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Question 1 of 53
1. Question
2 points
निम्नलिखित में से किसने 1920 के कलकता के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी के असहयोग के प्रस्ताव का समर्थन किया था ?
Correct
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Incorrect
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Unattempted
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Question 2 of 53
2. Question
2 points
निम्नलिखित में से किराने 1931 के कराची अधिवेशन में मौलिक अधिकारों के प्रस्ताव का प्रारूप तैयार किया था?
Correct
व्याख्या-
कराची अधिवेशन-1931 –
मार्च, 1931 ई० को कराची में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ।
5 मार्च, 1931 ई० को गांधी जी तथा लार्ड इरविन के मध्य एक समझौता हुआ जिसे गांधी-इरविन समझौता कहा जाता है।
इसी अधिवेशन में पहली बाद कांग्रेस ने मौलिक अधिकार एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों से सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किया।
मूल अधिकारों पर प्रस्ताव का प्रारूप पं. जवाहर लाल नेहरू ने तैयार किया था।
Incorrect
व्याख्या-
कराची अधिवेशन-1931 –
मार्च, 1931 ई० को कराची में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ।
5 मार्च, 1931 ई० को गांधी जी तथा लार्ड इरविन के मध्य एक समझौता हुआ जिसे गांधी-इरविन समझौता कहा जाता है।
इसी अधिवेशन में पहली बाद कांग्रेस ने मौलिक अधिकार एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों से सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किया।
मूल अधिकारों पर प्रस्ताव का प्रारूप पं. जवाहर लाल नेहरू ने तैयार किया था।
Unattempted
व्याख्या-
कराची अधिवेशन-1931 –
मार्च, 1931 ई० को कराची में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ।
5 मार्च, 1931 ई० को गांधी जी तथा लार्ड इरविन के मध्य एक समझौता हुआ जिसे गांधी-इरविन समझौता कहा जाता है।
इसी अधिवेशन में पहली बाद कांग्रेस ने मौलिक अधिकार एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों से सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किया।
मूल अधिकारों पर प्रस्ताव का प्रारूप पं. जवाहर लाल नेहरू ने तैयार किया था।
Question 3 of 53
3. Question
2 points
1939 के त्रिपुरी के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में निम्नलिखित में से किसने अध्यक्षीय उद्बोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था?
Correct
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।
Incorrect
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।
Unattempted
व्याख्या–
त्रिपुरी अधिवेशन -1939
1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की ।
इस अधिवेशन में शरतचन्द्र बोस ने अध्यक्षीय उदबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा था।
Question 4 of 53
4. Question
2 points
ए. ओ. ह्यूम का जीवनीकार कौन था?
Correct
व्याख्या
ए०ओ० हाम का जीवनीकार डब्लू वेडरबर्न था ।
Incorrect
व्याख्या
ए०ओ० हाम का जीवनीकार डब्लू वेडरबर्न था ।
Unattempted
व्याख्या
ए०ओ० हाम का जीवनीकार डब्लू वेडरबर्न था ।
Question 5 of 53
5. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष कौन था?
Correct
व्याख्या –
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
मौलाना अबुल कलाम आजाद को सबसे कम उम्र के कांग्रेस के अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त है।
मौलाना मोहम्मद अली ने 1923 में कांग्रेस का अड़तीसवाँ अधिवेशन काकीनाड़ा में अध्यक्षता बने ।
शैकत अली कभी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बने।
Incorrect
व्याख्या –
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
मौलाना अबुल कलाम आजाद को सबसे कम उम्र के कांग्रेस के अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त है।
मौलाना मोहम्मद अली ने 1923 में कांग्रेस का अड़तीसवाँ अधिवेशन काकीनाड़ा में अध्यक्षता बने ।
शैकत अली कभी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बने।
Unattempted
व्याख्या –
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
मौलाना अबुल कलाम आजाद को सबसे कम उम्र के कांग्रेस के अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त है।
मौलाना मोहम्मद अली ने 1923 में कांग्रेस का अड़तीसवाँ अधिवेशन काकीनाड़ा में अध्यक्षता बने ।
शैकत अली कभी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बने।
Question 6 of 53
6. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक नहीं थे?
Correct
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अधिवेशन का अध्यक्ष उसी क्षेत्र से चुना जाता था, जहाँ कि कॉन्ग्रेस के अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा हो।
इण्डियन ऐसासिएशन की स्थापना 26 मार्च, 1876 को कलकत्ता में सरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा आनन्द मोहन बोस ने की थी।
इण्डियन ऐसासिएशन का पहला अधिवेशन 1883 में कलकत्ता में हआ था।
इण्डियन ऐसासिएशन का दूसरा अधिवेशन 1885 में कलकत्ता में ही आयोजित किया गया जिसके अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ बनर्जी थे।
दादाभाई नौरोजी ने 1886 ( कलकत्ता) 1893 (लाहौर) व 1906 ( कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
फिरोजशाह मेहता ने 1890 (कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी
बदरूददीन तैय्यबजी ने 1887 (मद्रास) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
Incorrect
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अधिवेशन का अध्यक्ष उसी क्षेत्र से चुना जाता था, जहाँ कि कॉन्ग्रेस के अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा हो।
इण्डियन ऐसासिएशन की स्थापना 26 मार्च, 1876 को कलकत्ता में सरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा आनन्द मोहन बोस ने की थी।
इण्डियन ऐसासिएशन का पहला अधिवेशन 1883 में कलकत्ता में हआ था।
इण्डियन ऐसासिएशन का दूसरा अधिवेशन 1885 में कलकत्ता में ही आयोजित किया गया जिसके अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ बनर्जी थे।
दादाभाई नौरोजी ने 1886 ( कलकत्ता) 1893 (लाहौर) व 1906 ( कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
फिरोजशाह मेहता ने 1890 (कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी
बदरूददीन तैय्यबजी ने 1887 (मद्रास) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
Unattempted
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अधिवेशन का अध्यक्ष उसी क्षेत्र से चुना जाता था, जहाँ कि कॉन्ग्रेस के अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा हो।
इण्डियन ऐसासिएशन की स्थापना 26 मार्च, 1876 को कलकत्ता में सरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा आनन्द मोहन बोस ने की थी।
इण्डियन ऐसासिएशन का पहला अधिवेशन 1883 में कलकत्ता में हआ था।
इण्डियन ऐसासिएशन का दूसरा अधिवेशन 1885 में कलकत्ता में ही आयोजित किया गया जिसके अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ बनर्जी थे।
दादाभाई नौरोजी ने 1886 ( कलकत्ता) 1893 (लाहौर) व 1906 ( कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
फिरोजशाह मेहता ने 1890 (कलकत्ता) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी
बदरूददीन तैय्यबजी ने 1887 (मद्रास) में काँग्रेस की अध्यक्षता की थी।
Question 7 of 53
7. Question
2 points
“भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नामकरण किसने किया?
