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Congratulations!!!" भारत में फ्रांसीसियों का आगमन "
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Question 1 of 29
1. Question
1 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
भारत में फ्रांसीसी कमान्डर काउण्ट द लाली अंग्रेजों के विरुद्ध विफल रहा, क्योंकि
1.फ्रांस में सत्ताधारी शासन ने भारत में राजनैतिक शक्ति प्राप्त करने के महत्व को नही जाना
नौसैन्य शक्ति में फ्रांसीसी अंग्रेजों की तुलना में कम सक्षम थे
थल तथा समुद्र बलों की फ्रांसीसी कमाण्डरों में मतभेद था
अंग्रेजों ने कुछ महत्वपूर्ण फ्रांसीसी अधिकारियों को भारी रिश्वत दी
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं
Correct
व्याख्या-
1756 ई. में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध आरम्भ हो गया
1756 ई. में भारत में कर्नाटक के तृतीय युद्ध (अंग्रेज और फ्रांसीसी) का जन्म हुआ।
काउंट डी लाली को 1758ई. में सम्पूर्ण फ्रांसीसी प्रदेशों (भारत में) के सैनिक और असैनिक अधिकारों से युक्त अधिकारी नियुक्त किया गया।
फ्रांस में सत्ताधारी शासन ने भारत में राजनैतिक शक्ति प्राप्त करने के महत्व को नही जाना
फ्रांसीसी की नौसैन्य शक्ति में अंग्रेजों की तुलना में कम सक्षम थे
थल तथा समुद्र बलों की फ्रांसीसी कमाण्डरों में मतभेद था
Incorrect
व्याख्या-
1756 ई. में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध आरम्भ हो गया
1756 ई. में भारत में कर्नाटक के तृतीय युद्ध (अंग्रेज और फ्रांसीसी) का जन्म हुआ।
काउंट डी लाली को 1758ई. में सम्पूर्ण फ्रांसीसी प्रदेशों (भारत में) के सैनिक और असैनिक अधिकारों से युक्त अधिकारी नियुक्त किया गया।
फ्रांस में सत्ताधारी शासन ने भारत में राजनैतिक शक्ति प्राप्त करने के महत्व को नही जाना
फ्रांसीसी की नौसैन्य शक्ति में अंग्रेजों की तुलना में कम सक्षम थे
थल तथा समुद्र बलों की फ्रांसीसी कमाण्डरों में मतभेद था
Unattempted
व्याख्या-
1756 ई. में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध आरम्भ हो गया
1756 ई. में भारत में कर्नाटक के तृतीय युद्ध (अंग्रेज और फ्रांसीसी) का जन्म हुआ।
काउंट डी लाली को 1758ई. में सम्पूर्ण फ्रांसीसी प्रदेशों (भारत में) के सैनिक और असैनिक अधिकारों से युक्त अधिकारी नियुक्त किया गया।
फ्रांस में सत्ताधारी शासन ने भारत में राजनैतिक शक्ति प्राप्त करने के महत्व को नही जाना
फ्रांसीसी की नौसैन्य शक्ति में अंग्रेजों की तुलना में कम सक्षम थे
थल तथा समुद्र बलों की फ्रांसीसी कमाण्डरों में मतभेद था
Question 2 of 29
2. Question
1 points
भारत में पुर्तगालियों का वाणिज्यिक उद्देश्य था
Correct
व्याख्या-
भारत में पुर्तगालियों का वाणिज्यिक उद्देश्य कालीमिर्च तथा अन्य मसालों के व्यापार का अधिग्रहण करना था।
पुर्तगालियों के दो मुख्य उद्देश्य थे-
प्रथम वेनिस एवं जिनेवा के व्यापारियों को समस्त पूर्वी व्यापार से बाहर करना
द्वितीय तुर्कों एवं अरबों की बढ़ती हुयी संख्या को संतुलित करने के लिए अफ्रीका एवं एशिया के गैर ईसाईयों को ईसाई बनाना
Incorrect
व्याख्या-
भारत में पुर्तगालियों का वाणिज्यिक उद्देश्य कालीमिर्च तथा अन्य मसालों के व्यापार का अधिग्रहण करना था।
पुर्तगालियों के दो मुख्य उद्देश्य थे-
प्रथम वेनिस एवं जिनेवा के व्यापारियों को समस्त पूर्वी व्यापार से बाहर करना
द्वितीय तुर्कों एवं अरबों की बढ़ती हुयी संख्या को संतुलित करने के लिए अफ्रीका एवं एशिया के गैर ईसाईयों को ईसाई बनाना
Unattempted
व्याख्या-
भारत में पुर्तगालियों का वाणिज्यिक उद्देश्य कालीमिर्च तथा अन्य मसालों के व्यापार का अधिग्रहण करना था।
पुर्तगालियों के दो मुख्य उद्देश्य थे-
प्रथम वेनिस एवं जिनेवा के व्यापारियों को समस्त पूर्वी व्यापार से बाहर करना
द्वितीय तुर्कों एवं अरबों की बढ़ती हुयी संख्या को संतुलित करने के लिए अफ्रीका एवं एशिया के गैर ईसाईयों को ईसाई बनाना
Question 3 of 29
3. Question
1 points
“यह स्थान 1674 में सम्राट औरंगजेब के सूबेदार शाइस्ता खाँ फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कम्पनी को प्रदान किया था। सप्तवर्षीय (1756-63) में जॉन कम्पनी ने इस पर अधिकार कर लिया। 1757 ई0 किन्तु बाद में (1763) फ्रांसीसियों को वापस कर दिया। 1778 मैं अंग्रेजों द्वारा पुनः अधिकृत यह स्थान अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम (1776-84) छिड़ जाने पर पेरिस की सन्धि (1785) द्वारा पुनः फ्रांसीसियों को सौंप दिया गया। यूरोप में क्रान्तिकारी अपृत होकर स्थान 1815 में पुनः फ्रांसीसियों को अंतिम रूप में सौंप दिया गया। और फिर यह 1915 में भारतीय गणराज्य में स्थानान्तरित होने तक उनके वैदेशिक सामाज्य का अंग बना रहा।” यह संदर्भ किसके प्रति है?
Correct
व्याख्या-
यह विवरण ‘चन्द्रनगर के संदर्भ में दिया गया है।
1674 ई0 फ्रांसीसियों को बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खां ने एक जगह दी
उस 1690-92 ई0 में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी थी।
17वीं शताब्दी के अंत तक फ्रांसीसियों ने, पटना, ढाका, कासिमबाजार और वालाशोर में कोठियां स्थापित की शोभा सिंह और रहीम खान के विद्रोह के समय फ्रांसीसियों ने भी चन्द्रनगर में किलेबन्दी की और इसका नाम ‘फोर्ट औरलिएन्स’ रखा।
Incorrect
व्याख्या-
यह विवरण ‘चन्द्रनगर के संदर्भ में दिया गया है।
1674 ई0 फ्रांसीसियों को बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खां ने एक जगह दी
उस 1690-92 ई0 में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी थी।
17वीं शताब्दी के अंत तक फ्रांसीसियों ने, पटना, ढाका, कासिमबाजार और वालाशोर में कोठियां स्थापित की शोभा सिंह और रहीम खान के विद्रोह के समय फ्रांसीसियों ने भी चन्द्रनगर में किलेबन्दी की और इसका नाम ‘फोर्ट औरलिएन्स’ रखा।
Unattempted
व्याख्या-
यह विवरण ‘चन्द्रनगर के संदर्भ में दिया गया है।
1674 ई0 फ्रांसीसियों को बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खां ने एक जगह दी
उस 1690-92 ई0 में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी थी।
17वीं शताब्दी के अंत तक फ्रांसीसियों ने, पटना, ढाका, कासिमबाजार और वालाशोर में कोठियां स्थापित की शोभा सिंह और रहीम खान के विद्रोह के समय फ्रांसीसियों ने भी चन्द्रनगर में किलेबन्दी की और इसका नाम ‘फोर्ट औरलिएन्स’ रखा।
Question 4 of 29
4. Question
1 points
फ्रांसीसियों ने निम्नांकित किस संधि के द्वारा मद्रास अंग्रेजों को वापस लौटा दिया?
