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Congratulations!!!" भारतीय गवर्नर जनरल "
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Question 1 of 53
1. Question
1 points
किस वायसराय के कार्यकाल में ‘श्वेत विद्रोह’ हुआ?
Correct
व्याख्या –
श्वेत विद्रोह राबर्ट क्लाइव व लॉर्ड रिपन के समय हुआ था
राबर्ट क्लाइव के समय श्वेत विद्रोह भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के ‘गोरे’ (श्वेत) सैनिकों द्वारा किया गया था
विद्रोह का प्रमुख कारण राबर्ट क्लाइव की वह नीति थी, जिसमें सैनिकों के दोहरे भत्ते आदि पर लगा दी गई थी।
इल्बर्ट बिल-1883
वायसराय लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के दौरान इल्बर्ट बिल लाया गया था।
इस बिल के द्वारा भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार प्रदान कर दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक भी शामिल होते थे
इससे पहले यूरोपीय व्यक्तियों से संबंधित मामलों की सुनवाई केवल यूरोपीय न्यायाधीश ही करते थे।
इल्बर्ट बिल का विरोध श्वेत लोगों ने किया।
यह श्वेत विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है। इसी के बाद रिपन ने त्यागपत्र दे दिया।
Incorrect
व्याख्या –
श्वेत विद्रोह राबर्ट क्लाइव व लॉर्ड रिपन के समय हुआ था
राबर्ट क्लाइव के समय श्वेत विद्रोह भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के ‘गोरे’ (श्वेत) सैनिकों द्वारा किया गया था
विद्रोह का प्रमुख कारण राबर्ट क्लाइव की वह नीति थी, जिसमें सैनिकों के दोहरे भत्ते आदि पर लगा दी गई थी।
इल्बर्ट बिल-1883
वायसराय लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के दौरान इल्बर्ट बिल लाया गया था।
इस बिल के द्वारा भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार प्रदान कर दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक भी शामिल होते थे
इससे पहले यूरोपीय व्यक्तियों से संबंधित मामलों की सुनवाई केवल यूरोपीय न्यायाधीश ही करते थे।
इल्बर्ट बिल का विरोध श्वेत लोगों ने किया।
यह श्वेत विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है। इसी के बाद रिपन ने त्यागपत्र दे दिया।
Unattempted
व्याख्या –
श्वेत विद्रोह राबर्ट क्लाइव व लॉर्ड रिपन के समय हुआ था
राबर्ट क्लाइव के समय श्वेत विद्रोह भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के ‘गोरे’ (श्वेत) सैनिकों द्वारा किया गया था
विद्रोह का प्रमुख कारण राबर्ट क्लाइव की वह नीति थी, जिसमें सैनिकों के दोहरे भत्ते आदि पर लगा दी गई थी।
इल्बर्ट बिल-1883
वायसराय लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के दौरान इल्बर्ट बिल लाया गया था।
इस बिल के द्वारा भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार प्रदान कर दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक भी शामिल होते थे
इससे पहले यूरोपीय व्यक्तियों से संबंधित मामलों की सुनवाई केवल यूरोपीय न्यायाधीश ही करते थे।
इल्बर्ट बिल का विरोध श्वेत लोगों ने किया।
यह श्वेत विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है। इसी के बाद रिपन ने त्यागपत्र दे दिया।
Question 2 of 53
2. Question
1 points
हड़पनीति के अन्तर्गत न हड़पा जाने वाला राज्य था।
Correct
व्याख्या –
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
(1848)
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
(1849)
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Incorrect
व्याख्या –
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
(1848)
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
(1849)
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Unattempted
व्याख्या –
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
(1848)
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
(1849)
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Question 3 of 53
3. Question
1 points
किसने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
Correct
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Incorrect
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Unattempted
व्याख्या .
लार्ड मैकाले के प्रशंसनात्मक शब्दों में जो कलकत्ता में उसकी प्रतिमा पर खुदे थे।
“बेटिंक ने प्राच्य स्वेच्छाचारिता में अंग्रेजी स्वतंत्रता की भावना को भर दिया।” ।
लार्ड मैकाले ने कहां था …. “बेन्टिंग ने प्राच्य निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी”?
लार्ड एमहर्ट के पाश्चात्य विलियम बेंन्टिंग (1828-35) भारत में गर्वनर जनरल बन कर भारत आया।
विलियम बेंन्टिंग एक कट्टर (उदारवादी) था और वह उन्हीं आदर्शों से प्रेरित हुआ था जिनसे इंग्लैण्ड में सुधारों के युग का सूत्रपात हुआ था।
Question 4 of 53
4. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन गवर्नर जनरल अंग्रेजी के अतिरिक्त अरबी, फारसी एवं बंगाली भाषा का जानकार था?
Correct
व्याख्या –
बंगाल का प्रथम गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग था।
वॉरेन हेस्टिंगअंग्रेजी के अतिरिक्त अरबी, फारसी एवं बंगाली भाषा का जानकार था।
1781 में वॉरेन हेस्टिंग ने कलकत्ता में फारसी- के अध्ययन के लिए एक मदरसा की स्थापना की।
Incorrect
व्याख्या –
बंगाल का प्रथम गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग था।
वॉरेन हेस्टिंगअंग्रेजी के अतिरिक्त अरबी, फारसी एवं बंगाली भाषा का जानकार था।
1781 में वॉरेन हेस्टिंग ने कलकत्ता में फारसी- के अध्ययन के लिए एक मदरसा की स्थापना की।
Unattempted
व्याख्या –
बंगाल का प्रथम गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग था।
वॉरेन हेस्टिंगअंग्रेजी के अतिरिक्त अरबी, फारसी एवं बंगाली भाषा का जानकार था।
1781 में वॉरेन हेस्टिंग ने कलकत्ता में फारसी- के अध्ययन के लिए एक मदरसा की स्थापना की।
Question 5 of 53
5. Question
1 points
“कुशल अकर्मण्यता’ की नीति का सम्बन्ध था
Correct
व्याख्या-
सर जॉन लॉरेन्स (Sir John Lawrence)
जान लारेंस 1863 ई. में भारत का वायसराय बना था।
जान लारेंस 1830 ई. में भारत आया था,
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध में उल्लेखनीय योगदान के कारण जान लारेंस पहले जालंधर दोआब का कमिश्नर तथा 1853 ई. में इसे पंजाब का चीफ कमिश्नर बना दिया गया।
कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को “भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिलाए जाने के पश्चात वह चीफ कमिश्नर नियुक्त किया गया।
अफगानिस्तान के सन्दर्भ में उसने अहस्तक्षेप /”कुशल अकर्मण्यता’ की नीति का पालन किया तथा तत्कालीन शासक शेर अली से दोस्ती की।
1865 ई. में भूटानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया।
उसके समय में 1866 ई. में उड़ीसा में तथा 1868-69 ई. में बन्देलखण्ड एवं राजपूताना में भीषण अकाल पड़ा।
सर जॉर्ज कैम्पबेल के नेतृत्व में अकाल आयोग नियुक्त किया गया, जो अकालों का मुकाबला करने के सबसे सफल उपायों पर विचार कर सके।
लॉरेन्स के काल में 1865 ई. में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा आरम्भ हुई।
इसी के काल में 1868 ई. में पंजाब तथा अवध के काश्तकारी अधिनियम पारित हुए थे।
Incorrect
व्याख्या-
सर जॉन लॉरेन्स (Sir John Lawrence)
जान लारेंस 1863 ई. में भारत का वायसराय बना था।
जान लारेंस 1830 ई. में भारत आया था,
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध में उल्लेखनीय योगदान के कारण जान लारेंस पहले जालंधर दोआब का कमिश्नर तथा 1853 ई. में इसे पंजाब का चीफ कमिश्नर बना दिया गया।
कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को “भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिलाए जाने के पश्चात वह चीफ कमिश्नर नियुक्त किया गया।
अफगानिस्तान के सन्दर्भ में उसने अहस्तक्षेप /”कुशल अकर्मण्यता’ की नीति का पालन किया तथा तत्कालीन शासक शेर अली से दोस्ती की।
1865 ई. में भूटानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया।
उसके समय में 1866 ई. में उड़ीसा में तथा 1868-69 ई. में बन्देलखण्ड एवं राजपूताना में भीषण अकाल पड़ा।
सर जॉर्ज कैम्पबेल के नेतृत्व में अकाल आयोग नियुक्त किया गया, जो अकालों का मुकाबला करने के सबसे सफल उपायों पर विचार कर सके।
लॉरेन्स के काल में 1865 ई. में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा आरम्भ हुई।
इसी के काल में 1868 ई. में पंजाब तथा अवध के काश्तकारी अधिनियम पारित हुए थे।
Unattempted
व्याख्या-
सर जॉन लॉरेन्स (Sir John Lawrence)
जान लारेंस 1863 ई. में भारत का वायसराय बना था।
जान लारेंस 1830 ई. में भारत आया था,
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध में उल्लेखनीय योगदान के कारण जान लारेंस पहले जालंधर दोआब का कमिश्नर तथा 1853 ई. में इसे पंजाब का चीफ कमिश्नर बना दिया गया।
कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को “भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिलाए जाने के पश्चात वह चीफ कमिश्नर नियुक्त किया गया।
अफगानिस्तान के सन्दर्भ में उसने अहस्तक्षेप /”कुशल अकर्मण्यता’ की नीति का पालन किया तथा तत्कालीन शासक शेर अली से दोस्ती की।
1865 ई. में भूटानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया।
उसके समय में 1866 ई. में उड़ीसा में तथा 1868-69 ई. में बन्देलखण्ड एवं राजपूताना में भीषण अकाल पड़ा।
सर जॉर्ज कैम्पबेल के नेतृत्व में अकाल आयोग नियुक्त किया गया, जो अकालों का मुकाबला करने के सबसे सफल उपायों पर विचार कर सके।
लॉरेन्स के काल में 1865 ई. में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा आरम्भ हुई।
इसी के काल में 1868 ई. में पंजाब तथा अवध के काश्तकारी अधिनियम पारित हुए थे।
Question 6 of 53
6. Question
1 points
सूची। को सूची ॥से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
सूची। सूची ॥
A लॉर्ड बेन्टिंक 1.बंगाल का विभाजन ‘
B लॉर्ड डलहौजी 2. स्थानीय स्वशासन
C लॉर्ड रिपन 3. सती प्रथा का उन्मूलन
D लाड कर्जन 4. व्यपगत का सिद्धान्त .
Correct
लॉर्ड विलियम बैंटिक
कार्यकाल – 1828 – 35 ई.
लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1828 ई. में बंगाल के गवर्नर – जनरल का कार्यभार सँभाला।
बैंटिक को भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है।
इसके पूर्व वह 1803 ई. में मद्रास का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
1806 ई. में उसने सैनिकों के माथे पर जातीय चिहन लगाने और कानों में बालियाँ पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे वेल्लोर में प्रथम धार्मिक सैनिक विद्रोहहुआ। बैंटिक अपनी विजय के कारण नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारों के लिए याद किया जाता है।
सामाजिक सुधार (Social Reform)
सती तथा ठगी-प्रथा का अन्त बैंटिक ने सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर दिसम्बर, 1829 ई. में धारा XVII द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित किया।
प्रारम्भ में यह कानून केवल बंगाल प्रेसीडेन्सी में लागू किया गया था, पर 1830 ई. में इसे बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेन्सियों में भी लागू किया गया।
ठगी प्रथा की समाप्ति के लिए बैंटिक ने कर्नल स्लीमन की नियुक्ति की। 1830 ई. तक ठगी प्रथा का अन्त हो गया।
नरबलि व शिशु हत्या पर प्रतिबन्ध (Ban on Cannibalism and Infanticide)
बैंटिक ने नरबलि तथा राजपूतों में लड़कियों की शिशु-हत्या पर भी प्रतिबन्ध लगाया।
सरकारी सेवाओं में भेदभाव का अन्त (End of Discrimination in Government Services)
बैंटिक ने सरकारी सेवाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार को खत्म करने के लिए 1833 ई. के एक्ट की धारा 87 के अनुसार जाति या रंग के स्थान पर योग्यता को ही सेवा का आधार माना तथा कम्पनी के अधीनस्थ किसी भी भारतीय नागरिक को “उसके धर्म, जन्मस्थान, जाति अथवा रंग” के आधार पर किसी पद से वंचित नहीं रखा जा सकेगा; यह बात स्वीकार की गई।
समाचार-पत्रों के प्रति उदार नीति (Liberal Policy towards Newspapers)
सामाचार-पत्रों के प्रति बैंटिक की नीति उदार थी। वह इसे असन्तोष से रक्षा का अभिद्वार मानता था।
उसके भत्ता बन्द करने तथा अन्य वित्तीय सुधारों पर समाचार-पत्रों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। इस पर भी वह उनकी स्वतन्त्रता के पक्ष में ही रहा।
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
पंजाब का विलय (Merger of Punjab)
द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध (1848 ई.) डलहौजी के समय में हुआ।
सिख पूर्ण रूप से पराजित हुए तथा पंजाब को अंग्रेजी राज्य में 1849 ई. में मिला लिया गया।
व्यपगत का सिद्धान्त (Theory of Lapse)
डलहौजी का शासनकाल व्यपगत सिद्धान्त के कई मामलों को लागू करने के लिए प्रसिद्ध है।
इस सिद्धान्त का मूल आधार यह था कि चूँकि अंग्रेजी कम्पनी भारत में सबसे बड़ी शक्ति है। इसलिए अधीन रियासतों अथवा राज्यों को उसकी स्वीकृति के बिना किसी को गोद लेने का अधिकार नहीं था तथा कम्पनी को यह अधिकार प्राप्त था कि वह जब चाहे इस प्रकार की स्वीकृति को लौटा ले।
डलहौजी ने तत्कालीन रजवाड़ों को तीन भागों में बाँटा है : –
वे रजवाड़े जो न ही किसी को कर देते थे तथा न ही किसी के नियन्त्रण में थे तथा बिना अंग्रेजी हस्तक्षेप के गोद ले सकते थे।
वे रजवाड़े जो पहले मुगलों एवं पेशवाओं के अधीन थे, परन्तु इसके समय में अंग्रेजों के अधीन थे, उन्हें गोद लेने से पहले अंग्रेजों से अनुमति लेना आवश्यक था।
वे रियासतें जिनका निर्माण स्वयं अंग्रेजों ने किया था। उन्हें गोद लेने का अधिकार नहीं था। अपने व्यपगत सिद्धान्त का पालन करते हुए डलहौजी ने 1848 ई. में सतारा, 1849 ई. में जैतपुर तथा सम्बलपुर, 1850 ई. में बघाट, 1852 ई. में उदयपुर, 1853 ई. में झाँसी, 1854 ई. में नागपुर को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
1856 ई. में अवध को (आउटम रिपोर्ट के आधार पर कुशासन के आरोप में) तथा 1853 ई. में बकाया धनराशि वसूलने के लिए बराड़ को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
लॉर्ड रिपन (Lord Ripon)
कार्यकाल – 1880 – 84 ई.