Correct
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ह्युम ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
ए.ओ. हयूम आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Incorrect
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ह्युम ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
ए.ओ. हयूम आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Unattempted
व्याख्या –
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ह्युम ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
ए.ओ. हयूम आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Question 8 of 53
8. Question
2 points
कांग्रेस-लीग समझौता (लखनऊ समझौता) 1916, किनके संयुक्त प्रयासों से सम्पन्न हो सका?
Correct
व्याख्या –
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
Incorrect
व्याख्या –
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
Unattempted
व्याख्या –
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
Question 9 of 53
9. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं रहा है?
Correct
व्याख्या –
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
45 वां अधिवेशन – कराची(1931 में)
अध्यक्ष – सरदार वल्लभ भाई पटेल
मूल अधिकारों की मांग शामिल – प्रस्ताव बनाया – जवाहर लाल नेहरू ने।
आर्थिक नीति से सम्बन्धित एक प्रस्ताव रखा गया।
गांधी जी को प्रतिनिधि के रूप में गोलमेज सम्मेलन के लिए नामित किया गया।
गांधी – इरविन समझौता की स्वीकृति।
Incorrect
व्याख्या –
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
45 वां अधिवेशन – कराची(1931 में)
अध्यक्ष – सरदार वल्लभ भाई पटेल
मूल अधिकारों की मांग शामिल – प्रस्ताव बनाया – जवाहर लाल नेहरू ने।
आर्थिक नीति से सम्बन्धित एक प्रस्ताव रखा गया।
गांधी जी को प्रतिनिधि के रूप में गोलमेज सम्मेलन के लिए नामित किया गया।
गांधी – इरविन समझौता की स्वीकृति।
Unattempted
व्याख्या –
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
45 वां अधिवेशन – कराची(1931 में)
अध्यक्ष – सरदार वल्लभ भाई पटेल
मूल अधिकारों की मांग शामिल – प्रस्ताव बनाया – जवाहर लाल नेहरू ने।
आर्थिक नीति से सम्बन्धित एक प्रस्ताव रखा गया।
गांधी जी को प्रतिनिधि के रूप में गोलमेज सम्मेलन के लिए नामित किया गया।
गांधी – इरविन समझौता की स्वीकृति।
Question 10 of 53
10. Question
2 points
निम्नलिखित में से किसने कांग्रेस के प्रारम्भिक अधिवेशन को ‘तीन दिवसीय तमाशा’ कहा था?
Correct
व्याख्या .
विपिन चन्द्र -काँग्रेस एक “याचना संस्था” है ।
अरविन्द घोष – काँग्रेस के नेताओं के प्रतिवेदनों का वर्णन “बुलबुलों के साथ खेलने” के रूप में किया।
अश्विनी कुमार दत्त – कांग्रेस के प्रारम्भिक अधिवेशन को “तीन दिनों का तमाशा” कहकर निन्दा की |
Incorrect
व्याख्या .
विपिन चन्द्र -काँग्रेस एक “याचना संस्था” है ।
अरविन्द घोष – काँग्रेस के नेताओं के प्रतिवेदनों का वर्णन “बुलबुलों के साथ खेलने” के रूप में किया।
अश्विनी कुमार दत्त – कांग्रेस के प्रारम्भिक अधिवेशन को “तीन दिनों का तमाशा” कहकर निन्दा की |
Unattempted
व्याख्या .
विपिन चन्द्र -काँग्रेस एक “याचना संस्था” है ।
अरविन्द घोष – काँग्रेस के नेताओं के प्रतिवेदनों का वर्णन “बुलबुलों के साथ खेलने” के रूप में किया।
अश्विनी कुमार दत्त – कांग्रेस के प्रारम्भिक अधिवेशन को “तीन दिनों का तमाशा” कहकर निन्दा की |
Question 11 of 53
11. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने निम्नलिखित में से किस अधिवेशन में समाजवादी पद्धति का लक्ष्य अपनाया?
Correct
व्याख्या
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1955 के 60वें अधिवेशन में लोकतांत्रिक आधार पर समाजवादी राज्य की स्थापना की नीति स्वीकार कर ली।
1955 में कांग्रेस अधिवेशन अवाड़ी(तमिलनाडु) में हुआ
अवाड़ी अधिवेशन की अध्यक्षता अच्छगराय नवलराय देवी ने की।
कांग्रेस के 1936 ई० के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता करते हए सर्वप्रथम जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि “हाँ मैं समाजवादी हूँ मेरा लक्ष्य समाजवाद की स्थापना करना है।”
कांग्रेस के जयपुरअधिवेशन 1948 ई० की अध्यक्षता पट्टाभि सीतारमिया ने की |
कांग्रेस के नासिक अधिवेशन 1950 ई० की अध्यक्षता पुरूषोत्तम दास टंडन ने की |
नागपुर अधिवेशन 1959 ई० की अध्यक्षता श्रीमती इन्दिरा गांधी ने की।
Incorrect
व्याख्या
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1955 के 60वें अधिवेशन में लोकतांत्रिक आधार पर समाजवादी राज्य की स्थापना की नीति स्वीकार कर ली।
1955 में कांग्रेस अधिवेशन अवाड़ी(तमिलनाडु) में हुआ
अवाड़ी अधिवेशन की अध्यक्षता अच्छगराय नवलराय देवी ने की।
कांग्रेस के 1936 ई० के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता करते हए सर्वप्रथम जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि “हाँ मैं समाजवादी हूँ मेरा लक्ष्य समाजवाद की स्थापना करना है।”
कांग्रेस के जयपुरअधिवेशन 1948 ई० की अध्यक्षता पट्टाभि सीतारमिया ने की |
कांग्रेस के नासिक अधिवेशन 1950 ई० की अध्यक्षता पुरूषोत्तम दास टंडन ने की |
नागपुर अधिवेशन 1959 ई० की अध्यक्षता श्रीमती इन्दिरा गांधी ने की।
Unattempted
व्याख्या
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1955 के 60वें अधिवेशन में लोकतांत्रिक आधार पर समाजवादी राज्य की स्थापना की नीति स्वीकार कर ली।
1955 में कांग्रेस अधिवेशन अवाड़ी(तमिलनाडु) में हुआ
अवाड़ी अधिवेशन की अध्यक्षता अच्छगराय नवलराय देवी ने की।
कांग्रेस के 1936 ई० के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता करते हए सर्वप्रथम जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि “हाँ मैं समाजवादी हूँ मेरा लक्ष्य समाजवाद की स्थापना करना है।”
कांग्रेस के जयपुरअधिवेशन 1948 ई० की अध्यक्षता पट्टाभि सीतारमिया ने की |
कांग्रेस के नासिक अधिवेशन 1950 ई० की अध्यक्षता पुरूषोत्तम दास टंडन ने की |
नागपुर अधिवेशन 1959 ई० की अध्यक्षता श्रीमती इन्दिरा गांधी ने की।
Question 12 of 53
12. Question
2 points
किसने 1906 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी के अध्यक्षीय भाषाण को उनके बदले में पढ़ा था?
