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Question 1 of 26
1. Question
1 points
निम्न में से किस लेखक ने प्रसिद्ध पुस्तक ‘किताब-उल हिन्द’ का अंग्रेजी अनुवाद किया
Correct
व्याख्या –
किताब-उल-हिन्द का अनुवाद अंग्रेजी में एडवर्ड सी सचाऊ ने ‘अलबेरुनीज इंडिया; ऐन एकाउंट आव द रेलिजन’ नाम से किया है।
अल्बरूनी (972-1048 ई.) का जन्म ख्वारिज्म के ईरानी परिवार में हुआ था।
अल्बरूनी धर्मशास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी तथा चिकित्सक सभी थे।
अल्बरूनी मामुनी वंश के ख्वारिज्म शाह के राजनैतिक सलाहकार थे।
1017 ई. में महमूद गजनवी ने ख्वारिज्म शाह पर विजय कर अल्बरूनी को प्राप्त किया था।
अल्बरूनी 1018-19 ई. में वे महमूद गजनवी के साथ भारत आया
देश के विभिन्न भागों में भ्रमण कर अपनी यात्रा वृतांत किताब-उल-हिन्द’ नामक ग्रंथ में संकलित किया।
किताब-उल-हिन्द’ पुस्तक ‘अरबी’ भाषा में लिखा था।
Incorrect
व्याख्या –
किताब-उल-हिन्द का अनुवाद अंग्रेजी में एडवर्ड सी सचाऊ ने ‘अलबेरुनीज इंडिया; ऐन एकाउंट आव द रेलिजन’ नाम से किया है।
अल्बरूनी (972-1048 ई.) का जन्म ख्वारिज्म के ईरानी परिवार में हुआ था।
अल्बरूनी धर्मशास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी तथा चिकित्सक सभी थे।
अल्बरूनी मामुनी वंश के ख्वारिज्म शाह के राजनैतिक सलाहकार थे।
1017 ई. में महमूद गजनवी ने ख्वारिज्म शाह पर विजय कर अल्बरूनी को प्राप्त किया था।
अल्बरूनी 1018-19 ई. में वे महमूद गजनवी के साथ भारत आया
देश के विभिन्न भागों में भ्रमण कर अपनी यात्रा वृतांत किताब-उल-हिन्द’ नामक ग्रंथ में संकलित किया।
किताब-उल-हिन्द’ पुस्तक ‘अरबी’ भाषा में लिखा था।
Unattempted
व्याख्या –
किताब-उल-हिन्द का अनुवाद अंग्रेजी में एडवर्ड सी सचाऊ ने ‘अलबेरुनीज इंडिया; ऐन एकाउंट आव द रेलिजन’ नाम से किया है।
अल्बरूनी (972-1048 ई.) का जन्म ख्वारिज्म के ईरानी परिवार में हुआ था।
अल्बरूनी धर्मशास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी तथा चिकित्सक सभी थे।
अल्बरूनी मामुनी वंश के ख्वारिज्म शाह के राजनैतिक सलाहकार थे।
1017 ई. में महमूद गजनवी ने ख्वारिज्म शाह पर विजय कर अल्बरूनी को प्राप्त किया था।
अल्बरूनी 1018-19 ई. में वे महमूद गजनवी के साथ भारत आया
देश के विभिन्न भागों में भ्रमण कर अपनी यात्रा वृतांत किताब-उल-हिन्द’ नामक ग्रंथ में संकलित किया।
किताब-उल-हिन्द’ पुस्तक ‘अरबी’ भाषा में लिखा था।
Question 2 of 26
2. Question
1 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
उत्तर-पश्चिमी भारत में जारी किए गए गजनवी सिक्कों पर अरबी व शारदा लिपि में लिखे गये द्विभाषीय लेख हैं।
साहित्यकार एवं वृत्तांतकार बरनी तथा इसामी समकालीन थे।
महमूद गजनी के सोमनाथ आक्रमण के समय जयसिंह सिद्धराज इस क्षेत्र का चालुक्य शासक था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं.
Correct
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Incorrect
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Unattempted
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Question 3 of 26
3. Question
1 points
सीमांत क्षेत्र के वह उग्र निवासी जिन्होंने महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी दोनों के लिए समस्याएँ पैदा की, कहलाते थे।
Correct
व्याख्या –
महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी के लिए समस्याएं पैदा करने वाले सीमान्त क्षेत्र के ‘खोखर जाति’ के लोग थे।
महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
महमूद गजनवी 998 ई. में गजनी का राजा बना।
बगदाद के खलीफा से ‘यमीनुद्दौला तथा ‘अमीन-उल-मिल्लाह’ का सम्मानित विरुद प्राप्त करते समय उसने भारत पर प्रतिवर्ष आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की थी।
महमूद गजनवी का प्रथम भारतीय आक्रमण 1001 ई. में राजा जयपाल पर हुआ।
मुहम्मद गोरी ने भी 1175 तथा 1205 ई. के मध्य भारत पर कई आक्रमण किये।
मुहम्मद गोरी का पहला आक्रमण मुल्तान तथा सिन्ध पर हुआ था।
1206 ई. में मुहम्मद गोरी भारत से गजनी वापस जाते समय सिन्ध नदी के तट पर खोखरों द्वारा मार डाला गया।
Incorrect
व्याख्या –
महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी के लिए समस्याएं पैदा करने वाले सीमान्त क्षेत्र के ‘खोखर जाति’ के लोग थे।
महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
महमूद गजनवी 998 ई. में गजनी का राजा बना।
बगदाद के खलीफा से ‘यमीनुद्दौला तथा ‘अमीन-उल-मिल्लाह’ का सम्मानित विरुद प्राप्त करते समय उसने भारत पर प्रतिवर्ष आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की थी।
महमूद गजनवी का प्रथम भारतीय आक्रमण 1001 ई. में राजा जयपाल पर हुआ।
मुहम्मद गोरी ने भी 1175 तथा 1205 ई. के मध्य भारत पर कई आक्रमण किये।
मुहम्मद गोरी का पहला आक्रमण मुल्तान तथा सिन्ध पर हुआ था।
1206 ई. में मुहम्मद गोरी भारत से गजनी वापस जाते समय सिन्ध नदी के तट पर खोखरों द्वारा मार डाला गया।
Unattempted
व्याख्या –
महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी के लिए समस्याएं पैदा करने वाले सीमान्त क्षेत्र के ‘खोखर जाति’ के लोग थे।
महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
महमूद गजनवी 998 ई. में गजनी का राजा बना।
बगदाद के खलीफा से ‘यमीनुद्दौला तथा ‘अमीन-उल-मिल्लाह’ का सम्मानित विरुद प्राप्त करते समय उसने भारत पर प्रतिवर्ष आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की थी।
महमूद गजनवी का प्रथम भारतीय आक्रमण 1001 ई. में राजा जयपाल पर हुआ।
मुहम्मद गोरी ने भी 1175 तथा 1205 ई. के मध्य भारत पर कई आक्रमण किये।
मुहम्मद गोरी का पहला आक्रमण मुल्तान तथा सिन्ध पर हुआ था।
1206 ई. में मुहम्मद गोरी भारत से गजनी वापस जाते समय सिन्ध नदी के तट पर खोखरों द्वारा मार डाला गया।
Question 4 of 26
4. Question
1 points
भारत अरब प्रज्ञात्मक सम्बन्धों का सबसे पहला प्रमाण ब्रह्म गुप्त द्वारा रचित ब्रह्म सिद्धान्त का अरबी भाषा में अनुवाद किस नाम से जाना जाता है?
