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Question 1 of 37
1. Question
निम्न में से किस सुल्तान ने जैन संत जम्बुजी को भू-अनुदान प्रदान किया था- .
Correct
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व का शासक था।
मुहम्मद बिन तुगलक अरबी एवं फारसी का महान विद्वान था।
मुहम्मद बिन तुगलक गुजरात प्रवास के दौरान मोहम्मद बिन तुगलक ने अनेक जैन मंदिरों एवं जैन संतों को भू-अनुदान दिये थे।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जिनप्रभु सूरी, राजशेखर जैसे जैन विद्वानों का आदर किया तथा उन्हें संरक्षण प्रदान किया था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान जम्बूजी के साथ वाद-विवाद करने के बाद उन्हें भू-अनुदान ,धन आदि भेंट स्वरूप प्रदान किये।
Incorrect
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व का शासक था।
मुहम्मद बिन तुगलक अरबी एवं फारसी का महान विद्वान था।
मुहम्मद बिन तुगलक गुजरात प्रवास के दौरान मोहम्मद बिन तुगलक ने अनेक जैन मंदिरों एवं जैन संतों को भू-अनुदान दिये थे।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जिनप्रभु सूरी, राजशेखर जैसे जैन विद्वानों का आदर किया तथा उन्हें संरक्षण प्रदान किया था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान जम्बूजी के साथ वाद-विवाद करने के बाद उन्हें भू-अनुदान ,धन आदि भेंट स्वरूप प्रदान किये।
Unattempted
व्याख्या –
दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व का शासक था।
मुहम्मद बिन तुगलक अरबी एवं फारसी का महान विद्वान था।
मुहम्मद बिन तुगलक गुजरात प्रवास के दौरान मोहम्मद बिन तुगलक ने अनेक जैन मंदिरों एवं जैन संतों को भू-अनुदान दिये थे।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जिनप्रभु सूरी, राजशेखर जैसे जैन विद्वानों का आदर किया तथा उन्हें संरक्षण प्रदान किया था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान जम्बूजी के साथ वाद-विवाद करने के बाद उन्हें भू-अनुदान ,धन आदि भेंट स्वरूप प्रदान किये।
Question 2 of 37
2. Question
कथन (A) : बंगाल का हाजी इलियास, फिरोजशाह तुगलक द्वारा पराजित किया गया था परन्तु सुल्तान बंगाल को अपने राज्य में सम्मिलित किये बिना दिल्ली वापस लौट आया था।
कारण (R) : मंगोलों द्वारा उत्तरी पश्चिमी सीमा पर सहसा आक्रमण कर दिया गया था।
Correct
व्याख्या-
बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के समय में ही स्वतन्त्र हो गया था।
फिरोज शाह ने बंगाल के विरूद्ध उसने अपना पहला प्रयास 1353-54 ई. में किया।
बंगाल का शासक हाजी इलियास एक खूनी लड़ाई में भाग कर एकदला के किले में छुप गया।
फिरोज शाह का सेनापति तातार खां ने बंगाल को जीत लिया।
सुल्तान बंगाल को अपने राज्य में सम्मिलित किये बिना दिल्ली वापस लौट आया था।
फिरोज शाह के समय मंगोल आक्रमण कोई समस्या नहीं थी।
Incorrect
व्याख्या-
बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के समय में ही स्वतन्त्र हो गया था।
फिरोज शाह ने बंगाल के विरूद्ध उसने अपना पहला प्रयास 1353-54 ई. में किया।
बंगाल का शासक हाजी इलियास एक खूनी लड़ाई में भाग कर एकदला के किले में छुप गया।
फिरोज शाह का सेनापति तातार खां ने बंगाल को जीत लिया।
सुल्तान बंगाल को अपने राज्य में सम्मिलित किये बिना दिल्ली वापस लौट आया था।
फिरोज शाह के समय मंगोल आक्रमण कोई समस्या नहीं थी।
Unattempted
व्याख्या-
बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के समय में ही स्वतन्त्र हो गया था।
फिरोज शाह ने बंगाल के विरूद्ध उसने अपना पहला प्रयास 1353-54 ई. में किया।
बंगाल का शासक हाजी इलियास एक खूनी लड़ाई में भाग कर एकदला के किले में छुप गया।
फिरोज शाह का सेनापति तातार खां ने बंगाल को जीत लिया।
सुल्तान बंगाल को अपने राज्य में सम्मिलित किये बिना दिल्ली वापस लौट आया था।
फिरोज शाह के समय मंगोल आक्रमण कोई समस्या नहीं थी।
Question 3 of 37
3. Question
निम्न में किस लेखक का कथन था कि जब मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हुई, तब ‘वह अपनी प्रजा से . मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयीं –
Correct
व्याख्या-
दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक का व्यक्तित्व अत्यन्त दुखद था।
वह सल्तनत युगीन भारत का महान शासक था फिर भी उसका चरित्र और कार्य कुशलता विवादित था।
इतिहासकार एलफिंस्टन ने कहा था- “मुहम्मद तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था।”
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु सिंध अभियान के समय थट्टा के निकट बुखार के कारण हो गयी थी।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।” .
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक का व्यक्तित्व अत्यन्त दुखद था।
वह सल्तनत युगीन भारत का महान शासक था फिर भी उसका चरित्र और कार्य कुशलता विवादित था।
इतिहासकार एलफिंस्टन ने कहा था- “मुहम्मद तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था।”
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु सिंध अभियान के समय थट्टा के निकट बुखार के कारण हो गयी थी।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।” .
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक का व्यक्तित्व अत्यन्त दुखद था।
वह सल्तनत युगीन भारत का महान शासक था फिर भी उसका चरित्र और कार्य कुशलता विवादित था।
इतिहासकार एलफिंस्टन ने कहा था- “मुहम्मद तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था।”
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु सिंध अभियान के समय थट्टा के निकट बुखार के कारण हो गयी थी।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।” .
Question 4 of 37
4. Question
गियासुद्दीन तुगलक द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा कृषि उपाय अपनाया नहीं गया था- . .
Correct
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Incorrect
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Unattempted
व्याख्या –
गयासुद्दीन तुगलक ने अर्थव्यवस्था सुधारने एवं कषि उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रयास किए।
गयासुद्दीन तुगलक का मुख्य लक्ष्य किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना था।
गयासुद्दीन तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गयी भूमि लगान तथा मंडी सम्बन्धी नीति के पक्ष में नहीं था।
गयासुद्दीन तुगलक ने मुकद्दम एवं खुत्तों को पुराने अधिकार लौटा दिये थे।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगान निश्चित करने के लिए पुनः बटाई प्रणाली को प्रारम्भ किया,
गयासुद्दीन तुगलक ने ऋणों की वसूली बन्द करवा दी,
भू राजस्व की दर को ½ से घटाकर 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
Question 5 of 37
5. Question
निम्न में से कौन सा एक युग्म सही सुमेलित किया गया
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का समकालीन कम्पिलदेव था।
मुहम्मद तुगलक अपने पिता के समय ही तेलंगाना और सुदूर दक्षिण में मालाबार तट (पांड्य राज्य) के अधिकांश भाग पर अधिकार कर चुका था।
मुहम्मद तुगलक के शासन काल में बहाउद्दीन गुर्सास्प ने विद्रोह किया
गुर्सास्प ने भाग कर कम्पिली के राजा कम्पिलीदेव के पास शरण ली।
कम्पिली का आधुनिक रायचूर, धारवाड़, बेलारी तथा उसके आस-पास के क्षेत्र शामिल थे।
कम्पिली देव ने गुर्सास्प को शरण दी तथा मुहम्मद तुगलक की सेना के साथ युद्ध करता हुआ मारा गया।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का समकालीन कम्पिलदेव था।
मुहम्मद तुगलक अपने पिता के समय ही तेलंगाना और सुदूर दक्षिण में मालाबार तट (पांड्य राज्य) के अधिकांश भाग पर अधिकार कर चुका था।
मुहम्मद तुगलक के शासन काल में बहाउद्दीन गुर्सास्प ने विद्रोह किया
गुर्सास्प ने भाग कर कम्पिली के राजा कम्पिलीदेव के पास शरण ली।
कम्पिली का आधुनिक रायचूर, धारवाड़, बेलारी तथा उसके आस-पास के क्षेत्र शामिल थे।
कम्पिली देव ने गुर्सास्प को शरण दी तथा मुहम्मद तुगलक की सेना के साथ युद्ध करता हुआ मारा गया।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का समकालीन कम्पिलदेव था।
मुहम्मद तुगलक अपने पिता के समय ही तेलंगाना और सुदूर दक्षिण में मालाबार तट (पांड्य राज्य) के अधिकांश भाग पर अधिकार कर चुका था।
मुहम्मद तुगलक के शासन काल में बहाउद्दीन गुर्सास्प ने विद्रोह किया
गुर्सास्प ने भाग कर कम्पिली के राजा कम्पिलीदेव के पास शरण ली।
कम्पिली का आधुनिक रायचूर, धारवाड़, बेलारी तथा उसके आस-पास के क्षेत्र शामिल थे।
कम्पिली देव ने गुर्सास्प को शरण दी तथा मुहम्मद तुगलक की सेना के साथ युद्ध करता हुआ मारा गया।
Question 6 of 37
6. Question
कथन (A) : मुहम्मद तुगलक के कई विदेशियों, हिन्दुओं तथा मंगोलों को सम्मान तथा उच्च पद प्रदान किये।
कथन (R): वह सामन्त वर्ग को दुर्बल बनाना चाहता था। उपर्युक्त दोनों वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा एक सही है?