Correct
व्याख्या-
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Incorrect
व्याख्या-
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Unattempted
व्याख्या-
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Question 13 of 53
13. Question
2 points
निम्न में से कौन सही सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
तिसरा अधिवेशन – मद्रास(1887 में)
अध्यक्ष – बदरूद्दीन तैय्यब जी(प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष)
“कांग्रेसी बनों का नारा”
विषय निर्धारण समिति की नीव
रानाडे द्वारा सोशल कांफ्रेस का आयोजन
आम्र्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव
पहला अधिवेशन – तमिल भाषा में भाषण
चैथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
छठा अधिवेशन – कलकत्ता(1890 में)
अध्यक्ष – फिरोजशाह मेहता
प्रथम महिला स्नातक कादम्बिनी गांगुली ने भाग लिया।
आठवां अधिवेशन – इलाहाबाद(1892 में)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
यह अधिवेशन इंग्लैण्ड में प्रस्तावित था लेकिन वहां हो नहीं सका।
*********
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Incorrect
व्याख्या-
तिसरा अधिवेशन – मद्रास(1887 में)
अध्यक्ष – बदरूद्दीन तैय्यब जी(प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष)
“कांग्रेसी बनों का नारा”
विषय निर्धारण समिति की नीव
रानाडे द्वारा सोशल कांफ्रेस का आयोजन
आम्र्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव
पहला अधिवेशन – तमिल भाषा में भाषण
चैथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
छठा अधिवेशन – कलकत्ता(1890 में)
अध्यक्ष – फिरोजशाह मेहता
प्रथम महिला स्नातक कादम्बिनी गांगुली ने भाग लिया।
आठवां अधिवेशन – इलाहाबाद(1892 में)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
यह अधिवेशन इंग्लैण्ड में प्रस्तावित था लेकिन वहां हो नहीं सका।
*********
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Unattempted
व्याख्या-
तिसरा अधिवेशन – मद्रास(1887 में)
अध्यक्ष – बदरूद्दीन तैय्यब जी(प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष)
“कांग्रेसी बनों का नारा”
विषय निर्धारण समिति की नीव
रानाडे द्वारा सोशल कांफ्रेस का आयोजन
आम्र्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव
पहला अधिवेशन – तमिल भाषा में भाषण
चैथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
छठा अधिवेशन – कलकत्ता(1890 में)
अध्यक्ष – फिरोजशाह मेहता
प्रथम महिला स्नातक कादम्बिनी गांगुली ने भाग लिया।
आठवां अधिवेशन – इलाहाबाद(1892 में)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
यह अधिवेशन इंग्लैण्ड में प्रस्तावित था लेकिन वहां हो नहीं सका।
*********
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Question 14 of 53
14. Question
2 points
स्वदेशी एवं बहिष्कार का कार्यक्रम कांग्रेस ने किस अधिवेशन में पारित किया था?
Correct
व्याख्या –
1905 से 1907 के मध्य गरमपंथियों एवं नरमपंथियों के पारस्परिक मतभेद खुलकर सामने आए।
गरमपंथी स्वदेशी व बहिष्कार आन्दोलन को पूरे देश में फैलाना चाहते थे।
जबकि नरमपंथी इस आन्दोलन को केवल बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे।
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Incorrect
व्याख्या –
1905 से 1907 के मध्य गरमपंथियों एवं नरमपंथियों के पारस्परिक मतभेद खुलकर सामने आए।
गरमपंथी स्वदेशी व बहिष्कार आन्दोलन को पूरे देश में फैलाना चाहते थे।
जबकि नरमपंथी इस आन्दोलन को केवल बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे।
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Unattempted
व्याख्या –
1905 से 1907 के मध्य गरमपंथियों एवं नरमपंथियों के पारस्परिक मतभेद खुलकर सामने आए।
गरमपंथी स्वदेशी व बहिष्कार आन्दोलन को पूरे देश में फैलाना चाहते थे।
जबकि नरमपंथी इस आन्दोलन को केवल बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे।
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
दादा भाई नौरोजी अत्यन्त वृद्ध होने के कारण उनका अध्यक्षीय भाषण पूर्व अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने पढ़ा।
इस समय मोहम्मद अली जिन्ना, दादा भाई नौरोजी के सचिव थे।
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
Question 15 of 53
15. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के निम्नलिखित में से किस अधिवेशन में स्वदेशी के प्रस्ताव को अपनाया गया था?
Correct
व्याख्या-
21 वां अधिवेशन – वाराणसी/बनारस (1905 में)
अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण गोखले
स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन देने की बात कही – यह बंगाल विभाजन के विरोध में चलाया गया।
विपक्ष का नेता की उपाधि – गोखले को
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
Incorrect
व्याख्या-
21 वां अधिवेशन – वाराणसी/बनारस (1905 में)
अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण गोखले
स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन देने की बात कही – यह बंगाल विभाजन के विरोध में चलाया गया।
विपक्ष का नेता की उपाधि – गोखले को
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
Unattempted
व्याख्या-
21 वां अधिवेशन – वाराणसी/बनारस (1905 में)
अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण गोखले
स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन देने की बात कही – यह बंगाल विभाजन के विरोध में चलाया गया।
विपक्ष का नेता की उपाधि – गोखले को
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
इसी अधिवेशन में गरमपंथियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पारित करवाया।
Question 16 of 53
16. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (1916) का अध्यक्ष कौन था?
