निम्नलिखित में से वह कौन-सी नदी है जिसे लोथल का गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा हुआ है? .
Correct
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Incorrect
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Unattempted
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Question 2 of 10
2. Question
1 points
उत्तर-हड़प्पा काल की ताम्र-निधि संस्कृति निम्नलिखित में से किस एक मृद भांड प्रकार से अंतरिम रूप से पहचानी गई है?
Correct
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Incorrect
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Unattempted
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Question 3 of 10
3. Question
1 points
सिंधु घाटी सभ्यता के संदर्भ में, निम्नलिखित पशुओं पर विचार कीजिए :
बैल 2. हाथी 3. गैंडा
उपर्युक्त में से किस पशु/किन पशुओं की आकृति/आकृतियों सिन्धु मुद्राओं पर पाई जाती है/हैं?
Correct
व्याख्या-
हड़प्पा संस्कृति की मुहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंग पशु की आकृतियां मिलती हैं।
एक श्रृंग पशु की आकृतियां के अतिरिक्त बैल, हाथी, बाघ, भैंसा, गैंडा, कछुआ, घड़ियाल, बन्दर, भेड़ा, बकरा, खरगोश आदि की आकृतियां भी मिलती हैं।
सिन्धु सभ्यता की मुहरों पर गाय एवं घोड़े की आकृतियां नहीं मिली।
Incorrect
व्याख्या-
हड़प्पा संस्कृति की मुहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंग पशु की आकृतियां मिलती हैं।
एक श्रृंग पशु की आकृतियां के अतिरिक्त बैल, हाथी, बाघ, भैंसा, गैंडा, कछुआ, घड़ियाल, बन्दर, भेड़ा, बकरा, खरगोश आदि की आकृतियां भी मिलती हैं।
सिन्धु सभ्यता की मुहरों पर गाय एवं घोड़े की आकृतियां नहीं मिली।
Unattempted
व्याख्या-
हड़प्पा संस्कृति की मुहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंग पशु की आकृतियां मिलती हैं।
एक श्रृंग पशु की आकृतियां के अतिरिक्त बैल, हाथी, बाघ, भैंसा, गैंडा, कछुआ, घड़ियाल, बन्दर, भेड़ा, बकरा, खरगोश आदि की आकृतियां भी मिलती हैं।
सिन्धु सभ्यता की मुहरों पर गाय एवं घोड़े की आकृतियां नहीं मिली।
Question 4 of 10
4. Question
1 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
मोहन जोदड़ो में आवास निर्माण में कभी चूना गहरा का प्रयोग नहीं हुआ।
धौलावीरा में आवास निर्माण में कभी पत्थर का प्रयोग नहीं हुआ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो-
मोहनजोदड़ो (जिसका अर्थ है मुर्दो का टीला) सिंध के लरकाना जिले में स्थित है।
मोहनजोदड़ो का उत्खनन सर्वप्रथम 1922 में आर०डी० बनर्जी, तत्पश्चात् सरजॉन मार्शल (1922 30) ई०जे०एच० मैके (1927-31), एम०एस० हवीलर (1930-47) एवं सी०जी०एफ० डेल्स (1964-66) ने किया,
मोहनजोदड़ो से भवनों के सात क्रमिक स्तरों के साथ-साथ सिन्धु सभ्यता के अनेक अवशेष प्रकाश में आए।
मोहनजोदड़ों का सबसे प्रसिद्ध भवन विशाल स्नानागार है।
दुर्ग क्षेत्र में स्थित स्नानागार भवन ईट के काम का सुन्दर नमूना है।
स्नानागार एक आयताकार जलाशय है जो उत्तर से दक्षिण 11,88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है।