Correct
व्याख्या.
मुहम्मद तुगलक का राज्याभिषेक निर्विरोध हुआ था।
मुहम्मद तुगलक ने अपने राज्याभिषेक के पश्चात अमीरों, . सरदारों, हिन्दुओं विदेशियों तथा मंगोलों को सम्मान तथा उच्च पद प्रदान किया।
मुहम्मद तुगलक अपने अधिकारियों की नियुक्ति उनकी योग्यता पर करता था
मुहम्मद तुगलक ने खुरासान, फारस, बुखारा, इराक.. समरकन्द आदि से आने वाले विद्वानों और अमीरों को राजाश्रय प्रदान किया
मुहम्मद तुगलक ने अपनी बहुसंख्यक हिन्दू जनता के साथ उदारता का व्यवहार किया तथा योग्यता के आधार पर उन्हें पद भी प्रदान किये।
Incorrect
व्याख्या.
मुहम्मद तुगलक का राज्याभिषेक निर्विरोध हुआ था।
मुहम्मद तुगलक ने अपने राज्याभिषेक के पश्चात अमीरों, . सरदारों, हिन्दुओं विदेशियों तथा मंगोलों को सम्मान तथा उच्च पद प्रदान किया।
मुहम्मद तुगलक अपने अधिकारियों की नियुक्ति उनकी योग्यता पर करता था
मुहम्मद तुगलक ने खुरासान, फारस, बुखारा, इराक.. समरकन्द आदि से आने वाले विद्वानों और अमीरों को राजाश्रय प्रदान किया
मुहम्मद तुगलक ने अपनी बहुसंख्यक हिन्दू जनता के साथ उदारता का व्यवहार किया तथा योग्यता के आधार पर उन्हें पद भी प्रदान किये।
Unattempted
व्याख्या.
मुहम्मद तुगलक का राज्याभिषेक निर्विरोध हुआ था।
मुहम्मद तुगलक ने अपने राज्याभिषेक के पश्चात अमीरों, . सरदारों, हिन्दुओं विदेशियों तथा मंगोलों को सम्मान तथा उच्च पद प्रदान किया।
मुहम्मद तुगलक अपने अधिकारियों की नियुक्ति उनकी योग्यता पर करता था
मुहम्मद तुगलक ने खुरासान, फारस, बुखारा, इराक.. समरकन्द आदि से आने वाले विद्वानों और अमीरों को राजाश्रय प्रदान किया
मुहम्मद तुगलक ने अपनी बहुसंख्यक हिन्दू जनता के साथ उदारता का व्यवहार किया तथा योग्यता के आधार पर उन्हें पद भी प्रदान किये।
Question 7 of 37
7. Question
निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
अहमद अयाज महमूद गजनवी का समकालीन नहीं, अपितु तुगलक वंश के शासक मोहम्मद बिन तुगलक का समकालीन था।
गियासुद्दीन तुगलक के स्वागत के लिए नवीन राजधानी तुगलकाबाद से तीन या चार मील दूर अफगानपुर नामक गाँव में एक लकड़ी का महल बनवाया था।
लकड़ी का महल उलूग खाँ के विश्वासपात्र अहमद अयाज की देख -रेख बनवाया था
इसी महल में दबकर गियासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई थी।
सुल्तान बनने पर मोहम्मद तुगलक (उलूग_ खाँ) ने अहमद अयाज को अपना. वजीर बनाया था।
बलबन -खानबालिग
बाबर -मिर्जा हैदर दुगलत
दाराशिकोह -सरमत
Incorrect
व्याख्या-
अहमद अयाज महमूद गजनवी का समकालीन नहीं, अपितु तुगलक वंश के शासक मोहम्मद बिन तुगलक का समकालीन था।
गियासुद्दीन तुगलक के स्वागत के लिए नवीन राजधानी तुगलकाबाद से तीन या चार मील दूर अफगानपुर नामक गाँव में एक लकड़ी का महल बनवाया था।
लकड़ी का महल उलूग खाँ के विश्वासपात्र अहमद अयाज की देख -रेख बनवाया था
इसी महल में दबकर गियासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई थी।
सुल्तान बनने पर मोहम्मद तुगलक (उलूग_ खाँ) ने अहमद अयाज को अपना. वजीर बनाया था।
बलबन -खानबालिग
बाबर -मिर्जा हैदर दुगलत
दाराशिकोह -सरमत
Unattempted
व्याख्या-
अहमद अयाज महमूद गजनवी का समकालीन नहीं, अपितु तुगलक वंश के शासक मोहम्मद बिन तुगलक का समकालीन था।
गियासुद्दीन तुगलक के स्वागत के लिए नवीन राजधानी तुगलकाबाद से तीन या चार मील दूर अफगानपुर नामक गाँव में एक लकड़ी का महल बनवाया था।
लकड़ी का महल उलूग खाँ के विश्वासपात्र अहमद अयाज की देख -रेख बनवाया था
इसी महल में दबकर गियासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई थी।
सुल्तान बनने पर मोहम्मद तुगलक (उलूग_ खाँ) ने अहमद अयाज को अपना. वजीर बनाया था।
बलबन -खानबालिग
बाबर -मिर्जा हैदर दुगलत
दाराशिकोह -सरमत
Question 8 of 37
8. Question
नगर इतना बुरी तरह उजड़ गया कि नगर की इमारतों, महल और आस-पास के इलाकों में एक बिल्ली या कुत्ता तक नहीं बचा।’सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा राजधानी के स्थानान्तरण के बारे में उपर्युक्त्त वक्तव्य दिया था
Correct
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी का कथन –
सुल्तान मुहम्मद तुगलक द्वारा राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानान्तरण के विषय में कहा कि ‘नगर इतना बुरी तरह उजड़ गया कि नगर की इमारतों, महल और आस-पास के इलाकों में एक बिल्ली या कुत्ता तक नहीं बचा
इनबूतता का कथन- – “
एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद ले जाया गया। एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया।
Incorrect
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी का कथन –
सुल्तान मुहम्मद तुगलक द्वारा राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानान्तरण के विषय में कहा कि ‘नगर इतना बुरी तरह उजड़ गया कि नगर की इमारतों, महल और आस-पास के इलाकों में एक बिल्ली या कुत्ता तक नहीं बचा
इनबूतता का कथन- – “
एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद ले जाया गया। एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया।
Unattempted
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी का कथन –
सुल्तान मुहम्मद तुगलक द्वारा राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानान्तरण के विषय में कहा कि ‘नगर इतना बुरी तरह उजड़ गया कि नगर की इमारतों, महल और आस-पास के इलाकों में एक बिल्ली या कुत्ता तक नहीं बचा
इनबूतता का कथन- – “
एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद ले जाया गया। एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया।
Question 9 of 37
9. Question
जब उसने राजसत्ता पाई तब वह शरीयत के नियमों और आदर्शो से काफी स्वतंत्र था-जियाउद्दीन बरनी ने उपर्युक्त वक्तव्य दिया है
Correct
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी ने उपर्युक्त वक्तव्य अपनी पुस्तक तारीखे-फिरोजशाही में वर्णित किया है।
जियाउद्दीन बरनी यह वक्तव्य मुहम्मद बिन तुगलक के विषय में दिया था।
जियाउद्दीन बरनी सुल्तान को दयालु और रक्तपिपासु दोनों कहता है।
सुल्तान धर्म शास्त्र, इतिहास तथा इस्लामी कानून में विशेष दिलचस्पी रखता था
मुहम्मद बिन तुगलक ने विभिन्न पदों पर नियुक्तियां योग्यता के आधार पर की थीं न कि जाति वंश एवं जन्म स्थान के आधार पर ।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।”
Incorrect
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी ने उपर्युक्त वक्तव्य अपनी पुस्तक तारीखे-फिरोजशाही में वर्णित किया है।
जियाउद्दीन बरनी यह वक्तव्य मुहम्मद बिन तुगलक के विषय में दिया था।
जियाउद्दीन बरनी सुल्तान को दयालु और रक्तपिपासु दोनों कहता है।
सुल्तान धर्म शास्त्र, इतिहास तथा इस्लामी कानून में विशेष दिलचस्पी रखता था
मुहम्मद बिन तुगलक ने विभिन्न पदों पर नियुक्तियां योग्यता के आधार पर की थीं न कि जाति वंश एवं जन्म स्थान के आधार पर ।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।”
Unattempted
व्याख्या-
