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Question 1 of 35
1. Question
1 points
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव से कौन सी घटना घटित नहीं हुई थी?
Correct
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Incorrect
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Unattempted
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन के प्रभाव –
गाँधी जी द्वारा जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई।
अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
भारतीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना
स्वदेशी को प्रोत्साहन
ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार
यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।
चौरी-चौरा की घटना-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा बिट्रिश शासन की नीतियों के विरूद्व अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था
4 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के निकट गोरखपुर में आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया
चौरी-चौरा की घटना में 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जलकर मर गये थे जिस कारण गाँधी जी ने आन्दोलन में हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया ।
*******महिलाओं को सीमित मताधिकार 1919 ई० में अधिनियम में ही मिल गया था।
Question 2 of 35
2. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसके द्वारा स्वराज दल का गठन किया गया?
Correct
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Incorrect
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Unattempted
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना-
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न करना , जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Question 3 of 35
3. Question
1 points
किसके सुझाव पर भारतीयों को साइमन कमीन की सदस्यता से बाहर रखा गया था?
Correct
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Incorrect
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Unattempted
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम की जाँच के लिए साइमन आयोग 3फरवरी 1928 ई० में भारत पहुंचा।
इसका अध्यक्ष लिबरल पार्टी के जान साइमन थे।
साइमन कमीशन 7 सदस्यीय आयोग था
वायसराय लार्ड इरविन के सुझाव पर इसमें किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
इसी कारण भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध और बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत साइमन कमीशन गो बैक के नारों से किया गया ।
Question 4 of 35
4. Question
1 points
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लेने वाले नेता कौन थे।
Correct
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
दूसरा गोलमेज सम्मेलन –
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया था।
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और सरोजिनी नायडू ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिभागी :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – महात्मा गांधी,
मुस्लिम लीग – मो. अली जिन्ना, आगा खान तृतीय, मुहम्मद इकबाल
हिंदू – एम आर जयकर
अवसादग्रस्त वर्ग – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
अन्रंय -गास्वामी अयंगर, मदन मोहन मालवीय
दूसरा गोलमेज सम्मेलन गांधी-इरविन समझौते के परिणामों में से एक था।
अंग्रेजों ने सांप्रदायिक पुरस्कार देने का फैसला कियाभारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग निर्वाचक मंडल प्रदान करके अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और गांधीजी इसके खिलाफ थे।
*********
लंदन में 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 के बीच लंदन में हुआ।
Question 5 of 35
5. Question
1 points
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है।’ किस प्रस्ताव के विषय में यह कथन किसका था?
Correct
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Incorrect
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Unattempted
व्याख्या-
क्रिप्स प्रस्ताव मार्च 1942-
समय- मार्च 1942
घोषणा -11 मार्च 1942
भारत भेजा गया-23 मार्च 1942
नेतृत्वकर्ता-सर स्टैफर्ड क्रिप्स
योजना का प्रस्तुतीकरण- 30 मार्च 1942
क्रिप्स मिशन का मुख्य उद्देश्य- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का सहयोग प्राप्त करना
क्रिप्स मिशन अस्वीकार किया गया-11 अप्रैल 1942 को
जवाहर लाल नेहरू ने इसमें डूबता हुआ बैंक’ शब्द और जोड़ दिया।
क्रिप्स मिशन का अन्य नाम- पोस्ट डेटेड चेक
पोस्ट डेटेड चेक कहा गया- महात्मा गांधी द्वारा
‘यह एक डूबते बैंक पर अग्रिमतिथित चेक है–– महात्मा गांधी द्वारा
भारतीयों को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजी सरकार को मदद देने के बदले में युद्ध के बाद भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ का दर्जा और स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति देने की बात कही गयी।
Question 6 of 35
6. Question
1 points
1937 के प्रान्तीय विधान सभा चुनावों के उपरान्त मुस्लिम लीग की राजनीति के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन साथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Incorrect
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Unattempted
व्याख्या-
1937 के प्रान्तीय चुनाव कुल 11 प्रान्तों में हुए
कुल 11 प्रान्तों में से 6 में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत और 2 में उसकी मिली-जुली सरकारें बनीं
कुल 11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली
मुस्लिम लीग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ । गठजोड़ मन्त्रिमण्डल बनाने कर इच्छा थी
जिन्ना ने इसे काँग्रेस के ‘शक्ति के मद में चूर होने की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग ने कांग्रेस-शासित प्रान्तों में मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार पर रिपोर्ट तैयार करायी
भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने बिना काँग्रेस से सलाह लिये युद्ध में शामिल कर दिया।
युद्ध में शामिल करने के विरोध में 8 प्रान्तों की काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्यागपत्र दे दिया।
बंगाल, सिन्धु और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र नहीं दिया।
मुस्लिम लीग ने काँग्रेस मन्त्रिमण्डलों के त्यागपत्र के अवसर पर मुक्ति दिवस मनाया।
Question 7 of 35
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन भारत छोड़ो आन्दोलन से सम्बन्धित नहीं था?
Correct
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Incorrect
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Unattempted
व्याख्या-
भारत छोड़ो आन्दोलन-
गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली को स्वतंत्रता आंदोलन में ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में जाना गया जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
‘भारत छोड़ो’ का नारा यूसुफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था, जो एक समाजवादी एवं ट्रेड यूनियनवादी थे इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था, इनके द्वारा ‘साइमन गो बैक’ (Simon Go Back) के नारे को भी गढ़ा गया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन काँग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 ई० को प्रारंभ किया।
अंग्रेजों ने ‘आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत काँग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
तब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के हजारीबाग जेल से भागकर भूमिगत होकर इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
अरूणा आसफ अली ने बम्बई में तिरंगा फयराया।
मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने इस आन्दोलन की आलोचना की।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काँन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई थी।
Question 8 of 35
8. Question
1 points
आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना कहाँ की गयी थी?
Correct
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Incorrect
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Unattempted
व्याख्या-
आज़ाद हिन्द फौज-
जापान में 1942 ई० में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द – फौज के गठन की घोषणा की।
आजाद हिन्द – फौज के प्रथम कमाण्डर इन चीफ मोहन सिंह का जापानी अधिकारियों से मतभेद हो जाने के कारण इसे भंग कर दिया गया।
1943 ई० में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया और वे स्वयं उसके कमाण्डर इन चीफ बन गये।
भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज भी कहा जाता है, यह सिंगापुर में 21 अक्टूबर 1943 को अस्तित्व में आई।
यह संगठन सुभाष चंद्र बोस की अवधारणाओं पर आधारित था
निर्वाचित राष्ट्रपति और आजाद हिंद फौज के संस्थापक पिता राश बिहारी बोस थे।
Question 9 of 35
9. Question
1 points
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन का प्रधान मन्त्री कौन था?
Correct
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Incorrect
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Unattempted
व्याख्या-
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ
भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली थे।
लॉर्ड माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे
Question 10 of 35
10. Question
1 points
जलियाँवाला बाग किस नगर में स्थित है।
Correct
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।
Incorrect
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।
Unattempted
व्याख्या-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:-
जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर नगर में स्थित है।
अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्टया काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है,
रॉलेट एक्ट मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।
इसके विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधी वापस कर दी थी।
Question 11 of 35
11. Question
1 points
वर्ण व्यवस्था के विषय में गाँधीजी के क्या विचार थे ?