Correct
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये युद्ध
वर्ष 1740-1748 के मध्य यूरोप की अधिकांश महान शक्तियाँ मारिया थेरेसा (Maria Theresa’s) के ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग (Austrian Habsburg) राजवंश के उत्तराधिकार के मुद्दे के कारण संघर्षरत थीं।
इस युद्ध में फ्राँस, प्रशिया, स्पेन, बवेरिया के साथ पूरा यूरोप शामिल था और सैक्सनी ने ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रथम साइलेशियन युद्ध (1740–42) एवं द्वितीय साइलेशियन युद्ध (1744–45) युद्ध की ये दो शृंखलाएँ ऑस्ट्रिया एवं प्रशिया के आसपास केंद्रित थीं।
तीसरा युद्ध भारत एवं उत्तरी अमेरिका में औपनिवेशिक अधिकारों के लिये फ्राँस तथा ब्रिटेन के मध्य चल रहे संघर्ष पर केंद्रित था।
युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेनाओं ने अपनी सैन्य दक्षता को सिद्ध किया।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
इस संधि के तहत फ्राँस ने लुईसबर्ग पर अपने अधिकार के बदले में ऑस्ट्रियाई नीदरलैंड पर अधिकार छोड़ने तथा ब्रिटेन को मद्रास वापस देने पर सहमति व्यक्त की।
मारिया थेरेसा को भी ऑस्ट्रिया के शासक के रूप में मान्यता मिल गई थी।
Incorrect
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये युद्ध
वर्ष 1740-1748 के मध्य यूरोप की अधिकांश महान शक्तियाँ मारिया थेरेसा (Maria Theresa’s) के ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग (Austrian Habsburg) राजवंश के उत्तराधिकार के मुद्दे के कारण संघर्षरत थीं।
इस युद्ध में फ्राँस, प्रशिया, स्पेन, बवेरिया के साथ पूरा यूरोप शामिल था और सैक्सनी ने ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रथम साइलेशियन युद्ध (1740–42) एवं द्वितीय साइलेशियन युद्ध (1744–45) युद्ध की ये दो शृंखलाएँ ऑस्ट्रिया एवं प्रशिया के आसपास केंद्रित थीं।
तीसरा युद्ध भारत एवं उत्तरी अमेरिका में औपनिवेशिक अधिकारों के लिये फ्राँस तथा ब्रिटेन के मध्य चल रहे संघर्ष पर केंद्रित था।
युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेनाओं ने अपनी सैन्य दक्षता को सिद्ध किया।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
इस संधि के तहत फ्राँस ने लुईसबर्ग पर अपने अधिकार के बदले में ऑस्ट्रियाई नीदरलैंड पर अधिकार छोड़ने तथा ब्रिटेन को मद्रास वापस देने पर सहमति व्यक्त की।
मारिया थेरेसा को भी ऑस्ट्रिया के शासक के रूप में मान्यता मिल गई थी।
Unattempted
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये युद्ध
वर्ष 1740-1748 के मध्य यूरोप की अधिकांश महान शक्तियाँ मारिया थेरेसा (Maria Theresa’s) के ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग (Austrian Habsburg) राजवंश के उत्तराधिकार के मुद्दे के कारण संघर्षरत थीं।
इस युद्ध में फ्राँस, प्रशिया, स्पेन, बवेरिया के साथ पूरा यूरोप शामिल था और सैक्सनी ने ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रथम साइलेशियन युद्ध (1740–42) एवं द्वितीय साइलेशियन युद्ध (1744–45) युद्ध की ये दो शृंखलाएँ ऑस्ट्रिया एवं प्रशिया के आसपास केंद्रित थीं।
तीसरा युद्ध भारत एवं उत्तरी अमेरिका में औपनिवेशिक अधिकारों के लिये फ्राँस तथा ब्रिटेन के मध्य चल रहे संघर्ष पर केंद्रित था।
युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेनाओं ने अपनी सैन्य दक्षता को सिद्ध किया।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
इस संधि के तहत फ्राँस ने लुईसबर्ग पर अपने अधिकार के बदले में ऑस्ट्रियाई नीदरलैंड पर अधिकार छोड़ने तथा ब्रिटेन को मद्रास वापस देने पर सहमति व्यक्त की।
मारिया थेरेसा को भी ऑस्ट्रिया के शासक के रूप में मान्यता मिल गई थी।
Question 5 of 29
5. Question
1 points
निम्नांकित युद्धों में से किस एक ने भारत में फ्रेंच के भाग्य का निर्णय कर दिया?
Correct
व्याख्या-
वांडीवाश का युद्ध वर्ष 1760 में अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों के मध्य लड़ा गया था।
वांडीवाश का युद्ध अंग्रेजो और फ्रांसीसियों के मध्य यूरोप में चल रहे सप्तवर्षीय युद्ध(1756-1763) का ही एक भाग था
आयरकूट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने काउंट लाली के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सेना को पराजित कर दिया।
1761 ई. में अंग्रेजों ने पाण्डिचेरी को भी अपने अधिकार में कर लिया
1763 में पेरिस की संधि के तहत यूरोप में सप्त वर्षीय युद्ध समाप्त हो गए।अतः यूरोप में संधि होने के बाद भारत में भी अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य संधि हो गई।
Incorrect
व्याख्या-
वांडीवाश का युद्ध वर्ष 1760 में अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों के मध्य लड़ा गया था।
वांडीवाश का युद्ध अंग्रेजो और फ्रांसीसियों के मध्य यूरोप में चल रहे सप्तवर्षीय युद्ध(1756-1763) का ही एक भाग था
आयरकूट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने काउंट लाली के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सेना को पराजित कर दिया।
1761 ई. में अंग्रेजों ने पाण्डिचेरी को भी अपने अधिकार में कर लिया
1763 में पेरिस की संधि के तहत यूरोप में सप्त वर्षीय युद्ध समाप्त हो गए।अतः यूरोप में संधि होने के बाद भारत में भी अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य संधि हो गई।
Unattempted
व्याख्या-
वांडीवाश का युद्ध वर्ष 1760 में अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों के मध्य लड़ा गया था।
वांडीवाश का युद्ध अंग्रेजो और फ्रांसीसियों के मध्य यूरोप में चल रहे सप्तवर्षीय युद्ध(1756-1763) का ही एक भाग था
आयरकूट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने काउंट लाली के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सेना को पराजित कर दिया।
1761 ई. में अंग्रेजों ने पाण्डिचेरी को भी अपने अधिकार में कर लिया
1763 में पेरिस की संधि के तहत यूरोप में सप्त वर्षीय युद्ध समाप्त हो गए।अतः यूरोप में संधि होने के बाद भारत में भी अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य संधि हो गई।
Question 6 of 29
6. Question
1 points
फ्रांसीसी राज्य में पांण्डिचेरी को पूर्व विलयित हो गया था
Correct
व्याख्या-
1664 ई0 में कोल्बर्ट के प्रयास से फ्रांस के सम्राट लुई’ 14वां के समय फ्रांसीसी कंपनी कंपनी द इण्ड ओरियण्टल’ की स्थापना हुई।
1668 ई. में भारत में फ्रासीसियों की पहली कोठी फ्रैंको कैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 ई. में मसुलीपट्टनम में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1672 ई. में सानथोमी में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1673 ई. में वलिकांडापुरम के सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक गाँव प्राप्त करके पाण्डेिचेरी नामक फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गयी।
बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खाँ से एक गाँव प्राप्त करके 1690-92 ई. में चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी।
1725 ई. में मालाबार तट माही पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
1739 ई. में कारीकाल पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
Incorrect
व्याख्या-
1664 ई0 में कोल्बर्ट के प्रयास से फ्रांस के सम्राट लुई’ 14वां के समय फ्रांसीसी कंपनी कंपनी द इण्ड ओरियण्टल’ की स्थापना हुई।
1668 ई. में भारत में फ्रासीसियों की पहली कोठी फ्रैंको कैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 ई. में मसुलीपट्टनम में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1672 ई. में सानथोमी में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1673 ई. में वलिकांडापुरम के सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक गाँव प्राप्त करके पाण्डेिचेरी नामक फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गयी।
बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खाँ से एक गाँव प्राप्त करके 1690-92 ई. में चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी।
1725 ई. में मालाबार तट माही पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
1739 ई. में कारीकाल पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
Unattempted
व्याख्या-
1664 ई0 में कोल्बर्ट के प्रयास से फ्रांस के सम्राट लुई’ 14वां के समय फ्रांसीसी कंपनी कंपनी द इण्ड ओरियण्टल’ की स्थापना हुई।
1668 ई. में भारत में फ्रासीसियों की पहली कोठी फ्रैंको कैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 ई. में मसुलीपट्टनम में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1672 ई. में सानथोमी में फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई
1673 ई. में वलिकांडापुरम के सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक गाँव प्राप्त करके पाण्डेिचेरी नामक फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गयी।
बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खाँ से एक गाँव प्राप्त करके 1690-92 ई. में चन्द्रनगर की प्रसिद्ध कोठी बनायी।
1725 ई. में मालाबार तट माही पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
1739 ई. में कारीकाल पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया ।
Question 7 of 29
7. Question
1 points
फ्रांसीसियों की हार के प्रमुख कारणों में कौन था
Correct
व्याख्या-
फ्रांस की तुलना में ब्रिटेन की नौ-सेना अधिक शक्तिशाली थी।
आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध के समय ही ब्रिटेन ने फ्रांस की नौ-सेना पर श्रेष्ठता स्थापित की थी।
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांस की तुलना में ब्रिटेन की नौ-सेना अधिक शक्तिशाली थी।
आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध के समय ही ब्रिटेन ने फ्रांस की नौ-सेना पर श्रेष्ठता स्थापित की थी।
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांस की तुलना में ब्रिटेन की नौ-सेना अधिक शक्तिशाली थी।
आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध के समय ही ब्रिटेन ने फ्रांस की नौ-सेना पर श्रेष्ठता स्थापित की थी।
Question 8 of 29
8. Question
1 points
सूची । को सूची II से सुमेलित कीजिए
सूची । सूची ॥
A डच 1. गोवा
B इंग्लिश 2. पुलीकट
C.पुर्तगीज 3. हुगली
D फ्रेंच 4. चिनसुरा
Correct
व्याख्या-
1503 ई. में पुर्तगालियों ने कोचीन में पहली फैक्ट्री बनायी गयी।
1505 ई. में कन्नूर में दूसरी फैक्टरी स्थापित की थी
1510 ई. में पुर्तगाली वायसराय अल्बुकर्क ने बीजापुर के आदिलशाही सल्तान से गोवा को जीत लिया।
बंगाल में प्रथम डच फैक्टरी की स्थापना पीपली में सन् 1627 ई. में की गयी।
1653 ई. में हुगली के निकट ‘चिनसुरा में डचों ने अपनी कोठी स्थापित की।
अंग्रेजो ने 1633 ई. में उड़ीसा के हरिहरपुर तथा बालासोर में व्यापारिक कोठियां स्थापित की गयी।
1657 ई. में अंग्रेजों ने एक कोटी ‘हुगली में जमैन के अधीन खाली गयी।
अंग्रेजों ने पटना, ढाका तथा कासिमबाजार में भी कोठियां स्थापित की गयी।
पुलीकट’ में फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गई थी।
Incorrect
व्याख्या-
1503 ई. में पुर्तगालियों ने कोचीन में पहली फैक्ट्री बनायी गयी।
1505 ई. में कन्नूर में दूसरी फैक्टरी स्थापित की थी
1510 ई. में पुर्तगाली वायसराय अल्बुकर्क ने बीजापुर के आदिलशाही सल्तान से गोवा को जीत लिया।
बंगाल में प्रथम डच फैक्टरी की स्थापना पीपली में सन् 1627 ई. में की गयी।
1653 ई. में हुगली के निकट ‘चिनसुरा में डचों ने अपनी कोठी स्थापित की।
अंग्रेजो ने 1633 ई. में उड़ीसा के हरिहरपुर तथा बालासोर में व्यापारिक कोठियां स्थापित की गयी।
1657 ई. में अंग्रेजों ने एक कोटी ‘हुगली में जमैन के अधीन खाली गयी।
अंग्रेजों ने पटना, ढाका तथा कासिमबाजार में भी कोठियां स्थापित की गयी।
पुलीकट’ में फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गई थी।
Unattempted
व्याख्या-
1503 ई. में पुर्तगालियों ने कोचीन में पहली फैक्ट्री बनायी गयी।
1505 ई. में कन्नूर में दूसरी फैक्टरी स्थापित की थी
1510 ई. में पुर्तगाली वायसराय अल्बुकर्क ने बीजापुर के आदिलशाही सल्तान से गोवा को जीत लिया।
बंगाल में प्रथम डच फैक्टरी की स्थापना पीपली में सन् 1627 ई. में की गयी।
1653 ई. में हुगली के निकट ‘चिनसुरा में डचों ने अपनी कोठी स्थापित की।
अंग्रेजो ने 1633 ई. में उड़ीसा के हरिहरपुर तथा बालासोर में व्यापारिक कोठियां स्थापित की गयी।
1657 ई. में अंग्रेजों ने एक कोटी ‘हुगली में जमैन के अधीन खाली गयी।
अंग्रेजों ने पटना, ढाका तथा कासिमबाजार में भी कोठियां स्थापित की गयी।
पुलीकट’ में फ्रांसीसी बस्ती स्थापित की गई थी।
Question 9 of 29
9. Question
1 points
निम्न में कौन राही सुमेलित है.
पुर्तगाल -एस्तादो द इण्डिया
फ्रांस – वेरीनिग्दे ओस्ट इण्डिशे कम्पनी
हालैण्ड -कम्पनी द इण्डे ओरियण्टलस
Correct
व्याख्या-
पुर्तगाली कम्पनी – ‘एस्तादो द इंडिया’ ।
फ्रांसीसी कंपनी -“कंपनी द इंड ओरियण्टल
हालैण्ड कंपनी – वेरी निग्गे ओस्ट इण्डिशे कम्पनिक
आंग्ल ईस्ट इंडिया कम्पनी – दि गर्वनर एण्ड दि कम्पनी ऑफ मर्चेन्ट ऑफ लन्दन ट्रेडिंग इन टू दि ईस्ट इंडीज
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 ई. में हुई थी।
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम ‘कम्पने देश इण्दसे ओरियंटलस’ रखा गया था।
Incorrect
व्याख्या-
पुर्तगाली कम्पनी – ‘एस्तादो द इंडिया’ ।
फ्रांसीसी कंपनी -“कंपनी द इंड ओरियण्टल
हालैण्ड कंपनी – वेरी निग्गे ओस्ट इण्डिशे कम्पनिक
आंग्ल ईस्ट इंडिया कम्पनी – दि गर्वनर एण्ड दि कम्पनी ऑफ मर्चेन्ट ऑफ लन्दन ट्रेडिंग इन टू दि ईस्ट इंडीज
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 ई. में हुई थी।
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम ‘कम्पने देश इण्दसे ओरियंटलस’ रखा गया था।
Unattempted
व्याख्या-
पुर्तगाली कम्पनी – ‘एस्तादो द इंडिया’ ।
फ्रांसीसी कंपनी -“कंपनी द इंड ओरियण्टल
हालैण्ड कंपनी – वेरी निग्गे ओस्ट इण्डिशे कम्पनिक
आंग्ल ईस्ट इंडिया कम्पनी – दि गर्वनर एण्ड दि कम्पनी ऑफ मर्चेन्ट ऑफ लन्दन ट्रेडिंग इन टू दि ईस्ट इंडीज
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 ई. में हुई थी।
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम ‘कम्पने देश इण्दसे ओरियंटलस’ रखा गया था।
Question 10 of 29
10. Question
1 points
नीचे दिये गये यूरोपियन युद्धों में से किसने भारतवर्ष में प्रथम कर्नाटक युद्ध भड़का दिया?
Correct
व्याख्या –
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-1748 ई. तक लड़ा गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध ‘आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध’ से प्रभावित था
युद्ध का तत्कालीन कारण – ब्रिटिश नौसेना अधिकारी बार्नेट द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर कब्जा कर लेना।
1748 में एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से ऑस्ट्रिया का युद्ध समाप्त हो गया।
1748 में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसीयों के मध्य प्रथम कर्नाटक युद्ध भी समाप्त हो गया।
एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से मद्रास अंग्रेजों को मिल गया
Incorrect
व्याख्या –
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-1748 ई. तक लड़ा गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध ‘आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध’ से प्रभावित था
युद्ध का तत्कालीन कारण – ब्रिटिश नौसेना अधिकारी बार्नेट द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर कब्जा कर लेना।
1748 में एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से ऑस्ट्रिया का युद्ध समाप्त हो गया।
1748 में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसीयों के मध्य प्रथम कर्नाटक युद्ध भी समाप्त हो गया।
एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से मद्रास अंग्रेजों को मिल गया
Unattempted
व्याख्या –
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-1748 ई. तक लड़ा गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध ‘आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध’ से प्रभावित था
युद्ध का तत्कालीन कारण – ब्रिटिश नौसेना अधिकारी बार्नेट द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर कब्जा कर लेना।
1748 में एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से ऑस्ट्रिया का युद्ध समाप्त हो गया।
1748 में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसीयों के मध्य प्रथम कर्नाटक युद्ध भी समाप्त हो गया।
एक्स-ला-शैपेला की सन्धि से मद्रास अंग्रेजों को मिल गया
Question 11 of 29
11. Question
1 points
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का राजा था
Correct
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
फ्रांसीसी कंपनी की स्थापना के समय फ्रांस का सम्राट लुई XIV था।
कर्नाटक के तीन युद्ध सन 1746-1763 के मध्य में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच हुए।
कर्नाटक के तीनो युद्ध-
1746 से 48 ई. (प्रथम युद्ध) 1
749-54 ई. (द्वितीय युद्ध)
1756-63 ई. (तृतीय युद्ध)
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई0 के बीच,
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1948 में यूरोप में हुई ओक्सा-ला-शैपेल संधि के साथ समाप्त हुआ
द्वितीय कनार्टक युद्ध 1749-54 ई0 के बीच
कर्नाटक के द्वितीय युद्ध के बाद पांडिचेरी की संधि 1754 में की जाती है
तृतीय कर्नाटक युद्ध 1756-63 ई0 के बीच लड़े गये।
अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को 1760 के वाण्डीवाश के युद्ध में पराजित कर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।