जियाउद्दीन बरनी ने उपर्युक्त वक्तव्य अपनी पुस्तक तारीखे-फिरोजशाही में वर्णित किया है।
जियाउद्दीन बरनी यह वक्तव्य मुहम्मद बिन तुगलक के विषय में दिया था।
जियाउद्दीन बरनी सुल्तान को दयालु और रक्तपिपासु दोनों कहता है।
सुल्तान धर्म शास्त्र, इतिहास तथा इस्लामी कानून में विशेष दिलचस्पी रखता था
मुहम्मद बिन तुगलक ने विभिन्न पदों पर नियुक्तियां योग्यता के आधार पर की थीं न कि जाति वंश एवं जन्म स्थान के आधार पर ।
मुहम्मद तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है- ” वह अपनी प्रजा से मुक्त हो गया तथा उसकी प्रजा उससे मुक्त हो गयी।”
Question 10 of 37
10. Question
भारत से दासों के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाया था
Correct
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Incorrect
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Unattempted
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Question 11 of 37
11. Question
ग्रामीण बिचौलियों को गियासुद्दीन तुगलक द्वारा दी गयी रियायत के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है
Correct
व्याख्या –
सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक ने ग्रामीण मध्यवर्ती बिचौलियों विशेषकर खूतों और मुकददमों को लगान वसूली के लिए उचित जमींदाराना कर से मुक्त कर दिया
खूतों और मुकददमों के फवाजिल (अधिशेष राजस्व) का 1/5 से 10 भाग को माफ कर दिया।
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक ने ग्रामीण मध्यवर्ती बिचौलियों विशेषकर खूतों और मुकददमों को लगान वसूली के लिए उचित जमींदाराना कर से मुक्त कर दिया
खूतों और मुकददमों के फवाजिल (अधिशेष राजस्व) का 1/5 से 10 भाग को माफ कर दिया।
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक ने ग्रामीण मध्यवर्ती बिचौलियों विशेषकर खूतों और मुकददमों को लगान वसूली के लिए उचित जमींदाराना कर से मुक्त कर दिया
खूतों और मुकददमों के फवाजिल (अधिशेष राजस्व) का 1/5 से 10 भाग को माफ कर दिया।
Question 12 of 37
12. Question
किस शासक ने गुलामों हेतु विभाग स्थापित किया
Correct
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Incorrect
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Unattempted
व्याख्या –
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
फिरोजशाह तुगलक को योग्य दासों को एकत्रित करने का अत्यन्त शौक था।
फिरोजशाह ने दासों के लिए एक अलग विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक के पास लगभग 1,80,000 दास थे।
Question 13 of 37
13. Question
वह पहला सुल्तान कौन था जिसने अकाल पीड़ितों की सहायता की थी.
Correct
व्याख्या.
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल पूर्व मध्ययुगीन भारतीय इतिहास का एक दुखद पृष्ठ है।
मुहम्मद बिन तुगलक ने कई योजनाओं को चलाया. किन्तु सभी एक-एक करके असफल होती गयी।
खुरासान अभियान
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
दो आब क्षेत्र में कर वृद्धि (1325ई.)
कराचिल अभियान (1337 ई.)
दोआब में कर वृद्धि के समय यहां अकाल पड़ा था और यह भी असफल हो गया।
अकाल संकटापन्न स्थिति में सुल्तान ने कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए कृषि विभाग (दीवान-ए-अमीरकोही) की स्थापना।
अकाल से राहत के लिए उसने अकाल राहत संहिता’ तैयार करवायी, तथा सिंचाई के लिए सैकड़ों कुएं खुदवाये। अकालग्रस्त कृषकों को कृषि ऋण (तकाबी) प्रदान की थी।
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
परिवर्तन – 1326-27 ई.
परिणाम – योजना असफल रही
मोहम्मद तुगलक के कार्यों में सबसे अधिक विवादास्पद राजधानी का परिवर्तन था।
1326-27 ईस्वी में उसने राजधानी दिल्ली से देवगिरी (दौलताबाद) बदलने का निर्णय किया और उसका नाम कुतुबुल इस्लाम रखा
इससे पूर्व कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी ने देवगिरी का नाम कुत्बाबाद रखा था और यहां टकसाल स्थापित किया।
राजधानी परिवर्तन के विषय में जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है कि – “नगर इतनी बुरी तरह उजड़ गया है कि नगर की इमारतों महल और आसपास के इलाकों में एक बिल्ली कुत्ता तक नहीं बचा”
इसी विषय में–इब्नबतूता ने कहा है कि “एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद लाया गया, एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया”
Incorrect
व्याख्या.
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल पूर्व मध्ययुगीन भारतीय इतिहास का एक दुखद पृष्ठ है।
मुहम्मद बिन तुगलक ने कई योजनाओं को चलाया. किन्तु सभी एक-एक करके असफल होती गयी।
खुरासान अभियान
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
दो आब क्षेत्र में कर वृद्धि (1325ई.)
कराचिल अभियान (1337 ई.)
दोआब में कर वृद्धि के समय यहां अकाल पड़ा था और यह भी असफल हो गया।
अकाल संकटापन्न स्थिति में सुल्तान ने कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए कृषि विभाग (दीवान-ए-अमीरकोही) की स्थापना।
अकाल से राहत के लिए उसने अकाल राहत संहिता’ तैयार करवायी, तथा सिंचाई के लिए सैकड़ों कुएं खुदवाये। अकालग्रस्त कृषकों को कृषि ऋण (तकाबी) प्रदान की थी।
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
परिवर्तन – 1326-27 ई.
परिणाम – योजना असफल रही
मोहम्मद तुगलक के कार्यों में सबसे अधिक विवादास्पद राजधानी का परिवर्तन था।
1326-27 ईस्वी में उसने राजधानी दिल्ली से देवगिरी (दौलताबाद) बदलने का निर्णय किया और उसका नाम कुतुबुल इस्लाम रखा
इससे पूर्व कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी ने देवगिरी का नाम कुत्बाबाद रखा था और यहां टकसाल स्थापित किया।
राजधानी परिवर्तन के विषय में जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है कि – “नगर इतनी बुरी तरह उजड़ गया है कि नगर की इमारतों महल और आसपास के इलाकों में एक बिल्ली कुत्ता तक नहीं बचा”
इसी विषय में–इब्नबतूता ने कहा है कि “एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद लाया गया, एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया”
Unattempted
व्याख्या.
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल पूर्व मध्ययुगीन भारतीय इतिहास का एक दुखद पृष्ठ है।
मुहम्मद बिन तुगलक ने कई योजनाओं को चलाया. किन्तु सभी एक-एक करके असफल होती गयी।
खुरासान अभियान
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
दो आब क्षेत्र में कर वृद्धि (1325ई.)
कराचिल अभियान (1337 ई.)
दोआब में कर वृद्धि के समय यहां अकाल पड़ा था और यह भी असफल हो गया।
अकाल संकटापन्न स्थिति में सुल्तान ने कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए कृषि विभाग (दीवान-ए-अमीरकोही) की स्थापना।
अकाल से राहत के लिए उसने अकाल राहत संहिता’ तैयार करवायी, तथा सिंचाई के लिए सैकड़ों कुएं खुदवाये। अकालग्रस्त कृषकों को कृषि ऋण (तकाबी) प्रदान की थी।
राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.)
परिवर्तन – 1326-27 ई.
