने जिनचन्द्र सूरी को ‘युग प्रधान’ की उपाधि प्रदान की।
Question 24 of 40
24. Question
1 points
किस किले को मुगलों ने दीर्घकाल तक शाही कारागार के रूप में उपयोग किया
Correct
व्याख्या-
मध्यप्रदेश में स्थित ग्वालियर किले को मुगलों ने दीर्घकाल तक शाही कारागार के रूप में उपयोग किया।
अंग्रेज यात्री विलियम फिच,ने ग्वालियर, रणथम्भौर और रोहतास की राजकीय जेलों के बारे में जानकारी दी है।
विलियम फिच के अनुसार रोहतास की जेल में आजीवन कारावास की सजा वाले कैदियों को रखा जाता था।
विलियम फिच के अनुसार जिन कैदियों को दो महीने में ही मौत की सजा देनी होती थी, उन्हें रणथम्भौर की जेल में रखा जाता था।
सरदारो और राजकुमार जो राजद्रोह के अपराधी होते थे, उन्हें देश के विभिन्न भागों में किलों के अन्दर कैद किया जाता है।
मुगलकाल में कारागार दो प्रकार के होते थे-
एक तो ऊँची स्थिति के बन्दियों के लिए
दूसरा साधारण अपराधियों के लिए।
Incorrect
व्याख्या-
मध्यप्रदेश में स्थित ग्वालियर किले को मुगलों ने दीर्घकाल तक शाही कारागार के रूप में उपयोग किया।
अंग्रेज यात्री विलियम फिच,ने ग्वालियर, रणथम्भौर और रोहतास की राजकीय जेलों के बारे में जानकारी दी है।
विलियम फिच के अनुसार रोहतास की जेल में आजीवन कारावास की सजा वाले कैदियों को रखा जाता था।
विलियम फिच के अनुसार जिन कैदियों को दो महीने में ही मौत की सजा देनी होती थी, उन्हें रणथम्भौर की जेल में रखा जाता था।
सरदारो और राजकुमार जो राजद्रोह के अपराधी होते थे, उन्हें देश के विभिन्न भागों में किलों के अन्दर कैद किया जाता है।
मुगलकाल में कारागार दो प्रकार के होते थे-
एक तो ऊँची स्थिति के बन्दियों के लिए
दूसरा साधारण अपराधियों के लिए।
Unattempted
व्याख्या-
मध्यप्रदेश में स्थित ग्वालियर किले को मुगलों ने दीर्घकाल तक शाही कारागार के रूप में उपयोग किया।
अंग्रेज यात्री विलियम फिच,ने ग्वालियर, रणथम्भौर और रोहतास की राजकीय जेलों के बारे में जानकारी दी है।
विलियम फिच के अनुसार रोहतास की जेल में आजीवन कारावास की सजा वाले कैदियों को रखा जाता था।
विलियम फिच के अनुसार जिन कैदियों को दो महीने में ही मौत की सजा देनी होती थी, उन्हें रणथम्भौर की जेल में रखा जाता था।
सरदारो और राजकुमार जो राजद्रोह के अपराधी होते थे, उन्हें देश के विभिन्न भागों में किलों के अन्दर कैद किया जाता है।
मुगलकाल में कारागार दो प्रकार के होते थे-
एक तो ऊँची स्थिति के बन्दियों के लिए
दूसरा साधारण अपराधियों के लिए।
Question 25 of 40
25. Question
1 points
दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक कौन था?
Correct
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Incorrect
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Unattempted
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Question 26 of 40
26. Question
1 points
दिल्ली पर पुनः अधिकार के बाद हुमायूँ दुबारा कितने दिनों तक शासन किया
Correct
व्याख्या-
हुमायूँ को कन्नौज अथवा बिलग्राम के युद्ध (17 मई, 1540 ई.) में पराजित कर दिल्ली पर शेरखाँ अधिकार लिया।
हुमायूँ ने ईरान में जाकर शरण ली।
ईरान के शाह की सहायता प्राप्त के उद्देश्य से हुमायूँ ने शिया मत भी स्वीकार किया।
हुमायूँ ने ईरान में प्रवास के दौरान ही उसने कंधार (जो उसके भाई अस्करी के अधिकार में था) तथा काबुल पर अधिकार कर लिया।
भारत में शेरशाह की मृत्यु के बाद योग्य उत्तराधिकारियों के अभाव में सुर-साम्राज्य का विघटन प्रारम्भ हो गया था।
मच्छीवारा का युद्ध (15 मई 1555 ई0):-
यह स्थान सतलज नदी के किनारे स्थित था,
हुमायूँ एवं अफगान सरदार नसीब खाँ के बीच युद्ध हुआ।
सम्पूर्ण पंजाब मुगलों के अधीन आ गया।
सरहिन्द का युद्ध (22 जून 1555):-
अफगान सेनापति सुल्तान सिकन्दर सूर एवं मुगल सेनापति बैरम खाँ के बीच युद्ध।
मुगलों को विजय प्राप्ति हुई।
23 जुलाई 1555 ई0 को हुमायूँ दिल्ली की गद्दी पर पुनः आसीन हुआ।
दिल्ली पर पुनः अधिकार के बाद हुमायूँ दुबारा छः माह तक शासन किया
जनवरी 1556 ई0 में दीनपनाह भवन में अपने पुस्तकालय की सीढि़यों से गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
लेनपूल ने लिखा है ’’वैसे हुमायूँ का अर्थ है भाग्यवान परन्तु वह जिन्दगी भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते ही उसकी मृत्यु हो गई’’
Incorrect
व्याख्या-
हुमायूँ को कन्नौज अथवा बिलग्राम के युद्ध (17 मई, 1540 ई.) में पराजित कर दिल्ली पर शेरखाँ अधिकार लिया।
हुमायूँ ने ईरान में जाकर शरण ली।
ईरान के शाह की सहायता प्राप्त के उद्देश्य से हुमायूँ ने शिया मत भी स्वीकार किया।
हुमायूँ ने ईरान में प्रवास के दौरान ही उसने कंधार (जो उसके भाई अस्करी के अधिकार में था) तथा काबुल पर अधिकार कर लिया।
भारत में शेरशाह की मृत्यु के बाद योग्य उत्तराधिकारियों के अभाव में सुर-साम्राज्य का विघटन प्रारम्भ हो गया था।
मच्छीवारा का युद्ध (15 मई 1555 ई0):-
यह स्थान सतलज नदी के किनारे स्थित था,
हुमायूँ एवं अफगान सरदार नसीब खाँ के बीच युद्ध हुआ।