लॉर्ड रिपन ग्लैडस्टन युग का एक सच्चा व उदार व्यक्ति था।
यह भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर-जनरल था, उसका राजनैतिक दृष्टिकोण लॉर्ड लिटन से अत्यन्त विपरीत था।
1852 ई. में उन्होंने एक पुस्तिका ‘इस युग का कर्तव्य’ लिखी थी।
उन्होंने एक बार कहा था मेरा मूल्यांकन मेरे कार्यों से करना, शब्दों से नहीं।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को “भारत के उद्धारक” की संज्ञा दी थी और उसके शासनकाल को भारत में स्वर्ण युग का आरम्भ कहा।
स्थानीय स्वशासन की शुरूआत (Introduction of Local Self-Government)
रिपन के सुधार कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य स्थानीय स्वशासन की शुरूआत थी।
इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय बोर्ड गए गए, जिले में जिला उप. विभाग, तहसील बोर्ड बनाने की योजना बनी। नगरों में नगरपालिका का गठन किया गया एवं इन्हें कार्य करने की स्वतन्त्रता एवं आय प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराए गए।
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
उसने छ: वर्ष भारत में व्यतीत किए। भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
राष्ट्रीय आन्दोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से कर्जन ने 1905 ई. में बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पूर्वी बंगाल तथा असम का एक नया प्रान्त बनाया गया, जिसमें पुराने बंगाल के 15 जिलों में असम तथा चटगाँव को मिला दिया गया। इस नए प्रान्त का क्षेत्रफल 106,000 वर्गमील तथा जनसंख्या लगभग 310 लाख लगभग थी।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Incorrect
लॉर्ड विलियम बैंटिक
कार्यकाल – 1828 – 35 ई.
लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1828 ई. में बंगाल के गवर्नर – जनरल का कार्यभार सँभाला।
बैंटिक को भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है।
इसके पूर्व वह 1803 ई. में मद्रास का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
1806 ई. में उसने सैनिकों के माथे पर जातीय चिहन लगाने और कानों में बालियाँ पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे वेल्लोर में प्रथम धार्मिक सैनिक विद्रोहहुआ। बैंटिक अपनी विजय के कारण नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारों के लिए याद किया जाता है।
सामाजिक सुधार (Social Reform)
सती तथा ठगी-प्रथा का अन्त बैंटिक ने सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर दिसम्बर, 1829 ई. में धारा XVII द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित किया।
प्रारम्भ में यह कानून केवल बंगाल प्रेसीडेन्सी में लागू किया गया था, पर 1830 ई. में इसे बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेन्सियों में भी लागू किया गया।
ठगी प्रथा की समाप्ति के लिए बैंटिक ने कर्नल स्लीमन की नियुक्ति की। 1830 ई. तक ठगी प्रथा का अन्त हो गया।
नरबलि व शिशु हत्या पर प्रतिबन्ध (Ban on Cannibalism and Infanticide)
बैंटिक ने नरबलि तथा राजपूतों में लड़कियों की शिशु-हत्या पर भी प्रतिबन्ध लगाया।
सरकारी सेवाओं में भेदभाव का अन्त (End of Discrimination in Government Services)
बैंटिक ने सरकारी सेवाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार को खत्म करने के लिए 1833 ई. के एक्ट की धारा 87 के अनुसार जाति या रंग के स्थान पर योग्यता को ही सेवा का आधार माना तथा कम्पनी के अधीनस्थ किसी भी भारतीय नागरिक को “उसके धर्म, जन्मस्थान, जाति अथवा रंग” के आधार पर किसी पद से वंचित नहीं रखा जा सकेगा; यह बात स्वीकार की गई।
समाचार-पत्रों के प्रति उदार नीति (Liberal Policy towards Newspapers)
सामाचार-पत्रों के प्रति बैंटिक की नीति उदार थी। वह इसे असन्तोष से रक्षा का अभिद्वार मानता था।
उसके भत्ता बन्द करने तथा अन्य वित्तीय सुधारों पर समाचार-पत्रों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। इस पर भी वह उनकी स्वतन्त्रता के पक्ष में ही रहा।
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
पंजाब का विलय (Merger of Punjab)
द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध (1848 ई.) डलहौजी के समय में हुआ।
सिख पूर्ण रूप से पराजित हुए तथा पंजाब को अंग्रेजी राज्य में 1849 ई. में मिला लिया गया।
व्यपगत का सिद्धान्त (Theory of Lapse)
डलहौजी का शासनकाल व्यपगत सिद्धान्त के कई मामलों को लागू करने के लिए प्रसिद्ध है।
इस सिद्धान्त का मूल आधार यह था कि चूँकि अंग्रेजी कम्पनी भारत में सबसे बड़ी शक्ति है। इसलिए अधीन रियासतों अथवा राज्यों को उसकी स्वीकृति के बिना किसी को गोद लेने का अधिकार नहीं था तथा कम्पनी को यह अधिकार प्राप्त था कि वह जब चाहे इस प्रकार की स्वीकृति को लौटा ले।
डलहौजी ने तत्कालीन रजवाड़ों को तीन भागों में बाँटा है : –
वे रजवाड़े जो न ही किसी को कर देते थे तथा न ही किसी के नियन्त्रण में थे तथा बिना अंग्रेजी हस्तक्षेप के गोद ले सकते थे।
वे रजवाड़े जो पहले मुगलों एवं पेशवाओं के अधीन थे, परन्तु इसके समय में अंग्रेजों के अधीन थे, उन्हें गोद लेने से पहले अंग्रेजों से अनुमति लेना आवश्यक था।
वे रियासतें जिनका निर्माण स्वयं अंग्रेजों ने किया था। उन्हें गोद लेने का अधिकार नहीं था। अपने व्यपगत सिद्धान्त का पालन करते हुए डलहौजी ने 1848 ई. में सतारा, 1849 ई. में जैतपुर तथा सम्बलपुर, 1850 ई. में बघाट, 1852 ई. में उदयपुर, 1853 ई. में झाँसी, 1854 ई. में नागपुर को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
1856 ई. में अवध को (आउटम रिपोर्ट के आधार पर कुशासन के आरोप में) तथा 1853 ई. में बकाया धनराशि वसूलने के लिए बराड़ को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
लॉर्ड रिपन (Lord Ripon)
कार्यकाल – 1880 – 84 ई.
लॉर्ड रिपन ग्लैडस्टन युग का एक सच्चा व उदार व्यक्ति था।
यह भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर-जनरल था, उसका राजनैतिक दृष्टिकोण लॉर्ड लिटन से अत्यन्त विपरीत था।
1852 ई. में उन्होंने एक पुस्तिका ‘इस युग का कर्तव्य’ लिखी थी।
उन्होंने एक बार कहा था मेरा मूल्यांकन मेरे कार्यों से करना, शब्दों से नहीं।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को “भारत के उद्धारक” की संज्ञा दी थी और उसके शासनकाल को भारत में स्वर्ण युग का आरम्भ कहा।
स्थानीय स्वशासन की शुरूआत (Introduction of Local Self-Government)
रिपन के सुधार कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य स्थानीय स्वशासन की शुरूआत थी।
इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय बोर्ड गए गए, जिले में जिला उप. विभाग, तहसील बोर्ड बनाने की योजना बनी। नगरों में नगरपालिका का गठन किया गया एवं इन्हें कार्य करने की स्वतन्त्रता एवं आय प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराए गए।
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
उसने छ: वर्ष भारत में व्यतीत किए। भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
राष्ट्रीय आन्दोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से कर्जन ने 1905 ई. में बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पूर्वी बंगाल तथा असम का एक नया प्रान्त बनाया गया, जिसमें पुराने बंगाल के 15 जिलों में असम तथा चटगाँव को मिला दिया गया। इस नए प्रान्त का क्षेत्रफल 106,000 वर्गमील तथा जनसंख्या लगभग 310 लाख लगभग थी।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Unattempted
लॉर्ड विलियम बैंटिक
कार्यकाल – 1828 – 35 ई.
लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1828 ई. में बंगाल के गवर्नर – जनरल का कार्यभार सँभाला।
बैंटिक को भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है।
इसके पूर्व वह 1803 ई. में मद्रास का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
1806 ई. में उसने सैनिकों के माथे पर जातीय चिहन लगाने और कानों में बालियाँ पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे वेल्लोर में प्रथम धार्मिक सैनिक विद्रोहहुआ। बैंटिक अपनी विजय के कारण नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारों के लिए याद किया जाता है।
सामाजिक सुधार (Social Reform)
सती तथा ठगी-प्रथा का अन्त बैंटिक ने सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर दिसम्बर, 1829 ई. में धारा XVII द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित किया।
प्रारम्भ में यह कानून केवल बंगाल प्रेसीडेन्सी में लागू किया गया था, पर 1830 ई. में इसे बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेन्सियों में भी लागू किया गया।
ठगी प्रथा की समाप्ति के लिए बैंटिक ने कर्नल स्लीमन की नियुक्ति की। 1830 ई. तक ठगी प्रथा का अन्त हो गया।
नरबलि व शिशु हत्या पर प्रतिबन्ध (Ban on Cannibalism and Infanticide)
बैंटिक ने नरबलि तथा राजपूतों में लड़कियों की शिशु-हत्या पर भी प्रतिबन्ध लगाया।
सरकारी सेवाओं में भेदभाव का अन्त (End of Discrimination in Government Services)
बैंटिक ने सरकारी सेवाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार को खत्म करने के लिए 1833 ई. के एक्ट की धारा 87 के अनुसार जाति या रंग के स्थान पर योग्यता को ही सेवा का आधार माना तथा कम्पनी के अधीनस्थ किसी भी भारतीय नागरिक को “उसके धर्म, जन्मस्थान, जाति अथवा रंग” के आधार पर किसी पद से वंचित नहीं रखा जा सकेगा; यह बात स्वीकार की गई।
समाचार-पत्रों के प्रति उदार नीति (Liberal Policy towards Newspapers)
सामाचार-पत्रों के प्रति बैंटिक की नीति उदार थी। वह इसे असन्तोष से रक्षा का अभिद्वार मानता था।
उसके भत्ता बन्द करने तथा अन्य वित्तीय सुधारों पर समाचार-पत्रों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। इस पर भी वह उनकी स्वतन्त्रता के पक्ष में ही रहा।
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
पंजाब का विलय (Merger of Punjab)
द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध (1848 ई.) डलहौजी के समय में हुआ।
सिख पूर्ण रूप से पराजित हुए तथा पंजाब को अंग्रेजी राज्य में 1849 ई. में मिला लिया गया।
व्यपगत का सिद्धान्त (Theory of Lapse)
डलहौजी का शासनकाल व्यपगत सिद्धान्त के कई मामलों को लागू करने के लिए प्रसिद्ध है।
इस सिद्धान्त का मूल आधार यह था कि चूँकि अंग्रेजी कम्पनी भारत में सबसे बड़ी शक्ति है। इसलिए अधीन रियासतों अथवा राज्यों को उसकी स्वीकृति के बिना किसी को गोद लेने का अधिकार नहीं था तथा कम्पनी को यह अधिकार प्राप्त था कि वह जब चाहे इस प्रकार की स्वीकृति को लौटा ले।
डलहौजी ने तत्कालीन रजवाड़ों को तीन भागों में बाँटा है : –
वे रजवाड़े जो न ही किसी को कर देते थे तथा न ही किसी के नियन्त्रण में थे तथा बिना अंग्रेजी हस्तक्षेप के गोद ले सकते थे।
वे रजवाड़े जो पहले मुगलों एवं पेशवाओं के अधीन थे, परन्तु इसके समय में अंग्रेजों के अधीन थे, उन्हें गोद लेने से पहले अंग्रेजों से अनुमति लेना आवश्यक था।
वे रियासतें जिनका निर्माण स्वयं अंग्रेजों ने किया था। उन्हें गोद लेने का अधिकार नहीं था। अपने व्यपगत सिद्धान्त का पालन करते हुए डलहौजी ने 1848 ई. में सतारा, 1849 ई. में जैतपुर तथा सम्बलपुर, 1850 ई. में बघाट, 1852 ई. में उदयपुर, 1853 ई. में झाँसी, 1854 ई. में नागपुर को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
1856 ई. में अवध को (आउटम रिपोर्ट के आधार पर कुशासन के आरोप में) तथा 1853 ई. में बकाया धनराशि वसूलने के लिए बराड़ को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
लॉर्ड रिपन (Lord Ripon)
कार्यकाल – 1880 – 84 ई.