स्नानागार के उत्तरी और दक्षिणी तरफ सीढ़िया है,
स्नानागार में जल रिसाव को रोकने के लिए पक्की ईटों के किनारों को चूने के गारे से जोड़ा गया था
बाहरी और भीतरी ईटों के बीच तारकोल की परत लगाई गयी थी।
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Incorrect
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो-
मोहनजोदड़ो (जिसका अर्थ है मुर्दो का टीला) सिंध के लरकाना जिले में स्थित है।
मोहनजोदड़ो का उत्खनन सर्वप्रथम 1922 में आर०डी० बनर्जी, तत्पश्चात् सरजॉन मार्शल (1922 30) ई०जे०एच० मैके (1927-31), एम०एस० हवीलर (1930-47) एवं सी०जी०एफ० डेल्स (1964-66) ने किया,
मोहनजोदड़ो से भवनों के सात क्रमिक स्तरों के साथ-साथ सिन्धु सभ्यता के अनेक अवशेष प्रकाश में आए।
मोहनजोदड़ों का सबसे प्रसिद्ध भवन विशाल स्नानागार है।
दुर्ग क्षेत्र में स्थित स्नानागार भवन ईट के काम का सुन्दर नमूना है।
स्नानागार एक आयताकार जलाशय है जो उत्तर से दक्षिण 11,88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है।
स्नानागार के उत्तरी और दक्षिणी तरफ सीढ़िया है,
स्नानागार में जल रिसाव को रोकने के लिए पक्की ईटों के किनारों को चूने के गारे से जोड़ा गया था
बाहरी और भीतरी ईटों के बीच तारकोल की परत लगाई गयी थी।
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Unattempted
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो-
मोहनजोदड़ो (जिसका अर्थ है मुर्दो का टीला) सिंध के लरकाना जिले में स्थित है।
मोहनजोदड़ो का उत्खनन सर्वप्रथम 1922 में आर०डी० बनर्जी, तत्पश्चात् सरजॉन मार्शल (1922 30) ई०जे०एच० मैके (1927-31), एम०एस० हवीलर (1930-47) एवं सी०जी०एफ० डेल्स (1964-66) ने किया,
मोहनजोदड़ो से भवनों के सात क्रमिक स्तरों के साथ-साथ सिन्धु सभ्यता के अनेक अवशेष प्रकाश में आए।
मोहनजोदड़ों का सबसे प्रसिद्ध भवन विशाल स्नानागार है।
दुर्ग क्षेत्र में स्थित स्नानागार भवन ईट के काम का सुन्दर नमूना है।
स्नानागार एक आयताकार जलाशय है जो उत्तर से दक्षिण 11,88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है।
स्नानागार के उत्तरी और दक्षिणी तरफ सीढ़िया है,
स्नानागार में जल रिसाव को रोकने के लिए पक्की ईटों के किनारों को चूने के गारे से जोड़ा गया था
बाहरी और भीतरी ईटों के बीच तारकोल की परत लगाई गयी थी।
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Question 5 of 10
5. Question
1 points
निर्देश:
कथन (A): हड़प्पा निवासियों के मेसोपोटामिया के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
कारण (R) : मेसोपोटामिया में बहुत सी हड़प्पा मुद्राएँ खोज में मिली है।
Correct
व्याख्या-
मेसोपोटामिया वर्तमान ईराक में अवस्थित एक प्राचीन सभ्यता का केन्द्र था।
हड़प्पा निवासियों के मेसोपोटामिया के साथ घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
मेसोपोटामिया के अनेक नगरों यथा- किश, हमा, लगश, निप्पुर, गावरा आदि से बड़ी संख्या में मुहरें मिली हैं। इस आधार पर निश्चित होता है
Incorrect
व्याख्या-