सम्पूर्ण पंजाब मुगलों के अधीन आ गया।
सरहिन्द का युद्ध (22 जून 1555):-
अफगान सेनापति सुल्तान सिकन्दर सूर एवं मुगल सेनापति बैरम खाँ के बीच युद्ध।
मुगलों को विजय प्राप्ति हुई।
23 जुलाई 1555 ई0 को हुमायूँ दिल्ली की गद्दी पर पुनः आसीन हुआ।
दिल्ली पर पुनः अधिकार के बाद हुमायूँ दुबारा छः माह तक शासन किया
जनवरी 1556 ई0 में दीनपनाह भवन में अपने पुस्तकालय की सीढि़यों से गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
लेनपूल ने लिखा है ’’वैसे हुमायूँ का अर्थ है भाग्यवान परन्तु वह जिन्दगी भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते ही उसकी मृत्यु हो गई’’
Unattempted
व्याख्या-
हुमायूँ को कन्नौज अथवा बिलग्राम के युद्ध (17 मई, 1540 ई.) में पराजित कर दिल्ली पर शेरखाँ अधिकार लिया।
हुमायूँ ने ईरान में जाकर शरण ली।
ईरान के शाह की सहायता प्राप्त के उद्देश्य से हुमायूँ ने शिया मत भी स्वीकार किया।
हुमायूँ ने ईरान में प्रवास के दौरान ही उसने कंधार (जो उसके भाई अस्करी के अधिकार में था) तथा काबुल पर अधिकार कर लिया।
भारत में शेरशाह की मृत्यु के बाद योग्य उत्तराधिकारियों के अभाव में सुर-साम्राज्य का विघटन प्रारम्भ हो गया था।
मच्छीवारा का युद्ध (15 मई 1555 ई0):-
यह स्थान सतलज नदी के किनारे स्थित था,
हुमायूँ एवं अफगान सरदार नसीब खाँ के बीच युद्ध हुआ।
सम्पूर्ण पंजाब मुगलों के अधीन आ गया।
सरहिन्द का युद्ध (22 जून 1555):-
अफगान सेनापति सुल्तान सिकन्दर सूर एवं मुगल सेनापति बैरम खाँ के बीच युद्ध।
मुगलों को विजय प्राप्ति हुई।
23 जुलाई 1555 ई0 को हुमायूँ दिल्ली की गद्दी पर पुनः आसीन हुआ।
दिल्ली पर पुनः अधिकार के बाद हुमायूँ दुबारा छः माह तक शासन किया
जनवरी 1556 ई0 में दीनपनाह भवन में अपने पुस्तकालय की सीढि़यों से गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
लेनपूल ने लिखा है ’’वैसे हुमायूँ का अर्थ है भाग्यवान परन्तु वह जिन्दगी भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते ही उसकी मृत्यु हो गई’’
Question 27 of 40
27. Question
1 points
राजतिलक के समय अकबर की आयु क्या थी
Correct
व्याख्या-
अकबर-
जन्मः-15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में ।
माँ का नाम:– हमीदा बानो बेगम (सिन्ध के पास)
1551 में 9 वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली।
राज्याभिषेक:- कलानौर (पंजाब) 14 फरवरी 1556 को
राजतिलक के समय अकबर की आयु लगभग 13 वर्ष 6 माह थी।
संरक्षक:- बैरम खाँ
बैरम खाँ:– यह सिया मतावलम्बी था तथा अकबर के समय वकील के पद पर था। अकबर का संरक्षक भी यह था।
हेमू:-यह सूर शाासक आदिल शाह का प्रधानमंत्री था जो वैश्य जाति का था। 24 युद्धों में से 22 को जीतने का इसे श्रेय प्राप्त था। इसी कारण इसे आदिलशाह ने विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की थी। यह मध्य युगीन भारत का पहला और अन्तिम हिन्दू महान शासक हुआ जो दिल्ली की गद्दी पर आरुढ़ हुआ।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवम्बर 1556):- हेमू के नेतृत्व में अफगान सेना एवं बैरम खाँ के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच
Incorrect
व्याख्या-
अकबर-
जन्मः-15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में ।
माँ का नाम:– हमीदा बानो बेगम (सिन्ध के पास)
1551 में 9 वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली।
राज्याभिषेक:- कलानौर (पंजाब) 14 फरवरी 1556 को
राजतिलक के समय अकबर की आयु लगभग 13 वर्ष 6 माह थी।
संरक्षक:- बैरम खाँ
बैरम खाँ:– यह सिया मतावलम्बी था तथा अकबर के समय वकील के पद पर था। अकबर का संरक्षक भी यह था।
हेमू:-यह सूर शाासक आदिल शाह का प्रधानमंत्री था जो वैश्य जाति का था। 24 युद्धों में से 22 को जीतने का इसे श्रेय प्राप्त था। इसी कारण इसे आदिलशाह ने विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की थी। यह मध्य युगीन भारत का पहला और अन्तिम हिन्दू महान शासक हुआ जो दिल्ली की गद्दी पर आरुढ़ हुआ।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवम्बर 1556):- हेमू के नेतृत्व में अफगान सेना एवं बैरम खाँ के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच
Unattempted
व्याख्या-
अकबर-
जन्मः-15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में ।
माँ का नाम:– हमीदा बानो बेगम (सिन्ध के पास)
1551 में 9 वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली।
राज्याभिषेक:- कलानौर (पंजाब) 14 फरवरी 1556 को
राजतिलक के समय अकबर की आयु लगभग 13 वर्ष 6 माह थी।
संरक्षक:- बैरम खाँ
बैरम खाँ:– यह सिया मतावलम्बी था तथा अकबर के समय वकील के पद पर था। अकबर का संरक्षक भी यह था।