Correct
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Incorrect
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Unattempted
व्याख्या –
753-54 ई0 में अरब विद्वान भारत से दो पुस्तकें ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त’ लेकर गए।
अरबी विद्वान अलफजारी ने ‘ब्रह्म सिद्धान्त’ का अरबी भाषा में अनुवाद ‘सिंध हिंद’ के नाम से किया।
Question 5 of 26
5. Question
1 points
भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के समय निम्नलिखित में से कौन सा समुदाय भारत के तत्कालीन राज्यों के शासकों को सूचित करता है?
Correct
व्याख्या –
महमूद गजनवी का प्रथम सफल भारतीय आक्रमण शाही राजा जयपाल पर 1001 ई० में हुआ,
महमूद गजनवी से जयपाल पराजित हुआ और बंदी बना लिया गया, परन्तु अपने सम्मान की रक्षा हेतु उसने अग्नि में कूदकर अपने प्राण दे दिए।
महमूद के 1018 ई. में कन्नौज पर आक्रमण के समय कन्नौज का शासक प्रतिहारवंशी राज्यपाल था।
महमूद गजनवी का चौथा आक्रमण 1004 ई. में मुल्तान राज्य पर हुआ।
मुल्तान का शासक फतेह दाउद ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया।
महमूद गजनवी के समय बंगाल में पाल वंश का शासक महिपाल प्रथम था।
महमूद गजनवी के समय मालवा में राजा भोज का शासन था,
महमूद द्वारा सोमनाथ मंदिर (1025-26 ई.) को लूटा
सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण मालवा के शासक राजा भोज करवाया।
Incorrect
व्याख्या –
महमूद गजनवी का प्रथम सफल भारतीय आक्रमण शाही राजा जयपाल पर 1001 ई० में हुआ,
महमूद गजनवी से जयपाल पराजित हुआ और बंदी बना लिया गया, परन्तु अपने सम्मान की रक्षा हेतु उसने अग्नि में कूदकर अपने प्राण दे दिए।
महमूद के 1018 ई. में कन्नौज पर आक्रमण के समय कन्नौज का शासक प्रतिहारवंशी राज्यपाल था।
महमूद गजनवी का चौथा आक्रमण 1004 ई. में मुल्तान राज्य पर हुआ।
मुल्तान का शासक फतेह दाउद ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया।
महमूद गजनवी के समय बंगाल में पाल वंश का शासक महिपाल प्रथम था।
महमूद गजनवी के समय मालवा में राजा भोज का शासन था,
महमूद द्वारा सोमनाथ मंदिर (1025-26 ई.) को लूटा
सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण मालवा के शासक राजा भोज करवाया।
Unattempted
व्याख्या –
महमूद गजनवी का प्रथम सफल भारतीय आक्रमण शाही राजा जयपाल पर 1001 ई० में हुआ,
महमूद गजनवी से जयपाल पराजित हुआ और बंदी बना लिया गया, परन्तु अपने सम्मान की रक्षा हेतु उसने अग्नि में कूदकर अपने प्राण दे दिए।
महमूद के 1018 ई. में कन्नौज पर आक्रमण के समय कन्नौज का शासक प्रतिहारवंशी राज्यपाल था।
महमूद गजनवी का चौथा आक्रमण 1004 ई. में मुल्तान राज्य पर हुआ।
मुल्तान का शासक फतेह दाउद ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया।
महमूद गजनवी के समय बंगाल में पाल वंश का शासक महिपाल प्रथम था।
महमूद गजनवी के समय मालवा में राजा भोज का शासन था,
महमूद द्वारा सोमनाथ मंदिर (1025-26 ई.) को लूटा
सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण मालवा के शासक राजा भोज करवाया।
Question 6 of 26
6. Question
1 points
तारीख-ए-यामिनी, जिसे ‘किताबुल-यामिनी’ भी कहते हैं, का लेखक है?
Correct
व्याख्या –
तारीख-ए-यामिनी, जिसे किताबुल यामिनी का लेखक उत्बी था।
उत्बी महमूद गजनवी के निजी सहायकों में से एक था।
अरबी भाषा में लिखित तारीख-ए-यामिनी में उत्बी ने सुबुक्तगीन के अधीन गजनवियों के उत्कर्ष तथा 1020 ई. तक महमूद गजनवी के चरित्र एवं सैन्य अभियानों का वर्णन किया है।
वैहाकी भी महमूद गजनवी का समकालीन इतिहासकार था।
वैहाकी ने अरबी भाषा में ‘तारीख-ए–सुबुक्तगीन’ नामक पुस्तक लिखी।
हसन निजामी ऐबक का समकालीन इतिहासकार था।
हसन निजामी की पुस्तक ‘ताजुल-मासिर में कुतुबुद्दीन ऐबक के इतिहास का वर्णन है।
हसन निजामी की पुस्तक ताजुल-मासिर अरबी और फारसी भाषा में है
Incorrect
व्याख्या –
तारीख-ए-यामिनी, जिसे किताबुल यामिनी का लेखक उत्बी था।
उत्बी महमूद गजनवी के निजी सहायकों में से एक था।
अरबी भाषा में लिखित तारीख-ए-यामिनी में उत्बी ने सुबुक्तगीन के अधीन गजनवियों के उत्कर्ष तथा 1020 ई. तक महमूद गजनवी के चरित्र एवं सैन्य अभियानों का वर्णन किया है।
वैहाकी भी महमूद गजनवी का समकालीन इतिहासकार था।
वैहाकी ने अरबी भाषा में ‘तारीख-ए–सुबुक्तगीन’ नामक पुस्तक लिखी।
हसन निजामी ऐबक का समकालीन इतिहासकार था।
हसन निजामी की पुस्तक ‘ताजुल-मासिर में कुतुबुद्दीन ऐबक के इतिहास का वर्णन है।
हसन निजामी की पुस्तक ताजुल-मासिर अरबी और फारसी भाषा में है
Unattempted
व्याख्या –
तारीख-ए-यामिनी, जिसे किताबुल यामिनी का लेखक उत्बी था।
उत्बी महमूद गजनवी के निजी सहायकों में से एक था।
अरबी भाषा में लिखित तारीख-ए-यामिनी में उत्बी ने सुबुक्तगीन के अधीन गजनवियों के उत्कर्ष तथा 1020 ई. तक महमूद गजनवी के चरित्र एवं सैन्य अभियानों का वर्णन किया है।
वैहाकी भी महमूद गजनवी का समकालीन इतिहासकार था।
वैहाकी ने अरबी भाषा में ‘तारीख-ए–सुबुक्तगीन’ नामक पुस्तक लिखी।
हसन निजामी ऐबक का समकालीन इतिहासकार था।
हसन निजामी की पुस्तक ‘ताजुल-मासिर में कुतुबुद्दीन ऐबक के इतिहास का वर्णन है।
हसन निजामी की पुस्तक ताजुल-मासिर अरबी और फारसी भाषा में है
Question 7 of 26
7. Question
1 points
अलबरूनी ने अपनी पुस्तक किताबुल हिन्द में भारतीयों की विशेषकर प्रशंसा की है –