मेसोपोटामिया वर्तमान ईराक में अवस्थित एक प्राचीन सभ्यता का केन्द्र था।
हड़प्पा निवासियों के मेसोपोटामिया के साथ घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
मेसोपोटामिया के अनेक नगरों यथा- किश, हमा, लगश, निप्पुर, गावरा आदि से बड़ी संख्या में मुहरें मिली हैं। इस आधार पर निश्चित होता है
Unattempted
व्याख्या-
मेसोपोटामिया वर्तमान ईराक में अवस्थित एक प्राचीन सभ्यता का केन्द्र था।
हड़प्पा निवासियों के मेसोपोटामिया के साथ घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
मेसोपोटामिया के अनेक नगरों यथा- किश, हमा, लगश, निप्पुर, गावरा आदि से बड़ी संख्या में मुहरें मिली हैं। इस आधार पर निश्चित होता है
Question 6 of 10
6. Question
1 points
हड़प्पा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(1) धौलावीरा नगर प्राचीर द्वारा संरक्षित समांतर-चतुर्भुज के आकार में था।
(2) कालीबंगा में नंगर प्राचीर के बाहर एक हल द्वारा जोता गया खेत मिला है जिसमें हल की लीकें बनी हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Correct
व्याख्या –
धौलावीरा में सैन्धव सभ्यता के एक ऐसे विकसित नगर विन्यास पाया गया है जो स्वयं में अद्वितीय है।
धौलावीरा नगर का विभाजन तीन भागों- दुर्ग, मध्यम नगर तथा निम्न नगर में प्राप्त हुआ है।
प्रत्येक भाग की अपनी किलेबन्दी की गयी थी तथा सम्पूर्ण एक रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था।
कालीबंगा के पूर्वकालीन स्तर से नगर प्राचीर के बाहर जुते हुये खेत के साक्ष्य मिले हैं।
कालीबंगा में आड़ी-तिरछी जुताई की गयी है।
कालीबंगा से एक ही खेत में दो फसले सरसों व चना उत्पादित करने के साक्ष्य भी प्राप्त होते हैं।
Incorrect
व्याख्या –
धौलावीरा में सैन्धव सभ्यता के एक ऐसे विकसित नगर विन्यास पाया गया है जो स्वयं में अद्वितीय है।
धौलावीरा नगर का विभाजन तीन भागों- दुर्ग, मध्यम नगर तथा निम्न नगर में प्राप्त हुआ है।
प्रत्येक भाग की अपनी किलेबन्दी की गयी थी तथा सम्पूर्ण एक रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था।
कालीबंगा के पूर्वकालीन स्तर से नगर प्राचीर के बाहर जुते हुये खेत के साक्ष्य मिले हैं।
कालीबंगा में आड़ी-तिरछी जुताई की गयी है।
कालीबंगा से एक ही खेत में दो फसले सरसों व चना उत्पादित करने के साक्ष्य भी प्राप्त होते हैं।
Unattempted
व्याख्या –
धौलावीरा में सैन्धव सभ्यता के एक ऐसे विकसित नगर विन्यास पाया गया है जो स्वयं में अद्वितीय है।
धौलावीरा नगर का विभाजन तीन भागों- दुर्ग, मध्यम नगर तथा निम्न नगर में प्राप्त हुआ है।
प्रत्येक भाग की अपनी किलेबन्दी की गयी थी तथा सम्पूर्ण एक रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था।
कालीबंगा के पूर्वकालीन स्तर से नगर प्राचीर के बाहर जुते हुये खेत के साक्ष्य मिले हैं।
कालीबंगा में आड़ी-तिरछी जुताई की गयी है।
कालीबंगा से एक ही खेत में दो फसले सरसों व चना उत्पादित करने के साक्ष्य भी प्राप्त होते हैं।
Question 7 of 10
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस सिन्धु घाटी स्थल से नाम-पट्टिका अभिलेख मिला है?