हेमू:-यह सूर शाासक आदिल शाह का प्रधानमंत्री था जो वैश्य जाति का था। 24 युद्धों में से 22 को जीतने का इसे श्रेय प्राप्त था। इसी कारण इसे आदिलशाह ने विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की थी। यह मध्य युगीन भारत का पहला और अन्तिम हिन्दू महान शासक हुआ जो दिल्ली की गद्दी पर आरुढ़ हुआ।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवम्बर 1556):- हेमू के नेतृत्व में अफगान सेना एवं बैरम खाँ के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच
Question 28 of 40
28. Question
1 points
उत्तराधिकार की लड़ाई में दाराशिकोह की अंतिम हार किस लड़ाई में हुई-
Correct
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
उत्तराधिकार की लड़ाई में दाराशिकोह की यह अंतिम हार थी
औरंगजेब ने दाराशिकोह को बंदी बनाकर 24 अगस्त, 1659 ई. को दिल्ली लाया गया और बहुत ही अपमान जनक मौत दी गई।
बर्नियर ने इस शर्मनाक हत्या का का वर्णन करते हए लिखा है, ‘मैने चारों ओर दारा के दुर्भाग्य पर रोते और चीखते हुए लोगों की देखा। वे हृदय विदारक भाषा उसके दुर्भाग्य को प्रकट कर रहे थे।
Incorrect
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
उत्तराधिकार की लड़ाई में दाराशिकोह की यह अंतिम हार थी
औरंगजेब ने दाराशिकोह को बंदी बनाकर 24 अगस्त, 1659 ई. को दिल्ली लाया गया और बहुत ही अपमान जनक मौत दी गई।
बर्नियर ने इस शर्मनाक हत्या का का वर्णन करते हए लिखा है, ‘मैने चारों ओर दारा के दुर्भाग्य पर रोते और चीखते हुए लोगों की देखा। वे हृदय विदारक भाषा उसके दुर्भाग्य को प्रकट कर रहे थे।
Unattempted
व्याख्या-
सामूगढ़ का युद्ध-
धरमत के युद्ध में शाही सेना के पराजय की सूचना मिलने पर दाराशिकोह एक विशाल सेना लेकर आगरे के दुर्ग से आठ मील पूरब सामूगढ़ पहुँच गया। औरंगजेब और मुरादबख्श की संयुक्त सेनाओं ने सामूगढ़ के मैदान में 29 मई 1658 ई. को दाराशिकोह की शाही सेना को पराजित कर दिया।
देवराई का युद्ध-
दाराशिकोह औरंगजेब द्वारा आगरे की विजय करने और शाहजहाँ के बंदी बनाये जाने के बाद दिल्ली से लाहौर होता हुआ गुजरात पहुँच गया। दाराशिकोह को जसवंत सिंह ने, जिसे औरंगजेब ने पहले ही अपने पक्ष में कर लिया था, सहायता देने का वादा करके अजमेर की ओर बढ़ने के लिए बुलाया, किंतु राजपूत नायक अपने वादों से मुकर गया। फलतः दाराशिकोह को औरंगजेब के साथ देवराई की घाटी में तीन दिनों तक (12-14 अप्रैल, 1659 ई.) युद्ध करना पड़ा।
उत्तराधिकार की लड़ाई में दाराशिकोह की यह अंतिम हार थी
औरंगजेब ने दाराशिकोह को बंदी बनाकर 24 अगस्त, 1659 ई. को दिल्ली लाया गया और बहुत ही अपमान जनक मौत दी गई।
बर्नियर ने इस शर्मनाक हत्या का का वर्णन करते हए लिखा है, ‘मैने चारों ओर दारा के दुर्भाग्य पर रोते और चीखते हुए लोगों की देखा। वे हृदय विदारक भाषा उसके दुर्भाग्य को प्रकट कर रहे थे।
Question 29 of 40
29. Question
1 points
औरंगजेय के विरूद्ध किस विद्रोह में राजनीतिक अधिक कृषकों की पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण थी-.
Correct
व्याख्या-
सतनामी विद्रोह (1672)
सतनामी वैरागियों का पंथ था।
सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:- नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
सतनामीयो का विद्रोह 1672 ई. में में प्रारम्भ हआ।
एक सतनामी कृषक का अपने खेत पर मक्का के ढेर की चौकसी करते हुए एक प्यादे से कुछ विवाद हो कारण उस प्यादे की हत्या कर दी।
सतनामियों ने नारनोल पर अधिकार करके वहाँ के कृषकों से कर वसूलना भी.प्रारम्भ कर दिया।
औरंगजेब ने रदन्दाज. खाँ, हमीद खाँ तथा. राजा बिशन सिंह कछवाहा को सतनामियों विद्रोह दबाने के लिए भेजा ।
खफी खाँ के अनुसार- सतनामी सम्प्रदाय के अधिकांश लोग साधुओं जैसा वेश धारण करते थे।
मासीर-ए-आलमगीरी के लेखक के अनुसार-
युद्ध की आवश्यक सामग्री की कमी होते हुए भी उन्होंने महाभारत की महान लड़ाई का सा दृश्य प्रस्तुत किया।
मासीर-ए-आलमगीरी का लेखक –साकी मुस्तैद खान
Incorrect
व्याख्या-
सतनामी विद्रोह (1672)
सतनामी वैरागियों का पंथ था।
सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:- नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
सतनामीयो का विद्रोह 1672 ई. में में प्रारम्भ हआ।
एक सतनामी कृषक का अपने खेत पर मक्का के ढेर की चौकसी करते हुए एक प्यादे से कुछ विवाद हो कारण उस प्यादे की हत्या कर दी।
सतनामियों ने नारनोल पर अधिकार करके वहाँ के कृषकों से कर वसूलना भी.प्रारम्भ कर दिया।
औरंगजेब ने रदन्दाज. खाँ, हमीद खाँ तथा. राजा बिशन सिंह कछवाहा को सतनामियों विद्रोह दबाने के लिए भेजा ।
खफी खाँ के अनुसार- सतनामी सम्प्रदाय के अधिकांश लोग साधुओं जैसा वेश धारण करते थे।
मासीर-ए-आलमगीरी के लेखक के अनुसार-
युद्ध की आवश्यक सामग्री की कमी होते हुए भी उन्होंने महाभारत की महान लड़ाई का सा दृश्य प्रस्तुत किया।
मासीर-ए-आलमगीरी का लेखक –साकी मुस्तैद खान
Unattempted
व्याख्या-
सतनामी विद्रोह (1672)
सतनामी वैरागियों का पंथ था।
सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:- नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
सतनामीयो का विद्रोह 1672 ई. में में प्रारम्भ हआ।