परिणाम – योजना असफल रही
मोहम्मद तुगलक के कार्यों में सबसे अधिक विवादास्पद राजधानी का परिवर्तन था।
1326-27 ईस्वी में उसने राजधानी दिल्ली से देवगिरी (दौलताबाद) बदलने का निर्णय किया और उसका नाम कुतुबुल इस्लाम रखा
इससे पूर्व कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी ने देवगिरी का नाम कुत्बाबाद रखा था और यहां टकसाल स्थापित किया।
राजधानी परिवर्तन के विषय में जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है कि – “नगर इतनी बुरी तरह उजड़ गया है कि नगर की इमारतों महल और आसपास के इलाकों में एक बिल्ली कुत्ता तक नहीं बचा”
इसी विषय में–इब्नबतूता ने कहा है कि “एक अंधे को घसीटकर दिल्ली से दौलताबाद लाया गया, एक शय्यागत लंगड़े को पत्थर फेंकने के यंत्र द्वारा वहां फेंका गया”
Question 14 of 37
14. Question
वह कौन-सा सुल्तान था जिसने अपनी आत्मकथा लिखी थी
Correct
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक स्वयं अपनी आत्मकथा ‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ नाम से लिखी थी।
फिरोज शाह तुगलक स्वयं एक विद्वान व्यक्ति था।
शम्से सिराज अफीफ ,फिरोज शाह तुगलक के संरक्षण में था
शम्से सिराज अफीफ की रचना- ‘तारीखे-फिरोजशाही’
बरनी ने फिरोज शाह तुगलक के समय फतवा-ए-जहांदारी’ की रचना की।
फिरोज शाह ने ‘खालिद नामक फारसी विद्वान से दलायल-ए-फिरोजशाही’ नामक ग्रंथ लिखवाया, जो संस्कृत में चिकित्साशास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद था।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक स्वयं अपनी आत्मकथा ‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ नाम से लिखी थी।
फिरोज शाह तुगलक स्वयं एक विद्वान व्यक्ति था।
शम्से सिराज अफीफ ,फिरोज शाह तुगलक के संरक्षण में था
शम्से सिराज अफीफ की रचना- ‘तारीखे-फिरोजशाही’
बरनी ने फिरोज शाह तुगलक के समय फतवा-ए-जहांदारी’ की रचना की।
फिरोज शाह ने ‘खालिद नामक फारसी विद्वान से दलायल-ए-फिरोजशाही’ नामक ग्रंथ लिखवाया, जो संस्कृत में चिकित्साशास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद था।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक स्वयं अपनी आत्मकथा ‘फुतुहाते-फिरोजशाही’ नाम से लिखी थी।
फिरोज शाह तुगलक स्वयं एक विद्वान व्यक्ति था।
शम्से सिराज अफीफ ,फिरोज शाह तुगलक के संरक्षण में था
शम्से सिराज अफीफ की रचना- ‘तारीखे-फिरोजशाही’
बरनी ने फिरोज शाह तुगलक के समय फतवा-ए-जहांदारी’ की रचना की।
फिरोज शाह ने ‘खालिद नामक फारसी विद्वान से दलायल-ए-फिरोजशाही’ नामक ग्रंथ लिखवाया, जो संस्कृत में चिकित्साशास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद था।
Question 15 of 37
15. Question
‘जब उसने राजसत्ता पायी तब वह शरियत के नियमों और आदेशों से काफी स्वतन्त्र था’ बरनी का उपर्युक्त कथन किसके बारे में है :
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक एक निरंकुश शासक था जिसने कभी भी अपने मंत्रियों से सलाह नहीं ली।
बरनी -मुहम्मद बिन तुगलक ने राजसत्ता पायी तब वह शरियत के नियमों और आदेशों से काफी स्वतन्त्र था’
मुहम्मद बिन तुगलक की सभी योजनाएं असफल होती गयी।
मुहम्मद बिन तुगलक ने रुढ़िवादी मुस्लिम उलेमाओं के राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित करने एवं राज्य की धर्म निरपेक्ष समस्याओं का समाधान धर्मनिरपेक्ष ढंग से करने का प्रयास किया।
सुल्तान ने शरियत के कानून को ज्यादा महत्व न देकर बुद्धि तथा विवेक को राजनीतिक निर्णयों का आधार बनाया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दोष सिद्धि पर उलेमा वर्ग को भी दण्ड देने का प्रावधान किया था।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक एक निरंकुश शासक था जिसने कभी भी अपने मंत्रियों से सलाह नहीं ली।
बरनी -मुहम्मद बिन तुगलक ने राजसत्ता पायी तब वह शरियत के नियमों और आदेशों से काफी स्वतन्त्र था’
मुहम्मद बिन तुगलक की सभी योजनाएं असफल होती गयी।
मुहम्मद बिन तुगलक ने रुढ़िवादी मुस्लिम उलेमाओं के राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित करने एवं राज्य की धर्म निरपेक्ष समस्याओं का समाधान धर्मनिरपेक्ष ढंग से करने का प्रयास किया।
सुल्तान ने शरियत के कानून को ज्यादा महत्व न देकर बुद्धि तथा विवेक को राजनीतिक निर्णयों का आधार बनाया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दोष सिद्धि पर उलेमा वर्ग को भी दण्ड देने का प्रावधान किया था।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक एक निरंकुश शासक था जिसने कभी भी अपने मंत्रियों से सलाह नहीं ली।
बरनी -मुहम्मद बिन तुगलक ने राजसत्ता पायी तब वह शरियत के नियमों और आदेशों से काफी स्वतन्त्र था’
मुहम्मद बिन तुगलक की सभी योजनाएं असफल होती गयी।
मुहम्मद बिन तुगलक ने रुढ़िवादी मुस्लिम उलेमाओं के राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित करने एवं राज्य की धर्म निरपेक्ष समस्याओं का समाधान धर्मनिरपेक्ष ढंग से करने का प्रयास किया।
सुल्तान ने शरियत के कानून को ज्यादा महत्व न देकर बुद्धि तथा विवेक को राजनीतिक निर्णयों का आधार बनाया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दोष सिद्धि पर उलेमा वर्ग को भी दण्ड देने का प्रावधान किया था।
Question 16 of 37
16. Question
किस सुल्तान ने संस्कृत की पुस्तकों का अनुवाद करवाया
Correct
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने 1360 ई. में नागरकोट आक्रमण के दौरान विभिन्न विषयों पर संस्कृत की तीन सौ पुस्तकों का, जो ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित थी,
फिरोजशाह ने राजकवि ताजुद्दीन खालिद खानी द्वारा ‘दलायले फिरोजशाही के नाम से ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित संस्कृत पुस्तकों का फारसी भाषा में अनुवाद करवाया।
‘दलायले फिरोजशाही पुस्तक नक्षत्र विज्ञान से सम्बन्धित थी।
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने 1360 ई. में नागरकोट आक्रमण के दौरान विभिन्न विषयों पर संस्कृत की तीन सौ पुस्तकों का, जो ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित थी,
फिरोजशाह ने राजकवि ताजुद्दीन खालिद खानी द्वारा ‘दलायले फिरोजशाही के नाम से ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित संस्कृत पुस्तकों का फारसी भाषा में अनुवाद करवाया।
‘दलायले फिरोजशाही पुस्तक नक्षत्र विज्ञान से सम्बन्धित थी।
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने 1360 ई. में नागरकोट आक्रमण के दौरान विभिन्न विषयों पर संस्कृत की तीन सौ पुस्तकों का, जो ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित थी,
फिरोजशाह ने राजकवि ताजुद्दीन खालिद खानी द्वारा ‘दलायले फिरोजशाही के नाम से ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षित संस्कृत पुस्तकों का फारसी भाषा में अनुवाद करवाया।
‘दलायले फिरोजशाही पुस्तक नक्षत्र विज्ञान से सम्बन्धित थी।
Question 17 of 37
17. Question
कौन सा विदेशी यात्री दिल्ली का काजी बना –
Correct
व्याख्या ·
अफ्रीका (मोरक्को) का यात्री इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत यात्रा पर आया।
मुहम्मद तुगलक ने उसे ‘दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
मुहम्मद तुगलक ने 1342 ई. में इनबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा।
इनबतूता ने अपनी यात्रा वृतांत को अरबी भाषा की पुस्तक ‘रेहला’ में किया है।