Correct
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
अल्बरुनी इतिहासकार ही नहीं बल्कि वह – खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, औषधि विज्ञान, गणित, दर्शन, धर्म और धर्म शास्त्र का ज्ञाता था ।
अल्बरुनी का मुख्य उद्देश्य भारत के धर्मों और साहित्य तथा विज्ञान की परम्पराओं के बारे में वर्णन करना
अल्बरुनी ने भारत और यहाँ के रीति-रिवाजों और अध-विश्वास आदि के सम्बन्ध में भी बड़े महत्व की बातें बतायी है।
अल्बरुनी ने पवित्र स्थानों पर तालाबों तथा जल संग्रह कार्यो की प्रशंसा की ।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अल्बरूनी ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ में इस प्रकार के कई वर्णनों को शामिल किया है।
Incorrect
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
अल्बरुनी इतिहासकार ही नहीं बल्कि वह – खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, औषधि विज्ञान, गणित, दर्शन, धर्म और धर्म शास्त्र का ज्ञाता था ।
अल्बरुनी का मुख्य उद्देश्य भारत के धर्मों और साहित्य तथा विज्ञान की परम्पराओं के बारे में वर्णन करना
अल्बरुनी ने भारत और यहाँ के रीति-रिवाजों और अध-विश्वास आदि के सम्बन्ध में भी बड़े महत्व की बातें बतायी है।
अल्बरुनी ने पवित्र स्थानों पर तालाबों तथा जल संग्रह कार्यो की प्रशंसा की ।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अल्बरूनी ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ में इस प्रकार के कई वर्णनों को शामिल किया है।
Unattempted
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
अल्बरुनी इतिहासकार ही नहीं बल्कि वह – खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, औषधि विज्ञान, गणित, दर्शन, धर्म और धर्म शास्त्र का ज्ञाता था ।
अल्बरुनी का मुख्य उद्देश्य भारत के धर्मों और साहित्य तथा विज्ञान की परम्पराओं के बारे में वर्णन करना
अल्बरुनी ने भारत और यहाँ के रीति-रिवाजों और अध-विश्वास आदि के सम्बन्ध में भी बड़े महत्व की बातें बतायी है।
अल्बरुनी ने पवित्र स्थानों पर तालाबों तथा जल संग्रह कार्यो की प्रशंसा की ।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अल्बरूनी ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ में इस प्रकार के कई वर्णनों को शामिल किया है।
Question 8 of 26
8. Question
1 points
‘कलिलाह व दिमना’ अरबी भाषान्तर है
Correct
व्याख्या –
विष्णु शर्मा द्वारा रचित ग्रंथ पंचतंत्र का अरबी अनुवाद ‘कलिलाह-ब-दिमना’ नाम से किया गया था।
Incorrect
व्याख्या –
विष्णु शर्मा द्वारा रचित ग्रंथ पंचतंत्र का अरबी अनुवाद ‘कलिलाह-ब-दिमना’ नाम से किया गया था।
Unattempted
व्याख्या –
विष्णु शर्मा द्वारा रचित ग्रंथ पंचतंत्र का अरबी अनुवाद ‘कलिलाह-ब-दिमना’ नाम से किया गया था।
Question 9 of 26
9. Question
1 points
हिंदुओं का यह विश्वास है कि “उनके जैसा कोई देश नहीं है, उनके राष्ट्र जैसा कोई राष्ट्र नहीं है, उनके राजाओं के समान कोई राजा नहीं है, उनके विज्ञान के समान कोई विज्ञान नहीं है. यह कथन निम्न में से किसका है?
Correct
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
Incorrect
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
Unattempted
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
Question 10 of 26
10. Question
1 points
वह मुसलमान विजेता जिसने हिन्दू देवी की आकृति वाले सिक्कों को चलाएं रखा था
Correct
व्याख्या-
दिल्ली पर अधिकार कर लेने के पश्चात मुहम्मद गोरी ने चौहानों के सिक्को की ही भांति दिल्ली में मुद्रा चलवायी।
कन्नौज विजय के बाद मुहम्मद गोरी ने अपने सिक्कों पर ‘लक्ष्मी’, नंदी’ आदि के चित्र अंकित किये तथा नागरी लिपि को अपनाया ।
मुसलमान शासकों में सर्वप्रथम महमूद गजनवी ने भारतीय ढंग पर सिक्के तैयार करवाये थे।
महमूद गजनवी के सिक्के ‘दिल्लीवाला’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
मुहम्मद गोरी ने भी दिल्लीवाला’ नामक सिक्के (56 ग्रेन) चलवाये थे।
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली पर अधिकार कर लेने के पश्चात मुहम्मद गोरी ने चौहानों के सिक्को की ही भांति दिल्ली में मुद्रा चलवायी।
कन्नौज विजय के बाद मुहम्मद गोरी ने अपने सिक्कों पर ‘लक्ष्मी’, नंदी’ आदि के चित्र अंकित किये तथा नागरी लिपि को अपनाया ।
मुसलमान शासकों में सर्वप्रथम महमूद गजनवी ने भारतीय ढंग पर सिक्के तैयार करवाये थे।
महमूद गजनवी के सिक्के ‘दिल्लीवाला’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
मुहम्मद गोरी ने भी दिल्लीवाला’ नामक सिक्के (56 ग्रेन) चलवाये थे।
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली पर अधिकार कर लेने के पश्चात मुहम्मद गोरी ने चौहानों के सिक्को की ही भांति दिल्ली में मुद्रा चलवायी।
कन्नौज विजय के बाद मुहम्मद गोरी ने अपने सिक्कों पर ‘लक्ष्मी’, नंदी’ आदि के चित्र अंकित किये तथा नागरी लिपि को अपनाया ।
मुसलमान शासकों में सर्वप्रथम महमूद गजनवी ने भारतीय ढंग पर सिक्के तैयार करवाये थे।
महमूद गजनवी के सिक्के ‘दिल्लीवाला’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
मुहम्मद गोरी ने भी दिल्लीवाला’ नामक सिक्के (56 ग्रेन) चलवाये थे।
Question 11 of 26
11. Question
1 points
. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए?