एक सतनामी कृषक का अपने खेत पर मक्का के ढेर की चौकसी करते हुए एक प्यादे से कुछ विवाद हो कारण उस प्यादे की हत्या कर दी।
सतनामियों ने नारनोल पर अधिकार करके वहाँ के कृषकों से कर वसूलना भी.प्रारम्भ कर दिया।
औरंगजेब ने रदन्दाज. खाँ, हमीद खाँ तथा. राजा बिशन सिंह कछवाहा को सतनामियों विद्रोह दबाने के लिए भेजा ।
खफी खाँ के अनुसार- सतनामी सम्प्रदाय के अधिकांश लोग साधुओं जैसा वेश धारण करते थे।
मासीर-ए-आलमगीरी के लेखक के अनुसार-
युद्ध की आवश्यक सामग्री की कमी होते हुए भी उन्होंने महाभारत की महान लड़ाई का सा दृश्य प्रस्तुत किया।
मासीर-ए-आलमगीरी का लेखक –साकी मुस्तैद खान
Question 30 of 40
30. Question
1 points
कौन सा मुगल सम्राट कुशल वीणावादक था-
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब-
उपाधि:-जिन्दा पीर एवं शाही दरवेश
औरंगजेब एक कुशल वीणावादक था।
जन्मः-1618ई0 में उज्जैन के निकट
माँ का नाम:-मुमताज महल
बचपन:-अधिकांश समय नूरजहाँ के पास
विवाह:-दिलरास बानो बेगम के साथ।
दक्षिण का सूबेदार-दो बार-1636-44, एवं 1652-57
इसके अतिरिक्त गुजरात, मुल्तान एवं सिन्ध का गर्वनर भी रह चुका था।
राज्याभिषेक-दो बार-सामूगढ़ के युद्ध के बाद 1658 में आगरा में एवं देवराई के युद्ध के बाद 1659 में दिल्ली में।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):– यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब-
उपाधि:-जिन्दा पीर एवं शाही दरवेश
औरंगजेब एक कुशल वीणावादक था।
जन्मः-1618ई0 में उज्जैन के निकट
माँ का नाम:-मुमताज महल
बचपन:-अधिकांश समय नूरजहाँ के पास
विवाह:-दिलरास बानो बेगम के साथ।
दक्षिण का सूबेदार-दो बार-1636-44, एवं 1652-57
इसके अतिरिक्त गुजरात, मुल्तान एवं सिन्ध का गर्वनर भी रह चुका था।
राज्याभिषेक-दो बार-सामूगढ़ के युद्ध के बाद 1658 में आगरा में एवं देवराई के युद्ध के बाद 1659 में दिल्ली में।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):– यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब-
उपाधि:-जिन्दा पीर एवं शाही दरवेश
औरंगजेब एक कुशल वीणावादक था।
जन्मः-1618ई0 में उज्जैन के निकट
माँ का नाम:-मुमताज महल
बचपन:-अधिकांश समय नूरजहाँ के पास
विवाह:-दिलरास बानो बेगम के साथ।
दक्षिण का सूबेदार-दो बार-1636-44, एवं 1652-57
इसके अतिरिक्त गुजरात, मुल्तान एवं सिन्ध का गर्वनर भी रह चुका था।
राज्याभिषेक-दो बार-सामूगढ़ के युद्ध के बाद 1658 में आगरा में एवं देवराई के युद्ध के बाद 1659 में दिल्ली में।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):– यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
Question 31 of 40
31. Question
1 points
कुतुबुद्दीन और शेरशाह दोनों ने-
Correct
व्याख्या –
कुतुबुद्दीन ऐबक तथा शेरशाह दोनों ने संक्षिप्त काल तक शासन किया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से लेकर 1210 ईस्वी तक शासन किया।
शेरशाह ने 15410 से लेकर 1545 ईस्वी तक शासन किया।
Incorrect
व्याख्या –
कुतुबुद्दीन ऐबक तथा शेरशाह दोनों ने संक्षिप्त काल तक शासन किया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से लेकर 1210 ईस्वी तक शासन किया।
शेरशाह ने 15410 से लेकर 1545 ईस्वी तक शासन किया।
Unattempted
व्याख्या –
कुतुबुद्दीन ऐबक तथा शेरशाह दोनों ने संक्षिप्त काल तक शासन किया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से लेकर 1210 ईस्वी तक शासन किया।
शेरशाह ने 15410 से लेकर 1545 ईस्वी तक शासन किया।
Question 32 of 40
32. Question
1 points
निम्नलिखित में से एक गलत काथन पहचानिए
Correct
व्याख्या-
अकबर और जहाँगीर ने सम्पूर्ण दक्षिण पर विजय प्राप्त की यह कथन गलत है।
अकबर पहला शासक था. जिसने दक्षिण विजय की सुनिश्चित योजना बनायी
अकबर समूचे दक्षिण को वह अपने साम्राज्य में न मिला सका।
अकबर अपनी दक्षिण-विजय के उपरान्त ,बरार, अहमदनगर तथा खानदेश-तीन सूबों को विजित किया
अकबर नवविजित प्रदेश पूर्ण रूप से मुगल साम्राज्य में सम्मिलित नहीं करा सका
अकबर केवल बरार तथा खानदेश को विजित करके मुगल साम्राज्य में सम्मिलित किया
जहाँगीर ने अकबर की दक्षिण नीति का विस्तार कोशिश की किन्तु उसके शासन काल में दक्षिण में मुगल साम्राज्य का विस्तार नाम मात्र के लिए ही हो सका।
Incorrect
व्याख्या-
अकबर और जहाँगीर ने सम्पूर्ण दक्षिण पर विजय प्राप्त की यह कथन गलत है।
अकबर पहला शासक था. जिसने दक्षिण विजय की सुनिश्चित योजना बनायी
अकबर समूचे दक्षिण को वह अपने साम्राज्य में न मिला सका।
अकबर अपनी दक्षिण-विजय के उपरान्त ,बरार, अहमदनगर तथा खानदेश-तीन सूबों को विजित किया
अकबर नवविजित प्रदेश पूर्ण रूप से मुगल साम्राज्य में सम्मिलित नहीं करा सका
अकबर केवल बरार तथा खानदेश को विजित करके मुगल साम्राज्य में सम्मिलित किया
जहाँगीर ने अकबर की दक्षिण नीति का विस्तार कोशिश की किन्तु उसके शासन काल में दक्षिण में मुगल साम्राज्य का विस्तार नाम मात्र के लिए ही हो सका।
Unattempted
व्याख्या-
अकबर और जहाँगीर ने सम्पूर्ण दक्षिण पर विजय प्राप्त की यह कथन गलत है।
