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Question 1 of 32
1. Question
1 points
निम्नलिखित सुल्तानों में से किसने खलीफा की उपाधि स्वयं धारण कर ली थी?
Correct
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं
Incorrect
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं
Unattempted
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं
Question 2 of 32
2. Question
1 points
कथन (A) : अलाउद्दीन ने सीरी दुर्ग का निर्माण किया।
कारण (R): वह दिल्ली को मंगोल आक्रमणों से सुरक्षित करना चाहता था।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
Correct
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Incorrect
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Unattempted
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Question 3 of 32
3. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में भू-राजस्व की दर थी.
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Question 4 of 32
4. Question
1 points
निम्न सुल्तानों में कौन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
Correct
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुसलमानों और उलेमा वर्ग के लोगों का हस्तक्षेप सहन नहीं कर सकता था।
सुल्तान अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के लोगों के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
अलाउददीन उलेमा की इच्छा का पालन नहीं करता था.
सुल्तान के अधिकारों पर अलाउद्दीन इस वर्ग के हस्तक्षेप, प्रभाव और नियंत्रण का घोर विरोधी था,
Question 5 of 32
5. Question
1 points
कथन (A): अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिणी अभियान धन प्राप्ति के प्रयास थे।
कारण (R): शाही खजाना रिक्त हो गया था।
उपरोक्त वक्तव्यों के सन्दर्भ में नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए कूट :
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन का दक्षिण अभियान धन प्राप्ति था न कि शाही खजाना खाली हो गया था।
अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने विन्ध्याचल पर्वतों को पार करके दक्षिणी प्रायद्वीप को जीतने का प्रयत्न किया।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य,
पूरब में तेलंगाना का काकतीय राज्य
काकतीय की राजधानी वारंगल थी,
कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था
होयसल की राजधानी द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण का पांड्य राज्य जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन का दक्षिण अभियान धन प्राप्ति था न कि शाही खजाना खाली हो गया था।
अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने विन्ध्याचल पर्वतों को पार करके दक्षिणी प्रायद्वीप को जीतने का प्रयत्न किया।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य,
पूरब में तेलंगाना का काकतीय राज्य
काकतीय की राजधानी वारंगल थी,
कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था
होयसल की राजधानी द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण का पांड्य राज्य जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन का दक्षिण अभियान धन प्राप्ति था न कि शाही खजाना खाली हो गया था।
अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने विन्ध्याचल पर्वतों को पार करके दक्षिणी प्रायद्वीप को जीतने का प्रयत्न किया।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य,
पूरब में तेलंगाना का काकतीय राज्य
काकतीय की राजधानी वारंगल थी,
कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था
होयसल की राजधानी द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण का पांड्य राज्य जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Question 6 of 32
6. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी के विषय में निम्नलिखित में से कौन सा एक सही नहीं है?
Correct
व्याख्या –
अलाउददीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान था। जिसने धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना की।
अलाउददीन ने प्रशासन में उलेमा आदि के हस्तक्षेप की स्वीकार नहीं किया।
अलाउददीन एक नये धर्म की स्थापना करना चाहता था।
परन्तु दिल्ली के कोतवाल अलाउलमुल्क की सलाह पर नये धर्म की स्थापना करना त्याग दिया।
वह सिकन्दर की तरह विश्व विजय करना चाहता था। वह सूफी सन्तों का आदर करता था।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउददीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान था। जिसने धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना की।
अलाउददीन ने प्रशासन में उलेमा आदि के हस्तक्षेप की स्वीकार नहीं किया।
अलाउददीन एक नये धर्म की स्थापना करना चाहता था।
परन्तु दिल्ली के कोतवाल अलाउलमुल्क की सलाह पर नये धर्म की स्थापना करना त्याग दिया।
वह सिकन्दर की तरह विश्व विजय करना चाहता था। वह सूफी सन्तों का आदर करता था।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउददीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान था। जिसने धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना की।
अलाउददीन ने प्रशासन में उलेमा आदि के हस्तक्षेप की स्वीकार नहीं किया।
अलाउददीन एक नये धर्म की स्थापना करना चाहता था।
परन्तु दिल्ली के कोतवाल अलाउलमुल्क की सलाह पर नये धर्म की स्थापना करना त्याग दिया।
वह सिकन्दर की तरह विश्व विजय करना चाहता था। वह सूफी सन्तों का आदर करता था।
Question 7 of 32
7. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौन सा अधिकारी अलाउद्दीन खिलजी के बाजार नियंत्रण से सम्बन्धित नहीं था
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी–