1763 में तीसरे कर्नाटक युद्ध का अंत पेरिस की संधि के साथ होता है |
Incorrect
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
फ्रांसीसी कंपनी की स्थापना के समय फ्रांस का सम्राट लुई XIV था।
कर्नाटक के तीन युद्ध सन 1746-1763 के मध्य में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच हुए।
कर्नाटक के तीनो युद्ध-
1746 से 48 ई. (प्रथम युद्ध) 1
749-54 ई. (द्वितीय युद्ध)
1756-63 ई. (तृतीय युद्ध)
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई0 के बीच,
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1948 में यूरोप में हुई ओक्सा-ला-शैपेल संधि के साथ समाप्त हुआ
द्वितीय कनार्टक युद्ध 1749-54 ई0 के बीच
कर्नाटक के द्वितीय युद्ध के बाद पांडिचेरी की संधि 1754 में की जाती है
तृतीय कर्नाटक युद्ध 1756-63 ई0 के बीच लड़े गये।
अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को 1760 के वाण्डीवाश के युद्ध में पराजित कर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।
1763 में तीसरे कर्नाटक युद्ध का अंत पेरिस की संधि के साथ होता है |
Unattempted
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
फ्रांसीसी कंपनी की स्थापना के समय फ्रांस का सम्राट लुई XIV था।
कर्नाटक के तीन युद्ध सन 1746-1763 के मध्य में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच हुए।
कर्नाटक के तीनो युद्ध-
1746 से 48 ई. (प्रथम युद्ध) 1
749-54 ई. (द्वितीय युद्ध)
1756-63 ई. (तृतीय युद्ध)
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई0 के बीच,
प्रथम कर्नाटक युद्ध 1948 में यूरोप में हुई ओक्सा-ला-शैपेल संधि के साथ समाप्त हुआ
द्वितीय कनार्टक युद्ध 1749-54 ई0 के बीच
कर्नाटक के द्वितीय युद्ध के बाद पांडिचेरी की संधि 1754 में की जाती है
तृतीय कर्नाटक युद्ध 1756-63 ई0 के बीच लड़े गये।
अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को 1760 के वाण्डीवाश के युद्ध में पराजित कर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।
1763 में तीसरे कर्नाटक युद्ध का अंत पेरिस की संधि के साथ होता है |
Question 12 of 29
12. Question
1 points
18वीं शताब्दी में भारत में फ्रांसीसी कम्पनी की वास्तविक स्थिति के बारे में क्या सत्य है
Correct
व्याख्या-
फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Question 13 of 29
13. Question
1 points
भारत में प्रथम फ्रांसीसी कम्पनी किसने स्थापित की थी
Correct
व्याख्या-
1664 ई. में फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Incorrect
व्याख्या-
1664 ई. में फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Unattempted
व्याख्या-
1664 ई. में फ्रांस के शासक लईXIV के समय में प्रधानमंत्री कोल्बर्ट ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
फ्रांसीसी कंपनी का प्रारम्भिक नाम “कंपनी द इन्ड ओरियेन्टल’ था।
भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के संघर्ष के दौरान फ्रांस का सम्राट लुई XV था
Question 14 of 29
14. Question
1 points
फ्रांसीसियों का प्राचीनतम् कारखाना कहाँ स्थापित हुआ था
Correct
व्याख्या-
1668 ई० में भारत में फ्रांसीसियों की पहली कोठी फ्रेंकोकैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 में दुरारी फ्रांसीसी कोठी मसूलीपट्टनम में स्थापित हुई।
1672 ई. में सेनथोमी में
1673 में पांडिचेरी में
पांडिचेरी पूरी तरह किला बन्द फैक्ट्री थी।
पांडिचेरी– फ्रांसीसी कम्पनी के निर्देशक को मार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने वलिकोंडापुरम् के मुस्लिम सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक छोटा गांव प्राप्त करके एक फ्रांसिसी बस्ती स्थापित की।
Incorrect
व्याख्या-
1668 ई० में भारत में फ्रांसीसियों की पहली कोठी फ्रेंकोकैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 में दुरारी फ्रांसीसी कोठी मसूलीपट्टनम में स्थापित हुई।
1672 ई. में सेनथोमी में
1673 में पांडिचेरी में
पांडिचेरी पूरी तरह किला बन्द फैक्ट्री थी।
पांडिचेरी– फ्रांसीसी कम्पनी के निर्देशक को मार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने वलिकोंडापुरम् के मुस्लिम सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक छोटा गांव प्राप्त करके एक फ्रांसिसी बस्ती स्थापित की।
Unattempted
व्याख्या-
1668 ई० में भारत में फ्रांसीसियों की पहली कोठी फ्रेंकोकैरो द्वारा सूरत में स्थापित हुई।
1669 में दुरारी फ्रांसीसी कोठी मसूलीपट्टनम में स्थापित हुई।
1672 ई. में सेनथोमी में
1673 में पांडिचेरी में
पांडिचेरी पूरी तरह किला बन्द फैक्ट्री थी।
पांडिचेरी– फ्रांसीसी कम्पनी के निर्देशक को मार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने वलिकोंडापुरम् के मुस्लिम सूबेदार शेर खाँ लोदी से एक छोटा गांव प्राप्त करके एक फ्रांसिसी बस्ती स्थापित की।
Question 15 of 29
15. Question
1 points
निम्न में से कौन सही सुमेलित है:
पुर्तगाल एस्तादो ए इण्डिया
फ्रांस हवेरी निग्दे ओस्ट इण्डिशे कम्पनिक
हालैण्ड काचनी द इण्डे ओरियण्टल
Correct
व्याख्या-
विदेशी कंपनियां
कंपनी
स्थापना वर्ष
एस्तादो द इंडिया(पुर्तगाली कंपनी)
1948
वेरिगिंदे ओस्त ईदिशे कंपनी (डच ईस्ट इंडिया कंपनी)
1602
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी
1600 (1599)
डेन ईस्ट इंडिया कंपनी
1616
कम्पने देस ईनदेश ओरियंटलेश (फ़्रांसिसी कंपनी)
1664
यूरोपीय व्यापारिक कंपनी से संबद्ध व्यक्ति
वास्कोडिगामा
भारत आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री
पेड्रो अल्वरेज कैब्राल
भारत आने वाला द्वितीय पुर्तगाली
फ्रांसिस्को डी अल्मेड़ा
भारत का प्रथम पुर्तगाली गवर्नर
जॉन मिल्देनहॉल
भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक
कैप्टन हॉकिंस
प्रथम अंग्रेज दूत जिसने सम्राट जहांगीर से भेट की
जैराल्ड औंगियार
बंम्बई का संस्थापक
जॉब चार्नोक
कलकत्ता का संस्थापक
चाल्र्स आयर
फोर्ट विलियम (कलकत्ता) का प्रथम प्रशाशक
विलियम नारिश
1638 ई. में स्थापित नई ब्रिटिश कंपनी ‘ट्रेडिंग इन द ईस्ट’ का दूत जो व्यापारिक विशेषाधिकार हेतु औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुआ
फ्रैंकोइस मार्टिन
पांडिचेरी का प्रथम फ़्रांसिसी गवर्नर
फ्रांसिस डे
मद्रास का संस्थापक
शोभा सिंह
बर्धमान का जमींदार, जिसने 1690 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया
इब्राहिम खान
कालिकाता, गोविंदपुर तथा सूतानटी का जमींदार
जॉन सुरमन
मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से विशेष व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने वाला शिस्टमण्डल का मुखिया
फादर मोंसरेट
अकबर के दरबार में पहुँचने वाले प्रथम शिष्टमंडल के अध्यक्ष
कैरोंन फ्रैंक
इसने भारत में प्रथम फ़्रांसिसी फैक्ट्री की सूरत में स्थापना की
Incorrect
व्याख्या-
विदेशी कंपनियां
कंपनी
स्थापना वर्ष
एस्तादो द इंडिया(पुर्तगाली कंपनी)
1948
वेरिगिंदे ओस्त ईदिशे कंपनी (डच ईस्ट इंडिया कंपनी)
1602
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी
1600 (1599)
डेन ईस्ट इंडिया कंपनी
1616
कम्पने देस ईनदेश ओरियंटलेश (फ़्रांसिसी कंपनी)
1664
यूरोपीय व्यापारिक कंपनी से संबद्ध व्यक्ति
वास्कोडिगामा
भारत आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री
पेड्रो अल्वरेज कैब्राल
भारत आने वाला द्वितीय पुर्तगाली
फ्रांसिस्को डी अल्मेड़ा
भारत का प्रथम पुर्तगाली गवर्नर
जॉन मिल्देनहॉल
भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक
कैप्टन हॉकिंस
प्रथम अंग्रेज दूत जिसने सम्राट जहांगीर से भेट की
जैराल्ड औंगियार
बंम्बई का संस्थापक
जॉब चार्नोक
कलकत्ता का संस्थापक
चाल्र्स आयर
फोर्ट विलियम (कलकत्ता) का प्रथम प्रशाशक
विलियम नारिश
1638 ई. में स्थापित नई ब्रिटिश कंपनी ‘ट्रेडिंग इन द ईस्ट’ का दूत जो व्यापारिक विशेषाधिकार हेतु औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुआ
फ्रैंकोइस मार्टिन
पांडिचेरी का प्रथम फ़्रांसिसी गवर्नर
फ्रांसिस डे
मद्रास का संस्थापक
शोभा सिंह
बर्धमान का जमींदार, जिसने 1690 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया
इब्राहिम खान
कालिकाता, गोविंदपुर तथा सूतानटी का जमींदार
जॉन सुरमन
मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से विशेष व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने वाला शिस्टमण्डल का मुखिया
फादर मोंसरेट
अकबर के दरबार में पहुँचने वाले प्रथम शिष्टमंडल के अध्यक्ष
कैरोंन फ्रैंक
इसने भारत में प्रथम फ़्रांसिसी फैक्ट्री की सूरत में स्थापना की
Unattempted
व्याख्या-
विदेशी कंपनियां
कंपनी
स्थापना वर्ष
एस्तादो द इंडिया(पुर्तगाली कंपनी)
1948
वेरिगिंदे ओस्त ईदिशे कंपनी (डच ईस्ट इंडिया कंपनी)
1602
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी
1600 (1599)
डेन ईस्ट इंडिया कंपनी
1616
कम्पने देस ईनदेश ओरियंटलेश (फ़्रांसिसी कंपनी)
1664
यूरोपीय व्यापारिक कंपनी से संबद्ध व्यक्ति