अकबर पहला शासक था. जिसने दक्षिण विजय की सुनिश्चित योजना बनायी
अकबर समूचे दक्षिण को वह अपने साम्राज्य में न मिला सका।
अकबर अपनी दक्षिण-विजय के उपरान्त ,बरार, अहमदनगर तथा खानदेश-तीन सूबों को विजित किया
अकबर नवविजित प्रदेश पूर्ण रूप से मुगल साम्राज्य में सम्मिलित नहीं करा सका
अकबर केवल बरार तथा खानदेश को विजित करके मुगल साम्राज्य में सम्मिलित किया
जहाँगीर ने अकबर की दक्षिण नीति का विस्तार कोशिश की किन्तु उसके शासन काल में दक्षिण में मुगल साम्राज्य का विस्तार नाम मात्र के लिए ही हो सका।
Question 33 of 40
33. Question
1 points
समूगढ़ की लड़ाई किसकी भाग्य-निर्णायक बनी
Correct
व्याख्या-
उत्तराधिकार के संघर्ष में कुल पाँच महत्वपूर्ण युद्ध हुए-
बहादुरपुर में (24 फरवरी 1658)
यह युद्ध शाहशुजा एवं दारा के लड़के शुलेमान शिकोह के बीच हुआ।
धरमत का युद्ध (25 अप्रैल 1658):-
उज्जैन के पास यह युद्ध दारा द्वारा भेजी गई सेना (जसवंत सिंह एवं कासिम खाँ) एवं औरंगजेब तथा मुराद के मिली जुली सेना के बीच। इसमें औरंगजेब की विजय हुई।
इस विजय के उपलक्ष्य में औरंगजेब ने फतेहाबाद नामक नगर की स्थापना की।
सामूगढ़ का युद्ध–
आगरा के पास (8 जून 1658):- दारा एवं औरंगजेब के बीच इस युद्ध में दारा की पराजय हुई यह एक निर्णायक युद्ध था
सामूगढ़ विजय के बाद औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 को आगरा में अपना राज्याभिषेक किया।
समूगढ़ की लड़ाई ने उत्तराधिकार युद्ध में दाराशिकोह के भाग्य का निर्धारण कर दिया
खजवा का युद्ध (1659):-
इलाहाबाद के निकट औरंगजेब ने शुजा को पराजित किया।
देवराई का युद्ध (अप्रैल 1659):-
अजमेर के पास दारा अन्तिम रूप से पराजित।
जून 1659 में औरंगजेब ने दूसरी बार राज्याभिषेक देवराई के युद्ध में सफलता के बाद दिल्ली में किया।
Incorrect
व्याख्या-
उत्तराधिकार के संघर्ष में कुल पाँच महत्वपूर्ण युद्ध हुए-
बहादुरपुर में (24 फरवरी 1658)
यह युद्ध शाहशुजा एवं दारा के लड़के शुलेमान शिकोह के बीच हुआ।
धरमत का युद्ध (25 अप्रैल 1658):-
उज्जैन के पास यह युद्ध दारा द्वारा भेजी गई सेना (जसवंत सिंह एवं कासिम खाँ) एवं औरंगजेब तथा मुराद के मिली जुली सेना के बीच। इसमें औरंगजेब की विजय हुई।
इस विजय के उपलक्ष्य में औरंगजेब ने फतेहाबाद नामक नगर की स्थापना की।
सामूगढ़ का युद्ध–
आगरा के पास (8 जून 1658):- दारा एवं औरंगजेब के बीच इस युद्ध में दारा की पराजय हुई यह एक निर्णायक युद्ध था
सामूगढ़ विजय के बाद औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 को आगरा में अपना राज्याभिषेक किया।
समूगढ़ की लड़ाई ने उत्तराधिकार युद्ध में दाराशिकोह के भाग्य का निर्धारण कर दिया
खजवा का युद्ध (1659):-
इलाहाबाद के निकट औरंगजेब ने शुजा को पराजित किया।
देवराई का युद्ध (अप्रैल 1659):-
अजमेर के पास दारा अन्तिम रूप से पराजित।
जून 1659 में औरंगजेब ने दूसरी बार राज्याभिषेक देवराई के युद्ध में सफलता के बाद दिल्ली में किया।
Unattempted
व्याख्या-
उत्तराधिकार के संघर्ष में कुल पाँच महत्वपूर्ण युद्ध हुए-
बहादुरपुर में (24 फरवरी 1658)
यह युद्ध शाहशुजा एवं दारा के लड़के शुलेमान शिकोह के बीच हुआ।
धरमत का युद्ध (25 अप्रैल 1658):-
उज्जैन के पास यह युद्ध दारा द्वारा भेजी गई सेना (जसवंत सिंह एवं कासिम खाँ) एवं औरंगजेब तथा मुराद के मिली जुली सेना के बीच। इसमें औरंगजेब की विजय हुई।
इस विजय के उपलक्ष्य में औरंगजेब ने फतेहाबाद नामक नगर की स्थापना की।
सामूगढ़ का युद्ध–
आगरा के पास (8 जून 1658):- दारा एवं औरंगजेब के बीच इस युद्ध में दारा की पराजय हुई यह एक निर्णायक युद्ध था
सामूगढ़ विजय के बाद औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 को आगरा में अपना राज्याभिषेक किया।
समूगढ़ की लड़ाई ने उत्तराधिकार युद्ध में दाराशिकोह के भाग्य का निर्धारण कर दिया
खजवा का युद्ध (1659):-
इलाहाबाद के निकट औरंगजेब ने शुजा को पराजित किया।
देवराई का युद्ध (अप्रैल 1659):-
अजमेर के पास दारा अन्तिम रूप से पराजित।
जून 1659 में औरंगजेब ने दूसरी बार राज्याभिषेक देवराई के युद्ध में सफलता के बाद दिल्ली में किया।
Question 34 of 40
34. Question
1 points
औरंगजेब के बारे में एक गलत कथन पहचानिए-
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब-
औरंगजेब की उत्तर पश्चिम सीमान्त नीति सफल रही
औरंगजेब ने अपने दरबार में संगीत बंद किया
औरंगजेब ने दक्षिण को अपने अधिकार में लिया
औरंगजेब की धार्मिक नीति कट्टर थी
औरंगजेब के समय प्रमुख विद्रोह
1. जाट-विद्रोह (1669):-
नेतृत्व करता तिरुपति का जमींदार गोकुल, क्षेत्र-मथुरा, भरतपुर दिल्ली।
तिरुपति के जमींदार गोकुला ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया इस विद्रोह में मुगल सेनापति अब्दुल नवी मारा गया। बाद में मुगल फौजदार हसन अली खाँ ने गोकुला को मार डाला।