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी–
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी–
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Question 8 of 32
8. Question
1 points
प्रथम मुस्लिम शासक जिसने स्थायी सेना नियुक्ति की थी, कौन था
Correct
व्याख्या –
सल्तनत कालीन सुल्तानों मे बलबन को सैन्य विभाग की स्थापना की
अलाउद्दीन खिलजी को एक स्थायी सेना के गठन का श्रेय दिया जाता है।
सैनिक सुधारों की दृष्टि से अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल को सबसे महत्वपूर्ण युग कहा जा सकता है। उसने एक स्थायी सेना का गठन किया। सैनिकों की सीधी भर्ती की तथा उन्हें सरकारी खजाने से नकद वेतन भुगतान किया।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को अक्ता प्रदान करने की प्रथा को समाप्त कर दिया। एक घोड़ा रखने वाले अश्वारोही सैनिक का वार्षिक वेतन 234 टंका निश्चित हुआ और दो-अस्पा सैनिकों को 78 टंका वार्षिक अतिरिक्त प्रदान किया जाता था।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
सुल्तानों की सैनिक शक्ति उनके सैनिक बल पर निर्भर करती थी। अमीर, मलिक ये सब उपाधियां सैनिक श्रेणियां थीं।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारंभ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है। उसके काल में सल्तनत की सेना को ‘हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
इल्तुतमिश की सेना का संगठन गुलामों के रूप में भर्ती किये गये सैनिकों की शक्ति पर आधारित था। सेना का वेतन नकद नहीं दिया जाता था बल्कि इसके बदले उन्हें अक्ता प्रदान की जाती थी।
13वीं शताब्दी में सेना का सर्वोच्च अधिकारी मलिक होता था।
खान एक आदरसूचक उपाधि होती थी। खान उच्चाधिकारी का सैन्य वर्गीकरण से कोई संबंध नहीं होता था।
अलाउद्दीन के शासन काल के बाद मुक्ता लोग अपने सैनिकों के वेतन में से कुछ कमीशन काट लिया करते थे। गयासुद्दीन तुगलक ने केवल इस कुप्रथा को समाप्त ही नहीं किया बल्कि सैनिकों के वेतन रजिस्टर (वसीलात-ए-हश्म) की स्वयं जांच करने लगा।
मुहम्मद बिल तुगलक के शासन काल में सैनिक अधिकारियों और उनके अधीनस्थ सैनिकों के वेतन का विवरण हमें पहली बार मिलता है।
Incorrect
व्याख्या –
सल्तनत कालीन सुल्तानों मे बलबन को सैन्य विभाग की स्थापना की
अलाउद्दीन खिलजी को एक स्थायी सेना के गठन का श्रेय दिया जाता है।
सैनिक सुधारों की दृष्टि से अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल को सबसे महत्वपूर्ण युग कहा जा सकता है। उसने एक स्थायी सेना का गठन किया। सैनिकों की सीधी भर्ती की तथा उन्हें सरकारी खजाने से नकद वेतन भुगतान किया।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को अक्ता प्रदान करने की प्रथा को समाप्त कर दिया। एक घोड़ा रखने वाले अश्वारोही सैनिक का वार्षिक वेतन 234 टंका निश्चित हुआ और दो-अस्पा सैनिकों को 78 टंका वार्षिक अतिरिक्त प्रदान किया जाता था।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
सुल्तानों की सैनिक शक्ति उनके सैनिक बल पर निर्भर करती थी। अमीर, मलिक ये सब उपाधियां सैनिक श्रेणियां थीं।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारंभ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है। उसके काल में सल्तनत की सेना को ‘हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
इल्तुतमिश की सेना का संगठन गुलामों के रूप में भर्ती किये गये सैनिकों की शक्ति पर आधारित था। सेना का वेतन नकद नहीं दिया जाता था बल्कि इसके बदले उन्हें अक्ता प्रदान की जाती थी।
13वीं शताब्दी में सेना का सर्वोच्च अधिकारी मलिक होता था।
खान एक आदरसूचक उपाधि होती थी। खान उच्चाधिकारी का सैन्य वर्गीकरण से कोई संबंध नहीं होता था।
अलाउद्दीन के शासन काल के बाद मुक्ता लोग अपने सैनिकों के वेतन में से कुछ कमीशन काट लिया करते थे। गयासुद्दीन तुगलक ने केवल इस कुप्रथा को समाप्त ही नहीं किया बल्कि सैनिकों के वेतन रजिस्टर (वसीलात-ए-हश्म) की स्वयं जांच करने लगा।
मुहम्मद बिल तुगलक के शासन काल में सैनिक अधिकारियों और उनके अधीनस्थ सैनिकों के वेतन का विवरण हमें पहली बार मिलता है।
Unattempted
व्याख्या –
सल्तनत कालीन सुल्तानों मे बलबन को सैन्य विभाग की स्थापना की
अलाउद्दीन खिलजी को एक स्थायी सेना के गठन का श्रेय दिया जाता है।
सैनिक सुधारों की दृष्टि से अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल को सबसे महत्वपूर्ण युग कहा जा सकता है। उसने एक स्थायी सेना का गठन किया। सैनिकों की सीधी भर्ती की तथा उन्हें सरकारी खजाने से नकद वेतन भुगतान किया।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को अक्ता प्रदान करने की प्रथा को समाप्त कर दिया। एक घोड़ा रखने वाले अश्वारोही सैनिक का वार्षिक वेतन 234 टंका निश्चित हुआ और दो-अस्पा सैनिकों को 78 टंका वार्षिक अतिरिक्त प्रदान किया जाता था।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
सुल्तानों की सैनिक शक्ति उनके सैनिक बल पर निर्भर करती थी। अमीर, मलिक ये सब उपाधियां सैनिक श्रेणियां थीं।
सल्तनत कालीन सैन्य व्यवस्था का शुभारंभ इल्तुतमिश के शासन काल से होता है। उसके काल में सल्तनत की सेना को ‘हश्म-ए-कल्ब’ (केन्द्रीय सेना) या कल्ब-ए-सुल्तानी कहा जाता था।
इल्तुतमिश की सेना का संगठन गुलामों के रूप में भर्ती किये गये सैनिकों की शक्ति पर आधारित था। सेना का वेतन नकद नहीं दिया जाता था बल्कि इसके बदले उन्हें अक्ता प्रदान की जाती थी।
13वीं शताब्दी में सेना का सर्वोच्च अधिकारी मलिक होता था।
खान एक आदरसूचक उपाधि होती थी। खान उच्चाधिकारी का सैन्य वर्गीकरण से कोई संबंध नहीं होता था।
अलाउद्दीन के शासन काल के बाद मुक्ता लोग अपने सैनिकों के वेतन में से कुछ कमीशन काट लिया करते थे। गयासुद्दीन तुगलक ने केवल इस कुप्रथा को समाप्त ही नहीं किया बल्कि सैनिकों के वेतन रजिस्टर (वसीलात-ए-हश्म) की स्वयं जांच करने लगा।