Correct
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
Incorrect
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
Unattempted
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
Question 17 of 53
17. Question
2 points
कैबिनेट मिशन के भारत आगमन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था? –
Correct
व्याख्या-
कैबिनेट मिशन (24 मार्च, 1946ई) के आगमन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कलाम आजाद थे।
Incorrect
व्याख्या-
कैबिनेट मिशन (24 मार्च, 1946ई) के आगमन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कलाम आजाद थे।
Unattempted
व्याख्या-
कैबिनेट मिशन (24 मार्च, 1946ई) के आगमन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कलाम आजाद थे।
Question 18 of 53
18. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष कौन था?
Correct
व्याख्या-
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
1888
चतुर्थ
इलाहाबाद
जॉर्ज यूल
पहले अंग्रेज अध्यक्ष, ‘नमक कर’ में कमी एवं शिक्षा पर व्यय में वृद्धि की मांग
1896
12वां
कलकत्ता
रहीमतुल्ला मोहम्मद सयानी
वंदे मातरम सर्वप्रथम गाया गया था
Incorrect
व्याख्या-
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
1888
चतुर्थ
इलाहाबाद
जॉर्ज यूल
पहले अंग्रेज अध्यक्ष, ‘नमक कर’ में कमी एवं शिक्षा पर व्यय में वृद्धि की मांग
1896
12वां
कलकत्ता
रहीमतुल्ला मोहम्मद सयानी
वंदे मातरम सर्वप्रथम गाया गया था
Unattempted
व्याख्या-
कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
वर्ष
अधिवेशन का क्रमांक
अधिवेशन का स्थान
अधिवेशन का अध्यक्ष
महत्वपूर्ण टिप्पणी
1885
प्रथम
बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
उमेश चन्द्र बनर्जी (व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं)
i) प्रथम अधिवेशन
ii) 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था
iii) दादा भाई नौरोजी ने कांग्रेस के नाम का सुझाव दिया था
1886
द्वितीय
कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)
दादा भाई नौरोजी
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय
1887
तृतीय
मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
बदरुद्दीन तैयब
पहले मुस्लिम अध्यक्ष
1888
चतुर्थ
इलाहाबाद
जॉर्ज यूल
पहले अंग्रेज अध्यक्ष, ‘नमक कर’ में कमी एवं शिक्षा पर व्यय में वृद्धि की मांग
1896
12वां
कलकत्ता
रहीमतुल्ला मोहम्मद सयानी
वंदे मातरम सर्वप्रथम गाया गया था
Question 19 of 53
19. Question
2 points
हरिपुरा जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 1938 में अधिवेशन हुआ था कहाँ स्थित है
Correct
व्याख्या.
1938 में हरिपुरा अधिवेशन-
हरिपुरा गुजरात का एक गांव था।
यह कांग्रेस का किसी गाँव में आयोजित पहला अधिवेशन है ।
इसकी अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की थी।
इस अधिवेशन में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष पं जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया।
Incorrect
व्याख्या.
1938 में हरिपुरा अधिवेशन-
हरिपुरा गुजरात का एक गांव था।
यह कांग्रेस का किसी गाँव में आयोजित पहला अधिवेशन है ।
इसकी अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की थी।
इस अधिवेशन में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष पं जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया।
Unattempted
व्याख्या.
1938 में हरिपुरा अधिवेशन-
हरिपुरा गुजरात का एक गांव था।
यह कांग्रेस का किसी गाँव में आयोजित पहला अधिवेशन है ।
इसकी अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने की थी।
इस अधिवेशन में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष पं जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया।
Question 20 of 53
20. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम सचिव कौन था
Correct
व्याख्या-
ए.ओ. हयूम-
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Incorrect
व्याख्या-
ए.ओ. हयूम-
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Unattempted
व्याख्या-
ए.ओ. हयूम-
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Question 21 of 53
21. Question
2 points
भारत की स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे
Correct
व्याख्या-
54 वां अधिवेशन – मेरठ(1946 में)
अध्यक्ष – जे. बी. कृपलानी
जवाहरलाल नेहरू ने नवम्बर में इस्तिफा दे दिया अतः कृपलानी अध्यक्ष बनाये गये।
भारत की स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे
नवम्बर 1947 में इस्तीफा दिया अतः डा. राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बनाये गये।
Incorrect
व्याख्या-
54 वां अधिवेशन – मेरठ(1946 में)
अध्यक्ष – जे. बी. कृपलानी
जवाहरलाल नेहरू ने नवम्बर में इस्तिफा दे दिया अतः कृपलानी अध्यक्ष बनाये गये।
भारत की स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे
नवम्बर 1947 में इस्तीफा दिया अतः डा. राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बनाये गये।
Unattempted
व्याख्या-
54 वां अधिवेशन – मेरठ(1946 में)
अध्यक्ष – जे. बी. कृपलानी
जवाहरलाल नेहरू ने नवम्बर में इस्तिफा दे दिया अतः कृपलानी अध्यक्ष बनाये गये।
भारत की स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे
नवम्बर 1947 में इस्तीफा दिया अतः डा. राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बनाये गये।
Question 22 of 53
22. Question
2 points
निम्नलिखित में से किस अंग्रेज ने 1907 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में भाग लिया था?
Correct
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
इस अधिवेशन में रदरफोर्ड, मॉर्ले, मिन्टो आदि कोई उपस्थित नहीं थे।
इस अधिवेशन में विदेशी पत्रकार नेविन्सन उपस्थित थे |
Incorrect
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
इस अधिवेशन में रदरफोर्ड, मॉर्ले, मिन्टो आदि कोई उपस्थित नहीं थे।
इस अधिवेशन में विदेशी पत्रकार नेविन्सन उपस्थित थे |
Unattempted
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
इस अधिवेशन में रदरफोर्ड, मॉर्ले, मिन्टो आदि कोई उपस्थित नहीं थे।
इस अधिवेशन में विदेशी पत्रकार नेविन्सन उपस्थित थे |
Question 23 of 53
23. Question
2 points
1920 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी के असहयोग का समर्थन किसने किया था?