Correct
व्याख्या-
गाँधी जी अस्पृश्यता (Untouchability) को हिन्दू समाज का कोढ़ मानते थे
गाँधी जी अस्पृश्यता के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे।
गाँधी जी के अनुसार समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति समान होनी चाहिए और उन्हें बराबर का अधिकार भी मिलना चाहिए।
वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी
वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था का उद्देश्य कार्य का बटवारा करना था,
वर्ण व्यवस्था में गाँधी जी विश्वास रखते थे क्योंकि वर्ण व्यवस्था में व्यक्ति को अपनी योग्यता तथा रुचि के अनुसार कार्य मिलता था।
योग्यता व रुचि के अनुसार कार्य का बँटवारा ही गाँधी का सिद्धान्त भी था।
Incorrect
व्याख्या-
गाँधी जी अस्पृश्यता (Untouchability) को हिन्दू समाज का कोढ़ मानते थे
गाँधी जी अस्पृश्यता के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे।
गाँधी जी के अनुसार समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति समान होनी चाहिए और उन्हें बराबर का अधिकार भी मिलना चाहिए।
वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी
वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था का उद्देश्य कार्य का बटवारा करना था,
वर्ण व्यवस्था में गाँधी जी विश्वास रखते थे क्योंकि वर्ण व्यवस्था में व्यक्ति को अपनी योग्यता तथा रुचि के अनुसार कार्य मिलता था।
योग्यता व रुचि के अनुसार कार्य का बँटवारा ही गाँधी का सिद्धान्त भी था।
Unattempted
व्याख्या-
गाँधी जी अस्पृश्यता (Untouchability) को हिन्दू समाज का कोढ़ मानते थे
गाँधी जी अस्पृश्यता के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे।
गाँधी जी के अनुसार समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति समान होनी चाहिए और उन्हें बराबर का अधिकार भी मिलना चाहिए।
वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी
वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था का उद्देश्य कार्य का बटवारा करना था,
वर्ण व्यवस्था में गाँधी जी विश्वास रखते थे क्योंकि वर्ण व्यवस्था में व्यक्ति को अपनी योग्यता तथा रुचि के अनुसार कार्य मिलता था।
योग्यता व रुचि के अनुसार कार्य का बँटवारा ही गाँधी का सिद्धान्त भी था।
Question 12 of 35
12. Question
1 points
निम्नलिखित में पहली घटना कौन-सी थी?
Correct
व्याख्या-
रौलट सत्याग्रह –
ब्रिटिश सरकार ने 1917 ई. में सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की।
मजिस्ट्रेट किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकता था
रौलट एक्ट को “बिना वकील, बिना अपील तथा बिना दलील का कानून” भी कहा गया !
रौलट एक्ट का उदेश्य -भारत में क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए इस विधेयक में यह व्यवस्था की गई थी
रौलट सत्याग्रह-1919
चौरी-चौरा कांड-1922
काकोरी कांड -1925
बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में गुजरात में हुआ
Incorrect
व्याख्या-
रौलट सत्याग्रह –
ब्रिटिश सरकार ने 1917 ई. में सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की।
मजिस्ट्रेट किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकता था
रौलट एक्ट को “बिना वकील, बिना अपील तथा बिना दलील का कानून” भी कहा गया !
रौलट एक्ट का उदेश्य -भारत में क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए इस विधेयक में यह व्यवस्था की गई थी
रौलट सत्याग्रह-1919
चौरी-चौरा कांड-1922
काकोरी कांड -1925
बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में गुजरात में हुआ
Unattempted
व्याख्या-
रौलट सत्याग्रह –
ब्रिटिश सरकार ने 1917 ई. में सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की।
मजिस्ट्रेट किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकता था
रौलट एक्ट को “बिना वकील, बिना अपील तथा बिना दलील का कानून” भी कहा गया !
रौलट एक्ट का उदेश्य -भारत में क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए इस विधेयक में यह व्यवस्था की गई थी
रौलट सत्याग्रह-1919
चौरी-चौरा कांड-1922
काकोरी कांड -1925
बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में गुजरात में हुआ
Question 13 of 35
13. Question
1 points
स्वराज पार्टी क्यों स्थापित की गयी ?
Correct
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल-के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था। /विधान सभाओं में अवरोध डालने हेतु
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Incorrect
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल-के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था। /विधान सभाओं में अवरोध डालने हेतु
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Unattempted
व्याख्या-
स्वराज दल-
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल-के उद्देश्य –
भारत को स्वराज्य (Self Rule) दिलाना
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था। /विधान सभाओं में अवरोध डालने हेतु
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Question 14 of 35
14. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का कभी सदस्य नहीं बना ?
Correct
व्याख्या-
जयप्रकाश नारायण, फूलनप्रसाद वर्मा ,आचार्य नरेन्द्रदेव,सम्पूर्णानन्द एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर जुलाई 1931 में बिहार में समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
1933 में पंजाब में एक समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था।
कांसपा के सभी सदस्य मानते थे कि कांग्रेस राष्ट्रीय संघर्ष का नेतृत्व करनेवाली आधारभूत संस्था है
पं0 जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई स्वयं इसके सदस्य नहीं बने।
Incorrect
व्याख्या-
जयप्रकाश नारायण, फूलनप्रसाद वर्मा ,आचार्य नरेन्द्रदेव,सम्पूर्णानन्द एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर जुलाई 1931 में बिहार में समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
1933 में पंजाब में एक समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था।
कांसपा के सभी सदस्य मानते थे कि कांग्रेस राष्ट्रीय संघर्ष का नेतृत्व करनेवाली आधारभूत संस्था है
पं0 जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई स्वयं इसके सदस्य नहीं बने।
Unattempted
व्याख्या-
जयप्रकाश नारायण, फूलनप्रसाद वर्मा ,आचार्य नरेन्द्रदेव,सम्पूर्णानन्द एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर जुलाई 1931 में बिहार में समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
1933 में पंजाब में एक समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था।
कांसपा के सभी सदस्य मानते थे कि कांग्रेस राष्ट्रीय संघर्ष का नेतृत्व करनेवाली आधारभूत संस्था है
पं0 जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई स्वयं इसके सदस्य नहीं बने।
Question 15 of 35
15. Question
1 points
खिलाफत आन्दोलन को समर्थन दिया था
Correct
व्याख्या-
******प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मह य होने वाली ‘सेवर्स की संधि’ से तुर्की के सुलतान के समस्त अधिकार छिन गये।
खिलाफत आंदोलन –