अलबरूनी की किताबुल हिंद –
भारतीय सभ्यता का संवेदनशील अध्ययन है
मुख्यतः भारत का राजनैतिक इतिहास है
महमूद गजनवी के लूटपाट पूर्ण आक्रमणों की समालोचना है
मुख्यतः भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं बौद्धिक इतिहास का अध्ययन है
उपर्युक्त में से कौन सा कथन सही है
Correct
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
किताबुल हिंद में भारतीय सभ्यता का संवेदनशील अध्ययन, गजनवी के लूटपाटपूर्ण आक्रमणों की समालोचना तथा भारत के सामाजिक एवं बौद्धिक इतिहास का वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
किताबुल हिंद में भारतीय सभ्यता का संवेदनशील अध्ययन, गजनवी के लूटपाटपूर्ण आक्रमणों की समालोचना तथा भारत के सामाजिक एवं बौद्धिक इतिहास का वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या –
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरूनी कहता है कि हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए वाराणसी, पुष्कर, थानेश्वर और मुल्तान आदि स्थानों को जाते थे
अलबरूनी ने अरबी भाषा में लिखित अपनी पुस्तक ‘तारीख-उल-हिंद या किताबुल हिंद में तत्कालीन भारत के पवित्र स्थानों घर तालाबों तथा जल संग्रहण कायों के निर्माण में उच्चकोटि की प्रवीणता का उल्लेख किया है।
किताबुल हिंद में भारतीय सभ्यता का संवेदनशील अध्ययन, गजनवी के लूटपाटपूर्ण आक्रमणों की समालोचना तथा भारत के सामाजिक एवं बौद्धिक इतिहास का वर्णन है।
Question 12 of 26
12. Question
1 points
गोरी की विजय से पहले मुस्लिम शासक थे
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर सिन्ध, मुल्तान और पंजाब में मुसलमानी राज्य थे।
सिन्ध में सुम्र जाति के शिया शासक राज्य करते थे,
सुम्र लोग शिया जाति के मुसलमान थे
सिन्ध की राजधानी देवल थी।
मुल्तान में करया जाति के शासक थे
पंजाब में गजनवी वंश के शासकों का राज्य था।
भारत के अन्य सभी भागों में राजपूत शासक थे।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर सिन्ध, मुल्तान और पंजाब में मुसलमानी राज्य थे।
सिन्ध में सुम्र जाति के शिया शासक राज्य करते थे,
सुम्र लोग शिया जाति के मुसलमान थे
सिन्ध की राजधानी देवल थी।
मुल्तान में करया जाति के शासक थे
पंजाब में गजनवी वंश के शासकों का राज्य था।
भारत के अन्य सभी भागों में राजपूत शासक थे।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भारत की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर सिन्ध, मुल्तान और पंजाब में मुसलमानी राज्य थे।
सिन्ध में सुम्र जाति के शिया शासक राज्य करते थे,
सुम्र लोग शिया जाति के मुसलमान थे
सिन्ध की राजधानी देवल थी।
मुल्तान में करया जाति के शासक थे
पंजाब में गजनवी वंश के शासकों का राज्य था।
भारत के अन्य सभी भागों में राजपूत शासक थे।
Question 13 of 26
13. Question
1 points
अलबरूनी कहता है अन्त्यज, जो चार वर्गों में परिगणित नहीं थे, आठ वर्गों अथवा शिल्पी या व्यावसायिक श्रेणियों में संगठित थे। निम्नांकित में से कौन आठ श्रेणियों में नहीं था
Correct
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरुनी, ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ एवं ‘आहारुल वाकिया’ में भारतीय स्थिति का अध्ययन भी किया
भारतीय समाज मुख्यतः चार वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र में विभक्त था जो जन्म पर आधारित थे।
अल्बरुनी के अनुसार इन चार वर्णो के नीचे मानव का एक विशाल समूह था जिसे अंत्यज कहा जाता था
अंत्यज की गणना किसी भी जाति में नहीं की जाती थी, किसी विशेष व्यवसाय अथवा कला का अनुसरण करने वाले होते थे।
(अन्त्यज) के आठ वर्ग या संघ होते थे – धोबी/चमार , मोची, जादूगर, डलिया या डलि बनाने वाले, नाविक, मछुआरे, जुलाहे तथा बहेलिया (शिकारी)।
अन्त्यज लोग नगरों के बाहर रहा करते थे।
Incorrect
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरुनी, ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ एवं ‘आहारुल वाकिया’ में भारतीय स्थिति का अध्ययन भी किया
भारतीय समाज मुख्यतः चार वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र में विभक्त था जो जन्म पर आधारित थे।
अल्बरुनी के अनुसार इन चार वर्णो के नीचे मानव का एक विशाल समूह था जिसे अंत्यज कहा जाता था
अंत्यज की गणना किसी भी जाति में नहीं की जाती थी, किसी विशेष व्यवसाय अथवा कला का अनुसरण करने वाले होते थे।
(अन्त्यज) के आठ वर्ग या संघ होते थे – धोबी/चमार , मोची, जादूगर, डलिया या डलि बनाने वाले, नाविक, मछुआरे, जुलाहे तथा बहेलिया (शिकारी)।
अन्त्यज लोग नगरों के बाहर रहा करते थे।
Unattempted
व्याख्या-
अलबरूनी मध्य एशिया के खीवा प्रान्त का रहने वाला था।
1018-19 ई. में महमूद गजनवी की सेना के साथ स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में वह भारत आया।
अल्बरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक कर्मों को बड़े ध्यान से देखा और समझा।
अल्बरुनी, ने अपनी पुस्तक ‘किताबुल-हिन्द’ एवं ‘आहारुल वाकिया’ में भारतीय स्थिति का अध्ययन भी किया
भारतीय समाज मुख्यतः चार वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र में विभक्त था जो जन्म पर आधारित थे।
अल्बरुनी के अनुसार इन चार वर्णो के नीचे मानव का एक विशाल समूह था जिसे अंत्यज कहा जाता था
अंत्यज की गणना किसी भी जाति में नहीं की जाती थी, किसी विशेष व्यवसाय अथवा कला का अनुसरण करने वाले होते थे।
(अन्त्यज) के आठ वर्ग या संघ होते थे – धोबी/चमार , मोची, जादूगर, डलिया या डलि बनाने वाले, नाविक, मछुआरे, जुलाहे तथा बहेलिया (शिकारी)।
अन्त्यज लोग नगरों के बाहर रहा करते थे।
Question 14 of 26
14. Question
1 points
मुहम्मद गौरी की भारत विजय तथा नव-स्थापित तुर्की सल्तनत के इतिहास का प्रत्यक्ष विवरण किस ग्रन्थ से मिलता है?
Correct
व्याख्या –
मध्यकालीन इतिहास जानने का एक प्रमुख साधन साहित्यिक स्रोत है।
चचनामा में अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास मिलता है।
तारीख-उल-हिन्द अल्बरूनी की पुस्तक है।
अल्बरूनी कि तारीख-उल-हिन्द में हिन्दुओं का साहित्यिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक वृत्तांत मिलता है।
तबकात-ए-नासिरी की रचना मिनहाजुद्दीन सिराज ने की
तबकात-ए-नासिरी से मुहम्मद गौरी की भारत विजय ,दिल्ली सल्तनत का 1260 ई० तक के इतिहास का प्रत्यक्ष वर्णन है।
Incorrect
व्याख्या –
मध्यकालीन इतिहास जानने का एक प्रमुख साधन साहित्यिक स्रोत है।
चचनामा में अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास मिलता है।
तारीख-उल-हिन्द अल्बरूनी की पुस्तक है।
अल्बरूनी कि तारीख-उल-हिन्द में हिन्दुओं का साहित्यिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक वृत्तांत मिलता है।
तबकात-ए-नासिरी की रचना मिनहाजुद्दीन सिराज ने की
तबकात-ए-नासिरी से मुहम्मद गौरी की भारत विजय ,दिल्ली सल्तनत का 1260 ई० तक के इतिहास का प्रत्यक्ष वर्णन है।
Unattempted
व्याख्या –
मध्यकालीन इतिहास जानने का एक प्रमुख साधन साहित्यिक स्रोत है।
चचनामा में अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास मिलता है।
तारीख-उल-हिन्द अल्बरूनी की पुस्तक है।
अल्बरूनी कि तारीख-उल-हिन्द में हिन्दुओं का साहित्यिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक वृत्तांत मिलता है।
तबकात-ए-नासिरी की रचना मिनहाजुद्दीन सिराज ने की
तबकात-ए-नासिरी से मुहम्मद गौरी की भारत विजय ,दिल्ली सल्तनत का 1260 ई० तक के इतिहास का प्रत्यक्ष वर्णन है।
Question 15 of 26
15. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसने ऐसे सिक्के जारी करने के आदेश दिए जिनपर हिन्दू देवी की आकृति अंकित हो?
Correct
व्याख्या –
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
बाबर के चाँदी के सिक्कों पर एक तरफ कलमा और चारों खलीफाओं का नाम तथा दूसरी ओर बाबर का नाम व उपाधी अंकित थी।
बाबर ने काबुल में चाँदी का शाहरूख तथा कन्धार में बाबरी नाम का सिक्का चलाया।
कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई सिक्का नहीं मिला है।
Incorrect
व्याख्या –
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
बाबर के चाँदी के सिक्कों पर एक तरफ कलमा और चारों खलीफाओं का नाम तथा दूसरी ओर बाबर का नाम व उपाधी अंकित थी।
बाबर ने काबुल में चाँदी का शाहरूख तथा कन्धार में बाबरी नाम का सिक्का चलाया।
कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई सिक्का नहीं मिला है।
Unattempted
व्याख्या –
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
बाबर के चाँदी के सिक्कों पर एक तरफ कलमा और चारों खलीफाओं का नाम तथा दूसरी ओर बाबर का नाम व उपाधी अंकित थी।
बाबर ने काबुल में चाँदी का शाहरूख तथा कन्धार में बाबरी नाम का सिक्का चलाया।
कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई सिक्का नहीं मिला है।
Question 16 of 26
16. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस स्रोत से हमें सिन्ध का विस्तृत वृतान्त प्राप्त होता है?