1686 में जाटों ने पुनः विद्रोह कर दिया इस बार नेतृत्व की बागडोर राजाराम एवं रामचिरा ने सम्भाली राजाराम ने मुगल सेनापति युगीर खाँ की हत्या कर दी तथा 1688 ई0 में अकबर के मकबरे में लूटपाट की। मनूची ने लिखा है कि ’’राजाराम ने अकबर के मकबरे को खोदकर जला दिया’’। औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर नरेश विशन सिंह ने राजाराम को मार डाला।
2. सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:-
नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
3. अकबर ii का विद्रोह:-
अकबर ii औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब-
औरंगजेब की उत्तर पश्चिम सीमान्त नीति सफल रही
औरंगजेब ने अपने दरबार में संगीत बंद किया
औरंगजेब ने दक्षिण को अपने अधिकार में लिया
औरंगजेब की धार्मिक नीति कट्टर थी
औरंगजेब के समय प्रमुख विद्रोह
1. जाट-विद्रोह (1669):-
नेतृत्व करता तिरुपति का जमींदार गोकुल, क्षेत्र-मथुरा, भरतपुर दिल्ली।
तिरुपति के जमींदार गोकुला ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया इस विद्रोह में मुगल सेनापति अब्दुल नवी मारा गया। बाद में मुगल फौजदार हसन अली खाँ ने गोकुला को मार डाला।
1686 में जाटों ने पुनः विद्रोह कर दिया इस बार नेतृत्व की बागडोर राजाराम एवं रामचिरा ने सम्भाली राजाराम ने मुगल सेनापति युगीर खाँ की हत्या कर दी तथा 1688 ई0 में अकबर के मकबरे में लूटपाट की। मनूची ने लिखा है कि ’’राजाराम ने अकबर के मकबरे को खोदकर जला दिया’’। औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर नरेश विशन सिंह ने राजाराम को मार डाला।
2. सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:-
नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
3. अकबर ii का विद्रोह:-
अकबर ii औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब-
औरंगजेब की उत्तर पश्चिम सीमान्त नीति सफल रही
औरंगजेब ने अपने दरबार में संगीत बंद किया
औरंगजेब ने दक्षिण को अपने अधिकार में लिया
औरंगजेब की धार्मिक नीति कट्टर थी
औरंगजेब के समय प्रमुख विद्रोह
1. जाट-विद्रोह (1669):-
नेतृत्व करता तिरुपति का जमींदार गोकुल, क्षेत्र-मथुरा, भरतपुर दिल्ली।
तिरुपति के जमींदार गोकुला ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया इस विद्रोह में मुगल सेनापति अब्दुल नवी मारा गया। बाद में मुगल फौजदार हसन अली खाँ ने गोकुला को मार डाला।
1686 में जाटों ने पुनः विद्रोह कर दिया इस बार नेतृत्व की बागडोर राजाराम एवं रामचिरा ने सम्भाली राजाराम ने मुगल सेनापति युगीर खाँ की हत्या कर दी तथा 1688 ई0 में अकबर के मकबरे में लूटपाट की। मनूची ने लिखा है कि ’’राजाराम ने अकबर के मकबरे को खोदकर जला दिया’’। औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर नरेश विशन सिंह ने राजाराम को मार डाला।
2. सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:-
नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
3. अकबर ii का विद्रोह:-
अकबर ii औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया।
Question 35 of 40
35. Question
1 points
दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक कौन था-
Correct
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Incorrect
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Unattempted
व्याख्या-
हेमू ‘विक्रमादित्य-
हेमू का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में साल 1501 में हुआ था
वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू शासक था।
वह रेवाड़ी के बाजार में नमक बेचता था।
वह दिल्ली के अफगान शासक आदिलशाह सूर का वजीर और सेनापति बन गया।
मुगल शासक हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू ने आगरा व दिल्ली पर अधिकार कर उसने ‘विक्रमादित्य’ के नाम से अपने को स्वतंत्र शासक घोषित किया।
पानीपत का दूसरा युद्ध-
5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ, बैरम खां
अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खां कर रहा था
पानीपत की विजय के साथ दिल्ली में अकबर का शासन लागू हुआ और उसे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर की उपाधि से नवाजा गया
Question 36 of 40
36. Question
1 points
बाहादुर राजपूत सरदार जिसने मारवार को औरंगजेब द्वारा कब्ज़ा करने से बचाया , कौन था
Correct
व्याख्या-
दुर्गादास–
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
1708 ई में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसने अजीतसिंह की गददी पर बैठा दिया।
कर्नल टाड ने दुर्गादास को ‘ यूलिसीज’ कहा है।
Incorrect
व्याख्या-
दुर्गादास–
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
1708 ई में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसने अजीतसिंह की गददी पर बैठा दिया।
कर्नल टाड ने दुर्गादास को ‘ यूलिसीज’ कहा है।
Unattempted
व्याख्या-
दुर्गादास–
दुर्गादास मारवाड़ का विख्यात राठौड सरदार था।
दुर्गादास 1678 ई. में जमरुद (काबुल) अभियान में मारवाड़ के शासक जसवन्तसिंह के साथ था