दिनांक
घटना
1919
अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया ।
भारत में भी अली बंधओं; मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन चलाया गया जिसे गांधी जी ने भी अपना समर्थन दिया।
17 अक्टूबर 1919
अखिल भारतीय खिलाफत दिवस मनाया गया ।
नवंबर 1919
महात्मा गाँधी ने दिल्ली में खिलाफत कमेटी के पहले सम्मेलन की अध्यक्षता की ।
फरवरी 1920
खिलाफत समिति का एक दल तत्कालीन वायसराय लार्ड चेमस्फोर्ड से मिलने गया ।
मई 1920
सेब्रिज़ की संधि से तुर्की का विभाजन कर दिया गया ।
जून 1920
खिलाफत समिति का इलाहबाद अधिवेशन । यही पर सरकारी स्कूल और न्यायालय का बहिष्कार शुरू किया गया । इसी अधिवेशन के बाद से इस आंदोलन का नेतृत्व पूर्णत्या माहात्मा गाँधी द्वारा किया गया ।
1 अगस्त 1920
बाल गंगाधर तिलक जी की मृत्यु ।
अगस्त 1920
गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरूआत ।
वर्ष 1924
मुस्तफा कमाल पाशा की सरकार ने तुर्की में खलीफा के पद को पूरी तरह समाप्त कर दिया ।
खिलाफत आंदोलन के मुख्य नेता-
खिलाफत आंदोलन की शुरुआत अली बन्धुओं (शोकत अली, मुहम्मद अली) द्वारा की गयी।
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने “अल हिलाल” और मोहम्मद अली ने “कामरेड” समाचार पत्रों से खिलाफत आंदोलन का खूब प्रचार प्रसार किया।
जिन्ना ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन नहीं दिया
मदन मोहन मालवीय ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध किया।
Incorrect
व्याख्या-
******प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मह य होने वाली ‘सेवर्स की संधि’ से तुर्की के सुलतान के समस्त अधिकार छिन गये।
खिलाफत आंदोलन –
दिनांक
घटना
1919
अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया ।
भारत में भी अली बंधओं; मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन चलाया गया जिसे गांधी जी ने भी अपना समर्थन दिया।
17 अक्टूबर 1919
अखिल भारतीय खिलाफत दिवस मनाया गया ।
नवंबर 1919
महात्मा गाँधी ने दिल्ली में खिलाफत कमेटी के पहले सम्मेलन की अध्यक्षता की ।
फरवरी 1920
खिलाफत समिति का एक दल तत्कालीन वायसराय लार्ड चेमस्फोर्ड से मिलने गया ।
मई 1920
सेब्रिज़ की संधि से तुर्की का विभाजन कर दिया गया ।
जून 1920
खिलाफत समिति का इलाहबाद अधिवेशन । यही पर सरकारी स्कूल और न्यायालय का बहिष्कार शुरू किया गया । इसी अधिवेशन के बाद से इस आंदोलन का नेतृत्व पूर्णत्या माहात्मा गाँधी द्वारा किया गया ।
1 अगस्त 1920
बाल गंगाधर तिलक जी की मृत्यु ।
अगस्त 1920
गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरूआत ।
वर्ष 1924
मुस्तफा कमाल पाशा की सरकार ने तुर्की में खलीफा के पद को पूरी तरह समाप्त कर दिया ।
खिलाफत आंदोलन के मुख्य नेता-
खिलाफत आंदोलन की शुरुआत अली बन्धुओं (शोकत अली, मुहम्मद अली) द्वारा की गयी।
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने “अल हिलाल” और मोहम्मद अली ने “कामरेड” समाचार पत्रों से खिलाफत आंदोलन का खूब प्रचार प्रसार किया।
जिन्ना ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन नहीं दिया
मदन मोहन मालवीय ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध किया।
Unattempted
व्याख्या-
******प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मह य होने वाली ‘सेवर्स की संधि’ से तुर्की के सुलतान के समस्त अधिकार छिन गये।
खिलाफत आंदोलन –
दिनांक
घटना
1919
अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया ।
भारत में भी अली बंधओं; मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन चलाया गया जिसे गांधी जी ने भी अपना समर्थन दिया।
17 अक्टूबर 1919
अखिल भारतीय खिलाफत दिवस मनाया गया ।
नवंबर 1919
महात्मा गाँधी ने दिल्ली में खिलाफत कमेटी के पहले सम्मेलन की अध्यक्षता की ।
फरवरी 1920
खिलाफत समिति का एक दल तत्कालीन वायसराय लार्ड चेमस्फोर्ड से मिलने गया ।
मई 1920
सेब्रिज़ की संधि से तुर्की का विभाजन कर दिया गया ।
जून 1920
खिलाफत समिति का इलाहबाद अधिवेशन । यही पर सरकारी स्कूल और न्यायालय का बहिष्कार शुरू किया गया । इसी अधिवेशन के बाद से इस आंदोलन का नेतृत्व पूर्णत्या माहात्मा गाँधी द्वारा किया गया ।
1 अगस्त 1920
बाल गंगाधर तिलक जी की मृत्यु ।
अगस्त 1920
गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरूआत ।
वर्ष 1924
मुस्तफा कमाल पाशा की सरकार ने तुर्की में खलीफा के पद को पूरी तरह समाप्त कर दिया ।
खिलाफत आंदोलन के मुख्य नेता-
खिलाफत आंदोलन की शुरुआत अली बन्धुओं (शोकत अली, मुहम्मद अली) द्वारा की गयी।
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने “अल हिलाल” और मोहम्मद अली ने “कामरेड” समाचार पत्रों से खिलाफत आंदोलन का खूब प्रचार प्रसार किया।
जिन्ना ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन नहीं दिया
मदन मोहन मालवीय ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध किया।
Question 16 of 35
16. Question
1 points
गदर पार्टी की स्थापना की थी
Correct
व्याख्या-
गदर पार्टी-
अमेरिका के सैंनफ्रांसिस्को नगर में 1 नवम्बर, 1913 ई0 को गदर पार्टी का गठन किया गया।
गदर पार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल थे
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह थे।
गदर पार्टी के प्रचार -विभाग के सचिव लाला हरदयाल थे।
गदर पार्टी ने युगान्तर प्रेस की स्थापना कर एक साप्ताहिक (बाद में मासिक) पत्रिका ‘गदर’ का प्रकाशन भी किया।
गदर समाचार पत्र का पहला अंक उर्दू में प्रकाशित किया गया।
गदर समाचार पत्र उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती में भी निकलता था।
Incorrect
व्याख्या-
गदर पार्टी-
अमेरिका के सैंनफ्रांसिस्को नगर में 1 नवम्बर, 1913 ई0 को गदर पार्टी का गठन किया गया।
गदर पार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल थे
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह थे।
गदर पार्टी के प्रचार -विभाग के सचिव लाला हरदयाल थे।
गदर पार्टी ने युगान्तर प्रेस की स्थापना कर एक साप्ताहिक (बाद में मासिक) पत्रिका ‘गदर’ का प्रकाशन भी किया।
गदर समाचार पत्र का पहला अंक उर्दू में प्रकाशित किया गया।
गदर समाचार पत्र उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती में भी निकलता था।
Unattempted
व्याख्या-
गदर पार्टी-
अमेरिका के सैंनफ्रांसिस्को नगर में 1 नवम्बर, 1913 ई0 को गदर पार्टी का गठन किया गया।
गदर पार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल थे
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह थे।
गदर पार्टी के प्रचार -विभाग के सचिव लाला हरदयाल थे।
गदर पार्टी ने युगान्तर प्रेस की स्थापना कर एक साप्ताहिक (बाद में मासिक) पत्रिका ‘गदर’ का प्रकाशन भी किया।
गदर समाचार पत्र का पहला अंक उर्दू में प्रकाशित किया गया।
गदर समाचार पत्र उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती में भी निकलता था।
Question 17 of 35
17. Question
1 points
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया
Correct
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन-
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की
6 मार्च, 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