Correct
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Incorrect
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Unattempted
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Question 24 of 53
24. Question
2 points
सूरत अधिवेशन जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में पहली फूट पड़ी थी। कौन सा अधिवेशन था?
Correct
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
पुन: 23वां अधिवेशन 1908 ई. में मद्रास में सम्पन्न हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
पुन: 23वां अधिवेशन 1908 ई. में मद्रास में सम्पन्न हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
23 वां अधिवेशन – सूरत(1907 में)
अध्यक्ष – रास बिहारी घोष
कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन
पुन: 23वां अधिवेशन 1908 ई. में मद्रास में सम्पन्न हुआ।
Question 25 of 53
25. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कारा के निम्नलिखित में से किस अधिवेशन में ‘निकासी के सिद्धान्त’ को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया?
Correct
व्याख्या-
12 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1896 में)
संस्थापक – रहीमतुल्ला सयानी
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम पहली बार गाया गया – बकिंम चन्द्र चटर्जी ने।
दादा भाई नौराजी के धन बर्हिगमन के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।
♣*********♣
1905 ई0 में बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता कर गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में ‘स्वदेशी का समर्थन किया गया।
1906 ई0 में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता दादा भाई नौरोजी ने की थी।
कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन में स्वदेशी स्वराज और बहिष्कार का समर्थन किया गया।
Incorrect
व्याख्या-
12 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1896 में)
संस्थापक – रहीमतुल्ला सयानी
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम पहली बार गाया गया – बकिंम चन्द्र चटर्जी ने।
दादा भाई नौराजी के धन बर्हिगमन के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।
♣*********♣
1905 ई0 में बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता कर गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में ‘स्वदेशी का समर्थन किया गया।
1906 ई0 में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता दादा भाई नौरोजी ने की थी।
कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन में स्वदेशी स्वराज और बहिष्कार का समर्थन किया गया।
Unattempted
व्याख्या-
12 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1896 में)
संस्थापक – रहीमतुल्ला सयानी
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम पहली बार गाया गया – बकिंम चन्द्र चटर्जी ने।
दादा भाई नौराजी के धन बर्हिगमन के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।
♣*********♣
1905 ई0 में बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता कर गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
बनारस में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में ‘स्वदेशी का समर्थन किया गया।
1906 ई0 में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता दादा भाई नौरोजी ने की थी।
कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन में स्वदेशी स्वराज और बहिष्कार का समर्थन किया गया।
Question 26 of 53
26. Question
2 points
निम्नलिखित महिलाओं में से कौन अखिल भारतीय कांग्रेस की सर्वप्रथम अध्यक्षा हुई।
Correct
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Incorrect
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Unattempted
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Question 27 of 53
27. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार का रुख कांग्रेस के किस अधिवेशन से सख्त होने लगा था?
Correct
व्याख्या-
चौथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
इस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार का रुख कांग्रेस के प्रति सख्त होने लगा था
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Incorrect
व्याख्या-
चौथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
इस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार का रुख कांग्रेस के प्रति सख्त होने लगा था
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Unattempted
व्याख्या-
चौथा अधिवेशन – इलाहाबाद(1888 में)
अध्यक्ष – जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय)
प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल – हिन्दी में भाषण दिया।
गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया।
सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया।
यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने।
इस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार का रुख कांग्रेस के प्रति सख्त होने लगा था
लार्ड डफरिन – कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है।
विपिन चन्द्रपाल – कांग्रेस को याचना संस्था कहा।
अश्वनी कुमार दत्त – तीन दिनो का तमाशा कहा।
Question 28 of 53
28. Question
2 points
इण्डियन नेशनल कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन थी?
Correct
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Incorrect
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Unattempted
व्याख्या-
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Question 29 of 53
29. Question
2 points
जवाहर लाल नेहरू प्रथम बार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?
Correct
व्याख्या.
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू( प्रथम बार)
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।(31 दिसंबर 1929 को)
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Incorrect
व्याख्या.
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू( प्रथम बार)
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।(31 दिसंबर 1929 को)
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Unattempted
व्याख्या.
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू( प्रथम बार)
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।(31 दिसंबर 1929 को)
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Question 30 of 53
30. Question
2 points
वक्तव्य (A) : 1888 में सैयद अहमद खाँ ने यूनाइटेड इंडियन पेट्रियाटिक एसोसिएशन की स्थापना की।
तर्क (R) : वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रभाव का प्रतिकार करना चाहते थे।
Correct
व्याख्या-
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस की स्थापना का विरोध किया
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस के विरोध में 1888 ई0 में “यूनाइटेड इण्डिया गैट्रियाटिक एसोसिएशन” की स्थापना की।
सैयद अहमद खाँ इण्डियन कांग्रेस के प्रभाव का प्रतिकार करना चाहते ।
सैयद अहमद खाँ का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों तथा मुसलमानों के सम्बन्धों को ठीक करना था।
Incorrect
व्याख्या-
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस की स्थापना का विरोध किया
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस के विरोध में 1888 ई0 में “यूनाइटेड इण्डिया गैट्रियाटिक एसोसिएशन” की स्थापना की।
सैयद अहमद खाँ इण्डियन कांग्रेस के प्रभाव का प्रतिकार करना चाहते ।
सैयद अहमद खाँ का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों तथा मुसलमानों के सम्बन्धों को ठीक करना था।
Unattempted
व्याख्या-
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस की स्थापना का विरोध किया
सैयद अहमद खाँ ने कांग्रेस के विरोध में 1888 ई0 में “यूनाइटेड इण्डिया गैट्रियाटिक एसोसिएशन” की स्थापना की।
सैयद अहमद खाँ इण्डियन कांग्रेस के प्रभाव का प्रतिकार करना चाहते ।
सैयद अहमद खाँ का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों तथा मुसलमानों के सम्बन्धों को ठीक करना था।
Question 31 of 53
31. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन का अध्यक्ष था?