Correct
व्याख्या –
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख नाम-पट्टिका मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Incorrect
व्याख्या –
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख नाम-पट्टिका मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Unattempted
व्याख्या –
धौलावीरा –
गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख नगर है।
सर्वप्रथम इसकी खोज 1967-68 ई० में जे०पी० जोशी ने की थी।
धोलावीरा का व्यापक उत्खनन 1990-91 में डॉ० आर० एस० विष्ट ने किया था।
धौलावीरा की अपनी ही किस्म की अनेक विशेषताएं हैं जो किसी भी अन्य हड़प्पाकालीन स्थलों में नहीं पाई गई है।
हड़प्पाकालीन अन्य नगर दो भागों में- नगर दुर्ग तथा निचला नगर में विभाजित था किन्तु धौलावीरा तीन भागों-किला, मध्यमनगर एवं निचलानगर में विभाजित था
धौलावीरा में दो भाग आयताकार दुर्गबंदी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित था।
यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख नाम-पट्टिका मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
Question 8 of 10
8. Question
1 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
हड़प्पा के निवासी कपास उगाते थे तथा उसको उपयोग में लाते थे।
हड़प्पा के निवासियों को तांबा व कांस्य का कोई ज्ञान नहीं था। –
मानक हड़प्पा मुद्रा मिट्टी की बनी होती थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौनसा/से सही है/है?
Correct
व्याख्या-
सैंधव निवासियों का आर्थिक जीवन अत्यन्त विकसित अवस्था में था।
सैंधव निवासियों ने ही सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारम्भ किया था। इनके प्रमुख खाद्यान्न गेहूँ और जौ थे।
सैंधव कालीन लोगों को सोना, चाँदी, ताँबा तथा काँसा का ज्ञान था।
मोहनजोदड़ो से काँसे का भैंसा तथा भेड की मूर्तियाँ मिली है।
कालीबंगा से प्राप्त ताँबे की वृषभ मूर्ति अद्वितीय है।
सैंधव मुहरें अधिकांशत: सेलखड़ी’ की बनी होती थी।
लोथल और देसलपुर से ताँबे की बनी मुहरें मिली है।
मोहनजोदड़ो, कालीबंगा तथा लोथल से प्राप्त मुद्रांको पर एक और सैन्धव लिपि से युक्त मुहर की छाप है तथा दूसरी ओर भेजे जाने वाले माल का निशान अंकित है।
Incorrect
व्याख्या-
सैंधव निवासियों का आर्थिक जीवन अत्यन्त विकसित अवस्था में था।
सैंधव निवासियों ने ही सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारम्भ किया था। इनके प्रमुख खाद्यान्न गेहूँ और जौ थे।
सैंधव कालीन लोगों को सोना, चाँदी, ताँबा तथा काँसा का ज्ञान था।
मोहनजोदड़ो से काँसे का भैंसा तथा भेड की मूर्तियाँ मिली है।
कालीबंगा से प्राप्त ताँबे की वृषभ मूर्ति अद्वितीय है।
सैंधव मुहरें अधिकांशत: सेलखड़ी’ की बनी होती थी।
लोथल और देसलपुर से ताँबे की बनी मुहरें मिली है।
मोहनजोदड़ो, कालीबंगा तथा लोथल से प्राप्त मुद्रांको पर एक और सैन्धव लिपि से युक्त मुहर की छाप है तथा दूसरी ओर भेजे जाने वाले माल का निशान अंकित है।
Unattempted
व्याख्या-
सैंधव निवासियों का आर्थिक जीवन अत्यन्त विकसित अवस्था में था।
सैंधव निवासियों ने ही सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारम्भ किया था। इनके प्रमुख खाद्यान्न गेहूँ और जौ थे।