Correct
व्याख्या .
अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास चचनामा नामक ग्रन्थ उल्लिखित है।
चचनामा अरबी भाषा में लिखा गया ग्रन्थ है।
नासिरूददीन कुबाचा के समय में चचनामा का फारसी में अनुवाद किया।
तारीख-ए-फिरोजशाही शम्स-ए-सिराज अफीक की रचना है।
खजाइनुल फुतह अमीर खुसरो की रचना है।
Incorrect
व्याख्या .
अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास चचनामा नामक ग्रन्थ उल्लिखित है।
चचनामा अरबी भाषा में लिखा गया ग्रन्थ है।
नासिरूददीन कुबाचा के समय में चचनामा का फारसी में अनुवाद किया।
तारीख-ए-फिरोजशाही शम्स-ए-सिराज अफीक की रचना है।
खजाइनुल फुतह अमीर खुसरो की रचना है।
Unattempted
व्याख्या .
अरबों द्वारा सिंध की विजय का इतिहास चचनामा नामक ग्रन्थ उल्लिखित है।
चचनामा अरबी भाषा में लिखा गया ग्रन्थ है।
नासिरूददीन कुबाचा के समय में चचनामा का फारसी में अनुवाद किया।
तारीख-ए-फिरोजशाही शम्स-ए-सिराज अफीक की रचना है।
खजाइनुल फुतह अमीर खुसरो की रचना है।
Question 17 of 26
17. Question
1 points
किस विदेशी आक्रमणकारी ने सोमनाथ मन्दिर की लूट की थी?
Correct
व्याख्या-
भारत में महमूद गजनवी का अंतिम प्रसिद्ध आक्रमण(1025) सोमनाथ मंदिर पर हुआ था
सोमनाथ मंदिर कठियावाड़ गुजरात के तट पर स्थित था।
1024 ई. में महमूद गजनवी एक विशाल सेना लेकर सोमनाथ पर आक्रमण के लिए चला।.
1 जनवरी, 1025 ई. में जब सुल्तान महमूद अन्हिलवाड़ पहुंचा तो राजा भीमदेव अपने अनुयायियों सहित राजधानी से भाग गया है।
महमूद ने बिना कठिनाई के कठियावाड़ नगर परअधिकार कर लिया
सुल्तान ने स्वयं सोमनाथ के मंदिर को तोड़कर उसके टुकड़ों को गजनी, मक्का और मदीना भिजवा दिया, जहां वे गलियों में और खास मस्जिदों की सीढ़ियों पर लगा दिये गये,
मंदिर की लूट में महमूद गजनवी को 20 लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ था।
Incorrect
व्याख्या-
भारत में महमूद गजनवी का अंतिम प्रसिद्ध आक्रमण(1025) सोमनाथ मंदिर पर हुआ था
सोमनाथ मंदिर कठियावाड़ गुजरात के तट पर स्थित था।
1024 ई. में महमूद गजनवी एक विशाल सेना लेकर सोमनाथ पर आक्रमण के लिए चला।.
1 जनवरी, 1025 ई. में जब सुल्तान महमूद अन्हिलवाड़ पहुंचा तो राजा भीमदेव अपने अनुयायियों सहित राजधानी से भाग गया है।
महमूद ने बिना कठिनाई के कठियावाड़ नगर परअधिकार कर लिया
सुल्तान ने स्वयं सोमनाथ के मंदिर को तोड़कर उसके टुकड़ों को गजनी, मक्का और मदीना भिजवा दिया, जहां वे गलियों में और खास मस्जिदों की सीढ़ियों पर लगा दिये गये,
मंदिर की लूट में महमूद गजनवी को 20 लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ था।
Unattempted
व्याख्या-
भारत में महमूद गजनवी का अंतिम प्रसिद्ध आक्रमण(1025) सोमनाथ मंदिर पर हुआ था
सोमनाथ मंदिर कठियावाड़ गुजरात के तट पर स्थित था।
1024 ई. में महमूद गजनवी एक विशाल सेना लेकर सोमनाथ पर आक्रमण के लिए चला।.
1 जनवरी, 1025 ई. में जब सुल्तान महमूद अन्हिलवाड़ पहुंचा तो राजा भीमदेव अपने अनुयायियों सहित राजधानी से भाग गया है।
महमूद ने बिना कठिनाई के कठियावाड़ नगर परअधिकार कर लिया
सुल्तान ने स्वयं सोमनाथ के मंदिर को तोड़कर उसके टुकड़ों को गजनी, मक्का और मदीना भिजवा दिया, जहां वे गलियों में और खास मस्जिदों की सीढ़ियों पर लगा दिये गये,
मंदिर की लूट में महमूद गजनवी को 20 लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ था।
Question 18 of 26
18. Question
1 points
उत्तर भारत पर तुर्कों की विजय का एक महत्वपूर्ण पहलू नगरीय क्रान्ति थी।” यह कथन किसका है?
Correct
व्याख्या-
13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में गोरी के आक्रमण में और विजयों के साथ-साथ तुर्को के रूप में एक नये शासक वर्ग का आगमन हुआ।
तुर्कों की इन विजयों का परिणाम केवल राजसत्ता का परिवर्तन मात्र नहीं था बल्कि इन दो विकसित सामाजिक व्यवस्थाओं के टकराव एवं संघर्ष से एक नये सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।
मुहम्मद हबीब ने इन परिवर्तनों को एक ‘शहरी क्रांति’ के रुप में देखा है।
मुहम्मद हबीब के अनुसार गोरी तुर्कों ने भारत की औद्योगिक एवं सामाजिक शक्तियों पर वर्षों से चले आ रहे जाति एवं सामाजिक बन्धनों को उखाड़ दिया ।
मुहम्मद हबीब गोरी विजय को भारत के शहरी क्रान्ति मानते है।
Incorrect
व्याख्या-
13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में गोरी के आक्रमण में और विजयों के साथ-साथ तुर्को के रूप में एक नये शासक वर्ग का आगमन हुआ।
तुर्कों की इन विजयों का परिणाम केवल राजसत्ता का परिवर्तन मात्र नहीं था बल्कि इन दो विकसित सामाजिक व्यवस्थाओं के टकराव एवं संघर्ष से एक नये सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।
मुहम्मद हबीब ने इन परिवर्तनों को एक ‘शहरी क्रांति’ के रुप में देखा है।
मुहम्मद हबीब के अनुसार गोरी तुर्कों ने भारत की औद्योगिक एवं सामाजिक शक्तियों पर वर्षों से चले आ रहे जाति एवं सामाजिक बन्धनों को उखाड़ दिया ।
मुहम्मद हबीब गोरी विजय को भारत के शहरी क्रान्ति मानते है।
Unattempted
व्याख्या-
13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में गोरी के आक्रमण में और विजयों के साथ-साथ तुर्को के रूप में एक नये शासक वर्ग का आगमन हुआ।
तुर्कों की इन विजयों का परिणाम केवल राजसत्ता का परिवर्तन मात्र नहीं था बल्कि इन दो विकसित सामाजिक व्यवस्थाओं के टकराव एवं संघर्ष से एक नये सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।
मुहम्मद हबीब ने इन परिवर्तनों को एक ‘शहरी क्रांति’ के रुप में देखा है।
मुहम्मद हबीब के अनुसार गोरी तुर्कों ने भारत की औद्योगिक एवं सामाजिक शक्तियों पर वर्षों से चले आ रहे जाति एवं सामाजिक बन्धनों को उखाड़ दिया ।
मुहम्मद हबीब गोरी विजय को भारत के शहरी क्रान्ति मानते है।
Question 19 of 26
19. Question
1 points
सुल्तान महमूद गजनवी के भारत विजय का मुख्य क्या उद्देश्य था?