Correct
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Incorrect
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Unattempted
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Question 32 of 53
32. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक थे
Correct
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ए.ओ.ह्यूम (कांग्रेस के संस्थापक)ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
इस अधिवेशन में ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Incorrect
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ए.ओ.ह्यूम (कांग्रेस के संस्थापक)ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
इस अधिवेशन में ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Unattempted
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-
ए.ओ.ह्यूम (कांग्रेस के संस्थापक)ने 1884 ई० में “इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संगठन की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
काँग्रेस शब्द उत्तरी अमेरिका से लिया गया है। जिसका अर्थ है “लोगों का समूह”।
1885 ई० में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर इण्डियन नेशनल यूनियन’ का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रख दिया
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
काँग्रेस के संस्थापक ए.ओ. हयूम कभी इसके अध्यक्ष नहीं रहे।
वह आजीवन इसके महासचिव के पद पर रहे।
27 वां अधिवेशन – बाकीपुर(1912 में)
अध्यक्ष – आर. एन. मुधोलकर
इस अधिवेशन में ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
Question 33 of 53
33. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे.
Correct
व्याख्या-
प्रथम अधिवेशन – बम्बई में(1885)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
लार्ड डफरिन उस समय वायसराय था।
दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर इसका नाम – भारतीय राष्ट्रीय संघ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कुल प्रतिनिधि – 72
पहले यह अधिवेशन पूणें में आयोजित था लेकिन वहां अकाल के कारण बम्बई में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय मेें हुआ।
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी प्रथम अधिवेशन में शामिल नही हुए क्योंकि कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन के दुसरे नेशनल कान्फ्रेस की अध्यक्षता कर रहे थे।
प्रथम अधिवेशन में कुल 9 प्रस्ताव रखे गये सरकार के सामने
हिन्दु पत्रिका में 5 दिसम्बर 1885 को इसके स्थापना की घोषण की गयी थी।
Incorrect
व्याख्या-
प्रथम अधिवेशन – बम्बई में(1885)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
लार्ड डफरिन उस समय वायसराय था।
दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर इसका नाम – भारतीय राष्ट्रीय संघ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कुल प्रतिनिधि – 72
पहले यह अधिवेशन पूणें में आयोजित था लेकिन वहां अकाल के कारण बम्बई में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय मेें हुआ।
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी प्रथम अधिवेशन में शामिल नही हुए क्योंकि कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन के दुसरे नेशनल कान्फ्रेस की अध्यक्षता कर रहे थे।
प्रथम अधिवेशन में कुल 9 प्रस्ताव रखे गये सरकार के सामने
हिन्दु पत्रिका में 5 दिसम्बर 1885 को इसके स्थापना की घोषण की गयी थी।
Unattempted
व्याख्या-
प्रथम अधिवेशन – बम्बई में(1885)
अध्यक्ष – व्योमेश चन्द्र बनर्जी
लार्ड डफरिन उस समय वायसराय था।
दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर इसका नाम – भारतीय राष्ट्रीय संघ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कुल प्रतिनिधि – 72
पहले यह अधिवेशन पूणें में आयोजित था लेकिन वहां अकाल के कारण बम्बई में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय मेें हुआ।
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी प्रथम अधिवेशन में शामिल नही हुए क्योंकि कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन के दुसरे नेशनल कान्फ्रेस की अध्यक्षता कर रहे थे।
प्रथम अधिवेशन में कुल 9 प्रस्ताव रखे गये सरकार के सामने
हिन्दु पत्रिका में 5 दिसम्बर 1885 को इसके स्थापना की घोषण की गयी थी।
Question 34 of 53
34. Question
2 points
सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए-
Correct
व्याख्या-
51 वां अधिवेशन – हरिपुरा, गुजरात(1938 में)
अध्यक्ष – सुभाष चन्द्र बोस
राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन – अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू(रोमन लिपि लागु करने की वकालत की – बोस ने)
गांधी जी के प्रतिनिधि पट्टाभि सीतारमैया को हटाया, गांधी जी से विवाद होने पर इस्तीफा देकर फाडवर्ड ब्लाक की स्थापना की।
बाद में अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद ने की।
54 वां अधिवेशन – मेरठ(1946 में)
अध्यक्ष – जे. बी. कृपलानी
जवाहरलाल नेहरू ने नवम्बर में इस्तिफा दे दिया अतः कृपलानी अध्यक्ष बनाये गये।
स्वतंत्रता प्राप्ति तक कृपलानी ही कांग्रेस अध्यक्ष थे।
नवम्बर 1947 में इस्तीफा दिया अतः डा. राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बनाये गये।
21 वां अधिवेशन – वाराणसी(1905 में)
अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण गोखले
स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन देने की बात कही – यह बंगाल विभाजन के विरोध में चलाया गया।
विपक्ष का नेता की उपाधि – गोखले को
11 वां अधिवेशन – पूना(1895 में)
अध्यक्ष – सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
तिलक ने एम जी रानाडे द्वारा प्रारंभ सोसल कांफ्रेस को कांग्रेस मंच से बंद करवा दिया।
बी.जी.तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बने
Question 36 of 53
36. Question
2 points
1906 में कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था?
Correct
व्याख्या. –
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
इस सम्मेलन में स्वदेशी आंदोलन बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा से सम्बद्ध प्रस्ताव पारित किया गया।
Incorrect
व्याख्या. –
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
इस सम्मेलन में स्वदेशी आंदोलन बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा से सम्बद्ध प्रस्ताव पारित किया गया।
Unattempted
व्याख्या. –
22 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1906 में)
अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये।
कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग – नौरोजी द्वारा।
इस सम्मेलन में स्वदेशी आंदोलन बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा से सम्बद्ध प्रस्ताव पारित किया गया।
Question 37 of 53
37. Question
2 points
पूर्ण स्वराज की घोषणा (1929) कांग्रेस के किस अधिवेशन में हुई?
Correct
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Incorrect
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Unattempted
व्याख्या-
44 वां अधिवेशन – लाहौर(1929 में)
अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू
इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू प्रथम चार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कर बने थे
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।
1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा फहराया
प्रत्येक 26 जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
Question 38 of 53
38. Question
2 points
कलकत्ता अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव का विरोध किसने किया?
Correct
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Incorrect
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Unattempted
व्याख्या-
वर्ष 1920 (विशेष सत्र): कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
गांधी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन मोतीलाल नेहरू ने किया।
सी०आर० दास, मदनमोहन मालवीय और विपिन चन्द्र पाल ने असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया।
सी०आर० दास ने 1920 के नागपुर के वार्षिक अधिवेशन में अपना विरोध वापस ले लिया
Question 39 of 53
39. Question
2 points
कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष कौन थी?