सैंधव कालीन लोगों को सोना, चाँदी, ताँबा तथा काँसा का ज्ञान था।
मोहनजोदड़ो से काँसे का भैंसा तथा भेड की मूर्तियाँ मिली है।
कालीबंगा से प्राप्त ताँबे की वृषभ मूर्ति अद्वितीय है।
सैंधव मुहरें अधिकांशत: सेलखड़ी’ की बनी होती थी।
लोथल और देसलपुर से ताँबे की बनी मुहरें मिली है।
मोहनजोदड़ो, कालीबंगा तथा लोथल से प्राप्त मुद्रांको पर एक और सैन्धव लिपि से युक्त मुहर की छाप है तथा दूसरी ओर भेजे जाने वाले माल का निशान अंकित है।
Question 9 of 10
9. Question
1 points
सची । को सूची ।। के साथ सही सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए
सूची। (हड़प्पा बस्तियाँ) सूची ॥ (नदिया)
A मोहनजोदड़ों 1. सिन्धु
B रोपड़ 2. घग्घर
C कालीबंगा 3. सतलज
D हड़प्पा 4. रावी
Correct
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)
दाढ़ी वाले आदमी की सेलखड़ी (स्टीटाइट) की प्रतिमा
कांस्य का भैंसा
मोहनजोदड़ो के भवन भी पकी ईंटों के बने थे
हड़प्पा-
खोज -1921
अवस्थिति-साहीवाल जिला, पंजाब; रावी नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-दया राम साहनी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
सिंधु लिपि के साथ मिट्टी के बर्तनों का टुकड़ा
घनाकार चूना पत्थर बाट (वजन)
मानव शरीर रचना विज्ञान की बलुआ पत्थर की मूर्तियाँ
धूसर पाषाण की पुरूष नर्तक आकृति
तांबे की बैलगाड़ी
अनाज का भंडार शव पेटिका (ताबूत) समाधि (केवल हड़प्पा में प्राप्त)
टेराकोटा मूर्तियां
कालीबंगा –
खोज -1953
अवस्थिति-हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान, घग्गर नदी के तट पर
उत्खनन कर्ता-अमलानंद घोष
प्रमुख उपलब्धियाँ-
कालीबंगा (जिसका शाब्दिक अर्थ है काली चूड़ियाँ)
गढ़ युक्त निचला शहर
लकड़ी की अपवाह प्रणाली
तांबे का बैल
भूकंप के साक्ष्य
लकड़ी के हल
ऊंट की हड्डी
अग्नि वेदियां
ऊंट की अस्थियां
हल के निशान वाली भूमि
स्वतन्त्रता के पश्चात सर्वप्रथम इसी स्थल पर उत्खनन किया गया।
रोपड़, पंजाब में बाड़ा के समीप सतलज नदी के बायें तट पर स्थित है। यहाँ के उत्खनन से संस्कृतियों के छ: स्तरीय अनुक्रम (हड़प्पा, चित्रित धूसर मृद्भाण्ड, उत्तरी काले पालिश वाले मृद्भाण्ड, कुषाण, गुप्त तथा मध्यकालीन) मिले हैं।
Incorrect
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)
दाढ़ी वाले आदमी की सेलखड़ी (स्टीटाइट) की प्रतिमा
कांस्य का भैंसा
मोहनजोदड़ो के भवन भी पकी ईंटों के बने थे
हड़प्पा-
खोज -1921
अवस्थिति-साहीवाल जिला, पंजाब; रावी नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-दया राम साहनी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
सिंधु लिपि के साथ मिट्टी के बर्तनों का टुकड़ा
घनाकार चूना पत्थर बाट (वजन)
मानव शरीर रचना विज्ञान की बलुआ पत्थर की मूर्तियाँ
धूसर पाषाण की पुरूष नर्तक आकृति
तांबे की बैलगाड़ी
अनाज का भंडार शव पेटिका (ताबूत) समाधि (केवल हड़प्पा में प्राप्त)
टेराकोटा मूर्तियां
कालीबंगा –
खोज -1953
अवस्थिति-हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान, घग्गर नदी के तट पर
उत्खनन कर्ता-अमलानंद घोष
प्रमुख उपलब्धियाँ-