Incorrect
व्याख्या ·
अफ्रीका (मोरक्को) का यात्री इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत यात्रा पर आया।
मुहम्मद तुगलक ने उसे ‘दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
मुहम्मद तुगलक ने 1342 ई. में इनबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा।
इनबतूता ने अपनी यात्रा वृतांत को अरबी भाषा की पुस्तक ‘रेहला’ में किया है।
Unattempted
व्याख्या ·
अफ्रीका (मोरक्को) का यात्री इब्नबतूता 1333 ई. में मुहम्मद तुगलक के समय भारत यात्रा पर आया।
मुहम्मद तुगलक ने उसे ‘दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
मुहम्मद तुगलक ने 1342 ई. में इनबतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा।
इनबतूता ने अपनी यात्रा वृतांत को अरबी भाषा की पुस्तक ‘रेहला’ में किया है।
Question 18 of 37
18. Question
फिरोज द्वारा सिंचाई की व्यवस्था में सर्वाधिक लाभ किस क्षेत्र में हुआ
Correct
व्याख्या –
फिरोज द्वारा सिंचाई की व्यवस्था से सर्वाधिक लाभ हरियाणा को हुआ।
याहिया बिन अहमद सरहिंदी ने अपनी पुस्तक तारीखे फिरोजशाही (उद्धरण हबीब निजामी) में फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरों का विस्तृत उल्लेख किया है।
फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरें–
1. सतलज से घग्घर तक (96 मील लम्ची)
2. यमुना से हिसार तक
3. सिरमौर से हासी तक
4. घग्घर से फिरोजाबाद तक
5. यमुना से फिरोजाबाद तक
इन नहरों का अधिकतर क्षेत्र हरियाणा राज्य में पड़ता है।
Incorrect
व्याख्या –
फिरोज द्वारा सिंचाई की व्यवस्था से सर्वाधिक लाभ हरियाणा को हुआ।
याहिया बिन अहमद सरहिंदी ने अपनी पुस्तक तारीखे फिरोजशाही (उद्धरण हबीब निजामी) में फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरों का विस्तृत उल्लेख किया है।
फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरें–
1. सतलज से घग्घर तक (96 मील लम्ची)
2. यमुना से हिसार तक
3. सिरमौर से हासी तक
4. घग्घर से फिरोजाबाद तक
5. यमुना से फिरोजाबाद तक
इन नहरों का अधिकतर क्षेत्र हरियाणा राज्य में पड़ता है।
Unattempted
व्याख्या –
फिरोज द्वारा सिंचाई की व्यवस्था से सर्वाधिक लाभ हरियाणा को हुआ।
याहिया बिन अहमद सरहिंदी ने अपनी पुस्तक तारीखे फिरोजशाही (उद्धरण हबीब निजामी) में फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरों का विस्तृत उल्लेख किया है।
फिरोज तुगलक द्वारा बनवायी गयी नहरें–
1. सतलज से घग्घर तक (96 मील लम्ची)
2. यमुना से हिसार तक
3. सिरमौर से हासी तक
4. घग्घर से फिरोजाबाद तक
5. यमुना से फिरोजाबाद तक
इन नहरों का अधिकतर क्षेत्र हरियाणा राज्य में पड़ता है।
Question 19 of 37
19. Question
सल्तनत काल में महदवियों का विद्रोह किसने दबाया था
Correct
व्याख्या •
जौनपुर के मुहम्मद सैय्यद ने अहमदाबाद में महदवी आंदोलन का प्रारम्भ किया।
महदवी आंदोलन को मुहम्मद तुगलक व फिरोज तुगलक ने दबाया।
Incorrect
व्याख्या •
जौनपुर के मुहम्मद सैय्यद ने अहमदाबाद में महदवी आंदोलन का प्रारम्भ किया।
महदवी आंदोलन को मुहम्मद तुगलक व फिरोज तुगलक ने दबाया।
Unattempted
व्याख्या •
जौनपुर के मुहम्मद सैय्यद ने अहमदाबाद में महदवी आंदोलन का प्रारम्भ किया।
महदवी आंदोलन को मुहम्मद तुगलक व फिरोज तुगलक ने दबाया।
Question 20 of 37
20. Question
प्रशस्ति के रूप में बदरूद्दीन द्वारा लिखित पुस्तक शाहनामा किसे समर्पित है :
Correct
व्याख्या-
सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक स्वयं एक विद्वान था
मुहम्मद बिन तुगलक के काल में बहुत से विद्वान राजधानी में आये।
जियाउद्दीन बरनी 17 वर्षों तक मुहम्मद बिन तुगलक के आश्रय में रहा जिसने तारीखे-फिरोजशाही’ और फतवा-ए-जहांदारी’ नामक ग्रंथों की रचना की।
बद्र-ए-चाच (बदरुद्दीन) नामक एक प्रसिद्ध कवि ,मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में था
बदरुद्दीन ने अपने सुल्तान की प्रशंसा में कसीदों की रचना की थी।
बदरुद्दीन की रचनाओं में दीवान-ए-चाच’ तथा ‘शाहनामा’ प्रमुख थी।
बदरुद्दीन की रचना शाहनामा मोहम्मद बिन तुगलक को समर्पित है।
Incorrect
व्याख्या-
सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक स्वयं एक विद्वान था
मुहम्मद बिन तुगलक के काल में बहुत से विद्वान राजधानी में आये।
जियाउद्दीन बरनी 17 वर्षों तक मुहम्मद बिन तुगलक के आश्रय में रहा जिसने तारीखे-फिरोजशाही’ और फतवा-ए-जहांदारी’ नामक ग्रंथों की रचना की।
बद्र-ए-चाच (बदरुद्दीन) नामक एक प्रसिद्ध कवि ,मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में था
बदरुद्दीन ने अपने सुल्तान की प्रशंसा में कसीदों की रचना की थी।
बदरुद्दीन की रचनाओं में दीवान-ए-चाच’ तथा ‘शाहनामा’ प्रमुख थी।
बदरुद्दीन की रचना शाहनामा मोहम्मद बिन तुगलक को समर्पित है।
Unattempted
व्याख्या-
सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक स्वयं एक विद्वान था
मुहम्मद बिन तुगलक के काल में बहुत से विद्वान राजधानी में आये।
जियाउद्दीन बरनी 17 वर्षों तक मुहम्मद बिन तुगलक के आश्रय में रहा जिसने तारीखे-फिरोजशाही’ और फतवा-ए-जहांदारी’ नामक ग्रंथों की रचना की।
बद्र-ए-चाच (बदरुद्दीन) नामक एक प्रसिद्ध कवि ,मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में था
बदरुद्दीन ने अपने सुल्तान की प्रशंसा में कसीदों की रचना की थी।
बदरुद्दीन की रचनाओं में दीवान-ए-चाच’ तथा ‘शाहनामा’ प्रमुख थी।
बदरुद्दीन की रचना शाहनामा मोहम्मद बिन तुगलक को समर्पित है।
Question 21 of 37
21. Question
किसने सांकेतिक मुद्रा चलाई.
Correct
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Incorrect
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Unattempted
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Question 22 of 37
22. Question
तैमूर ने किस वर्ष में भारत पर आक्रमण किया
Correct
व्याख्या-
नासिरुद्दीन महमूद (1394-1414 ई.) गद्दी पर बैठा ।
नासिरुद्दीन महमूद के शासन काल में मध्य एशिया के महान मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण किया था।
तैमूर का आक्रमण दिल्ली एवं तुगलक वंश दोनों के लिए मरणान्तक आघात सिद्ध हुआ।
तैमूर ने दिल्ली को तहस-नहस कर दिया।
नासिरुद्दीन महमूदतुगलक वंश का अंतिम शासक था
Incorrect
व्याख्या-
नासिरुद्दीन महमूद (1394-1414 ई.) गद्दी पर बैठा ।
नासिरुद्दीन महमूद के शासन काल में मध्य एशिया के महान मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण किया था।
तैमूर का आक्रमण दिल्ली एवं तुगलक वंश दोनों के लिए मरणान्तक आघात सिद्ध हुआ।
तैमूर ने दिल्ली को तहस-नहस कर दिया।
नासिरुद्दीन महमूदतुगलक वंश का अंतिम शासक था
Unattempted
व्याख्या-
नासिरुद्दीन महमूद (1394-1414 ई.) गद्दी पर बैठा ।
नासिरुद्दीन महमूद के शासन काल में मध्य एशिया के महान मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण किया था।
तैमूर का आक्रमण दिल्ली एवं तुगलक वंश दोनों के लिए मरणान्तक आघात सिद्ध हुआ।
तैमूर ने दिल्ली को तहस-नहस कर दिया।
नासिरुद्दीन महमूदतुगलक वंश का अंतिम शासक था
Question 23 of 37
23. Question
मुहम्मद तुगलक ने शुरू किया-
Correct
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Incorrect
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Unattempted
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
शुरु – 1330 ई.