Correct
व्याख्या
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
******
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Incorrect
व्याख्या
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
******
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Unattempted
व्याख्या
32 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1917 में)-
अध्यक्ष – ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष)
सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया।
ऐनी बेसेन्ट एक आयरिश महिला थीं
40 वां अधिवेशन – कानपुर(1925 में)-
अध्यक्ष – सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष)
हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका।
सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था।
******
नेलनी सेनगुप्त 1933 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षा हुई।
नेलनी सेनगुप्त प्रथम अग्रेज महिला अध्यक्ष थी
Question 40 of 53
40. Question
2 points
वह कांग्रेस प्रेसीडेन्ट कौन था जिसने 1942 ई. में क्रिप्स के साथ तथा शिमला कांग्रेस में वेवेल के साथ वार्ता की थीः
Correct
व्याख्या.
अबुल कलाम आजाद 17 मार्च, 1940 ई.से नवम्बर 1945 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
अबुल कलाम आजाद ने क्रिप्स के साथ वार्ता की तथा शिमला में वेवेल के साथ शिमला सम्मेलन में भाग लिया था।
अबुल कलाम आजाद – सबसे लम्बे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे(1940 से 1945 तक)।
Incorrect
व्याख्या.
अबुल कलाम आजाद 17 मार्च, 1940 ई.से नवम्बर 1945 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
अबुल कलाम आजाद ने क्रिप्स के साथ वार्ता की तथा शिमला में वेवेल के साथ शिमला सम्मेलन में भाग लिया था।
अबुल कलाम आजाद – सबसे लम्बे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे(1940 से 1945 तक)।
Unattempted
व्याख्या.
अबुल कलाम आजाद 17 मार्च, 1940 ई.से नवम्बर 1945 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
अबुल कलाम आजाद ने क्रिप्स के साथ वार्ता की तथा शिमला में वेवेल के साथ शिमला सम्मेलन में भाग लिया था।
अबुल कलाम आजाद – सबसे लम्बे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे(1940 से 1945 तक)।
Question 41 of 53
41. Question
2 points
1939 ई. के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष चन्द्रवोस अध्यक्ष निर्वाचित हुए किन्तु उन्होंने त्याग पत्र दे दिया, इसके बाद किसे अध्यक्ष बनाया गया?
Correct
व्याख्या-
51 वां अधिवेशन – हरिपुरा, गुजरात(1938 में)
अध्यक्ष – सुभाष चन्द्र बोस
राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन – अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू(रोमन लिपि लागु करने की वकालत की – बोस ने)
1939 के चुनाव में गांधी जी के प्रतिनिधि पट्टाभि सीतारमैया को हरा दिया
1939 में गांधी जी से विवाद होने पर सुभाष चन्द्र बोस ने इस्तीफा देकर फाडवर्ड ब्लाक की स्थापना की।
बाद में अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद ने की।
Question 42 of 53
42. Question
2 points
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ए० ओ० ह्यूम की अधिकारिक पदस्थिति क्या थी?
Correct
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉट लैण्ड के निवासी थे।
1885 ई0 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महामन्त्री/महासचिव पद पर नियुक्त हुए
इस पद पर उन्होंने 1907 ई0 तक कार्य किया।
1912 में ह्यूम की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने इन्हें अपना जन्मदाता एवं पिता घोषित किया
Incorrect
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉट लैण्ड के निवासी थे।
1885 ई0 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महामन्त्री/महासचिव पद पर नियुक्त हुए
इस पद पर उन्होंने 1907 ई0 तक कार्य किया।
1912 में ह्यूम की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने इन्हें अपना जन्मदाता एवं पिता घोषित किया
Unattempted
व्याख्या-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉट लैण्ड के निवासी थे।
1885 ई0 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महामन्त्री/महासचिव पद पर नियुक्त हुए
इस पद पर उन्होंने 1907 ई0 तक कार्य किया।
1912 में ह्यूम की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने इन्हें अपना जन्मदाता एवं पिता घोषित किया
Question 43 of 53
43. Question
2 points
रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पहली बार कांग्रेस के किस अधिवेशन में गाया गया था?
Correct
व्याख्या-
26 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1911 में)
अध्यक्ष – विशन नारायण धर
रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान – (जनगण मन) पहली बार गाया गया – 27 दिसम्बर 1911
Incorrect
व्याख्या-
26 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1911 में)
अध्यक्ष – विशन नारायण धर
रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान – (जनगण मन) पहली बार गाया गया – 27 दिसम्बर 1911
Unattempted
व्याख्या-
26 वां अधिवेशन – कलकत्ता(1911 में)
अध्यक्ष – विशन नारायण धर
रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान – (जनगण मन) पहली बार गाया गया – 27 दिसम्बर 1911
Question 44 of 53
44. Question
2 points
तेजपाल भवन सम्बन्धित है :
Correct
व्याख्या-
28 दिसम्बर, 1885 ई.में बम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कालेज के भवन में व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ।
इसके संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम थे।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
Incorrect
व्याख्या-
28 दिसम्बर, 1885 ई.में बम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कालेज के भवन में व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ।
इसके संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम थे।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
Unattempted
व्याख्या-
28 दिसम्बर, 1885 ई.में बम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कालेज के भवन में व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ।
इसके संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम थे।
इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
Question 45 of 53
45. Question
2 points
निम्नलिखित में से किसे सुभाषचन्द्र बोस के त्यागपत्र के पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था?
Correct
व्याख्या-
51 वां अधिवेशन – हरिपुरा, गुजरात(1938 में)
अध्यक्ष – सुभाष चन्द्र बोस
राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन – अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू(रोमन लिपि लागु करने की वकालत की – बोस ने)
1939 के चुनाव में गांधी जी के प्रतिनिधि पट्टाभि सीतारमैया को हरा दिया
1939 में गांधी जी से विवाद होने पर सुभाष चन्द्र बोस ने इस्तीफा देकर फाडवर्ड ब्लाक की स्थापना की।
बाद में अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद ने की।
Question 51 of 53
51. Question
2 points
बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में अंतिम रूप से भाग लिया था?