जमरुद (काबुल) अभियान में जसवन्तसिंह मृत्यु होने के बाद दुर्गादास ने उनके पुत्र अजीतसिंह के पक्ष में मारवाड़ की ओर से औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया।
दुर्गादास ने औरंगजेब के पुत्र शहजादा अकबर को उगसाकर औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवाया।
1708 ई में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसने अजीतसिंह की गददी पर बैठा दिया।
कर्नल टाड ने दुर्गादास को ‘ यूलिसीज’ कहा है।
Question 37 of 40
37. Question
1 points
किस मुगल शासक के समय में मुगल साम्राज्य का विस्तार सबसे अधिक था
Correct
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में मुगल सामाज्य का विस्तार सबसे अधिक हुआ।
औरंगजेब सबसे कट्टर शासक था लेकिन सर्वाधिक हिन्दू सरदार 33 प्रतिशत इसी के काल में थे। शाहजहाँ के युग में इसके बाद हिन्दू सरदारों की संख्या 24 प्रतिशत थी।
औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। खाफीखाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।
औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था। इसी के समय में शिखों के गुरु तेग बहादुर को 1675 में फाँसी दे दी गई। शिवा जी के पुत्र शम्भा जी को भी 1689 में फाँसी दे दी गई।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):- यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
मृत्यु:- औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में 1707 ई0 में हुई। इसे दौलताबाद में मुस्लिम फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र में दफना दिया गया।
Incorrect
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में मुगल सामाज्य का विस्तार सबसे अधिक हुआ।
औरंगजेब सबसे कट्टर शासक था लेकिन सर्वाधिक हिन्दू सरदार 33 प्रतिशत इसी के काल में थे। शाहजहाँ के युग में इसके बाद हिन्दू सरदारों की संख्या 24 प्रतिशत थी।
औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। खाफीखाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।
औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था। इसी के समय में शिखों के गुरु तेग बहादुर को 1675 में फाँसी दे दी गई। शिवा जी के पुत्र शम्भा जी को भी 1689 में फाँसी दे दी गई।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):- यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
मृत्यु:- औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में 1707 ई0 में हुई। इसे दौलताबाद में मुस्लिम फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र में दफना दिया गया।
Unattempted
व्याख्या-
औरंगजेब के समय में मुगल सामाज्य का विस्तार सबसे अधिक हुआ।
औरंगजेब सबसे कट्टर शासक था लेकिन सर्वाधिक हिन्दू सरदार 33 प्रतिशत इसी के काल में थे। शाहजहाँ के युग में इसके बाद हिन्दू सरदारों की संख्या 24 प्रतिशत थी।
औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। खाफीखाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।
औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था। इसी के समय में शिखों के गुरु तेग बहादुर को 1675 में फाँसी दे दी गई। शिवा जी के पुत्र शम्भा जी को भी 1689 में फाँसी दे दी गई।
औरंगजेब की विजयें-
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):- यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
मृत्यु:- औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में 1707 ई0 में हुई। इसे दौलताबाद में मुस्लिम फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र में दफना दिया गया।
Question 38 of 40
38. Question
1 points
पानीपत के पश्चात् बाबर ने अफगानों को किस अन्य युद्ध में पराजित किया
Correct
व्याख्या-
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526) बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच
बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया उसके दो प्रसिद्ध तोपची उस्ताद अली और मुस्तफा थे।
बाबर ने अपने विजय का श्रेय अपने दोनों तोपचियों को दिया अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को दिया।
अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को एक-एक चाँदी के सिक्के उपहार में दिये इसी उदारता के कारण उसे कलन्दर की उपाधि दी गई।
घाघरा का युद्ध (6 मई 1529):-
इस युद्ध में बाबर ने अफगान प्रमुख महमूद लोदी को पराजित किया।
बाबर आगरा में बीमार पड़ा तथा 27 दिसम्बर 1530 ई0 को आगरा में ही उसकी मृत्यु हो गई उसके शव को आगरा के आराम बाग में रखा गया जिसे बाद में ले जाकर काबुल में दफना दिया गया।
पानीपत के पश्चात् बाबर ने अफगानों को घाघरा में पराजित किया
Incorrect
व्याख्या-
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526) बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच
बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया उसके दो प्रसिद्ध तोपची उस्ताद अली और मुस्तफा थे।