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
चीनी के कुबलाई खां (1260 से 94ईस्वी) और इरान के के गैखातू खां ने प्रतीक मुद्रा चलाई थी
कुबलाई द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा चाऊ चीन में सफल रही लेकिन इरान के शासक गैखातु खां की सांकेतिक मुद्रा योजना असफल रही
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
सुल्तान की यह एक क्रांतिकारी योजना थी जिसके द्वारा उसने राजकोष में चांदी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की
लेकिन उसकी यह योजना असफल रही क्योंकि उस समय सिक्के बनाने की कला साधारण थी सांकेतिक मुद्रा में कोई पेचदी डिजाइन नहीं था और ना ही कोई सरकारी नियंत्रण
सरकारी टकसाल भी थे और सर्राफ की दुकान पर भी टकसाल का काम होता था, कहीं भी धातु देकर सिक्का बनवाया जा सकता था
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
Question 24 of 37
24. Question
ब्राह्मणों से दिल्ली के किस सुल्तान ने जाजिया कर वसूला
Correct
व्याख्या-
फिरोजशाह तुगलक ने अपना धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करने के लिए जजिया कर को बढ़ाकर ब्राह्मणों पर भी आरोपित कर दिया, जो पहले इस कर से मुक्त थे।
फिरोज ने ब्राह्मणों से जजिया वसूलने के लिए क्रूर उपायों की छूट दी।
राजस्व अधिकरियों को निर्देश दिया गया कि बकाये की वसूली पर जोर दिया जाय।
फिरोज ने शरियत को शासन से ऊपर रखा।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोजशाह तुगलक ने अपना धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करने के लिए जजिया कर को बढ़ाकर ब्राह्मणों पर भी आरोपित कर दिया, जो पहले इस कर से मुक्त थे।
फिरोज ने ब्राह्मणों से जजिया वसूलने के लिए क्रूर उपायों की छूट दी।
राजस्व अधिकरियों को निर्देश दिया गया कि बकाये की वसूली पर जोर दिया जाय।
फिरोज ने शरियत को शासन से ऊपर रखा।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोजशाह तुगलक ने अपना धार्मिक उत्साह प्रदर्शित करने के लिए जजिया कर को बढ़ाकर ब्राह्मणों पर भी आरोपित कर दिया, जो पहले इस कर से मुक्त थे।
फिरोज ने ब्राह्मणों से जजिया वसूलने के लिए क्रूर उपायों की छूट दी।
राजस्व अधिकरियों को निर्देश दिया गया कि बकाये की वसूली पर जोर दिया जाय।
फिरोज ने शरियत को शासन से ऊपर रखा।
Question 25 of 37
25. Question
फिरोज ने केवल उन्हीं फरों को लगाया जो इस्लामी कानून द्वारा अनुमोदित थे, सिवाय इसके कि-
Correct
. व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक ने कर प्रणाली को धार्मिक/ मजहबी स्वरूप प्रदान किया तथा 23 करों को समाप्त कर दिया
इस्लामी शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करों-
खराज (लगान),
खम्स (युद्ध में लुटे गये धन का 1/5 भाग)
जजिया (हिन्दुओं पर धार्मिक कर)
जकात (आय का 2.5% जो मुसलमानों से लिया जाता था
शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करो को लगाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने जजिया कर हिन्दू ब्राह्मणों से भी लिया जिसे उसके पहले नहीं लिया जाता था।
सिंचाई के लिए फिरोज शाह तुगलक ने कई नहरों का निर्माण करवाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात सिंचाई कर (हाब-ए-शर्ब ) भी लगाया
हाब-ए-शर्ब पैदावार का 1/10 भाग होता था।
हाब-ए-शर्ब शरियत के अनुसार अनुमोदित नहीं था।
Incorrect
. व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक ने कर प्रणाली को धार्मिक/ मजहबी स्वरूप प्रदान किया तथा 23 करों को समाप्त कर दिया
इस्लामी शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करों-
खराज (लगान),
खम्स (युद्ध में लुटे गये धन का 1/5 भाग)
जजिया (हिन्दुओं पर धार्मिक कर)
जकात (आय का 2.5% जो मुसलमानों से लिया जाता था
शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करो को लगाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने जजिया कर हिन्दू ब्राह्मणों से भी लिया जिसे उसके पहले नहीं लिया जाता था।
सिंचाई के लिए फिरोज शाह तुगलक ने कई नहरों का निर्माण करवाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात सिंचाई कर (हाब-ए-शर्ब ) भी लगाया
हाब-ए-शर्ब पैदावार का 1/10 भाग होता था।
हाब-ए-शर्ब शरियत के अनुसार अनुमोदित नहीं था।
Unattempted
. व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक ने कर प्रणाली को धार्मिक/ मजहबी स्वरूप प्रदान किया तथा 23 करों को समाप्त कर दिया
इस्लामी शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करों-
खराज (लगान),
खम्स (युद्ध में लुटे गये धन का 1/5 भाग)
जजिया (हिन्दुओं पर धार्मिक कर)
जकात (आय का 2.5% जो मुसलमानों से लिया जाता था
शारियत कानून द्वारा अनुमति प्राप्त केवल चार करो को लगाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने जजिया कर हिन्दू ब्राह्मणों से भी लिया जिसे उसके पहले नहीं लिया जाता था।
सिंचाई के लिए फिरोज शाह तुगलक ने कई नहरों का निर्माण करवाया था।
फिरोज शाह तुगलक ने उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात सिंचाई कर (हाब-ए-शर्ब ) भी लगाया
हाब-ए-शर्ब पैदावार का 1/10 भाग होता था।
हाब-ए-शर्ब शरियत के अनुसार अनुमोदित नहीं था।
Question 26 of 37
26. Question
निम्न में से कौन सा कारण तुगलक साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी नहीं है
Correct
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक में सफल शासक के गुणों एवं साहस दोनों का अभाव था।
फिरोज धार्मिक रूप से असहिष्णु था,
फिरोज रवया हिन्दू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर रहा।
फिरोज तुगलक वास्तव पहला सुल्तान था जिसने इस्लाम धर्म को राज्य शासन का आधार बनाया
फिरोज तुगलक ने प्रत्यक्ष रूप से शासन में उलेमा वर्ग के हस्तक्षेप को स्वीकार किया।
फ़िरोज सैनिकों को जागीर के रूप में पुनः वेतन देना प्रारम्भ कर दिया तथा सैनिक सेवा वंशानुगत कर दी गयी।
तुगलक साम्राज्य के पतन में सैन्य व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कारण बन गया।
फिरोज की मुख्य सफलता उसकी राजस्व व्यवस्था थी जो राज्य एवं प्रजा दोनों के लिए लाभकारी था और राज्य में सम्पन्नता आयी।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक में सफल शासक के गुणों एवं साहस दोनों का अभाव था।
फिरोज धार्मिक रूप से असहिष्णु था,
फिरोज रवया हिन्दू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर रहा।
फिरोज तुगलक वास्तव पहला सुल्तान था जिसने इस्लाम धर्म को राज्य शासन का आधार बनाया
फिरोज तुगलक ने प्रत्यक्ष रूप से शासन में उलेमा वर्ग के हस्तक्षेप को स्वीकार किया।
फ़िरोज सैनिकों को जागीर के रूप में पुनः वेतन देना प्रारम्भ कर दिया तथा सैनिक सेवा वंशानुगत कर दी गयी।
तुगलक साम्राज्य के पतन में सैन्य व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कारण बन गया।
फिरोज की मुख्य सफलता उसकी राजस्व व्यवस्था थी जो राज्य एवं प्रजा दोनों के लिए लाभकारी था और राज्य में सम्पन्नता आयी।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक में सफल शासक के गुणों एवं साहस दोनों का अभाव था।
फिरोज धार्मिक रूप से असहिष्णु था,
फिरोज रवया हिन्दू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर रहा।
फिरोज तुगलक वास्तव पहला सुल्तान था जिसने इस्लाम धर्म को राज्य शासन का आधार बनाया
फिरोज तुगलक ने प्रत्यक्ष रूप से शासन में उलेमा वर्ग के हस्तक्षेप को स्वीकार किया।
फ़िरोज सैनिकों को जागीर के रूप में पुनः वेतन देना प्रारम्भ कर दिया तथा सैनिक सेवा वंशानुगत कर दी गयी।
तुगलक साम्राज्य के पतन में सैन्य व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कारण बन गया।
फिरोज की मुख्य सफलता उसकी राजस्व व्यवस्था थी जो राज्य एवं प्रजा दोनों के लिए लाभकारी था और राज्य में सम्पन्नता आयी।
Question 27 of 37
27. Question
मुहम्मद तुगलक के दिल्ली से दौलतायाद राजधानी परिवर्तन का कई इतिहासकारों ने कई कारण दिये हैं। इब्नबतूता ने इन इतिहासकारों से भिन्न कारण बताया है। निम्न में से इब्नबतूता का कारण कौन सा है-
Correct
व्याख्या-
इब्तूनबतूता के अनुसार -सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे। अतः उन्हें दण्ड देने के लिए उसने राजधानी को देवगिरि ले जाने का फैसला किया था।
वूल्जले हेग तथा ‘इसामी’ भी इब्नबतूता के कथन से सहमत है।
मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में 1333 ई० में अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता भारत आया था।
सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त कर दिया।
1342 ई० में इब्नबतूता को सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में भेजा था।
‘बरनी के अनुसार – देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में था तथा सभी दिशाओं से समान दूरी पर स्थित था, इसलिए उसे सुल्तान ने राजधानी के लिए चुना।
Incorrect
व्याख्या-
इब्तूनबतूता के अनुसार -सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे। अतः उन्हें दण्ड देने के लिए उसने राजधानी को देवगिरि ले जाने का फैसला किया था।
वूल्जले हेग तथा ‘इसामी’ भी इब्नबतूता के कथन से सहमत है।
मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में 1333 ई० में अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता भारत आया था।
सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त कर दिया।
1342 ई० में इब्नबतूता को सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में भेजा था।
‘बरनी के अनुसार – देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में था तथा सभी दिशाओं से समान दूरी पर स्थित था, इसलिए उसे सुल्तान ने राजधानी के लिए चुना।
Unattempted
व्याख्या-
इब्तूनबतूता के अनुसार -सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे। अतः उन्हें दण्ड देने के लिए उसने राजधानी को देवगिरि ले जाने का फैसला किया था।
वूल्जले हेग तथा ‘इसामी’ भी इब्नबतूता के कथन से सहमत है।
मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में 1333 ई० में अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता भारत आया था।
सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त कर दिया।
1342 ई० में इब्नबतूता को सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने चीनी शासक तोगन तिमूर के दरबार में भेजा था।
‘बरनी के अनुसार – देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में था तथा सभी दिशाओं से समान दूरी पर स्थित था, इसलिए उसे सुल्तान ने राजधानी के लिए चुना।
Question 28 of 37
28. Question
निम्न में से कौन सा कथन सही नहीं है.