लॉर्ड रिपन ग्लैडस्टन युग का एक सच्चा व उदार व्यक्ति था।
यह भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर-जनरल था, उसका राजनैतिक दृष्टिकोण लॉर्ड लिटन से अत्यन्त विपरीत था।
1852 ई. में उन्होंने एक पुस्तिका ‘इस युग का कर्तव्य’ लिखी थी।
उन्होंने एक बार कहा था मेरा मूल्यांकन मेरे कार्यों से करना, शब्दों से नहीं।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को “भारत के उद्धारक” की संज्ञा दी थी और उसके शासनकाल को भारत में स्वर्ण युग का आरम्भ कहा।
स्थानीय स्वशासन की शुरूआत (Introduction of Local Self-Government)
रिपन के सुधार कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य स्थानीय स्वशासन की शुरूआत थी।
इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय बोर्ड गए गए, जिले में जिला उप. विभाग, तहसील बोर्ड बनाने की योजना बनी। नगरों में नगरपालिका का गठन किया गया एवं इन्हें कार्य करने की स्वतन्त्रता एवं आय प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराए गए।
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
उसने छ: वर्ष भारत में व्यतीत किए। भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
राष्ट्रीय आन्दोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से कर्जन ने 1905 ई. में बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पूर्वी बंगाल तथा असम का एक नया प्रान्त बनाया गया, जिसमें पुराने बंगाल के 15 जिलों में असम तथा चटगाँव को मिला दिया गया। इस नए प्रान्त का क्षेत्रफल 106,000 वर्गमील तथा जनसंख्या लगभग 310 लाख लगभग थी।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Question 7 of 53
7. Question
1 points
सिन्ध-विलय के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड एलनबरो (Lord Ellenborough)
कार्यकाल – 1842 – 44 ई.
लॉर्ड एलनबरो की 1842 ई. में भारत में गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति हुई।
भारत में आने से पूर्व उसने कम्पनी के नियन्त्रक बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया था। एलनबरो के समय में सर चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में 1843 ई. में सिन्ध का विलय किया गया।
एलनबरो का कार्यकाल कुशल अकर्मण्यता की नीति का काल कहा जाता है।
एलनबरो ने 1843 ई. के अधिनियम 5 द्वारा दास प्रथा का अन्त कर दिया।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड एलनबरो (Lord Ellenborough)
कार्यकाल – 1842 – 44 ई.
लॉर्ड एलनबरो की 1842 ई. में भारत में गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति हुई।
भारत में आने से पूर्व उसने कम्पनी के नियन्त्रक बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया था। एलनबरो के समय में सर चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में 1843 ई. में सिन्ध का विलय किया गया।
एलनबरो का कार्यकाल कुशल अकर्मण्यता की नीति का काल कहा जाता है।
एलनबरो ने 1843 ई. के अधिनियम 5 द्वारा दास प्रथा का अन्त कर दिया।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड एलनबरो (Lord Ellenborough)
कार्यकाल – 1842 – 44 ई.
लॉर्ड एलनबरो की 1842 ई. में भारत में गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति हुई।
भारत में आने से पूर्व उसने कम्पनी के नियन्त्रक बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया था। एलनबरो के समय में सर चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में 1843 ई. में सिन्ध का विलय किया गया।
एलनबरो का कार्यकाल कुशल अकर्मण्यता की नीति का काल कहा जाता है।
एलनबरो ने 1843 ई. के अधिनियम 5 द्वारा दास प्रथा का अन्त कर दिया।
Question 8 of 53
8. Question
1 points
किस वायसराय के कार्यकाल में ‘श्वेत विद्रोह’ हुआ था?
Correct
व्याख्या-
इल्बर्ट बिल विवाद (Ilbert Bill Dispute)-
लार्ड रिपन के समय में इल्बर्ट बिल, 1883 के विरोध स्वरूप अंग्रेजों ने विद्रोह किया जिसे श्वेत विद्रोह कहा जाता है।
1883 ई. में इल्बर्ट बिल विवाद रिपन के समय में हुआ।
इल्बर्ट भारत सरकार का विधि सदस्य था। इल्बर्ट बिल विधेयक में फौजदारी दण्ड व्यवस्था में प्रचलित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया था।
भारतीय न्यायाधीशों को इल्बर्ट विधेयक में यूरोपीय मुकदमों को सुनने का अधिकार दिया गया। भारत में रहने वाले अंग्रेजों ने इस बिल पर आपत्ति जताई, जिसके कारण रिपन को इस विधेयक को वापस लेकर संशोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा ।
इस विधेयक पर हुए वाद-विवाद के कारण ही रिपन ने कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व त्याग-पत्र दे दिया।
Incorrect
व्याख्या-
इल्बर्ट बिल विवाद (Ilbert Bill Dispute)-
लार्ड रिपन के समय में इल्बर्ट बिल, 1883 के विरोध स्वरूप अंग्रेजों ने विद्रोह किया जिसे श्वेत विद्रोह कहा जाता है।
1883 ई. में इल्बर्ट बिल विवाद रिपन के समय में हुआ।
इल्बर्ट भारत सरकार का विधि सदस्य था। इल्बर्ट बिल विधेयक में फौजदारी दण्ड व्यवस्था में प्रचलित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया था।
भारतीय न्यायाधीशों को इल्बर्ट विधेयक में यूरोपीय मुकदमों को सुनने का अधिकार दिया गया। भारत में रहने वाले अंग्रेजों ने इस बिल पर आपत्ति जताई, जिसके कारण रिपन को इस विधेयक को वापस लेकर संशोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा ।
इस विधेयक पर हुए वाद-विवाद के कारण ही रिपन ने कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व त्याग-पत्र दे दिया।
Unattempted
व्याख्या-
इल्बर्ट बिल विवाद (Ilbert Bill Dispute)-
लार्ड रिपन के समय में इल्बर्ट बिल, 1883 के विरोध स्वरूप अंग्रेजों ने विद्रोह किया जिसे श्वेत विद्रोह कहा जाता है।
1883 ई. में इल्बर्ट बिल विवाद रिपन के समय में हुआ।
इल्बर्ट भारत सरकार का विधि सदस्य था। इल्बर्ट बिल विधेयक में फौजदारी दण्ड व्यवस्था में प्रचलित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया था।
भारतीय न्यायाधीशों को इल्बर्ट विधेयक में यूरोपीय मुकदमों को सुनने का अधिकार दिया गया। भारत में रहने वाले अंग्रेजों ने इस बिल पर आपत्ति जताई, जिसके कारण रिपन को इस विधेयक को वापस लेकर संशोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा ।
इस विधेयक पर हुए वाद-विवाद के कारण ही रिपन ने कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व त्याग-पत्र दे दिया।
Question 9 of 53
9. Question
1 points
भारत का प्रथम वायसराय कौन था?
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
Question 10 of 53
10. Question
1 points
किसके वायसराय काल में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित हुई?
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
कार्यकाल – 1910 – 16 ई.
ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने 1911 ई. में भारत की यात्रा की दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन 12 दिसम्बर, 1911 ई. को हुआ।
दिल्ली दरबार के दौरान बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया औरभारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरित करने की घोषणा की गई।
1912 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरितकर दी|
असम का शासन पृथक् रूप से एक मुख्य आयुक्त के अधीन कर दिया गया।
23 दिसम्बर, 1912 ई. को दिल्ली में अधिकृत रूप से प्रवेश करते समय लॉर्ड हॉर्डिंग पर बम फेंका गया, जिसमें वह घायल हुआ।
1916 ई. में लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय को ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
1913 ई. में ब्रिटिश शासन द्वारा शैक्षिक सुधार सम्बन्धी प्रस्ताव।
4 अगस्त, 1914 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ।
1915 ई. में गाँधी का भारत वापस आना।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
कार्यकाल – 1910 – 16 ई.
ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने 1911 ई. में भारत की यात्रा की दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन 12 दिसम्बर, 1911 ई. को हुआ।
दिल्ली दरबार के दौरान बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया औरभारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरित करने की घोषणा की गई।
1912 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरितकर दी|
असम का शासन पृथक् रूप से एक मुख्य आयुक्त के अधीन कर दिया गया।
23 दिसम्बर, 1912 ई. को दिल्ली में अधिकृत रूप से प्रवेश करते समय लॉर्ड हॉर्डिंग पर बम फेंका गया, जिसमें वह घायल हुआ।
1916 ई. में लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय को ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
1913 ई. में ब्रिटिश शासन द्वारा शैक्षिक सुधार सम्बन्धी प्रस्ताव।
4 अगस्त, 1914 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ।
1915 ई. में गाँधी का भारत वापस आना।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
कार्यकाल – 1910 – 16 ई.
ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने 1911 ई. में भारत की यात्रा की दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन 12 दिसम्बर, 1911 ई. को हुआ।
दिल्ली दरबार के दौरान बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया औरभारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरित करने की घोषणा की गई।
1912 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरितकर दी|
असम का शासन पृथक् रूप से एक मुख्य आयुक्त के अधीन कर दिया गया।
23 दिसम्बर, 1912 ई. को दिल्ली में अधिकृत रूप से प्रवेश करते समय लॉर्ड हॉर्डिंग पर बम फेंका गया, जिसमें वह घायल हुआ।
1916 ई. में लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय को ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
1913 ई. में ब्रिटिश शासन द्वारा शैक्षिक सुधार सम्बन्धी प्रस्ताव।
4 अगस्त, 1914 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ।
1915 ई. में गाँधी का भारत वापस आना।
Question 11 of 53
11. Question
1 points
किस वायसराय को ‘भारतीय राष्ट्रवाद का उत्प्रेरक’ कहा गया है?
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
लार्ड कर्जन भारत का सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
इसका कार्यकाल 1899-1905 तक था। भारत में वायसराय के रूप में इसका कार्यकाल काफी . उथल-पुथल का रहा है।
बंगाल विभाजन लार्ड कर्जन का सर्वाधिक विवादास्पद कार्य था।
बंगाल विभाजनफलस्वरुप बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत हुई।
लार्ड कर्जन को भारतीय राष्ट्रवाद का उत्प्रेरक कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
लार्ड कर्जन भारत का सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
इसका कार्यकाल 1899-1905 तक था। भारत में वायसराय के रूप में इसका कार्यकाल काफी . उथल-पुथल का रहा है।
बंगाल विभाजन लार्ड कर्जन का सर्वाधिक विवादास्पद कार्य था।
बंगाल विभाजनफलस्वरुप बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत हुई।
लार्ड कर्जन को भारतीय राष्ट्रवाद का उत्प्रेरक कहा जाता है।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
लार्ड कर्जन भारत का सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
इसका कार्यकाल 1899-1905 तक था। भारत में वायसराय के रूप में इसका कार्यकाल काफी . उथल-पुथल का रहा है।
बंगाल विभाजन लार्ड कर्जन का सर्वाधिक विवादास्पद कार्य था।
बंगाल विभाजनफलस्वरुप बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत हुई।
लार्ड कर्जन को भारतीय राष्ट्रवाद का उत्प्रेरक कहा जाता है।
Question 12 of 53
12. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन लार्ड कार्नवालिस के न्याय से सम्बन्धित सुधारों में उसका सलाहकार था-
Correct
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
कार्नवालिस पुनः 1805 ई. में भारत का गवर्नर-जनरल बनकर आया, इसने होल्कर व सिन्धिया को शान्त करने का प्रयत्न किया और राजपूत रियासतों से अंग्रेजी कम्पनी की सुरक्षा को वापस लेने का प्रयत्न किया, इसी दौरान 1805 ई. में उसकी गाजीपुर में मृत्यु हो गई।
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में ही उसकी समाधि है।
जॉन शोर तथा चार्ल्स ग्रांट से उसने लगान-व्यवस्था में सहायता प्राप्त की
न्याय–प्रबंध में उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सर विलियम जोंस से सहायता प्राप्त हुई। .