मुहम्मद बिल तुगलक के शासन काल में सैनिक अधिकारियों और उनके अधीनस्थ सैनिकों के वेतन का विवरण हमें पहली बार मिलता है।
Question 9 of 32
9. Question
1 points
निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने सर्वप्रथम स्थायी सैन्य बल का गठन किया
Correct
व्याख्या-
अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 से 1316 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
अलाउद्दीन की शासन व्यवस्था का मूल आधार उसकी सेना ही थी,
अलाउद्दीन के पहले तक सल्तनत की सेना दो स्तरों पर संगठित थी
सुल्तान की सेना
इक्तादारों की सेना।
अलाउद्दीन सामन्तों या इक्तादारों को शक्तिहीन बनाना चाहता था- इसलिए वह इन्हें सैनिक रखने के अधिकार से वंचित रखना चाहता था।
अलाउद्दीन ने एक स्थायी सेना का गठन किया।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को नकद वेतन प्रदान किया।
Incorrect
व्याख्या-
अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 से 1316 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
अलाउद्दीन की शासन व्यवस्था का मूल आधार उसकी सेना ही थी,
अलाउद्दीन के पहले तक सल्तनत की सेना दो स्तरों पर संगठित थी
सुल्तान की सेना
इक्तादारों की सेना।
अलाउद्दीन सामन्तों या इक्तादारों को शक्तिहीन बनाना चाहता था- इसलिए वह इन्हें सैनिक रखने के अधिकार से वंचित रखना चाहता था।
अलाउद्दीन ने एक स्थायी सेना का गठन किया।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को नकद वेतन प्रदान किया।
Unattempted
व्याख्या-
अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 से 1316 ई. तक दिल्ली सल्तनत की बागडोर संभाली।
अलाउद्दीन की शासन व्यवस्था का मूल आधार उसकी सेना ही थी,
अलाउद्दीन के पहले तक सल्तनत की सेना दो स्तरों पर संगठित थी
सुल्तान की सेना
इक्तादारों की सेना।
अलाउद्दीन सामन्तों या इक्तादारों को शक्तिहीन बनाना चाहता था- इसलिए वह इन्हें सैनिक रखने के अधिकार से वंचित रखना चाहता था।
अलाउद्दीन ने एक स्थायी सेना का गठन किया।
अलाउद्दीन ने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारम्भ की जिससे उसकी अदला बदली न हो सके।
अलाउद्दीन ने सैनिकों को नकद वेतन प्रदान किया।
Question 10 of 32
10. Question
1 points
दक्षिण जीतने वाला प्रथम मुस्लिम शासक कौन था?
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी भारत का पहला शासक था, जिसने दक्षिण भारत को जीता।
अलाउद्दीन ने दक्षिणी राज्यों को जीतने के बाद भी उन्हें अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया।
अलाउद्दीन के दक्षिण अभियान मुख्यतः धन प्राप्ति के लिए थे।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी भारत का पहला शासक था, जिसने दक्षिण भारत को जीता।
अलाउद्दीन ने दक्षिणी राज्यों को जीतने के बाद भी उन्हें अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया।
अलाउद्दीन के दक्षिण अभियान मुख्यतः धन प्राप्ति के लिए थे।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी भारत का पहला शासक था, जिसने दक्षिण भारत को जीता।
अलाउद्दीन ने दक्षिणी राज्यों को जीतने के बाद भी उन्हें अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया।
अलाउद्दीन के दक्षिण अभियान मुख्यतः धन प्राप्ति के लिए थे।
Question 11 of 32
11. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी ने –
Correct
व्याख्या
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने राजनीति में धार्मिक हस्तक्षेप को स्वीकार करने से इन्कार किया।
अलाउद्दीन , सरकार के राजनीतिक हित के लिए वह बिना उलेमाओं के परामर्श के कार्य करेगा।
Incorrect
व्याख्या
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने राजनीति में धार्मिक हस्तक्षेप को स्वीकार करने से इन्कार किया।
अलाउद्दीन , सरकार के राजनीतिक हित के लिए वह बिना उलेमाओं के परामर्श के कार्य करेगा।
Unattempted
व्याख्या
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने राजनीति में धार्मिक हस्तक्षेप को स्वीकार करने से इन्कार किया।
अलाउद्दीन , सरकार के राजनीतिक हित के लिए वह बिना उलेमाओं के परामर्श के कार्य करेगा।
Question 12 of 32
12. Question
1 points
खिलजी वंश के शासन की स्थापना होना “खिलजी क्रांति’ कहा जाता है, क्योंकि
Correct
व्याख्या :
खिलजी वंश के सुल्तान भी तुर्क थे
खिलजियों की शासन-व्यवस्था पिछले इल्बारी तुर्कों की शासन व्यवस्था से भिन्न थी।
दिल्ली के सिंहासन पर खिलजी वंश का आधिपत्य हो जाने से भारत में तुकों की श्रेष्ठता समाप्त हो गयी।
खिलजी वंश के दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ होने से शासन में भारतीय तथा गैर-तुर्क मुसलमानों का प्रभाव हो गया
इस समय से तुर्क अभिजात वर्ग की सत्ता के एकाधिकार की समाप्ति हो गयी।
खिलजी सुल्तान ने राज्य को राजनीतिक एकरूपता प्रदान की..
साम्राज्यवादी और आर्थिक नीतियों में उग्र और प्रबल परिवर्तन हुए।
खलजियों ने अपनी शक्ति के निर्माण में न जनसाधारण की सहायता की, न सरदारों की और न उलेमा वर्ग की। इन्हीं कारणों से इसे ‘खिलजी क्रांति कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या :
खिलजी वंश के सुल्तान भी तुर्क थे
खिलजियों की शासन-व्यवस्था पिछले इल्बारी तुर्कों की शासन व्यवस्था से भिन्न थी।
दिल्ली के सिंहासन पर खिलजी वंश का आधिपत्य हो जाने से भारत में तुकों की श्रेष्ठता समाप्त हो गयी।
खिलजी वंश के दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ होने से शासन में भारतीय तथा गैर-तुर्क मुसलमानों का प्रभाव हो गया
इस समय से तुर्क अभिजात वर्ग की सत्ता के एकाधिकार की समाप्ति हो गयी।
खिलजी सुल्तान ने राज्य को राजनीतिक एकरूपता प्रदान की..