1930 से लेकर 1934 तक यह आन्दोलन चला कालान्तर में यह उग्र हो गया जिस कारण महात्मा गाँधी ने यह आन्दोलन ले लिया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिणाम –
1-इस आन्दोलन के जरिये भारतीयों में राष्ट्रीय भावना का जागरण किया।
2-इस आन्दोलन से ही बिट्रिश सरकार का ध्यान भारत में संवैधानिक सुधारों की ओर गया।
3-सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने ही भारत में 1935 के भारत शासन अधिनियम की नींव डाली।
5 प्रभाव से घबराकर बिटिश सरकार द्वारा भारत में साम्प्रदायिकता को बढ़ाने का कार्य किया।
Incorrect
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन-
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की
6 मार्च, 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
1930 से लेकर 1934 तक यह आन्दोलन चला कालान्तर में यह उग्र हो गया जिस कारण महात्मा गाँधी ने यह आन्दोलन ले लिया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिणाम –
1-इस आन्दोलन के जरिये भारतीयों में राष्ट्रीय भावना का जागरण किया।
2-इस आन्दोलन से ही बिट्रिश सरकार का ध्यान भारत में संवैधानिक सुधारों की ओर गया।
3-सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने ही भारत में 1935 के भारत शासन अधिनियम की नींव डाली।
5 प्रभाव से घबराकर बिटिश सरकार द्वारा भारत में साम्प्रदायिकता को बढ़ाने का कार्य किया।
Unattempted
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन-
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की
6 मार्च, 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
1930 से लेकर 1934 तक यह आन्दोलन चला कालान्तर में यह उग्र हो गया जिस कारण महात्मा गाँधी ने यह आन्दोलन ले लिया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिणाम –
1-इस आन्दोलन के जरिये भारतीयों में राष्ट्रीय भावना का जागरण किया।
2-इस आन्दोलन से ही बिट्रिश सरकार का ध्यान भारत में संवैधानिक सुधारों की ओर गया।
3-सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने ही भारत में 1935 के भारत शासन अधिनियम की नींव डाली।
5 प्रभाव से घबराकर बिटिश सरकार द्वारा भारत में साम्प्रदायिकता को बढ़ाने का कार्य किया।
हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकेशन एसोसिएशन की स्थापना सितम्बर, 1928 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में,चन्द्रशेखर आजाद ने स्थापित किया था।
H.S.R.A के अन्य नेताओं में विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, भगत सिंह, भगवती चरण बोहाना तथा सुखदेव थे।
H.S.R.A का उद्देश्य भारत में समाजवादी गणतंत्रवादी राज्य की स्थापना करना था।
Question 19 of 35
19. Question
1 points
भारत छोड़ो प्रस्ताव पास हुआ –
Correct
व्याख्या-
‘’भारत छोड़ो प्रस्ताव”-
भारत छोड़ो आन्दोलन के आरम्भ होने के पूर्व 7 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई के ग्वालिया टैंक में काँग्रेस का अधिवेशन हुआ।
बम्बई काँग्रेस का अधिवेशन की अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की।
नेहरू ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” पेश किया,
8 अगस्त, 1942 ई. को “भारत छोड़ो प्रस्ताव” स्वीकार कर लिया गया।
गाँधी जी ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” में “करो या मरो” का नारा दिया
जिसका अर्थ ,भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करे।
Incorrect
व्याख्या-
‘’भारत छोड़ो प्रस्ताव”-
भारत छोड़ो आन्दोलन के आरम्भ होने के पूर्व 7 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई के ग्वालिया टैंक में काँग्रेस का अधिवेशन हुआ।
बम्बई काँग्रेस का अधिवेशन की अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की।
नेहरू ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” पेश किया,
8 अगस्त, 1942 ई. को “भारत छोड़ो प्रस्ताव” स्वीकार कर लिया गया।
गाँधी जी ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” में “करो या मरो” का नारा दिया
जिसका अर्थ ,भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करे।
Unattempted
व्याख्या-
‘’भारत छोड़ो प्रस्ताव”-
भारत छोड़ो आन्दोलन के आरम्भ होने के पूर्व 7 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई के ग्वालिया टैंक में काँग्रेस का अधिवेशन हुआ।
बम्बई काँग्रेस का अधिवेशन की अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की।
नेहरू ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” पेश किया,
8 अगस्त, 1942 ई. को “भारत छोड़ो प्रस्ताव” स्वीकार कर लिया गया।
गाँधी जी ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” में “करो या मरो” का नारा दिया
जिसका अर्थ ,भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करे।
Question 20 of 35
20. Question
1 points
मोतीलाल नेहरू थे
Correct
व्याख्या –
***1922 में असहयोग आन्दोलन (1920-21) की समाप्ति के बाद कांग्रेस दो गुटों में विभक्त हो गयी –
परिवर्तनवादी,
अपरिवर्तनवादी
****परिवर्तनवादी गुट में- सी.आर. दास, मातीलाल नेहरू, विट्ठलभाई पटेल व हकीम अजमल खाँ थे।
****अपरिवर्तनवादी गुट में सरदार वल्लभभाई पटेल, सी. राजगोपालाचारी, डॉ अंसारी व राजेन्द्र प्रसाद थे।
भारत सरकार अधिनियम 1919 के अन्तर्गत होने वाले 1923 के चुनावों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Incorrect
व्याख्या –
***1922 में असहयोग आन्दोलन (1920-21) की समाप्ति के बाद कांग्रेस दो गुटों में विभक्त हो गयी –
परिवर्तनवादी,
अपरिवर्तनवादी
****परिवर्तनवादी गुट में- सी.आर. दास, मातीलाल नेहरू, विट्ठलभाई पटेल व हकीम अजमल खाँ थे।
****अपरिवर्तनवादी गुट में सरदार वल्लभभाई पटेल, सी. राजगोपालाचारी, डॉ अंसारी व राजेन्द्र प्रसाद थे।
भारत सरकार अधिनियम 1919 के अन्तर्गत होने वाले 1923 के चुनावों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Unattempted
व्याख्या –
***1922 में असहयोग आन्दोलन (1920-21) की समाप्ति के बाद कांग्रेस दो गुटों में विभक्त हो गयी –
परिवर्तनवादी,
अपरिवर्तनवादी
****परिवर्तनवादी गुट में- सी.आर. दास, मातीलाल नेहरू, विट्ठलभाई पटेल व हकीम अजमल खाँ थे।
****अपरिवर्तनवादी गुट में सरदार वल्लभभाई पटेल, सी. राजगोपालाचारी, डॉ अंसारी व राजेन्द्र प्रसाद थे।
भारत सरकार अधिनियम 1919 के अन्तर्गत होने वाले 1923 के चुनावों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य –विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Question 21 of 35
21. Question
1 points
20 फरवरी 1947 की घोषणा की –
Correct
व्याख्या-
क्लीमेन्ट एटली के नेतृत्व में ब्रिटेन में 26 जुलाई, 1945 ई. को ब्रिटिश मंत्रिमण्डल ने सत्ता ग्रहण की।
भारत में संवैधानिक सुधारों के लिए कैबिनेट मिशन भेजने का निर्णय लिया गया।
कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 ई. को दिल्ली पहँचा।
कैबिनेट मिशन में कुल तीन सदस्य थे- भारत सचिव पैथिक लारेंस, व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टेफोर्ड क्रिप्स और नौ सेना के प्रमुख ए0 बी0 अलेक्जेण्डर।
कैबिनेट मिशन के आधार पर संविधान सभा का गठन किया गया।
क्लेमेंट एटली की घोषणा –
