धर्म सुधार आन्दोलन मार्टिन लूथर जर्मनी का निवासी था मार्टिन लूथर ने ‘प्रोटेस्टेट आन्दोलन की शुरूआत की प्रोटेस्टेंट -पोप के आदेशों का विरोध करने वाले तथा लूथर के समर्थक ** मार्टिन लूथर ने अपने विचारों को स्पष्ट करने के लिए 1520 में, तीन लघु-पुस्तिकायें प्रकाशित की – To the Christian Nobility of the German Nation (जर्मन राष्ट्र के ईसाई कुलीन सांमतवर्ग के नाम) On the Babylonian Captivity and the Church (चर्च की बेबीलानियायी कैद) A Treatise on Christian Liberty (ईसाई मुक्ति-संहिता) 1520 में लूथर ने तीन महत्त्वपूर्ण लेख भी प्रस्तुत किये – Justification by Faith (निजी आस्था के माध्यम से पापमोचन) Primacy of Scripture (धर्मग्रंथ की प्रमुखता) Priesthood of all Believers (समस्त आस्थावानों का पादरीवाद) प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार- चिन्तन-मनन की प्रक्रिया में मार्टिन लूथर ने उस विशिष्ट सिद्धान्त को प्रस्तुत किया जो बाद में प्रोटेस्टेण्टवाद का आधार बना था। इस सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों से नहीं बल्कि श्रद्धा एवं विश्वास से ईश्वर तक पहुँच सकता है। इस सिद्धान्त को ‘जस्टिफिकेशन बाई फेथ (श्रद्धा के माध्यम से पापमुक्ति) के नाम से जाना जाता है। लूथर ने इन लेख व पुस्तिकाओं में प्रोटेस्टेण्ट आन्दोलन की आधारभूत मान्यताओ का प्रतिपादन है। लूथर ने मोक्ष या पापमुक्ति के लिए बाह्य सत्कर्मों के स्थान पर ईश्वर के अनुग्रह एवं दया में विश्वास को आवश्यक बताया। लूथर ने पादरियों द्वारा बाईबिल की व्याख्या के स्थान पर स्वयं द्वारा बाईबिल को मान्यता देने का आग्रह किया। लूथर ने ‘विश्वास के द्वारा पापमुक्ति और बाईबिल की निजी व्याख्या का अधिकार देकर अपना व्यक्तिवादी तर्क प्रस्तुत किया। पोप द्वारा पाप मोचन पत्रों की बिक्री करना ही मार्टिन लूथर का पोप के विरूद्ध होने का तत्कालीन कारण था 1511 में लूथर को रोम जाने का मौका मिला। वहाँ चर्च के विकृत रूप व पोप में अनेकानेक दोष देखकर उसे अत्यन्त क्षोम हुआ पर उसकी आस्था कम नहीं हुई। लूथर का कथन – “ईसाई जितना समीप रोम के जाता है, वह भगवान से उतना ही दूर हो जाता है। यह किसका कथन है फिलिप द्वितीय का कथन -‘मैंने तुम्हें मनुष्य से युद्ध करने भेजा था, न कि प्रकृति से। वाल्तेयर का कथन -“आस्ट्रिया साम्राज्य न तो पवित्र था, न रोमन और न ही साम्राज्य था। इरेस्मस का कथन -मेरा हृदय कैथोलिक है किन्तु पेट लूथरवादी जान हस और सेवोनारोला धर्म सुधारकों को पोप और चर्च की आलोचना करने के कारण जिंदा जला दिया ज्विंग्ली स्विट्जरलैण्ड का निवासी था ज्विंगली ने स्विट्जरलैण्ड में धर्म सुधार आन्दोलन का नेतृत्व किया काल्विन फ्रांसीसी था काल्विन ने स्विट्जरलैण्ड में प्रोटेस्टेंट मत का प्रचार किया जॉन वाइक्लिफ को ‘द मोनिंग स्टार ऑफ रिफार्मेशन’ कहा जाता है 1888 में इंग्लैण्ड में रक्तहीन क्रांति हुई इंग्लैण्ड का मुख्य धर्म ऐंग्लिकनवाद था चार्ल्स प्रथम एकमात्र ब्रिटिश शासक था जिसे फाँसी की सजा दी गई 1534 ई. में इग्नेशियस लायेला ने जैसुइट संघ की स्थापना की थी जेसुइट धर्मसंघ संख्या कीदृष्टि से रोमन कैथालिक धर्म का सबसे बड़ा धर्मसंघ। पोप पौलुस तृतीय ने 1540 ई. में इसका अनुमोदन किया था ‘प्रेसबिटर्स’ – बूढ़े पादरी आग्सबर्ग की संधि- जर्मनी में लम्बे गृहयुद्ध के बाद 1555 में प्रिंस फर्डिनेण्ड ने प्रोटेस्टेण्टों के साथ आग्सबर्ग संधि की दी इंस्टीट्यूट ऑफ द क्रिश्चियन रिलीजन’ काल्विन की कृति है** जॉन वाईक्लिफ को धर्म सुधार आन्दोलन का ‘मोर्निंग स्टार’ कहा जाता है ‘लोलाई’ जॉन वाइक्लिफ के समर्थक माने जाते थे फ्रांस में काल्विनवादियों को ह्यूगोनोट्स नाम से जाना जाता है यूरोप में धार्मिक आन्दोलन के पुनर्जागरण काल में विकसित होने का कारण आन्दोलन राष्ट्रीय राजतन्त्र से प्रेरित था? इरेस्मस का कथन -मेरा हृदय कैथोलिक है किन्तु पेट लूथरवादी समाज सुधारक जॉन हस जॉन हस का निवासी था इरेस्मस को ‘यूरोप का विद्वान’ कहा जाता है। मार्टिन लूथर ने इरेस्मस को ‘हमारे अलंकरण एवं आशा’ कहा था इरेस्मस की रचना – द हैंडबुक ऑफ द क्रिश्चियन थाट एण्ड मैथड ऑफ टू थियोलॉजी कॉलोक्वीज जूलियस का निष्कासन 1511 में लिखित पुस्तक ‘इन द प्रेज ऑफ फॉली’ का लेखक इरेस्मस था ईसाई मानवतावादी– जॉन कालेट ,थॉमस मूर ,इरेस्मस , बपतिस्मा ,सैक्रामेन्ट ,कनफेशन पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में में कांसीलियर आन्दोलन द्वारा पाक्षिक परिषदों के माध्यम से पोप की शक्ति को कम करने का प्रयास किया गया धार्मिक असहिष्णुता ही धर्म सुधार आन्दोलन का सबसे दुःखद परिणाम था NAND KISHOR Previous post पुनर्जागरण काल June 17, 2022 Next post History test 1 June 29, 2022