साम्राज्यवादी और आर्थिक नीतियों में उग्र और प्रबल परिवर्तन हुए।
खलजियों ने अपनी शक्ति के निर्माण में न जनसाधारण की सहायता की, न सरदारों की और न उलेमा वर्ग की। इन्हीं कारणों से इसे ‘खिलजी क्रांति कहा जाता है।
Unattempted
व्याख्या :
खिलजी वंश के सुल्तान भी तुर्क थे
खिलजियों की शासन-व्यवस्था पिछले इल्बारी तुर्कों की शासन व्यवस्था से भिन्न थी।
दिल्ली के सिंहासन पर खिलजी वंश का आधिपत्य हो जाने से भारत में तुकों की श्रेष्ठता समाप्त हो गयी।
खिलजी वंश के दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ होने से शासन में भारतीय तथा गैर-तुर्क मुसलमानों का प्रभाव हो गया
इस समय से तुर्क अभिजात वर्ग की सत्ता के एकाधिकार की समाप्ति हो गयी।
खिलजी सुल्तान ने राज्य को राजनीतिक एकरूपता प्रदान की..
साम्राज्यवादी और आर्थिक नीतियों में उग्र और प्रबल परिवर्तन हुए।
खलजियों ने अपनी शक्ति के निर्माण में न जनसाधारण की सहायता की, न सरदारों की और न उलेमा वर्ग की। इन्हीं कारणों से इसे ‘खिलजी क्रांति कहा जाता है।
Question 13 of 32
13. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी का प्रारंभिक नाम क्या था.
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था।
अलाउद्दीन के बचपन का नाम ‘अली गुरशास्प’ था।
अलाउद्दीन, सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा तथा दामाद था।
अलाउद्दीन का पिता शिहाबुद्दीन मसूद खिलजी बलबन की सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नियुक्त सेना में एक सैनिक था।
शिहाबुद्दीन मसूद की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात् सुल्तान जलालुद्दीन ने ही अलाउद्दीन का पालन-पोषण किया।
खलजी क्रान्ति में अलाउद्दीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और जब जलालुद्दीन सुल्तान बना तो अलाउद्दीन ‘अमीर-ए-तुजुक’ का पद दिया गया।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था।
अलाउद्दीन के बचपन का नाम ‘अली गुरशास्प’ था।
अलाउद्दीन, सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा तथा दामाद था।
अलाउद्दीन का पिता शिहाबुद्दीन मसूद खिलजी बलबन की सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नियुक्त सेना में एक सैनिक था।
शिहाबुद्दीन मसूद की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात् सुल्तान जलालुद्दीन ने ही अलाउद्दीन का पालन-पोषण किया।
खलजी क्रान्ति में अलाउद्दीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और जब जलालुद्दीन सुल्तान बना तो अलाउद्दीन ‘अमीर-ए-तुजुक’ का पद दिया गया।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था।
अलाउद्दीन के बचपन का नाम ‘अली गुरशास्प’ था।
अलाउद्दीन, सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा तथा दामाद था।
अलाउद्दीन का पिता शिहाबुद्दीन मसूद खिलजी बलबन की सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नियुक्त सेना में एक सैनिक था।
शिहाबुद्दीन मसूद की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात् सुल्तान जलालुद्दीन ने ही अलाउद्दीन का पालन-पोषण किया।
खलजी क्रान्ति में अलाउद्दीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और जब जलालुद्दीन सुल्तान बना तो अलाउद्दीन ‘अमीर-ए-तुजुक’ का पद दिया गया।
Question 14 of 32
14. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी के साथ कौन फारसी विद्वान चित्तौड़ पर चढ़ाई के समय गया था
Correct
व्याख्या-
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Incorrect
व्याख्या-
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Unattempted
व्याख्या-
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Question 15 of 32
15. Question
1 points
किस सुल्तान के काल के समय सबसे अधिक मंगोल आक्रमण हुए.
Correct
व्याख्या –
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के समय सर्वाधिक मंगोल आक्रमण हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के समय सर्वाधिक मंगोल आक्रमण हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के समय सर्वाधिक मंगोल आक्रमण हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Question 16 of 32
16. Question
1 points
किस सल्तान ने किसानों से उपज का आधा भाग खराज के रूप में वसूल किया
Correct
व्याख्या-
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Incorrect
व्याख्या-
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Unattempted
व्याख्या-
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
इस प्रकार अलाउद्दीन ने लगान में वृद्धि की थी।
अलाउददीन पहला सल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (नाप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया।
सुल्तान लगान को गल्ले के रूप में पंसद करता था।
अलाउद्दीन ने दो नवीन कर भी लगाये मकान कर और चराई कर।
चराई कर दूध देने वाले पशुओं पर लगाया जाता था और उन सभी के लिए चारागाह निश्चित कर दिये गये थे।
Question 17 of 32
17. Question
1 points
अलाउद्दीन और बलवन दोनों ने ही –
Correct
व्याख्या-
अलाउद्दीन और बलबन दोनों को ही मंगोल का सामना करना पड़ा था।
मंगोलों का आक्रमण इन्ह दोनों के समय में सबसे अधिक हआ था।
सबसे अधिक मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी समय में हुए।
मंगोल आक्रमण का भय सबसे पहले इल्तुतमिश के समय में ,चंगेज खां ,राजकुमार जलालुद्दीन मांगबर्नी का पीछा करता स्वयं सिंधु नदी के तट पर पहुंचा था।
इल्तुतमिश कूटनीति से चंगेज खां ,आक्रमण को टाल दिया।
अलाउद्दीन को मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण का सामना करना पड़ा था।
Incorrect
व्याख्या-
अलाउद्दीन और बलबन दोनों को ही मंगोल का सामना करना पड़ा था।
मंगोलों का आक्रमण इन्ह दोनों के समय में सबसे अधिक हआ था।
सबसे अधिक मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी समय में हुए।