कालीबंगा (जिसका शाब्दिक अर्थ है काली चूड़ियाँ)
गढ़ युक्त निचला शहर
लकड़ी की अपवाह प्रणाली
तांबे का बैल
भूकंप के साक्ष्य
लकड़ी के हल
ऊंट की हड्डी
अग्नि वेदियां
ऊंट की अस्थियां
हल के निशान वाली भूमि
स्वतन्त्रता के पश्चात सर्वप्रथम इसी स्थल पर उत्खनन किया गया।
रोपड़, पंजाब में बाड़ा के समीप सतलज नदी के बायें तट पर स्थित है। यहाँ के उत्खनन से संस्कृतियों के छ: स्तरीय अनुक्रम (हड़प्पा, चित्रित धूसर मृद्भाण्ड, उत्तरी काले पालिश वाले मृद्भाण्ड, कुषाण, गुप्त तथा मध्यकालीन) मिले हैं।
Unattempted
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)
दाढ़ी वाले आदमी की सेलखड़ी (स्टीटाइट) की प्रतिमा
कांस्य का भैंसा
मोहनजोदड़ो के भवन भी पकी ईंटों के बने थे
हड़प्पा-
खोज -1921
अवस्थिति-साहीवाल जिला, पंजाब; रावी नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-दया राम साहनी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
सिंधु लिपि के साथ मिट्टी के बर्तनों का टुकड़ा
घनाकार चूना पत्थर बाट (वजन)
मानव शरीर रचना विज्ञान की बलुआ पत्थर की मूर्तियाँ
धूसर पाषाण की पुरूष नर्तक आकृति
तांबे की बैलगाड़ी
अनाज का भंडार शव पेटिका (ताबूत) समाधि (केवल हड़प्पा में प्राप्त)
टेराकोटा मूर्तियां
कालीबंगा –
खोज -1953
अवस्थिति-हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान, घग्गर नदी के तट पर
उत्खनन कर्ता-अमलानंद घोष
प्रमुख उपलब्धियाँ-
कालीबंगा (जिसका शाब्दिक अर्थ है काली चूड़ियाँ)
गढ़ युक्त निचला शहर
लकड़ी की अपवाह प्रणाली
तांबे का बैल
भूकंप के साक्ष्य
लकड़ी के हल
ऊंट की हड्डी
अग्नि वेदियां
ऊंट की अस्थियां
हल के निशान वाली भूमि
स्वतन्त्रता के पश्चात सर्वप्रथम इसी स्थल पर उत्खनन किया गया।
रोपड़, पंजाब में बाड़ा के समीप सतलज नदी के बायें तट पर स्थित है। यहाँ के उत्खनन से संस्कृतियों के छ: स्तरीय अनुक्रम (हड़प्पा, चित्रित धूसर मृद्भाण्ड, उत्तरी काले पालिश वाले मृद्भाण्ड, कुषाण, गुप्त तथा मध्यकालीन) मिले हैं।
Question 10 of 10
10. Question
1 points
मोहनजोदड़ों के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन सही है?
Correct
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)
दाढ़ी वाले आदमी की सेलखड़ी (स्टीटाइट) की प्रतिमा
कांस्य का भैंसा
मोहनजोदड़ो के भवन भी पकी ईंटों के बने थे
Incorrect
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)
दाढ़ी वाले आदमी की सेलखड़ी (स्टीटाइट) की प्रतिमा
कांस्य का भैंसा
मोहनजोदड़ो के भवन भी पकी ईंटों के बने थे
Unattempted
व्याख्या-
मोहनजोदड़ो –
खोज -1922
अवस्थिति-सिंध का लरकाना जिला; सिंधु नदी के तट के समीप
उत्खनन कर्ता-राखल दास बनर्जी
प्रमुख उपलब्धियाँ-
महा स्नानागार (ग्रेट बाथ)
जलाशय का फर्श पकी ईंटो का बना है
फर्श तथा दीवार की जुड़ाई जिप्सम से की गई है।
बाहरी दीवार पर बिटूमेनस का एक ईंच मोटा प्लास्टर किया गया
स्नानागार में उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। ।
अन्नागार
एकशृंगी मुद्राएं/मुहर (यूनिकॉर्न सील)
कांसे की नर्तकी
हिरण, हाथी, बाघ एवं गैंडों के साथ एक आदमी की मुहर- (इसे पशुपति मुहर माना जाता है)