क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की :
ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूर्ण स्वशासन प्रदान करेगी।
रियासतों के भविष्य का फैसला अंतिम स्थानांतरण की तारीख तय होने के बाद होगा।
भारतीय स्वतंत्रता विधेयक 4 जुलाई 1947 को संसद में पेश किया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई 1947 को अधिनियमित किया गया था।
15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम लागू हुआ।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता को अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि माना।
Incorrect
व्याख्या-
क्लीमेन्ट एटली के नेतृत्व में ब्रिटेन में 26 जुलाई, 1945 ई. को ब्रिटिश मंत्रिमण्डल ने सत्ता ग्रहण की।
भारत में संवैधानिक सुधारों के लिए कैबिनेट मिशन भेजने का निर्णय लिया गया।
कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 ई. को दिल्ली पहँचा।
कैबिनेट मिशन में कुल तीन सदस्य थे- भारत सचिव पैथिक लारेंस, व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टेफोर्ड क्रिप्स और नौ सेना के प्रमुख ए0 बी0 अलेक्जेण्डर।
कैबिनेट मिशन के आधार पर संविधान सभा का गठन किया गया।
क्लेमेंट एटली की घोषणा –
क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की :
ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूर्ण स्वशासन प्रदान करेगी।
रियासतों के भविष्य का फैसला अंतिम स्थानांतरण की तारीख तय होने के बाद होगा।
भारतीय स्वतंत्रता विधेयक 4 जुलाई 1947 को संसद में पेश किया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई 1947 को अधिनियमित किया गया था।
15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम लागू हुआ।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता को अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि माना।
Unattempted
व्याख्या-
क्लीमेन्ट एटली के नेतृत्व में ब्रिटेन में 26 जुलाई, 1945 ई. को ब्रिटिश मंत्रिमण्डल ने सत्ता ग्रहण की।
भारत में संवैधानिक सुधारों के लिए कैबिनेट मिशन भेजने का निर्णय लिया गया।
कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 ई. को दिल्ली पहँचा।
कैबिनेट मिशन में कुल तीन सदस्य थे- भारत सचिव पैथिक लारेंस, व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टेफोर्ड क्रिप्स और नौ सेना के प्रमुख ए0 बी0 अलेक्जेण्डर।
कैबिनेट मिशन के आधार पर संविधान सभा का गठन किया गया।
क्लेमेंट एटली की घोषणा –
क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की :
ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूर्ण स्वशासन प्रदान करेगी।
रियासतों के भविष्य का फैसला अंतिम स्थानांतरण की तारीख तय होने के बाद होगा।
भारतीय स्वतंत्रता विधेयक 4 जुलाई 1947 को संसद में पेश किया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई 1947 को अधिनियमित किया गया था।
15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम लागू हुआ।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता को अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि माना।
Question 22 of 35
22. Question
1 points
कांग्रेस में नरम दल वाले क्या चाहते थे
Correct
व्याख्या-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
Incorrect
व्याख्या-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
Unattempted
व्याख्या-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
Question 23 of 35
23. Question
1 points
खिलाफत आन्दोलन का उददेश्य क्या था?
Correct
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
Incorrect
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
Unattempted
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
Question 24 of 35
24. Question
1 points
प्रथम कांग्रेस मंत्रीमण्डल कब बना?
Correct
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Incorrect
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Unattempted
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Question 25 of 35
25. Question
1 points
साइन कमीशन किस लिए गठित हुआ?
Correct
व्याख्या-
1919 ई. सुधार अधिनियम प्रावधानों के तहत ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय आयोग- साइमन कमशीन के गठन की घोषणा की।
साइन कमीशन संवैधानिक परिवर्तन का प्रस्ताव करने के लिए गठित हुआ
साइमन कमशीन में किसी भारतीय को शामिल नहीं किया गया।
साइमन कमशीन को श्वेत कमीशन कहा गया ।
फलस्वरूप इसके प्रति भारतीयों में रोष पनपा सभी भारतीय दलों ने इसका विरोध व बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन/आयोग के सदस्य/ –
सर जॉन साइमन, स्पेन वैली के सांसद (लिबरल पार्टी)
क्लेमेंट एटली, लाइमहाउस के सांसद (लेबर पार्टी)
हैरी लेवी-लॉसन, (लिबरल यूनियनिस्ट पार्टी)
सर एडवर्ड सेसिल जॉर्ज काडोगन, फ़िंचली के सांसद (कंज़र्वेटिव पार्टी)
वर्नन हार्टशोम, ऑग्मोर के सांसद (लेबर पार्टी)
जॉर्ज रिचर्ड लेन – फॉक्स, बार्कस्टन ऐश के सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी)
डोनाल्ड स्टर्लिन पामर होवार्ड, कम्बरलैंड नॉर्थ के संसद
Incorrect
व्याख्या-
1919 ई. सुधार अधिनियम प्रावधानों के तहत ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय आयोग- साइमन कमशीन के गठन की घोषणा की।
साइन कमीशन संवैधानिक परिवर्तन का प्रस्ताव करने के लिए गठित हुआ
साइमन कमशीन में किसी भारतीय को शामिल नहीं किया गया।
साइमन कमशीन को श्वेत कमीशन कहा गया ।
फलस्वरूप इसके प्रति भारतीयों में रोष पनपा सभी भारतीय दलों ने इसका विरोध व बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन/आयोग के सदस्य/ –
सर जॉन साइमन, स्पेन वैली के सांसद (लिबरल पार्टी)
क्लेमेंट एटली, लाइमहाउस के सांसद (लेबर पार्टी)
हैरी लेवी-लॉसन, (लिबरल यूनियनिस्ट पार्टी)
सर एडवर्ड सेसिल जॉर्ज काडोगन, फ़िंचली के सांसद (कंज़र्वेटिव पार्टी)
वर्नन हार्टशोम, ऑग्मोर के सांसद (लेबर पार्टी)
जॉर्ज रिचर्ड लेन – फॉक्स, बार्कस्टन ऐश के सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी)
डोनाल्ड स्टर्लिन पामर होवार्ड, कम्बरलैंड नॉर्थ के संसद
Unattempted
व्याख्या-
1919 ई. सुधार अधिनियम प्रावधानों के तहत ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय आयोग- साइमन कमशीन के गठन की घोषणा की।
साइन कमीशन संवैधानिक परिवर्तन का प्रस्ताव करने के लिए गठित हुआ
साइमन कमशीन में किसी भारतीय को शामिल नहीं किया गया।
साइमन कमशीन को श्वेत कमीशन कहा गया ।
फलस्वरूप इसके प्रति भारतीयों में रोष पनपा सभी भारतीय दलों ने इसका विरोध व बहिष्कार किया।
साइमन कमीशन/आयोग के सदस्य/ –
सर जॉन साइमन, स्पेन वैली के सांसद (लिबरल पार्टी)
क्लेमेंट एटली, लाइमहाउस के सांसद (लेबर पार्टी)
हैरी लेवी-लॉसन, (लिबरल यूनियनिस्ट पार्टी)
सर एडवर्ड सेसिल जॉर्ज काडोगन, फ़िंचली के सांसद (कंज़र्वेटिव पार्टी)
वर्नन हार्टशोम, ऑग्मोर के सांसद (लेबर पार्टी)
जॉर्ज रिचर्ड लेन – फॉक्स, बार्कस्टन ऐश के सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी)
डोनाल्ड स्टर्लिन पामर होवार्ड, कम्बरलैंड नॉर्थ के संसद
Question 26 of 35
26. Question
1 points
नेहरू रिपोर्ट 1928 किससे सम्बन्धित थी?