मंगोल आक्रमण का भय सबसे पहले इल्तुतमिश के समय में ,चंगेज खां ,राजकुमार जलालुद्दीन मांगबर्नी का पीछा करता स्वयं सिंधु नदी के तट पर पहुंचा था।
इल्तुतमिश कूटनीति से चंगेज खां ,आक्रमण को टाल दिया।
अलाउद्दीन को मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण का सामना करना पड़ा था।
Unattempted
व्याख्या-
अलाउद्दीन और बलबन दोनों को ही मंगोल का सामना करना पड़ा था।
मंगोलों का आक्रमण इन्ह दोनों के समय में सबसे अधिक हआ था।
सबसे अधिक मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी समय में हुए।
मंगोल आक्रमण का भय सबसे पहले इल्तुतमिश के समय में ,चंगेज खां ,राजकुमार जलालुद्दीन मांगबर्नी का पीछा करता स्वयं सिंधु नदी के तट पर पहुंचा था।
इल्तुतमिश कूटनीति से चंगेज खां ,आक्रमण को टाल दिया।
अलाउद्दीन को मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण का सामना करना पड़ा था।
Question 18 of 32
18. Question
1 points
किस सुल्तान ने अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि कहा और अपने सिक्को पर ‘खलीफातुल्लाह शब्द अंकित करवाया
Correct
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, खिलजी वंश का अंतिम सुल्तान था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी अपने सिक्कों पर ‘अल-इमाम’, ‘उल-इमाम’ ‘खलाफत-उल-लह’ आदि उपाधियाँ अंकित करवाया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी सबसे अधिक निकम्मा था।
मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पुत्र था।
विलासप्रियता और झूठे दंभ ने उसकी बुद्धि एवं विवेक को नष्ट कर दिया था।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी स्त्रियों के वस्त्र पहनकर दरबार में आने लगा।
बरनी के कथनानुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।” वह अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
Incorrect
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, खिलजी वंश का अंतिम सुल्तान था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी अपने सिक्कों पर ‘अल-इमाम’, ‘उल-इमाम’ ‘खलाफत-उल-लह’ आदि उपाधियाँ अंकित करवाया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी सबसे अधिक निकम्मा था।
मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पुत्र था।
विलासप्रियता और झूठे दंभ ने उसकी बुद्धि एवं विवेक को नष्ट कर दिया था।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी स्त्रियों के वस्त्र पहनकर दरबार में आने लगा।
बरनी के कथनानुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।” वह अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
Unattempted
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, खिलजी वंश का अंतिम सुल्तान था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी अपने सिक्कों पर ‘अल-इमाम’, ‘उल-इमाम’ ‘खलाफत-उल-लह’ आदि उपाधियाँ अंकित करवाया था
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी सबसे अधिक निकम्मा था।
मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पुत्र था।
विलासप्रियता और झूठे दंभ ने उसकी बुद्धि एवं विवेक को नष्ट कर दिया था।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी स्त्रियों के वस्त्र पहनकर दरबार में आने लगा।
बरनी के कथनानुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।” वह अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
Question 19 of 32
19. Question
1 points
वह फारसी विद्वान कौन था जो चित्तौड़ पर अभियान के समय अलाउद्दीन खिलजी के साथ था
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय 1303 ई. में की थी,
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ विजय कर चित्तौड़ का नाम अपने पुत्र खिज खाँ के नाम पर खिजाबाद रखा।
चित्तौड़ अभियान में अमीर खुसरो ने भी हिस्सा लिया था।
चित्तौड़ अभियान में चित्तौड़ का शासक रतन ‘सिंह पराजित हुआ था।
अमीर खुसरो ने लिखा है कि राणा ने अपनी पराजय के पश्चात आत्म समर्पण कर दिया था तथा अलाउद्दीन की शरण में चला गया। राजपूत प्रमाणों के अनुसार राजा रतन सिंह युद्ध में मारा गया जबकि सत्य कुछ भी हो, परन्तु इसके बाद राणा रतन सिंह का नाम कही सुनने में नहीं आता है।
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था
1303 में चितोड़ का प्रथम साका हुआ
Question 20 of 32
20. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी का दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का क्या उद्देश्य था
Correct
व्याख्या-
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Incorrect
व्याख्या-
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Unattempted
व्याख्या-
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे-
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Question 21 of 32
21. Question
1 points
बाजार-नियंत्रण नीति के द्वारा अलाउद्दीन क्या चाहता था
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
Question 22 of 32
22. Question
1 points
अमीर खुसरो किसका समकालीन था
Correct
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के शासन काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी का राजकवि बना।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो और दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Incorrect
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के शासन काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी का राजकवि बना।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो और दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Unattempted
व्याख्या –
अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली ग्राम में हुआ था।
अमीर खुसरो के बचपन का नाम अबुल हसन था।