Correct
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक कट्टर धार्मिक धर्मान्धता एवं असहिष्णुता शासक था।
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक अपनी पुस्तक ‘फुतूहात ए-फिरोजशाही में अनेक स्थलों पर उसने हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने, हिन्दू मेलों को भंग करने, हिन्दुओं को मुसलमान बनाने अथवा उनका वध करने का वर्णन किया है।
फिरोज शाह तुगलक के जाजनगर पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य -पुरी के जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त करना था।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक कट्टर धार्मिक धर्मान्धता एवं असहिष्णुता शासक था।
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक अपनी पुस्तक ‘फुतूहात ए-फिरोजशाही में अनेक स्थलों पर उसने हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने, हिन्दू मेलों को भंग करने, हिन्दुओं को मुसलमान बनाने अथवा उनका वध करने का वर्णन किया है।
फिरोज शाह तुगलक के जाजनगर पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य -पुरी के जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त करना था।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक कट्टर धार्मिक धर्मान्धता एवं असहिष्णुता शासक था।
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक अपनी पुस्तक ‘फुतूहात ए-फिरोजशाही में अनेक स्थलों पर उसने हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने, हिन्दू मेलों को भंग करने, हिन्दुओं को मुसलमान बनाने अथवा उनका वध करने का वर्णन किया है।
फिरोज शाह तुगलक के जाजनगर पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य -पुरी के जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त करना था।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
Question 29 of 37
29. Question
निम्न में से कौन सा कारण तुगलक साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी नहीं था-
Correct
व्याख्या-
तुगलक साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारण –
फिरोज तुगलक की धार्मिक नीति
फिरोज तुगलक की जागीर प्रथा
फिरोज तुगलक की दास प्रथा को प्रोत्साहन की नीति
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक की धार्मिक नीति असहिष्णुता की रही। उसने हिन्दुओं के प्रति कठोर नीति का पालन किया।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
फिरोज शाह तुगलक ने जागीरदारी को आनुवांशिक बना दिया गया ।
फिरोज की राजस्व सम्बन्धी नीति लाभदायक सिद्ध हुई थी। राजस्व सम्बन्धी नीति पतन का कारण नही है
Incorrect
व्याख्या-
तुगलक साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारण –
फिरोज तुगलक की धार्मिक नीति
फिरोज तुगलक की जागीर प्रथा
फिरोज तुगलक की दास प्रथा को प्रोत्साहन की नीति
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक की धार्मिक नीति असहिष्णुता की रही। उसने हिन्दुओं के प्रति कठोर नीति का पालन किया।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
फिरोज शाह तुगलक ने जागीरदारी को आनुवांशिक बना दिया गया ।
फिरोज की राजस्व सम्बन्धी नीति लाभदायक सिद्ध हुई थी। राजस्व सम्बन्धी नीति पतन का कारण नही है
Unattempted
व्याख्या-
तुगलक साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारण –
फिरोज तुगलक की धार्मिक नीति
फिरोज तुगलक की जागीर प्रथा
फिरोज तुगलक की दास प्रथा को प्रोत्साहन की नीति
फिरोज प्रथम सल्तनत शासक था जिसने प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी कानूनों एवं उलेमा वर्ग को राज्य प्रशासन में प्रधानता दी थी।
फिरोज शाह तुगलक की धार्मिक नीति असहिष्णुता की रही। उसने हिन्दुओं के प्रति कठोर नीति का पालन किया।
फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा स्थित नागरकोट के ज्वालामुखी मंदिर को भी नष्ट किया।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू को लालच देकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने हिन्दू ब्राहमणों पर भी जजिया कर लगा दिया था
फिरोज शाह तुगलक ने जागीरदारी को आनुवांशिक बना दिया गया ।
फिरोज की राजस्व सम्बन्धी नीति लाभदायक सिद्ध हुई थी। राजस्व सम्बन्धी नीति पतन का कारण नही है
Question 30 of 37
30. Question
मुहम्मद तुगलक की ताँबे की मुदा के प्रचलन की विफलता का मुख्य कारण क्या था
Correct
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Incorrect
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Unattempted
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Question 31 of 37
31. Question
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन कब से कब तक था
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. के बीच था।
मुहम्मद बिन तुगलक का बचपन का नाम उलूग खां (जूना खां) था।
मुहम्मद तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले सुल्तानों में सबसे अधिक पढ़ा लिखा था।
फारसी और अरबी का विद्वान होने के साथ-साथ उसे खगोल विज्ञान, दर्शन, गणित, औषधि और तर्कशास्त्र का भी ज्ञान था।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. के बीच था।
मुहम्मद बिन तुगलक का बचपन का नाम उलूग खां (जूना खां) था।
मुहम्मद तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले सुल्तानों में सबसे अधिक पढ़ा लिखा था।
फारसी और अरबी का विद्वान होने के साथ-साथ उसे खगोल विज्ञान, दर्शन, गणित, औषधि और तर्कशास्त्र का भी ज्ञान था।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल 1325 ई. से 1351 ई. के बीच था।
मुहम्मद बिन तुगलक का बचपन का नाम उलूग खां (जूना खां) था।
मुहम्मद तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले सुल्तानों में सबसे अधिक पढ़ा लिखा था।
फारसी और अरबी का विद्वान होने के साथ-साथ उसे खगोल विज्ञान, दर्शन, गणित, औषधि और तर्कशास्त्र का भी ज्ञान था।
Question 32 of 37
32. Question
इब्नबतूता किस वर्ष भारत आया
Correct
व्याख्या-
इब्नबतूता का मूल नाम ‘शेख फतह अबू अब्दुल्ला’ था
इब्नबतूता मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
इब्नबतूता भारत में 1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में आया था
मुहम्मद बिन तुगलक ने इनबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया जो आठ वर्षों तक इस पद पर रहा।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1342 ई० में इब्नबतूता को दूत बनाकर चीन भेजा।
इब्नबतूता ने अरबी भाषा में ‘रहेला’ नामक पुस्तक की रचना की जो उसका यात्रा वृतांत है।
Incorrect
व्याख्या-
इब्नबतूता का मूल नाम ‘शेख फतह अबू अब्दुल्ला’ था
इब्नबतूता मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
इब्नबतूता भारत में 1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में आया था
मुहम्मद बिन तुगलक ने इनबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया जो आठ वर्षों तक इस पद पर रहा।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1342 ई० में इब्नबतूता को दूत बनाकर चीन भेजा।
इब्नबतूता ने अरबी भाषा में ‘रहेला’ नामक पुस्तक की रचना की जो उसका यात्रा वृतांत है।
Unattempted
व्याख्या-
इब्नबतूता का मूल नाम ‘शेख फतह अबू अब्दुल्ला’ था
इब्नबतूता मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
इब्नबतूता भारत में 1333 ई० में मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में आया था
मुहम्मद बिन तुगलक ने इनबतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया जो आठ वर्षों तक इस पद पर रहा।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1342 ई० में इब्नबतूता को दूत बनाकर चीन भेजा।
इब्नबतूता ने अरबी भाषा में ‘रहेला’ नामक पुस्तक की रचना की जो उसका यात्रा वृतांत है।
Question 33 of 37
33. Question
निम्न में से किस शासक ने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद तथा पुनः दौलताबाद से दिल्ली परिवर्तित की-
Correct
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक का प्रथम कार्य राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.) था।
मुहम्मद तुगलक ने राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (कुब्बतुल इस्लाम) स्थानांतरित किया।
किन्तु उसकी राजधानी परिवर्तन की योजना असफल हो गयी।
3 या 4 साल बाद दिल्ली को पुनः राजधानी बना लिया गया।
इब्नबतूता का कथन -कि सुल्तान दिल्ली के लोगों से रुष्ट था, अतः उनको दण्ड देने के लिए राजधानी परिवर्तन किया था
बरनी का कथन – दौलताबाद साम्राज्य के केन्द्र में स्थित था।
Incorrect
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक का प्रथम कार्य राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.) था।