वास्कोडिगामा
भारत आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री
पेड्रो अल्वरेज कैब्राल
भारत आने वाला द्वितीय पुर्तगाली
फ्रांसिस्को डी अल्मेड़ा
भारत का प्रथम पुर्तगाली गवर्नर
जॉन मिल्देनहॉल
भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक
कैप्टन हॉकिंस
प्रथम अंग्रेज दूत जिसने सम्राट जहांगीर से भेट की
जैराल्ड औंगियार
बंम्बई का संस्थापक
जॉब चार्नोक
कलकत्ता का संस्थापक
चाल्र्स आयर
फोर्ट विलियम (कलकत्ता) का प्रथम प्रशाशक
विलियम नारिश
1638 ई. में स्थापित नई ब्रिटिश कंपनी ‘ट्रेडिंग इन द ईस्ट’ का दूत जो व्यापारिक विशेषाधिकार हेतु औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुआ
फ्रैंकोइस मार्टिन
पांडिचेरी का प्रथम फ़्रांसिसी गवर्नर
फ्रांसिस डे
मद्रास का संस्थापक
शोभा सिंह
बर्धमान का जमींदार, जिसने 1690 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया
इब्राहिम खान
कालिकाता, गोविंदपुर तथा सूतानटी का जमींदार
जॉन सुरमन
मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से विशेष व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने वाला शिस्टमण्डल का मुखिया
फादर मोंसरेट
अकबर के दरबार में पहुँचने वाले प्रथम शिष्टमंडल के अध्यक्ष
कैरोंन फ्रैंक
इसने भारत में प्रथम फ़्रांसिसी फैक्ट्री की सूरत में स्थापना की
Question 16 of 29
16. Question
1 points
फ्रांसीसियों ने किस संधि के द्वारा! मद्रास अंग्रेजों को वापस लौटा दिया
Correct
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54)
द्वितीय कर्नाटक युद्ध की नींव भारत में एंग्लो-फ्रेंच प्रतिद्वंद्विता के कारण रखी गई थी।
प्रथम कर्नाटक युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भी भारत में दीर्घावधि तक शांति नहीं रही।
वर्ष 1748 में दक्कन के मुगल गवर्नर एवं हैदराबाद के अर्द्ध-स्वतंत्र नवाब निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु हो गई।
निज़ाम की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकार के लिये संघर्ष आरंभ हो गया तथा ब्रिटिश एवं फ्राँसीसी दोनों ने इस पर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की जो कि विवाद का कारण बन गया।
फ्राँसीसी गवर्नर डुप्लेक्स जो कि प्रथम कर्नाटक युद्ध में सफलतापूर्वक फ्राँसीसी सेना का नेतृत्व कर चुका था, ने अंग्रेज़ों को हराने के लिये स्थानीय राजवंशीय विवादों में दखल देकर दक्षिण भारत में अपनी शक्ति एवं फ्राँसीसी राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया।
परिणामस्वरूप द्वितीय कर्नाटक युद्ध वर्ष 1749 से 1754 तक चला एवं अंग्रेज़ों ने दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मज़बूत की।
फ्राँसीसी गवर्नर-जनरल के रूप में चार्ल्स रॉबर्ट गोदेहेउ ,अंग्रेज़ों के साथ बातचीत की नीति अपनाई और उनके साथ पुद्दुचेरी संधि पर हस्ताक्षर किये
द्वितीय कर्नाटक युद्ध पुद्दुचेरी संधि (1754) के साथ समाप्त हुआ
तृतीय कर्नाटक युद्ध अथवा वांडिवाश का युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Incorrect
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54)
द्वितीय कर्नाटक युद्ध की नींव भारत में एंग्लो-फ्रेंच प्रतिद्वंद्विता के कारण रखी गई थी।
प्रथम कर्नाटक युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भी भारत में दीर्घावधि तक शांति नहीं रही।
वर्ष 1748 में दक्कन के मुगल गवर्नर एवं हैदराबाद के अर्द्ध-स्वतंत्र नवाब निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु हो गई।
निज़ाम की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकार के लिये संघर्ष आरंभ हो गया तथा ब्रिटिश एवं फ्राँसीसी दोनों ने इस पर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की जो कि विवाद का कारण बन गया।
फ्राँसीसी गवर्नर डुप्लेक्स जो कि प्रथम कर्नाटक युद्ध में सफलतापूर्वक फ्राँसीसी सेना का नेतृत्व कर चुका था, ने अंग्रेज़ों को हराने के लिये स्थानीय राजवंशीय विवादों में दखल देकर दक्षिण भारत में अपनी शक्ति एवं फ्राँसीसी राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया।
परिणामस्वरूप द्वितीय कर्नाटक युद्ध वर्ष 1749 से 1754 तक चला एवं अंग्रेज़ों ने दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मज़बूत की।
फ्राँसीसी गवर्नर-जनरल के रूप में चार्ल्स रॉबर्ट गोदेहेउ ,अंग्रेज़ों के साथ बातचीत की नीति अपनाई और उनके साथ पुद्दुचेरी संधि पर हस्ताक्षर किये
द्वितीय कर्नाटक युद्ध पुद्दुचेरी संधि (1754) के साथ समाप्त हुआ
तृतीय कर्नाटक युद्ध अथवा वांडिवाश का युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Unattempted
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54)
द्वितीय कर्नाटक युद्ध की नींव भारत में एंग्लो-फ्रेंच प्रतिद्वंद्विता के कारण रखी गई थी।
प्रथम कर्नाटक युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भी भारत में दीर्घावधि तक शांति नहीं रही।
वर्ष 1748 में दक्कन के मुगल गवर्नर एवं हैदराबाद के अर्द्ध-स्वतंत्र नवाब निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु हो गई।
निज़ाम की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकार के लिये संघर्ष आरंभ हो गया तथा ब्रिटिश एवं फ्राँसीसी दोनों ने इस पर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की जो कि विवाद का कारण बन गया।
फ्राँसीसी गवर्नर डुप्लेक्स जो कि प्रथम कर्नाटक युद्ध में सफलतापूर्वक फ्राँसीसी सेना का नेतृत्व कर चुका था, ने अंग्रेज़ों को हराने के लिये स्थानीय राजवंशीय विवादों में दखल देकर दक्षिण भारत में अपनी शक्ति एवं फ्राँसीसी राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया।
परिणामस्वरूप द्वितीय कर्नाटक युद्ध वर्ष 1749 से 1754 तक चला एवं अंग्रेज़ों ने दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मज़बूत की।
फ्राँसीसी गवर्नर-जनरल के रूप में चार्ल्स रॉबर्ट गोदेहेउ ,अंग्रेज़ों के साथ बातचीत की नीति अपनाई और उनके साथ पुद्दुचेरी संधि पर हस्ताक्षर किये
द्वितीय कर्नाटक युद्ध पुद्दुचेरी संधि (1754) के साथ समाप्त हुआ
तृतीय कर्नाटक युद्ध अथवा वांडिवाश का युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Question 17 of 29
17. Question
1 points
18वी शताब्दी के भारत में फ्रांसीसी कम्पनी की स्थिति के बारे में निम्नलिखित में क्या सत्य है?
Correct
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Incorrect
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Unattempted
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Question 18 of 29
18. Question
1 points
भारत में प्रथम फ्रांसीसी बस्ती कहाँ थी
Correct
व्याख्या-
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
1673 ई. में कंपनी के निदेशक फ्रैंकोमार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने पाण्डेिचरी स्थापित की।
पाण्डेिचरी पूरी तरह किले बंद बस्ती थी
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर(बंगाल ) में कोठी बनाई।
भारत में आने वाली प्रथम यूरोपीय कंपनी पुर्तगीजों की प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था
पुर्तगीजों ने गोवा बीजापुर के सुल्तान से प्राप्त किया था
हुगली बंगाल में मुख्यतः अंग्रेजों की बस्ती थी।
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
1673 ई. में कंपनी के निदेशक फ्रैंकोमार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने पाण्डेिचरी स्थापित की।
पाण्डेिचरी पूरी तरह किले बंद बस्ती थी
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर(बंगाल ) में कोठी बनाई।
भारत में आने वाली प्रथम यूरोपीय कंपनी पुर्तगीजों की प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था
पुर्तगीजों ने गोवा बीजापुर के सुल्तान से प्राप्त किया था
हुगली बंगाल में मुख्यतः अंग्रेजों की बस्ती थी।
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
1673 ई. में कंपनी के निदेशक फ्रैंकोमार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने पाण्डेिचरी स्थापित की।
पाण्डेिचरी पूरी तरह किले बंद बस्ती थी
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर(बंगाल ) में कोठी बनाई।
भारत में आने वाली प्रथम यूरोपीय कंपनी पुर्तगीजों की प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था
पुर्तगीजों ने गोवा बीजापुर के सुल्तान से प्राप्त किया था
हुगली बंगाल में मुख्यतः अंग्रेजों की बस्ती थी।
Question 19 of 29
19. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा कथन 18वीं सदी में भारत में फ्रांसीसी कंपनी के विषय में सत्य है.
Correct
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Incorrect
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Unattempted
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
Question 20 of 29
20. Question
1 points
प्रथम कर्नाटक युद्ध के परिणामस्वरूप दक्षिण भारत में किसकी प्रतिष्ठा बढ़ी ?