अमीर खुसरो ने बलबन के पुत्र मुहम्मद की सेवा से अपने जीवन का प्रारम्भ किया।
अमीर खुसरो ने दिल्ली के आठ सुल्तानों की सेवा का मौका मिला।
अमीर खुसरो ने बलबन से लेकर गयासुद्दीन तुगलक तक के शासन काल को अपनी आंखो से देखा था।
अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी का राजकवि बना।
अलाउद्दीन के दरबार में अमीर खुसरो और दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत ‘गोपाल नायक’ के साथ संगीत प्रतियोगिता हुई थी।
Question 23 of 32
23. Question
1 points
अलाई दरवाजा कहाँ पर है
Correct
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्य कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वारा बनाना था।
अलाई दरवाजा के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
अलाई दरवाजा के निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
अलाई दरवाजा के ऊपर एक गुम्बद भी है
मार्शल ने अलाई दरवाजा को इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Incorrect
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्य कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वारा बनाना था।
अलाई दरवाजा के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
अलाई दरवाजा के निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
अलाई दरवाजा के ऊपर एक गुम्बद भी है
मार्शल ने अलाई दरवाजा को इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Unattempted
व्याख्या –
अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1310-11 ई. में करवाया।
अलाई दरवाजा के निर्माण का उद्देश्य कुतुबमीनार में चार प्रवेश द्वारा बनाना था।
अलाई दरवाजा के निर्माण में लाल पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
अलाई दरवाजा के निर्माण में पहली बार वैज्ञानिक एवं सही विधि का प्रयोग किया गया है।
अलाई दरवाजा के ऊपर एक गुम्बद भी है
मार्शल ने अलाई दरवाजा को इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने में सबसे सुन्दर हीरा कहा है।
Question 24 of 32
24. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान शासक था, जिसने-
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Question 25 of 32
25. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी के बाजार नियंत्रण का क्या उद्देश्य था
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण का उददेश्य कम खर्च पर विशाल सेना रखना था।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण का उददेश्य कम खर्च पर विशाल सेना रखना था।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक बड़ी सेना स्थापित करना था।
सेना के रख रखाव को देखते हुए अलाउद्दीन ने आर्थिक सुधार लागू किये थे।
जियाउद्दीन बरनी ने अपनी पुस्तक ‘तारीखे-फिरोजशाही’ में जिसका विस्तृत विवरण दिया है।
बरनी ने अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना सैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना बताया है।
अमीर खुसरों का कहना है कि बाजार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ‘आम प्रजा’ को राहत प्रदान करना |
अमीर खुसरों के मत का समर्थन के0एनिजामी और डा0 वी0पी0 सक्सेना ने किया ही,
किन्तु बाजार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य एक विशाल सेना रखना ही था।
अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण का उददेश्य कम खर्च पर विशाल सेना रखना था।
Question 26 of 32
26. Question
1 points
अलाउद्दीन ने राजसिंहासन पर बैठने के उपरांत उपाधि धारण की –
Correct
व्याख्या –
1296 ई. में जलालुद्दीन का वध कर अलाउद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
अलाउद्दीन राज्याभिषेक के समय ‘अबुल मुजफ्फर सुल्तान अलाउदुनियावा दीन मुहम्मद शाह खिलजी’ की उपाधि ग्रहण की थी।
अलाउद्दीन ने ‘सिकन्दर-ए-सानी’ की उपाधि धारण की।
अलाउद्दीन की प्रथम योजना एक नवीन धर्म की स्थापना थी जिसमें पैगम्बर के समान भावी पीढ़िया उसका नाम लें। अलाउद्दीन की दूसरी योजना थी- सिकन्दर के समान अपनी विजय पताका दूर-दूर तक पहुंचाना
वह दिल्ली में प्रशासन कार्य चलाने के लिए प्रतिनिधि छोड़कर स्वयं अभियान का नेतृत्व करने और सिकन्दर के समान पूर्व और पश्चिम को अपने अधीन करने की योजना बनाने लगा।
अलाउद्दीन ने अपने सिक्कों और सार्वजनिक प्रार्थनाओं में भी स्वयं को दूसरा सिकन्दर घोषित किया था।
Incorrect
व्याख्या –
1296 ई. में जलालुद्दीन का वध कर अलाउद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
अलाउद्दीन राज्याभिषेक के समय ‘अबुल मुजफ्फर सुल्तान अलाउदुनियावा दीन मुहम्मद शाह खिलजी’ की उपाधि ग्रहण की थी।
अलाउद्दीन ने ‘सिकन्दर-ए-सानी’ की उपाधि धारण की।
अलाउद्दीन की प्रथम योजना एक नवीन धर्म की स्थापना थी जिसमें पैगम्बर के समान भावी पीढ़िया उसका नाम लें। अलाउद्दीन की दूसरी योजना थी- सिकन्दर के समान अपनी विजय पताका दूर-दूर तक पहुंचाना
वह दिल्ली में प्रशासन कार्य चलाने के लिए प्रतिनिधि छोड़कर स्वयं अभियान का नेतृत्व करने और सिकन्दर के समान पूर्व और पश्चिम को अपने अधीन करने की योजना बनाने लगा।
अलाउद्दीन ने अपने सिक्कों और सार्वजनिक प्रार्थनाओं में भी स्वयं को दूसरा सिकन्दर घोषित किया था।
Unattempted
व्याख्या –
1296 ई. में जलालुद्दीन का वध कर अलाउद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
अलाउद्दीन राज्याभिषेक के समय ‘अबुल मुजफ्फर सुल्तान अलाउदुनियावा दीन मुहम्मद शाह खिलजी’ की उपाधि ग्रहण की थी।
अलाउद्दीन ने ‘सिकन्दर-ए-सानी’ की उपाधि धारण की।
अलाउद्दीन की प्रथम योजना एक नवीन धर्म की स्थापना थी जिसमें पैगम्बर के समान भावी पीढ़िया उसका नाम लें। अलाउद्दीन की दूसरी योजना थी- सिकन्दर के समान अपनी विजय पताका दूर-दूर तक पहुंचाना
वह दिल्ली में प्रशासन कार्य चलाने के लिए प्रतिनिधि छोड़कर स्वयं अभियान का नेतृत्व करने और सिकन्दर के समान पूर्व और पश्चिम को अपने अधीन करने की योजना बनाने लगा।