Correct
व्याख्या-
यामिनी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था।
अलप्तगीन का पुत्र सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक था
सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक ने भारत पर आक्रमण किया था।
सुबुक्तगीन की विजयों से उत्साहित होकर महमूद गजनवी ने 1001 ई. से 1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
महम्मूद के दरबारी इतिहासकार ‘उत्बी’ के अनुसार उसके आक्रमण का उद्देश्य धर्म प्रचार के लिए जिहाद था।
इतिहासकार जफर के अनुसार महमूद का उद्देश्य धन लूटना था।
इरफान हबीब का भी मानना है कि महमूद ने भारत पर आक्रमण लूट की लालच से किया था।
महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की लूट थी।
महमूद ने सर्वप्रथम हिन्दूशाही राज्य पर आक्रमण किया था जिसका राजा राज्यपाल था।
महमूद गजनवी के अन्य आक्रमण –
1006 ई. में नगरकोट पर
1012-13 ई. में थानेश्वर पर
1016-18 ई. के बीच मथुरा और कन्नौज पर
1025 ई. में सोमनाथ पर
Incorrect
व्याख्या-
यामिनी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था।
अलप्तगीन का पुत्र सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक था
सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक ने भारत पर आक्रमण किया था।
सुबुक्तगीन की विजयों से उत्साहित होकर महमूद गजनवी ने 1001 ई. से 1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
महम्मूद के दरबारी इतिहासकार ‘उत्बी’ के अनुसार उसके आक्रमण का उद्देश्य धर्म प्रचार के लिए जिहाद था।
इतिहासकार जफर के अनुसार महमूद का उद्देश्य धन लूटना था।
इरफान हबीब का भी मानना है कि महमूद ने भारत पर आक्रमण लूट की लालच से किया था।
महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की लूट थी।
महमूद ने सर्वप्रथम हिन्दूशाही राज्य पर आक्रमण किया था जिसका राजा राज्यपाल था।
महमूद गजनवी के अन्य आक्रमण –
1006 ई. में नगरकोट पर
1012-13 ई. में थानेश्वर पर
1016-18 ई. के बीच मथुरा और कन्नौज पर
1025 ई. में सोमनाथ पर
Unattempted
व्याख्या-
यामिनी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था।
अलप्तगीन का पुत्र सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक था
सुबुक्तगीन प्रथम तुर्क शासक ने भारत पर आक्रमण किया था।
सुबुक्तगीन की विजयों से उत्साहित होकर महमूद गजनवी ने 1001 ई. से 1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
महम्मूद के दरबारी इतिहासकार ‘उत्बी’ के अनुसार उसके आक्रमण का उद्देश्य धर्म प्रचार के लिए जिहाद था।
इतिहासकार जफर के अनुसार महमूद का उद्देश्य धन लूटना था।
इरफान हबीब का भी मानना है कि महमूद ने भारत पर आक्रमण लूट की लालच से किया था।
महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की लूट थी।
महमूद ने सर्वप्रथम हिन्दूशाही राज्य पर आक्रमण किया था जिसका राजा राज्यपाल था।
महमूद गजनवी के अन्य आक्रमण –
1006 ई. में नगरकोट पर
1012-13 ई. में थानेश्वर पर
1016-18 ई. के बीच मथुरा और कन्नौज पर
1025 ई. में सोमनाथ पर
Question 20 of 26
20. Question
1 points
1202ई. में नालन्दा विश्वविद्यालय को किसने नष्ट किया था?
Correct
व्याख्या-
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी
नालंदा विश्वविद्यालय का पतन कैसे और कब हुआ –
अभिलेखों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को आक्रमणकारियों ने तीन बार नष्ट किया था, लेकिन केवल दो बार ही इसको पुनर्निर्मित किया गया.
पहला विनाश स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान मिहिरकुल के तहत ह्यून के कारण हुआ था. लेकिन स्कंदगुप्त के उत्तराधिकारीयों ने पुस्तकालय की मरम्मत करवाई और एक बड़ी इमारत के साथ सुधार दिया था.
दूसरा विनाश 7वीं शताब्दी की शुरुआत में गौदास ने किया था. इस बार, बौद्ध राजा हर्षवर्धन (606-648 ईस्वी) ने विश्वविद्यालय की मरम्मत करवाई थी.
तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला 1202–03में तुर्क सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार )को नष्ट कर दिया था. ऐसा माना जाता है धार्मिक ग्रंथों के जलने के कारण भारत में एक बड़े धर्म के रूप में उभरते हुए बौद्ध धर्म को सैकड़ों वर्षों तक का झटका लगा था और तब से लेकर अब तक यह पूर्ण रूप से इन घटनाओं से नहीं उभर सका है.
इख्तियारूद्दीन ने 1204 ई. में अचानक लक्ष्मण सेन(बंगाल ) के महल पर आक्रमण कर दिया।
बंगाल में सेनवंशी शासक लक्ष्मण सेन शासन कर रहा था।
इख्तियारूद्दीन ने सम्पूर्ण बंगाल को जीतने का प्रयास नहीं किया।
दक्षिण-पश्चिम बंगाल पर तुर्की इख्तियारूद्दीन का अधिकार हो गया
इख्तियारुद्दीन ने लखनौती को इसकी राजधानी बनाया।
Incorrect
व्याख्या-
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी
नालंदा विश्वविद्यालय का पतन कैसे और कब हुआ –
अभिलेखों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को आक्रमणकारियों ने तीन बार नष्ट किया था, लेकिन केवल दो बार ही इसको पुनर्निर्मित किया गया.
पहला विनाश स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान मिहिरकुल के तहत ह्यून के कारण हुआ था. लेकिन स्कंदगुप्त के उत्तराधिकारीयों ने पुस्तकालय की मरम्मत करवाई और एक बड़ी इमारत के साथ सुधार दिया था.
दूसरा विनाश 7वीं शताब्दी की शुरुआत में गौदास ने किया था. इस बार, बौद्ध राजा हर्षवर्धन (606-648 ईस्वी) ने विश्वविद्यालय की मरम्मत करवाई थी.
तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला 1202–03में तुर्क सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार )को नष्ट कर दिया था. ऐसा माना जाता है धार्मिक ग्रंथों के जलने के कारण भारत में एक बड़े धर्म के रूप में उभरते हुए बौद्ध धर्म को सैकड़ों वर्षों तक का झटका लगा था और तब से लेकर अब तक यह पूर्ण रूप से इन घटनाओं से नहीं उभर सका है.
इख्तियारूद्दीन ने 1204 ई. में अचानक लक्ष्मण सेन(बंगाल ) के महल पर आक्रमण कर दिया।
बंगाल में सेनवंशी शासक लक्ष्मण सेन शासन कर रहा था।
इख्तियारूद्दीन ने सम्पूर्ण बंगाल को जीतने का प्रयास नहीं किया।
दक्षिण-पश्चिम बंगाल पर तुर्की इख्तियारूद्दीन का अधिकार हो गया
इख्तियारुद्दीन ने लखनौती को इसकी राजधानी बनाया।
Unattempted
व्याख्या-
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी
नालंदा विश्वविद्यालय का पतन कैसे और कब हुआ –
अभिलेखों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को आक्रमणकारियों ने तीन बार नष्ट किया था, लेकिन केवल दो बार ही इसको पुनर्निर्मित किया गया.