Correct
व्याख्या-
काँग्रेस ने जब साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का आहवान किया
भारत सचिव लार्ड बर्कन हेड ने 24 नवम्बर 1927 ई. को भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिसे सभी दलों का समर्थन व सहमति प्राप्त हो।
काँग्रेस ने इस चुनौती का स्वीकार कर 28 फरवरी, 1928 ई. को दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया।
दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन में 29 संस्थाओं ने भाग लिया।
डॉ0 अंसारी की अध्यक्षता में 10 मई, 1928 ई. को बम्बई में सर्वदलीय सम्मेलन की दुबारा बैठक हुई
बम्बई में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 9 व्यक्तियों की एक कमेटी गठित की गयी
अध्यक्ष के अतिरिक्त 9 सदस्यीय इस कमेटी के सदस्य थे- अली इमाम, शुएब कुरेशी (मुस्लिम), एम0 एस0 अणे, एम0 आर0 जयकर (हिन्दू महासभा), मंगल सिंह (सिख), तेज बहादुर सप्रू (लिबरल), एन0 एम0 जोशी (लेबर) जी0पी0 प्रधान (ब्राह्मण) तथा सुभाष चन्द्र बोस (काँग्रेस)।
सर्वदलीय सम्मेलन की कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की वह नेहरू रिपोर्ट कहलायी।
Incorrect
व्याख्या-
काँग्रेस ने जब साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का आहवान किया
भारत सचिव लार्ड बर्कन हेड ने 24 नवम्बर 1927 ई. को भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिसे सभी दलों का समर्थन व सहमति प्राप्त हो।
काँग्रेस ने इस चुनौती का स्वीकार कर 28 फरवरी, 1928 ई. को दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया।
दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन में 29 संस्थाओं ने भाग लिया।
डॉ0 अंसारी की अध्यक्षता में 10 मई, 1928 ई. को बम्बई में सर्वदलीय सम्मेलन की दुबारा बैठक हुई
बम्बई में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 9 व्यक्तियों की एक कमेटी गठित की गयी
अध्यक्ष के अतिरिक्त 9 सदस्यीय इस कमेटी के सदस्य थे- अली इमाम, शुएब कुरेशी (मुस्लिम), एम0 एस0 अणे, एम0 आर0 जयकर (हिन्दू महासभा), मंगल सिंह (सिख), तेज बहादुर सप्रू (लिबरल), एन0 एम0 जोशी (लेबर) जी0पी0 प्रधान (ब्राह्मण) तथा सुभाष चन्द्र बोस (काँग्रेस)।
सर्वदलीय सम्मेलन की कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की वह नेहरू रिपोर्ट कहलायी।
Unattempted
व्याख्या-
काँग्रेस ने जब साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का आहवान किया
भारत सचिव लार्ड बर्कन हेड ने 24 नवम्बर 1927 ई. को भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिसे सभी दलों का समर्थन व सहमति प्राप्त हो।
काँग्रेस ने इस चुनौती का स्वीकार कर 28 फरवरी, 1928 ई. को दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया।
दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन में 29 संस्थाओं ने भाग लिया।
डॉ0 अंसारी की अध्यक्षता में 10 मई, 1928 ई. को बम्बई में सर्वदलीय सम्मेलन की दुबारा बैठक हुई
बम्बई में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 9 व्यक्तियों की एक कमेटी गठित की गयी
अध्यक्ष के अतिरिक्त 9 सदस्यीय इस कमेटी के सदस्य थे- अली इमाम, शुएब कुरेशी (मुस्लिम), एम0 एस0 अणे, एम0 आर0 जयकर (हिन्दू महासभा), मंगल सिंह (सिख), तेज बहादुर सप्रू (लिबरल), एन0 एम0 जोशी (लेबर) जी0पी0 प्रधान (ब्राह्मण) तथा सुभाष चन्द्र बोस (काँग्रेस)।
सर्वदलीय सम्मेलन की कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की वह नेहरू रिपोर्ट कहलायी।
Question 27 of 35
27. Question
1 points
कांग्रेस में गरम दल के नेता कौन थे?
Correct
व्याख्या-
नरम दल-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
गरम दल-
1906 ई. के बाद भारतीय राजनीति में काँग्रेस के भीतर उग्रवादी दल के उदय के साथ-साथ क्रांतिकारी उग्रवादी दलों (गरम दल) का भी अविर्भाव हुआ।
कांग्रेस में गरम दल के नेता- बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल एवं अरबिन्द घोष
गरम दल के नेताओं ने स्वराज्य प्राप्ति को ही अपना प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य बनाया।
तिलक ने नारा दिया था कि “स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।”
अरबिन्द घोष का कथन – “राजनीतिक स्वतंत्रता एक राष्ट्र का जीवन श्वास है। बिना राजनीतिक स्वतंत्रता के सामाजिक तथा शैक्षणिक सुधार, औद्योगिक प्रसार, एक जाति विशेष की नैतिक उन्नति आदि की बाते सोचना मूर्खता की चरम सीमा है।
Incorrect
व्याख्या-
नरम दल-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
गरम दल-
1906 ई. के बाद भारतीय राजनीति में काँग्रेस के भीतर उग्रवादी दल के उदय के साथ-साथ क्रांतिकारी उग्रवादी दलों (गरम दल) का भी अविर्भाव हुआ।
कांग्रेस में गरम दल के नेता- बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल एवं अरबिन्द घोष
गरम दल के नेताओं ने स्वराज्य प्राप्ति को ही अपना प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य बनाया।
तिलक ने नारा दिया था कि “स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।”
अरबिन्द घोष का कथन – “राजनीतिक स्वतंत्रता एक राष्ट्र का जीवन श्वास है। बिना राजनीतिक स्वतंत्रता के सामाजिक तथा शैक्षणिक सुधार, औद्योगिक प्रसार, एक जाति विशेष की नैतिक उन्नति आदि की बाते सोचना मूर्खता की चरम सीमा है।
Unattempted
व्याख्या-
नरम दल-
कांग्रेस में नरमपंथियों का (नरम दल) 1885 से 1905 तक वर्चस्व रहा।
नरमपंथियों /उदारवादियो का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखना तथा प्रतिवेदनों और लेखों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार की मांग करना था।
कांग्रेस के नरम दल के नेताओं में गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता व दादाभाई नौरोजी प्रमुख थे।
गरम दल-
1906 ई. के बाद भारतीय राजनीति में काँग्रेस के भीतर उग्रवादी दल के उदय के साथ-साथ क्रांतिकारी उग्रवादी दलों (गरम दल) का भी अविर्भाव हुआ।
कांग्रेस में गरम दल के नेता- बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल एवं अरबिन्द घोष
गरम दल के नेताओं ने स्वराज्य प्राप्ति को ही अपना प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य बनाया।
तिलक ने नारा दिया था कि “स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।”
अरबिन्द घोष का कथन – “राजनीतिक स्वतंत्रता एक राष्ट्र का जीवन श्वास है। बिना राजनीतिक स्वतंत्रता के सामाजिक तथा शैक्षणिक सुधार, औद्योगिक प्रसार, एक जाति विशेष की नैतिक उन्नति आदि की बाते सोचना मूर्खता की चरम सीमा है।
Question 28 of 35
28. Question
1 points
महात्मा गाँधी के बारे में गलत कथन क्या है?