Correct
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
तात्कालिक कारण– अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों को अपने अधिकार में कर लेना था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि में मद्रास अंग्रेजों मिल गया
प्रथम कर्नाटक युद्ध के परिणामस्वरूप दक्षिण भारत में फ्राँसीसीयो की प्रतिष्ठा बढ़ी
Incorrect
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
तात्कालिक कारण– अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों को अपने अधिकार में कर लेना था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि में मद्रास अंग्रेजों मिल गया
प्रथम कर्नाटक युद्ध के परिणामस्वरूप दक्षिण भारत में फ्राँसीसीयो की प्रतिष्ठा बढ़ी
Unattempted
व्याख्या-
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)-
कोरोमंडल तट एवं इसके आतंरिक इलाकों को ‘कर्नाटक’ नाम यूरोपियों द्वारा दिया गया था।
तात्कालिक कारण– अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों को अपने अधिकार में कर लेना था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध यूरोप के एंग्लो-फ्राँसीसी युद्ध का विस्तार था जो ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के लिये हुआ था।
प्रथम कर्नाटक युद्ध को सेंट थोम (St. Thome) के युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो फ्राँसीसी सेनाओं एवं कर्नाटक के नवाब अनवर-उद-दीन (Anwar-ud-din) की सेनाओं के मध्य लड़ा गया था, अनवर-उद-दीन से अंग्रेज़ों ने सहायता की अपील की थी।
अक्तूबर 1748 में हस्ताक्षरित ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ।
ऐक्स-ला-शैपेल (Aix-la-Chapelle) की शांति संधि में मद्रास अंग्रेजों मिल गया
प्रथम कर्नाटक युद्ध के परिणामस्वरूप दक्षिण भारत में फ्राँसीसीयो की प्रतिष्ठा बढ़ी
Question 21 of 29
21. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा एक फ्रांसीसी क्षेत्र था
Correct
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
फ्रांसीसियों ने 1673 ई. में पाण्डिचेरी पर अधिकार कर लिया
1690-92 ई. में चन्द्रनगर पर अधिकार कर लिया
1724 ई. में माहे पर अधिकार कर लिया।
Incorrect
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
फ्रांसीसियों ने 1673 ई. में पाण्डिचेरी पर अधिकार कर लिया
1690-92 ई. में चन्द्रनगर पर अधिकार कर लिया
1724 ई. में माहे पर अधिकार कर लिया।
Unattempted
व्याख्या-
यूरोपीय कंपनियों में फ्रांसीसी कम्पनी सबसे अंत में भारत आयी ।
लुई चौदहवें के मंत्री कोलर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई
फ्रांसीसी कम्पनी को कम्पने देस ईनदेश ओरियेन्टल कहा गया।
फ्रांस की व्यापारिक कंपनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था।
फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी व्यापारिक कंपनी / सरकारी उपक्रम कहा जाता था।
फ्रांसिस फ्रैंको कैरो के नेतृत्व में 1668 ई. में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी व्यापारिक कारखाने की स्थापना हुई।
1669 ई. में मर्करा ने गोलकुण्डा सुतान से अनुमति प्राप्त कर मसुलीपट्टनम में दुसरी फ्रेंच फैक्टरी की स्थापना की गयी थी।
फ्रांसीसियों ने 1673 ई. में पाण्डिचेरी पर अधिकार कर लिया
1690-92 ई. में चन्द्रनगर पर अधिकार कर लिया
1724 ई. में माहे पर अधिकार कर लिया।
Question 22 of 29
22. Question
1 points
फ्रांसीसियों का प्रभुत्व भारत में किस युद्ध के उपरांत युद्ध समाप्त हो गया
Correct
व्याख्या-
तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
वांडीवास का युद्ध -22 जनवरी, 1760 ई. को लड़े गये फ्रांसीसी सेना को लाली ने नेतृत्व प्रदान किया।
वांडीवास युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए
मालसन ने लिखा है कि वांडीवास के युद्ध ने उस महान भवन का, जिसे ड्यूमा और डूप्ले ने निर्मित किया उसे ध्वस्त कर दिया।
फ्रांसीसियों का प्रभुत्व भारत में वांडीवास युद्ध के उपरांत युद्ध समाप्त हो गया
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Incorrect
व्याख्या-
तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
वांडीवास का युद्ध -22 जनवरी, 1760 ई. को लड़े गये फ्रांसीसी सेना को लाली ने नेतृत्व प्रदान किया।
वांडीवास युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए
मालसन ने लिखा है कि वांडीवास के युद्ध ने उस महान भवन का, जिसे ड्यूमा और डूप्ले ने निर्मित किया उसे ध्वस्त कर दिया।
फ्रांसीसियों का प्रभुत्व भारत में वांडीवास युद्ध के उपरांत युद्ध समाप्त हो गया
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Unattempted
व्याख्या-
तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758-63)-
यूरोप में जब ऑस्ट्रिया ने वर्ष 1756 में सिलेसिया को पुनर्प्राप्त करना चाहा तो सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63) शुरू हो गया।
ब्रिटेन एवं फ्राँस पुनः एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
वांडीवास का युद्ध -22 जनवरी, 1760 ई. को लड़े गये फ्रांसीसी सेना को लाली ने नेतृत्व प्रदान किया।
वांडीवास युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए
मालसन ने लिखा है कि वांडीवास के युद्ध ने उस महान भवन का, जिसे ड्यूमा और डूप्ले ने निर्मित किया उसे ध्वस्त कर दिया।
फ्रांसीसियों का प्रभुत्व भारत में वांडीवास युद्ध के उपरांत युद्ध समाप्त हो गया
तृतीय युद्ध पेरिस शांति संधि (1763) के साथ समाप्त हुआ, जिसके तहत पुद्दुचेरी एवं चंदन नगर पुनः फ्राँस को सुपुर्द किये गए लेकिन वह उन क्षेत्रों में केवल व्यापारिक गतिविधियाँ ही कर सकते थे।
Question 23 of 29
23. Question
1 points
फ्रांसीसियों की हार के प्रमुख कारणों में कौन था
Correct
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी असफलता के कई कारण –
फ्रांसीसी सरकार का असहयोग
कंपनी का समिति स्वरूप और अत्यधिक शाही नियंत्रण
सबसे प्रमुख कारण फ्रांस की तुलना में इंग्लैण्ड की नौ-सेना की सर्वोच्चता
डूप्ले को जो सफलता प्रारम्भ में मिली उस का कारण -ब्रिटिश नौसेना ने युद्ध में भाग नहीं लिया था।
Incorrect
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी असफलता के कई कारण –
फ्रांसीसी सरकार का असहयोग
कंपनी का समिति स्वरूप और अत्यधिक शाही नियंत्रण
सबसे प्रमुख कारण फ्रांस की तुलना में इंग्लैण्ड की नौ-सेना की सर्वोच्चता
डूप्ले को जो सफलता प्रारम्भ में मिली उस का कारण -ब्रिटिश नौसेना ने युद्ध में भाग नहीं लिया था।
Unattempted
व्याख्या-
भारत में फ्रांसीसी असफलता के कई कारण –
फ्रांसीसी सरकार का असहयोग
कंपनी का समिति स्वरूप और अत्यधिक शाही नियंत्रण
सबसे प्रमुख कारण फ्रांस की तुलना में इंग्लैण्ड की नौ-सेना की सर्वोच्चता
डूप्ले को जो सफलता प्रारम्भ में मिली उस का कारण -ब्रिटिश नौसेना ने युद्ध में भाग नहीं लिया था।
Question 24 of 29
24. Question
1 points
अंग्रेजों ने अपना पहला व्यापारिक केन्द्र कहाँ स्थापित किया?
Correct
व्याख्या-
अंग्रेजों ने अपना पहला व्यापारिक केन्द्र 1608 ई० में सूरत में स्थापित किया
पुर्तगालियों की पहली फैक्ट्री कालीकट में स्थापित हुई
डचों ने 1605 ई. में मछलीपट्टनम में प्रथम डच कारखाने की स्थापना की ।
डचों द्वारा भारत में स्थापित कुछ अन्य कारखाने निम्न हैं –
पुलिकट – 1610 ई.
सूरत – 1616 ई.
मसूलीपट्टनम – 1641 ई.
कराईकल- 1645 ई.
चिनसुरा- 1653 ई.
कोचीन- 1663 ई.
कासिम बाजार, पटना
बालासोर, नागपट्टनम- 1658 ई.
1498
वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1500
द्वितीय पुर्तगाली यात्री कैब्राल का भारत आगमन।
1502
दूसरी बार वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1510
गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार।
1530
कोचीन की जगह गोवा पुर्तगालियों की राजधानी बानी।
1599
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1602
डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1661
पुर्तगालियों ने ब्रिटेन के राजा को बम्बई दहेज़ में दिया।
1664
फ़्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापाना।
1690
जॉब चारनौक द्वारा कलकत्ता की स्थापना।
1708-09
ब्रिटेन की दो प्रतिद्वंदी कंपनियों का आपस में विलय।
1759
बेदरा का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने डचों को पराजित कर भारतीय व्यापार से बहार किया।
1760
वदिवाश का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित कर भारतीय व्यापर से बाहर कर दिया।
Incorrect
व्याख्या-
अंग्रेजों ने अपना पहला व्यापारिक केन्द्र 1608 ई० में सूरत में स्थापित किया
पुर्तगालियों की पहली फैक्ट्री कालीकट में स्थापित हुई
डचों ने 1605 ई. में मछलीपट्टनम में प्रथम डच कारखाने की स्थापना की ।
डचों द्वारा भारत में स्थापित कुछ अन्य कारखाने निम्न हैं –
पुलिकट – 1610 ई.