जेम्स ग्राण्ट तथा डण्डास भी उसके ऐसे सलाहकार थे जो पर्याप्त अनुभवी थे और जिनसे वह निरंतर सलाह और सहायता प्राप्त करता था।
Incorrect
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
कार्नवालिस पुनः 1805 ई. में भारत का गवर्नर-जनरल बनकर आया, इसने होल्कर व सिन्धिया को शान्त करने का प्रयत्न किया और राजपूत रियासतों से अंग्रेजी कम्पनी की सुरक्षा को वापस लेने का प्रयत्न किया, इसी दौरान 1805 ई. में उसकी गाजीपुर में मृत्यु हो गई।
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में ही उसकी समाधि है।
जॉन शोर तथा चार्ल्स ग्रांट से उसने लगान-व्यवस्था में सहायता प्राप्त की
न्याय–प्रबंध में उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सर विलियम जोंस से सहायता प्राप्त हुई। .
जेम्स ग्राण्ट तथा डण्डास भी उसके ऐसे सलाहकार थे जो पर्याप्त अनुभवी थे और जिनसे वह निरंतर सलाह और सहायता प्राप्त करता था।
Unattempted
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
कार्नवालिस पुनः 1805 ई. में भारत का गवर्नर-जनरल बनकर आया, इसने होल्कर व सिन्धिया को शान्त करने का प्रयत्न किया और राजपूत रियासतों से अंग्रेजी कम्पनी की सुरक्षा को वापस लेने का प्रयत्न किया, इसी दौरान 1805 ई. में उसकी गाजीपुर में मृत्यु हो गई।
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में ही उसकी समाधि है।
जॉन शोर तथा चार्ल्स ग्रांट से उसने लगान-व्यवस्था में सहायता प्राप्त की
न्याय–प्रबंध में उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सर विलियम जोंस से सहायता प्राप्त हुई। .
जेम्स ग्राण्ट तथा डण्डास भी उसके ऐसे सलाहकार थे जो पर्याप्त अनुभवी थे और जिनसे वह निरंतर सलाह और सहायता प्राप्त करता था।
Question 13 of 53
13. Question
1 points
भारत में प्रथम रेल लाइन किसके शासनकाल में डाली गई
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)-
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
रेल एवं तार (Rail and Tar)
डलहौजी ने तार तथा रेल विभाग को अत्यन्त महत्व दिया। उसने रेलों के निर्माण के सम्बन्ध में अंग्रेजी निगमों के साथ ठेकों का निश्चय किया।
उसके काल में भारत में 1853 ई. में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाणे व दूसरी रेलवे लाइन 1854 ई. में कलकत्ता से रानीगंज के बीच बिछाई गई। (ब्रिटेन में 1825 ई. से ही रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं)
डलहौजी के ही काल में प्रथम विद्युत तार सेवा कलकत्ता से आगरा के बीच प्रारम्भ हुई।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)-
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
रेल एवं तार (Rail and Tar)
डलहौजी ने तार तथा रेल विभाग को अत्यन्त महत्व दिया। उसने रेलों के निर्माण के सम्बन्ध में अंग्रेजी निगमों के साथ ठेकों का निश्चय किया।
उसके काल में भारत में 1853 ई. में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाणे व दूसरी रेलवे लाइन 1854 ई. में कलकत्ता से रानीगंज के बीच बिछाई गई। (ब्रिटेन में 1825 ई. से ही रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं)
डलहौजी के ही काल में प्रथम विद्युत तार सेवा कलकत्ता से आगरा के बीच प्रारम्भ हुई।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)-
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
रेल एवं तार (Rail and Tar)
डलहौजी ने तार तथा रेल विभाग को अत्यन्त महत्व दिया। उसने रेलों के निर्माण के सम्बन्ध में अंग्रेजी निगमों के साथ ठेकों का निश्चय किया।
उसके काल में भारत में 1853 ई. में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाणे व दूसरी रेलवे लाइन 1854 ई. में कलकत्ता से रानीगंज के बीच बिछाई गई। (ब्रिटेन में 1825 ई. से ही रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं)
डलहौजी के ही काल में प्रथम विद्युत तार सेवा कलकत्ता से आगरा के बीच प्रारम्भ हुई।
Question 14 of 53
14. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल था
रेग्युलेटिंग एक्ट के अंतर्गत वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
1781 ई. में उसने ‘कलकत्ता मदरसा’ की स्थापना की जिसमें अरबी, फारसी का अध्ययन होता था।
यह अरंबी तथा फारसी जानता था तथा बांग्ला बोल सकता था।
वारेन हेस्टिंग्स ने चार्ल्स विल्किन्सन की गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
Question 15 of 53
15. Question
1 points
भारत पर शासन करने वाले निम्नलिखित गवर्नर जनरलों का सही अनुक्रम क्या है- . .
लार्ड मेयो
लार्ड लिटन
सर जॉन लारेंस
लार्ड नार्थब्रुक
Correct
व्याख्या-
1864-68 के बीच सर जॉन लारेन्स भारत के वायसराय थे इन्होंने अफगानिस्तान के संदर्भ में अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया।
लार्ड मेयो (1869-72) आया उसके समय में प्रथम जनगणना 1872 मोरंभ हुई. पोर्ट ब्लेयर में उसकी हत्या कर दी गयी।
नार्थ बुक 1872-76 के बीच बायसराय था इसी के समय में 1875 में अलीगढ़ स्कूल की स्थापना की गयी,
लिटन (1876-80) के काल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन 1877 ई. में हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
1864-68 के बीच सर जॉन लारेन्स भारत के वायसराय थे इन्होंने अफगानिस्तान के संदर्भ में अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया।
लार्ड मेयो (1869-72) आया उसके समय में प्रथम जनगणना 1872 मोरंभ हुई. पोर्ट ब्लेयर में उसकी हत्या कर दी गयी।
नार्थ बुक 1872-76 के बीच बायसराय था इसी के समय में 1875 में अलीगढ़ स्कूल की स्थापना की गयी,
लिटन (1876-80) के काल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन 1877 ई. में हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
1864-68 के बीच सर जॉन लारेन्स भारत के वायसराय थे इन्होंने अफगानिस्तान के संदर्भ में अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया।
लार्ड मेयो (1869-72) आया उसके समय में प्रथम जनगणना 1872 मोरंभ हुई. पोर्ट ब्लेयर में उसकी हत्या कर दी गयी।
नार्थ बुक 1872-76 के बीच बायसराय था इसी के समय में 1875 में अलीगढ़ स्कूल की स्थापना की गयी,
लिटन (1876-80) के काल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन 1877 ई. में हुआ।
Question 16 of 53
16. Question
1 points
भारत के निम्नलिखित वायसरायों में से किसके समय में इंडियन पैनल कोड, सिविल प्रोसीजर कोड तथा क्रिमिनल प्रोसीजर कोड पारित किये गये थे
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
इसके काल में इंडियन पैनल कोड 1858, सिविल प्रोसीजर कोड 1858 ई., क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1859 ई. इंडियन हाईकोर्ट एक्ट 1861 आदि लागू किये गये थे।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
इसके काल में इंडियन पैनल कोड 1858, सिविल प्रोसीजर कोड 1858 ई., क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1859 ई. इंडियन हाईकोर्ट एक्ट 1861 आदि लागू किये गये थे।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरलतथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
इसके काल में इंडियन पैनल कोड 1858, सिविल प्रोसीजर कोड 1858 ई., क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1859 ई. इंडियन हाईकोर्ट एक्ट 1861 आदि लागू किये गये थे।
Question 17 of 53
17. Question
1 points
किसके सुझाव पर भारतीयों को साइमन कमीशन से बाहर रखा गया
Correct
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
साइमन कमीशन का गठन 1919 के अधिनियम की समीक्षा करने के लिया किया गया था।
साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 ई. को बम्बई पहुँचा।
भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध किया क्योंकि इसमें शामिल सभी सदस्य अंग्रेज थे।
साइमन कमीशन में भारतीयों को शामिल न करने का सुझाव तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
साइमन कमीशन का गठन 1919 के अधिनियम की समीक्षा करने के लिया किया गया था।
साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 ई. को बम्बई पहुँचा।
भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध किया क्योंकि इसमें शामिल सभी सदस्य अंग्रेज थे।
साइमन कमीशन में भारतीयों को शामिल न करने का सुझाव तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
साइमन कमीशन-
साइमन कमीशन का गठन 1919 के अधिनियम की समीक्षा करने के लिया किया गया था।
साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 ई. को बम्बई पहुँचा।
भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध किया क्योंकि इसमें शामिल सभी सदस्य अंग्रेज थे।
साइमन कमीशन में भारतीयों को शामिल न करने का सुझाव तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने दिया था।
Question 18 of 53
18. Question
1 points
डलहौजी के प्रशासन की कौन सी गतिविधि ने 1857 की क्रांति भड़काने में योगदान दिया।
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने अपने राज्य हड़पने की नीति के द्वारा झांसी, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया।
अवध का विलय कुशासन के आधार पर किया गया।
अवध राज्य से ही अधिकांश सैनिक भर्ती होते थे।
झांसी, अवध, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय के कारण ब्रिटिश सरकार के प्रति रोष एवं अविश्वास उत्पन्न हुआ जिसने 1857 की क्रांति भड़काने में योगदान दिया।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने अपने राज्य हड़पने की नीति के द्वारा झांसी, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया।
अवध का विलय कुशासन के आधार पर किया गया।
अवध राज्य से ही अधिकांश सैनिक भर्ती होते थे।
झांसी, अवध, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय के कारण ब्रिटिश सरकार के प्रति रोष एवं अविश्वास उत्पन्न हुआ जिसने 1857 की क्रांति भड़काने में योगदान दिया।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने अपने राज्य हड़पने की नीति के द्वारा झांसी, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया।
अवध का विलय कुशासन के आधार पर किया गया।
अवध राज्य से ही अधिकांश सैनिक भर्ती होते थे।
झांसी, अवध, नागपुर और सतारा का ब्रिटिश राज्य में विलय के कारण ब्रिटिश सरकार के प्रति रोष एवं अविश्वास उत्पन्न हुआ जिसने 1857 की क्रांति भड़काने में योगदान दिया।
Question 19 of 53
19. Question
1 points
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम किसके समय में अलग-अलग किये गये
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार –
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार –
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार –
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Question 20 of 53
20. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन भारत में सर्वप्रथम तार सेवा के लिए उत्तरदायी था
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस तार व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस तार व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस तार व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
Question 21 of 53
21. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसने “बंग-भंग आंदोलन के लिए उकसाया-
Correct
व्याख्या-
लार्ड कर्जन/बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 ई. को बंगाल का विभाजन दो भागों में करने की घोषणा की।
प्रथम में पूर्वी बंगाल व असम तथा दूसरे में पश्चिमी बंगाल, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे।
बंगाल विभाजन की घोषणा के विरोध में 7 अगस्त से स्वदेशी आंदोलन प्रारम्भ हो गया।
16 अक्टूबर को जिस दिन यह विभाजन प्रभावी हुआ। उस दिन को सम्पूर्ण बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया।
रवीन्द्र नाथ टैगोर के सुझाव पर 16 अक्टूबर को राखी दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
लार्ड कर्जन/बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 ई. को बंगाल का विभाजन दो भागों में करने की घोषणा की।
प्रथम में पूर्वी बंगाल व असम तथा दूसरे में पश्चिमी बंगाल, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे।
बंगाल विभाजन की घोषणा के विरोध में 7 अगस्त से स्वदेशी आंदोलन प्रारम्भ हो गया।
16 अक्टूबर को जिस दिन यह विभाजन प्रभावी हुआ। उस दिन को सम्पूर्ण बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया।
रवीन्द्र नाथ टैगोर के सुझाव पर 16 अक्टूबर को राखी दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
लार्ड कर्जन/बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 ई. को बंगाल का विभाजन दो भागों में करने की घोषणा की।
प्रथम में पूर्वी बंगाल व असम तथा दूसरे में पश्चिमी बंगाल, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे।
बंगाल विभाजन की घोषणा के विरोध में 7 अगस्त से स्वदेशी आंदोलन प्रारम्भ हो गया।
16 अक्टूबर को जिस दिन यह विभाजन प्रभावी हुआ। उस दिन को सम्पूर्ण बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया।
रवीन्द्र नाथ टैगोर के सुझाव पर 16 अक्टूबर को राखी दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।
कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
Question 22 of 53
22. Question
1 points
सर जॉन शोर की नीति भारत में किस रूप में जानी जाती है
Correct
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Incorrect
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Unattempted
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Question 23 of 53
23. Question
1 points
किसने रानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित कराया –
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)
कार्यकाल – 1876 – 80 ई.