मुहम्मद तुगलक ने राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (कुब्बतुल इस्लाम) स्थानांतरित किया।
किन्तु उसकी राजधानी परिवर्तन की योजना असफल हो गयी।
3 या 4 साल बाद दिल्ली को पुनः राजधानी बना लिया गया।
इब्नबतूता का कथन -कि सुल्तान दिल्ली के लोगों से रुष्ट था, अतः उनको दण्ड देने के लिए राजधानी परिवर्तन किया था
बरनी का कथन – दौलताबाद साम्राज्य के केन्द्र में स्थित था।
Unattempted
व्याख्या-
मुहम्मद तुगलक का प्रथम कार्य राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.) था।
मुहम्मद तुगलक ने राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (कुब्बतुल इस्लाम) स्थानांतरित किया।
किन्तु उसकी राजधानी परिवर्तन की योजना असफल हो गयी।
3 या 4 साल बाद दिल्ली को पुनः राजधानी बना लिया गया।
इब्नबतूता का कथन -कि सुल्तान दिल्ली के लोगों से रुष्ट था, अतः उनको दण्ड देने के लिए राजधानी परिवर्तन किया था
बरनी का कथन – दौलताबाद साम्राज्य के केन्द्र में स्थित था।
Question 34 of 37
34. Question
तैमूर की विजय ने किस वंश का पतन किया- –
Correct
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक के बाद तुगलक वंश का पतन शुरू हो गया।
नासिरूद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) गद्दी पर बैठा जो तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
नासिरूद्दीन महमूद के समय में मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण कर दिया ।
तैमूर का आक्रमण तुगलक वंश एवं दिल्ली दोनों के लिए मरणांतक सिद्ध हुआ तथा अंततः तुगलक वंश का अंत हो गया।
Incorrect
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक के बाद तुगलक वंश का पतन शुरू हो गया।
नासिरूद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) गद्दी पर बैठा जो तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
नासिरूद्दीन महमूद के समय में मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण कर दिया ।
तैमूर का आक्रमण तुगलक वंश एवं दिल्ली दोनों के लिए मरणांतक सिद्ध हुआ तथा अंततः तुगलक वंश का अंत हो गया।
Unattempted
व्याख्या-
फिरोज शाह तुगलक के बाद तुगलक वंश का पतन शुरू हो गया।
नासिरूद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) गद्दी पर बैठा जो तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
नासिरूद्दीन महमूद के समय में मंगोल शासक तैमूर ने 1398 ई. में भारत पर आक्रमण कर दिया ।
तैमूर का आक्रमण तुगलक वंश एवं दिल्ली दोनों के लिए मरणांतक सिद्ध हुआ तथा अंततः तुगलक वंश का अंत हो गया।
Question 35 of 37
35. Question
इतिहासकारों के द्वारा मुहम्मद तुगलक के दिल्ली से दौलताबाद राजधानी के परिवर्तन हेतु कई कारण बताए जाते हैं। इब्नबतूता ने इन इतिहासकारों से अलग कारण बताया है। निम्नांकित में से कौन कारण इब्नबतूता द्वारा बताया गया है.
Correct
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन 1326-1327 ई.) को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न रूप में देखा है।
इब्नबतूता के अनुसार- सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, अत: उन्हें दण्ड देने के लिए सल्तान ने राजधानी परिवर्तन किया था।
बरनी के अनुसार- कि देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में थी तथा चारों दिशाओं से समान दूरी पर था।
बरनी का कथन कुछ हद तक सही माना जा सकता है।
प्रो0 हबीबुल्ला के अनुसार -दक्षिण भारत में मुस्लिम संस्कृति का विकास तथा दक्षिण की सम्पन्नता राजधानी परिवर्तन का मूल कारण था।
Incorrect
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन 1326-1327 ई.) को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न रूप में देखा है।
इब्नबतूता के अनुसार- सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, अत: उन्हें दण्ड देने के लिए सल्तान ने राजधानी परिवर्तन किया था।
बरनी के अनुसार- कि देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में थी तथा चारों दिशाओं से समान दूरी पर था।
बरनी का कथन कुछ हद तक सही माना जा सकता है।
प्रो0 हबीबुल्ला के अनुसार -दक्षिण भारत में मुस्लिम संस्कृति का विकास तथा दक्षिण की सम्पन्नता राजधानी परिवर्तन का मूल कारण था।
Unattempted
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन 1326-1327 ई.) को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न रूप में देखा है।
इब्नबतूता के अनुसार- सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, अत: उन्हें दण्ड देने के लिए सल्तान ने राजधानी परिवर्तन किया था।
बरनी के अनुसार- कि देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में थी तथा चारों दिशाओं से समान दूरी पर था।
बरनी का कथन कुछ हद तक सही माना जा सकता है।
प्रो0 हबीबुल्ला के अनुसार -दक्षिण भारत में मुस्लिम संस्कृति का विकास तथा दक्षिण की सम्पन्नता राजधानी परिवर्तन का मूल कारण था।
Question 36 of 37
36. Question
मुहम्मद तुगलक द्वारा प्रचलित सांकेतिक मुद्रा की असफलता के लिए निम्न में से कौन कारण उत्तरदायी नहीं था
Correct
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Incorrect
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Unattempted
व्याख्या-
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.)
मुद्रा व्यवस्था में मुहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
उस समय चांदी का सिक्का टंका और तांबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का प्रचलित किया, प्रतीक मुद्रा पर अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में लेख थे
बरनी के अनुसार– सुल्तान विदेशी राज्य को जीतना चाहता था इसके लिए धन की आवश्यकता थी,साथ ही सुल्तान की उदारता और अपव्ययता से खजाना खाली था अतः उसे सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी
नेल्सन राइट के अनुसार– सांकेतिक मुद्रा प्रचलित करने का एक और कारण यह था कि चौदवी शताब्दी में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गई थी
मोहम्मद बिन तुगलक ने इस कठिनाई से निपटने के लिए चीन और ईरान में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के आधार पर भारत में भी सांकेतिक मुद्रा चलाई
इस कारण इस योजना के अनुसार सुल्तान ने 1330ई. में सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया और सभी को उसे स्वीकार करने के आदेश दिए
बरनी के अनुसार– प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था जनता ने चांदी जमा करना आरंभ कर दिया और प्रत्येक खरीदारी प्रति मुद्रा में करने लगे
इस प्रकार यथेष्ट चांदी प्रचलन से बाहर कर दी गई
भू-राजस्व का भुगतान जाली प्रतीक मुद्रा में किया जाने लगा, खुत, मुकद्दम और चौधरी शक्तिशाली और अवज्ञाकारी बन गए
मध्यवती जमीदारों ने चांदी के सिक्के छिपा लिए और नए सिक्के से हथियार भी खरीदने लगे
विदेशी व्यापारियों ने भारत में अपना माल लाना बंद कर दिया जिससे आयात को भारी क्षति पहुंची अंत में निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी और सभी तांबे के सिक्के को असली सोने और चांदी के सिक्कों में बदलने का निश्चय किया
इससे खजाने को बहुत क्षति पहुंची साथ ही अफसरों ने सुल्तान को बदनाम करने के लिए प्रचार शुरु कर दिया
एडवर्ड टामस– ने मोहम्मद तुगलक को ”धनवानों का राजकुमार” कहा है
एडवर्ड थामस ने उसे सिक्के बनाने वालों का सुल्तान कहा है।
सुल्तान का टकसालों पर नियंत्रण न होना ही उसकी इस योजना की विफलता का कारण था।
Question 37 of 37
37. Question
मध्यकालीन भारत में किस मुस्लिम शासक ने सर्वप्रथम ‘होली खेली थी?
Correct
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक ने गैर मुस्लिम प्रजा तथा उसके धार्मिक नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार किया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली दरबार में जैन विद्वान जिन प्रभा सूरी का स्वागत किया
मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने होली के त्यौहार में भाग लिया।
Incorrect
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक ने गैर मुस्लिम प्रजा तथा उसके धार्मिक नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार किया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली दरबार में जैन विद्वान जिन प्रभा सूरी का स्वागत किया
मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने होली के त्यौहार में भाग लिया।
Unattempted
व्याख्या –
मुहम्मद बिन तुगलक ने गैर मुस्लिम प्रजा तथा उसके धार्मिक नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार किया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली दरबार में जैन विद्वान जिन प्रभा सूरी का स्वागत किया
मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने होली के त्यौहार में भाग लिया।