Correct
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में (1919-1947)गाँधीजी का काल गाँधीयुग के नाम से जाना जाता है।
गाँधीजी ने 1919 में खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
गाँधीजी कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन 1924 बेलगाँव में केवल एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने ।
डॉ० अम्बेडकर के साथ वर्ण व्यवस्था को लेकर उनका विरोध था।
गाँधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन –
चंपारण आंदोलन (1917)
खेड़ा आंदोलन (1918)
खिलाफत आंदोलन (1919)
असहयोग आंदोलन (1920)
सविनय अवज्ञा आंदोलन: (1930)
दांडी मार्च (12 मार्च -6 अप्रेल 1930 )
गांधी-इरविन समझौता(5 मार्च 1931)
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
Incorrect
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में (1919-1947)गाँधीजी का काल गाँधीयुग के नाम से जाना जाता है।
गाँधीजी ने 1919 में खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
गाँधीजी कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन 1924 बेलगाँव में केवल एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने ।
डॉ० अम्बेडकर के साथ वर्ण व्यवस्था को लेकर उनका विरोध था।
गाँधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन –
चंपारण आंदोलन (1917)
खेड़ा आंदोलन (1918)
खिलाफत आंदोलन (1919)
असहयोग आंदोलन (1920)
सविनय अवज्ञा आंदोलन: (1930)
दांडी मार्च (12 मार्च -6 अप्रेल 1930 )
गांधी-इरविन समझौता(5 मार्च 1931)
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
Unattempted
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में (1919-1947)गाँधीजी का काल गाँधीयुग के नाम से जाना जाता है।
गाँधीजी ने 1919 में खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
गाँधीजी कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन 1924 बेलगाँव में केवल एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने ।
डॉ० अम्बेडकर के साथ वर्ण व्यवस्था को लेकर उनका विरोध था।
गाँधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन –
चंपारण आंदोलन (1917)
खेड़ा आंदोलन (1918)
खिलाफत आंदोलन (1919)
असहयोग आंदोलन (1920)
सविनय अवज्ञा आंदोलन: (1930)
दांडी मार्च (12 मार्च -6 अप्रेल 1930 )
गांधी-इरविन समझौता(5 मार्च 1931)
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
Question 29 of 35
29. Question
1 points
खिलाफत आंदोलन के अग्रणी नेता थे
Correct
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
खिलाफत आन्दोलन के नेता –मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, हकीम अजमल खाँ, हसरत मोहानी एवं अबुल कलाम आजाद
Incorrect
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
खिलाफत आन्दोलन के नेता –मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, हकीम अजमल खाँ, हसरत मोहानी एवं अबुल कलाम आजाद
Unattempted
व्याख्या-
खिलाफत आन्दोलन-
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के मध्य होने वाले “सेवर्स की सन्धि” से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छीन लिये गये।
जिस कारण भारतीय मुसलमान ब्रिटिश सरकार से नफरत करने लगे।
अली बंधुओं मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आन्दोलन की घोषणा की गई।
महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के साथ सहानुभूति व्यक्त की।
23 नवम्बर, 1919 ई. को “दिल्ली” में, “अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का अधिवेशन हुआ
“अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी” का गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया।
खिलाफत आन्दोलन के नेता –मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, हकीम अजमल खाँ, हसरत मोहानी एवं अबुल कलाम आजाद
Question 30 of 35
30. Question
1 points
स्वराज्य दल का मुख्य उद्देश्य था
Correct
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य -विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Incorrect
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य -विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Unattempted
स्वराज पार्टी –
1922 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया.
स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च, 1923 ई. में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में की।
स्वराज दल का प्रथम अधिवेशन इलाहबाद में हुआ
स्वराज दल के सदस्य -विट्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, हकीम असमल खाँ, एम0आर0 जयकर तथा लाला लाजपत राय
स्वराज दल के विरोधी सदस्य जबकि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, सी0 राजगोपालाचारी, बल्लभभाई पटेल तथा अंसारी
स्वराज दल के उद्देश्य –
परिषद् में प्रवेश कर असहयोग के कार्यक्रम को अपनाना और असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना
इसका प्रमुख उद्देश्य असहयोग को कौंसिलों तक पहुँचाा था।
सरकार की नीतियों का घोर विरोध कर उसके कार्यों में अड़ंगा लगाना, जिससे उसके कार्य सुचारू रूप से नहीं चल सकें और सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन के लिए विवश हो जाए
Question 31 of 35
31. Question
1 points
मद्य निषेध किसका मुख्य मुद्दा था
Correct
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्ररम्भ करने के कारण –
साइमन कमीशन जब 1928 में भारत आया तो उसमें एक भी भारतीय का नाम न होने के कारण उसका देश भर में विरोध किया गया,
आर्थिक मन्दी के कारण असन्तोष-विश्वब्यापी आर्थिक मन्दी का असर भारत पर भी पड़ा 1926 के बाद कषि उत्पादों की कीमतें गिरने लगी और 1930 के बाद आर्थव्यवस्था पूरी तरह धरासायी हो गयी जिससे भारतीय सरकार से असन्तुष्ट हो गये।
नेहरू रिर्पोट की अस्वीकृति- बिट्रिश शासन द्वारा नेहरू रिर्पोट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक तथा उत्तरदायी शासन की मॉग समाप्त होती सी दिखायी देने लगी।
स्वतन्त्रता की मॉग की अस्वीकृति- 1929 के जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांगेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मॉग की गयी लेकिन सरकार ने इसे ठुकरा दिया था। ऐसे में महात्मा गाँधी के पास दूसरा राष्ता नहीं था इस तरह कांगेस ने देश भर में बिट्रिश शासन के विरूद्व सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ दिया , गाँधी जी ने नमक आन्दोलन के जरिये अंगेजी सरकार के कानूनों का विरोध किया,जगह -जगह सरकार का कागेस के कार्यकर्ताओं द्वारा विनय पूर्वक अंग्रेजी सरकार का विरोध किया
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की और 6 मार्च 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
Incorrect
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्ररम्भ करने के कारण –
साइमन कमीशन जब 1928 में भारत आया तो उसमें एक भी भारतीय का नाम न होने के कारण उसका देश भर में विरोध किया गया,
आर्थिक मन्दी के कारण असन्तोष-विश्वब्यापी आर्थिक मन्दी का असर भारत पर भी पड़ा 1926 के बाद कषि उत्पादों की कीमतें गिरने लगी और 1930 के बाद आर्थव्यवस्था पूरी तरह धरासायी हो गयी जिससे भारतीय सरकार से असन्तुष्ट हो गये।
नेहरू रिर्पोट की अस्वीकृति- बिट्रिश शासन द्वारा नेहरू रिर्पोट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक तथा उत्तरदायी शासन की मॉग समाप्त होती सी दिखायी देने लगी।
स्वतन्त्रता की मॉग की अस्वीकृति- 1929 के जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांगेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मॉग की गयी लेकिन सरकार ने इसे ठुकरा दिया था। ऐसे में महात्मा गाँधी के पास दूसरा राष्ता नहीं था इस तरह कांगेस ने देश भर में बिट्रिश शासन के विरूद्व सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ दिया , गाँधी जी ने नमक आन्दोलन के जरिये अंगेजी सरकार के कानूनों का विरोध किया,जगह -जगह सरकार का कागेस के कार्यकर्ताओं द्वारा विनय पूर्वक अंग्रेजी सरकार का विरोध किया
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की और 6 मार्च 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
Unattempted
व्याख्या-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्ररम्भ करने के कारण –
साइमन कमीशन जब 1928 में भारत आया तो उसमें एक भी भारतीय का नाम न होने के कारण उसका देश भर में विरोध किया गया,