लॉर्ड लिटन एक महान् लेखक तथा प्रतिभावान वक्ता था ।
साहित्य जगत में वह “ओवन मैरिडिथ” के नाम से प्रसिद्ध था
लार्ड लिटन के काल में 1877 में दिल्ली में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन हुआ।
1877 में दिल्ली में महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गयी
महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित कि गई।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)
कार्यकाल – 1876 – 80 ई.
लॉर्ड लिटन एक महान् लेखक तथा प्रतिभावान वक्ता था ।
साहित्य जगत में वह “ओवन मैरिडिथ” के नाम से प्रसिद्ध था
लार्ड लिटन के काल में 1877 में दिल्ली में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन हुआ।
1877 में दिल्ली में महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गयी
महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित कि गई।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)
कार्यकाल – 1876 – 80 ई.
लॉर्ड लिटन एक महान् लेखक तथा प्रतिभावान वक्ता था ।
साहित्य जगत में वह “ओवन मैरिडिथ” के नाम से प्रसिद्ध था
लार्ड लिटन के काल में 1877 में दिल्ली में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन हुआ।
1877 में दिल्ली में महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गयी
महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित कि गई।
Question 24 of 53
24. Question
1 points
नीचे उन राज्यों के नाम दिये गये हैं जिन्हें “दायावसान सिद्धान्त’ के अन्तर्गत ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपने राज्य में मिला लिया था। उन्हें कालक्रमानुसार रखिये –
सतारा
जैतपुर
झांसी
नागपुर
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 तक) अपने व्यपगत सिद्धान्त या राज्य हड़पने की नीति के कारण सर्वाधिक चर्चित रहा। उसने सर्वप्रथम 1848 ई. में सतारा का अधिग्रहण किया।
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
1848
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
1849
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 तक) अपने व्यपगत सिद्धान्त या राज्य हड़पने की नीति के कारण सर्वाधिक चर्चित रहा। उसने सर्वप्रथम 1848 ई. में सतारा का अधिग्रहण किया।
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
1848
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
1849
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 तक) अपने व्यपगत सिद्धान्त या राज्य हड़पने की नीति के कारण सर्वाधिक चर्चित रहा। उसने सर्वप्रथम 1848 ई. में सतारा का अधिग्रहण किया।
हड़पनीति के कारण डलहौजी सर्वाधिक चर्चित रहा ।
हड़पनीति के अन्तर्गत जिन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया-
हड़पनीति के अन्तर्गत विलय राज्य
समय
सतारा
1848
जैतपुर
सम्भलपुर
1489
1849
बघाट
(1850)
उदयपुर
झाँसी
नागपुर
1852
1853
1854
अवध
अवध का विलय हड़पनीति के अन्तर्गत नहीं बल्कि हेबर की गैर सककरी रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर किया गया था। उस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था।
Question 25 of 53
25. Question
1 points
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम किसके समय में अलग-अलग किये गये –
Correct
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम अलग कर दिये गये।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Incorrect
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम अलग कर दिये गये।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Unattempted
व्याख्या.
लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
कार्यकाल – 1786 – 1793
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों में 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम अलग कर दिये गये।
यह प्रसिद्ध सुधार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
पूर्व में कलेक्टर को ही दोनों अधिकार प्राप्त थे।
न्यायिक सुधार
कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धान्त पर आधारित था, जिसके तहत न्याय प्रशासन तथा कर को पृथक् कर दिया गया अर्थात् कलेक्टर की न्यायिक व फौजदारी शक्तियाँ ले ली गई तथा उसके पास केवल कर सम्बन्धी शक्तियाँ रह गईं।
उसने वकालत के पेशे को नियमित बनाया।
Question 26 of 53
26. Question
1 points
निम्नलिखित में से प्रथम भारतीय शासित राज्य कौन था जिसने लार्ड वेलेजली की सहायक संधि पर हस्ताक्षर किया –
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड वेलेजली –कार्यकाल – 1798 – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
1798 ई. में रिचर्ड कॉले वेलेजली जिसे माक्विस ऑफ वेलेजली के नाम से जाना जाता है
लॉर्ड वेलेजली बंगाल का शेर के उपनाम से प्रसिद्ध था।
वह अपनी सहायक सन्धि प्रणाली के कारण प्रसिद्ध हुआ।
सहायक सन्धि का प्रयोग वेलेजली से पूर्व भारत में डूप्ले द्वारा किया गया था।
इस संधि पर सर्वप्रथम 1798 ई. में हैदराबाद ने हस्ताक्षर किया।
सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले राज्यों का क्रम है – हैदराबाद (1798 ई.), मैसूर (1799 ई.), तंजौर (1799 ई.), अवध (1801 ई.), पेशवा (1802 ई.), भोंसले (1803 ई.), सिन्धिया (1804 ई.)।
इन राज्यों के अलावा सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले अन्य राज्य थे-जयपुर, जोधपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर ।
तंजौर (अक्टूबर, 1799 ई.) व कर्नाटक (जुलाई, 1801 ई.) पर कब्जे के बाद इसके समय में ही 1801 ई. में मद्रास प्रेसीडेन्सी का सृजन किया गया।
लॉर्ड वेलेजली के समय चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध (1799 ई.) हुआ जिसमें श्रीरंगपट्टम का दुर्ग जीत लिया गया और टीपू को वीरगति प्राप्त हुई।
नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए 1800 ई. में लॉर्ड वेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
1799 ई. में वेलेजली ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगाया।
1803 ई. में इसने बाल हत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड वेलेजली –कार्यकाल – 1798 – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
1798 ई. में रिचर्ड कॉले वेलेजली जिसे माक्विस ऑफ वेलेजली के नाम से जाना जाता है
लॉर्ड वेलेजली बंगाल का शेर के उपनाम से प्रसिद्ध था।
वह अपनी सहायक सन्धि प्रणाली के कारण प्रसिद्ध हुआ।
सहायक सन्धि का प्रयोग वेलेजली से पूर्व भारत में डूप्ले द्वारा किया गया था।
इस संधि पर सर्वप्रथम 1798 ई. में हैदराबाद ने हस्ताक्षर किया।
सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले राज्यों का क्रम है – हैदराबाद (1798 ई.), मैसूर (1799 ई.), तंजौर (1799 ई.), अवध (1801 ई.), पेशवा (1802 ई.), भोंसले (1803 ई.), सिन्धिया (1804 ई.)।
इन राज्यों के अलावा सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले अन्य राज्य थे-जयपुर, जोधपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर ।
तंजौर (अक्टूबर, 1799 ई.) व कर्नाटक (जुलाई, 1801 ई.) पर कब्जे के बाद इसके समय में ही 1801 ई. में मद्रास प्रेसीडेन्सी का सृजन किया गया।
लॉर्ड वेलेजली के समय चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध (1799 ई.) हुआ जिसमें श्रीरंगपट्टम का दुर्ग जीत लिया गया और टीपू को वीरगति प्राप्त हुई।
नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए 1800 ई. में लॉर्ड वेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
1799 ई. में वेलेजली ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगाया।
1803 ई. में इसने बाल हत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड वेलेजली –कार्यकाल – 1798 – 1805 ई.
महत्वपूर्ण कार्य –
1798 ई. में रिचर्ड कॉले वेलेजली जिसे माक्विस ऑफ वेलेजली के नाम से जाना जाता है
लॉर्ड वेलेजली बंगाल का शेर के उपनाम से प्रसिद्ध था।
वह अपनी सहायक सन्धि प्रणाली के कारण प्रसिद्ध हुआ।
सहायक सन्धि का प्रयोग वेलेजली से पूर्व भारत में डूप्ले द्वारा किया गया था।
इस संधि पर सर्वप्रथम 1798 ई. में हैदराबाद ने हस्ताक्षर किया।
सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले राज्यों का क्रम है – हैदराबाद (1798 ई.), मैसूर (1799 ई.), तंजौर (1799 ई.), अवध (1801 ई.), पेशवा (1802 ई.), भोंसले (1803 ई.), सिन्धिया (1804 ई.)।
इन राज्यों के अलावा सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले अन्य राज्य थे-जयपुर, जोधपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर ।
तंजौर (अक्टूबर, 1799 ई.) व कर्नाटक (जुलाई, 1801 ई.) पर कब्जे के बाद इसके समय में ही 1801 ई. में मद्रास प्रेसीडेन्सी का सृजन किया गया।
लॉर्ड वेलेजली के समय चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध (1799 ई.) हुआ जिसमें श्रीरंगपट्टम का दुर्ग जीत लिया गया और टीपू को वीरगति प्राप्त हुई।
नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए 1800 ई. में लॉर्ड वेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
1799 ई. में वेलेजली ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगाया।
1803 ई. में इसने बाल हत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया।
Question 27 of 53
27. Question
1 points
किस गवर्नर जनरल ने अकाल नीति को सूत्रबद्ध कराने में अग्रण्य कार्य किया
Correct
व्याख्या-
कैम्पबेल आयोग 1866—67 प्रथम अकाल आयोग
लिटन के समय में II अकाल आयोग ‘स्ट्रेची आयोग की नियुक्ति की गई।
स्ट्रेची आयोग की संस्तुति पर रिपन के समय में अकाल संहिता 1883) तैयार की गई।
अकाल संहिता में अकालग्रस्त जिला घोषित करने से लेकर राहत कार्य से सम्बन्धित सुझाव दिये गये।
रिपन ने अकाल नीति को सूत्रबद्ध कराने में अग्रणी कार्य किया।
Incorrect
व्याख्या-
कैम्पबेल आयोग 1866—67 प्रथम अकाल आयोग
लिटन के समय में II अकाल आयोग ‘स्ट्रेची आयोग की नियुक्ति की गई।
स्ट्रेची आयोग की संस्तुति पर रिपन के समय में अकाल संहिता 1883) तैयार की गई।
अकाल संहिता में अकालग्रस्त जिला घोषित करने से लेकर राहत कार्य से सम्बन्धित सुझाव दिये गये।
रिपन ने अकाल नीति को सूत्रबद्ध कराने में अग्रणी कार्य किया।
Unattempted
व्याख्या-
कैम्पबेल आयोग 1866—67 प्रथम अकाल आयोग
लिटन के समय में II अकाल आयोग ‘स्ट्रेची आयोग की नियुक्ति की गई।
स्ट्रेची आयोग की संस्तुति पर रिपन के समय में अकाल संहिता 1883) तैयार की गई।
अकाल संहिता में अकालग्रस्त जिला घोषित करने से लेकर राहत कार्य से सम्बन्धित सुझाव दिये गये।
रिपन ने अकाल नीति को सूत्रबद्ध कराने में अग्रणी कार्य किया।
Question 28 of 53
28. Question
1 points
कांग्रेस के प्रति कर्जन की क्या नीति थी
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन –कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
कर्जन सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
1900 ई. में कांग्रेस के प्रति अपनी नीति की विवेचना करते हुए कहा कि कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते यह मेरी अंतिम इच्छा है कि इसकी शांति पूर्ण मृत्यु में सहयोग कर सकू।’
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन –कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
कर्जन सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
1900 ई. में कांग्रेस के प्रति अपनी नीति की विवेचना करते हुए कहा कि कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते यह मेरी अंतिम इच्छा है कि इसकी शांति पूर्ण मृत्यु में सहयोग कर सकू।’
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड कर्जन –कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
कर्जन सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय था।
1900 ई. में कांग्रेस के प्रति अपनी नीति की विवेचना करते हुए कहा कि कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते यह मेरी अंतिम इच्छा है कि इसकी शांति पूर्ण मृत्यु में सहयोग कर सकू।’
Question 29 of 53
29. Question
1 points
राजा चेतसिंह के प्रति वॉरेन हेस्टिंग्स की नीति के बारे में निम्नलिखित में से किसका रवैया नरम था?