पहला विनाश स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान मिहिरकुल के तहत ह्यून के कारण हुआ था. लेकिन स्कंदगुप्त के उत्तराधिकारीयों ने पुस्तकालय की मरम्मत करवाई और एक बड़ी इमारत के साथ सुधार दिया था.
दूसरा विनाश 7वीं शताब्दी की शुरुआत में गौदास ने किया था. इस बार, बौद्ध राजा हर्षवर्धन (606-648 ईस्वी) ने विश्वविद्यालय की मरम्मत करवाई थी.
तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला 1202–03में तुर्क सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार )को नष्ट कर दिया था. ऐसा माना जाता है धार्मिक ग्रंथों के जलने के कारण भारत में एक बड़े धर्म के रूप में उभरते हुए बौद्ध धर्म को सैकड़ों वर्षों तक का झटका लगा था और तब से लेकर अब तक यह पूर्ण रूप से इन घटनाओं से नहीं उभर सका है.
इख्तियारूद्दीन ने 1204 ई. में अचानक लक्ष्मण सेन(बंगाल ) के महल पर आक्रमण कर दिया।
बंगाल में सेनवंशी शासक लक्ष्मण सेन शासन कर रहा था।
इख्तियारूद्दीन ने सम्पूर्ण बंगाल को जीतने का प्रयास नहीं किया।
दक्षिण-पश्चिम बंगाल पर तुर्की इख्तियारूद्दीन का अधिकार हो गया
इख्तियारुद्दीन ने लखनौती को इसकी राजधानी बनाया।
Question 21 of 26
21. Question
1 points
किस मुस्लिम शासक के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी का अंकन मिलता है :
Correct
व्याख्या-
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
मुहम्मद गोरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् गहड़वालों के स्वर्ण सिक्कों की अनुकृति पर अपने सिक्कों पर लक्ष्मी का चित्र अंकित करवाया साथ ही नागरी लिपि को उत्कीर्ण करवाया।
महमूद के सिक्कों की भांति गोरी ने भी ‘देहलीवाला’ (56 ग्रेन) नामक सिक्के प्रचलित करवाये। .
Incorrect
व्याख्या-
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
मुहम्मद गोरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् गहड़वालों के स्वर्ण सिक्कों की अनुकृति पर अपने सिक्कों पर लक्ष्मी का चित्र अंकित करवाया साथ ही नागरी लिपि को उत्कीर्ण करवाया।
महमूद के सिक्कों की भांति गोरी ने भी ‘देहलीवाला’ (56 ग्रेन) नामक सिक्के प्रचलित करवाये। .
Unattempted
व्याख्या-
मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर हिन्दू देवी की आकृति अंकित सिक्के चलाये
मोहम्मद गौरी ने सोने के सिक्के निकाले उनका भार 64 ग्रन से 66.5 ग्रेन तक था।
मोहम्मद गौरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् के सिक्कों पर हिन्दू देवी लक्ष्मी की आकृति तथा देवनागरि भाषा में मुहम्मद बिन साम अंकित था।
मुहम्मद गोरी ने कन्नौज विजय के पश्चात् गहड़वालों के स्वर्ण सिक्कों की अनुकृति पर अपने सिक्कों पर लक्ष्मी का चित्र अंकित करवाया साथ ही नागरी लिपि को उत्कीर्ण करवाया।
महमूद के सिक्कों की भांति गोरी ने भी ‘देहलीवाला’ (56 ग्रेन) नामक सिक्के प्रचलित करवाये। .
Question 22 of 26
22. Question
1 points
लाहौर में गजनी वंश का अंतिम शासक था :
Correct
व्याख्या-
लाहौर (पंजाब) में गजनी वंश का अंतिम शासक खुसरो मलिक था।
मुहम्मद गोरी ने प्रारम्भिक असफलता से शिक्षा लेकर भारत का ‘सिंहद्वार’ कहा जाने वाला ‘पंजाब’ पर आक्रमण किया।
गोरी ने 1186 ई. में पंजाब पर आक्रमण किया और खुसरो मलिक को कैदी बना लिया।
मुहम्मद गोरी ने 1192 ई. में खुसरो मलिक का वध कर दिया गया।
गजनी वंश का 1192 ई. में भारत से अंत हो गया।
Incorrect
व्याख्या-
लाहौर (पंजाब) में गजनी वंश का अंतिम शासक खुसरो मलिक था।
मुहम्मद गोरी ने प्रारम्भिक असफलता से शिक्षा लेकर भारत का ‘सिंहद्वार’ कहा जाने वाला ‘पंजाब’ पर आक्रमण किया।
गोरी ने 1186 ई. में पंजाब पर आक्रमण किया और खुसरो मलिक को कैदी बना लिया।
मुहम्मद गोरी ने 1192 ई. में खुसरो मलिक का वध कर दिया गया।
गजनी वंश का 1192 ई. में भारत से अंत हो गया।
Unattempted
व्याख्या-
लाहौर (पंजाब) में गजनी वंश का अंतिम शासक खुसरो मलिक था।
मुहम्मद गोरी ने प्रारम्भिक असफलता से शिक्षा लेकर भारत का ‘सिंहद्वार’ कहा जाने वाला ‘पंजाब’ पर आक्रमण किया।
गोरी ने 1186 ई. में पंजाब पर आक्रमण किया और खुसरो मलिक को कैदी बना लिया।
मुहम्मद गोरी ने 1192 ई. में खुसरो मलिक का वध कर दिया गया।
गजनी वंश का 1192 ई. में भारत से अंत हो गया।
Question 23 of 26
23. Question
1 points
महमूद गजनवी के आक्रमण के समय हिन्दूशाही राज्य की राजधानी कहाँ थी?
Correct
व्याख्या –
तुर्की शाही वंश के शासक लहर्तुमान ने ब्राह्मण मंत्री कल्लर को गद्दी से हटाकर नवीं शताब्दी के उत्तराद्ध में हिन्दूशाही वंश की स्थापना की।
हिन्दूशाही वंश की राजधानी ‘उद्भाण्डपुर’ थी।
जयपाल हिन्दूशाही वश का महत्वपूर्ण शासक था
जयपाल ने 986-87 ई. में गजनी पर असफल आक्रमण किया।
महमूद गजनवी 1001 ई. में जयपाल को हरा कर अपमानित किया।
जयपाल दुःखी होकर अग्नि में कूद कर आत्मदाह कर लिया था।
महमूद ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल को भी दो बार पराजित किया।
उत्तर भारत में यह भारत का प्रथम महत्वपूर्ण हिन्दू राज्य था जो मुस्लिम आक्रमण का शिकार हुआ।
Incorrect
व्याख्या –
तुर्की शाही वंश के शासक लहर्तुमान ने ब्राह्मण मंत्री कल्लर को गद्दी से हटाकर नवीं शताब्दी के उत्तराद्ध में हिन्दूशाही वंश की स्थापना की।
हिन्दूशाही वंश की राजधानी ‘उद्भाण्डपुर’ थी।
जयपाल हिन्दूशाही वश का महत्वपूर्ण शासक था
जयपाल ने 986-87 ई. में गजनी पर असफल आक्रमण किया।
महमूद गजनवी 1001 ई. में जयपाल को हरा कर अपमानित किया।
जयपाल दुःखी होकर अग्नि में कूद कर आत्मदाह कर लिया था।
महमूद ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल को भी दो बार पराजित किया।
उत्तर भारत में यह भारत का प्रथम महत्वपूर्ण हिन्दू राज्य था जो मुस्लिम आक्रमण का शिकार हुआ।
Unattempted
व्याख्या –
तुर्की शाही वंश के शासक लहर्तुमान ने ब्राह्मण मंत्री कल्लर को गद्दी से हटाकर नवीं शताब्दी के उत्तराद्ध में हिन्दूशाही वंश की स्थापना की।
हिन्दूशाही वंश की राजधानी ‘उद्भाण्डपुर’ थी।
जयपाल हिन्दूशाही वश का महत्वपूर्ण शासक था
जयपाल ने 986-87 ई. में गजनी पर असफल आक्रमण किया।
महमूद गजनवी 1001 ई. में जयपाल को हरा कर अपमानित किया।
जयपाल दुःखी होकर अग्नि में कूद कर आत्मदाह कर लिया था।
महमूद ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल को भी दो बार पराजित किया।
उत्तर भारत में यह भारत का प्रथम महत्वपूर्ण हिन्दू राज्य था जो मुस्लिम आक्रमण का शिकार हुआ।
Question 24 of 26
24. Question
1 points
निम्नलिखित मुस्लिम विजेताओं में किसने अपनी बहुजातीय सेना में हिन्दुओं की नियुक्ति की?