सूरत – 1616 ई.
मसूलीपट्टनम – 1641 ई.
कराईकल- 1645 ई.
चिनसुरा- 1653 ई.
कोचीन- 1663 ई.
कासिम बाजार, पटना
बालासोर, नागपट्टनम- 1658 ई.
1498
वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1500
द्वितीय पुर्तगाली यात्री कैब्राल का भारत आगमन।
1502
दूसरी बार वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1510
गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार।
1530
कोचीन की जगह गोवा पुर्तगालियों की राजधानी बानी।
1599
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1602
डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1661
पुर्तगालियों ने ब्रिटेन के राजा को बम्बई दहेज़ में दिया।
1664
फ़्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापाना।
1690
जॉब चारनौक द्वारा कलकत्ता की स्थापना।
1708-09
ब्रिटेन की दो प्रतिद्वंदी कंपनियों का आपस में विलय।
1759
बेदरा का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने डचों को पराजित कर भारतीय व्यापार से बहार किया।
1760
वदिवाश का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित कर भारतीय व्यापर से बाहर कर दिया।
Unattempted
व्याख्या-
अंग्रेजों ने अपना पहला व्यापारिक केन्द्र 1608 ई० में सूरत में स्थापित किया
पुर्तगालियों की पहली फैक्ट्री कालीकट में स्थापित हुई
डचों ने 1605 ई. में मछलीपट्टनम में प्रथम डच कारखाने की स्थापना की ।
डचों द्वारा भारत में स्थापित कुछ अन्य कारखाने निम्न हैं –
पुलिकट – 1610 ई.
सूरत – 1616 ई.
मसूलीपट्टनम – 1641 ई.
कराईकल- 1645 ई.
चिनसुरा- 1653 ई.
कोचीन- 1663 ई.
कासिम बाजार, पटना
बालासोर, नागपट्टनम- 1658 ई.
1498
वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1500
द्वितीय पुर्तगाली यात्री कैब्राल का भारत आगमन।
1502
दूसरी बार वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1510
गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार।
1530
कोचीन की जगह गोवा पुर्तगालियों की राजधानी बानी।
1599
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1602
डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1661
पुर्तगालियों ने ब्रिटेन के राजा को बम्बई दहेज़ में दिया।
1664
फ़्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापाना।
1690
जॉब चारनौक द्वारा कलकत्ता की स्थापना।
1708-09
ब्रिटेन की दो प्रतिद्वंदी कंपनियों का आपस में विलय।
1759
बेदरा का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने डचों को पराजित कर भारतीय व्यापार से बहार किया।
1760
वदिवाश का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित कर भारतीय व्यापर से बाहर कर दिया।
Question 25 of 29
25. Question
1 points
फोर्ट विलियम कहाँ पर स्थित था?
Correct
व्याख्या.
फोर्ट विलियम कलकत्ता में स्थित है।
1698 में अजीमुशान द्वारा अंग्रेजों को सुतानती, कालिकाता (कालीघाट-कलकता) और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमीदारी मिल गई । इन्ही को मिलकर जॉब चारनाक ने कलकत्ता की नींव रखी । कंपनी की इस नयी किलेबंदी को ‘फोर्ट विलियम’ का नाम दिया गया ।
कलकत्ता को अंग्रेजों ने 1700 में पहला प्रेसिडेंट नगर घोषित किया।
Incorrect
व्याख्या.
फोर्ट विलियम कलकत्ता में स्थित है।
1698 में अजीमुशान द्वारा अंग्रेजों को सुतानती, कालिकाता (कालीघाट-कलकता) और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमीदारी मिल गई । इन्ही को मिलकर जॉब चारनाक ने कलकत्ता की नींव रखी । कंपनी की इस नयी किलेबंदी को ‘फोर्ट विलियम’ का नाम दिया गया ।
कलकत्ता को अंग्रेजों ने 1700 में पहला प्रेसिडेंट नगर घोषित किया।
Unattempted
व्याख्या.
फोर्ट विलियम कलकत्ता में स्थित है।
1698 में अजीमुशान द्वारा अंग्रेजों को सुतानती, कालिकाता (कालीघाट-कलकता) और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमीदारी मिल गई । इन्ही को मिलकर जॉब चारनाक ने कलकत्ता की नींव रखी । कंपनी की इस नयी किलेबंदी को ‘फोर्ट विलियम’ का नाम दिया गया ।
कलकत्ता को अंग्रेजों ने 1700 में पहला प्रेसिडेंट नगर घोषित किया।
Question 26 of 29
26. Question
1 points
1745 में पांडिचेरी के फ्रांसीसी गवर्नर जनरल थे
Correct
व्याख्या-
फ्रांसीसी डूप्ले 1720 ई.में पांडिचेरी का गवर्नर बना
दिसम्बर 1726 ई. में डूप्ले को निलम्बित कर दिया गया।
डूप्ले को 1730 ई. चन्द्रनगर का गवर्नर नियुक्त किया।
डूप्ले को 1745 ई. में फ्रांसीसी गवर्नर ड्यूमा के जाने के बाद पांडिचेरी का गवर्नर बनाया गया
Incorrect
व्याख्या-
फ्रांसीसी डूप्ले 1720 ई.में पांडिचेरी का गवर्नर बना
दिसम्बर 1726 ई. में डूप्ले को निलम्बित कर दिया गया।
डूप्ले को 1730 ई. चन्द्रनगर का गवर्नर नियुक्त किया।
डूप्ले को 1745 ई. में फ्रांसीसी गवर्नर ड्यूमा के जाने के बाद पांडिचेरी का गवर्नर बनाया गया
Unattempted
व्याख्या-
फ्रांसीसी डूप्ले 1720 ई.में पांडिचेरी का गवर्नर बना
दिसम्बर 1726 ई. में डूप्ले को निलम्बित कर दिया गया।
डूप्ले को 1730 ई. चन्द्रनगर का गवर्नर नियुक्त किया।
डूप्ले को 1745 ई. में फ्रांसीसी गवर्नर ड्यूमा के जाने के बाद पांडिचेरी का गवर्नर बनाया गया
Question 27 of 29
27. Question
1 points
नवाब शाहस्त खां फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर किस सन् में दिया था
Correct
व्याख्या-
बंगाल के नवाब शाइस्ता खाँ ने 1674 ई. में फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर की जगह दी थी।
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर में कोठी बनाई।
Incorrect
व्याख्या-
बंगाल के नवाब शाइस्ता खाँ ने 1674 ई. में फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर की जगह दी थी।
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर में कोठी बनाई।
Unattempted
व्याख्या-
बंगाल के नवाब शाइस्ता खाँ ने 1674 ई. में फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर की जगह दी थी।
1690-92 ई. में फ्रांसीसियों ने चन्द्रनगर में कोठी बनाई।
Question 28 of 29
28. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस अवधि में भारतीय उपमहाद्वीप के-फ्रांसीसी क्षेत्रों के भारतीय सत्ता में स्थानानांरण की प्रक्रिया पूर्ण हुई
Correct
व्याख्या.
स्वतंत्रता के बाद फ्रांसीसियों के अधीन क्षेत्र –
पाण्डिचेरी (चेन्नई के पास)
चन्द्रनगर (कलकत्ता के पास)
माहे (कालीकट के पास पश्चिमी तट पर)
नवम्बर, 1954 ई. में फ्रांसीसियों ने तीनों भारतीय क्षेत्रों को भारत सरकार को सौंप दिये।
स्वतंत्रता के बाद पुर्तगालियों के अधीन क्षेत्र –
गोवा, दमन और दीव
1961 ई. में गोवा में भारतीय सेना ने प्रवेश किया।
गोवा के गवर्नर ने बिना युद्ध के आत्मसमर्पण कर दिया
19 दिसम्बर, 1961 ई. को तीनों क्षेत्रों को भारत में मिला लिया गया।
इस तरह भारत का क्षेत्रीय और राजनीतिक एकीकरण का कार्य परा हो गया।
Incorrect
व्याख्या.
स्वतंत्रता के बाद फ्रांसीसियों के अधीन क्षेत्र –
पाण्डिचेरी (चेन्नई के पास)
चन्द्रनगर (कलकत्ता के पास)
माहे (कालीकट के पास पश्चिमी तट पर)
नवम्बर, 1954 ई. में फ्रांसीसियों ने तीनों भारतीय क्षेत्रों को भारत सरकार को सौंप दिये।
स्वतंत्रता के बाद पुर्तगालियों के अधीन क्षेत्र –
गोवा, दमन और दीव
1961 ई. में गोवा में भारतीय सेना ने प्रवेश किया।
गोवा के गवर्नर ने बिना युद्ध के आत्मसमर्पण कर दिया
19 दिसम्बर, 1961 ई. को तीनों क्षेत्रों को भारत में मिला लिया गया।
इस तरह भारत का क्षेत्रीय और राजनीतिक एकीकरण का कार्य परा हो गया।
Unattempted
व्याख्या.