अलाउद्दीन ने अपने सिक्कों और सार्वजनिक प्रार्थनाओं में भी स्वयं को दूसरा सिकन्दर घोषित किया था।
Question 27 of 32
27. Question
1 points
अलाउद्दीन खिलजी की विजय में मुख्य योगदान रहा –
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी की विजय में ‘मलिक काफूर का मुख्य योगदान था।
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत की विजय का श्रेय ‘मलिक काफूर’ को दिया जाता है।
अलाउद्दीन ने गुजरात विजय के समय मलिक काफूर को एक हजार दीनार में खम्भात (गुजरात) में खरीदा था। इसलिए मलिक काफूर ‘हजार दीनारी’ भी कहा जाता है। यह मूल रूप से हिंदू था।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी की विजय में ‘मलिक काफूर का मुख्य योगदान था।
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत की विजय का श्रेय ‘मलिक काफूर’ को दिया जाता है।
अलाउद्दीन ने गुजरात विजय के समय मलिक काफूर को एक हजार दीनार में खम्भात (गुजरात) में खरीदा था। इसलिए मलिक काफूर ‘हजार दीनारी’ भी कहा जाता है। यह मूल रूप से हिंदू था।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी की विजय में ‘मलिक काफूर का मुख्य योगदान था।
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत की विजय का श्रेय ‘मलिक काफूर’ को दिया जाता है।
अलाउद्दीन ने गुजरात विजय के समय मलिक काफूर को एक हजार दीनार में खम्भात (गुजरात) में खरीदा था। इसलिए मलिक काफूर ‘हजार दीनारी’ भी कहा जाता है। यह मूल रूप से हिंदू था।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन के समय दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
Question 28 of 32
28. Question
1 points
राजस्व के मामले में पूर्ण रूचि लेने वाला सुल्तान था
Correct
व्याख्या –
राजस्व के मामले में पूर्ण रूचि लेने वाला प्रथम सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था।
अलाउद्दीन ने राजस्व व्यवस्था की पुन: समीक्षा कर उसे नये सिरे से सुदृढ़ करने का प्रयास किया।
अलाउद्दीन के राजस्व एवं लगान व्यवस्था का मुख्य उददेश्य एक शक्तिशाली सेना रखना और निरंकुश राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन ने अपनी शक्तिशाली सेना के लिए एक बाजार-नियंत्रण को लागू किया।
अलाउद्दीन ने सभी वस्तुओं के मूल्यों में कमी करके -उसके मूल्य निश्चित कर दिये जिससे उसके सैनिकों की
दैनिक आवश्यकताओं की आसानी से पूर्ति हो सके।
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
Incorrect
व्याख्या –
राजस्व के मामले में पूर्ण रूचि लेने वाला प्रथम सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था।
अलाउद्दीन ने राजस्व व्यवस्था की पुन: समीक्षा कर उसे नये सिरे से सुदृढ़ करने का प्रयास किया।
अलाउद्दीन के राजस्व एवं लगान व्यवस्था का मुख्य उददेश्य एक शक्तिशाली सेना रखना और निरंकुश राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन ने अपनी शक्तिशाली सेना के लिए एक बाजार-नियंत्रण को लागू किया।
अलाउद्दीन ने सभी वस्तुओं के मूल्यों में कमी करके -उसके मूल्य निश्चित कर दिये जिससे उसके सैनिकों की
दैनिक आवश्यकताओं की आसानी से पूर्ति हो सके।
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
Unattempted
व्याख्या –
राजस्व के मामले में पूर्ण रूचि लेने वाला प्रथम सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था।
अलाउद्दीन ने राजस्व व्यवस्था की पुन: समीक्षा कर उसे नये सिरे से सुदृढ़ करने का प्रयास किया।
अलाउद्दीन के राजस्व एवं लगान व्यवस्था का मुख्य उददेश्य एक शक्तिशाली सेना रखना और निरंकुश राज्य की स्थापना करना था।
अलाउद्दीन ने अपनी शक्तिशाली सेना के लिए एक बाजार-नियंत्रण को लागू किया।
अलाउद्दीन ने सभी वस्तुओं के मूल्यों में कमी करके -उसके मूल्य निश्चित कर दिये जिससे उसके सैनिकों की
दैनिक आवश्यकताओं की आसानी से पूर्ति हो सके।
अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश (माप) कराकर लगान वसूलना प्रारम्भ किया
अलाउद्दीन ने एक बिस्वा को एक इकाई माना गया।
अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का आधा 1/2) भाग कर दिया।
पिछले सुल्तानों के समय में लगान पैदावार का एक तिहाई (1/3) भाग होता था।
Question 29 of 32
29. Question
1 points
किस सुल्तान के समय मंगालों ने दिल्ली को जीतने का प्रयास किया था?
Correct
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम मंगोल आक्रमण का भय इल्तुतमिश के शासन काल में उत्पन्न हुआ था।
मंगोल आक्रमण के भय से ही बलबन अपने साम्राज्य का विस्तार न कर सका औ
मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Incorrect
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम मंगोल आक्रमण का भय इल्तुतमिश के शासन काल में उत्पन्न हुआ था।
मंगोल आक्रमण के भय से ही बलबन अपने साम्राज्य का विस्तार न कर सका औ
मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Unattempted
व्याख्या-
दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम मंगोल आक्रमण का भय इल्तुतमिश के शासन काल में उत्पन्न हुआ था।
मंगोल आक्रमण के भय से ही बलबन अपने साम्राज्य का विस्तार न कर सका औ
मंगोलों के सबसे अधिक आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में हुए।
अलाउद्दीन के समय मंगोल आक्रमण –
1296 ई. में कादिर खाँ
1298 ई. में, सल्दी
1299 ई. में, कुतुलग ख्वाजा
1303 ई. में, तार्गीवेग
1304 ई. में, अली वेग एवं खाजा ताश
1306 ई. में कुबक के नेतृत्व में
अलाउद्दीन के काल में मंगोलो का अंतिम आक्रमण 1307 ई. में इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
1299 ई. में कुतुलुग ख्वाजा के नेतृत्व में दिल्ली पर आक्रमण किया ,इस युद्ध में अलाउद्दीन का योग्य सेनापति जफर ई. में मारा गया
Question 30 of 32
30. Question
1 points
सल्तनत काल में मूल्यों पर नियंत्रण किसने लगाया?