आर्थिक मन्दी के कारण असन्तोष-विश्वब्यापी आर्थिक मन्दी का असर भारत पर भी पड़ा 1926 के बाद कषि उत्पादों की कीमतें गिरने लगी और 1930 के बाद आर्थव्यवस्था पूरी तरह धरासायी हो गयी जिससे भारतीय सरकार से असन्तुष्ट हो गये।
नेहरू रिर्पोट की अस्वीकृति- बिट्रिश शासन द्वारा नेहरू रिर्पोट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक तथा उत्तरदायी शासन की मॉग समाप्त होती सी दिखायी देने लगी।
स्वतन्त्रता की मॉग की अस्वीकृति- 1929 के जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांगेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मॉग की गयी लेकिन सरकार ने इसे ठुकरा दिया था। ऐसे में महात्मा गाँधी के पास दूसरा राष्ता नहीं था इस तरह कांगेस ने देश भर में बिट्रिश शासन के विरूद्व सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ दिया , गाँधी जी ने नमक आन्दोलन के जरिये अंगेजी सरकार के कानूनों का विरोध किया,जगह -जगह सरकार का कागेस के कार्यकर्ताओं द्वारा विनय पूर्वक अंग्रेजी सरकार का विरोध किया
सविनय अवज्ञा की शुरूआत गाँधी जी ने दाण्डी मार्च से की।
12 मार्च, 1930 ई. को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से उन्होंने यह यात्रा प्रारम्भ की और 6 मार्च 1930 ई. को नौसासी जिले में स्थित दाण्डी पहुँचकर उन्होंने नमक कानून तोड़ दिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में शराब बंदी, उच्च भू-राजस्व के खिलाफ आंदोलन तथा विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को भी शामिल किया गया।
Question 32 of 35
32. Question
1 points
‘नागपुर चलो’ का आहवान किस अवसर पर किया गया
Correct
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन की राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
इस आन्दोलन से जनता में निर्भीकता व उत्साह का संचार हुआ।
1923 ई. के मध्य में काँग्रेस के ध्वज के प्रयोग को रोकने वाले एक स्थानीय आदेश के खिलाफ नागपुर झण्डा सत्याग्रह किया गया।
‘नागपुर चलो’ का आहवान झण्डा सत्याग्रह अवसर पर किया गया
सरकार को समझौते के लिए बाध्य करने के लिए गुजरात से आन्दोलनकारियों के दस्ते नागपुर भेजे गए।
Incorrect
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन की राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
इस आन्दोलन से जनता में निर्भीकता व उत्साह का संचार हुआ।
1923 ई. के मध्य में काँग्रेस के ध्वज के प्रयोग को रोकने वाले एक स्थानीय आदेश के खिलाफ नागपुर झण्डा सत्याग्रह किया गया।
‘नागपुर चलो’ का आहवान झण्डा सत्याग्रह अवसर पर किया गया
सरकार को समझौते के लिए बाध्य करने के लिए गुजरात से आन्दोलनकारियों के दस्ते नागपुर भेजे गए।
Unattempted
व्याख्या-
असहयोग आन्दोलन की राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
इस आन्दोलन से जनता में निर्भीकता व उत्साह का संचार हुआ।
1923 ई. के मध्य में काँग्रेस के ध्वज के प्रयोग को रोकने वाले एक स्थानीय आदेश के खिलाफ नागपुर झण्डा सत्याग्रह किया गया।
‘नागपुर चलो’ का आहवान झण्डा सत्याग्रह अवसर पर किया गया
सरकार को समझौते के लिए बाध्य करने के लिए गुजरात से आन्दोलनकारियों के दस्ते नागपुर भेजे गए।
Question 33 of 35
33. Question
1 points
1937 में मध्य भारत और बम्बई में काँग्रेस मंत्री मंडल बनने पर पहला मुख्यमंत्री कौन बना ?
Correct
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1937 ई. मे मध्य भारत और बम्बई में काँग्रेसी मंत्रीमण्डल बनने पर पहला मुख्यमंत्री (अर्थात् प्रधानमंत्री) एन0वी0 खरे बने।
प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् गठित की गई।
केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् के सदस्य -सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Incorrect
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1937 ई. मे मध्य भारत और बम्बई में काँग्रेसी मंत्रीमण्डल बनने पर पहला मुख्यमंत्री (अर्थात् प्रधानमंत्री) एन0वी0 खरे बने।
प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् गठित की गई।
केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् के सदस्य -सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Unattempted
व्याख्या-
भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का अधिकार मिल गया।
जनवरी 1937 में वे प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस ने भाग लिया
11 प्रान्ती में से आठ प्रान्तों में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ।
चुनाव ग्यारह प्रांतों– मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, असम, NWFP, बंगाल, पंजाब और सिंध में हुए थे।
केवल बंगाल, पंजाब और सिन्ध प्रान्त में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
आठ प्रान्तों में गठित कांग्रेसी मंत्रीमण्डल का कार्यकाल लगभग 2 वर्षों तक रहा।
1937 ई. मे मध्य भारत और बम्बई में काँग्रेसी मंत्रीमण्डल बनने पर पहला मुख्यमंत्री (अर्थात् प्रधानमंत्री) एन0वी0 खरे बने।
प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् गठित की गई।
केन्द्रीय नियंत्रण परिषद् के सदस्य -सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद।
1 सितम्बर, 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।
तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रान्तीय मंत्रिमंडलो या किसी भारतीय नेता की सलाह लिये बिना भारत को ब्रिटेन के साथ युद्ध में सामिल कर दिया एवं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस औपनिवेशिक स्वराज्य (युद्धोपरान्त) की ब्रिटिश घोषणा से नाराज हो गई ।
22 दिसम्बर, 1939 को कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस मंत्रिमंडलों द्वारा त्यागपत्र देने पर मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।
Question 34 of 35
34. Question
1 points
‘गदर-दल’ की स्थापना कहां हुई थी?
Correct
व्याख्या-
1 नवम्बर, 1913 ई. के अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को नगर में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे।
सोहन सिंह ने गदर नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जो उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी तथा गुजराती में छपता था।
गदर नामक पत्रिका का एक अंक पख्तूनी भाषा में भी निकलता था।
***गदर पार्टी का उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत को अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति दिलाना था।
Incorrect
व्याख्या-
1 नवम्बर, 1913 ई. के अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को नगर में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे।
सोहन सिंह ने गदर नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जो उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी तथा गुजराती में छपता था।
गदर नामक पत्रिका का एक अंक पख्तूनी भाषा में भी निकलता था।
***गदर पार्टी का उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत को अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति दिलाना था।
Unattempted
व्याख्या-
1 नवम्बर, 1913 ई. के अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को नगर में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।
गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे।
सोहन सिंह ने गदर नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जो उर्दू, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, हिन्दी तथा गुजराती में छपता था।
गदर नामक पत्रिका का एक अंक पख्तूनी भाषा में भी निकलता था।
***गदर पार्टी का उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत को अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति दिलाना था।
Question 35 of 35
35. Question
1 points
किस प्रसिद्ध मुस्लिम नेता को सरोजनी नायडू ने ‘हिन्दू मुस्लिम एकता का राजदूत’ कहा था
Correct
व्याख्या-
मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना को सरोजनी नायडू ने ‘हिन्दू मुस्लिम एकता का राजदूत’ कहा था
Incorrect
व्याख्या-
मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना को सरोजनी नायडू ने ‘हिन्दू मुस्लिम एकता का राजदूत’ कहा था
Unattempted
व्याख्या-
मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना को सरोजनी नायडू ने ‘हिन्दू मुस्लिम एकता का राजदूत’ कहा था