बाबर ने अपने विजय का श्रेय अपने दोनों तोपचियों को दिया अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को दिया।
अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को एक-एक चाँदी के सिक्के उपहार में दिये इसी उदारता के कारण उसे कलन्दर की उपाधि दी गई।
घाघरा का युद्ध (6 मई 1529):-
इस युद्ध में बाबर ने अफगान प्रमुख महमूद लोदी को पराजित किया।
बाबर आगरा में बीमार पड़ा तथा 27 दिसम्बर 1530 ई0 को आगरा में ही उसकी मृत्यु हो गई उसके शव को आगरा के आराम बाग में रखा गया जिसे बाद में ले जाकर काबुल में दफना दिया गया।
पानीपत के पश्चात् बाबर ने अफगानों को घाघरा में पराजित किया
Unattempted
व्याख्या-
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526) बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच
बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया उसके दो प्रसिद्ध तोपची उस्ताद अली और मुस्तफा थे।
बाबर ने अपने विजय का श्रेय अपने दोनों तोपचियों को दिया अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को दिया।
अपनी विजय के उपलब्ध में उसने काबूल निवासियों को एक-एक चाँदी के सिक्के उपहार में दिये इसी उदारता के कारण उसे कलन्दर की उपाधि दी गई।
घाघरा का युद्ध (6 मई 1529):-
इस युद्ध में बाबर ने अफगान प्रमुख महमूद लोदी को पराजित किया।
बाबर आगरा में बीमार पड़ा तथा 27 दिसम्बर 1530 ई0 को आगरा में ही उसकी मृत्यु हो गई उसके शव को आगरा के आराम बाग में रखा गया जिसे बाद में ले जाकर काबुल में दफना दिया गया।
पानीपत के पश्चात् बाबर ने अफगानों को घाघरा में पराजित किया
Question 39 of 40
39. Question
1 points
शेरशाह की किस विजय की नैतिक आधार पर सदैव आलोचना की जाती है
Correct
व्याख्या-
शेरशाह की रायसेन विजय की सदैव आलोचना की जाती है।
रायसेन के शासक पूरनमूल से असंतुष्ट कुछ मुसलमानों ने शेरशाह से शिकायत की।
1543 ई० में रायसीन पर आक्रमण कर विश्वासघात द्वारा वहां के राजपूत शासक का वध करवा दिया।
इस आक्रमण ने राजपूत स्त्रियों को अपना जौहर दिखाने पर मजबूर कर दिया।
यह घटना शेरशाह सूरी के चरित्र पर एक कलंक की तरह याद की जाती है।
उसके विश्वासघात की कहानी है और निश्चित रूप से रायसीन की विजय शेरशाह के व्यक्तित्व पर एक काला धब्बा है।
Incorrect
व्याख्या-
शेरशाह की रायसेन विजय की सदैव आलोचना की जाती है।
रायसेन के शासक पूरनमूल से असंतुष्ट कुछ मुसलमानों ने शेरशाह से शिकायत की।
1543 ई० में रायसीन पर आक्रमण कर विश्वासघात द्वारा वहां के राजपूत शासक का वध करवा दिया।
इस आक्रमण ने राजपूत स्त्रियों को अपना जौहर दिखाने पर मजबूर कर दिया।
यह घटना शेरशाह सूरी के चरित्र पर एक कलंक की तरह याद की जाती है।
उसके विश्वासघात की कहानी है और निश्चित रूप से रायसीन की विजय शेरशाह के व्यक्तित्व पर एक काला धब्बा है।
Unattempted
व्याख्या-
शेरशाह की रायसेन विजय की सदैव आलोचना की जाती है।
रायसेन के शासक पूरनमूल से असंतुष्ट कुछ मुसलमानों ने शेरशाह से शिकायत की।
1543 ई० में रायसीन पर आक्रमण कर विश्वासघात द्वारा वहां के राजपूत शासक का वध करवा दिया।
इस आक्रमण ने राजपूत स्त्रियों को अपना जौहर दिखाने पर मजबूर कर दिया।
यह घटना शेरशाह सूरी के चरित्र पर एक कलंक की तरह याद की जाती है।
उसके विश्वासघात की कहानी है और निश्चित रूप से रायसीन की विजय शेरशाह के व्यक्तित्व पर एक काला धब्बा है।
Question 40 of 40
40. Question
1 points
पुर्तगालियों के विरूद्ध शाहजहाँ ने किस नगर का घेरा किया
Correct
व्याख्या –
बंगाल में पुर्तगालियों को व्यापारिक सुविधा दी गयी थी
पुर्तगालियों ने भारतीयों को जबरदस्ती ईसाई बनाना प्रारम्भ कर दिया तथा समय-समय पर शाही भूमि और बाजारों में लूटमार करनी आरम्भ कर दी।
पुर्तगालियों की धार्मिक और राजनीतिक कारणों के साथ-साथ स्थानीय उपद्रवों की वजह से शाहजहाँ ने 1632 ई. में पुर्तगालियों को समाप्त करने का आदेश दे दिया
1632 में शाही सेना ने पुर्तगालियों की व्यापारिक बस्ती हुगली पर अधिकार कर लिया
Incorrect
व्याख्या –
बंगाल में पुर्तगालियों को व्यापारिक सुविधा दी गयी थी
पुर्तगालियों ने भारतीयों को जबरदस्ती ईसाई बनाना प्रारम्भ कर दिया तथा समय-समय पर शाही भूमि और बाजारों में लूटमार करनी आरम्भ कर दी।
पुर्तगालियों की धार्मिक और राजनीतिक कारणों के साथ-साथ स्थानीय उपद्रवों की वजह से शाहजहाँ ने 1632 ई. में पुर्तगालियों को समाप्त करने का आदेश दे दिया
1632 में शाही सेना ने पुर्तगालियों की व्यापारिक बस्ती हुगली पर अधिकार कर लिया
Unattempted
व्याख्या –
बंगाल में पुर्तगालियों को व्यापारिक सुविधा दी गयी थी
पुर्तगालियों ने भारतीयों को जबरदस्ती ईसाई बनाना प्रारम्भ कर दिया तथा समय-समय पर शाही भूमि और बाजारों में लूटमार करनी आरम्भ कर दी।
पुर्तगालियों की धार्मिक और राजनीतिक कारणों के साथ-साथ स्थानीय उपद्रवों की वजह से शाहजहाँ ने 1632 ई. में पुर्तगालियों को समाप्त करने का आदेश दे दिया
1632 में शाही सेना ने पुर्तगालियों की व्यापारिक बस्ती हुगली पर अधिकार कर लिया