Correct
व्याख्या-
मराठा युद्ध तथा फ्रांसीसी खतरे के कारण कंपनी को धन की बहुत आवश्यकता थी।
हेस्टिंग्स ने बनारस के राजा चेत सिंह से धन प्राप्त करने का निर्णय लिया।
चेतसिंह पहले अवध के नवाब के अधीन था परन्तु 1775 ई. में हुई संधि के अनुसार वह अंग्रेज-कंपनी के अधीन हो गया
1775 ई. में चेतसिंह ने कम्पनी को 22.5 लाख रूपया प्रतिवर्ष देना स्वीकार किया था।
मराठा युद्ध के समय हेस्टिग्स ने चेतसिंह से वार्षिक धन के अतिरिक्त 5 लाख रूपया और मांगा, राजा ने यह धन दे दिया।
राजा ने और धन देने से इंकार कर दिया जिससे हेस्टिंगस ने राजा पर आक्रमण किया जिससे राजा की सेना ने विद्रोह कर दिया।
चेत सिंह ग्वालियर भाग गया तथा बनारस की गद्दी उसके भतीजे को दे दिया गया
चेत सिंह के भतीजे ने कम्पनी को 22.5 लाख के स्थान पर 40 लाख रूपया देना स्वीकार कर लिया।
वारेन हेस्टिंग्स की इस नीति का विरोध करते हुए सर अल्फ्रेड लायल का कथन -कि “बनारस के विद्रोह का दोष हेस्टिंग्स पर ही था,कम से कम उसका व्यवहार अव्यावहारिक और राजनीतिक दूरदर्शिता से विहीन था।
Incorrect
व्याख्या-
मराठा युद्ध तथा फ्रांसीसी खतरे के कारण कंपनी को धन की बहुत आवश्यकता थी।
हेस्टिंग्स ने बनारस के राजा चेत सिंह से धन प्राप्त करने का निर्णय लिया।
चेतसिंह पहले अवध के नवाब के अधीन था परन्तु 1775 ई. में हुई संधि के अनुसार वह अंग्रेज-कंपनी के अधीन हो गया
1775 ई. में चेतसिंह ने कम्पनी को 22.5 लाख रूपया प्रतिवर्ष देना स्वीकार किया था।
मराठा युद्ध के समय हेस्टिग्स ने चेतसिंह से वार्षिक धन के अतिरिक्त 5 लाख रूपया और मांगा, राजा ने यह धन दे दिया।
राजा ने और धन देने से इंकार कर दिया जिससे हेस्टिंगस ने राजा पर आक्रमण किया जिससे राजा की सेना ने विद्रोह कर दिया।
चेत सिंह ग्वालियर भाग गया तथा बनारस की गद्दी उसके भतीजे को दे दिया गया
चेत सिंह के भतीजे ने कम्पनी को 22.5 लाख के स्थान पर 40 लाख रूपया देना स्वीकार कर लिया।
वारेन हेस्टिंग्स की इस नीति का विरोध करते हुए सर अल्फ्रेड लायल का कथन -कि “बनारस के विद्रोह का दोष हेस्टिंग्स पर ही था,कम से कम उसका व्यवहार अव्यावहारिक और राजनीतिक दूरदर्शिता से विहीन था।
Unattempted
व्याख्या-
मराठा युद्ध तथा फ्रांसीसी खतरे के कारण कंपनी को धन की बहुत आवश्यकता थी।
हेस्टिंग्स ने बनारस के राजा चेत सिंह से धन प्राप्त करने का निर्णय लिया।
चेतसिंह पहले अवध के नवाब के अधीन था परन्तु 1775 ई. में हुई संधि के अनुसार वह अंग्रेज-कंपनी के अधीन हो गया
1775 ई. में चेतसिंह ने कम्पनी को 22.5 लाख रूपया प्रतिवर्ष देना स्वीकार किया था।
मराठा युद्ध के समय हेस्टिग्स ने चेतसिंह से वार्षिक धन के अतिरिक्त 5 लाख रूपया और मांगा, राजा ने यह धन दे दिया।
राजा ने और धन देने से इंकार कर दिया जिससे हेस्टिंगस ने राजा पर आक्रमण किया जिससे राजा की सेना ने विद्रोह कर दिया।
चेत सिंह ग्वालियर भाग गया तथा बनारस की गद्दी उसके भतीजे को दे दिया गया
चेत सिंह के भतीजे ने कम्पनी को 22.5 लाख के स्थान पर 40 लाख रूपया देना स्वीकार कर लिया।
वारेन हेस्टिंग्स की इस नीति का विरोध करते हुए सर अल्फ्रेड लायल का कथन -कि “बनारस के विद्रोह का दोष हेस्टिंग्स पर ही था,कम से कम उसका व्यवहार अव्यावहारिक और राजनीतिक दूरदर्शिता से विहीन था।
Question 30 of 53
30. Question
1 points
निम्नलिखित युग्मों में से सही सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
I फैक्टरी अधिनियम 1881 में लार्ड रिपन के काल में बना
इम्पीरियल कैडेट कोर 1900 ई. में कर्जन के काल में लार्ड किचनर ने स्थापना की जो कि सेनाध्यक्ष था।
इम्पीरियल कैडेट कोर -देशी नरेशों के राजकुमारों के सैनिकों के लिए स्थापना की। |
भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 कर्जन के काल में
रौलेट एक्ट, 1919 में लार्ड चेम्स फोर्ड के काल में
Incorrect
व्याख्या-
I फैक्टरी अधिनियम 1881 में लार्ड रिपन के काल में बना
इम्पीरियल कैडेट कोर 1900 ई. में कर्जन के काल में लार्ड किचनर ने स्थापना की जो कि सेनाध्यक्ष था।
इम्पीरियल कैडेट कोर -देशी नरेशों के राजकुमारों के सैनिकों के लिए स्थापना की। |
भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 कर्जन के काल में
रौलेट एक्ट, 1919 में लार्ड चेम्स फोर्ड के काल में
Unattempted
व्याख्या-
I फैक्टरी अधिनियम 1881 में लार्ड रिपन के काल में बना
इम्पीरियल कैडेट कोर 1900 ई. में कर्जन के काल में लार्ड किचनर ने स्थापना की जो कि सेनाध्यक्ष था।
इम्पीरियल कैडेट कोर -देशी नरेशों के राजकुमारों के सैनिकों के लिए स्थापना की। |
भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 कर्जन के काल में
रौलेट एक्ट, 1919 में लार्ड चेम्स फोर्ड के काल में
Question 31 of 53
31. Question
1 points
निम्नलिखित में से किन आधारों पर 1851 में बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद लार्ड डलहौजी ने नाना साहब के 8 लाख रुपये सालाना पेंशन के दावे को नामंजूर कर दिया था
नाना साहब बाजीराव द्वितीय का लड़का नहीं था
नाना साहव की अंग्रेजों के शत्रुओं से सांठ-गांठ थी
पेंशन की मंजूरी वंशानुगत नहीं थी
बाजीराव द्वितीय की सम्पत्ति परिवार के कारण पोषण के लिए पर्याप्त थी
सही कूट का चयन कीजिए
Correct
व्याख्या-
पेशवा बाजीराव द्वितीय को अंग्रेजी सरकार ने आठ लाख रुपये वार्षिक पेंशन देकर कानपुर के पास विठूर भेज दिया।
1853 में बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र नाना साहब इसका उत्तराधिकारी हुआ।
डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन नहीं दी क्योंकि वह बाजीराव द्वितीय का पुत्र नहीं था।
पेंशन अनुदान आनुवांशिक नहीं था।
Incorrect
व्याख्या-
पेशवा बाजीराव द्वितीय को अंग्रेजी सरकार ने आठ लाख रुपये वार्षिक पेंशन देकर कानपुर के पास विठूर भेज दिया।
1853 में बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र नाना साहब इसका उत्तराधिकारी हुआ।
डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन नहीं दी क्योंकि वह बाजीराव द्वितीय का पुत्र नहीं था।
पेंशन अनुदान आनुवांशिक नहीं था।
Unattempted
व्याख्या-
पेशवा बाजीराव द्वितीय को अंग्रेजी सरकार ने आठ लाख रुपये वार्षिक पेंशन देकर कानपुर के पास विठूर भेज दिया।
1853 में बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र नाना साहब इसका उत्तराधिकारी हुआ।
डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन नहीं दी क्योंकि वह बाजीराव द्वितीय का पुत्र नहीं था।
पेंशन अनुदान आनुवांशिक नहीं था।
Question 32 of 53
32. Question
1 points
भारत का अन्तिम गवर्नर जनरल कौन था
Correct
व्याख्या-
भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल के रूप में सी0 राज गोपालाचारी की नियुक्ति 1948 में की गई।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ और गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Incorrect
व्याख्या-
भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल के रूप में सी0 राज गोपालाचारी की नियुक्ति 1948 में की गई।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ और गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Unattempted
व्याख्या-
भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल के रूप में सी0 राज गोपालाचारी की नियुक्ति 1948 में की गई।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ और गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Question 33 of 53
33. Question
1 points
वह कौन सा गवर्नर जनरल था जिसकी मृत्यु भारत में हुई एवं यहीं समाधिस्थ किया गया
Correct
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Incorrect
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Unattempted
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Question 34 of 53
34. Question
1 points
किस वायसराय के समय असहयोग आंदोलन चलाया गया-
Correct
व्याख्या-
गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1920 से 1922 के बीच चलाया गया।
असहयोग आंदोलन के समय भारत के वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड थे।
गाँधी जी द्वारा प्रारम्भ यह आन्दोलन पूर्णतः अहिंसात्मक था
5 फरवरी, 1922 ई. को गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस चौकी को जला दिया, जिसमें 22 पुलिस कर्मी मारे गये।
12 फरवरी, 1922 ई. को गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1920 से 1922 के बीच चलाया गया।
असहयोग आंदोलन के समय भारत के वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड थे।
गाँधी जी द्वारा प्रारम्भ यह आन्दोलन पूर्णतः अहिंसात्मक था
5 फरवरी, 1922 ई. को गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस चौकी को जला दिया, जिसमें 22 पुलिस कर्मी मारे गये।
12 फरवरी, 1922 ई. को गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1920 से 1922 के बीच चलाया गया।
असहयोग आंदोलन के समय भारत के वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड थे।
गाँधी जी द्वारा प्रारम्भ यह आन्दोलन पूर्णतः अहिंसात्मक था
5 फरवरी, 1922 ई. को गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ आन्दोलनकारियों ने एक पुलिस चौकी को जला दिया, जिसमें 22 पुलिस कर्मी मारे गये।
12 फरवरी, 1922 ई. को गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था।
Question 35 of 53
35. Question
1 points
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे-
Correct
व्याख्या-
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल एवं ब्रिटिश भारत का अंतिम गवर्नर जनरल लार्ड माउन्ट बेटन था
लार्ड माउन्ट बेटन का कार्यकाल 1947-48
माउण्टबेटेन प्लान के आधार पर भारत का विभाजन किया गया।
भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में सी0 राजगोपालाचारी की नियुक्ति 1948 से 50 के बीच की गयी।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू के बाद गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डा0 राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Incorrect
व्याख्या-
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल एवं ब्रिटिश भारत का अंतिम गवर्नर जनरल लार्ड माउन्ट बेटन था
लार्ड माउन्ट बेटन का कार्यकाल 1947-48
माउण्टबेटेन प्लान के आधार पर भारत का विभाजन किया गया।
भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में सी0 राजगोपालाचारी की नियुक्ति 1948 से 50 के बीच की गयी।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू के बाद गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डा0 राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Unattempted
व्याख्या-
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल एवं ब्रिटिश भारत का अंतिम गवर्नर जनरल लार्ड माउन्ट बेटन था
लार्ड माउन्ट बेटन का कार्यकाल 1947-48
माउण्टबेटेन प्लान के आधार पर भारत का विभाजन किया गया।
भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में सी0 राजगोपालाचारी की नियुक्ति 1948 से 50 के बीच की गयी।
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू के बाद गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर डा0 राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
Question 36 of 53
36. Question
1 points
भारत में सर्वप्रथम टेलीग्राफ व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी-
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
भारत में 1853 में सर्वप्रथम टेलीग्राफ व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
भारत में 1853 में सर्वप्रथम टेलीग्राफ व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड डलहौजी –कार्यकाल – 1848 – 56 ई.
लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया था।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उसने यथा सम्भव कार्य किया।
उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को भी सम्पन्न किया।
डलहौजी ने 1852 को ओ0 सैंघनेशी को तार विभाग का अध्यक्ष बनाया
1853 में कलकत्ता से आगरा के बीच पहली बार तार लाइन का आरम्भ किया गया।
1857 के विद्रोह में एक विद्रोही ने मरते हुए कहा था कि ‘इस तार ने मेरा गला घोट दिया।’
इस व्यवस्था ने अंग्रेजों को 1857 के विद्रोह में काफी सहायता की थी।
भारत में 1853 में सर्वप्रथम टेलीग्राफ व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी
Question 37 of 53
37. Question
1 points
इलाहाबाद पर कम्पनी का अधिकार किसके समय हुआ-
Correct
व्याख्या-
अवध के नवाब सआदत अली खाँ (1798 से 1819 ई.) ने 1801 में अंग्रेजों को इलाहाबाद का जिला दे दिया।
1801 में इसने वेलेजली से सहायक संधि स्वीकार कर ली थी।
Incorrect
व्याख्या-
अवध के नवाब सआदत अली खाँ (1798 से 1819 ई.) ने 1801 में अंग्रेजों को इलाहाबाद का जिला दे दिया।
1801 में इसने वेलेजली से सहायक संधि स्वीकार कर ली थी।
Unattempted
व्याख्या-
अवध के नवाब सआदत अली खाँ (1798 से 1819 ई.) ने 1801 में अंग्रेजों को इलाहाबाद का जिला दे दिया।
1801 में इसने वेलेजली से सहायक संधि स्वीकार कर ली थी।
Question 38 of 53
38. Question
1 points
लार्ड डलहौजी के द्वारा भारत में रेलवे लाइन डालने का मुख्य उद्देश्य क्या था
Correct
व्याख्या.