स्वतंत्रता के बाद फ्रांसीसियों के अधीन क्षेत्र –
पाण्डिचेरी (चेन्नई के पास)
चन्द्रनगर (कलकत्ता के पास)
माहे (कालीकट के पास पश्चिमी तट पर)
नवम्बर, 1954 ई. में फ्रांसीसियों ने तीनों भारतीय क्षेत्रों को भारत सरकार को सौंप दिये।
स्वतंत्रता के बाद पुर्तगालियों के अधीन क्षेत्र –
गोवा, दमन और दीव
1961 ई. में गोवा में भारतीय सेना ने प्रवेश किया।
गोवा के गवर्नर ने बिना युद्ध के आत्मसमर्पण कर दिया
19 दिसम्बर, 1961 ई. को तीनों क्षेत्रों को भारत में मिला लिया गया।
इस तरह भारत का क्षेत्रीय और राजनीतिक एकीकरण का कार्य परा हो गया।
Question 29 of 29
29. Question
1 points
कर्नाटक के नवाब पद के लिए फ्रांसीसियों ने किसकी सहायता की
Correct
व्याख्या-
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749 -54)-
इस युद्ध की पृष्ठभूमि भारतीय परिस्थितियों में ही निर्मित हुई कर्नाटक ने हैदराबाद के निजाम एवं मराठों के हस्तक्षेप से युद्ध की परिस्थितियां उत्पन्न हुई ।
1748 ई. में हैदराबाद के निजाम आसफजहाँ निजाम उल मुल्क का देहावसान हो जाने पर उसके पुत्र मुजफ्फर जंग तथा नासिर जंग के बीच उत्तराधिकार का युद्ध शुरू हुआ ठीक उसी समय कर्नाटक में भी इसी प्रकार का संघर्ष कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन तथा भूतपूर्व नवाब दोस्त अली के दामाद चंदा साहब के बीच शुरू हो गया अंग्रेजों ने अनवरुद्दीन और नासिर जंग को अपना समर्थन प्रदान किया ।
चंदा साहब ने 1749 में अंबर में अनवरुद्दीन को पराजित कर मार डाला तथा कर्नाटक के अधिकांश हिस्सों पर अधिकार कर लिया लेकिन मुजफ्फर जंग ढक्कन की सूबेदारी हेतु अपने भाई नासिरजंग से पराजित हुआ लेकिन 1750 में नासिर की मृत्यु के बाद मुजफ्फर दक्कन पर सूबेदार बन गया ।
1750 में हैदराबाद में नासिर जंग भी मारा गया और मुजफ्फर जंग नवाब बना इसने प्रसन्न होकर फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले को मसूलीपट्टनम में पांडिचेरी का क्षेत्र प्रदान कर दिया और साथ ही डूप्ले को कृष्णा नदी से कन्याकुमारी तक के क्षेत्र का गवर्नर बनाया ।
फ्रांसीसी अधिकारियों ने भारत में डूप्ले की नीति की आलोचना करते हुए उसे वापस इंग्लैंड बुला लिया तथा इसके स्थान पर गोंदेहू को पांडिचेरी का अगला गवर्नर बनाकर भारत भेजा गया ।
डूप्ले की बारे में जी.आर. मैरियट ने कहा कि डूप्ले ने भारत की पूंजी मद्रास में तलाश कर भयानक भूल की क्लाइव ने इसे बंगाल में खोज लिया।
गोंडेहू के प्रयास से अंग्रेजी कंपनी के साथ 1754 ई. में पांडिचेरी की संधि हुई जिसके तहत दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए।
इस संधि के परिणाम स्वरुप दोनों कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्र वापस मिल गए। अंग्रेजों के समर्थक मोहम्मद अली को कर्नाटक का नवाब बनाया गया इस संधि में दोनों कंपनियों ने भारतीय नरेशों के झगड़ों में हस्तक्षेप ना करने का वादा किया ।
Incorrect
व्याख्या-
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749 -54)-
इस युद्ध की पृष्ठभूमि भारतीय परिस्थितियों में ही निर्मित हुई कर्नाटक ने हैदराबाद के निजाम एवं मराठों के हस्तक्षेप से युद्ध की परिस्थितियां उत्पन्न हुई ।
1748 ई. में हैदराबाद के निजाम आसफजहाँ निजाम उल मुल्क का देहावसान हो जाने पर उसके पुत्र मुजफ्फर जंग तथा नासिर जंग के बीच उत्तराधिकार का युद्ध शुरू हुआ ठीक उसी समय कर्नाटक में भी इसी प्रकार का संघर्ष कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन तथा भूतपूर्व नवाब दोस्त अली के दामाद चंदा साहब के बीच शुरू हो गया अंग्रेजों ने अनवरुद्दीन और नासिर जंग को अपना समर्थन प्रदान किया ।
चंदा साहब ने 1749 में अंबर में अनवरुद्दीन को पराजित कर मार डाला तथा कर्नाटक के अधिकांश हिस्सों पर अधिकार कर लिया लेकिन मुजफ्फर जंग ढक्कन की सूबेदारी हेतु अपने भाई नासिरजंग से पराजित हुआ लेकिन 1750 में नासिर की मृत्यु के बाद मुजफ्फर दक्कन पर सूबेदार बन गया ।
1750 में हैदराबाद में नासिर जंग भी मारा गया और मुजफ्फर जंग नवाब बना इसने प्रसन्न होकर फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले को मसूलीपट्टनम में पांडिचेरी का क्षेत्र प्रदान कर दिया और साथ ही डूप्ले को कृष्णा नदी से कन्याकुमारी तक के क्षेत्र का गवर्नर बनाया ।
फ्रांसीसी अधिकारियों ने भारत में डूप्ले की नीति की आलोचना करते हुए उसे वापस इंग्लैंड बुला लिया तथा इसके स्थान पर गोंदेहू को पांडिचेरी का अगला गवर्नर बनाकर भारत भेजा गया ।
डूप्ले की बारे में जी.आर. मैरियट ने कहा कि डूप्ले ने भारत की पूंजी मद्रास में तलाश कर भयानक भूल की क्लाइव ने इसे बंगाल में खोज लिया।
गोंडेहू के प्रयास से अंग्रेजी कंपनी के साथ 1754 ई. में पांडिचेरी की संधि हुई जिसके तहत दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए।
इस संधि के परिणाम स्वरुप दोनों कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्र वापस मिल गए। अंग्रेजों के समर्थक मोहम्मद अली को कर्नाटक का नवाब बनाया गया इस संधि में दोनों कंपनियों ने भारतीय नरेशों के झगड़ों में हस्तक्षेप ना करने का वादा किया ।
Unattempted
व्याख्या-
द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749 -54)-
इस युद्ध की पृष्ठभूमि भारतीय परिस्थितियों में ही निर्मित हुई कर्नाटक ने हैदराबाद के निजाम एवं मराठों के हस्तक्षेप से युद्ध की परिस्थितियां उत्पन्न हुई ।
1748 ई. में हैदराबाद के निजाम आसफजहाँ निजाम उल मुल्क का देहावसान हो जाने पर उसके पुत्र मुजफ्फर जंग तथा नासिर जंग के बीच उत्तराधिकार का युद्ध शुरू हुआ ठीक उसी समय कर्नाटक में भी इसी प्रकार का संघर्ष कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन तथा भूतपूर्व नवाब दोस्त अली के दामाद चंदा साहब के बीच शुरू हो गया अंग्रेजों ने अनवरुद्दीन और नासिर जंग को अपना समर्थन प्रदान किया ।
चंदा साहब ने 1749 में अंबर में अनवरुद्दीन को पराजित कर मार डाला तथा कर्नाटक के अधिकांश हिस्सों पर अधिकार कर लिया लेकिन मुजफ्फर जंग ढक्कन की सूबेदारी हेतु अपने भाई नासिरजंग से पराजित हुआ लेकिन 1750 में नासिर की मृत्यु के बाद मुजफ्फर दक्कन पर सूबेदार बन गया ।
1750 में हैदराबाद में नासिर जंग भी मारा गया और मुजफ्फर जंग नवाब बना इसने प्रसन्न होकर फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले को मसूलीपट्टनम में पांडिचेरी का क्षेत्र प्रदान कर दिया और साथ ही डूप्ले को कृष्णा नदी से कन्याकुमारी तक के क्षेत्र का गवर्नर बनाया ।
फ्रांसीसी अधिकारियों ने भारत में डूप्ले की नीति की आलोचना करते हुए उसे वापस इंग्लैंड बुला लिया तथा इसके स्थान पर गोंदेहू को पांडिचेरी का अगला गवर्नर बनाकर भारत भेजा गया ।
डूप्ले की बारे में जी.आर. मैरियट ने कहा कि डूप्ले ने भारत की पूंजी मद्रास में तलाश कर भयानक भूल की क्लाइव ने इसे बंगाल में खोज लिया।
गोंडेहू के प्रयास से अंग्रेजी कंपनी के साथ 1754 ई. में पांडिचेरी की संधि हुई जिसके तहत दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए।
इस संधि के परिणाम स्वरुप दोनों कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्र वापस मिल गए। अंग्रेजों के समर्थक मोहम्मद अली को कर्नाटक का नवाब बनाया गया इस संधि में दोनों कंपनियों ने भारतीय नरेशों के झगड़ों में हस्तक्षेप ना करने का वादा किया ।