Correct
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
बाल गंगाधन तिलक 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में अन्तिम रुप से भाग लिए।
Incorrect
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
बाल गंगाधन तिलक 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में अन्तिम रुप से भाग लिए।
Unattempted
व्याख्या-
31 वां अधिवेशन – लखनऊ(1916 में)
अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार
कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही।
तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ – लखनऊ समझौता/कांग्रेस – लीग पैक्ट
मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया।
मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा – बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा।
कांग्रेस ने मार्ले – मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी।
बाल गंगाधन तिलक 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में अन्तिम रुप से भाग लिए।
Question 52 of 53
52. Question
2 points
मदन मोहन मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कितनी बार चुने गये थे?
Correct
व्याख्या-
*** मदन मोहन मालवीय ने पहली बार वह 1909 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की
33 वां अधिवेशन – दिल्ली(1918 में)
अध्यक्ष – मदन मोहन मालवीय
हिन्दी भाषा के प्रयोग पर जोर
कांग्रेस का दुसरा विभाजन
इस अधिवेशन का अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक को चुना गया था लेकिन वेलेन्टाइल सिराल से सम्बधित मुकदमें के सिलसिले में वे ब्रिटेन चले गये थे।
वेलेन्टाइल सिराल ने तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा था।
मैक्स मुलर ने तिलक को सजा सुनाये जाने के पश्चात् 17 फरवरी 1898 को प्रिवी कौंसिल के सदस्य सन जान लुब्बाक से एक पत्र में दया की वकालत करते हुए कहा – “ संस्कृत के एक विद्वान के रूप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है।”
केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला कर 1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा हुई।
माण्डले जेल(वर्मा) में ही इन्होंने “गीता रहस्य” नामक पुस्तक लिखी थी।
महाराष्ट्र में गणपति पर्व का श्रीगणेश – बाल गंगाधर तिलक ने किया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला विशेष अधिवेशन – 1918 में(बम्बई) अध्यक्ष – सैयद हसन इमाम
मौलिक अधिकारों की मांग की गयी तथा रौलेट एक्ट पर विचार विमर्श के लिए अधिवेशन
Incorrect
व्याख्या-
*** मदन मोहन मालवीय ने पहली बार वह 1909 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की
33 वां अधिवेशन – दिल्ली(1918 में)
अध्यक्ष – मदन मोहन मालवीय
हिन्दी भाषा के प्रयोग पर जोर
कांग्रेस का दुसरा विभाजन
इस अधिवेशन का अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक को चुना गया था लेकिन वेलेन्टाइल सिराल से सम्बधित मुकदमें के सिलसिले में वे ब्रिटेन चले गये थे।
वेलेन्टाइल सिराल ने तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा था।
मैक्स मुलर ने तिलक को सजा सुनाये जाने के पश्चात् 17 फरवरी 1898 को प्रिवी कौंसिल के सदस्य सन जान लुब्बाक से एक पत्र में दया की वकालत करते हुए कहा – “ संस्कृत के एक विद्वान के रूप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है।”
केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला कर 1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा हुई।
माण्डले जेल(वर्मा) में ही इन्होंने “गीता रहस्य” नामक पुस्तक लिखी थी।
महाराष्ट्र में गणपति पर्व का श्रीगणेश – बाल गंगाधर तिलक ने किया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला विशेष अधिवेशन – 1918 में(बम्बई) अध्यक्ष – सैयद हसन इमाम
मौलिक अधिकारों की मांग की गयी तथा रौलेट एक्ट पर विचार विमर्श के लिए अधिवेशन
Unattempted
व्याख्या-
*** मदन मोहन मालवीय ने पहली बार वह 1909 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की
33 वां अधिवेशन – दिल्ली(1918 में)
अध्यक्ष – मदन मोहन मालवीय
हिन्दी भाषा के प्रयोग पर जोर
कांग्रेस का दुसरा विभाजन
इस अधिवेशन का अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक को चुना गया था लेकिन वेलेन्टाइल सिराल से सम्बधित मुकदमें के सिलसिले में वे ब्रिटेन चले गये थे।
वेलेन्टाइल सिराल ने तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा था।
मैक्स मुलर ने तिलक को सजा सुनाये जाने के पश्चात् 17 फरवरी 1898 को प्रिवी कौंसिल के सदस्य सन जान लुब्बाक से एक पत्र में दया की वकालत करते हुए कहा – “ संस्कृत के एक विद्वान के रूप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है।”
केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला कर 1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा हुई।
माण्डले जेल(वर्मा) में ही इन्होंने “गीता रहस्य” नामक पुस्तक लिखी थी।
महाराष्ट्र में गणपति पर्व का श्रीगणेश – बाल गंगाधर तिलक ने किया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला विशेष अधिवेशन – 1918 में(बम्बई) अध्यक्ष – सैयद हसन इमाम
मौलिक अधिकारों की मांग की गयी तथा रौलेट एक्ट पर विचार विमर्श के लिए अधिवेशन
Question 53 of 53
53. Question
2 points
महात्मा गांधी ने किसमें भाग नहीं लिया था?
Correct
व्याख्या-
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
त्रिपुरी अधिवेशन में वामपन्थी वर्चस्व के कारण गांधीजी ने भाग नहीं लिया। तथा अपने प्रतिनिधि के रूप में गोविन्द वल्लभ पंत को भेजा।
लाहौर अधिवेशन, 1929 व हरिपुरा अधिवेशन, 1938 में गाँधी जी ने भाग लिया
Incorrect
व्याख्या-
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
त्रिपुरी अधिवेशन में वामपन्थी वर्चस्व के कारण गांधीजी ने भाग नहीं लिया। तथा अपने प्रतिनिधि के रूप में गोविन्द वल्लभ पंत को भेजा।
लाहौर अधिवेशन, 1929 व हरिपुरा अधिवेशन, 1938 में गाँधी जी ने भाग लिया
Unattempted
व्याख्या-
39 वां अधिवेशन – बेलगांव(1924 में)
अध्यक्ष – महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष)
कांग्रेस – मुस्लिम-लीग अलग हो गये।
गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति।
त्रिपुरी अधिवेशन में वामपन्थी वर्चस्व के कारण गांधीजी ने भाग नहीं लिया। तथा अपने प्रतिनिधि के रूप में गोविन्द वल्लभ पंत को भेजा।
लाहौर अधिवेशन, 1929 व हरिपुरा अधिवेशन, 1938 में गाँधी जी ने भाग लिया