लार्ड डलहौजी के काल में भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 में बम्बई से थाने के बीच विछायीं गयी।
रेलवे लाइन का मुख्य उद्देश्य खानों को बंदरगाहों से जोड़ना
Incorrect
व्याख्या.
लार्ड डलहौजी के काल में भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 में बम्बई से थाने के बीच विछायीं गयी।
रेलवे लाइन का मुख्य उद्देश्य खानों को बंदरगाहों से जोड़ना
Unattempted
व्याख्या.
लार्ड डलहौजी के काल में भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 में बम्बई से थाने के बीच विछायीं गयी।
रेलवे लाइन का मुख्य उद्देश्य खानों को बंदरगाहों से जोड़ना
Question 39 of 53
39. Question
1 points
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेवकों के कार्यकारी तथा न्यायिक अधिकार सर्वप्रथम किसके समय में अलग-अलग किये गये –
Correct
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
इससे पूर्व दीवानी व न्यायिक अधिकार कलेक्टर को प्राप्त थे।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Incorrect
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
इससे पूर्व दीवानी व न्यायिक अधिकार कलेक्टर को प्राप्त थे।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Unattempted
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस-
कार्नवालिस 1786 से 1793 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा था।
कार्नवालिस ने 1793 ई. में ‘कार्नवालिस कोड’ का निर्माण कर न्याय व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित एवं मानवीय रुप दिया।
इसे भारत में ‘नागारिक सेवा का जन्मदाता’ माना जाता है।
उसने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
इससे पूर्व दीवानी व न्यायिक अधिकार कलेक्टर को प्राप्त थे।
कार्नवालिस की मृत्यु 1805 में उ0प्र0 के गाजीपुर में हुई और कार्नवालिस को गाजीपुर में दफना गया।
गाजीपुर में कार्नवालिस की समाधि भी बनी हुई है।
Question 40 of 53
40. Question
1 points
प्रथम गवर्नर जनरल कौन था
Correct
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स 1772 ई. में बंगाल का अन्तिम गवर्नर बनकर भारत आया।
1773 ई. के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के तहत उसे बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
1781 ई. में उसने ‘कलकत्ता मदरसा’ की स्थापना की जिसमें अरबी, फारसी का अध्ययन होता था।
वारेन हेस्टिंग्स स्वयं अरबी तथा फारसी ,बांग्ला जानता था
वारेन हेस्टिंग्स ने चाल्स विल्किन्सन की गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
Incorrect
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स 1772 ई. में बंगाल का अन्तिम गवर्नर बनकर भारत आया।
1773 ई. के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के तहत उसे बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
1781 ई. में उसने ‘कलकत्ता मदरसा’ की स्थापना की जिसमें अरबी, फारसी का अध्ययन होता था।
वारेन हेस्टिंग्स स्वयं अरबी तथा फारसी ,बांग्ला जानता था
वारेन हेस्टिंग्स ने चाल्स विल्किन्सन की गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
Unattempted
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स 1772 ई. में बंगाल का अन्तिम गवर्नर बनकर भारत आया।
1773 ई. के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के तहत उसे बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
1781 ई. में उसने ‘कलकत्ता मदरसा’ की स्थापना की जिसमें अरबी, फारसी का अध्ययन होता था।
वारेन हेस्टिंग्स स्वयं अरबी तथा फारसी ,बांग्ला जानता था
वारेन हेस्टिंग्स ने चाल्स विल्किन्सन की गीता के प्रथम अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
Question 41 of 53
41. Question
1 points
निम्न में किसने अहस्तक्षेप की नीति अपनायी थी
Correct
व्याख्या-
सर जॉन लारेन्स ने अहस्तक्षेप की नीति अफगानिस्तान के प्रति अपनायी।
अहस्तक्षेप की नीति को कुशल अकर्मण्यता की नीति कहा गया।
सर जॉन लारेन्स का कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को“भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Incorrect
व्याख्या-
सर जॉन लारेन्स ने अहस्तक्षेप की नीति अफगानिस्तान के प्रति अपनायी।
अहस्तक्षेप की नीति को कुशल अकर्मण्यता की नीति कहा गया।
सर जॉन लारेन्स का कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को“भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Unattempted
व्याख्या-
सर जॉन लारेन्स ने अहस्तक्षेप की नीति अफगानिस्तान के प्रति अपनायी।
अहस्तक्षेप की नीति को कुशल अकर्मण्यता की नीति कहा गया।
सर जॉन लारेन्स का कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
सर जॉन लॉरन्स को“भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
व्याख्या-
सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद 1793 से 1798 के बीच बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
सर जॉन शोर ने हैदराबाद के प्रति अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
सर जॉन शोर की नीति को देशी राज्यों के प्रति अहस्तक्षेप या तटस्थता के नीति के रूप में जानी जाती है
Question 42 of 53
42. Question
1 points
लार्ड कार्नवालिस ने स्थायी बन्दोबस्त बंगाल में लागू किया। इससे उसकी किस धारणा का आभास मिलता है
Correct
व्याख्या-
स्थायी बन्दोबस्त-
बंगाल की स्थायी भूमि, कर व्यवस्था पर अन्तिम निर्णय कार्नवालिस ने सर जॉन शोर के सहयोग से लिया और अन्तिम रूप से जमींदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया।
1790 ई. में बंगाल के जमींदारों से 10 वर्षीय व्यवस्था की गई, जिसे 1793 ई. में स्थायी कर दिया गया, जिसे स्थायी बन्दोबस्त कहते हैं।
इस व्यवस्था के अन्तर्गत जींदारों को अब भू-राजस्व का 10/11 भाग कम्पनी को तथा 1/11 भाग अपनी सेवाओं के लिए अपने पास रखना था।
कम्पनी ने यद्यपि इसे पूरी तरह से अपने हित में बताया, परन्तु शीघ्र ही यह व्यवस्था उत्पीड़न तथा शोषण का साधन बन गई।
Incorrect
व्याख्या-
स्थायी बन्दोबस्त-
बंगाल की स्थायी भूमि, कर व्यवस्था पर अन्तिम निर्णय कार्नवालिस ने सर जॉन शोर के सहयोग से लिया और अन्तिम रूप से जमींदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया।
1790 ई. में बंगाल के जमींदारों से 10 वर्षीय व्यवस्था की गई, जिसे 1793 ई. में स्थायी कर दिया गया, जिसे स्थायी बन्दोबस्त कहते हैं।
इस व्यवस्था के अन्तर्गत जींदारों को अब भू-राजस्व का 10/11 भाग कम्पनी को तथा 1/11 भाग अपनी सेवाओं के लिए अपने पास रखना था।
कम्पनी ने यद्यपि इसे पूरी तरह से अपने हित में बताया, परन्तु शीघ्र ही यह व्यवस्था उत्पीड़न तथा शोषण का साधन बन गई।
Unattempted
व्याख्या-
स्थायी बन्दोबस्त-
बंगाल की स्थायी भूमि, कर व्यवस्था पर अन्तिम निर्णय कार्नवालिस ने सर जॉन शोर के सहयोग से लिया और अन्तिम रूप से जमींदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया।
1790 ई. में बंगाल के जमींदारों से 10 वर्षीय व्यवस्था की गई, जिसे 1793 ई. में स्थायी कर दिया गया, जिसे स्थायी बन्दोबस्त कहते हैं।
इस व्यवस्था के अन्तर्गत जींदारों को अब भू-राजस्व का 10/11 भाग कम्पनी को तथा 1/11 भाग अपनी सेवाओं के लिए अपने पास रखना था।
कम्पनी ने यद्यपि इसे पूरी तरह से अपने हित में बताया, परन्तु शीघ्र ही यह व्यवस्था उत्पीड़न तथा शोषण का साधन बन गई।
Question 43 of 53
43. Question
1 points
भारत को तलवार के बल पर जीता गया है और तलवार के बल पर ही ब्रिटिश के कब्जे में रखा जायेगा, यह याक्य किसने कहा –
Correct
व्याख्या-
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय –कार्यकाल – 1894 – 99 ई.
एल्गिन ने भारत के विषय में कहा था कि ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी।’
1896 ई. तथा 1898 ई. के मध्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा पंजाब के हिसार जिले में भयंकर अकाल पड़ा।
1898 ई. में अकालों के सम्बन्ध में जाँच के लिए सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया गया।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के काल में स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेल्लूर में रामकृष्ण मिशन और मठ की स्थापना हुई।
इसके समय में भारत सरकार को अफीम की उत्पत्ति की समस्या के सम्बन्ध में भी कार्रवाई करनी पड़ी
1893 ई. में एक अफीम आयोग नियुक्त किया गया था, जिसका काम अफीम के प्रयोग से जनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सम्बन्ध में जाँच करना था।
बम्बई में 1897 ई. में पूना में चापेकर बन्धुओं ने आयर्स्ट तथा रैण्ड नामक अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी।
Incorrect
व्याख्या-
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय –कार्यकाल – 1894 – 99 ई.
एल्गिन ने भारत के विषय में कहा था कि ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी।’
1896 ई. तथा 1898 ई. के मध्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा पंजाब के हिसार जिले में भयंकर अकाल पड़ा।
1898 ई. में अकालों के सम्बन्ध में जाँच के लिए सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया गया।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के काल में स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेल्लूर में रामकृष्ण मिशन और मठ की स्थापना हुई।
इसके समय में भारत सरकार को अफीम की उत्पत्ति की समस्या के सम्बन्ध में भी कार्रवाई करनी पड़ी
1893 ई. में एक अफीम आयोग नियुक्त किया गया था, जिसका काम अफीम के प्रयोग से जनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सम्बन्ध में जाँच करना था।
बम्बई में 1897 ई. में पूना में चापेकर बन्धुओं ने आयर्स्ट तथा रैण्ड नामक अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी।
Unattempted
व्याख्या-
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय –कार्यकाल – 1894 – 99 ई.
एल्गिन ने भारत के विषय में कहा था कि ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी।’
1896 ई. तथा 1898 ई. के मध्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा पंजाब के हिसार जिले में भयंकर अकाल पड़ा।
1898 ई. में अकालों के सम्बन्ध में जाँच के लिए सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया गया।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के काल में स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेल्लूर में रामकृष्ण मिशन और मठ की स्थापना हुई।
इसके समय में भारत सरकार को अफीम की उत्पत्ति की समस्या के सम्बन्ध में भी कार्रवाई करनी पड़ी
1893 ई. में एक अफीम आयोग नियुक्त किया गया था, जिसका काम अफीम के प्रयोग से जनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सम्बन्ध में जाँच करना था।
बम्बई में 1897 ई. में पूना में चापेकर बन्धुओं ने आयर्स्ट तथा रैण्ड नामक अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी।
Question 44 of 53
44. Question
1 points
क्लाइव के इंग्लैण्ड वापस जाने के बाद स्थायी रूप से किसको गवर्नर बनाया गया
Correct
व्याख्या.
राईट क्लाइव दूसरी बार 1765 ई. में भारत आया और 1767 ई तक बंगाल का गवर्नर बना रहा।
1767-69 के बीच वेरलेस्ट को स्थायी रूप से गवर्नर बनाया गया।
1760 ई. में क्लाइव के वापस जाने के बाद हालवेल को बंगाल का स्थानापन्न गवर्नर बनाया गया था।
हालवेल ने ब्लैक होल घटना का वर्णन किया था।
हेनरी वैंसिटार्ट कार्यकाल – 1760 – 65
महत्वपूर्ण कार्य – बक्सर के युद्ध के समय वेन्सिटार्ट ही बंगाल का गवर्नर था।
जॉन कर्टियर कार्यकाल – 1769 – 72
महत्वपूर्ण कार्य –1770 में बंगाल में आधुनिक भारत का प्रथम अकाल पड़ा।
Incorrect
व्याख्या.
राईट क्लाइव दूसरी बार 1765 ई. में भारत आया और 1767 ई तक बंगाल का गवर्नर बना रहा।
1767-69 के बीच वेरलेस्ट को स्थायी रूप से गवर्नर बनाया गया।
1760 ई. में क्लाइव के वापस जाने के बाद हालवेल को बंगाल का स्थानापन्न गवर्नर बनाया गया था।
हालवेल ने ब्लैक होल घटना का वर्णन किया था।
हेनरी वैंसिटार्ट कार्यकाल – 1760 – 65
महत्वपूर्ण कार्य – बक्सर के युद्ध के समय वेन्सिटार्ट ही बंगाल का गवर्नर था।
जॉन कर्टियर कार्यकाल – 1769 – 72
महत्वपूर्ण कार्य –1770 में बंगाल में आधुनिक भारत का प्रथम अकाल पड़ा।
Unattempted
व्याख्या.