Correct
व्याख्या –
महमूद गजनवी की सेना में अरब, तुर्क और अफगान ही नहीं, बल्कि हिन्दू सैनिक भी थे
महमूद गजनवी और उसके उत्तराधिकारी मुहम्मद गोरी ने हिन्दुओं को बड़ी संख्या में रोजगार दिये।
मुहम्मद गोरी की आधी सेना हिन्दू थी जिसमें ‘सेवंद राय’ और ‘तिलक’ के नाम प्रमुख है
मोहम्मद बिन कासिम ने प्रथम बार अपनी सेना में हिन्दुओं की नियुक्ति की थी।
Incorrect
व्याख्या –
महमूद गजनवी की सेना में अरब, तुर्क और अफगान ही नहीं, बल्कि हिन्दू सैनिक भी थे
महमूद गजनवी और उसके उत्तराधिकारी मुहम्मद गोरी ने हिन्दुओं को बड़ी संख्या में रोजगार दिये।
मुहम्मद गोरी की आधी सेना हिन्दू थी जिसमें ‘सेवंद राय’ और ‘तिलक’ के नाम प्रमुख है
मोहम्मद बिन कासिम ने प्रथम बार अपनी सेना में हिन्दुओं की नियुक्ति की थी।
Unattempted
व्याख्या –
महमूद गजनवी की सेना में अरब, तुर्क और अफगान ही नहीं, बल्कि हिन्दू सैनिक भी थे
महमूद गजनवी और उसके उत्तराधिकारी मुहम्मद गोरी ने हिन्दुओं को बड़ी संख्या में रोजगार दिये।
मुहम्मद गोरी की आधी सेना हिन्दू थी जिसमें ‘सेवंद राय’ और ‘तिलक’ के नाम प्रमुख है
मोहम्मद बिन कासिम ने प्रथम बार अपनी सेना में हिन्दुओं की नियुक्ति की थी।
Question 25 of 26
25. Question
1 points
सुल्तान मुइजुद्दीन का भारत में सर्वप्रथम आक्रमण था–
Correct
व्याख्या –
सुल्तान मुइजुद्दीन या मुहम्मद गोरी का भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ था।
इस समय मुल्तान पर करमतिया सम्प्रदाय के मुसलमानों का शासन था।
मुहम्मद गोरी का तीसरा आक्रमण 1186 ई. में पंजाब पर हुआ।
1186 ई. में पंजाब का शासक खुसरो मलिक था,
खुसरो मलिक को पराजित कर मुहम्मद गोरी ने लाहौर पर अधिकार कर लिया।
गोरी का अंतिम आक्रमण 1206 ई० में सिंध पर हुआ।
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान मुइजुद्दीन या मुहम्मद गोरी का भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ था।
इस समय मुल्तान पर करमतिया सम्प्रदाय के मुसलमानों का शासन था।
मुहम्मद गोरी का तीसरा आक्रमण 1186 ई. में पंजाब पर हुआ।
1186 ई. में पंजाब का शासक खुसरो मलिक था,
खुसरो मलिक को पराजित कर मुहम्मद गोरी ने लाहौर पर अधिकार कर लिया।
गोरी का अंतिम आक्रमण 1206 ई० में सिंध पर हुआ।
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान मुइजुद्दीन या मुहम्मद गोरी का भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ था।
इस समय मुल्तान पर करमतिया सम्प्रदाय के मुसलमानों का शासन था।
मुहम्मद गोरी का तीसरा आक्रमण 1186 ई. में पंजाब पर हुआ।
1186 ई. में पंजाब का शासक खुसरो मलिक था,
खुसरो मलिक को पराजित कर मुहम्मद गोरी ने लाहौर पर अधिकार कर लिया।
गोरी का अंतिम आक्रमण 1206 ई० में सिंध पर हुआ।
Question 26 of 26
26. Question
1 points
‘तारीख-ए-सुबुक्तगीन’ पुस्तक का लेखक था
Correct
व्याख्या •
अबुल फजल बैहाकी (996-1077 ई.) सुल्तान मसूद के एक अधिकारी था।
बैहाकी ने गजनवी शासकों का 1059 ई. तक का विस्तृत इतिहास दस खण्डों में लिखा था जो ‘तारीखी-बैहाकी के नाम से जाना जाता है।
तारीखी-बैहाकी के विभिन्न खण्डों में है-
‘तारीख-ए-सुबुक्तगीन’,
‘ताजुल फुतुह’ (गजनी के सुल्तान महमूद का इतिहास)
‘तारीखे-मसूदी’ (सुल्तान मसूद का इतिहास) इत्यादि।
सुबुक्तगीन, महमूद गजनवी का पिता था।
सुबुक्तगीन से सम्बन्धित बैहाकी का विवरण बहुत विश्वसनीय नहीं है।
Incorrect
व्याख्या •
अबुल फजल बैहाकी (996-1077 ई.) सुल्तान मसूद के एक अधिकारी था।
बैहाकी ने गजनवी शासकों का 1059 ई. तक का विस्तृत इतिहास दस खण्डों में लिखा था जो ‘तारीखी-बैहाकी के नाम से जाना जाता है।
तारीखी-बैहाकी के विभिन्न खण्डों में है-
‘तारीख-ए-सुबुक्तगीन’,
‘ताजुल फुतुह’ (गजनी के सुल्तान महमूद का इतिहास)
‘तारीखे-मसूदी’ (सुल्तान मसूद का इतिहास) इत्यादि।
सुबुक्तगीन, महमूद गजनवी का पिता था।
सुबुक्तगीन से सम्बन्धित बैहाकी का विवरण बहुत विश्वसनीय नहीं है।
Unattempted
व्याख्या •
अबुल फजल बैहाकी (996-1077 ई.) सुल्तान मसूद के एक अधिकारी था।
बैहाकी ने गजनवी शासकों का 1059 ई. तक का विस्तृत इतिहास दस खण्डों में लिखा था जो ‘तारीखी-बैहाकी के नाम से जाना जाता है।
तारीखी-बैहाकी के विभिन्न खण्डों में है-
‘तारीख-ए-सुबुक्तगीन’,
‘ताजुल फुतुह’ (गजनी के सुल्तान महमूद का इतिहास)
‘तारीखे-मसूदी’ (सुल्तान मसूद का इतिहास) इत्यादि।
सुबुक्तगीन, महमूद गजनवी का पिता था।
सुबुक्तगीन से सम्बन्धित बैहाकी का विवरण बहुत विश्वसनीय नहीं है।