Correct
व्याख्या –
सल्तनत काल में सर्वप्रथम अलाउद्दीन ने मूल्य नियंत्रण को लागू किया था।
अलाउददीन अपने आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत बाजार-व्यवस्था को लागू करने वाला प्रथम सुल्तान था।
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी-
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Incorrect
व्याख्या –
सल्तनत काल में सर्वप्रथम अलाउद्दीन ने मूल्य नियंत्रण को लागू किया था।
अलाउददीन अपने आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत बाजार-व्यवस्था को लागू करने वाला प्रथम सुल्तान था।
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी-
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Unattempted
व्याख्या –
सल्तनत काल में सर्वप्रथम अलाउद्दीन ने मूल्य नियंत्रण को लागू किया था।
अलाउददीन अपने आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत बाजार-व्यवस्था को लागू करने वाला प्रथम सुल्तान था।
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण को कठोरता से लागू किया।
अलाउद्दीन ने सट्टेबाजी तथा चोरबाजारी पूर्णतया समाप्त कर दी गयी।
अलाउद्दीन द्वारा कानून को भंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कठोरतम दण्ड दिया जाता था।
बाजार नियंत्रण कार्यों की देख-भाल के लिए नियुक्त अधिकारी-
दीवाने-रियासत और ‘शहना-ए-मंडी’ ,
न्याय के लिए सरायअदल’
बरीद-ए-मण्डी,
मुनहियान (गुप्तचर)
शहना ए मंडी—-
मलिक कबूल को शहना ए मंडी नियुक्त किया गया था यह उलूग खां का विश्वासपात्र और दक्ष सेवक था इसकी सहायता के लिए अलाउद्दीन ने घुड़सवारों और पैदल व्यक्तियों की विशाल टुकड़ी प्रदान की गई और उसे विस्तृत अधिकार दिए गए
वह सभी व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था और बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव और बाजार की सामान्य स्थिति की सूचना सुल्तान को देता था इसके अतिरिक्त व्यापारियों और कारवाओ को गांव से अनाज एकत्रित करने के लिए विवश करता था
सभी व्यापारियों को शहना ए मंडी के दफ्तर में अपने को पंजीकृत करना पड़ता था।शहना ए मंडी के पास वस्तुओं के दरों की तालिका रहती थी वह बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं पर कड़ी नजर रखता था
कानून भंग करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान था
दीवान ए रियासत–
बाजार की देखभाल का कार्य दीवाने रियासत को सौंपा गया यह विभाग अलाउद्दीन के कृपापात्र याकूब के अधीन था नाजिर याकूब को पहला दीवाने रियासत नियुक्त किया गया
दीवान ए रियासत के अधीन शहना और बाजार का अधीक्षक और बरीद गुप्तचर अधिकारी की नियुक्ति की गई इनका कार्य बाजार में वस्तुओं के मूल्य और माप-तोल की जांच करना था
बरीद- ए-मंडी—
यह गुप्त अधिकारी होते हैं इनका कार्य बाजार में वस्तुओं में और उनके मूल्य में हो रही है फेर की जांच करना था मुनहीयान्स भी गुप्तचर अधिकारी था
सराय अदल–
न्याय के लिए सराय अदल नामक बड़े पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई इन सभी अधिकारियों को दंड देने का विस्तृत अधिकार प्राप्त था अलाउद्दीन ने दिल्ली में सराय अदल में मुल्तानीयों की नियुक्ति अधिकारियों के रूप में करके नवीन परंपरा स्थापित की
Question 31 of 32
31. Question
1 points
किस सुल्तान ने अपने को उलेमाओं से मुक्त रखा –
Correct
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुल्लाओं और उलेमा वर्ग के लोगों को मुक्त रखा।
अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
प्रशासन में अलाउद्दीन धर्माधिकारियों द्वारा निर्देशित शासन व्यवस्था का समर्थक नहीं था।
अलाउददीन का मानना था कि शासन-संचालन अथवा विधि-निर्माण सुल्तान का कर्तव्य है और उलेमा वर्ग उसकी इच्छा पर अवलम्बित है।
शासन व्यवस्था में वह सुल्तान को सर्वोपरि मानता था।
अलाउद्दीन ने धर्म एवं राजनीति को एक-दूसरे से पृथक कर दिया था।
Incorrect
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुल्लाओं और उलेमा वर्ग के लोगों को मुक्त रखा।
अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
प्रशासन में अलाउद्दीन धर्माधिकारियों द्वारा निर्देशित शासन व्यवस्था का समर्थक नहीं था।
अलाउददीन का मानना था कि शासन-संचालन अथवा विधि-निर्माण सुल्तान का कर्तव्य है और उलेमा वर्ग उसकी इच्छा पर अवलम्बित है।
शासन व्यवस्था में वह सुल्तान को सर्वोपरि मानता था।
अलाउद्दीन ने धर्म एवं राजनीति को एक-दूसरे से पृथक कर दिया था।
Unattempted
व्याख्या –
सुल्तान अलाउददीन खिलजी ने राजनीति और प्रशासन में मुस्लिम आचार्यों, मुल्लाओं और उलेमा वर्ग के लोगों को मुक्त रखा।
अलाउददीन के पूर्व के सुल्तान उलेमा वर्ग के परामर्श पर अपनी नीति का निर्धारण करते थे।
प्रशासन में अलाउद्दीन धर्माधिकारियों द्वारा निर्देशित शासन व्यवस्था का समर्थक नहीं था।
अलाउददीन का मानना था कि शासन-संचालन अथवा विधि-निर्माण सुल्तान का कर्तव्य है और उलेमा वर्ग उसकी इच्छा पर अवलम्बित है।
शासन व्यवस्था में वह सुल्तान को सर्वोपरि मानता था।
अलाउद्दीन ने धर्म एवं राजनीति को एक-दूसरे से पृथक कर दिया था।
Question 32 of 32
32. Question
1 points
सल्तनत काल में सर्वप्रथम किसने दक्षिण भारत की विजय की –
Correct
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Incorrect
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।
Unattempted
व्याख्या –
अलाउद्दीन खिलजी पहला मुसलमान था, जिसने दक्षिण भारत की विजय की।
अलाउद्दीन के दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को उसकी दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
अमीर खुसरो के ग्रंथ ‘खजाइनुल फुतूह’ में उसके दक्षिण अभियान का वर्णन है।
अलाउद्दीन दक्षिण में चार शक्तिशाली राज्य थे–
पश्चिम में देवगिरि का यादव राज्य जिसकी राजधानी देवगिरि थी,
पूर्व में तेलंगाना क काकतीय राज्य था जिसकी राजधानी वारंगल थी,
दक्षिण में स्थित होयसल राज्य था जिसकी राजधान द्वारसमुद्र थी
सुदूर दक्षिण में पाड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरा थी।
अलाउद्दीन उत्तरी भारत क जीतकर उस पर सीधा शासन करना चाहता था,
दक्षिण के सम्बन्ध में अलाउद्दीन की नीति -दक्षिण के शासक उसकी अधीनता स्वीकार करे और वार्षिक कर भेजे।