राईट क्लाइव दूसरी बार 1765 ई. में भारत आया और 1767 ई तक बंगाल का गवर्नर बना रहा।
1767-69 के बीच वेरलेस्ट को स्थायी रूप से गवर्नर बनाया गया।
1760 ई. में क्लाइव के वापस जाने के बाद हालवेल को बंगाल का स्थानापन्न गवर्नर बनाया गया था।
हालवेल ने ब्लैक होल घटना का वर्णन किया था।
हेनरी वैंसिटार्ट कार्यकाल – 1760 – 65
महत्वपूर्ण कार्य – बक्सर के युद्ध के समय वेन्सिटार्ट ही बंगाल का गवर्नर था।
जॉन कर्टियर कार्यकाल – 1769 – 72
महत्वपूर्ण कार्य –1770 में बंगाल में आधुनिक भारत का प्रथम अकाल पड़ा।
Question 45 of 53
45. Question
1 points
अवध विलय के समय वहाँ का डिप्टी कमिश्नर कौन था
Correct
व्याख्या-
अवध में 1854 ई. में आउट्रम को डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किया गया।
आउट्रम की सरकारी रिपोर्ट और हैबर की गैर-सरकारी रिपोर्ट को आधार बनाकर लार्ड डलहौजी ने कुशासन का आरोप लगाकर 1856 में अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
1857 की स्वतंत्रता संग्राम का यह एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है क्योकि अंग्रेजी सेना में अधिकांश सैनिक अवध के ही थे।
Incorrect
व्याख्या-
अवध में 1854 ई. में आउट्रम को डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किया गया।
आउट्रम की सरकारी रिपोर्ट और हैबर की गैर-सरकारी रिपोर्ट को आधार बनाकर लार्ड डलहौजी ने कुशासन का आरोप लगाकर 1856 में अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
1857 की स्वतंत्रता संग्राम का यह एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है क्योकि अंग्रेजी सेना में अधिकांश सैनिक अवध के ही थे।
Unattempted
व्याख्या-
अवध में 1854 ई. में आउट्रम को डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किया गया।
आउट्रम की सरकारी रिपोर्ट और हैबर की गैर-सरकारी रिपोर्ट को आधार बनाकर लार्ड डलहौजी ने कुशासन का आरोप लगाकर 1856 में अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
1857 की स्वतंत्रता संग्राम का यह एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है क्योकि अंग्रेजी सेना में अधिकांश सैनिक अवध के ही थे।
Question 46 of 53
46. Question
1 points
निम्नलिखित में से किसे बंगाल विभाजन को निरस्त करने ‘ के लिए स्मरण किया जाता है?
Correct
व्याख्या-
लार्ड हार्डिग द्वितीय (1910-16 ई०) के समय में हुआ।
1911 में तृतीय दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया
जिसमें जार्ज पंचम के राज्याभिषेक की दरबार मैं घोषणा की गयी।
लार्ड हार्डिग ने दिल्ली दरबार में ही बंगाल का विभाजन निरस्त कर दिया गया
कलकत्ता से दिल्ली में राजधानी स्थानान्तरण की घोषणा की गयी।
Incorrect
व्याख्या-
लार्ड हार्डिग द्वितीय (1910-16 ई०) के समय में हुआ।
1911 में तृतीय दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया
जिसमें जार्ज पंचम के राज्याभिषेक की दरबार मैं घोषणा की गयी।
लार्ड हार्डिग ने दिल्ली दरबार में ही बंगाल का विभाजन निरस्त कर दिया गया
कलकत्ता से दिल्ली में राजधानी स्थानान्तरण की घोषणा की गयी।
Unattempted
व्याख्या-
लार्ड हार्डिग द्वितीय (1910-16 ई०) के समय में हुआ।
1911 में तृतीय दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया
जिसमें जार्ज पंचम के राज्याभिषेक की दरबार मैं घोषणा की गयी।
लार्ड हार्डिग ने दिल्ली दरबार में ही बंगाल का विभाजन निरस्त कर दिया गया
कलकत्ता से दिल्ली में राजधानी स्थानान्तरण की घोषणा की गयी।
Question 47 of 53
47. Question
1 points
भारतीय सिविल सेवा (I.c.S.) प्रारम्भ हुई थी
Correct
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता माना जाता है।
सिविल सेवा को ‘इस्पात का चौखट’ कहा जाता था।
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे ‘कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
कार्नवालिस ने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
Incorrect
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता माना जाता है।
सिविल सेवा को ‘इस्पात का चौखट’ कहा जाता था।
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे ‘कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
कार्नवालिस ने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
Unattempted
व्याख्या-
लार्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता माना जाता है।
सिविल सेवा को ‘इस्पात का चौखट’ कहा जाता था।
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उसे ‘कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्नवालिस संहिता शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित था।
कार्नवालिस ने दीवानी अधिकार कलेक्टर को और न्यायिक अधिकार न्यायाधीशों को दिये।
Question 48 of 53
48. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सी घटनायें भारत में वर्ष 1853 में घटित हुई थी.
आगरा और कलकत्ता के मध्य पहली टेलीग्राफ लाइन बिछायी गयी।
बम्बई और थाने के मध्य पहली रेलवे लाईन बिछाई गयी।
लन्दन में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा प्रारम्भ हुई।
हड़प्पा की खोज एक बौद्ध स्थल के रूप में हुई।
Correct
व्याख्या-
1853 ई. में बम्बई से थाने तक पहली रेलवे लाइन बिछायी गयी।
1853 ई. में कलकत्ता से आगरा तक टेलीग्राफ लाइन का निर्माण किया गया।
1853 ई. लन्दन में सिविल सेवा के लिये प्रतियोगी परीक्षा का प्रारम्भ किया गया।
1853 ई. में हड़प्पा की पहचान एक बौद्ध स्थल के रूप में हुई।
अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1854 एवं 1856 ई. में दो बार हड़प्पा की यात्रा की और वहाँ अनेक टीलों के गर्भ में किसी प्राचीन सभ्यता के दबे होने की सम्भावना व्यक्त की।
Incorrect
व्याख्या-
1853 ई. में बम्बई से थाने तक पहली रेलवे लाइन बिछायी गयी।
1853 ई. में कलकत्ता से आगरा तक टेलीग्राफ लाइन का निर्माण किया गया।
1853 ई. लन्दन में सिविल सेवा के लिये प्रतियोगी परीक्षा का प्रारम्भ किया गया।
1853 ई. में हड़प्पा की पहचान एक बौद्ध स्थल के रूप में हुई।
अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1854 एवं 1856 ई. में दो बार हड़प्पा की यात्रा की और वहाँ अनेक टीलों के गर्भ में किसी प्राचीन सभ्यता के दबे होने की सम्भावना व्यक्त की।
Unattempted
व्याख्या-
1853 ई. में बम्बई से थाने तक पहली रेलवे लाइन बिछायी गयी।
1853 ई. में कलकत्ता से आगरा तक टेलीग्राफ लाइन का निर्माण किया गया।
1853 ई. लन्दन में सिविल सेवा के लिये प्रतियोगी परीक्षा का प्रारम्भ किया गया।
1853 ई. में हड़प्पा की पहचान एक बौद्ध स्थल के रूप में हुई।
अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1854 एवं 1856 ई. में दो बार हड़प्पा की यात्रा की और वहाँ अनेक टीलों के गर्भ में किसी प्राचीन सभ्यता के दबे होने की सम्भावना व्यक्त की।
Question 49 of 53
49. Question
1 points
ठगी के खिलाफ लड़ने वाले स्लीमैन किस गवर्नर जनरल का सम-सामयिक था
Correct
व्याख्या-
ठगी के खिलाफ लड़ने वाला स्लीमन लार्ड विलियम बैटिंक का समकालीन था।
लार्ड विलियम बैंटिंक ने स्लीमन को ठगों के खिलाफ अभियान के लिए नियुक्त किया था।
1930 तक स्लीमन ने ठगी प्रथा का अंत कर दिया।
Incorrect
व्याख्या-
ठगी के खिलाफ लड़ने वाला स्लीमन लार्ड विलियम बैटिंक का समकालीन था।
लार्ड विलियम बैंटिंक ने स्लीमन को ठगों के खिलाफ अभियान के लिए नियुक्त किया था।
1930 तक स्लीमन ने ठगी प्रथा का अंत कर दिया।
Unattempted
व्याख्या-
ठगी के खिलाफ लड़ने वाला स्लीमन लार्ड विलियम बैटिंक का समकालीन था।
लार्ड विलियम बैंटिंक ने स्लीमन को ठगों के खिलाफ अभियान के लिए नियुक्त किया था।
1930 तक स्लीमन ने ठगी प्रथा का अंत कर दिया।
Question 50 of 53
50. Question
1 points
भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था
Correct
व्याख्या-
1833 के अधिनियम के द्वारा लार्ड विलियम बैंटिग को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1773 से पूर्व कम्पनी का प्रशासक बंगाल का गवर्नर कहलाता था।
1773 ई. में प्रथम बार वारेन हेस्टिग्स को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1858 ई. के बाद भारत कागवर्नर जनरल ,भारत वायसराय कहलाने लगा।
कैनिंग भारत का प्रथम वायसराय था।
Incorrect
व्याख्या-
1833 के अधिनियम के द्वारा लार्ड विलियम बैंटिग को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1773 से पूर्व कम्पनी का प्रशासक बंगाल का गवर्नर कहलाता था।
1773 ई. में प्रथम बार वारेन हेस्टिग्स को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1858 ई. के बाद भारत कागवर्नर जनरल ,भारत वायसराय कहलाने लगा।
कैनिंग भारत का प्रथम वायसराय था।
Unattempted
व्याख्या-
1833 के अधिनियम के द्वारा लार्ड विलियम बैंटिग को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1773 से पूर्व कम्पनी का प्रशासक बंगाल का गवर्नर कहलाता था।
1773 ई. में प्रथम बार वारेन हेस्टिग्स को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया।
1858 ई. के बाद भारत कागवर्नर जनरल ,भारत वायसराय कहलाने लगा।
कैनिंग भारत का प्रथम वायसराय था।
Question 51 of 53
51. Question
1 points
सर जॉन शोर ने अहस्तक्षेप की नीति अपनाई –
Correct
व्याख्या-
सर जॉन शोर प्रथम गवर्नर जनरल था जिसने अहस्तक्षेप की नीति का पूर्ण पालन किया था।
जॉन शोर ने अंग्रेजों के पुराने मित्र हैदराबाद के निजाम को मराठों के विरुद्ध सहायता देने से इनकार कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या-
सर जॉन शोर प्रथम गवर्नर जनरल था जिसने अहस्तक्षेप की नीति का पूर्ण पालन किया था।
जॉन शोर ने अंग्रेजों के पुराने मित्र हैदराबाद के निजाम को मराठों के विरुद्ध सहायता देने से इनकार कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या-
सर जॉन शोर प्रथम गवर्नर जनरल था जिसने अहस्तक्षेप की नीति का पूर्ण पालन किया था।
जॉन शोर ने अंग्रेजों के पुराने मित्र हैदराबाद के निजाम को मराठों के विरुद्ध सहायता देने से इनकार कर दिया था।
Question 52 of 53
52. Question
1 points
भारत में पंचवर्षीय बंदोबस्त किसने लागू किया था
Correct
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन समाप्त कर भारत में पंचवर्षीय बंदोबस्त किसने लागू किया था
1776 में पंचवर्षीय बंदोबस्त को समाप्त कर एक वर्षीय प्रणाली अपनायी गयी।
Incorrect
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन समाप्त कर भारत में पंचवर्षीय बंदोबस्त किसने लागू किया था
1776 में पंचवर्षीय बंदोबस्त को समाप्त कर एक वर्षीय प्रणाली अपनायी गयी।
Unattempted
व्याख्या-
वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन समाप्त कर भारत में पंचवर्षीय बंदोबस्त किसने लागू किया था
1776 में पंचवर्षीय बंदोबस्त को समाप्त कर एक वर्षीय प्रणाली अपनायी गयी।
Question 53 of 53
53. Question
1 points
ब्रिटिश शासक के समय में मण्डलायुक्त का पद किसने सृजित किया
Correct
व्याख्या-
ब्रिटिश शासन के समय मण्डलायुक्त का पद बेंटिंक ने सृजित किया।
बेंटिंक ने सम्भागीय आयुक्तों की नियुक्ति की।
Incorrect
व्याख्या-
ब्रिटिश शासन के समय मण्डलायुक्त का पद बेंटिंक ने सृजित किया।
बेंटिंक ने सम्भागीय आयुक्तों की नियुक्ति की।
Unattempted
व्याख्या-
ब्रिटिश शासन के समय मण्डलायुक्त का पद बेंटिंक ने सृजित किया।